बिना पछतावे का चुनाव
मैं और मेरा बॉयफ्रेंड विदेश में काम करने के दौरान मिले थे। हम दोनों ही प्रभु यीशु में विश्वास करते थे और अक्सर साथ-साथ कलीसिया जाते थे। हम तीन साल से साथ थे और हमारी विवाह करने की योजना थी। 2000 के अक्तूबर में जब मैं अपनी माँ से मिलने चीन लौटी, तो मेरे पड़ोसी ने यह कहते हुए मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की गवाही दी, कि प्रभु यीशु देहधारण करके लौट आया है, और मनुष्य का न्याय और शुद्धिकरण करने के लिए और लोगों को पाप के बंधन से बचाने के लिए उसने बहुत-से सत्य अभिव्यक्त किए हैं, ताकि वे स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकें। बाद में मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के बहुत-से वचन पढे और देखा कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने मनुष्य को बचाने के लिए परमेश्वर की छह हजार वर्षीय प्रबंधन-योजना का रहस्य, परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों की आंतरिक कथा, परमेश्वर के देहधारण का रहस्य, और साथ ही शैतान मनुष्य को कैसे भ्रष्ट करता है और परमेश्वर मनुष्य को बचने के लिए कदम-दर-कदम कैसे कार्य करता है, और युग का समापन करने के लिए परमेश्वर अंत के दिनों में न्याय का कार्य कैसे करता है, इत्यादि उजागर किए हैं। ये सत्य और रहस्य ऐसी चीजें थीं, जिनके बारे में मैंने अपने कई वर्षों के धार्मिक विश्वास में कभी नहीं सुना था। कोई मशहूर या महान व्यक्ति इन्हें अभिव्यक्त नहीं कर सकता था। इसने प्रभु यीशु के इन वचनों को पूरी तरह से साकार कर दिया था : “मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा परन्तु जो कुछ सुनेगा वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा” (यूहन्ना 16:12-13)। मुझे यकीन था कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन सत्य और परमेश्वर की वाणी हैं, और सर्वशक्तिमान परमेश्वर वापस लौटा प्रभु यीशु है। मैं बहुत रोमांचित थी और जल्दी-से-जल्दी यह शुभ समाचार अपने बॉयफ्रेंड को सुनाना चाहती थी। अगर हम दोनों ही सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को स्वीकार कर लें और अंततः एक-साथ स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करें, तो अच्छा होगा। पर फिर मुझे याद आया कि जब मैं विदेश में थी, तो पादरी शौन अक्सर “चमकती पूर्वी बिजली” से बचने के लिए कहा करते थे। उन्होंने कहा था कि चीन लौटने के बाद हमें बहुत सावधान रहना चाहिए और चमकती पूर्वी बिजली के लोगों के संपर्क में आने से बचना चाहिए। वे कलीसियाओं के सदस्यों से मिलने अक्सर चीन के शहरों में जाते रहते थे और कहते थे कि चीन में पाखंड हैं, और उन्हें सावधान रहना होगा। मेरा बॉयफ्रेंड शौन की बहुत तारीफ करता था और उसकी बात मानता था। अगर मैंने उसे सीधे बता दिया कि मैंने अंत के दिनों के सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार कर लिया है, तो क्या वह शौन को नहीं बता देगा? पर मैं यह भी जानती थी कि मेरा बॉयफ्रेंड प्रभु यीशु की वापसी की बाट जोह रहा है, इसलिए मैं सचमुच उसे जल्दी-से-जल्दी यह बात बता देना चाहती थी। मैंने सोचा कि अगर मैंने उसके साथ स्पष्ट रूप से संगति की, तो वह इसे स्वीकार करने मे सक्षम होगा।
एक रात मैंने उसे फोन किया और कहा, “हम दोनों प्रभु यीशु की वापसी की बाट जोह रहे हैं, तो तुम्हें क्या लगता है कि वह कैसे लौटेगा?” अप्रत्याशित रूप से, जैसे ही मैंने अपनी बात खत्म की, मेरा बॉयफ्रेंड गुस्से से बोला, “तुम अचानक मुझसे यह सवाल क्यों पूछ रही हो? बाइबल में साफ-साफ कहा गया है कि प्रभु बादलों पर वापस आएगा, तो इसमें कोई संदेह कैसे हो सकता है? क्या तुम घर पर किसी चमकती पूर्वी बिजली वाले से बात करती रही हो?” मैं एक सवाल मात्र पर उसकी इतनी सख्त प्रतिक्रिया से बहुत हैरान थी। मैंने कहा, “हम प्रभु पर बहुत वर्षों से विश्वास कर रहे हैं, और क्या हम दोनों प्रभु का स्वागत करने और स्वर्ग के राज्य में ले जाए जाने की बाट नहीं जोहते रहे हैं? तो फिर प्रभु यीशु कैसे आएगा, यह सवाल क्या विचारणीय नहीं है?” मेरा बॉयफ्रेंड और भी ज्यादा गुस्सा हो गया और बोला, “शौन ने हमसे कितनी बार कहा है कि जो लोग प्रभु यीशु की वापसी का प्रचार करते हैं, वे झूठ बोलते हैं और लोगों को धोखा दे रहे हैं? उन्होंने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि हमें चमकती पूर्वी बिजली के लोगों से संपर्क नहीं रखना चाहिए। तुम सुनती क्यों नहीं? प्रभु में तुम्हारा विश्वास आम तौर पर मजबूत रहता है, पर हमें अलग हुए सिर्फ एक महीने से कुछ ज्यादा ही हुआ है, और तुम चमकती पूर्वी बिजली वालों के संपर्क में आ चुकी हो! याद रखो, हम दोनों ही प्रभु यीशु की वापसी के लिए लालायित हैं, पर अगर वह आएगा भी, तो यह उस तरह नहीं होगा जैसा कि चमकती पूर्वी बिजली दावा करती है, कि वह देहधारण करके लौटेगा।” इसके बाद मैंने चाहे जो कहा, उसने सुनने से इनकार कर दिया। आखिर हमने दुखी होकर फोन काट दिया।
मैं समझ नहीं पाई कि मेरे बॉयफ्रेंड ने इस तरह प्रतिक्रिया क्यों की, और इस बात ने मुझे बहुत दुखी किया। क्या वह प्रभु की वापसी की बाट नहीं जोह रहा था? वह इस बात पर चर्चा करने के इतने खिलाफ क्यों था कि प्रभु कैसे आएगा? उस रात मैं बिस्तर पर लेटी तो मुझे नींद नहीं आई, इसलिए मैं उठकर बैठ गई और परमेश्वर के वचन पढ़ने लगी, जहाँ मैंने कुछ अंश देखे : “जहाँ कहीं भी परमेश्वर प्रकट होता है, वहाँ सत्य व्यक्त होता है, और वहाँ परमेश्वर की वाणी होगी। केवल वे लोग ही परमेश्वर की वाणी सुन पाएँगे, जो सत्य को स्वीकार कर सकते हैं, और केवल इस तरह के लोग ही परमेश्वर के प्रकटन को देखने के योग्य हैं” (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परिशिष्ट 1: परमेश्वर के प्रकटन ने एक नए युग का सूत्रपात किया है)। “अंत के दिनों का मसीह जीवन लाता है, और सत्य का स्थायी और शाश्वत मार्ग लाता है। यह सत्य वह मार्ग है, जिसके द्वारा मनुष्य जीवन प्राप्त करता है, और यही एकमात्र मार्ग है जिसके द्वारा मनुष्य परमेश्वर को जानेगा और परमेश्वर द्वारा स्वीकृत किया जाएगा। यदि तुम अंत के दिनों के मसीह द्वारा प्रदान किया गया जीवन का मार्ग नहीं खोजते, तो तुम यीशु की स्वीकृति कभी प्राप्त नहीं करोगे, और स्वर्ग के राज्य के द्वार में प्रवेश करने के योग्य कभी नहीं हो पाओगे, क्योंकि तुम इतिहास की कठपुतली और कैदी दोनों ही हो। जो लोग नियमों से, शब्दों से नियंत्रित होते हैं, और इतिहास की जंजीरों में जकड़े हुए हैं, वे न तो कभी जीवन प्राप्त कर पाएँगे और न ही जीवन का अनंत मार्ग प्राप्त कर पाएँगे। ऐसा इसलिए है, क्योंकि उनके पास सिंहासन से प्रवाहित होने वाले जीवन के जल के बजाय बस मैला पानी ही है, जिससे वे हजारों सालों से चिपके हुए हैं” (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, केवल अंत के दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है)। मैंने परमेश्वर के वचनों पर बार-बार विचार किया और मुझे लगा कि ये वचन बहुत अच्छे और बहुत व्यावहारिक हैं! अंत के दिनों में प्रभु यीशु सत्य अभिव्यक्त करके मनुष्य को बचाने के लिए वापस आता है। सिर्फ वही लोग परमेश्वर का प्रकटन देख पाएँगे और प्रभु की वापसी का स्वागत कर पाएँगे, जो सत्य के लिए लालायित रहते हैं और परमेश्वर की वाणी सुनना चाहते हैं। जो लोग अज्ञानतावश प्रभु के बादलों पर लौटने की प्रतीक्षा कर रहे हैं, पर न तो सत्य खोजते हैं और न परमेश्वर की वाणी सुनते हैं, प्रभु के आगमन द्वारा उपलब्ध कराया जाने वाला ऊँचा उठाए जाने का अवसर खो देंगे, और कभी भी प्रभु की वापसी का स्वागत नहीं कर पाएँगे। इस समय मुझे याद आया कि प्रभु यीशु ने कहा था : “मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं; मैं उन्हें जानता हूँ, और वे मेरे पीछे पीछे चलती हैं” (यूहन्ना 10:27), और प्रकाशितवाक्य में भविष्यवाणी की थी : “देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूँ; यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूँगा और वह मेरे साथ” (प्रकाशितवाक्य 3:20)। सच में, प्रभु के आगमन के स्वागत में सबसे महत्वपूर्ण परमेश्वर की वाणी सुनना है। परमेश्वर की भेड़ें उसकी वाणी सुनकर उसके कदमों का अनुसरण कर सकती हैं। मुझे एहसास हुआ कि मेरे बॉयफ्रेंड ने सच्चे मार्ग की खोज और जाँच करने से इसलिए इनकार कर दिया, क्योंकि उसने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन नहीं पढ़े थे। अगर वह परमेश्वर की भेड़ और ईमानदारी से सत्य की तलाश करने वाला इंसान है, तो मुझे उसे परमेश्वर के कुछ वचन दिखाने चाहिए। अगर वह यह पहचान सका कि परमेश्वर के वचन सत्य और परमेश्वर की वाणी हैं, तो वह अंत के दिनों के परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करने में सक्षम होगा, और हम दोनों एक-साथ परमेश्वर के पदचिह्नों का अनुसरण कर सकेंगे। इसलिए मैंने कई रातें परमेश्वर के कुछ वचनों की नकल करने में बिताईं और उन्हें उसे मेल कर दिया। मुझे हर रोज यह इंतजार रहता कि वह मुझे फोन करके मेरे साथ अंत के दिनों के परमेश्वर के कार्य की जाँच करेगा। कुछ दिन बाद घर का फोन बजा, तो मैं बहुत खुश हुई। मुझे लगा कि यह मेरा बॉयफ्रेंड होगा, पर वह शौन था। उसने कहा, “तुम्हारे बॉयफ्रेंड ने मुझे बताया है कि अपने गृहनगर लौटने के बाद तुम चमकती पूर्वी बिजली के लोगों से मिली हो। क्या यह सच है?” मैंने कहा, “मैं खोज और जाँच कर रही हूँ। मुझे लगता है कि प्रभु यीशु का आना बहुत महत्वपूर्ण मामला है, जिसके बारे में हमें गंभीरता से खोज और जाँच करनी चाहिए।” शौन ने कहा, “जल्दी ही मैं तुम्हारे गृहनगर आऊँगा और देखूँगा कि क्या तुम सचमुच चमकती पूर्वी बिजली के किसी व्यक्ति के संपर्क में आई हो। मैं तुम्हारा पादरी हूँ, इसलिए तुम्हारी जिंदगी की जिम्मेदारी मुझ पर है।”
मैंने सोचा कि शौन यूँ ही कह रहा है, क्योंकि हमारे स्थान एक-दूसरे से बहुत दूर थे। पर अनपेक्षित रूप से वह जल्दी ही सचमुच चला आया। बहुत सारे भाई-बहनों के साथ-साथ मैं भी इस अवसर का लाभ अंत के दिनों के सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य की गवाही देने के लिए उठाना चाहती थी, पर जब हम लोग शौन से मिले, तो उसने मुझसे पूछा कि क्या मैंने चमकती पूर्वी बिजली को स्वीकार कर लिया है, और फिर अकड़कर बोला, “मैं पहले ही कई बार चमकती पूर्वी बिजली के संपर्क में आ चुका हूँ। सच कहूँ तो तुमसे मिलने से पहले मैं उत्तरपूर्व में एक बहन के घर गया था। उसका भाई चमकती पूर्वी बिजली में विश्वास करता था और मुझे अपने सुसमाचार की गवाही देना चाहता था। मैंने धर्मशास्त्र पढ़ा है, मैं बाइबल से वाकिफ हूँ, और मेरा विदेशों के कई जाने-माने पादरियों के साथ संपर्क रहा है, फिर भी उसे लगता था कि वह मुझे झाँसा देकर जीत सकता है। कितनी हास्यास्पद बात है।” मेरे भाई-बहनों ने उसे समझाने की कोशिश की, “बहुत सारे भाई-बहनों ने आपको सुसमाचार सुनाया है और इस बात की गवाही दी है कि प्रभु यीशु लौट चुका है। अगर आप खोज और जाँच किए बिना ही इसका प्रतिरोध और निंदा करते हैं, तो क्या आप ईमानदारी से प्रभु का स्वागत करने की कोशिश कर रहे हैं? प्रभु यीशु ने कहा था : ‘धन्य हैं वे, जो मन के दीन हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है’ (मत्ती 5:3)। हम अंत के दिनों में हैं, प्रभु वापस आ चुका है। जब हम लोगों को यह गवाही देते सुनते हैं कि प्रभु वापस आ चुका है और बहुत-से सत्य अभिव्यक्त कर चुका है, तो हमें खुले दिल से इसकी खोज करनी चाहिए, ताकि हम प्रभु की वाणी सुन सकें और उसका प्रकटन देख सकें! अगर हम खोज या जाँच नहीं करते, बल्कि आँख मूँदकर नकारते और प्रतिरोध करते हैं, तो हम आसानी से फरीसियों के पदचिह्नों पर चल पड़ेंगे। परमेश्वर एक बुद्धिमान परमेश्वर है, उसके विचार मनुष्य के विचारों से परे हैं, और परमेश्वर का कार्य एक रहस्य है, जिसकी हम मनुष्य थाह नहीं पा सकते। हम आपके साथ इस बात पर चर्चा करना चाहेंगे कि प्रभु यीशु की वापसी का स्वागत कैसे करें।” पर शौन ने कुछ नहीं सुना। उसने कहा, “अगर तुम मेरे साथ चमकती पूर्वी बिजली के बारे में बात करना चाहते हो, तो जहमत मत उठाओ, क्योंकि मैं तुम्हारे साथ इस पर चर्चा नहीं करूँगा।” भाई-बहनों ने देखा कि वह बहुत प्रतिरोधी था और खोज करने का कोई इरादा नहीं रखता था, इसलिए उन्होंने उससे बात करने की कोशिशें छोड़ दीं। उसी समय शौन को एक फोन आया। उसने बताया कि उत्तरपूर्व में एक कलीसिया के कुछ विश्वासियों ने चमकती पूर्वी बिजली को स्वीकार कर लिया है, और वह वहाँ जाकर उन्हें रोकना चाहता है। उसने मुझसे जल्दी से अपने लिए विमान का एक टिकट खरीद देने के लिए कहा। मैंने कहा, “पादरी शौन, चमकती पूर्वी बिजली यह गवाही देती है कि प्रभु यीशु अंत के दिनों में सत्य व्यक्त करने और न्याय का कार्य करने के लिए वापस लौट आया है। आप खोजने, जाँचने और प्रभु का स्वागत करने से इनकार करते हैं, और इतना ही नहीं, आप लोगों को सच्चे मार्ग की खोज करने और परमेश्वर की वाणी सुनने से रोकना और बाधित करना चाहते हैं। कया यह प्रभु की इच्छा के अनुरूप है?” उसने मुझे गुस्से से घूरते हुए कहा, “मैं चमकती पूर्वी बिजली के लोगों को कलीसिया में आकर भेड़ें नहीं चुराने दूँगा। मैं प्रभु के मार्ग की रक्षा करना चाहता हूँ।” शौन का अहंकारी रूप देखकर मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि यह वही पादरी है, जिसे मैं जानती हूँ। मैं उससे चार साल पहले मिली थी और मुझे वह बहुत विनम्र और विश्वासियों का ध्यान रखने वाला व्यक्ति लगता था। मुझे हमेशा यही लगता था कि वह बहुत अच्छा और नेक पादरी है, लेकिन उसका व्यवहार, और आज जो कुछ उसने प्रकट किया, उसे देखकर मुझे प्रभु यीशु के ये वचन याद आ गए : “हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो, तुम पर हाय! तुम मनुष्यों के लिए स्वर्ग के राज्य का द्वार बन्द करते हो, न तो स्वयं ही उसमें प्रवेश करते हो और न उस में प्रवेश करनेवालों को प्रवेश करने देते हो” (मत्ती 23:13)। शौन हर रोज मंच पर खड़ा होकर लोगों को उपदेश देता था, हमें प्रभु की वापसी के लिए सचेत और चौकन्ना रहने को कहता था, पर जब प्रभु यीशु सचमुच वापस आया, तो न सिर्फ उसने कोई खोज या जाँच नहीं की या उसका स्वागत नहीं किया, बल्कि खोज और जाँच करने वाले विश्वासियों की निंदा की, उनका प्रतिरोध किया और उन्हें रोकने और बाधित करने के लिए हर साधन का उपयोग किया। प्रभु के मार्ग और उसके झुंड की रक्षा करने के नाम पर उसने लोगों पर कड़ा नियंत्रण रखा। वह बिलकुल वैसा था जैसे अपने समय में फरीसी थे, बुराई का अनुचर, जो लोगों को स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने से रोकना चाहता था!
यह सोचकर कि कलीसिया में अभी भी बहुत-से भाई-बहन ऐसे हैं, जो शौन की असलियत नहीं जानते, उसके द्वारा विवश किए और छले गए हैं, और अंत के दिनों के परमेश्वर के कार्य की जाँच नहीं कर पाए हैं, मैंने उन भाई-बहनों से संपर्क किया जिन्हें मैं जानती थी, और उन्हें सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य की गवाही दी। जब शौन को इसका पता चला, तो उसने मुझे फोन कर धमकाया, “अगर तुम चमकती पूर्वी बिजली पर विश्वास करने और कलीसिया आकर भेड़ें चुराने पर तुली रही, तो हम सब तुम्हें नकार देंगे, और वे सब भाई-बहन जो तुम्हें जानते हैं, आगे से तुम्हारा स्वागत नहीं करेंगे।” बाद में उसने मुझे बहुत-से पर्चे भी भेजे, जो सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के बहिष्कार का प्रचार करते थे और जिनमें परमेश्वर का प्रतिरोध और ईशनिंदा करने वाले शब्द थे। इसके बाद मेरे सामने शौन का चेहरा और भी स्पष्ट हो गया। वह लोगों को सच्चे मार्ग की खोज करने से रोकने वाली बाधा और उनके रास्ते का रोड़ा था। अब मैं उससे कोई बात नहीं करना चाहती थी, इसलिए मैंने उसके फोन का जवाब देना बंद कर दिया। जब उसने देखा कि मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर पर विश्वास करने और उसकी चरवाही वाले लोगों में सुसमाचार का प्रचार करने पर अडिग हूँ, तो वह झेजियांग, शंघाई और दूसरे स्थानों पर मुझे जानने वाले भाई-बहनों के घर गया और उन्हें मुझसे संपर्क न करने और मेरे उपदेश न सुनने के लिए कहा। विदेश लौटने के बाद उसने मेरे लिए कलीसिया के द्वार बंद कर दिए। उसने हर किसी को मेरे फोन का जवाब देने या मुझसे कोई संपर्क करने से मना कर दिया, और कहा कि जो भी मुझसे संपर्क करेगा, उसे निष्काषित कर दिया जाएगा।
एक दिन मुझे अपने बॉयफ्रेंड का पत्र मिला, जिसमें लिखा था, “शौन ने कलीसिया में कहा है कि तुम चमकती पूर्वी बिजली में विश्वास करती हो और पूरी तरह उनके झाँसे में आ गई हो। अब से हम भाई-बहन नहीं हैं और हमारे बीच कोई रिश्ता नहीं है। मैं तुम्हारा फोन नहीं उठाऊँगा और न ही तुम्हें कोई पत्र लिखूँगा। अगर तुम वापस आना चाहो, तो हर कोई तुम्हारा स्वागत करेगा, और हम अपना रिश्ता बनाए रख सकते हैं, लेकिन अगर तुम सर्वशक्तिमान परमेश्वर पर विश्वास करने पर अड़ी रही, तो हमारा रिश्ता टूट जाएगा।” पत्र पढ़ने के बाद मैं बहुत उदास हो गई, इसलिए मैंने उसे फोन किया, पर उसने रूखे स्वर में कहा, “मैं व्यस्त हूँ। मेरे पास अब इस बारे में बात करने का समय नहीं है।” मैंने उससे पूछा, “क्या हम सचमुच इसी तरह अपना रिश्ता तोड़ रहे हैं?” उसने कहा, “अगर तुम चमकती पूर्वी बिजली में विश्वास करना बंद कर दो, तो हमारा यह रिश्ता जारी रह सकता है। मैं अपनी आंटी से विदेश आने में तुम्हारी मदद करने के लिए कह दूँगा। वह यहाँ व्यवसाय करती है, इसलिए तुम यहाँ आकर रह सकती हो। हमारा बहुत सुखद भविष्य हो सकता है। पर अगर तुम सर्वशक्तिमान परमेश्वर पर विश्वास करने पर अड़ी रहती हो, तो हमें यह रिश्ता तोड़ना होगा। कोई जल्दी नहीं है, आराम से सोच लो।” अपने बॉयफ्रेंड को इतनी निर्ममता बरतते देख मुझे बहुत दुख हुआ। अतीत में हम एक-दूसरे के साथ कितने खुश थे, वह मेरा कितना ध्यान रखता था। मुझे उम्मीद नहीं थी कि वह पादरी के प्रति इतना समर्पित होगा। सिर्फ इसलिए कि मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करती हूँ, वह पिछले कुछ सालों के हमारे संबंध की परवाह न करते हुए मेरे साथ अपना रिश्ता तोड़ना चाहता था। मेरा परिवार जानता था कि अपने बॉयफ्रेंड से मेरी अनबन चल रही है, और उन सबने मुझे यह कहते हुए अपने फैसले पर फिर से विचार करने के लिए प्रेरित किया, “तुम्हारे बॉयफ्रेंड के पास अच्छी नौकरी है, अच्छा घर-परिवार है। अगर यह रिश्ता टूट गया, तो कहना मुश्किल है कि भविष्य में तुम्हें ऐसा लड़का मिल पाएगा या नहीं। तुम्हारी उम्र बढ़ रही है, और अच्छा जीवन-साथी मिलना आसान नहीं है। अगर तुम घर-गृहस्थी नहीं बसाओगी, तो भविष्य में क्या करोगी?” मेरे बॉयफ्रेंड के घरवालों ने भी मुझे फोन करके समझाने की कोशिश की कि मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास न करूँ। उन्होंने कहा, “अब तुम दोनों उतने छोटे नहीं रहे। यह विवाह के बारे में सोचने का समय है। क्या यह अच्छी बात नहीं है कि तुम दोनों प्रभु यीशु में विश्वास करो? शादी के बाद तुम बहुत खुश रहोगी। सर्वशक्तिमान परमेश्वर पर विश्वास करने की जिद क्यों करती हो?” दोनों परिवारों के दबाव के सामने मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या फैसला लूँ। अगर मैं अपनी पिछली कलीसिया में लौटने और अपने बॉयफ्रेंड से विवाह करने का फैसला करती हूँ, तो वह मुझे एक अच्छा भौतिक जीवन प्रदान कर सकता है और हम विदेश में बस भी सकते हैं। बहुत लोगों का यही सपना होता है। पर मैं इसके कारण अंत के दिनों में परमेश्वर का उद्धार खो बैठूँगी, जिसका मुझे जीवन भर पछतावा रहेगा! अंत के दिनों में परमेश्वर सत्य अभिव्यक्त करने, मानवजाति को पूरी तरह शुद्ध करने और बचाने, और विजेताओं का एक नया समूह बनाने के लिए दूसरी बार देहधारण करके आया है। यह बहुत दुर्लभ अवसर है और मैं इसे खो नहीं सकती। लेकिन अगर मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अनुसरण का चुनाव किया, तो मेरे विवाह का क्या होगा? मैं विवाह की उम्र में पहुँच चुकी हूँ, और विवाह जीवन में एक प्रमुख घटना होती है। उस दौरान मैं न तो ठीक से खा पा रही थी, न ही ठीक से सो पा रही थी, और मैं बहुत ज्यादा त्रस्त थी। जब मैं देखती कि मेरी उम्र के बहुत लोगों ने शादी कर ली है और उनके परिवार हैं, और मैं अभी भी अकेली हूँ, तो मैं बहुत उलझन में पड़ जाती और समझ न पाती कि कैसे चुनाव करूँ। मैं इस बारे में परमेश्वर से बार-बार प्रार्थना कर मेरा मार्गदर्शन करने और यह बताने के लिए कहती कि आगे का रास्ता कैसे चुनना है। जब मेरे भाई-बहनों को मेरी हालत का पता चला, तो उन सबने मेरी मदद करके मेरे साथ संगति की। पर मैं अपने बॉयफ्रेंड को छोड़ नहीं पा रही थी। मुझे इस बात का गुस्सा था कि उसने मेरे साथ अपना रिश्ता तोड़ दिया है। वह मेरे साथ बात भी नहीं कर रहा था। वह कितना निर्मम और संगदिल हो गया था। जब पादरी ने कहा कि मैं झाँसे में आ गई हूँ, तो मेरे बॉयफ्रेंड ने इस पर पूरी तरह विश्वास कर लिया था। जब पादरी ने उससे मुझे ठुकरा देने के लिए कहा, तो उसने हमारे पिछले कुछ सालों के संबंध की जरा भी परवाह न करते हुए मेरे साथ अपना रिश्ता तोड़ दिया। मैं इस बारे में जितना सोचती, उतनी ही दुखी हो जाती।
एक रात मैं अपने बिस्तर में बेचैनी से करवटें बदल रही थी। मुझे नींद नहीं आ रही थी, इसलिए मैं उठ गई और परमेश्वर के वचनों का एक भजन सुनने लगी “मनुष्य को एक सार्थक जीवन जीने की कोशिश करनी चाहिए” :
1 मनुष्य को अर्थपूर्ण जीवन जीने का प्रयास अवश्य करना चाहिए और उसे अपनी वर्तमान परिस्थितियों से संतुष्ट नहीं होना चाहिए। पतरस की छवि के अनुरूप अपना जीवन जीने के लिए, उसमें पतरस के ज्ञान और अनुभवों का होना जरूरी है। मनुष्य को ज़्यादा ऊँची और गहन चीजों के लिए अवश्य प्रयास करना चाहिए। उसे परमेश्वर को अधिक गहराई एवं शुद्धता से प्रेम करने का, और एक ऐसा जीवन जीने का प्रयास अवश्य करना चाहिए जिसका कोई मोल हो और जो सार्थक हो। सिर्फ यही जीवन है; तभी मनुष्य पतरस जैसा बन पाएगा। ...
2 परमेश्वर से प्रेम करने की चाह रखने वाले व्यक्ति के लिए कोई भी सत्य अप्राप्य नहीं है, और ऐसा कोई न्याय नहीं जिस पर वह अटल न रह सके। तुम्हें अपना जीवन कैसे जीना चाहिए? तुम्हें परमेश्वर से कैसे प्रेम करना चाहिए और इस प्रेम का उपयोग करके उसकी इच्छा को कैसे संतुष्ट करना चाहिए? तुम्हारे जीवन में इससे बड़ा कोई मुद्दा नहीं है। सबसे बढ़कर, तुम्हारे अंदर ऐसी आकांक्षा और कर्मठता होनी चाहिए, न कि तुम्हें एक रीढ़विहीन और निर्बल प्राणी की तरह होना चाहिए। तुम्हें सीखना चाहिए कि एक अर्थपूर्ण जीवन का अनुभव कैसे किया जाता है, तुम्हें अर्थपूर्ण सत्यों का अनुभव करना चाहिए, और अपने-आपसे लापरवाही से पेश नहीं आना चाहिए। यह अहसास किए बिना, तुम्हारा जीवन तुम्हारे हाथ से निकल जाएगा; क्या उसके बाद तुम्हें परमेश्वर से प्रेम करने का दूसरा अवसर मिलेगा? क्या मनुष्य मरने के बाद परमेश्वर से प्रेम कर सकता है? तुम्हारे अंदर पतरस के समान ही आकांक्षाएँ और चेतना होनी चाहिए; तुम्हारा जीवन अर्थपूर्ण होना चाहिए, और तुम्हें अपने साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए! एक मनुष्य के रूप में, और परमेश्वर का अनुसरण करने वाले एक व्यक्ति के रूप में, तुम्हें इस योग्य होना होगा कि तुम बहुत ध्यान से यह विचार कर सको कि तुम्हें अपने जीवन के साथ कैसे पेश आना चाहिए, तुम्हें अपने-आपको परमेश्वर के सम्मुख कैसे अर्पित करना चाहिए, तुममें परमेश्वर के प्रति और अधिक अर्थपूर्ण विश्वास कैसे होना चाहिए और चूँकि तुम परमेश्वर से प्रेम करते हो, तुम्हें उससे कैसे प्रेम करना चाहिए कि वह ज्यादा पवित्र, ज्यादा सुंदर और बेहतर हो।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, पतरस के अनुभव : ताड़ना और न्याय का उसका ज्ञान
मैंने इस गीत को बार-बार सुना। इसके माध्यम से मैंने देखा कि पतरस आजीवन परमेश्वर से प्रेम करने और उसे संतुष्ट करने की कोशिश में लगा रहा, और उसने एक सार्थक और सम्मान्य जीवन जिया। इस बात ने मेरे दिल को छू लिया। प्रभु यीशु के वचनों और कार्यों से पतरस ने जाना कि प्रभु यीशु जीवित परमेश्वर का पुत्र, मसीह है। उसने प्रभु यीशु के लिए काम किया और उपदेश दिए, और उसे यहूदी धर्म द्वारा प्रताड़ित किया गया, पर वह अडिग रहकर उसका अनुसरण करता रहा। आज परमेश्वर अपना कार्य करने और लोगों को बचाने के लिए वचन व्यक्त करने हेतु देहधारण करके हमारे बीच आया है। मैंने परमेश्वर के वचन पढ़े थे, परमेश्वर की वाणी सुनी थी, और इस निश्चय पर पहुँची थी कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर प्रभु यीशु का दूसरा आगमन है। पर जब सर्वशक्तिमान परमेश्वर और अपने विवाह के बीच चुनाव करने का समय आया, तो मैं हिचक रही थी। मैं इस विवाह और विदेश में अपने बॉयफ्रेंड के साथ एक अच्छी जिंदगी जीने का अवसर खोना नहीं चाहती थी। मैंने देखा कि हालाँकि मैं इतने वर्षों से प्रभु में विश्वास करती रही थी, पर मैं परमेश्वर से आए सत्य और जीवन का अनुसरण नहीं कर रही थी; न ही मैं परमेश्वर से प्रेम करने, उसे संतुष्ट करने, और एक सार्थक और उपयुक्त जीवन जीने का प्रयास कर रही थी। मैं सिर्फ भौतिक आनंद और शारीरिक सुविधाओं वाले जीवन का अनुसरण कर रही थी। मैंने परमेश्वर के इन वचनों पर विचार किया, “क्या मनुष्य मरने के बाद परमेश्वर से प्रेम कर सकता है?” मैंने अपने आपसे पूछा, “अगर मैं पृथ्वी पर अपना समय परमेश्वर से प्रेम करने, उसे संतुष्ट करने और एक सार्थक और उपयुक्त जीवन जीने में नहीं बिताती, तो अगर मेरा विवाह हो भी गया और मुझे मनचाहे दैहिक सुख मिल भी गए, तो उनका क्या अर्थ है? परमेश्वर का अंत के दिनों में मानवजाति को पूरी तरह बचाने के लिए आना अत्यंत दुर्लभ अवसर है। अगर मैंने इसे खो दिया, तो मैं जिंदगी भर पछताती रहूँगी! अगर मैंने अंत के दिनों के परमेश्वर के कार्य से मिलने वाले उद्धार के अवसर को एक आसान जिंदगी का आनंद लेने के चक्कर में गँवा दिया, तो क्या यह मूर्खता नहीं होगी? अगर मैंने सच्चे मार्ग का त्याग करके विवाह को चुन लिया, तो क्या मुझे सचमुच वह सुखी जिंदगी मिल जाएगी जो मैं चाहती हूँ?” मैंने एक बहन के बारे में सोचा, जिससे मैं कुछ समय पहले मिली थी। उसका और उसके पति का शौन की मदद से विवाह हुआ था। विवाह के बाद वे एक बड़े शहर में काम करने चले गए और वहाँ उन्होंने एक घर खरीद लिया। उनकी भौतिक स्थितियाँ बहुत अच्छी थीं, और मुझे उनसे ईर्ष्या होती थी। पर जब मैं उससे मिलने गई, तो उसने मुझे बताया कि हालाँकि वह और उसका पति दोनों ही प्रभु यीशु में विश्वास करते हैं और उनका सांसारिक जीवन बहुत अच्छा है, पर वे एक-दूसरे के साथ खुश नहीं हैं। वे अक्सर छोटे-छोटे घरेलू मामलों को लेकर आपस में झगड़ते रहते थे, और कभी-कभी झगड़ा इतना बढ़ जाता था कि वे एक-दूसरे से बात भी नहीं करना चाहते थे। बाद में उसके पति ने दूसरे शहर में काम ढूँढ़ लिया और उसे दो साल के बच्चे के साथ अकेली छोड़ गया। उसका जीवन बहुत दयनीय और एकाकी हो गया था। मैंने उसके अनुभव के बारे में सोचा, और फिर अपने आसपास के कुछ जोड़ों के बारे में भी विचार किया, जो अक्सर झगड़ते और एक-दूसरे को तलाक देने की धमकी देते रहते थे। इन तथ्यों पर गौर करने के बाद मेरे सामने यह और भी स्पष्ट हो गया कि जब हम प्रभु पर विश्वास और उसका अनुसरण करते हैं, तो हम सिर्फ प्रभु यीशु द्वारा ही बचाए जाते हैं। हमारे पाप क्षमा कर दिए जाते हैं, पर हमारे पापों का मूल कारण दूर नहीं हो पाता, और हम पाप के बंधन और चंगुल से मुक्त नहीं हो पाते। लोग अपने भ्रष्ट स्वभावों के आधार पर एक-दूसरे से बातचीत करते हैं, और उनमें सच्चा प्रेम नहीं होता। इसलिए हमें कितना भी दैहिक सुख क्यों न प्राप्त हो जाए, हमारा जीवन खोखला और कष्टप्रद ही रहता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए मैंने महसूस किया कि मुझे अब अपने सामने मौजूद विकल्पों के बारे में बहुत सावधान रहना चाहिए। मैंने बार-बार परमेश्वर से प्रार्थना कर उससे मेरा मार्गदर्शन करने और मुझे प्रबुद्धता प्रदान करने की विनती की, ताकि मैं उसकी इच्छा के अनुसार सही चुनाव कर सकूँ।
बाद में मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों का एक अंश पढ़ा और मुझे परमेश्वर की इच्छा समझ में आई। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं : “आजकल, वे जो खोज करते हैं और वे जो नहीं करते, दो पूरी तरह भिन्न प्रकार के लोग हैं, जिनके गंतव्य भी काफ़ी अलग हैं। वे जो सत्य के ज्ञान का अनुसरण करते हैं और सत्य का अभ्यास करते हैं, वे लोग हैं जिनका परमेश्वर उद्धार करेगा। वे जो सच्चे मार्ग को नहीं जानते, वे दुष्टात्माओं और शत्रुओं के समान हैं। वे प्रधान स्वर्गदूत के वंशज हैं और विनाश की वस्तु होंगे। यहाँ तक कि एक अज्ञात परमेश्वर के धर्मपरायण विश्वासीजन—क्या वे भी दुष्टात्मा नहीं हैं? जिन लोगों का अंतःकरण साफ़ है, परंतु सच्चे मार्ग को स्वीकार नहीं करते, वे भी दुष्टात्मा हैं; उनका सार भी परमेश्वर का प्रतिरोध करने वाला है। वे जो सत्य के मार्ग को स्वीकार नहीं करते, वे हैं जो परमेश्वर का प्रतिरोध करते हैं और भले ही ऐसे लोग बहुत-सी कठिनाइयाँ सहते हैं, तब भी वे नष्ट किए जाएँगे। ... जो भी देहधारी परमेश्वर को नहीं मानता, दुष्ट है और इसके अलावा, वे नष्ट किए जाएँगे। वे सब जो विश्वास करते हैं, पर सत्य का अभ्यास नहीं करते, वे जो देहधारी परमेश्वर में विश्वास नहीं करते और वे जो परमेश्वर के अस्तित्व पर लेशमात्र भी विश्वास नहीं रखते, वे सब नष्ट होंगे। वे सभी जिन्हें रहने दिया जाएगा, वे लोग हैं, जो शोधन के दुख से गुज़रे हैं और डटे रहे हैं; ये वे लोग हैं, जो वास्तव में परीक्षणों से गुज़रे हैं। यदि कोई परमेश्वर को नहीं पहचानता, शत्रु है; यानी कोई भी जो देहधारी परमेश्वर को नहीं पहचानता—चाहे वह इस धारा के भीतर है या बाहर—एक मसीह-विरोधी है! शैतान कौन है, दुष्टात्माएँ कौन हैं और परमेश्वर के शत्रु कौन हैं, क्या ये वे परमेश्वर के प्रतिरोधी नहीं जो परमेश्वर में विश्वास नहीं रखते? क्या ये वे लोग नहीं, जो परमेश्वर के प्रति अवज्ञाकारी हैं?” (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर और मनुष्य साथ-साथ विश्राम में प्रवेश करेंगे)। परमेश्वर के वचनों से मेरी समझ में आया कि परमेश्वर अंत के दिनों में जो कुछ करता है, वह हर-एक को उसकी किस्म के अनुसार अलग करना है। वह देहधारण करके सत्य व्यक्त करता है और न्याय का कार्य करता है, गेहूँ से घासफूस और सच्चे विश्वासियों से झूठे विश्वासियों को, अर्थात् सत्य का अनुसरण करने वालों से सत्य का अनुसरण न करने वालों को अलग करता है। जो लोग मौखिक रूप से परमेश्वर में विश्वास करने का दावा करते हैं, पर न तो सत्य की खोज करते हैं और न ही परमेश्वर के प्रकटन की लालसा रखते हैं, ऐसे अविश्वासी जो सिर्फ अनुग्रह चाहते हैं और अपना पेट भरने के लिए रोटी माँगते हैं, और वे मसीह-विरोधी जो सत्य से घृणा और परमेश्वर का प्रतिरोध करते हैं—ऐसे सभी लोगों को उजागर किया जाएगा और अंत में बाहर करके दंडित किया जाएगा। हालाँकि मेरा बॉयफ्रेंड ऊपर से अच्छी मानवता वाला, ईमानदार और भरोसेमंद दिखता है और मेरा अच्छी तरह खयाल रखता है, पर जैसे ही मैंने उसे बताया कि परमेश्वर दूसरी बार देहधारण करके लौट आया है, तो न सिर्फ उसने सत्य की खोज करने से बिलकुल इनकार कर दिया, बल्कि उसने मेरे द्वारा अंत के दिनों के परमेश्वर के कार्य को स्वीकार किए जाने में बाधाएँ और अड़चनें डालने में पादरी का आँख मूँदकर साथ दिया, यहाँ तक कि उसने मुझे सच्चा मार्ग छोड़ने पर मजबूर करने के लिए मुझसे विवाह न करने की धमकी तक दे डाली। हालाँकि वह प्रभु यीशु में विश्वास करता था, पर वह सिर्फ प्रभु यीशु के नाम से चिपका हुआ था। उसने वापस लौटे प्रभु द्वारा व्यक्त किए गए सत्य को स्वीकार नहीं किया, और सर्वशक्तिमान परमेश्वर का प्रतिरोध और निंदा की। मैंने देखा कि उसका सार सत्य से घृणा और परमेश्वर का प्रतिरोध करने का था, वह परमेश्वर के वचनों से उजागर हुआ एक अविश्वासी था, और वह वास्तव में परमेश्वर पर विश्वास करने वाला, सत्य से प्रेम करने वाला और सत्य को स्वीकार करने वाला व्यक्ति नहीं था। सत्य से सामना होने पर परमेश्वर का प्रतिरोध करने की उसकी शैतानी प्रकृति पूरी तरह उजागर हो गई थी। वह परमेश्वर की वाणी नहीं समझ पाया, और वह परमेश्वर की भेड़ नहीं है। अगर मैंने ऐसे व्यक्ति से विवाह करने का चुनाव किया, तो मुझे परमेश्वर के आशीष प्राप्त नहीं होंगे, और हमारा विवाह एक सुखी विवाह नहीं होगा। परमेश्वर के वचनों से मैं परमेश्वर की इच्छा समझ गई। मुझे राहत महसूस हुई, और मैं जान गई कि मुझे क्या चुनाव करना है। इसके बाद मैंने अपने बॉयफ्रेंड को फोन किया और कहा, “मैंने अपना मन बना लिया है। मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अनुसरण करने का चुनाव करती हूँ। अगर तुम रिश्ता तोड़ना चाहते हो, तो मैं तुम्हारे चुनाव का सम्मान करती हूँ। हम अपने अलग रास्तों पर चलेंगे।” वह कुंठित होकर बोला, “क्या तुम इस पर दोबारा विचार नहीं कर सकती? अब हम उतने युवा नहीं रहे, और विवाह जीवन की सबसे महत्वपूर्ण चीज होती है। हमारे विवाह से मुँह मोड़कर तुम बाद में पछताओगी।” मुझे सत्य से घृणा और परमेश्वर का प्रतिरोध करने का उसका सार पहले ही साफ दिखाई दे गया था, इसलिए उसने चाहे जो भी कहा, मैंने अपना विचार नहीं बदला। मैंने कहा, “सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों ने मुझे मेरे जीवन का रास्ता दिखा दिया है, और मैं इस पर चलने के लिए संकल्पबद्ध हूँ। मेरा फैसला कभी नहीं बदलेगा।” अपनी बात कहकर मैंने फोन बंद कर दिया, और मुझे चैन और राहत की एक गहरी अनुभूति हुई।
यह परमेश्वर के वचनों का मार्गदर्शन था, जिसने मुझे बताया कि मुझे जीवन में कौन-सा रास्ता चुनना है, और पादरियों और एल्डरों के असली पाखंडी चेहरे भी दिखा दिए। वे चिल्लाते रहते हैं कि हमें प्रभु के आगमन का सचेत रहकर इंतजार करना चाहिए, पर जब परमेश्वर अंत के दिनों में अपना कार्य करने के लिए देहधारण करके आता है, तो वे खोज और जाँच नहीं करते। इसके बजाय वे पागलों की तरह निंदा और प्रतिरोध करते हैं, और विश्वासियों को सच्चे मार्ग की खोज करने से रोकने के लिए और उन्हें अपने नियंत्रण में रखने के लिए हर तरीका अपनाते हैं, और विश्वासियों को परमेश्वर के आगमन का प्रतिरोध और निंदा करने में अपना साथ देने के लिए बाध्य करते हैं। वे बुराई के अनुचर और अंत के दिनों के परमेश्वर के कार्य में उजागर किए गए मसीह-विरोधी हैं, और वे लोगों की आत्माओं को निगल जाने वाले राक्षस हैं! चूँकि मेरा बॉयफ्रेंड पादरी की बहुत ज्यादा आराधना करता था, इसलिए उसने सत्य की बिलकुल भी खोज नहीं की, वह अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य की निंदा और प्रतिरोध करने में पादरी का अनुसरण करता रहा, और वह एक ऐसा व्यक्ति बन गया, जो परमेश्वर में विश्वास करने के बावजूद परमेश्वर का प्रतिरोध करता है। मैं परमेश्वर की कृतज्ञ थी कि उसने मुझे बचा लिया, और मुझे पादरियों और एल्डरों को पहचानने, नकारने और अब उनके झाँसे में न आने में सक्षम बनाया। मैं जो परमेश्वर की वाणी सुन पाई और उसकी वापसी का स्वागत कर पाई, तो यह मेरे प्रति परमेश्वर की महान दया और अनुकंपा थी। मैंने अपने हृदय की गहराइयों से परमेश्वर का धन्यवाद किया, और अंत तक सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अनुसरण करने का निश्चय किया। बाद में मैंने कलीसिया में अपना कर्तव्य निभाते हुए सुसमाचार का प्रचार किया और पूरे जतन से खुद को परमेश्वर के लिए खपाया। सही चुनाव करने में मेरा मार्गदर्शन करने के लिए मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को धन्यवाद देती हूँ।
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