एक विद्रोही का पश्चाताप

19 जुलाई, 2022

गु वेंकिंग, चीन

मैं 1990 में ईसाई बनी। कलीसिया का एक अगुवा था जो हमेशा कहता था, “बाइबल हमारे विश्वास की नींव है और विश्वासी होने के नाते, हमें बाइबल का अनुसरण करना चाहिए।” वे शब्द मेरे दिल में गहरे बैठ गए और मैंने मन ही मन सोचा, “मुझे नियमित रूप से बाइबल पढ़नी चाहिए, मैं इसे समझ जाऊँ तो मुझे अपनी आस्था का मार्ग मिल जाएगा।” तो मैं बार-बार पवित्रशास्त्र पढ़ती और और अक्सर सलाह के लिए अपने आध्यात्मिक बुजुर्गों के पास जाती थी। मुझे याद है एक वरिष्ठ-जन ने मुझे प्रोत्साहन के ये शब्द कहे थे : “बाइबल के प्रति तुम्हारी लगन के कारण प्रभु अवश्य एक दिन तुम्हारा कोई महत्वपूर्ण उपयोग करेगा।” इन शब्दों ने मेरे अंदर जोश भर दिया। इससे मुझे बाइबल की आराधना करने की और भी अधिक प्रेरणा मिली। तबसे मैं रोज सुबह 4 बजे उठकर पवित्रशास्त्र पढ़ने लगी, मैंने पूरे घर में बाइबल के चुनिंदा पद चिपका दिए। जब भी समय मिलता, मैं या तो बाइबल के अंश पढ़ती या उन्हें याद करती। सोते समय भी मैं तकिये के पास बाइबल रखती थी, सोचती अगर प्रभु रात में वापस आ गया, तो मैं बाइबल हाथों में लिए उसका स्वागत कर पाऊँगी। संक्षेप में कहूँ तो, मैं बाइबल से अलग नहीं रह पाती थी। कुछ सालों बाद, मैं अपने शहर में कैरिज़्मैटिक्स की एक मुख्य सहकर्मी बन गई, मुझ पर करीब 300 सभा स्थलों का दायित्व था। मुझे बाइबल से इतना प्रेम था कि मैं हमेशा भाई-बहनों से कहती थी : “प्रभु यीशु ने कहा था : ‘मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं, परन्तु हर एक वचन से जो परमेश्वर के मुख से निकलता है, जीवित रहेगा(मत्ती 4:4)। परमेश्वर के सभी वचन बाइबल में हैं, तो बाइबल पढ़ना हर रोज खाना खाने जितना ही महत्वपूर्ण है, बाइबल हमारी आस्था की नींव है, इसलिए कुछ भी हो हमें इसका अनुसरण करना चाहिए। सच्चा विश्वासी होने का यही मतलब है।”

1997 में, पूर्वोत्तर चीन की बहुत सारी कलीसियाओं के सदस्यों ने, एक के बाद एक, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को स्वीकारा था। हमारे एक शीर्ष अगुआ ने तुरंत सहकर्मियों की एक बैठक बुलाई जहाँ उसने हमें चमकती पूर्वी बिजली को कलंकित और इसकी निंदा करने वाली प्रचार सामग्री दिखायी और बताया, “चमकती पूर्वी बिजली नाम की एक कलीसिया है। वे कहते हैं कि प्रभु यीशु सर्वशक्तिमान परमेश्वर के रूप में देह में लौट आया है, उसने नए वचन बोले हैं और पुस्तक खोली है। उनका कहना है कि बाइबल अब पुरानी हो चुकी है, और अब सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन से ही जीवन-पोषण मिल सकता है। ऐसा कैसे हो सकता है? हजारों साल से, प्रभु के विश्वासी बाइबल पढ़ते आ रहे हैं। परमेश्वर के सभी वचन बाइबल में हैं, और बाइबल के बाहर परमेश्वर का कोई वचन नहीं है। कुछ भी हो, हमें बाइबल के प्रति ही निष्ठावान बने रहना चाहिए। बाइबल से दूर जाना प्रभु के साथ विश्वासघात है, और जब वह आएगा, वह तुम्हें नहीं बचाएगा।” मैं उससे पूरी तरह सहमत थी, मैंने सोचा, “सही है। हमारी पूरी आस्था बाइबल पर आधारित है। चमकती पूर्वी बिजली के लोग इसे पढ़ते ही नहीं, तो क्या वे प्रभु के मार्ग से भटक नहीं रहे हैं? मुझे बाइबल को कायम रखने और इससे कभी न भटकने में भाई-बहनों की अगुवाई करनी होगी।” उस शीर्ष अगुआ ने तीन दिन इस तरह की बैठकें बुलायीं, बताया कि चमकती पूर्वी बिजली से बचकर कैसे उसका विरोध करना है। उन सभाओं के बाद मुझे लगा कि मेरी जिम्मेदारी पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है। कलीसिया की रक्षा के लिए, मैंने उसे हर ओर से सीलबंद कर चमकती पूर्वी बिजली का विरोध करने के लिए दूसरे सहकर्मियों के साथ अथक प्रयास किए। हर सभा में, हमने इस बारे में बात की कि इससे कैसे बचें और इसका प्रतिरोध कैसे करें, मैंने तो भाई-बहनों से यह आग्रह भी किया कि वे उपवास रखें और प्रार्थना करें, और परमेश्वर से विनती करें कि वो चमकती पूर्वी बिजली को हमारी कलीसिया की भेड़ें चुराने से रोके।

एक दिन एक बहन ने मुझसे कहा कि एक सहकर्मी अब चमकती पूर्वी बिजली में विश्वास करने लगा है, और उस बहन की सभा-स्थल के सबसे उत्साही सदस्य उस सहकर्मी के साथ चले गए हैं। यह सुनकर मैं इतनी चिंतित हो गई कि मैं बिना खाए-पिए ही उस सहकर्मी के स्थान पर पहुँच गई और देखा कि लगभग 40 लोगों की सभा में से 19 लोग गायब हैं। सबसे उल्लेखनीय बात यह थी कि उस सभा स्थल में वे 19 लोग सबसे अधिक समर्पित सदस्य थे। यह देखकर कि उन अच्छी भेड़ों को पूर्वी चमकती बिजली ने चुरा लिया था, मुझे बहुत दुःख हुआ। मैंने मन ही मन सोचा, “चमकती पूर्वी बिजली वाकई बहुत ताकतवर होगी कि कुछ ही दिनों के काम के बाद उसने वे अच्छी भेड़ें चुरा लीं।” मैं उन भाई-बहनों को मनाने के लिए उनके पास गई, और मैंने कहा, “चमकती पूर्वी बिजली के अनुयायियों का दावा है कि प्रभु लौट आया है और उसने नए वचन बोले हैं, लेकिन यह लोगों को गुमराह करने का एक प्रयास मात्र है। परमेश्वर के सभी वचन बाइबल में हैं, इसके अलावा बाकी सब प्रभु के मार्ग से भटकना है। ऐसे लोग प्रभु के आने पर राज्य में नहीं उठाए जाएँगे। तो क्या प्रभु में इतने बरसों की आस्था व्यर्थ नहीं हो जाएगी? तुम्हें तुरन्त प्रभु के सामने पश्चात्ताप करना चाहिए।” मैंने सोचा कि वो लोग मेरी बात सुनेंगे, लेकिन आश्चर्य की बात यह रही कि एक बहन ने कहा, “गु बहन, तुम्हारा ये दावा कि परमेश्वर के सभी वचन बाइबल में हैं, तथ्य अनुसार नहीं है। यूहन्ना 21:25 में लिखा है, ‘और भी बहुत से काम हैं, जो यीशु ने किए; यदि वे एक एक करके लिखे जाते, तो मैं समझता हूँ कि पुस्तकें जो लिखी जातीं वे संसार में भी न समातीं।’ इस पद से पता चलता है कि प्रभु यीशु की कही हर बात और उसका किया हर काम बाइबल में दर्ज नहीं किया गया। इसके अलावा, प्रकाशितवाक्य में भविष्यवाणी है कि प्रभु लौटने पर पुस्तक खोलकर सात मोहरें तोड़ेगा और कलीसियाओं से बात करेगा। जाहिर है, अंत के दिनों के लिए परमेश्वर के नए वचन संभवतः पहले से ही बाइबल में नहीं लिखे जा सकते थे, इसलिए तुम्हारे इस दावे में कि परमेश्वर के सभी वचन बाइबल में हैं, दम नहीं है।” मुझे समझ में नहीं आया कि उसकी बात का खंडन कैसे करूँ। मैंने सोचा, “सही है। बाइबल का वह पद तो स्पष्ट है, तो मैंने पहले कभी इस बारे में क्यों नहीं सोचा?” तब उस बहन ने आगे कहा, “सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही लौटकर आया प्रभु यीशु है। उसने सभी सत्य व्यक्त किए हैं जो मानवजाति का न्याय करते हैं, उसे शुद्ध करते हैं और बचाते हैं। ये सत्य कलीसियाओं के लिए पवित्र आत्मा के वचन हैं। ये उस पुस्तक को खोलना है जिसकी भविष्यवाणी प्रकाशितवाक्य में है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास रखने का अर्थ प्रभु को धोखा देना नहीं, बल्कि परमेश्वर की वाणी सुनकर मेमने के पदचिह्नों पर चलना है। जैसा कि प्रकाशितवाक्य में कहा गया है, ‘ये वे ही हैं कि जहाँ कहीं मेम्ना जाता है, वे उसके पीछे हो लेते हैं(प्रकाशितवाक्य 14:4)। तुम्हें सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन भी पढ़ने चाहिए, विनम्रता से खोजना ही परमेश्वर की वाणी सुनने और प्रभु की वापसी का स्वागत करने का एकमात्र तरीका है!” वे जो कहना चाहते थे, मैं वास्तव में वह सुनना नहीं चाहती थी, और इसलिए मैंने बाइबल उठाई और उसे लहराते हुए कहा, “मुझे बाइबल समझ में आती है—मुझे खोजने की जरूरत नहीं है! बाइबल के बाहर सब कुछ पाखंड है, तुम्हें बचाया नहीं जाएगा!” मैं एक सप्ताह तक हर दिन वहाँ जाकर उनके विचार बदलने की कोशिश करती रही। लेकिन मैने चाहे जो कहा हो, वे लोग सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अनुसरण करने की ठान चुके थे। मैं उन 19 लोगों में से एक को भी वापस नहीं ला पाई। चाहे मैंने इस विषय पर कितना भी सोचा हो, मैं उलझन में ही रही और मैंने खुद से पूछा, “एक बार चमकती पूर्वी बिजली की किताब पढ़ने के बाद, किसी भी तरह उनका मन क्यों नहीं बदला जा सकता? कहीं वाकई उनकी किताब में किसी तरह का नशा तो नहीं, जैसा उस शीर्ष अगुआ ने कहा था? लेकिन वो तो बिल्कुल सामान्य लग रहे थे, नशे में नहीं थे, वो सभी बहुत ही ऊर्जा और आस्था से भरे थे। उनकी संगति भी इतनी गहरी थी कि उसका खंडन नहीं किया जा सकता था।” मैं उलझन में पड़ गई। मैं देखना चाहती थी कि चमकती पूर्वी बिजली की किताब में आखिर लिखा क्या है। लेकिन फिर सोचा बाइबल से भटकना प्रभु के साथ धोखा हैं, और मुझे बचाया नहीं जाएगा, तो इस बारे में दोबारा सोचने की मेरी हिम्मत नहीं हुई। मैंने उन 19 लोगों को कलीसिया से निष्कासित कर दिया और सभी से उनके साथ किसी तरह का संबंध न रखने को कहा। मैंने सहकर्मियों से कहा कि वे अपने झुंड पर कड़ी नजर रखेँ, और चमकती पूर्वी बिजली को स्वीकारने वालों को तुरंत निकाल दें।

मैंने कलीसिया को सील करने की पूरी कोशिश की, लेकिन अधिक से अधिक भाई-बहन चमकती पूर्वी बिजली में शामिल होते रहे। हर दिन कोई न कोई जा रहा था और मैं रोक नहीं पा रही थी। मेरा दिमाग पूरी तरह उसी में उलझा हुआ था। मैं उन्हें वापस लाने के लिए हर रोज घंटों मेहनत कर रही थी, लेकिन एक को भी मना नहीं पाई। मुझे हैरानी तब हुई जब वांग मिंगी भाई जो मेरे साथ काम कर चुका था, वह भी जल्द ही चमकती पूर्वी बिजली में शामिल हो गया। यह सचमुच अप्रत्याशित था। वांग ने मेरी तरह ही शुरुआत की थी, वो हमेशा चमकती पूर्वी बिजली से बचने और उसका विरोध करने की बात किया करता था। मैंने कभी सोचा नहीं था कि वह अंततः उनके साथ शामिल हो जाएगा। मैं उससे सवाल-जवाब करने उसके घर गई। मैंने कहा, “तुम अच्छी तरह जानते हो कि चमकती पूर्वी बिजली बाइबल से अलग है। तुम उसमें कैसे विश्वास कर सकते हो?” उसने कहा, “गु बहन, मैंने पहले भी अगुआ की बात सुनी थी, और चमकती पूर्वी बिजली की शिक्षाओं की तलाश या जाँच बिल्कुल नहीं की थी। आँख मूँदकर उसका विरोध और निंदा भी करता था। लेकिन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन पढ़कर, मैंने जाना कि ये बाइबल के बहुत से रहस्यों का खुलासा करते हैं, और पापों से शुद्ध होने का मार्ग दिखाते हैं। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन सत्य हैं और परमेश्वर की वाणी हैं। वह लौटकर आया प्रभु यीशु है। तुम्हें भी उसके वचन पढ़ने चाहिए! ...” उस समय, मैंने उसकी बात काटकर कहा, “बस बहुत हो गया! तुम्हें गुमराह किया गया है—मुझे भी गुमराह करने की कोशिश मत करो। तुम कुछ भी कहो, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं वो चमकती पूर्वी बिजली की किताब नहीं पढ़ने वाली!” मैंने जोर से दरवाजा बंद किया और गुस्से में बाहर निकल गई। फिर मुझे सहकर्मी लियू से पता चला कि किसी दूसरी कलीसिया के 100 से अधिक सदस्य चमकती पूर्वी बिजली में शामिल हो गए थे, और भी बहुत से सहकर्मी कह रहे थे कि उनके क्षेत्रों से भी, चमकती पूर्वी बिजली हर दिन अच्छी भेड़ें चुरा रही है, और वो उनमें से किसी को भी वापस नहीं ला पा रहे हैं। ये बातें सुनकर मुझे गहरा सदमा लगा। मुझे हैरानी हुई, “चमकती पूर्वी बिजली इतनी प्रभावशाली कैसे हो सकती है, क्या सचमुच ऐसा हो सकता है कि प्रभु लौट आया हो। वरना, इतने सारे लोग उसे स्वीकारकर, उसमें इतनी आस्था क्यों रखेंगे?”

सितंबर 1997 में, हमारी कलीसिया का एक मुख्य सहकर्मी, ली ज़ी भाई, सपत्नीक चमकती पूर्वी बिजली में शामिल हो गया। जब मैंने ये खबर सुनी तो मैंने अपनी बाइबल उठाई और चार सहकर्मियों के साथ उनसे मिलने चल पड़ी। वहाँ पहुँचते ही, उन्हें एक शब्द भी कहने का मौका दिए बिना, मैं उन पर चिल्लाई, “तुम में जमीर है या नहीं? प्रभु यीशु ने तुम पर इतना अनुग्रह किया है—क्या सब भूल गए? तुम सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास कैसे कर सकते हो? उन्होंने तुम्हें क्या दिया है? उन्होंने तुम्हें कितना पैसा दिया है?” हैरानी हुई जब ली ज़ी ने मुस्कुराते हुए कहा, “उन्होंने हमें पैसा नहीं, सत्य और जीवन दिया है।” ये सुनकर मुझे और भी गुस्सा आया, और मैंने कहा, “वो तुम्हें जीवन कैसे दे सकते हैं? बाइबल के बाहर जाना प्रभु को धोखा देना है। सत्य और जीवन की क्या बात करते हो?” उसने उल्टा मुझसे ही एक सवाल पूछ लिया : “तुम ही बताओ कि सत्य और जीवन परमेश्वर से आता है या बाइबल से? जब प्रभु यीशु ने फरीसियों को डांटा तो उसने क्या कहा? ‘तुम पवित्रशास्त्र में ढूँढ़ते हो, क्योंकि समझते हो कि उसमें अनन्त जीवन तुम्हें मिलता है; और यह वही है जो मेरी गवाही देता है; फिर भी तुम जीवन पाने के लिये मेरे पास आना नहीं चाहते(यूहन्ना 5:39-40)। उसके वचन एकदम साफ हैं। बाइबल परमेश्वर की गवाही तो देती है, लेकिन इसमें अनंत जीवन नहीं है। बाइबल में अनंत जीवन की खोज करना भूल है। केवल मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है, मसीह का अनुसरण करने, उसके कार्य और वचनों के प्रति समर्पण करने से ही हम सत्य और अनंत जीवन पा सकते हैं।” जब मैंने भाई की संगति सुनी तो मुझे सचमुच समझ में नहीं आया कि मैं क्या जवाब दूँ। मुझे थोड़ी शर्मिंदगी हुई। मैंने मन ही मन सोचा, “तुम तो हमेशा मुझे उपदेश देते सुना करते थे, अब मुझे ही समझाने और मेरी बात काटने में क्यों लगे हो? मैंने इतने बरस बाइबल पढ़ी है, तुम प्रभु में आस्था के बारे में मुझसे अधिक कैसे जान सकते हो?” तो मैंने बहुत ही बेतुका जवाब दिया, मैंने कहा, “मुझे परवाह नहीं तुम क्या कहते हो। बाइबल नहीं पढ़ने वाला तो नरक में ही जाएगा।” फिर बाकी के चार सहकर्मियों ने भी नर्म-गर्म अंदाज में उन्हें समझाने की कोशिश की, पर हमारी तमाम दलीलों के बावजूद, ली ज़ी भाई और उसकी पत्नी सर्वशक्तिमान परमेश्वर में अपनी आस्था में डटे रहे। घर पहुँचकर, मैंने मन में सोचा, “मैं चमकती पूर्वी बिजली में शामिल होने वाले अन्य लोगों की तुलना में बाइबल के बारे में बहुत ज्यादा जानती थी, पहले वे लोग मेरे उपदेश सुना करते थे, लेकिन चमकती पूर्वी बिजली को स्वीकार करने के कुछ ही दिन बाद, वे मुझे चंद शब्दों से निरुत्तर करने में सक्षम थे। ये हो क्या रहा है? क्या यह हो सकता है कि चमकती पूर्वी बिजली ही सच्चा मार्ग है?” लेकिन मैंने जल्दी ही उस विचार को झटक दिया और अपने आप से कहा, “यह नहीं हो सकता! बाइबल के बाहर की हर बात प्रभु के साथ विश्वासघात है। मैं बाइबल से चिपकी रहूँगी और प्रभु के वापस आकर मुझे स्वर्ग ले जाने की प्रतीक्षा करूँगी।”

अधिकाधिक लोगों को चमकती पूर्वी बिजली को स्वीकार करते देख, मैं अब सभाओं में उपदेश भी नहीं देती थी। इसके बजाय मैं बस कुछ ऐसी सामग्रियों का उपयोग कर रही थी जो चमकती पूर्वी बिजली का विरोध करती थीं और सहकर्मियों की बैठकों और रविवार की सेवाओं में उनके बारे में बात करती थी। मैं लोगों को धमकाती भी थी ताकि वे चमकती पूर्वी बिजली में झाँकने की हिम्मत न करें, मैंने तो अन्य कलीसियाओं के अगुआओं और सहकर्मियों के साथ मिलकर इससे लड़ने का काम भी किया। अगर मुझे पता चलता कि कोई किसी सदस्य को चमकती पूर्वी बिजली में ले जाने की कोशिश कर रहा है, तो मैं लपककर उनका पीछा करती। अगर कभी मुझे लगता कि बाइक से पहुँचने में देर हो जाएगी, तो मैं चमकती पूर्वी बिजली के सदस्यों को भगाने के लिए शहर के एक कोने से दूसरे कोने तक टैक्सी से जाती थी। मुझे लगता कि मैं प्रभु के मार्ग का बचाव करके झुंड की रक्षा कर रही हूँ, उस काम के लिए मैं अपनी जान भी जोखिम में डालने को तैयार थी। लेकिन एक बात मुझे समझ में नहीं आती थी कि ऐसा क्यों था कि जितना अधिक मैं इसके खिलाफ संघर्ष कर रही थी, कलीसिया में उतनी ही घटनाएँ बढ़ती जा रही थीं। अगस्त 1999 में जब हम सामूहिक बपतिस्मा कर रहे थे, तो काफी लोगों को गिरफ्तार कर थाने ले जाया गया। फिर अगस्त 2000 में बपतिस्मा के दौरान तीन महत्वपूर्ण सहकर्मियों के साथ मुझे भी गिरफ्तार कर लिया गया। मेरे घर की भी तलाशी ली गई और कलीसिया की सारी भेंटें पुलिस ने जब्त कर लीं। हिरासत में रहते हुए, मैं उन तमाम बातों के बारे में ही विचार करती रही जो पिछले कुछ वर्षों में कलीसिया में हुई थीं। एल्डर बहन जियांग रु और भाई वू योंग, जो मुझे हमेशा उपदेश देने और प्रचार करने के लिए आमंत्रित किया करते थे, वे अपने झुंड बचाने की कोशिश में लगे हुए थे, इसलिए उन्होंने चमकती पूर्वी बिजली से बचने के लिए अपनी कलीसिया को अलग-थलग कर लिया था। वे अत्यंत धर्मपरायण ईसाई थे, लेकिन हैरानी की बात है कि उन दोनों को कैंसर हो गया और उनकी दर्दनाक मृत्यु हुई। 1998 में एक बार कलीसिया के 200 से अधिक प्रमुख कार्यकर्ताओं की बड़ी बैठक में, अचानक एक कार्यकर्ता पर एक राक्षस ने कब्जा कर लिया, और तमाम प्रार्थनाओं के बावजूद उसे बाहर नहीं निकाल जा सका। तमाम घटनाएँ मेरे दिमाग में घूमती रहीं, लेकिन मैं समझ नहीं पाई कि कलीसिया इतनी मुसीबत में क्यों है। मैंने सोचा कि कैसे मैंने बरसों प्रभु का अनुसरण किया है, नौकरी छोड़ी, परिवार छोड़ा, प्रभु के लिए कड़ी मेहनत की। कलीसिया के हर काम में सबसे आगे रही, प्रभु के मार्ग और झुंड की रक्षा के लिये इतनी मेहनत की। प्रभु मेरी रक्षा क्यों नहीं कर रहा या मुझे आशीष क्यों नहीं दे रहा? ऐसा क्यों था कि मैं चमकती पूर्वी बिजली से जितना लड़ रही थी, उतना ही अधिक कष्ट हो रहा था और मैं लगातार बेचैन रहती थी? क्या यह हो सकता है कि चमकती पूर्वी बिजली का विरोध करना गलत है? क्या प्रभु सचमुच लौट आया है? सात दिन की हिरासत में, मैं जरा-भी सो नहीं पाई। मेरी हालत बेहद खराब थी। मैंने प्रभु से प्रार्थना की, “प्रभु, कलीसिया में इतना कुछ हो गया। इन सबके पीछे असली वजह क्या है? मैं वास्तव में क्या गलत कर रही हूँ? ...” जब मैं रिहा हुई, तो मैंने देखा कि कलीसिया लगातार उजड़ती जा रही है। इसने मुझे दहला दिया। मैंने फिर प्रभु से प्रार्थना की : “प्रभु! कलीसिया की ऐसी हालत क्यों हो गयी? कलीसिया तेरे कीमती लहू की बदौलत बनी है, तू इसकी अनदेखी क्यों कर रहा है? हे प्रभु, मैं बहुत दुखी हूँ। झुंड बिखर रहा है, मैं चमकती पूर्वी बिजली से जितना लड़ती हूँ, कलीसिया उतनी ही अव्यवस्थित होती जाती है। मैं नहीं जानती कि इस सबको कैसे बचाऊँ और कलीसिया को कैसे पुनर्जीवित करूँ। प्रभु, मुझे रास्ता दिखा!” लेकिन मेरी तमाम प्रार्थनाओं के बावजूद, कलीसिया अव्यवस्थित ही रही। सारे सहकर्मी इधर-उधर बिखर गए और गिरफ्तारी के डर से छिप गए। कलीसिया में अराजकता व्याप्त हो गयी और उपस्थिति कम होती चली गयी। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि बुधवार और रविवार के धर्मोपदेशों में क्या बोलूँ। मेरी वार्ता के दौरान भाई-बहन झपकियाँ लेने लगे थे, मैं बेबस थी। समझ नहीं पा रही थी कि क्या प्रार्थना करूँ, मेरी आस्था घटती जा रही थी। अचानक मैंने देखा कि मेरा संकल्प अब पहले जैसा नहीं रहा, कि भले ही किसी की आस्था डिग जाए, लेकिन प्रभु के लिए मेरी आस्था और प्रेम बना रहेगा। मैं धीरे-धीरे भ्रष्टता में डूबती जा रही थी। मैंने टीवी और फिल्में देखना शुरू कर दिया, यहाँ तक कि ताश और जुआ खेलना भी सीख लिया। मैं पाप में जी रही थी, खुद को इससे बाहर नहीं निकाल पा रही थी। मैं अक्सर बाइबल पकड़े दुखी और गुमसुम-सी दहलीज पर खड़ी रहती। कुछ समझ नहीं आ रहा था कैसे आगे बढ़ूँ। उस दौरान, मैं घुटनों के बल बैठ, अक्सर प्रभु के आगे रोती, गिड़गिड़ाती, “प्रभु यीशु, तू कहाँ है? मुझे लगता है कि मैं मरने वाली हूँ। प्रभु, मैं तुमसे विनती करती हूँ, मुझे बचा, कलीसिया को बचा! ...”

2002 में, जब मैं बेहद कमजोर स्थिति में थी, तो दक्षिणी चीन से झोउ झेंग भाई ने मुझे फोन किया और किसी भक्ति-संबंधी अध्ययन के लिए मुझे मिलने को कहा। ये सुनकर मैंने परमेश्वर का हार्दिक धन्यवाद किया और अपनी शक्ति फिर से पाने के लिए मैं इस अवसर का लाभ उठाने के लिए उत्सुक थी। वहाँ पहुँचकर मैंने देखा कि जब मैं दो साल पहले वहाँ गई थी, उस बार की तुलना में वहाँ के भाई-बहन अब और भी बेहतर थे। उनकी आस्था और मजबूत हो गई थी। मुझे देखकर, उन्होंने मुझे सांत्वना दी, मेरा उत्साह बढ़ाया, और मुझे एक परिवार जैसा महसूस हुआ। मैं भावुक हो गई। अगले दिन, जब झोउ झेंग ने मुझसे पूछा कि कैसा चल रहा है, तो ऐसा लगा मानो दुखती रग पर हाथ रख दिया हो। मैंने कुछ नहीं छिपाया और कलीसिया की वर्तमान हालत बयाँ कर दी। मेरी बात खत्म होने पर, उसने यह संगति साझा की : “सिर्फ तुम्हारी कलीसिया ही अपनी जीवन शक्ति नहीं गँवा रही है। सब जगह की कलीसियाओं की यही हालत है। विश्वासियों की आस्था और प्रेम ठंडा पड़ता जा रहा है, उनके पापों के लिए उन्हें अनुशासित नहीं किया जाता। सहकर्मियों के पास उपदेश देने को कुछ नहीं है, वे आपसी ईर्ष्या-द्वेष और लड़ाई में उलझे हैं। कलीसियाएँ छिन्न-भिन्न हो रही हैं—उनमें लंबे समय से प्रभु की उपस्थिति नहीं है।” उसने मुझे कलीसियाओं के उजड़ने का कारण भी बताया। उसने मुझे आमोस की पुस्तक से अध्याय 8, पद 11 पढ़कर सुनाया। यहोवा परमेश्वर ने कहा : “ऐसे दिन आते हैं, जब मैं इस देश में महँगी करूँगा; उस में न तो अन्न की भूख और न पानी की प्यास होगी, परन्तु यहोवा के वचनों के सुनने ही की भूख प्यास होगी।” फिर उसने कहा, “हम इस पद से देख सकते हैं कि कलीसियाओं के उजड़ने का एक कारण ये है कि लोग परमेश्वर के वचनों पर अमल नहीं कर रहे। यह बिल्कुल वैसा ही है जैसा व्यवस्था के युग के अंत में था जब यहूदी मुख्य याजक, शास्त्री और फरीसी यहोवा की व्यवस्था के बजाय केवल मानवीय परंपराओं का पालन कर रहे थे। वे निम्न-स्तर का बलिदान चढ़ा रहे थे, मवेशियों को खुलेआम बेचते थे, मन्दिर में धन का लेन-देन करते हुए उसे चोरों की पनाहगाह में बदल दिया था, इसलिए परमेश्वर ने चिढ़कर उसे त्याग दिया। जब उसमें परमेश्वर का कार्य नहीं रहा, तो लोग मनमर्जी करते हुए, अपने पापों को लेकर अनुशासनहीन हो गए। मंदिर उजाड़ हो गए। इसका मूल कारण यह था कि धार्मिक अगुआओं ने यहोवा की आज्ञाओं का पालन नहीं किया और वो प्रभु के मार्ग से भटक गए। कलीसियाओं के उजड़ने का दूसरा कारण यह था कि परमेश्वर कार्य का एक नया चरण कर रहा था, इसलिए पवित्र आत्मा का कार्य बदल गया था। प्रभु यीशु अपना काम और लोगों की अगुवाई मंदिर के बाहर कर रहा था, वह अनुग्रह के युग की शुरुआत कर रहा था, और जो लोग उसका अनुसरण कर रहे थे वे सिंचन और पोषण पा सकते थे। लोग प्रभु के सामने प्रार्थना करके, अपने पाप स्वीकार करके क्षमा पा सकते थे और वे प्रभु द्वारा प्रदान किए गए सारे अनुग्रह, शान्ति और आनन्द पा सकते थे। परन्तु जिन मुख्य पादरियों, शास्त्रियों और फरीसियों ने उसके कार्य को नकारा, उसका विरोध और निंदा की, और मंदिरों के वे लोग जिन्होंने उन पाखंडियों का साथ दिया, उन सभी को परमेश्वर के कार्य ने स्वाभाविक रूप से त्याग दिया और हटा दिया, और वे अंधकार और वीरानी में जा गिरे।” मुझे भाई की संगति में सचमुच रोशनी महसूस हुई, लेकिन मैं उलझन में भी थी और सोच रही थी, “मैंने ये सब बाइबल में अनगिनत बार पढ़ा है, तो फिर मुझे अपनी पढ़ाई से यह रोशनी क्यों नहीं मिली? उन्हें यह कैसे पता चला? बेहतर होगा कि मैं उनकी बात सुनूँ।” तब झोउ झेंग ने आगे कहा, “व्यवस्था के युग में मंदिर के पतन के कारण की तरह, आज की कलीसियाओं के उजड़ने का कारण भी यही है कि परमेश्वर कार्य का एक नया चरण कर रहा है।” उसकी बात सुनकर, मेरा दिल धक से रह गया, और मुझे ख्याल आया कि वे शायद चमकती पूर्वी बिजली के साथ हैं। सभी का कहना था कि वो जो सिखाते हैं वो जबरदस्त है—अगर मैं भी गुमराह हो गई तो? मुझे घबराहट होने लगी और मेरे अंदर घमासान मच गया : मुझे इनकी बात सुननी चाहिए या नहीं? अंततः मैंने वहीं रहने और सुनना जारी रखने का निर्णय लिया, क्योंकि मैं वास्तव में कलीसिया की समस्या का समाधान चाहती थी। इतने बरसों में, चीन या विदेश का कोई भी पादरी या एल्डर, बाइबल की तमाम व्याख्या करने, उपवास रखने या प्रार्थना करने के बावजूद किसी तरह की कोई मदद नहीं कर पाया थे, उनके द्वारा सुझाए गए कोई भी समाधान काम नहीं आए थे। कलीसिया की हालत बिगड़ती चली गयी थी। लेकिन वे भाई-बहन आस्था और प्रेम से भरे थे, उनकी संगति रोशनी देने वाली थी। पवित्र आत्मा के कार्य और मार्गदर्शन के बिना कोई भी इतना अच्छा नहीं कर सकता था। अगर मैं उनकी संगति से कलीसिया को पुनर्जीवित करने का रास्ता खोज पाऊँ, तो हमारे लिए अभी भी उम्मीद की किरण है। मैं इस अवसर को भुनाना चाहती थी, अगर ये लोग चमकती पूर्वी बिजली के साथ हों भी, तो मुझे डरने की जरूरत नहीं थी, क्योंकि मुझे बाइबल आती है, मुझे गुमराह नहीं किया जा सकता। तो ये देखने के लिए कि क्या उनकी बातें बाइबल के अनुरूप हैं, मैं उनकी हर बात की पुष्टि बाइबल से करते हुए उनकी बात सुनने लगी।

झोउ झेंग आमोस 4:7-8 पढ़ते हुए संगति करता रहा : “‘जब कटनी के तीन महीने रह गए, तब मैं ने तुम्हारे लिये वर्षा न की; मैं ने एक नगर में जल बरसाकर दूसरे में न बरसाया; एक खेत में जल बरसा, और दूसरा खेत जिस में न बरसा, वह सूख गया। इसलिये दो तीन नगरों के लोग पानी पीने को मारे मारे फिरते हुए एक ही नगर में आए, परन्तु तृप्‍त न हुए; तौभी तुम मेरी ओर न फिरे,’ यहोवा ने कहा।” उसने ये कहते हुए समझाया, “इस पद में एक शहर में बारिश होने का जिक्र है और दूसरे में सूखे का। ये ‘बारिश’ पवित्र आत्मा के कार्य को दर्शाती है। परमेश्वर पवित्र आत्मा के कार्य को सभी जगहों से लेकर उन लोगों तक पहुँचाता है जो उसका नया कार्य स्वीकारते हैं। जो लोग परमेश्वर के पदचिह्नों पर चलते हैं, उन्हें पवित्र आत्मा के वर्तमान वचनों की सिंचाई और पोषण मिलता है और वे उसका कार्य प्राप्त करते हैं। लेकिन जो परमेश्वर के नए कार्य को स्वीकार नहीं करते वे परमेश्वर के कार्य के दौरान स्वाभाविक रूप से त्याग दिए जाते हैं और हटा दिए जाते हैं, और वे अंधकार में जीते हैं।” इस जगह पर उनकी संगति मुझे बेहतर समझ आने लगी और मैंने मन ही मन सोचा, “कलीसिया उजाड़ है क्योंकि परमेश्वर नया कार्य कर रहा है, इसलिए पवित्र आत्मा का कार्य स्थानांतरित हो गया है। तो इसमें कोई हैरानी नहीं कि मैंने इतने बरस परमेश्वर की उपस्थिति महसूस नहीं की, बल्कि मैंने ऐसा आध्यात्मिक अंधकार महसूस किया मानो मैं एक अथाह गड्ढे में गिर गई हूँ और मेरे लिए उम्मीद की कोई किरण नहीं है। मैं बेहद दुख में जी रही थी।” परमेश्वर के पदचिह्नों पर चलकर, पवित्र आत्मा के कार्य और मार्गदर्शन का आनंद लेने के ख्याल से, मैंने उत्सुकता से झोउ झेंग से पूछा, “इंसान मेमने के पदचिह्नों पर चलकर पवित्र आत्मा का कार्य कैसे प्राप्त कर सकता है?” उसने कहा, “प्रकाशितवाक्य में इसकी भविष्यवाणी सात बार की गई है, ‘जिसके कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है(प्रकाशितवाक्य अध्याय 2, 3)। ये भविष्यवाणी हमें बताती है कि परमेश्वर अंत के दिनों में कलीसियाओं से बात करेगा और जो कोई भी परमेश्वर की वाणी पहचानेगा वो परमेश्वर के पदचिह्नों पर चलकर मेमने के विवाह-भोज में शामिल होगा।” फिर उसने एक पुस्तक निकाली और बोले, “इस पुस्तक में कलीसियाओं के लिए पवित्र आत्मा के वचन हैं। इसे पढ़ो तुम सब कुछ समझ जाओगी।” मैंने पुस्तक का नाम देखा “वचन देह में प्रकट होता है।” ये तो वही चमकती पूर्वी बिजली की पुस्तक है। मैं एक पल के लिए स्तब्ध रह गई और सोचने लगी, “मैं पिछले पाँच साल से उन लोगों से भिड़ रही हूँ, लेकिन मैं वास्तव में अब तक उनसे रूबरू नहीं हुई हूँ।” मैंने उन सभी भाई-बहनों के बारे में सोचा जो चमकती पूर्वी बिजली को सुन लेने के बाद उसे छोड़ने को तैयार नहीं थे। मैं बहुत घबरा गई थी, लगा जैसे कलेजा मुँह को आ रहा है। मैंने प्रार्थना की, “प्रभु, मेरी रक्षा कर। मैं बाइबल से अलग नहीं हो सकती, मैं किसी भी सूरत में तेरे मार्ग से नहीं भटक सकती।” तो मैंने पूछा, “इस पुस्तक में परमेश्वर के वचन कैसे हो सकते हैं? परमेश्वर के सारे वचन तो बाइबल में हैं, उसके अलावा परमेश्वर के वचन और कहीं नहीं हैं। बाइबल से विमुख होना पाखंड है—ये प्रभु के साथ विश्वासघात है।” मैं वहाँ और ज्यादा नहीं बैठ सकी, तो मैं गुस्से में उठ खड़ी हुई और आगे एक भी शब्द सुनने से इंकार कर दिया। मुझे घोर विरोध करते और संगति सुनना बंद करते देख, वो सब घुटनों पर बैठकर रोते हुए मेरे लिए प्रार्थना करने लगे कि परमेश्वर मुझे प्रबुद्ध करे और मुझे अपने कार्य का ज्ञान दे। मैं एक तरफ खड़ी थी, उनकी भावपूर्ण प्रार्थना सुनकर मैं सचमुच द्रवित हो गई। मैंने मन ही मन सोचा, “पवित्र आत्मा के कार्य के बिना, कौन इतना प्रेममय हो सकता है?” धीरे-धीरे मेरा मन शांत होने लगा और मेरा विरोध भी कुछ कम हो गया।

प्रार्थना समाप्त करने के बाद, झोउ झेंग ने मेरे साथ अपना अनुभव साझा किया। उसने कहा, “मैं तुम्हारी भावना समझता हूँ—मैं भी पहले तुम्हारी ही तरह परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य का विरोध करता था। मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के बारे में अफवाहें गढ़ने में पादरियों और एल्डरों के साथ था, और उसके विरुद्ध मैंने लेख भी लिखे थे। भाई-बहनों को सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास रखने से रोकने के लिए मैं उन्हें डराता भी था। मैंने परमेश्वर का विरोध और उसकी निन्दा करने के लिए बहुत कुछ किया, यह सोचकर कि प्रभु के मार्ग की रक्षा कर रहा हूँ और पूर्ण समर्पित हूँ। मैं परमेश्वर में विश्वास तो रखता था लेकिन उसे जानता नहीं था, मैं अड़ियल और अहंकारी था। यदि परमेश्वर ने मुझे दंड देकर अनुशासित न किया होता, यदि उसके अधिकार-युक्त, दिल को छूने वाले वचन न होते, तो मैं कभी समर्पण न करता।” उसने यह भी कहा कि वह हमेशा यही सोचता था कि परमेश्वर के सारे वचन बाइबल में हैं, और इसके अलावा कुछ भी परमेश्वर का वचन नहीं था, इसलिए बाइबल से दूर जाना पाखंड है। फिर उसने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कुछ ऐसे वचन पढ़े जिनसे समझ आया कि इस बात में दम नहीं है, और यह बात तथ्यों के अनुरूप नहीं है। शुरू में तो मैं भ्रमित हो गई, आश्चर्य हुआ कि यह तथ्यों के अनुरूप कैसे नहीं है। फिर उसने कहा, “तुम बाइबल अच्छी तरह जानती हो, तो तुम्हें पता होना चाहिए कि प्रभु के कार्य की समाप्ति के बरसों बाद लोगों ने बाइबल को संकलित किया था, इसका अर्थ यह है कि अनिवार्यतः कुछ सामग्री को छोड़ दिया गया या काट दिया गया। परमेश्वर की ओर से नबियों के कुछ वचन पुराने नियम में पूरी तरह से दर्ज नहीं हुए थे, बल्कि उन्हें अपोक्रिफा में डाल दिया गया था, जैसे कि एज़्रा की भविष्यवाणियाँ।” उसने यह भी कहा, “अनुग्रह के युग में प्रभु यीशु का सारा कार्य और वचन पवित्रशास्त्र में दर्ज नहीं किए गए थे। उसने आधिकारिक तौर पर साढ़े तीन साल कार्य किया था, किसी को नहीं पता कि उस समय उसने कितने वचन बोले और कितने उपदेश दिए। अगर हम चारों सुसमाचारों से प्रभु यीशु के सभी वचन जोड़ें, तो वह उसके प्रवचनों के कुछ ही घंटे बनते हैं। उन साढ़े तीन सालों में उसने जो कुछ कहा होगा, उसकी तुलना में, हम पाते हैं कि यह बहुत ही सीमित है! यूहन्ना में भी यही कहा गया है, ‘और भी बहुत से काम हैं, जो यीशु ने किए; यदि वे एक एक करके लिखे जाते, तो मैं समझता हूँ कि पुस्तकें जो लिखी जातीं वे संसार में भी न समातीं’ (यूहन्ना 21:25)। क्या वाकई सच हो सकता है कि बाइबल के बाहर जो कुछ भी है वो परमेश्वर के वचन नहीं हैं? क्या यह सटीक है? प्रकाशितवाक्य में कई बार भविष्यवाणी की गई है, ‘जिसके कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है(प्रकाशितवाक्य अध्याय 2, 3)। इससे साबित होता है कि प्रभु के पास अंत के दिनों में कलीसियाओं से कहने के लिए और भी बहुत कुछ है। अंत के दिनों के वचन बाइबल में पहले से कैसे लिखे जा सकते हैं? प्रकाशितवाक्य में यह भी भविष्यवाणी है कि मेमना उस पुस्तक को खोलेगा, जिस पर मुहरे लगी हुई हैं और उन मुहरों को केवल मेमना ही तोड़ सकता है। क्या उस पुस्तक की विषय-वस्तु पहले से ही बाइबल में दर्ज की जा सकती है? बिल्कुल नहीं। तो क्या पादरियों का यह दावा कि ‘परमेश्वर के सभी वचन बाइबल में हैं’ तर्कपूर्ण है? क्या यह परमेश्वर के खुद के वचनों का खंडन और निंदा करना नहीं है?” उस समय तो मैं पूरी तरह आश्वस्त हो गई थी। मैंने मन ही मन सोचा, “यह सच है, प्रकाशितवाक्य ने स्पष्ट रूप से भविष्यवाणी की है कि अंत के दिनों में मेमना सात मुहरें तोड़कर पुस्तक खोलेगा। तो वह विशिष्ट सामग्री पहले से ही बाइबल में कैसे दर्ज हो सकती है? इस बात पर जोर देना कि बाइबल के बाहर परमेश्वर के कोई वचन नहीं हैं, मेरी गलती है।” झोउ झेंग ने बताया, “बाइबल परमेश्वर के कार्य का केवल ऐतिहासिक अभिलेख है, परमेश्वर ने जब कार्य का एक चरण पूरा कर लिया तो लोगों ने पुराने और नए नियम को संकलित कर संपादित किया। परमेश्वर बाइबल के अनुसार कार्य नहीं करता, न ही वह इससे बँधा है। परमेश्वर अपनी प्रबंधन योजना और इंसान की आवश्यकताओं के अनुसार कार्य करता है। जब प्रभु यीशु कार्य करने आया, तो उसने पुराने नियम के अनुसार कार्य नहीं किया, बल्कि वह प्रायश्चित के मार्ग का प्रचार करते हुए उस समय के पवित्रशास्त्र से आगे निकल गया, उसने बीमारों को चंगा किया, दुष्टात्माओं को बहिष्कृत किया, लोगों को सत्तर गुणा सात बार क्षमा करने के लिए कहा, सब्त न रखने को कहा, आदि। अंत में छुटकारे के कार्य का समापन करते हुए, वह सलीब पर चढ़ गया। लेकिन इनमें से कुछ भी पुराने नियम में नहीं था। इनमें से कुछ बातें तो पुराने नियम की व्यवस्थाओं के विपरीत भी प्रतीत होती थीं। अगर हम पादरियों की बात मान लें कि ‘पवित्रशास्त्र के बाहर सब कुछ पाखंड है,’ तो क्या यह प्रभु यीशु के कार्य की निंदा करना नहीं है? परमेश्वर सृष्टिकर्ता है, सब कुछ उसी की प्रचुरता में समाया हुआ है। तो क्या यह सच हो सकता है कि वह केवल बाइबल में दर्ज सीमित कार्य ही कर सकता है? क्या यह सच है कि परमेश्वर नया कार्य नहीं कर सकता या बाइबल के बाहर नए वचन नहीं बोल सकता? क्या यह परमेश्वर को परिसीमित कर उसकी निन्दा करना नहीं है? फरीसियों ने पुराना नियम का प्रयोग कर प्रभु यीशु के कार्य की निंदा की, यह कहते हुए कि यह पवित्रशास्त्र के बाहर का है और पाखंड है। उन्होंने प्रभु द्वारा व्यक्त सत्यों का खंडन किया और उनकी निंदा की, अंततः मिलीभगत करके उसे सूली पर चढ़ा दिया, और वे परमेश्वर द्वारा शापित और दंडित हुए। अब सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने आकर इंसान को शुद्ध करने और बचाने वाले सत्य व्यक्त किए हैं। ये कलीसियाओं के लिए पवित्र आत्मा के वचन हैं, और यह परमेश्वर द्वारा अंत के दिनों में हमें अनंत जीवन का मार्ग देना है। अगर हम बाइबल को न सुनें, न पढ़ें, न खोजें, और बस आँख मूंदकर उससे चिपके रहें, अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य और वचनों का विरोध और निंदा करते रहें, तो क्या हम फरीसियों वाली गलती ही नहीं दोहरा रहे हैं? ऐसा करने से तो हम परमेश्वर के कार्य द्वारा त्याग दिए जाएँगे और हटा दिए जाएँगे!” उसकी यह संगति सुनकर मैं डर गई, और मुझे प्रभु यीशु की कही बात याद आयी : “जो कोई मनुष्य के पुत्र के विरोध में कोई बात कहे, उसका वह अपराध क्षमा किया जाएगा, परन्तु जो पवित्र आत्मा की निन्दा करे, उसका अपराध क्षमा नहीं किया जाएगा(लूका 12:10)। इस रोशनी में अपने बारे में सोचते हुए मैंने सोचा, “यदि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन वास्तव में परमेश्वर की ओर से हैं, तो वे पवित्र आत्मा के वचन हैं, और यदि मैं उसके कार्य और वचनों को पाखंड कहती हूँ, तो क्या यह पवित्र आत्मा की निन्दा करना नहीं है? इसका मतलब यह होगा कि मुझे न तो इस जीवन में और न ही आने वाली दुनिया में माफ किया जा सकेगा। मैं इसका विरोध और निंदा करना जारी नहीं रख सकती। मुझे इसकी खोज और जांच करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।”

फिर झोउ झेंग ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों के कुछ अंश पढ़े : “बहुत से लोग मानते हैं कि बाइबल को समझना और उसकी व्याख्या कर पाना सच्चे मार्ग की खोज करने के समान है—परन्तु वास्तव में, क्या बात इतनी सरल है? बाइबल की इस वास्तविकता को कोई नहीं जानता कि यह परमेश्वर के कार्य के ऐतिहासिक अभिलेख और उसके कार्य के पिछले दो चरणों की गवाही से बढ़कर और कुछ नहीं है, और इससे तुम्हें परमेश्वर के कार्य के लक्ष्यों की कोई समझ हासिल नहीं होती। बाइबल पढ़ने वाला हर व्यक्ति जानता है कि यह व्यवस्था के युग और अनुग्रह के युग के दौरान परमेश्वर के कार्य के दो चरणों को लिखित रूप में प्रस्तुत करता है। पुराने नियम सृष्टि के समय से लेकर व्यवस्था के युग के अंत तक इस्राएल के इतिहास और यहोवा के कार्य को लिपिबद्ध करता है। पृथ्वी पर यीशु के कार्य को, जो चार सुसमाचारों में है, और पौलुस के कार्य नए नियम में दर्ज किए गए हैं; क्या ये ऐतिहासिक अभिलेख नहीं हैं? अतीत की चीज़ों को आज सामने लाना उन्हें इतिहास बना देता है, और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे कितनी सच्ची और यथार्थ हैं, वे हैं तो इतिहास ही—और इतिहास वर्तमान को संबोधित नहीं कर सकता, क्योंकि परमेश्वर पीछे मुड़कर इतिहास नहीं देखता! तो यदि तुम केवल बाइबल को समझते हो और परमेश्वर आज जो कार्य करना चाहता है, उसके बारे में कुछ नहीं समझते और यदि तुम परमेश्वर में विश्वास करते हो, किन्तु पवित्र आत्मा के कार्य की खोज नहीं करते, तो तुम्हें पता ही नहीं कि परमेश्वर को खोजने का क्या अर्थ है। यदि तुम इस्राएल के इतिहास का अध्ययन करने के लिए, परमेश्वर द्वारा समस्त लोकों और पृथ्वी की सृष्टि के इतिहास की खोज करने के लिए बाइबल पढ़ते हो, तो तुम परमेश्वर पर विश्वास नहीं करते। किन्तु आज, चूँकि तुम परमेश्वर में विश्वास करते हो और जीवन का अनुसरण करते हो, चूँकि तुम परमेश्वर के ज्ञान का अनुसरण करते हो और मृत शब्दों और धर्म-सिद्धांतों या इतिहास की समझ का अनुसरण नहीं करते हो, इसलिए तुम्हें परमेश्वर के आज के इरादे खोजने चाहिए और पवित्र आत्मा के कार्य की दिशा की तलाश करनी चाहिए। यदि तुम पुरातत्ववेत्ता होते तो तुम बाइबल पढ़ सकते थे—लेकिन तुम नहीं हो, तुम उनमें से एक हो जो परमेश्वर में विश्वास करते हैं। अच्छा होगा तुम परमेश्वर के आज के इरादों की खोज करो(वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, बाइबल के विषय में (4))। “यीशु के समय में, यीशु ने अपने भीतर पवित्र आत्मा के कार्य के अनुसार यहूदियों की और उन सबकी अगुआई की थी, जिन्होंने उस समय उसका अनुसरण किया था। उसने जो कुछ किया, उसमें उसने बाइबल को आधार नहीं बनाया, बल्कि वह अपने कार्य के अनुसार बोला; उसने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया कि बाइबल क्या कहती है, और न ही उसने अपने अनुयायियों की अगुआई करने के लिए बाइबल में कोई मार्ग ढूँढ़ा। ठीक अपना कार्य आरंभ करने के समय से ही उसने पश्चात्ताप के मार्ग को फैलाया—एक ऐसा मार्ग, जिसका पुराने विधान की भविष्यवाणियों में बिल्कुल भी उल्लेख नहीं किया गया था। उसने न केवल बाइबल के अनुसार कार्य नहीं किया, बल्कि एक नए मार्ग की अगुआई भी की, और नया कार्य किया। उपदेश देते समय उसने कभी बाइबल का उल्लेख नहीं किया। व्यवस्था के युग के दौरान, बीमारों को चंगा करने और दुष्टात्माओं को निकालने के उसके चमत्कार करने में कभी कोई सक्षम नहीं हो पाया था। इसी तरह उसका कार्य, उसकी शिक्षाएँ, उसका अधिकार और उसके वचनों का सामर्थ्य भी व्यवस्था के युग में किसी भी मनुष्य से परे था। यीशु ने मात्र अपना नया काम किया, और भले ही बहुत-से लोगों ने बाइबल का उपयोग करते हुए उसकी निंदा की—और यहाँ तक कि उसे सलीब पर चढ़ाने के लिए पुराने विधान का उपयोग किया—फिर भी उसका कार्य पुराने विधान से आगे निकल गया; यदि ऐसा न होता, तो लोग उसे सलीब पर क्यों चढ़ाते? क्या यह इसलिए नहीं था, क्योंकि पुराने विधान में उसकी शिक्षाओं, और बीमारों को चंगा करने और दुष्टात्माओं को निकालने की उसकी योग्यता के बारे में कुछ नहीं कहा गया था? उसका कार्य एक नए मार्ग की अगुआई करने के लिए था, वह जानबूझकर बाइबल के विरुद्ध लड़ाई करने या जानबूझकर पुराने विधान को अनावश्यक बना देने के लिए नहीं था। वह केवल अपनी सेवकाई करने और उन लोगों के लिए नया कार्य लाने के लिए आया था, जो उसके लिए लालायित थे और उसे खोजते थे। ... लोगों को ऐसा प्रतीत हुआ, मानो उसके कार्य का कोई आधार नहीं था, और उसमें बहुत-कुछ ऐसा था, जो पुराने विधान के अभिलेखों से मेल नहीं खाता था। क्या यह मनुष्य की भ्रांति नहीं थी? क्या परमेश्वर के कार्य पर विनियमों को लागू किया जाना आवश्यक हैं? और क्या परमेश्वर के कार्य का नबियों के पूर्वकथनों के अनुसार होना आवश्यक है? आखिरकार कौन बड़ा है : परमेश्वर या बाइबल? परमेश्वर को बाइबल के अनुसार कार्य क्यों करना चाहिए? क्या ऐसा हो सकता है कि परमेश्वर को बाइबल से आगे निकलने का कोई अधिकार न हो? क्या परमेश्वर बाइबल से दूर नहीं जा सकता और अन्य काम नहीं कर सकता? यीशु और उनके शिष्यों ने सब्त का पालन क्यों नहीं किया? यदि उसे सब्त के प्रकाश में और पुराने विधान की आज्ञाओं के अनुसार अभ्यास करना था, तो आने के बाद यीशु ने सब्त का पालन क्यों नहीं किया, बल्कि इसके बजाय क्यों उसने पाँव धोए, सिर ढका, रोटी तोड़ी और दाखरस पीया? क्या यह सब पुराने विधान की आज्ञाओं में अनुपस्थित नहीं है? यदि यीशु पुराने विधान का सम्मान करता था, तो उसने इन विनियमों को क्यों तोड़ा? तुम्हें पता होना चाहिए कि पहले कौन आया, परमेश्वर या बाइबल! सब्त का प्रभु होते हुए, क्या वह बाइबल का भी प्रभु नहीं हो सकता?(वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, बाइबल के विषय में (1))। जब मैंने ये वचन सुने तो मुझे लगा कि वे सच में अधिकारयुक्त हैं। मैंने बरसों की अपनी आस्था में, विदेशी और चीनी दोनों ही याजक-वर्ग के बहुत से उपदेश सुने थे, अध्यात्म पर कुछ किताबें भी पढ़ीं थीं, लेकिन किसी को बाइबल की अंदरूनी कहानी को इतनी स्पष्टता और संपूर्णता से प्रकट करते नहीं देखा था। यह वास्तव में मेरे लिए प्रबुद्ध करने वाला था। मैंने मन ही मन सोचा, “यह सच है, बाइबल परमेश्वर के कार्य का केवल एक ऐतिहासिक अभिलेख है और यह उसके कार्य करने के बाद अस्तित्व में आई। लेकिन मैं तो परमेश्वर को बाइबल के दायरे तक ही सीमित रखती आई हूँ, यह सोचकर कि उसे बाइबल के बाहर कोई कार्य नहीं करना चाहिए, न ही नए वचन बोलने चाहिए। मैं कितनी मूर्ख हूँ! अब मैं देख रही हूँ कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन वास्तव में परमेश्वर से आए हैं, वे पवित्र आत्मा के वचन हैं और मुझे कुछ खोजने की जरूरत है, वरना मैं प्रभु का स्वागत करने का मौका गँवा दूँगी और मुझे पछतावा करने में बहुत देर हो जाएगी।” इसलिए मैंने तत्काल प्रभु से मेरा मार्गदर्शन करने की प्रार्थना की।

लेकिन मुझे अभी-भी थोड़ी उलझन थी। प्रभु यीशु ने स्पष्ट रूप से भविष्यवाणी की थी कि वह बादल पर सवार होकर लौटेगा और सबके सामने प्रकट होगा। लेकिन मैंने अभी भी ऐसा होते नहीं देखा था। उनका कहना था कि वह पहले ही लौट आया है और देह में रहकर नए वचन बोल रहा है। तो क्या प्रभु के देहधारी होकर दूसरे आगमन के बारे में बाइबल में कोई भविष्यवाणी है? मैंने झोउ झेंग से इस बारे में पूछा। उसने मुझे बताया, “प्रभु के बादल पर सबके सामने खुलकर आने के बारे में बाइबल में कुछ भविष्यवाणियाँ हैं, लेकिन उसके गुप्त रूप से, और देह में आने के बारे में भी बहुत-सी भविष्यवाणियाँ हैं। प्रभु यीशु ने कहा : ‘देख, मैं चोर के समान आता हूँ(प्रकाशितवाक्य 16:15)। ‘जैसे नूह के दिन थे, वैसा ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा(मत्ती 24:37)। ‘इसलिये तुम भी तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी के विषय में तुम सोचते भी नहीं हो, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा(मत्ती 24:44)। ‘क्योंकि जैसे बिजली आकाश के एक छोर से कौंध कर आकाश के दूसरे छोर तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन में प्रगट होगा। परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दुःख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ(लूका 17:24-25)। इन सभी पदों में मनुष्य के पुत्र के आने का उल्लेख है, और ‘मनुष्य का पुत्र’ का अर्थ सामान्य मानवता के साथ, हाड़-मांस से, एक व्यक्ति से उत्पन्न होना है। यदि वह लोगों के सामने आध्यात्मिक रूप में बादल पर आता, तो लोग उसे देखकर डर जाते और साष्टांग दंडवत करने के लिए दौड़ते। उसका विरोध करने या उसे नकारने का साहस कौन करता? क्या लौटने पर वह इतने कष्ट उठाता और क्या ये पीढ़ी उसे ठुकराती? बिल्कुल नहीं। इसलिए प्रभु यीशु ने भविष्यवाणी की थी कि वह दो अलग-अलग तरीकों से लौटेगा। पहला, वह सत्य व्यक्त करने और परमेश्वर के घर से शुरू होने वाला न्याय का कार्य करने, मनुष्य के पुत्र के रूप में गुप्त रूप से देह में आएगा, और आपदाओं से पहले विजेताओं का एक समूह बनाएगा। फिर आपदाओं के बाद, प्रभु बादल पर सवार आकर सबके सामने प्रकट होगा। अगर हम सिर्फ बादल पर प्रभु यीशु के आने की प्रतीक्षा करते रहें और उसके गुप्त रूप से देह में आने पर परमेश्वर के कार्य और वचनों को न स्वीकारें, तो प्रभु आसानी से हमें ठुकरा देगा!” उसकी संगति मेरे लिए आँखें खोलने वाली थी। आखिरकार मुझे एहसास हुआ कि मनुष्य के पुत्र का अर्थ देहधारी परमेश्वर ही है। मैंने बरसों बाइबल के उन पदों पर लोगों से ढेरों बातें की हैं कि प्रभु चोरों की तरह आएगा, वो सतर्क रहें, प्रार्थना करें और प्रभु की प्रतीक्षा करें, लेकिन मैंने यह नहीं समझा कि वो प्रभु के गुप्त रूप से आने की भविष्यवाणी कर रहे हैं।

इसके बाद मैंने झोउ झेंग से एक और प्रश्न पूछा। मैंने कहा, “प्रभु यीशु को मानवजाति के लिए पाप-बलि के रूप में सूली पर चढ़ाया गया था, और उसने हमारे सभी पाप ले लिए थे। प्रभु में विश्वासियों के रूप में, हमारे पाप क्षमा कर दिए गए हैं, तो प्रभु के लौटकर आने पर हमें सीधे ही स्वर्ग के राज्य में ले जाया जाना चाहिए। फिर परमेश्वर को उद्धार करने के लिए कार्य का दूसरा चरण करने की क्या जरूरत?” जवाब में उसने उलटे मुझसे ही पूछ लिया, “तुम कहती हो कि विश्वासियों के पाप क्षमा कर दिए जाने से वे राज्य में प्रवेश कर सकते हैं, लेकिन क्या प्रभु के वचनों में इसका कोई आधार है? उसने सिर्फ हमारे पाप क्षमा किए हैं, लेकिन उसने ऐसा कभी नहीं कहा कि पाप क्षमा के कारण हम राज्य में प्रवेश कर सकते हैं। यह सिर्फ एक इंसानी धारणा और कल्पना है। हमारे पापों को क्षमा किये जाने का अर्थ केवल यही है कि अब वह हमें पापी नहीं मानता, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम पाप-मुक्त हैं। इसका यह अर्थ तो बिल्कुल नहीं है कि हम शुद्ध हैं, अब हम पाप नहीं करते या परमेश्वर का विरोध नहीं करते। अब राज्य में कौन प्रवेश कर सकता है, इस बारे में प्रभु यीशु ने स्पष्ट रूप से कहा है : ‘हर वो व्यक्ति जिसने मुझ प्रभु को प्रभु कहा, स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं करेगा; बल्कि वो करेगा जो स्वर्ग में रहने वाले मेरे पिता की इच्छा के अनुसार चलता है। उस दिन बहुत से लोग मुझ से कहेंगे, “हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हम ने तेरे नाम से भविष्यद्वाणी नहीं की, और तेरे नाम से दुष्‍टात्माओं को नहीं निकाला, और तेरे नाम से बहुत से आश्‍चर्यकर्म नहीं किए?” तब मैं उनसे खुलकर कह दूँगा, “मैं ने तुम को कभी नहीं जाना। हे कुकर्म करनेवालो, मेरे पास से चले जाओ”(मत्ती 7:21-23)। क्या प्रभु के नाम पर भविष्यवाणी करके दुष्टात्माओं को निकालने वाले लोगों के पाप क्षमा नहीं हुए? तो प्रभु क्यों कहेगा कि वह उन्हें नहीं जानता, और उन्हें कुकर्मी कहकर ठुकराएगा? ये वचन बताते हैं कि पाप में जीने वाले सारे लोग, फिर भले ही वो प्रभु के नाम पर काम करते हों और खुद को खपाते हों, अन्ततः निंदित किए जाएँगे और वे परमेश्वर के राज्य के अयोग्य हैं।” फिर, मेरे प्रश्न के उत्तर में झोउ झेंग ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कुछ वचन पढ़े : “तुम लोगों जैसा पापी, जिसे परमेश्वर के द्वारा अभी-अभी छुड़ाया गया है, और जो परिवर्तित नहीं किया गया है, या पूर्ण नहीं बनाया गया है, क्या तुम परमेश्वर के इरादों के अनुरूप हो सकते हो? तुम्हारे लिए, तुम जो कि अभी भी अपने पुराने स्वरूप वाले हो, यह सत्य है कि तुम्हें यीशु के द्वारा बचाया गया था, और परमेश्वर के उद्धार की वजह से तुम पापी नहीं हो, परन्तु इससे यह साबित नहीं होता है कि तुम पापपूर्ण नहीं हो, और अशुद्ध नहीं हो। यदि तुम्हें बदला नहीं गया तो तुम पवित्र कैसे हो सकते हो? भीतर से, तुम अशुद्धता से घिरे हुए हो, स्वार्थी और कुटिल हो, मगर तब भी तुम यीशु के साथ अवतरण चाहते हो—क्या तुम इतने भाग्यशाली हो सकते हो? तुम परमेश्वर पर अपने विश्वास में एक कदम चूक गए हो : तुम्हें मात्र छुटकारा दिया गया है, परन्तु परिवर्तित नहीं किया गया है। तुम्हें परमेश्वर के इरादों के अनुरूप होने के लिए, परमेश्वर को व्यक्तिगत रूप से तुम्हें परिवर्तित और शुद्ध करने का कार्य करना होगा; वरना तुम पवित्रता को प्राप्त करने में असमर्थ होगे, क्योंकि तुम केवल छुटकारा पा चुके होगे। इस तरह से तुम परमेश्वर के आशीषों में साझेदारी के अयोग्य होंगे, क्योंकि तुमने मनुष्य का प्रबंधन करने के परमेश्वर के कार्य के एक कदम का सुअवसर खो दिया है, जो कि परिवर्तित करने और सिद्ध बनाने का मुख्य कदम है। और इसलिए तुम, एक पापी जिसे अभी-अभी छुटकारा दिया गया है, परमेश्वर की विरासत को सीधे तौर पर उत्तराधिकार के रूप में पाने में असमर्थ हो(वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, पदवियों और पहचान के सम्बन्ध में)। “यद्यपि यीशु मनुष्यों के बीच आया और अधिकतर कार्य किया, फिर भी उसने केवल समस्त मानवजाति के छुटकारे का कार्य ही पूरा किया और वह मनुष्य की पाप-बलि के रूप में सेवा की; उसने मनुष्य को उसके समस्त भ्रष्ट स्वभाव से छुटकारा नहीं दिलाया। मनुष्य को शैतान के प्रभाव से पूरी तरह से बचाने के लिए यीशु को न केवल पाप-बलि बनने और मनुष्य के पाप वहन करने की आवश्यकता थी, बल्कि मनुष्य को उसके शैतान द्वारा भ्रष्ट किए गए स्वभाव से मुक्त करने के लिए परमेश्वर को और भी बड़ा कार्य करने की आवश्यकता थी। और इसलिए, मनुष्य को उसके पापों के लिए क्षमा कर दिए जाने के बाद, परमेश्वर मनुष्य को नए युग में ले जाने के लिए देह में वापस आ गया, और उसने ताड़ना एवं न्याय का कार्य आरंभ कर दिया। यह कार्य मनुष्य को एक उच्चतर क्षेत्र में ले गया है। वे सब, जो परमेश्वर के प्रभुत्व के अधीन समर्पण करेंगे, उच्चतर सत्य का आनंद लेंगे और अधिक बड़े आशीष प्राप्त करेंगे। वे वास्तव में ज्योति में निवास करेंगे और सत्य, मार्ग और जीवन प्राप्त करेंगे(वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, प्रस्तावना)। “मनुष्य को छुटकारा दिए जाने से पहले शैतान के बहुत-से ज़हर उसमें पहले ही डाल दिए गए थे, और हजारों वर्षों तक शैतान द्वारा भ्रष्ट किए जाने के बाद मनुष्य के भीतर ऐसी प्रकृति है, जो परमेश्वर का विरोध करती है। इसलिए, जब मनुष्य को छुटकारा दिलाया गया है, तो यह छुटकारे के उस मामले से बढ़कर कुछ नहीं है, जिसमें मनुष्य को एक ऊँची कीमत पर खरीदा गया है, किंतु उसके भीतर की विषैली प्रकृति समाप्त नहीं की गई है। मनुष्य को, जो कि इतना अशुद्ध है, परमेश्वर की सेवा करने के योग्य होने से पहले एक परिवर्तन से होकर गुज़रना चाहिए। न्याय और ताड़ना के इस कार्य के माध्यम से मनुष्य अपने भीतर के गंदे और भ्रष्ट सार को पूरी तरह से जान जाएगा, और वह पूरी तरह से बदलने और स्वच्छ होने में समर्थ हो जाएगा। केवल इसी तरीके से मनुष्य परमेश्वर के सिंहासन के सामने वापस लौटने के योग्य हो सकता है। आज किया जाने वाला समस्त कार्य इसलिए है, ताकि मनुष्य को स्वच्छ और परिवर्तित किया जा सके; वचन के द्वारा न्याय और ताड़ना के माध्यम से, और साथ ही शुद्धिकरण के माध्यम से भी, मनुष्य अपनी भ्रष्टता दूर कर सकता है और शुद्ध बनाया जा सकता है। इस चरण के कार्य को उद्धार का कार्य मानने के बजाय यह कहना कहीं अधिक उचित होगा कि यह शुद्धिकरण का कार्य है। वास्तव में यह चरण विजय का और साथ ही उद्धार के कार्य का दूसरा चरण है(वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, देहधारण का रहस्य (4))। फिर उसने संगति की, “हम बहुत समय से विश्वासी हैं तो एक बात हमें स्पष्ट है। विश्वास पाने के बाद, अगर हम पाप करके प्रभु के सामने उन्हें स्वीकारते और प्रायश्चित करते हैं तो हमें क्षमा किया जा सकता है। लेकिन हम इस बात को नकार नहीं सकते कि हम हर समय झूठ बोलने और पाप करने से खुद को रोक नहीं पाते हैं। हम दिनभर पाप करने और रात को उन्हें स्वीकारने के कुचक्र में जीते हैं और हम पाप के इन बंधनों से बच नहीं सकते। क्योंकि प्रभु यीशु ने केवल छुटकारे का काम किया है, लेकिन अंत के दिनों का न्याय और शुद्धिकरण का काम नहीं किया, हमारे पाप क्षमा हो गए, पर हमारी पापी प्रकृति अब भी मौजूद है। हमारी शैतानी प्रकृति और स्वभाव दूर नहीं हुए हैं, हम लोगों में पाप से भी ज्यादा ये चीजें समाई हुई हैं। यही चीजें हमारे पाप और परमेश्वर के विरोध की जड़ हैं।” झोउ झेंग ने कुछ उदाहरण भी दिए, उसने कहा, “हम अभिमानी, धोखेबाज और दुष्ट हैं, और इन्हीं शैतानी स्वभावों के अनुसार जीते हैं, हमेशा झूठ बोलते हैं, धोखा देते हैं, और दिखावा करते हैं। नाम और दौलत के लिए लड़ते हैं, और हम ईर्ष्यालु और घिनौने हैं। आपदाएँ आने पर या हमारे घर में कोई समस्या होने पर, हम परमेश्वर को गलत समझकर उसे दोष देते हैं, कभी-कभी तो उसे नकारते और धोखा भी देते हैं। खासकर जब परमेश्वर का कार्य हमारी धारणाओं के अनुरूप नहीं होता, तो हम जानबूझकर परमेश्वर का विरोध और निंदा करते हैं। अब चूँकि प्रभु यीशु देह में लौट आया है और अंत के दिनों का न्याय कार्य करते हुए सत्य व्यक्त कर रहा है, तो बहुत से पुराने विश्वासी अपनी धारणाओं और कल्पनाओं के अनुसार उसका परिसीमन कर रहे हैं, कह रहे हैं कि वह बाइबल के बाहर नए वचन नहीं बोलेगा या देहधारी होकर कार्य करने नहीं आएगा। उन्हें न तो परमेश्वर का कार्य खोजने में कोई दिलचस्पी है, न ही उसके प्रति समर्पण करने में, और उनमें परमेश्वर का भय मानने वाला दिल बिल्कुल भी नहीं है। इसके बजाय, उनका काम सिर्फ विरोध और निंदा करना है, अड़ियल और अहंकारी बनकर परमेश्वर के विरुद्ध जाना है। परमेश्वर पवित्र है, तो वह अपना विरोध करने वाले शैतान के लोगों को अपने राज्य में कैसे आने दे सकता है? इसलिए, मानवजाति की जरूरतों के आधार पर, प्रभु यीशु के छुटकारे के कार्य की नींव पर हमें पाप से मुक्त करने के लिए परमेश्वर कार्य का एक चरण संपादित कर रहा है, हमारा न्याय करने और भ्रष्ट स्वभाव दूर करने के लिए सत्य व्यक्त कर रहा है। राज्य के युग में, सर्वशक्तिमान परमेश्वर इंसान को शुद्ध कर बचाने वाले सत्य व्यक्त कर रहा है, उसने अपनी प्रबंधन योजना के सभी रहस्य प्रकट कर दिए हैं, जैसे उसकी छह हजार वर्षीय प्रबंधन योजना के उद्देश्य, कार्य के तीन चरणों की आंतरिक कहानी, देहधारण के रहस्य, बाइबल संबंधी सत्य और लोगों के भविष्य के गंतव्य। उसने इंसान की भ्रष्टता की सच्चाई, हमारे पाप और परमेश्वर के प्रति हमारे विरोध के मूल को भी उजागर किया है, वह हमें अपना स्वभाव बदलने और पश्चाताप करने का मार्ग भी दिखा रहा है। इससे प्रभु यीशु की यह भविष्यवाणी पूरी होती है : ‘मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा(यूहन्ना 16:12-13)। सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने हमारी पापी प्रकृति को दूर करने के लिए ये सत्य व्यक्त किए हैं। वे सभी जो उसके वचनों का न्याय स्वीकार कर सकते हैं और शुद्ध किए जा सकते हैं, उन्हें परमेश्वर आपदाओं से बचाएगा और वो उसके राज्य में प्रवेश कररेंगे।”

झोउ झेंग की संगति के बाद मुझे यह बात और अच्छी तरह समझ आई। अनुग्रह के युग में प्रभु यीशु ने केवल छुटकारे का कार्य करके इंसान को पाप-मुक्त किया। अंत के दिनों के राज्य का युग वो है जब सर्वशक्तिमान परमेश्वर अपने न्याय के कार्य के लिए सत्य व्यक्त करता है, यही हमारी पापी प्रकृति को भी दूर करेगा, हमें पाप से बचाकर हमें शुद्ध करेगा। मैंने विचार किया कि बरसों एक विश्वासी रहने के बाद भी मैं किस तरह पाप की जंजीरों में जकड़ी हुई हूँ। खासकर हाल के वर्षों में, मैं किसी अविश्वासी की तरह और भ्रष्ट हो गई थी। टीवी और फिल्में देखती थी, ताश खेलना सीख गई थी। मैं पाप के पाश में जी रही थी और खुद को इससे बाहर नहीं निकाल पा रही थी। मैंने देखा कि मैं परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने के कतई योग्य नहीं थी। पाप में जीने के वो दिन सच में पीड़ादायी थे, और निकलने का कोई रास्ता नहीं सूझता था। आखिरकार समझ आया कि मुझे अंत के दिनों के परमेश्वर के न्याय के कार्य को स्वीकारना होगा ताकि पाप के बंधन से मुक्त होकर शुद्ध हो जाऊँ और बचाई जा सकूँ। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन हमारे पाप के मूल को स्पष्ट रूप से उजागर करते हैं और परमेश्वर के कार्य की आंतरिक कहानी दिखाते हैं, शुद्ध होने और राज्य में प्रवेश करने का मार्ग प्रकट करते हैं। केवल परमेश्वर ही अपने कार्य को इतने स्पष्ट रूप से समझा सकता है और केवल परमेश्वर ही मानवजाति को पाप के बंधनों से बचा सकता है। मुझे और भी यकीन हो गया कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन सत्य हैं और परमेश्वर की वाणी हैं।

अगले कुछ दिन तक मैं बेसब्री से परमेश्वर के वचन आत्मसात करती रही, मुझे यकीन हो गया कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही लौटकर आया प्रभु यीशु है। प्रभु के आगमन पर उसका स्वागत करने में सक्षम होना मेरे लिए सचमुच उत्साहवर्धक था, लेकिन साथ ही मेरे अंदर पछतावा भी बहुत था। मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि जिस सर्वशक्तिमान परमेश्वर की मैं बरसों तक निंदा और विरोध करती रही दरअसल वही प्रभु यीशु था जिसके लिए मैं तड़प रही थी, और जिस “वचन देह में प्रकट होता है” की मैं निंदा करती थी, वो परमेश्वर का वचन है। मुझे खुद से नफरत थी कि मैं कितनी मूर्ख और अंधी थी और प्रकाश को देखने में मुझे इतना समय लगा। मैं “वचन देह में प्रकट होता है” को सीने से लगाए सिसक पड़ी। मैं प्रभु पर विश्वास तो करती रही लेकिन उसे जानती नहीं थी, मैं अहंकारी और विद्रोही थी और अपनी धारणाओं और कल्पनाओं के कारण मैं उसे परिसीमित करती रही, और मैंने विश्वास नहीं किया कि परमेश्वर कार्य करने के लिए देह में लौटेगा। सबसे खराब बात तो यह थी, मैंने ईशनिंदा करने वाली सामग्री से भाई-बहनों को गुमराह किया, उन्हें परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को जाँचने से रोका। मैंने जो भी चीजें की उनके आधार पर तो मैं सचमुच परमेश्वर के श्राप की भागी थी। लेकिन, परमेश्वर ने मुझ पर दया की और उसने मुझे अपनी वाणी सुनने और अंत के दिनों का उद्धार प्राप्त करने की अनुमति दी। उसके प्रेम की कोई सीमा नहीं!

उसके बाद मैं उन भाई-बहनों के साथ नियमित सभाएँ करने लगी। सभी लोग भजन गाते थे, परमेश्वर की स्तुति करते थे और उसके वचनों पर संगति करते थे। उस प्रकार के कलीसियाई जीवन से मैं पवित्र आत्मा के कार्य से प्राप्त होने वाला आनंद खोज पाई, और प्रभु की उपस्थिति से प्राप्त होने वाले सुकून का आनंद ले पाई। मुझे याद है एक बार मैंने परमेश्वर के वचनों का एक अंश पढ़ा जिसने सचमुच मुझे बहुत प्रभावित किया : “इस बार परमेश्वर कार्य करने के लिए आध्यात्मिक देह में नहीं, बल्कि बहुत ही साधारण शरीर में आया है। इसके अलावा, यह न केवल परमेश्वर के दूसरे देहधारण का शरीर है, बल्कि यह वह शरीर भी है, जिसके द्वारा वह देह में लौटकर आया है। यह एक बिल्कुल साधारण देह है। तुम ऐसा कुछ नहीं देख सकते, जो इसे दूसरों से अलग करता हो, लेकिन तुम उससे पूर्व में अनसुने सत्य प्राप्त कर सकते हो। यह तुच्छ देह परमेश्वर से आए सत्य के समस्त वचनों का मूर्त रूप है, जो अंत के दिनों में परमेश्वर का काम करता है, और मनुष्य के समझने के लिए परमेश्वर के संपूर्ण स्वभाव को अभिव्यक्त करता है। क्या तुम स्वर्ग के परमेश्वर को देखने की प्रबल अभिलाषा नहीं करते? क्या तुम स्वर्ग के परमेश्वर को समझने की प्रबल अभिलाषा नहीं करते? क्या तुम मानवजाति का गंतव्य जानने की प्रबल अभिलाषा नहीं करते? वह तुम्हें ये सभी रहस्य बताएगा—वे रहस्य, जो कोई मनुष्य तुम्हें नहीं बता पाया है, और वह तुम्हें वे सत्य भी बताएगा, जिन्हें तुम नहीं समझते। वह राज्य में जाने का तुम्हारा द्वार है, और नए युग में जाने के लिए तुम्हारा मार्गदर्शक है। ऐसा साधारण देह अनेक अथाह रहस्य समेटे हुए है। उसके कर्म तुम्हारे लिए गूढ़ हो सकते हैं, लेकिन उसके द्वारा किए जाने वाले कार्य का संपूर्ण लक्ष्य तुम्हें इतना समझाने के लिए पर्याप्त है कि वह कोई साधारण देह नहीं है, जैसा कि लोग मानते हैं। क्योंकि वह परमेश्वर के इरादों और अंत के दिनों में मानवजाति के प्रति परमेश्वर द्वारा दिखाई गई परवाह को दर्शाता है। यद्यपि तुम उसके द्वारा बोले गए उन वचनों को नहीं सुन सकते जो आकाश और पृथ्वी को कँपाते-से लगते हैं, यद्यपि तुम आग की लपटों जैसी उसकी आँखें नहीं देख सकते, और यद्यपि तुम उसके लौह-दंड का अनुशासन नहीं पा सकते, फिर भी तुम उसके वचनों से यह सुन सकते हो कि परमेश्वर कुपित है, और यह जान सकते हो कि परमेश्वर मानवजाति पर दया दिखा रहा है; तुम परमेश्वर का धार्मिक स्वभाव और उसकी बुद्धि देख सकते हो, और इतना ही नहीं, समस्त मानवजाति के लिए परमेश्वर की परवाह महसूस कर सकते हो। अंत के दिनों में परमेश्वर के काम का उद्देश्य स्वर्ग के परमेश्वर को मनुष्यों के बीच पृथ्वी पर रहते हुए दिखाना और उन्हें परमेश्वर को जानने, उसके प्रति समर्पण करने, उसका भय मानने और उससे प्रेम करने में सक्षम बनाना है। यही कारण है कि वह दूसरी बार देह में लौटकर आया है। यद्यपि आज मनुष्य देखता है कि परमेश्वर मनुष्य के ही समान है, उसकी एक नाक और दो आँखें हैं और वह एक साधारण परमेश्वर है, लेकिन अंत में परमेश्वर तुम लोगों को दिखाएगा कि अगर यह मनुष्य नहीं होता तो स्वर्ग और पृथ्वी एक जबरदस्त बदलाव से गुजरते; अगर यह मनुष्य नहीं होता तो स्वर्ग धुँधला जाता, पृथ्वी पर उथल-पुथल मच जाती, और समस्त मानवजाति अकाल और महामारियों के बीच जीती। वह तुम लोगों को दिखाएगा कि यदि अंत के दिनों में देहधारी परमेश्वर तुम लोगों को बचाने के लिए न आया होता, तो परमेश्वर ने समस्त मानवजाति को बहुत पहले ही नरक में नष्ट कर दिया होता; यदि यह देह नहीं होता तो तुम लोग सदैव कट्टर पापी होते, और तुम हमेशा के लिए लाश बन जाते। तुम लोगों को यह जानना चाहिए कि यदि यह देह न होता, तो समस्त मानवजाति को एक अनिवार्य आपदा का सामना करना पड़ता, और अंत के दिनों में मानवजाति का परमेश्वर द्वारा दिए जाने वाले और भी कठोर दंड से बच पाना कठिन होता। यदि इस साधारण देह का जन्म न हुआ होता, तो तुम सबकी ऐसी हालत होती कि तुम लोग जीवन की भीख माँगते लेकिन जी न पाते और मरने की प्रार्थना करते लेकिन मर न पाते; यदि यह देह न होता, तो तुम लोग सत्य प्राप्त न कर पाते और आज परमेश्वर के सिंहासन के सामने न आ पाते, बल्कि अपने जघन्य पापों के लिए परमेश्वर द्वारा दंडित किए जाते। क्या तुम लोग जानते थे कि यदि परमेश्वर वापस देह में लौटा न होता, तो किसी को भी उद्धार का अवसर न मिलता; और यदि इस देह का आगमन न होता, तो परमेश्वर ने बहुत पहले ही पुराने युग को समाप्त कर दिया होता? ऐसा होने से, क्या तुम लोग अभी भी परमेश्वर के दूसरे देहधारण को नकार सकते हो? जब तुम लोग इस साधारण मनुष्य से इतने सारे लाभ प्राप्त कर सकते हो, तो तुम लोग उसे प्रसन्नतापर्वूक स्वीकार क्यों नहीं करोगे?(वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, क्या तुम जानते थे? परमेश्वर ने मनुष्यों के बीच एक महान काम किया है)। इस भाग को पढ़ना विशेष रूप से भावुक करने वाला था : “यदि इस साधारण देह का जन्म न हुआ होता, तो तुम सबकी ऐसी हालत होती कि तुम लोग जीवन की भीख माँगते लेकिन जी न पाते और मरने की प्रार्थना करते लेकिन मर न पाते; यदि यह देह न होता, तो तुम लोग सत्य प्राप्त न कर पाते और आज परमेश्वर के सिंहासन के सामने न आ पाते, बल्कि अपने जघन्य पापों के लिए परमेश्वर द्वारा दंडित किए जाते।” मैंने उन दिनों को याद किया जब मैं प्रभु से वंचित थी। कलीसिया सूनी हो गयी थी और भाई-बहनों का विश्वास कम हो रहा था। सहकर्मियों को समझ नहीं आ रहा था कि वे किस विषय पर उपदेश दें, और ईर्ष्या और अंतर्कलह का बोलबाला था। हर कोई पाप में जी रहा था और खुद को इससे मुक्त नहीं कर पा रहा था, और सब चलती-फिरती लाशों का तरह जी रहे थे। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों ने मुझे फिर से जीवित कर दिया, और परमेश्वर के निकट होने का आनन्द पुनः प्रदान किया। मैंने परमेश्वर के कार्य की एक बुनियादी समझ भी प्राप्त की। अगर परमेश्वर ने देहधारण कर वचन न बोले होते, बाइबल और अपने देहधारण के रहस्य उजागर न किए होते, तो मैं अभी भी अपनी धारणाओं और कल्पनाओं पर अड़ी रहती। क्या पता मैंने परमेश्वर के विरुद्ध कितनी दुष्टता कर डाली होती। परमेश्वर का देहधारण हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण रहा है!

जब मैं उन बीते पाँच सालों के बारे में सोचती हूँ, उस दौरान इतने सारे भाई-बहनों ने संगति साझा की और मुझसे खोजने का आग्रह किया, लेकिन मैं उनकी बात अनसुनी करती रही। मैंने खोज या जाँच करने को तो नकारा ही, उसका विरोध और निंदा भी की। मैंने औरों को भी गुमराह किया और उनके लिए बाधा खड़ी की, जिससे उन्होंने प्रभु का स्वागत करने का मौका गँवा दिया। क्या मैं विश्वासी कहलाने लायक भी हूँ? क्या मैं फरीसियों की तरह प्रभु का विरोध नहीं कर रही थी, उसे फिर से सूली पर नहीं चढ़ा रही थी? एक विश्वासी के रूप में मैंने बरसों प्रभु के अनुग्रह का आनंद उठाया, लेकिन जब प्रभु लौट आया, तो मैंने उसे नहीं पहचाना। पूरे पांच साल पागलों की तरह उसका विरोध करती रही। पाँच साल तक मैंने अक्षम्य अपराध किए। मैं बहुत विद्रोही हूँ। जब मैंने अपने सारे पापों के बारे में सोचा, और परमेश्वर की दया और सहनशीलता को देखा, तो लगा कहाँ मुँह छिपाऊँ और परमेश्वर का सामना कैसे करूँ। मैंने परमेश्वर के वचनों की पुस्तक ली, घुटने टेके और रोते हुए प्रार्थना की। मैंने कहा, “सर्वशक्तिमान परमेश्वर! मेरे इतने विद्रोही और उद्दंड होने के बावजूद तूने मुझ पर कभी प्रहार नहीं किया। तूने मुझे पश्चात्ताप करने का मौका दिया। मुझे सचमुच समझ नहीं आता तेरी दया का प्रतिदान कैसे करूँ। सर्वशक्तिमान परमेश्वर, मैं और कुछ नहीं चाहती सिवाय इसके कि मैं अपना शेष जीवन तेरा प्रेम चुकाने में खपाऊँ, उन लोगों को तेरे सामने लाने में लगाऊँ जिन्हें मैंने तुझसे दूर रखा, जो अब तक तेरे सामने नहीं आए हैं, उन्हें तेरे घर में वापस ले आऊँ, तुझे थोड़ा सुख दूँ।” इसके बाद, मैंने सक्रिय रूप से सुसमाचार का प्रचार किया, और एक महीने के भीतर 30 से अधिक भाई-बहनों ने अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य को स्वीकार कर लिया।

जब भी मैं उस बीते समय को याद करती हूँ जब मैंने परमेश्वर का विरोध किया था, मुझे बहुत पीड़ा होती है, जैसे मेरे दिल में चाकू चुभ गया हो, खासकर जब मैं इन वचनों को पढ़ती हूँ : “ऐसे भी लोग हैं जो बड़ी-बड़ी कलीसियाओं में दिन-भर बाइबल पढ़ते और याद करके सुनाते रहते हैं, फिर भी उनमें से एक भी ऐसा नहीं होता जो परमेश्वर के कार्य के उद्देश्य को समझता हो। उनमें से एक भी ऐसा नहीं होता जो परमेश्वर को जान पाता हो; उनमें से परमेश्वर के इरादों के अनुरूप तो एक भी नहीं होता। वे सबके सब निकम्मे और अधम लोग हैं, जिनमें से प्रत्येक परमेश्वर को सिखाने के लिए ऊँचे पायदान पर खड़ा रहता है। वे लोग परमेश्वर के नाम का झंडा उठाकर, जानबूझकर उसका विरोध करते हैं। वे परमेश्वर में विश्वास रखने का दावा करते हैं, फिर भी मनुष्यों का माँस खाते और रक्त पीते हैं। ऐसे सभी मनुष्य शैतान हैं जो मनुष्यों की आत्माओं को निगल जाते हैं, ऐसे मुख्य राक्षस हैं जो जानबूझकर उन्हें परेशान करते हैं जो सही मार्ग पर कदम बढ़ाने का प्रयास करते हैं और ऐसी बाधाएँ हैं जो परमेश्वर को खोजने वालों के मार्ग में रुकावट पैदा करते हैं। वे ‘मज़बूत देह’ वाले दिख सकते हैं, किंतु उसके अनुयायियों को कैसे पता चलेगा कि वे मसीह-विरोधी हैं जो लोगों से परमेश्वर का विरोध करवाते हैं? अनुयायी कैसे जानेंगे कि वे जीवित शैतान हैं जो इंसानी आत्माओं को निगलने को समर्पित हुए बैठे हैं?(वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर को न जानने वाले सभी लोग परमेश्वर का विरोध करते हैं)। परमेश्वर के वचन मेरा एकदम सही वर्णन करते हैं। मैं भाई-बहनों को परमेश्वर के सामने आने के बजाय, बाइबल के शब्दों का शब्दशः पालन करने और धारणाओं से चिपके रहने के लिए प्रेरित कर रही थी। मैंने अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य का विरोध और बाइबल का उत्कर्ष किया। मुझसे गुमराह हुए भाई-बहन तर्कहीन बनकर बाइबल के शब्दों से चिपके हुए थे और उन्होंने अंत के दिनों के परमेश्वर के कार्य को स्वीकारने की हिम्मत नहीं की। मैंने उनका बहुत नुकसान किया, उन पर तबाही ले आई। फरीसियों ने पवित्रशास्त्र से चिपके रहकर प्रभु को सूली पर चढ़ाने का जघन्य पाप किया था। मैंने भी सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की निंदा करते हुए, बाइबल से चिपके रहकर, परमेश्वर को फिर से सूली पर चढ़ा दिया था। मैं आधुनिक फरीसी की भूमिका निभा रही थी। सौ बार मरकर भी मैं अपने पापों की भरपाई नहीं कर सकती। अब मैं केवल यही चाहती हूँ कि जी-जान से सत्य की खोज करूँ, अपना कर्तव्य निभाऊँ और सुसमाचार साझा करूँ ताकि परमेश्वर का ऋण चुका सकूँ।

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