शैतान की परीक्षा में जीत हासिल करना
मेरा नाम डेविड है, मैं एक ईसाई परिवार में पैदा हुआ था। बचपन से ही माता-पिता के साथ प्रभु में विश्वास करता था। बड़ा होकर, मैं युवा संगति सचिव और पादरी के लिए एक दुभाषिए के तौर पर काम किया। मैंने गायन-मंडली और कई अन्य प्रकार के सेवाकार्य भी किए। लेकिन बाद में मुझे एहसास हुआ कि हालाँकि हमारी कलीसिया गतिशील दिखती है, लेकिन किसी में भी आध्यात्मिकता का भाव नहीं है। पादरी और एल्डर के उपदेश खोखले थे, कोई नया प्रबोधन नहीं था और किसी को पोषण नहीं मिलता था। बहुत से लोग विश्वास खो चुके थे और धर्मोपदेश के दौरान ऊँघते थे। कुछ लोग कलीसिया में सामान बेचने को लाते, तो कुछ धर्मनिरपेक्ष चीजों के बारे में बात करते थे। कलीसिया में पाने के लिए कोई पोषण नहीं था। मैं ऑनलाइन ईसाई वीडियो खोजता रहता था।
जनवरी 2019 में, मैं हमेशा की तरह यूट्यूब पर वीडियो ढूँढ़ रहा था कि तभी मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की एक फिल्म, तड़प की क्लिप देखी, जिसका नाम था तो इस तरह लौटते हैं प्रभु। मैं रोमांचित हो गया : क्या वीडियो यह बता रही है कि प्रभु यीशु वापस आ गया है? मैंने तुरंत उस पर क्लिक किया। वीडियो से मुझे पता चला कि अंत के दिनों में प्रभु यीशु के लौटने के दो तरीके हैं। पहले, वह मनुष्य के पुत्र के रूप में देहधारण कर गुप्त रूप से आता है और फिर वह बादल पर खुले तौर पर प्रकट होता है। वीडियो यह भी गवाही दे रही थी कि प्रभु यीशु पहले ही वापस आ चुका है, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के रूप में देहधारण कर चुका है। मैं प्रभु की वापसी की बात सुनकर रोमांचित था और उत्सुक भी। मुझे उनकी संगति ज्ञानवर्धक लगी और इच्छा हुई कि उस बारे में और जानूँ। उसके बाद मैंने कुछ और फिल्में देखीं, जैसे परमेश्वर में आस्था, उद्धार, महाअज्ञान और तोड़ डालो अफ़वाहों की ज़ंजीरें। हाँ, मेरी आंखें खुल गईं। सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की फिल्में देखकर, पता चला कि हमारी कलीसिया इतनी उजाड़ क्यों है। मुझे सत्य के बहुत से पहलू भी समझ आए, जैसे, सच्चा विश्वास क्या होता है, किस प्रकार का व्यक्ति स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकता है, अंत के दिनों में, सर्वशक्तिमान परमेश्वर अपने वचनों के न्याय से मनुष्य को शुद्ध कर बचाता है। ये सारे रहस्य और सत्य मैंने पहले कभी नहीं सुने थे, इनसे मुझे पोषण मिला। मुझे ये फिल्में अच्छी लगीं—इनसे मुझे बहुत मदद मिली। इन फिल्मों में मैंने गौर किया कि वे वचन देह में प्रकट होता है पुस्तक पढ़ रहे थे, मैं उस पुस्तक को ऑनलाइन खोजने लगा। तब सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का ऐप मिला, उसे डाउनलोड कर मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के बहुत से वचन पढ़े। उसके वचनों में अधिकार है, पढ़-पढ़कर यकीन हो गया कि वे परमेश्वर के ही वचन हैं, वह वाकई परमेश्वर की वाणी है, यकीनन सत्य की अभिव्यक्ति है। ये सुखद आश्चर्य था, ऐप के जरिए मैंने तुरंत सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया से संपर्क किया। कुछ ही दिनों में सभाओं में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन पढ़कर और भाई-बहनों की संगति और गवाही सुनकर, मुझे विश्वास हो गया कि प्रभु यीशु लौट आया है और सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही प्रभु यीशु की वापसी है। प्रभु सचमुच वापस आ गया है! मैं खुश था, रोमाँचित था, लगा जैसे मैं धन्य हो गया। अब मुझे बस यही करना था, सब जगह उसके वापस आने की घोषणा करनी थी, ताकि सभी विश्वासी उस अद्भुत समाचार को जान लें। मैंने सोचा, हमारा याजक-वर्ग अक्सर हमें प्रभु की वापसी पर नजर रखने और प्रतीक्षा करने को कहता है, प्रभु यीशु की वापसी का समाचार सुनकर तो वे रोमाँचित हो जाएँगे। मैं शीघ्र ही उन्हें सुसमाचार सुनाना चाहता था ताकि वे प्रभु की वाणी सुनकर तुरंत उसका स्वागत कर सकें। पहले मुझे कलीसिया के पादरी गिल्बर्ट और एल्डर रोमेन का ख्याल आया। वे कलीसिया में प्रभु के लिए बहुत मेहनत करते थे, दोनों ही भाई-बहनों के साथ स्नेही, प्रेममय और धैर्यवान थे, उनकी बहुत मदद करते थे। विशेषकर, पादरी गिल्बर्ट नौकरी छोड़कर पादरी बनने के लिए एक बाइबल कॉलेज में अध्ययन कर रहे थे। मैंने सोचा, चूँकि वे अच्छे प्रचारक हैं, अवश्य ही परमेश्वर का कार्य स्वीकार लेंगे। पहले मैंने एल्डर रोमेन को प्रभु की वापसी का सुसमाचार सुनाया।
उस दिन, हमने साथ में सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की एक सुसमाचार फिल्म देखी और मैंने गवाही दी कि प्रभु यीशु लौट आया है। मुझे लगा कि वह मुझसे ढेरों सवाल पूछेंगे, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं पूछा, उनके चेहरे पर कोई भाव नहीं था, उन्होंने सत्य खोजने या बात करने की इच्छा नहीं जताई। मुझे लगा, शायद मैं उन्हें ठीक से समझा नहीं पाया, तो मैंने कहा, आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के ऐप पर खुद देख लीजिए, लेकिन उन्होंने नकार दिया। सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के प्रवचनों में भाग लेने के लिए बार-बार बुलाने पर, वे अनिच्छा से जैसे-तैसे एक ऑनलाइन सभा में शामिल हुए और फिर बिना कुछ कहे चले गए। वह फिर कभी किसी अन्य सभा में शामिल नहीं हुए। उसके बाद रोमेन मुझसे मिलने से बचते रहे और फिर कभी मेरे घर नहीं आए। उनके इस रवैये से मैं थोड़ा हैरान था। पहले हम में काफी अच्छी मेल-मुलाकात थी, लेकिन प्रभु की वापसी की खबर सुनाते ही उन्होंने मुझसे इतनी दूरी क्यों बना ली? वह अपने उपदेशों में हमेशा हमें प्रभु के आने की प्रतीक्षा करने को कहते थे। अब जबकि प्रभु यीशु वापस आ गया है, तो उन्होंने खोज और जाँच क्यों नहीं की? इससे पहले कि मैं इन बातों को समझ पाता, कुछ ऐसा हुआ जिसकी मुझे उम्मीद नहीं थी।
कुछ दिनों बाद, पादरी गिल्बर्ट ने मुझे अपने कार्यालय बुलाया। मैं थोड़ा चौकन्ना हो गया। वहाँ पहुँचते ही, पादरी गिल्बर्ट ने मुझसे पूछा, "डेविड, लगता है कि तुम्हें कुछ मित्र मिल गए हैं और तुम उनके साथ ऑनलाइन बातचीत कर रहे हो। यह तो बहुत अच्छी बात है। वे कौन हैं? किस कलीसिया से जुड़े हैं?" उनका स्नेहपूर्ण रवैया देखकर मुझे लगा कि वे इस पर गौर करना चाहते हैं, मैंने कहा, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया से। उन्होंने कलीसिया का नाम लिख लिया और घमंड से बोले, "मैंने उन्हें देखा है, हमें उनकी बात नहीं सुननी चाहिए। बाइबल हमें स्पष्ट रूप से बताती है कि अंत के दिनों में बहुत से झूठे मसीह आएँगे और लोगों को भरमाएंगे।" यह कहकर उन्होंने बाइबल खोली और 1 थिस्सलुनीकियों 4:16-17 पढ़कर सुनाया। "क्योंकि प्रभु आप ही स्वर्ग से उतरेगा; उस समय ललकार, और प्रधान दूत का शब्द सुनाई देगा, और परमेश्वर की तुरही फूँकी जाएगी; और जो मसीह में मरे हैं, वे पहले जी उठेंगे। तब हम जो जीवित और बचे रहेंगे उनके साथ बादलों पर उठा लिये जाएँगे कि हवा में प्रभु से मिलें; और इस रीति से हम सदा प्रभु के साथ रहेंगे।" पढ़ने के बाद, घमंड से समझाते हुए बोले, "ये पद हमें साफ तौर पर बताते हैं कि जब प्रभु आएगा, तो देवदूत श्रृंगी बजाएँगे और मृतक जी उठेंगे और हम प्रभु के दर्शन के लिए बादलों पर उठाए जाएंगे। अगर कोई प्रभु की वापसी की बात करता है, लेकिन हम फिर भी धरती पर हों और आकाश में न उठाए जाएँ, तो वह नकली है! जब प्रभु आएगा तो हम पृथ्वी छोड़कर हमेशा के लिए उसके साथ स्वर्ग में रहने चले जाएँगे।" उनकी बातें सुनकर तो मैं बिल्कुल हैरान हो गया था। उन्होंने जो पद पढ़े उनमें लिखा है कि प्रभु बादलों पर आएगा, लेकिन सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की फिल्मों ने बताया कि वो गुप्त रूप से देहधारी हुआ है। आखिर चल क्या रहा है? मैं थोड़ा भ्रमित हो गया। बाइबल में, प्रभु यीशु ने कई बार भविष्यवाणी की है, "मनुष्य के पुत्र का आना होगा" और "मनुष्य का पुत्र आ जाएगा।" यह प्रभु के मनुष्य का पुत्र बनने और गुप्त रूप से आने के बारे में था। प्रभु यीशु ने कभी नहीं कहा कि हम बादलों में ऊपर उठाए जाएंगे। तो पौलुस की बातें प्रभु यीशु की बातों के विपरीत क्यों थीं? वह वास्तव में किस बारे में थीं? क्या सर्वशक्तिमान परमेश्वर वाकई प्रभु की वापसी था? अगर नहीं था, तो उसके वचनों में इतना सत्य, इतना अधिकार और सामर्थ्य कैसे हो सकता है? मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था। उसके बाद पादरी गिल्बर्ट ने सवाल पूछने शुरू कर दिए कि मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया में क्या सीखा है। उन्होंने कुछ अपमानजनक और निंदनीय बातें भी कहीं। तब मुझे एहसास हुआ कि मुझसे सवाल पूछने का उनका मकसद खोज या जांच-पड़ताल करना नहीं था, बल्कि जानकारी लेना था ताकि वे मुझे सच्चे मार्ग की जांच करने से रोक सकें। तभी मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की फिल्म, तोड़ डालो अफ़वाहों की ज़ंजीरें का ख्याल आया, जो आधुनिक फरीसियों पर आधारित है। फिल्म में पादरी और एल्डर सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य पर ध्यान दिए बगैर, आँख मूँदे उसकी निंदा करते हैं, सच्चा मार्ग खोजने और परमेश्वर का अनुसरण करने वालों की राह में रोड़ा बनकर गलत सूचनाएँ गढ़ते हैं। अब यही हरकत पादरी गिल्बर्ट भी कर रहे थे। वह अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते थे ताकि बाद में अफवाहें फैला सकें, परमेश्वर की भेड़ों को उसकी वाणी सुनने और उसका स्वागत करने से रोका जा सके। मैंने मन ही मन परमेश्वर से प्रार्थना की कि मुझे बुद्धि दे ताकि उसका जवाब दे सकूँ। मैने उनसे कहा, "मैं अभी आपको कुछ नहीं बता सकता। मैं भी अभी जाँच कर रहा हूं। जानकारी मिलने पर ही मैं आपको कुछ बता सकता हूं।" अंत में उन्होंने कहा कि उन्हें अब मुझसे और कुछ नहीं जानना और बातचीत समाप्त कर दी। लेकिन मैं अभी भी इस दावे को लेकर थोड़ा भ्रमित था कि प्रभु आएगा और हमें आकाश में ले जाएगा।
उस दिन पादरी के दफ्तर से निकलकर, मैंने मन ही मन परमेश्वर से मार्गदर्शन देने और प्रबुद्ध करने की प्रार्थना की। बाद में, मैं 1 थिस्सलुनीकियों 4:16-17 के पदों पर विचार करता रहा। काफी सोच-विचार के बाद समझ आया कि पादरी गिल्बर्ट ने जो पद पढ़े वे पौलुस के थे, ये बातें पौलुस की कही हुई थीं। प्रभु यीशु ने कभी नहीं कहा कि वह लौटकर विश्वासियों को बादलों पर उठा लेगा, न ही उसने कभी यह कहा कि स्वर्ग का राज्य आकाश में होगा। अपनी निरंतर प्रार्थना और खोज के दौरान, मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की एक और फिल्म देखी, स्वप्न से जागृति, जिसने मुझे बहुत प्रबुद्ध किया। फिल्म में कुछ सामग्री ऐसी है जिसमें स्वर्गारोहण और क्या राज्य आसमान में है, इन जैसी बातों को साफ तौर पर समझाया गया है। फिल्म में सुसमाचार सुनाने वाले लोग संगति करते हैं कि जो लोग सोचते हैं कि स्वर्ग का राज्य आसमान में है, यह उनकी अपनी धारणा है। लेकिन क्या सचमुच ऐसा ही है? प्रभु यीशु ने कहा है : "हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में है; तेरा नाम पवित्र माना जाए। तेरा राज्य आए। तेरी इच्छा जैसी स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे पृथ्वी पर भी हो" (मत्ती 6:9-10)। प्रभु यीशु ने हमें स्पष्ट रूप से बताया है कि परमेश्वर का राज्य पृथ्वी पर है, आकाश में नहीं : परमेश्वर की इच्छा पृथ्वी पर साकार होगी, जैसे स्वर्ग में होती है। आइए अब हम प्रकाशितवाक्य 21:2-3 देखें : "फिर मैं ने पवित्र नगर नये यरूशलेम को स्वर्ग से परमेश्वर के पास से उतरते देखा...। देख, परमेश्वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है। वह उनके साथ डेरा करेगा, और वे उसके लोग होंगे, और परमेश्वर आप उनके साथ रहेगा और उनका परमेश्वर होगा।" और प्रकाशितवाक्य 11:15 : "जगत का राज्य हमारे प्रभु का और उसके मसीह का हो गया, और वह युगानुयुग राज्य करेगा।" इन भविष्यवाणियों में उल्लेख है कि "परमेश्वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है," "नया यरूशलेम स्वर्ग से परमेश्वर के पास से उतरता हुआ," और "जगत का राज्य हमारे प्रभु का और उसके मसीह का हो गया।" इससे साबित होता है कि परमेश्वर पृथ्वी पर अपना राज्य स्थापित करेगा और वह मनुष्यों के बीच रहेगा। पृथ्वी के राज्य मसीह के राज्य होंगे और अनंतकाल तक बने रहेंगे। अगर हम अपनी कल्पनाओं के अनुसार चलें कि परमेश्वर का राज्य स्वर्ग में होगा, और प्रभु जब आएगा, तो हमें आकाश में उठा लेगा, तो क्या परमेश्वर के ये सारे वचन व्यर्थ नहीं हो जाते? तब आखिर उठाया जाना क्या है? यह ज्यादातर लोग नहीं जानते। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के आने तक संतों के उठाए जाने का रहस्य उजागर नहीं हुआ था। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "'उठाया जाना' निचले स्थान से किसी ऊँचे स्थान पर ले जाया जाना नहीं है जैसा कि लोग सोच सकते हैं; यह एक बहुत बड़ी मिथ्या धारणा है। 'उठाया जाना' मेरे द्वारा पूर्वनियत और फिर चयनित किए जाने को इंगित करता है। यह उन सभी के लिए है जिन्हें मैंने पूर्वनियत और चयनित किया है। ... यह लोगों की धारणाओं के बिलकुल भी संगत नहीं है। वे सभी लोग जिन्हें भविष्य में मेरे घर में हिस्सा मिलेगा, ऐसे लोग हैं जो मेरे सामने उठाए जा चुके हैं। यह एक सम्पूर्ण सत्य है, कभी न बदलने वाला और जिसे झुठलाया नहीं जा सकता। यह शैतान के विरुद्ध एक जवाबी हमला है। जिस किसी को भी मैंने पूर्वनियत किया है, वह मेरे सामने उठाया जाएगा" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, आरंभ में मसीह के कथन, अध्याय 104)। सर्वशक्तिमान परमेश्वर एकदम स्पष्ट है। उठाया जाना वह नहीं है जैसा हम सोचते हैं, कि जमीन से ऊपर आकाश में उठाए जाएँगे और बादलों में प्रभु से मिलेंगे। यह इस बारे में है कि जब परमेश्वर पृथ्वी पर बोलने और कार्य करने वापस आता है, तो लोग उसकी वाणी सुनकर उसका अनुसरण करते हैं और अंत के दिनों के परमेश्वर के कार्य को समर्पित हो जाते हैं। परमेश्वर के सिंहासन के सामने उठाए जाने का यही अर्थ है। जो लोग प्रभु की वाणी को पहचान लेते हैं, जो सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों में सत्य खोजते हैं और स्वीकार कर उसकी ओर मुड़ जाते हैं वे बुद्धिमान कुंवारियाँ होते हैं। ये लोग वो "कीमती पत्थर" हैं जिन्हें "चुराकर" वापस परमेश्वर के घर में लाया गया है, जो सत्य स्वीकार कर परमेश्वर की वाणी को समझ सकते हैं। उन्हें स्वर्गारोहित किया जाता है, वे लोगों का वो समूह हैं जिन्हें परमेश्वर अंत के दिनों में गुप्त रूप से कार्य करते हुए विजेताओं के रूप में पूर्ण करता है। जब से सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अंत के दिनों का कार्य शुरू हुआ है, तब से परमेश्वर के प्रकटन के लिए तरसते लोगों ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों से परमेश्वर की वाणी को पहचान लिया है और उसके अंत के दिनों के न्याय-कार्य को स्वीकार लिया है। उन्हें परमेश्वर से मिलने के लिए उसके सिंहासन के सामने उठाया गया है, उसके वचनों से पोषित और सिंचित किया गया है। उन्हें परमेश्वर की सच्ची समझ प्राप्त हुई है, उनका भ्रष्ट स्वभाव शुद्ध किया गया है, वे परमेश्वर के वचनों की वास्तविकता को जीते हैं। उन्होंने परमेश्वर से महान उद्धार प्राप्त किया है। वे आपदाओं से पहले ही विजेता बन चुके हैं। वे परमेश्वर को प्राप्त पहले पके फल बन गए हैं। अपनी धारणाओं और कल्पनाओं से चिपके लोग, जो मूर्खता से प्रभु द्वारा आकाश में ले जाए जाने की प्रतीक्षा करते हैं और अंत के दिनों के परमेश्वर के न्याय-कार्य को नकारते हैं वे मूर्ख कुंवारियां होते हैं जिन्हें परमेश्वर त्याग देगा। अंततः वे आपदाओं में पड़कर रोएँगे और अपने दाँत पीसेंगे। यह सच्चाई है।
फिल्म देखने के बाद मैंने जाना कि हम शाब्दिक रूप से "उठाए जाने" की व्याख्या नहीं कर सकते। मुख्यत: इसका अर्थ है लोगों का परमेश्वर की वाणी सुनना और प्रभु का स्वागत करना, और परमेश्वर के सिंहासन के सामने आना। इसे उठाया जाना कहते हैं। अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य को स्वीकारने वाले बुद्धिमान कुँवारियाँ हैं जिन्हें परमेश्वर के सिंहासन के सामने उठाया जाता है। वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को खाते और पीते हैं, उसके न्याय और शुद्धिकरण को स्वीकारते हैं। यह मेमने के विवाह-भोज में शामिल होना है। इस तरह स्वर्गारोहित होना एकदम व्यावहारिक है। परमेश्वर का कार्य बहुत बुद्धिमत्तापूर्ण और सार्थक है! मेरा सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के सदस्यों से मिलना और संवाद करना वैसा ही ऐसा था। वे हम लोगों की तरह ही पृथ्वी पर सामान्य जीवन जीते हैं। अंतर यह है कि वे परमेश्वर के वचन खाते और पीते हैं, सत्य पर उनकी संगति में अंतर्दृष्टि और प्रबोधन होता है। चीजों पर उनका दृष्टिकोण और आस्था पर उनकी सोच बहुत ताजी है। समस्या आने पर वे नहीं सोचते कि परमेश्वर का अनुग्रह कैसे माँगा जाए, बल्कि यह खोजते और संगति करते हैं कि परमेश्वर से प्रेम कैसे करें और उसे समर्पित कैसे हों, अपने भ्रष्ट स्वभाव को पहचानकर उसे कैसे दूर करें, सत्य का अभ्यास कैसे करें और परमेश्वर के वचनों को कैसे जिएं। मुझे लगा कि वे एक नई दुनिया में हैं, एक नए युग में प्रवेश कर चुके हैं और पूरी तरह से एक नए प्रकार का जीवन जी रहे हैं। मैं पहले कभी उन जैसे लोगों से नहीं मिला था। उन्होंने हम जैसे प्रभु के विश्वासियों को बहुत पीछे छोड़ दिया था। इसने मुझमें सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन पढ़ने, उसके न्याय-कार्य का अनुभव करने और उन जैसा जीवन जीने के लिए अधिक प्यास जगा दी। तब मुझे यह बात और भी स्पष्ट हो गई कि पौलुस ने ये बातें अपनी धारणाओं के कारण कही थीं और मुझे विश्वास हुआ कि प्रभु के वचन सत्य हैं, पौलुस के नहीं, क्योंकि पौलुस एक इंसान था। प्रभु का स्वागत करने के महत्वपूर्ण मामले में, किसी इंसान पर विश्वास करना बेहद खतरनाक है। खास कर जब इंसान के वचन और प्रभु के वचन आपस में टकराते हों, तो हम इंसान के शब्दों को आधार नहीं बना सकते। पादरी ने पौलुस के शब्दों के जरिए मुझे लगभग धोखे से गुमराह कर ही दिया था। इतने वर्षों में, संतों के उत्कर्ष के रहस्य को कभी कोई समझ नहीं पाया और पौलुस की कल्पनापूर्ण बातें किसी के समझ नहीं आईं। फिर पता चला कि वे बातें प्रभु यीशु के वचनों के विपरीत थीं। इन बातों ने मुझे स्पष्टता दी।
सभाओं और संगति के जरिए मुझे पादरियों के बारे में थोड़ी-बहुत समझ हासिल हुई। वे बाइबल के अच्छे जानकार थे, लेकिन उन्हें यह तक नहीं पता था कि प्रभु का स्वागत परमेश्वर के वचनों के आधार पर होना चाहिए या मनुष्य के। वे परमेश्वर को बिल्कुल नहीं जानते थे। कुछ दिनों बाद एक शाम, हमारे गाँव के फुटबॉल मैदान के पास मेरी मुलाकात पादरी गिल्बर्ट से हो गई। वह अभी भी मेरा मन बदलने की कोशिश में थे। इस बार उनकी कोशिश ऐसी थी मानो नाटक का प्रदर्शन कर रहे थे। उन्होंने हाथ उठाकर आकाश की ओर देखा, फिर कदम ऐसे बढ़ाने लगे जैसे सीढ़ियाँ चढ़ रहे हों। उन्होंने कहा, "हम बादलों पर चल सकेंगे। लेकिन अगर उस दिन तुममें पवित्र आत्मा का वास नहीं हुआ, तो तुम नहीं चल पाओगे।" पादरी गिल्बर्ट की उस बचकाना हरकत से मुझे और भी यकीन हो गया कि बादलों में उठाए जाने की कहानी पूरी तरह से इंसानी कल्पना है। उनकी इन बेतुकी और हास्यास्पद बातों पर हँसने का मन किया। यह उतना ही बचकाना था जितना यह मानना कि सैंटा क्लॉज वाकई 25 दिसंबर को बच्चों के लिए उपहार लेकर आता है। उस दिन से, मैं कल्पनाओं पर विश्वास करना छोड़कर वास्तविकता पर ध्यान देने लगा और सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की जाँच-पड़ताल करने लगा।
बाद में, मैंने और पादरी गिल्बर्ट के छोटे भाई ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों का कार्य स्वीकार लिया और हमें सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों की पुस्तकें मिल गईं। हम लोग बेहद खुश और रोमाँचित थे। जब पादरी गिल्बर्ट को पता चला तो वे नाराज हो गए, अपने भाई की आस्था के मार्ग में रोड़ा बन गए, उसकी पुस्तकें भी छीन लीं और कुछ पुस्तकें एल्डर रोमेन के पास भेज दीं। मैं जानता था कि उन्होंने सत्य खोजने के लिए सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों की पुस्तकें नहीं ली थीं, बल्कि उनमें त्रुटि ढूंढने के लिए ली थीं, ताकि उनके जरिए वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकटन और कार्य की निंदा कर सकें और हमें सर्वशक्तिमान परमेश्वर को धोखा देने के लिए मना सकें। उनके इरादे नेक नहीं थे। और वास्तव में ऐसा ही हुआ।
एक दिन एल्डर रोमेन ने मुझसे कहा, "इस किताब में कुछ खास नहीं है। यह सब पहले से ही बाइबल में है—इसमें कुछ नया नहीं है।" उनकी बातें सुनकर मैं फिर उनसे निराश हो गया। मैंने सोचा, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों में अधिकार और सामर्थ्य है, वे सत्य के रहस्यों पर बात करते हैं। इसमें कुछ नया नहीं है, कहकर क्या वह झूठ नहीं बोल रहे हैं, ये सब राक्षसी व्यक्ति ही कह सकता है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन तो परमेश्वर के 6,000 साल के प्रबंधन कार्य, देहधारण के रहस्य, परमेश्वर के नाम, उसके न्याय-कार्य वगैरह के बारे में बात करते हैं। इसके अलावा भी कई रहस्य और सत्य हैं। ये सब बातें बाइबल में नहीं हैं, इन बातों को हमने अपनी बरसों की आस्था में कभी नहीं जाना। वह कैसे कह सकते हैं कि उन्हें किताब में कुछ भी नया नहीं मिला? यह तो हास्यास्पद है। मैं उनके बहकावे में नहीं आने वाला। इससे मैं यह भी समझ गया कि उन्हें सत्य से ऊब है और परमेश्वर की वाणी की कोई समझ नहीं है। यही हाल पादरी गिल्बर्ट का था। उन्होंने अनदेखा तो किया ही, इसका अधिक विरोध और निंदा भी की, सेवाओं में अपनी धार्मिक धारणाओं को और बढ़ावा दिया, भाई-बहनों से कहा कि परमेश्वर के सभी वचन बाइबल में हैं, उसके बाहर उसके कोई वचन नहीं हैं। उन्होंने कहा कि प्रभु यीशु बादल पर उतरेगा, प्रभु की वापसी का दावा करने वाले झूठ बोल रहे हैं। उस दौरान मैं कलीसिया में दुभाषिए का काम कर रहा था। मुझे बहुत बुरा लगा। मैं सोच रहा था जो भ्रांतियाँ लोगों को धोखा दें और गुमराह करें, उनका अनुवाद करना भी बुराई में भाग लेना ही है। क्या मैं पादरियों के प्रतिरोध और तिरस्कार में हिस्सेदार नहीं था? उनकी इन हरकतों से मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों का एक अंश याद आया : "प्रत्येक पंथ और संप्रदाय के अगुवाओं को देखो। वे सभी अभिमानी और आत्म-तुष्ट हैं, और बाइबल की उनकी व्याख्या में संदर्भ का अभाव है और वे अपनी धारणाओं और कल्पनाओं के अनुसार चलते हैं। वे सभी अपना काम करने के लिए प्रतिभा और पांडित्य पर भरोसा करते हैं। यदि वे उपदेश देने में पूरी तरह अक्षम होते, तो क्या लोग उनका अनुसरण करते? कुछ भी हो, उनके पास कुछ ज्ञान तो है ही और वे सिद्धांत के बारे में थोड़ा-बहुत बोल सकते हैं, या वे जानते हैं कि दूसरों को कैसे जीता जाए, और कुछ चालाकियों का उपयोग कैसे करें। इनके माध्यम से वे लोगों को धोखा देते हैं और अपने सामने ले आते हैं। नाम मात्र के लिए, वे लोग परमेश्वर पर विश्वास करते हैं, लेकिन वास्तव में वे अपने अगुवाओं का अनुसरण करते हैं। जब वे उन लोगों का सामना करते हैं जो सच्चे मार्ग का प्रचार करते हैं, तो उनमें से कुछ कहेंगे, 'हमें परमेश्वर में अपने विश्वास के बारे में हमारे अगुवा से परामर्श करना है।' देखो परमेश्वर में विश्वास करते और नया मार्ग स्वीकारते समय कैसे लोगों को अभी भी दूसरों की सहमति और मंजूरी की जरूरत होती है—क्या यह एक समस्या नहीं है? तो फिर, वे सब अगुवा क्या बन गए हैं? क्या वे फरीसी, झूठे चरवाहे, मसीह-विरोधी, और लोगों के सही मार्ग को स्वीकार करने में अवरोध नहीं बन चुके हैं?" (वचन, खंड 3, अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन, भाग तीन)। मैंने परमेश्वर के वचनों से जाना कि याजक-वर्ग प्रचार करने, प्रभु के लिए कार्य करने और उसके झुंड की रक्षा करने की आड़ में, लोगों को परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की खोज और जाँच करने से रोक रहा है। वे कलीसिया के सदस्यों को फँसा रहे हैं, उन्हें नियंत्रित कर रहे हैं ताकि उन पर अपना कब्जा बनाए रख सकें। उनमें प्रभु यीशु की वापसी के लिए कोई तड़प नहीं है, बल्कि वे तो आधुनिक फरीसी हैं। प्रकृति से वे सत्य से घृणा करने वाले और परमेश्वर-विरोधी हैं। उसके बाद मैंने पादरी से दूरी बना ली, दुभाषिए का काम करना बंद कर दिया। इस निर्णय से मुझे बहुत राहत मिली, मानो कोई पंछी पिंजरे से आजाद हो गया हो।
लेकिन याजक-वर्ग ने मुझे परेशान करना बंद नहीं किया। सेवा के बाद एक रविवार को एल्डर रोमेन मेरे घर आए और पूछा कि मैंने कलीसिया के दुभाषिए का काम क्यों छोड़ दिया। मैंने कहा कि मैं पादरी द्वारा प्रचारित कुछ बातों से सहमत नहीं हूँ। वह बोले, प्रभु बादल पर आएगा, अगर कोई मसीह के आने का दावा करे, लेकिन हम आकाश में न उठाए जाएँ, तो वह नकली मसीह की बात कर रहा है। क्या प्रभु यीशु के वचनों में इसका कोई आधार है? अगर नहीं, तो क्या वह इसे नकार नहीं रहा है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही लौटकर आया प्रभु है? वह लोगों को गुमराह करने के लिए अफवाहें फैला रहे थे। एल्डर रोमेन ने कहा, "इसमें गलत क्या है? खुद बाइबल कहती है कि प्रभु अंत के दिनों में बादलों पर आएगा।" मैंने कहा, "बाइबल कहती है कि प्रभु अंत के दिनों में बादलों पर आएगा, लेकिन बाइबल में ऐसी भी बहुत-सी भविष्यवाणियाँ हैं कि प्रभु अंत के दिनों में गुप्त रूप से मनुष्य के पुत्र के रूप में देहधारण कर आएगा।" मैंने बाइबल से उन्हें कुछ पद पढ़कर सुनाए। "क्योंकि जैसे बिजली पूर्व से निकलकर पश्चिम तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य के पुत्र का भी आना होगा" (मत्ती 24:27)। "इसलिये तुम भी तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी के विषय में तुम सोचते भी नहीं हो, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा" (मत्ती 24:44)। "जैसे नूह के दिन थे, वैसा ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा" (मत्ती 24:37)। मैने कहा, "'मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा' प्रभु के देह में, गुप्त रूप से आने का संदर्भ है। 'मनुष्य का पुत्र' मनुष्य से पैदा होने, देहधारी होकर सामान्य मानवीय गुण धारण करने का संदर्भ है। प्रभु यीशु को मनुष्य का पुत्र और मसीह कहा गया है। देखने में वह एकदम सामान्य व्यक्ति लगता था। वह आम इंसान की तरह ही खाता, पहनता और रहता था। उसके पुनरुत्थान के बाद परमेश्वर के आत्मा या प्रभु यीशु के आध्यात्मिक शरीर को 'मनुष्य का पुत्र' नहीं कहा गया है। तो 'मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा' भविष्यवाणियों का अर्थ है कि प्रभु देहधारण कर गुप्त रूप से मनुष्य के पुत्र के रूप में लौटेगा।" एल्डर रोमेन ने कहा, "यह सच है।" तो मैंने आगे कहा, "वास्तव में, वह बहुत पहले ही गुप्त रूप से आ चुका है—वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर है। वह सत्य व्यक्त कर न्याय कार्य कर रहा है, उसने आपदाओं से पहले ही विजेताओं का एक समूह बना लिया है। भयंकर आपदाएँ शुरू हो चुकी हैं, आपदाओं के बाद परमेश्वर सब लोगों और राष्ट्रों के सामने बादल पर प्रकट होगा। तब मनुष्य के पुत्र के आने और परमेश्वर के बादल पर प्रकट होने की भविष्यवाणियाँ पूरी हो जाएँगी। यह एकदम बाइबल के अनुरूप है, तो आप इसकी खोज और जांच क्यों नहीं करते? आप केवल बादल पर प्रभु के आने की भविष्यवाणियाँ ही क्यों पढ़ते हैं? क्या यह प्रभु के वचनों को संदर्भ से बाहर देखना और उनकी गलत व्याख्या करना नहीं है? भविष्यवाणियों को यह सोचकर हमेशा अपनी कल्पना के आधार पर समझाना कि प्रभु केवल बादल पर आ सकता है, आप उन फरीसियों जैसा व्यवहार कर रहे हैं जिन्होंने अपनी धारणाओं और कल्पनाओं के आधार पर मसीहा के आने की भविष्यवाणियों की व्याख्या की थी। उन्हें लगा कि मसीहा एक राजा की तरह होगा, किसी राजसी परिवार में शानोशौकत वाले अंदाज में आएगा और लोगों को रोमन शासन से बचाएगा। लेकिन जब मसीहा आया, तो वह चरनी में पैदा होने वाला एक सामान्य व्यक्ति था। उसका परिवार औसत दर्जे था जिसकी समाज में कोई खास हैसियत नहीं थी और वह लोगों को रोमन शासन से भी नहीं बचा रहा था। यहां तक कि उसे सूली पर चढ़ा दिया गया। प्रभु यीशु का प्रकटन और कार्य फरीसियों की धारणाओं से बिल्कुल मेल नहीं खाता था। तो बस उसी तरह, हम अपनी कल्पनाओं के अनुसार कैसे कह सकते हैं कि प्रभु बादल पर आ रहा है?" मैंने उन्हें बाइबल का एक और अंश पढ़कर सुनाया। "क्योंकि यहोवा कहता है, मेरे विचार और तुम्हारे विचार एक समान नहीं हैं, न तुम्हारी गति और मेरी गति एक सी है। क्योंकि मेरी और तुम्हारी गति में और मेरे और तुम्हारे सोच विचारों में, आकाश और पृथ्वी का अन्तर है" (यशायाह 55:8-9)। "हम बाइबल में साफ देख सकते हैं कि लोग पहले से कभी नहीं समझ सकते कि परमेश्वर क्या करेगा क्योंकि परमेश्वर एक बुद्धिमान परमेश्वर है, उसकी भविष्यवाणियां छिपी हुई हैं। उनके घटित होने से पहले लोग न तो उनकी व्याख्या कर सकते हैं, न समझ सकते हैं। फरीसियों ने अपनी धारणाओं के अनुसार भविष्यवाणियों की व्याख्या की और मसीहा के आने के बारे में गलत निष्कर्ष पर पहुंचे। नतीजतन जब प्रभु यीशु आया, तो उन्होंने उसका विरोध और निंदा की और परमेश्वर के दंड और शाप के भागी बने। आज अपनी धारणाओं के अनुसार भविष्यवाणियों की व्याख्या करना सही नहीं है। दरअसल, हम भविष्यवाणियों के पूरा होने के बाद ही उन्हें समझ सकते हैं। अब जबकि प्रभु यीशु लौट आया है और प्रभु के आने की सभी भविष्यवाणियां पूरी हो चुकी हैं, तो हम समझ सकते हैं कि वे वास्तव में किस बारे में थीं।" मैंने उस दिन एल्डर रोमेन से बहुत कुछ कहा, लेकिन उन्होंने मेरी एक नहीं सुनी।
मुझे हैरानी इस बात की हुई कि पादरी गिल्बर्ट और एल्डर रोमेन न केवल खोज को नकार रहे थे, बल्कि मेरी आस्था का और विरोध करने लगे। एक रविवार हमारी कलीसिया के सभी पादरी और एल्डर कलीसिया में थे, उन्होंने मुझसे सर्वशक्तिमान परमेश्वर में मेरे विश्वास के बारे में पूछा। मैंने उन्हें सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के बारे में नहीं बताया क्योंकि मुझे पता था कि वे अफवाहें गढ़ने के लिए इसमें कुछ गलत ढूँढ़ने की कोशिश करेंगे। मैंने ज्यादा कुछ नहीं कहा, बस इतना कहा कि मैं अभी भी इसकी जाँच कर रहा हूँ। पादरी ने असहमति जताते हुए कहा कि मुझे किसी एक को चुनना पड़ेगा। अगर मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य की जाँच करना बंद नहीं किया, तो वे सभी कलीसियाओं को लिख देंगे कि मुझे निकाल दिया गया है। मुझे लगा, अगर मुझे निकाल दिया गया, तो मेरे आस-पास के सभी लोग सोचेंगे कि मैंने गलत रास्ता अपनाया है, तब वे मुझे हिकारत से देखेंगे और ठुकरा देंगे। इन परिणामों के विचार ने मुझे डरा दिया। लेकिन मुझे पता था कि अगर मैं अपमान से डरकर सर्वशक्तिमान परमेश्वर को छोड़ा, तो मैं प्रभु का स्वागत करने का अवसर खो बैठूँगा, तब मैं न तो सत्य पा सकूँगा, न ही बच पाऊँगा। वे बहुत ही गंभीर परिणाम हैं। मेरे मन में उधेड़बुन चल रही थी। तभी पादरी ने मुझे धमकाते हुए कहा, अगर मैंने उनकी बात नहीं मानी तो वे मुझे शाप दे देंगे। मुझे लगा ऐसा कहना तो शैतानी हरकत है, तो मैंने कोई जवाब नहीं दिया। मैंने बाइबल की इन बातों पर विचार किया : "उसने ऊँचे शब्द से पुकारकर कहा, 'गिर गया, बड़ा बेबीलोन गिर गया है!'" (प्रकाशितवाक्य 18:2)। "फिर मैं ने स्वर्ग से एक और शब्द सुना, 'हे मेरे लोगो, उस में से निकल आओ कि तुम उसके पापों में भागी न हो, और उसकी विपत्तियों में से कोई तुम पर आ न पड़े'" (प्रकाशितवाक्य 18:4)। मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की एक फिल्म का ख्याल आया, मैं जानता था महान बेबीलोन का तात्पर्य धार्मिक दुनिया से है। ये पद एकदम स्पष्ट हैं, बेबीलोन छोड़ दो, धार्मिक जगत छोड़ दो, उसके पाप के भागी न बनो। उस समय मुझे लगा, कलीसिया और धार्मिक दुनिया छोड़कर परमेश्वर का अनुसरण करना चाहिए। मैंने धार्मिक दुनिया का सूनापन देख लिया था, कोई सत्य की खोज नहीं कर रहा था, सारा याजक-वर्ग नाम और रुतबे के लिए लड़ रहा था, कलीसिया में पवित्र आत्मा का कार्य नहीं था, वह पाप और गंदगी से भरी थी। जब धर्मगुरुओं ने प्रभु की वापसी की खबर सुनी, तो उन्होंने उसकी खोज नहीं की, बल्कि उसका विरोध और निंदा की, विश्वासियों को सच्चे मार्ग की जांच करने से रोकने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाए। उनमें से कोई भी बात प्रभु की शिक्षाओं के अनुरूप नहीं थी। मुझे लगा कि मेरी कलीसिया बेबीलोन है और मुझे उसे तुरंत छोड़ देना चाहिए, वरना मैं प्रभु का स्वागत कर स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं कर पाऊँगा। मैं पवित्र आत्मा का कार्य गँवाकर उनके साथ भ्रष्टता में जा पड़ूँगा, और उद्धार का अवसर खो बैठूँगा। मैंने संकल्प किया कि वे नहीं भी निकालें, तो भी मैं उस धार्मिक बंजर भूमि को छोड़ दूंगा। मैं उस कलीसिया में कभी वापस नहीं गया।
मुझे कलीसिया में फिर से लाने के लिए, पादरी गिल्बर्ट मेरे घर आए और मेरे माता-पिता से बोले कि मैं अब कलीसिया नहीं आ रहा हूँ, मुझे वापस आने के लिए कहा जाए। मेरे पिता भी कलीसिया में एल्डर थे। वे दोनों सर्वशक्तिमान परमेश्वर में मेरे विश्वास के बारे में जानते थे, उन्होंने अपनी धारणाएँ नहीं छोड़ीं, लेकिन वे मुझे कुछ नहीं कहते थे। मगर पादरी के आने के बाद से वे मुझे परेशान करने लगे कि मैं कलीसिया वापस जाऊं। मैंने मना कर दिया। सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की सभाओं के समय पिताजी जानबूझकर टाँग अड़ाते, हर समय उल्टी-सीधी बातें कहकर मेरी आलोचना करते। माँ तो बलपूर्वक मुझे सभाओं में जाने से रोकतीं, मैं जब भी किसी सभा में होता, तो वह मेरा फोन छीनने की कोशिश करतीं, कहतीं कि तेरा फोन ही तोड़ देती हूँ ताकि तू सभाओं में शामिल न हो सके। एक बार मेरी गैर-मौजूदगी में पिताजी ने मेरा फोन छुपा दिया और धमकी दी कि वह घर की बिजली कटवा देंगे। माता-पिता का बढ़ता उत्पीड़न मेरी बर्दाश्त के बाहर होता जा रहा था, लेकिन मेरे साथ परमेश्वर के वचनों का मार्गदर्शन था, मैंने उनसे हार नहीं मानी। एक दिन उन्होंने चेतावनी दी कि मेरे साथ संबंध तोड़कर मुझे घर से निकाल देंगे। मैंने माता-पिता के इस उत्पीड़न के चलते परमेश्वर के वचन खोजे। उसके वचनों ने मुझे प्रबुद्ध किया और मुझे इन सब पर स्पष्ट समझ दी। परमेश्वर कहते हैं, "जब परमेश्वर कार्य करता है, किसी की देखभाल करता है, उस पर नजर रखता है, और जब वह उस व्यक्ति पर अनुग्रह करता और उसे स्वीकृति देता है, तब शैतान करीब से उसका पीछा करता है, उस व्यक्ति को धोखा देने और नुकसान पहुँचाने की कोशिश करता है। अगर परमेश्वर इस व्यक्ति को पाना चाहता है, तो शैतान परमेश्वर को रोकने के लिए अपने सामर्थ्य में सब-कुछ करता है, वह परमेश्वर के कार्य को भ्रमित, बाधित और खराब करने के लिए विभिन्न बुरे हथकंडों का इस्तेमाल करता है, ताकि वह अपना छिपा हुआ उद्देश्य हासिल कर सके। क्या है वह उद्देश्य? वह नहीं चाहता कि परमेश्वर किसी भी मनुष्य को प्राप्त कर सके; परमेश्वर जिन्हें पाना चाहता है, वह उसकी संपत्ति छीन लेना चाहता है, वह उन पर नियंत्रण करना, उनको अपने अधिकार में लेना चाहता है, ताकि वे उसकी आराधना करें, ताकि वे बुरे कार्य करने और परमेश्वर का प्रतिरोध करने में उसका साथ दें। क्या यह शैतान का भयानक उद्देश्य नहीं है?" (वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है IV)।
"परमेश्वर द्वारा मनुष्य के भीतर किए जाने वाले कार्य के प्रत्येक चरण में, बाहर से यह लोगों के मध्य अंतःक्रिया प्रतीत होता है, मानो यह मानव-व्यवस्थाओं द्वारा या मानवीय हस्तक्षेप से उत्पन्न हुआ हो। किंतु पर्दे के पीछे, कार्य का प्रत्येक चरण, और घटित होने वाली हर चीज़, शैतान द्वारा परमेश्वर के सामने चली गई बाज़ी है, और लोगों से अपेक्षित है कि वे परमेश्वर के लिए अपनी गवाही में अडिग बने रहें। उदाहरण के लिए, जब अय्यूब को आजमाया गया था : पर्दे के पीछे शैतान परमेश्वर के साथ दाँव लगा रहा था, और अय्यूब के साथ जो हुआ वह मनुष्यों के कर्म थे, और मनुष्यों का हस्तक्षेप था। परमेश्वर द्वारा तुम लोगों में किए गए कार्य के हर कदम के पीछे शैतान की परमेश्वर के साथ बाज़ी होती है—इस सब के पीछे एक संघर्ष होता है। ... जब परमेश्वर और शैतान आध्यात्मिक क्षेत्र में संघर्ष करते हैं, तो तुम्हें परमेश्वर को कैसे संतुष्ट करना चाहिए, और किस प्रकार उसकी गवाही में अडिग रहना चाहिए? तुम्हें यह पता होना चाहिए कि जो कुछ भी तुम्हारे साथ होता है, वह एक महान परीक्षण है और ऐसा समय है, जब परमेश्वर चाहता है कि तुम उसके लिए गवाही दो। हालाँकि ये बाहर से महत्त्वहीन लग सकती हैं, किंतु जब ये चीज़ें होती हैं तो ये दर्शाती हैं कि तुम परमेश्वर से प्रेम करते हो या नहीं। यदि तुम करते हो, तो तुम उसके लिए गवाही देने में अडिग रह पाओगे, और यदि तुम उसके प्रेम को अभ्यास में नहीं लाए हो, तो यह दर्शाता है कि तुम वह व्यक्ति नहीं हो जो सत्य को अभ्यास में लाता है, यह कि तुम सत्य से रहित हो, और जीवन से रहित हो, यह कि तुम भूसा हो! लोगों के साथ जो कुछ भी होता है, वह तब होता है जब परमेश्वर को आवश्यकता होती है कि लोग उसके लिए अपनी गवाही में अडिग रहें। भले ही इस क्षण में तुम्हारे साथ कुछ बड़ा घटित न हो रहा हो, और तुम बड़ी गवाही नहीं देते, किंतु तुम्हारे जीवन का प्रत्येक विवरण परमेश्वर के लिए गवाही का मामला है" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, केवल परमेश्वर से प्रेम करना ही वास्तव में परमेश्वर पर विश्वास करना है)। मैं परमेश्वर के वचनों से समझ गया कि मुझे इतनी बाधाओं का सामना क्यों करना पड़ रहा है। ऐसा लग रहा था मानो यह मेरे और माता-पिता के बीच का मामला हो, लेकिन ऐसा नहीं था। उसके पीछे शैतान के व्यवधान और जोड़-तोड़ थी। मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास रखने से रोकने के लिए शैतान मेरे परिवार का उपयोग कर रहा था, ताकि मैं परमेश्वर का उद्धार न स्वीकारूँ। यह एक आध्यात्मिक लड़ाई थी। तब मैं समझ गया, परमेश्वर चाहता है कि मैं अपनी गवाही में दृढ़ रहूं। और मैंने संकल्प किया कि घरवाले मुझे रोकने के लिए कितना भी जोर लगाएँ, मैं भाई-बहनों के साथ ऑनलाइन सभाओं में शामिल होता रहूंगा, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन पढ़ना और काम करना जारी रखूँगा और दृढ़ता से शैतान को लज्जित करूँगा।
मेरे माता-पिता के अत्याचार और रुकावटें चलती रहीं, लेकिन उनके कुछ भी कहने और करने पर, मैंने परमेश्वर के भरोसे उनके जबानी हमलों का जवाब दिया, सभाओं में भाग लेता रहा और सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन पढ़ता रहा। धीरे-धीरे उन्होंने मेरी आलोचना करना बंद कर दिया। इसके लिए मैंने मन ही मन परमेश्वर की स्तुति की। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन वाकई सत्य हैं, इन सत्यों के साथ, कोई मुझ पर हमला नहीं कर सकता या सर्वशक्तिमान परमेश्वर में मेरे विश्वास को डिगा नहीं सकता।
उसके बाद, याजक-वर्ग सच्चे मार्ग की जाँच-पड़ताल करने वाले भाई-बहनों को और भी अधिक बाधित करने लगा। पादरी गिल्बर्ट ने अपने छोटे भाई पर बहुत दबाव डाला कि वह कलीसिया में समारोह करे और कलीसिया न छोड़े। दोनों भाइयों में भयंकर शीतयुद्ध छिड़ गया। उनका छोटा भाई घर से निकलने में डरने लगा। वही करता जो उसका भाई कहता, उसने हमारी सभाओं में शामिल होना बंद कर दिया। मुझे उसके भाई के लिए बहुत अफसोस हुआ अब मेरे सामने धार्मिक याजक-वर्ग का असली चेहरा और भी उजागर हो गया। वे वास्तव में आधुनिक फरीसी हैं। वे खुद तो सच्चे मार्ग की खोज करते नहीं और जो करते हैं उनकी जाँच के आड़े आते हैं। वे लोगों को नरक में घसीट रहे हैं, जिससे वे परमेश्वर के अंत के दिनों के उद्धार से वंचित हो रहे हैं। क्या वे खुद को परमेश्वर का दुश्मन नहीं बना रहे हैं? जैसा कि प्रभु यीशु ने कहा है, "हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो, तुम पर हाय! तुम मनुष्यों के लिए स्वर्ग के राज्य का द्वार बन्द करते हो, न तो स्वयं ही उसमें प्रवेश करते हो और न उस में प्रवेश करनेवालों को प्रवेश करने देते हो" (मत्ती 23:13)। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "ऐसे भी लोग हैं जो बड़ी-बड़ी कलीसियाओं में दिन-भर बाइबल पढ़ते रहते हैं, फिर भी उनमें से एक भी ऐसा नहीं होता जो परमेश्वर के कार्य के उद्देश्य को समझता हो। उनमें से एक भी ऐसा नहीं होता जो परमेश्वर को जान पाता हो; उनमें से परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप तो एक भी नहीं होता। वे सबके सब निकम्मे और अधम लोग हैं, जिनमें से प्रत्येक परमेश्वर को सिखाने के लिए ऊँचे पायदान पर खड़ा रहता है। वे लोग परमेश्वर के नाम का झंडा उठाकर, जानबूझकर उसका विरोध करते हैं। वे परमेश्वर में विश्वास रखने का दावा करते हैं, फिर भी मनुष्यों का माँस खाते और रक्त पीते हैं। ऐसे सभी मनुष्य शैतान हैं जो मनुष्यों की आत्माओं को निगल जाते हैं, ऐसे मुख्य राक्षस हैं जो जानबूझकर उन्हें विचलित करते हैं जो सही मार्ग पर कदम बढ़ाने का प्रयास करते हैं और ऐसी बाधाएँ हैं जो परमेश्वर को खोजने वालों के मार्ग में रुकावट पैदा करते हैं। वे 'मज़बूत देह' वाले दिख सकते हैं, किंतु उसके अनुयायियों को कैसे पता चलेगा कि वे मसीह-विरोधी हैं जो लोगों से परमेश्वर का विरोध करवाते हैं?" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर को न जानने वाले सभी लोग परमेश्वर का विरोध करते हैं)। उस दौरान परमेश्वर के वचनों और मेरे व्यक्तिगत अनुभवों के प्रकाशन के जरिए, मैंने धार्मिक याजक-वर्ग का पाखंडी और घटिया चेहरा देख लिया। लगता था कि वे बाइबल की अच्छी व्याख्या करते हैं, विनम्र हैं, ईश्वरीय जीवन जीते हैं, विश्वासियों से प्रभु के आने की बाट जोहने को कहते हैं, लेकिन अब जब प्रभु यीशु लौट आया है, तो वे परमेश्वर की वाणी सुनने के बजाय, उसका विरोध और निंदा करते हैं, विश्वासियों को सच्चे मार्ग की जाँच करने से रोकने के लिए लड़ते हैं। जाहिर है, वे उन फरीसियों की तरह ही हैं जिन्होंने प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ा दिया था। वे सब दुष्ट हैं, उनकी प्रकृति सत्य से घृणा करने की है, वे मसीह-विरोधी हैं जिन्हें परमेश्वर के कार्य ने उजागर कर दिया है। वे परमेश्वर-विरोधी दुष्ट सेवक हैं! एक बार परमेश्वर-विरोधी, सत्य से घृणा करने की उनकी प्रकृति और सार देख लेने पर, मैंने उनके बारे में सच्ची समझ हासिल कर ली। अब मैं उनके ढोंगी नेक व्यवहार के बहकावे में नहीं आता। मैं पूरी तरह से मसीह-विरोधी ताकतों के बंधन से मुक्त हो गया था। सर्वशक्तिमान परमेश्वर का धन्यवाद!
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