मैंने स्पष्ट रूप से अपनी सच्ची कद-काठी को देखा

18 सितम्बर, 2019

डिंग ज़ियांग तेंगझोउ शहर, शैंडॉन्ग प्रांत

कलीसिया के अगुआओं की एक सभा में जिसमें मैं एक बार उपस्थित हुई थी, कलीसिया के एक नव-चयनित अगुआ ने कहा था: "मेरी कद-काठी पर्याप्त नहीं है। मुझे लगता है कि मैं इस कर्तव्य को पूरा करने के लिए उपयुक्‍त नहीं हूँ। मैं कई चीजों से इस हद तक दबाव महसूस करती हूँ, कि मैं लगातार कई दिनों और रातों तक सो भी नहीं पाई हूँ...।" उस समय, मैं परमेश्वर की अपनी खोज की ज़िम्मेदारी वहन कर रही थी, तो मैंने उसके साथ संवाद किया: "समस्त कार्य परमेश्वर द्वारा किया जाता है; मनुष्य तो बस थोड़ा सा सहयोग ही करता है। अगर हम बोझिल महसूस करते हैं, तो परमेश्वर के समक्ष अक्सर प्रस्तुत होना और परमेश्वर पर भरोसा करना, निश्चित रूप से हमें परमेश्वर की सर्वशक्तिमत्ता और बुद्धि को समझाएगा। अपने कार्य से बोझिल महसूस करना अच्‍छी बात है। लेकिन यदि बोझ आफ़त बन जाए, तो यह एक बाधा बन जाएगा, और यह नकारात्मकता और यहाँ तक कि परमेश्वर के प्रति ग़लतफ़हमी भी लाएगा।" परमेश्वर के मार्गदर्शन के अधीन, मैं महसूस करती थी कि मेरे संवाद खास तौर पर प्रकाशित थे। वह बहन भी यह मानती थी कि वह ऐसी स्थिति में थी, जहाँ उसके दिल में परमेश्वर के लिए स्थान नहीं था, और कि वह परमेश्वर के भरोसे रहने की जगह इसे खुद कर रही थी, और इस तरह से उसने प्रवेश का मार्ग खोज लिया था। मैं उस समय बहुत खुश थी क्योंकि मैं सोचती थी कि मैं उस बहन की समस्या को हल कर सकी थी, जिससे मैंने साबित किया था कि मेरे पास सत्य के इस पहलू की यथार्थता है।

दो महीने बाद, कलीसिया ने मुझे कुछ दस्तावेज संकलित करने के लिए पुन: आवंटित कर दिया। जब मैं पहले इस कार्य में शामिल हुई थी, तो चूँकि मैं संबद्ध सिद्धांतों को नहीं समझ पाती थी इसलिए संकलित किये जाने वाले दस्तावेजों को सामने पाकर मैं खुद को नकारात्मकता और द्वंद्व की स्थिति में जाने से नहीं रोक पाती थी। मुझे कुछ भी समझ में नहीं आता था, और फिर भी मुझे न केवल अपने इस कर्तव्य को पूरा करना था बल्कि मुझे इन दस्तावेजों की कमियों का पता लगाने का काम भी दिया गया था। इसमें मुझसे बहुत ज्यादा अपेक्षा की गई थी! मैं बस बहुत ज्यादा दबाव महसूस करती थी और शांत नहीं हो पा रही थी, और मैं यह भी नहीं जानती थी कि परमेश्वर के भरोसे कैसे रहा जाए। मैं इतनी ज्यादा बेचैन हो गई थी कि लगातार तीन दिन और रातों तक सो नहीं सकी थी। मैं अपनी स्थिति के समक्ष काफी घबरा गई थी। जब मैंने कलीसिया की उस नई अगुआ की समस्या को हल करने में उसकी मदद की, तो मुझे लगा कि मैं सत्य के इस पहलू को पूरी तरह से समझ गई हूँ। लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है कि अब जब मैं ऐसी समस्या में चल रही हूँ, तो मुझे नहीं पता कि ऐसे अनुभव को कैसे सँभाला जाए? मैं अपनी व्याकुलता और उलझन को लेकर परमेश्वर के समक्ष आयी।

बाद में, मैंने "कार्य और प्रवेश (2)" में परमेश्वर के वचन देखे: "जब लोग कार्य करते और बोलते हैं, या जब वे प्रार्थना या अपनी आध्यात्मिक भक्ति कर रहे होते हैं, तो एक सत्य अचानक उन पर स्पष्ट हो जाएगा। लेकिन वास्तव में, मनुष्य जो देखता है, वह केवल पवित्र आत्मा द्वारा प्रदान की जाने वाली प्रबुद्धता होती है (स्वाभाविक रूप से यह प्रबुद्धता मनुष्य के सहयोग से जुड़ी है) और वह मनुष्य का सच्चा आध्यात्मिक कद प्रस्तुत नहीं करती। अनुभव की एक अवधि के बाद, जिसमें मनुष्य कुछ कठिनाइयों और परीक्षणों का सामना करता है, ऐसी परिस्थितियों में मनुष्य का वास्तविक आध्यात्मिक कद प्रत्यक्ष हो जाता है। ... केवल इस तरह के अनुभवों के कई चक्रों के बाद ही कई ऐसे लोग, जो अपनी आत्माओं के भीतर जाग गए होते हैं, महसूस करते हैं कि अतीत में जो उन्होंने अनुभव किया था, वह उनकी अपनी वास्तविकता नहीं थी, बल्कि पवित्र आत्मा से प्राप्त एक क्षणिक रोशनी थी, और मनुष्य को केवल यह रोशनी प्राप्त हुई थी। जब पवित्र आत्मा मनुष्य को सत्य को समझने के लिए प्रबुद्ध करता है, तो ऐसा प्रायः स्पष्ट और विशिष्ट तरीके से होता है, यह समझाए बिना कि चीज़ें किस तरह घटित हुई हैं या किस ओर जा रही हैं। अर्थात्, इस प्रकाशन में मनुष्य की कठिनाइयों को शामिल करने के बजाय वह सत्य को सीधे प्रकट करता है। जब मनुष्य प्रवेश की प्रक्रिया में कठिनाइयों का सामना करता है, और फिर पवित्र आत्मा की प्रबुद्धता को शामिल करता है, तो यह मनुष्य का वास्तविक अनुभव बन जाता है" (वचन देह में प्रकट होता है)। जैसे ही मैंने इस अंश पर मनन किया, मैं समझ गई: उस बहन की समस्या को हल करने में उसकी मदद करने पर मैंने जिस सत्य को समझा था, वह परमेश्वर की रोशनी से आया था। यह उस समय के मेरे सहयोग के कारण था कि मुझे पवित्र आत्मा की प्रबुद्धता प्राप्त हुई थी। लेकिन यह मेरी सच्ची कद-काठी नहीं थी और इससे यह भी प्रदर्शित नहीं होता था कि मुझे सत्य का वह पहलू प्राप्त हो गया है। पवित्र आत्मा ने उस समय मुझे सत्य को समझने के लिए प्रबुद्ध किया था क्योंकि यह मेरे कार्य के लिए ज़रूरी था, और मेरे सहयोग के माध्यम से, उसने मेरे कार्य की समस्याओं और कठिनाइयों को हल करने में मेरी मदद की थी। लेकिन इस संबंध में मुझे सच्चा अनुभव मिलने से पहले, मेरी कद-काठी तब भी ऐसी छोटी ही थी। इसलिए जब मैं प्रवेश में कठिनाइयों का सामना करती हूँ, तो केवल पवित्र आत्मा की प्रबुद्धता को सम्मिलित करने के माध्यम से ही सत्य मेरी जिंदगी बन सकता ह।

परमेश्वर के वचनों की प्रबुद्धता और मार्गदर्शन में, मैंने परमेश्वर को समझने और उस पर भरोसा करने के लिए अपने दिल को शांत कर लिया, और दस्तावेजों को संकलित करने से संबंधित सिद्धांतों की ध्यानपूर्वक तुलना और विचारकरके, मैंने अनजाने में ही परमेश्वर की प्रबुद्धता और उसका मार्गदर्शन प्राप्त कल लिया, जिससे मैं धीरे—धीरे उन दस्तावेजों की समस्याओं की सही प्रकृति का पता लगाने में सक्षम हुई, मैंने उन दस्तावेजों को सुधारते समय अपने विचारों में और अधिक स्पष्टता प्राप्त की। मैं अपनी नकारात्मकता और ग़लतफ़हमी से भी धीरे—धीरे बाहर निकल पाई थी।

परमेश्वर का धन्यवाद। इस अनुभव के माध्यम से मैं अपनी समझ के भटकावों से मुड़ते हुए अपनी सच्ची कद—काठी को स्पष्ट रूप से देख पाई। इसने मुझे अहसास कराया कि पवित्र आत्मा द्वारा प्रबुद्ध की गई सत्य की मेरी समझ का यह अर्थ नहीं था कि मेरे पास सत्य के इस पहलू की वास्तविकता है। अब से, मैं अभ्यास और प्रवेश करने के लिए असल जीवन में पवित्र आत्मा की प्रबुद्धता लाने की और अधिक इच्छुक हूँ, ताकि ये सत्य असल में मेरी जिंदगी की वास्तविकता बन सकें।

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