परमेश्वर की वाणी को सुनना और प्रभु का स्वागत करना
सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं : “बहुत से लोगों को शायद इसकी परवाह न हो कि मैं क्या कहता हूँ, किंतु मैं ऐसे हर तथाकथित संत को, जो यीशु का अनुसरण करते हैं, बताना चाहता हूँ कि जब तुम लोग यीशु को एक श्वेत बादल पर स्वर्ग से उतरते अपनी आँखों से देखोगे, तो यह धार्मिकता के सूर्य का सार्वजनिक प्रकटन होगा। शायद वह तुम्हारे लिए एक बड़ी उत्तेजना का समय होगा, मगर तुम्हें पता होना चाहिए कि जिस समय तुम यीशु को स्वर्ग से उतरते देखोगे, यही वह समय भी होगा जब तुम दंडित किए जाने के लिए नीचे नरक में जाओगे। वह परमेश्वर की प्रबंधन योजना की समाप्ति का समय होगा, और वह समय होगा, जब परमेश्वर सज्जन को पुरस्कार और कुकर्मी को दंड देगा। क्योंकि परमेश्वर का न्याय मनुष्य के देखने से पहले ही समाप्त हो चुका होगा, जब सिर्फ़ सत्य की अभिव्यक्ति होगी। वे जो सत्य को स्वीकार करते हैं और संकेतों की खोज नहीं करते और इस प्रकार शुद्ध कर दिए गए हैं, वे परमेश्वर के सिंहासन के सामने लौट चुके होंगे और सृष्टिकर्ता के आलिंगन में प्रवेश कर चुके होंगे। सिर्फ़ वे जो इस विश्वास में बने रहते हैं कि ‘ऐसा यीशु जो श्वेत बादल पर सवारी नहीं करता, एक झूठा मसीह है’ अनंत दंड के अधीन कर दिए जाएँगे, क्योंकि वे सिर्फ़ उस यीशु में विश्वास करते हैं जो संकेत प्रदर्शित करता है, पर उस यीशु को स्वीकार नहीं करते, जो कड़े न्याय की घोषणा करता है और जीवन और सच्चा मार्ग प्रकट करता है। इसलिए केवल यही हो सकता है कि जब यीशु खुलेआम श्वेत बादल पर वापस लौटे, तो वह उनके साथ निपटे” (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, जब तक तुम यीशु के आध्यात्मिक शरीर को देखोगे, परमेश्वर स्वर्ग और पृथ्वी को नया बना चुका होगा)। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों से प्रकट होता है कि प्रभु के स्वागत में विश्वासी जो सबसे बड़ी ग़लती करते हैं, वह बाइबल के शब्दों से चिपके रहने और उसके बादल पर आने का इंतजार करने की कल्पना है। यह सुनने के बाद भी कि वह वापस आ गया है और वह सत्यों की अभिव्यक्ति कर रहा है और अंत के दिनों में न्याय का कार्य कर रहा है, वे परमेश्वर की वाणी को सुनने की कोशिश करते हैं और न जांच-पड़ताल करते हैं। परिणामस्वरूप, वे प्रभु द्वारा स्वर्ग के राज्य में उठाए जाने के अपने अवसर से चूक जाते हैं। जब वह दिन आएगा कि लोग प्रभु यीशु को बादल पर नीचे आते हुए देखेंगे, तब तक इंसान को स्वच्छ बनाने और मानवजाति को बचाने का परमेश्वर का कार्य पूरा हो चुका होगा। तब उन्हें दंडित किया जाएगा, वे रोएंगे और दांत पीसते रह जाएंगे। सत्य को खोजे बिना या परमेश्वर की वाणी को सुने बिना अपनी धारणाओं और कल्पनाओं से चिपके रहना बहुत खतरनाक है! इसी तरह की धारणाओं और कल्पनाओं में फँसा रहकर मैंने प्रभु के स्वागत का मौका करीब-करीब गँवा ही दिया था।
मैं एक गृह कलीसिया में प्रचारक हुआ करता था। 1996 तक मुझे खोखलापन महसूस हुआ और मुझे कोई पोषण नहीं मिला, तो मैं दूसरे धर्मोपदेश सुनने जाने लगा। एक बार मैंने किसी को कहते सुना कि चमकती पूर्वी बिजली ने गवाही दी है कि प्रभु यीशु देहधारी होकर वापस आ गया है, और वह सत्य अभिव्यक्त कर रहा है और वह अंत के दिनों का न्याय-कार्य कर रहा है, और कुछ भाई-बहन पहले ही चमकती पूर्वी बिजली में शामिल हो चुके हैं। मैं सचमुच भौचक्का रह गया, और मैंने सोचा, “प्रभु वापस आ चुका है? ये कैसे संभव हो सकता है? बाइबल में कहा गया है : ‘हे गलीली पुरुषो, तुम क्यों खड़े आकाश की ओर देख रहे हो? यही यीशु, जो तुम्हारे पास से स्वर्ग पर उठा लिया गया है, जिस रीति से तुम ने उसे स्वर्ग को जाते देखा है उसी रीति से वह फिर आएगा’ (प्रेरितों 1:11)। प्रभु को अपने पुनर्जीवित आध्यात्मिक शरीर के रूप में बादल पर वापस आना चाहिए, हमारे सामने खुलकर प्रकट होना चाहिए। चूँकि हमने कभी भी ऐसा कुछ नहीं देखा है, फिर कोई भी ऐसा कैसे कह सकता है कि वह वापस आ गया है? परमेश्वर के देहधारी होकर न्याय का कार्य करने वाली बात तो और भी कम विश्वसनीय है।” इसलिए मैंने चमकती पूर्वी बिजली के धर्मोपदेशों को कभी नहीं सुना या देखा।
एक दिन हमारे कलीसिया के भाई वेस्टन ने कुछ दूसरे प्रचारकों को निमंत्रित किया। उसने कहा कि उनके धर्मोपदेशों में पवित्र आत्मा की प्रबुद्धता है और हम सब भी कुछ सीख सकेंगे। मैंने रोमांचित होकर दूसरे भाई-बहनों को आमंत्रित कर लिया। सभा में बहन लीला और ज़ो ने व्यवस्था और अनुग्रह के युगों में परमेश्वर के कार्य के मायने और परमेश्वर के नामों के रहस्य वाली अपनी संगति में बाइबल को शामिल कर लिया। उन्होंने यह चर्चा की कि हम किस प्रकार से पाप करके उसे स्वीकार करने के दुष्चक्र में जी रहे हैं, हम प्रभु के दर्शन के लिए कितने अपवित्र, भ्रष्ट और अयोग्य हैं। उन्होंने यह भी कहा कि बाइबल में भविष्यवाणी की गई थी कि प्रभु हमारी पापी प्रकृति को ठीक करने और स्वच्छ करने के लिए अंत के दिनों में वापस आने पर मानवजाति का न्याय कर उसे शुद्ध करेगा। पाप से मुक्त होकर स्वर्ग के राज्य के योग्य होने का यह एकमात्र रास्ता है। जैसे कि प्रभु यीशु ने कहा : “मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा” (यूहन्ना 16:12-13)। “क्योंकि मैं जगत को दोषी ठहराने के लिये नहीं, परन्तु जगत का उद्धार करने के लिये आया हूँ। वो जो मुझे नकार देता है, और मेरे वचन नहीं स्वीकारता, उसका भी न्याय करने वाला कोई है : मैंने जो वचन बोले हैं वे ही अंत के दिन उसका न्याय करेंगे” (यूहन्ना 12:47-48)। बहनों की संगति प्रबुद्धता से भरी थी। अपनी दस वर्षों की आस्था के दौरान मैंने इस प्रकार की संगति पहले कभी नहीं सुनी थी। मुझे और सुनने की जरूरत थी, इसलिए और संगति के लिए मैंने उन्हें अपने घर आने का निमंत्रण दिया। एक शाम लीला सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों के बारे में बोली, “सात गर्जनाएँ होती हैं—भविष्यवाणी करती हैं कि राज्य का सुसमाचार पूरे ब्रह्मांड में फैल जाएगा।” उसने गवाही दी कि प्रभु यीशु, अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के रूप में वापस आ चुका है। खासकर जब मैंने परमेश्वर के वचनों में यह ज़िक्र सुना “रोशनी सीधे पूरब से पश्चिम की ओर चमकती है,” तो मैं समझ गया कि यह चमकती पूर्वी बिजली है। मैं चौंकने के साथ-साथ निराश भी था। ऐसा कैसे हो सकता है? मैंने बरसों से ऐसे प्रबुद्ध करने वाले धर्मोपदेश नहीं सुने थे। मैं यह सोचकर बहुत आनंदित था कि मैंने आखिर पवित्र आत्मा का कार्य और जीवन-जल का पोषण प्राप्त कर लिया है। मैंने इसकी कभी कल्पना नहीं की थी कि यह चमकती पूर्वी बिजली होगी! बाइबल में यह लिखा है कि प्रभु एक बादल पर वापस आएगा और हमें सीधे स्वर्ग में ले जाएगा। वे ऐसा कैसे कह सकती हैं कि प्रभु देहधारी होकर वापस आ चुका है? मैं अब एक भी शब्द नहीं सुनना चाहता था। मुझे लगा कि अगर मैं उन्हें मुझे भटकाने दूंगा, तो वर्षों से आस्था के लिए मैंने जो सहा है, वह बेकार चला जाएगा। मैं उन्हें बस बाहर कर देना चाहता था। लेकिन फिर करीब दो हफ्ते उनके साथ रहकर मैंने देखा था कि वे नेक मानवता वाला जीवन जी रही हैं। यह शीत ऋतु का सर्द महीना था, कड़ाके की सर्दी थी, और आधी रात गुजर चुकी थी। मुझे लगा इसी वक्त उन्हें बाहर निकालना बहुत अमानवीय होगा। मैं सचमुच पसोपेश में पड़ गया। मन में संघर्ष चल रहा था-मुझे पता नहीं कि परमेश्वर की इच्छा क्या थी। किसी बहाने मैं अपन सोने के कमरे में लौट गया, और प्रभु के समक्ष घुटनों के बल प्रार्थना में झुक गया : “हे प्रभु, इन बहनों की संगति में वाकई प्रकाश है, लेकिन मुझे गुमराह होने का डर है। मैं इतना खो गया हूँ नहीं जानता कि क्या करूँ। हे प्रभु, मेरा मार्गदर्शन करो।” प्रार्थना के बाद मुझे याद आया कि प्रभु यीशु ने हमें लोगों से प्रेम से पेश आना सिखाया है। उन्हें खदेड़ देना परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप नहीं होगा। हालाँकि मैंने उन्हें रहने दिया पर इन दो बहनों के सामना करना मेरे लिए अभिभूत करने वाला था। मैं जानता था कि उनकी संगति प्रबुद्ध करने वाली है, और पवित्र आत्मा के कार्य से आई है, लेकिन उनकी यह संगति कि परमेश्वर देहधारी होकर वापस आ चुका है, मेरी अपनी धारणाओं के विपरीत थी। मुझे लगा कि मैं उनसे अपना यह सवाल पूछ सकता हूँ और फिर देखता हूँ कि वो क्या कहती हैं तो मैंने उनसे पूछा : “तुम गवाही देती हो कि प्रभु यीशु देहधारी होकर वापस आ गया है। मैं सच में इस पर यकीन नहीं कर पा रहा। बाइबल में यह साफ लिखा है : ‘हे गलीली पुरुषो, तुम क्यों खड़े आकाश की ओर देख रहे हो? यही यीशु, जो तुम्हारे पास से स्वर्ग पर उठा लिया गया है, जिस रीति से तुम ने उसे स्वर्ग को जाते देखा है उसी रीति से वह फिर आएगा’ (प्रेरितों 1:11)। यह प्रभु यीशु का आध्यात्मिक शरीर था जो उनके जी उठने के बाद स्वर्ग तक उठाया गया था, इसलिए उसके लौटने पर बादल पर वापस आने वाला, उसका आध्यात्मिक शरीर होना चाहिए। तो फिर तुम कैसे कह सकती हो कि वह देहधारी होकर वापस आया है?”
लीला ने धैर्यपूर्वक जवाब दिया : “बाइबल की बहुत-सी भविष्यवाणियों में प्रभु के देहधारी होकर वापस आने की बात कही गई है। प्रभु यीशु ने कहा : ‘जैसे बिजली पूर्व से निकलकर पश्चिम तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य के पुत्र का भी आना होगा’ (मत्ती 24:27)। ‘तुम भी तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी के विषय में तुम सोचते भी नहीं हो, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा’ (मत्ती 24:44)। ‘क्योंकि जैसे बिजली आकाश के एक छोर से कौंध कर आकाश के दूसरे छोर तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन में प्रगट होगा। परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दुःख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ’ (लूका 17:24-25)। प्रभु यीशु की वापसी को लेकर हुई भविष्यवाणियों में ‘मनुष्य का पुत्र आ जाएगा,’ ‘मनुष्य के पुत्र का भी आना होगा,’ और ‘मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन में प्रगट होगा’ का कई बार ज़िक्र आता है। ‘मनुष्य के पुत्र’ का अर्थ है कि जो मनुष्य से पैदा हुआ और जिसमें सामान्य मानवता है। अगर वह आध्यात्मिक रूप में होता, तो उसे ‘मनुष्य का पुत्र’ नहीं कहा जाता। यहोवा परमेश्वर आध्यात्मिक रूप में था, इसलिए उसे ‘मनुष्य का पुत्र’ नहीं कहा जा सका। देवदूत आत्मा हैं, इसलिए उन्हें ‘मनुष्य का पुत्र’ नहीं कहा जाता। प्रभु यीशु को मसीह, मनुष्य का पुत्र कहा गया, क्योंकि वह परमेश्वर के आत्मा का देहधारी रूप है और उस मनुष्य के पुत्र में सामान्य मानवता थी। इसलिए जब प्रभु यीशु ने कहा, ‘मनुष्य के पुत्र का भी आना होगा’ और ‘मनुष्य का पुत्र आ जाएगा,’ तो यह प्रभु के अंत के दिनों में देहधारी होकर वापसी का संकेत था।”
तब ज़ो ने कहा, “प्रभु यीशु ने अपनी वापसी की भविष्यवाणी की थी : ‘परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दुःख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ।’ परमेश्वर प्रकट हो चुका है और अंत के दिनों में मनुष्य के पुत्र के रूप में देहधारी होकर कार्य करता है। प्रभु यीशु मसीह की तरह वह बाहर से किसी व्यक्ति के आम पुत्र की तरह दिखाई देता है। लोग उसे मसीह के रूप में नहीं पहचानते और उससे सामान्य व्यक्ति की तरह पेश आते हैं। वो लोग जो धार्मिक जगत और शैतान के राज्य का हिस्सा हैं, दोनों अंतिम दिनों के मसीह की निंदा कर उसे ठुकराने में जुट जाते हैं। और प्रभु की यह भविष्यवाणी अच्छी तरह पूरी हो जाती है : ‘परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दुःख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ।’ अगर यह इंसानी विचारों की तरह हो और प्रभु अंत के दिनों में अपने आध्यात्मिक रूप में भव्यता के साथ एक बादल पर सवार होकर खुलकर सभी को दिखाते हुए प्रकट हो जाए, तो हरेक इंसान बेशक उसके चरणों में गिर पड़ेगा, उसके आगे झुककर उसकी आराधना करेगा और कोई उसका विरोध नहीं करेगा। तब यह भविष्यवाणी कैसे पूरी होगी?”
इससे मुझे समझ आना शुरू हुआ कि अगर प्रभु सीधे ही अंत के दिनों में अपने आध्यात्मिक रूप में प्रकट हो जाता, तो जो भी उसे देखता उसके चरणों में गिर जाता और कोई भी उसके खिलाफ नहीं जाता। फिर यह भविष्यवाणी : “परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दुःख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ,” शायद पूरी न हो पाती। मैंने इस बारे में सोचा कि चमकती पूर्वी बिजली किस तरह से गवाही दे रही है कि प्रभु यीशु वापस लौट आया है और धार्मिक जगत और सीसीपी सरकार उसका विरोध और निंदा करने में कोई कसर नहीं उठा रहे हैं। क्या इससे इस पीढ़ी द्वारा प्रभु के ठुकराए जाने की भविष्यवाणी पूरी नहीं हो जाती? क्या सर्वशक्तिमान परमेश्वर वास्तव में वापस आया हुआ प्रभु यीशु हो सकता है? बाइबल में सचमुच मनुष्य के पुत्र के आने की भविष्यवाणी की गई है, पर फिर भी मैं कुछ चीजें नहीं समझ पाया था। प्रभु ने यह भी कहा : “देखो, वह बादलों के साथ आनेवाला है, और हर एक आँख उसे देखेगी, वरन् जिन्होंने उसे बेधा था वे भी उसे देखेंगे, और पृथ्वी के सारे कुल उसके कारण छाती पीटेंगे” (प्रकाशितवाक्य 1:7)। मुझे आश्चर्य था कि अगर प्रभु देहधारी होकर मनुष्य के पुत्र के रूप में वापस आए तो यह भविष्यवाणी कैसे पूरी हो सकती थी। इसलिए मैंने उनसे अपनी उलझन के बारे में चर्चा की।
लीला ने यह संगति की : “प्रभु निष्ठावान है। उसका एक-एक वचन पूरा होगा। सिर्फ समय की बात है। प्रभु की वापसी के बारे में बाइबल में बहुत-सी भविष्यवाणियाँ हैं। उसके बादल पर आने के अलावा, कुछ भविष्यवाणियाँ उसके देहधारी होकर चोरी-छिपे आने की भी हैं। उदहारण के लिए, प्रभु ने कहा : ‘आधी रात को धूम मची : “देखो, दूल्हा आ रहा है! उससे भेंट करने के लिये चलो”’ (मत्ती 25:6)। ‘उस दिन और उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता, न स्वर्ग के दूत और न पुत्र, परन्तु केवल पिता’ (मत्ती 24:36)। और प्रकाशित वाक्य में एक भविष्यवाणी है : ‘देख, मैं चोर के समान आता हूँ’ (प्रकाशितवाक्य 16:15)। इन भविष्यवाणियों में उसका जिक्र है, ‘चोर के समान,’ ‘आधी रात को धूम मची,’ और ‘कोई नहीं जानता,’ वह चोरी-छिपे वापस आने के बारे में बात कर रहा था। प्रभु दो अलग तरीकों से आता है। वह मनुष्य के पुत्र के रूप में चोरे-छिपे देहधारण करता है और वह खुले में बादल पर भी आता है। इसका अर्थ यह है कि वह पहले चोरी-छिपे देहधारी बनकर आता है, ताकि सत्य को अभिव्यक्त कर वह मानवजाति का न्याय कर उसे स्वच्छ कर सके और विपत्तियाँ आने से पहले विजेताओं का एक समूह बना सके। जब देहधारी परमेश्वर एक बार मानवजाति को बचाने का अपना काम गुप्त रूप से पूरा कर लेगा, विपत्तियाँ टूटेंगी, तब वह नेक लोगों को पुरस्कृत करेगा और बुरे लोगों को दंड देगा। इसके बाद ही, परमेश्वर खुले में बादल पर आएगा, सभी राष्ट्रों और लोगों के सामने स्वयं को प्रकट करेगा। यही वह समय होगा जब प्रभु के खुलकर आने की भविष्यवाणियाँ पूरी तरह सच होंगी। जो भी लोग सर्वशक्तिमान परमेश्वर के न्याय के कार्य को स्वीकार करेंगे, जिनके भ्रष्ट स्वभावों को स्वच्छ कर दिया गया है, परमेश्वर उन सबकी रक्षा करेगा, वे विपत्तियों से बचाए जाएंगे। वे परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करेंगे। लेकिन जो लोग सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को ठुकराएंगे, जो उसका विरोध और निंदा करने में कोई कसर नहीं छोड़ते, वे विपत्तियों में दंडित किए जाएंगे और वे रोते रहेंगे, अपने दांत पीसते रहेंगे। इससे प्रकाशित वाक्य की यह भविष्यवाणी पूरी होगी : ‘देखो, वह बादलों के साथ आनेवाला है, और हर एक आँख उसे देखेगी, वरन् जिन्होंने उसे बेधा था वे भी उसे देखेंगे, और पृथ्वी के सारे कुल उसके कारण छाती पीटेंगे’ (प्रकाशितवाक्य 1:7)।” फिर उसने मेरे लिए सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों का यह उद्धरण पढ़ा : “बहुत से लोगों को शायद इसकी परवाह न हो कि मैं क्या कहता हूँ, किंतु मैं ऐसे हर तथाकथित संत को, जो यीशु का अनुसरण करते हैं, बताना चाहता हूँ कि जब तुम लोग यीशु को एक श्वेत बादल पर स्वर्ग से उतरते अपनी आँखों से देखोगे, तो यह धार्मिकता के सूर्य का सार्वजनिक प्रकटन होगा। शायद वह तुम्हारे लिए एक बड़ी उत्तेजना का समय होगा, मगर तुम्हें पता होना चाहिए कि जिस समय तुम यीशु को स्वर्ग से उतरते देखोगे, यही वह समय भी होगा जब तुम दंडित किए जाने के लिए नीचे नरक में जाओगे। वह परमेश्वर की प्रबंधन योजना की समाप्ति का समय होगा, और वह समय होगा, जब परमेश्वर सज्जन को पुरस्कार और कुकर्मी को दंड देगा। क्योंकि परमेश्वर का न्याय मनुष्य के देखने से पहले ही समाप्त हो चुका होगा, जब सिर्फ़ सत्य की अभिव्यक्ति होगी। वे जो सत्य को स्वीकार करते हैं और संकेतों की खोज नहीं करते और इस प्रकार शुद्ध कर दिए गए हैं, वे परमेश्वर के सिंहासन के सामने लौट चुके होंगे और सृष्टिकर्ता के आलिंगन में प्रवेश कर चुके होंगे। सिर्फ़ वे जो इस विश्वास में बने रहते हैं कि ‘ऐसा यीशु जो श्वेत बादल पर सवारी नहीं करता, एक झूठा मसीह है’ अनंत दंड के अधीन कर दिए जाएँगे, क्योंकि वे सिर्फ़ उस यीशु में विश्वास करते हैं जो संकेत प्रदर्शित करता है, पर उस यीशु को स्वीकार नहीं करते, जो कड़े न्याय की घोषणा करता है और जीवन और सच्चा मार्ग प्रकट करता है। इसलिए केवल यही हो सकता है कि जब यीशु खुलेआम श्वेत बादल पर वापस लौटे, तो वह उनके साथ निपटे। वे बहुत हठधर्मी, अपने आप में बहुत आश्वस्त, बहुत अभिमानी हैं। ऐसे अधम लोग यीशु द्वारा कैसे पुरस्कृत किए जा सकते हैं? यीशु की वापसी उन लोगों के लिए एक महान उद्धार है, जो सत्य को स्वीकार करने में सक्षम हैं, पर उनके लिए जो सत्य को स्वीकार करने में असमर्थ हैं, यह दंडाज्ञा का संकेत है। तुम लोगों को अपना स्वयं का रास्ता चुनना चाहिए, और पवित्र आत्मा के खिलाफ निंदा नहीं करनी चाहिए और सत्य को अस्वीकार नहीं करना चाहिए। तुम लोगों को अज्ञानी और अभिमानी व्यक्ति नहीं बनना चाहिए, बल्कि ऐसा बनना चाहिए, जो पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन का पालन करता हो और सत्य की खोज के लिए लालायित हो; सिर्फ इसी तरीके से तुम लोग लाभान्वित होगे” (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, जब तक तुम यीशु के आध्यात्मिक शरीर को देखोगे, परमेश्वर स्वर्ग और पृथ्वी को नया बना चुका होगा)।
मेरी आँखें एकाएक खुल गईं। मैंने पाया कि प्रभु की वापसी चरणों में होती है। पहले वह देहधारी होकर वचन बोलता है और गुप्त रूप से कार्य करता है, और तब वह वह खुलकर एक बादल पर आता है, सभी लोगों के सामने प्रकट होता है। मैंने देखा कि मैं प्रभु के आने को, अपनी धारणाओं और कल्पनाओं के कारण बस आख़िरी चरण में सीमित करता रहा था। यह विचार कि वह संभवतः देहधारी होकर नहीं आएगा, ग़लत था। मैं उस पर देर तक नहीं टिका रह सका। मैंने प्रभु यीशु के इन वचनों के बारे में सोचा : “क्योंकि जो कोई माँगता है, उसे मिलता है; और जो ढूँढ़ता है, वह पाता है; और जो खटखटाता है, उसके लिये खोला जाएगा” (मत्ती 7:8)। अब प्रभु की वापसी की बात जानकर मेरे दिल में परमेश्वर का भय होना चाहिए था, मुझे परमेश्वर की इच्छा की जांच-पड़ताल करनी चाहिए थी। ऐसा नहीं किया, तो शायद मुझे प्रभु त्याग देगा!
फिर मैंने उनसे पूछा, “चूँकि प्रभु जब लौटता है तो पहले गुप्त रूप से काम करने के लिए देहधारी होता है, तो हम कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही अंत के दिनों का मसीह, देहधारी परमेश्वर है?” फिर लीला ने बड़ी खुशी से जवाब दिया, “हज़ारों वर्षों से कोई भी इंसान इन रहस्यों को और सत्यों को नहीं समझ पाया है कि परमेश्वर का देहधारण क्या है और हम कैसे देहधारी परमेश्वर को जान सकते हैं। और अब सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने हमारे सामने इन रहस्यों और सत्यों पर से परदा उठा दिया है।” फिर उसने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों के कुछ अंश पढ़े : “‘देहधारण’ परमेश्वर का देह में प्रकट होना है; परमेश्वर सृष्टि के मनुष्यों के मध्य देह की छवि में कार्य करता है। चूँकि परमेश्वर देहधारी है, तो उसे सबसे पहले देह बनना होगा, सामान्य मानवता वाला देह; यह सबसे मौलिक आवश्यकता है। वास्तव में, परमेश्वर के देहधारण का निहितार्थ यह है कि परमेश्वर देह में रह कर कार्य करता है, परमेश्वर अपने सार में देहधारी बन जाता है, वह मनुष्य बन जाता है” (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर द्वारा धारण किये गए देह का सार)। “देहधारण का अर्थ है कि परमेश्वर का आत्मा देह बन जाता है, अर्थात्, परमेश्वर देह बन जाता है; देह के द्वारा किया जाने वाला कार्य पवित्रात्मा का कार्य है, जो देह में साकार होता है, देह द्वारा अभिव्यक्त होता है। परमेश्वर के देह को छोड़कर अन्य कोई भी देहधारी परमेश्वर की सेवकाई को पूरा नहीं कर सकता; अर्थात्, केवल परमेश्वर का देहधारी देह, यह सामान्य मानवता—अन्य कोई नहीं—दिव्य कार्य को व्यक्त कर सकता है” (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर द्वारा धारण किये गए देह का सार)। “देहधारी परमेश्वर मसीह कहलाता है और मसीह परमेश्वर के आत्मा द्वारा धारण की गई देह है। यह देह किसी भी मनुष्य की देह से भिन्न है। यह भिन्नता इसलिए है क्योंकि मसीह मांस तथा खून से बना हुआ नहीं है; वह आत्मा का देहधारण है। उसके पास सामान्य मानवता तथा पूर्ण दिव्यता दोनों हैं। उसकी दिव्यता किसी भी मनुष्य द्वारा धारण नहीं की जाती। उसकी सामान्य मानवता देह में उसकी समस्त सामान्य गतिविधियां बनाए रखती है, जबकि उसकी दिव्यता स्वयं परमेश्वर के कार्य अभ्यास में लाती है” (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, स्वर्गिक परमपिता की इच्छा के प्रति समर्पण ही मसीह का सार है)। “जो देहधारी परमेश्वर है, उसके पास परमेश्वर का सार होगा और जो देहधारी परमेश्वर है, उसके पास परमेश्वर की अभिव्यक्ति होगी। चूँकि परमेश्वर ने देह धारण किया है, इसलिए वह उस कार्य को सामने लाएगा, जो वह करना चाहता है, और चूँकि परमेश्वर ने देह धारण किया है, इसलिए वह उसे अभिव्यक्त करेगा जो वह है और वह मनुष्य के लिए सत्य को लाने, उसे जीवन प्रदान करने और उसे मार्ग दिखाने में सक्षम होगा। जिस देह में परमेश्वर का सार नहीं है, वह निश्चित रूप से देहधारी परमेश्वर नहीं है; इसमें कोई संदेह नहीं। अगर मनुष्य यह पता करना चाहता है कि क्या यह देहधारी परमेश्वर है, तो इसकी पुष्टि उसे उसके द्वारा अभिव्यक्त स्वभाव और उसके द्वारा बोले गए वचनों से करनी चाहिए। इसे ऐसे कहें, व्यक्ति को इस बात का निश्चय कि यह देहधारी परमेश्वर है या नहीं और कि यह सही मार्ग है या नहीं, उसके सार से करना चाहिए। और इसलिए, यह निर्धारित करने की कुंजी कि यह देहधारी परमेश्वर की देह है या नहीं, उसके बाहरी स्वरूप के बजाय उसके सार (उसका कार्य, उसके कथन, उसका स्वभाव और कई अन्य पहलू) में निहित है। यदि मनुष्य केवल उसके बाहरी स्वरूप की ही जाँच करता है, और परिणामस्वरूप उसके सार की अनदेखी करता है, तो इससे उसके अनाड़ी और अज्ञानी होने का पता चलता है” (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, प्रस्तावना)।
सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ने के बाद लीला ने आगे संगति जारी रखी : “मसीह देहधारी परमेश्वर है। वह देह के वस्त्र में परमेश्वर का आत्मा है, जो एक सामान्य व्यक्ति बन गया है, इंसान के बीच काम करता, वचन बोलता है। देहधारी परमेश्वर सामान्य व्यक्ति जैसा दिखता है, विशालकाय या अलौकिक नहीं। उसमें एक सामान्य व्यक्ति की सारी समझ, सोच और भावनाएं हैं। वह सामान्य व्यक्ति की तरह खाता, सोता और कपड़े पहनता है और वह लोगों के बीच रहता है, उनसे बिल्कुल सच्चे ढंग से मिलता-जुलता है। मगर सामान्य मानवता के अलावा उसमें दिव्य सार भी है, जो लोगों में नहीं होता। इसीलिए मसीह परमेश्वर का अपना काम कर सकता है। वह पुराने युग को समाप्त कर एक नये युग को शुरू कर सकता है। उसका सार है : सत्य, मार्ग और जीवन। वह सत्य व्यक्त कर सकता है और कभी भी किसी भी समय लोगों का मार्गदर्शन कर उनका पोषण कर सकता है-वह हमें अभ्यास का एक मार्ग दे सकता है। मसीह रहस्य भी प्रकट कर सकता है, परमेश्वर का स्वभाव, जो वह स्वयं है, और अपनी सर्वशक्तिमत्ता और बुद्धि अभिव्यक्त कर सकता है। मसीह के वचन सब-कुछ पूरा कर सकते हैं। कोई भी इंसान ऐसा नहीं जो यह कर सके। प्रभु यीशु एक साधारण मनुष्य जैसा दिखता था लेकिन उसमें एक दिव्य सार था। उसके प्रकटन और कार्य ने अनुग्रह का युग शुरू किया और व्यवस्था का युग समाप्त किया। उसने सत्य को अभिव्यक्त किया, हमें प्रायश्चित का मार्ग दिखाया, हमारे पापों को क्षमा किया। वह सहनशील और क्षमावान था, और उसने हमसे सत्तर गुणा सात बार क्षमा करने की बात कही। उसने परमेश्वर का प्रेमपूर्ण, दया और कृपालु स्वभाव दर्शाया। कार्य करते समय उसने बहुत-से संकेत और चमत्कार भी दिखाए, जैसे कि अंधों को दृष्टि दी, लंगड़ों को चलाया, एक वचन से सागर को शांत किया, मुर्दों को जगाया, पांच रोटियों और दो मछलियों से पाँच हज़ार लोगों का का पेट भरा और भी बहुत कुछ। इससे परमेश्वर का अधिकार और सामर्थ्य पूरी तरह प्रकाशित हुआ। प्रभु यीशु का कार्य और वचन और उसके द्वारा अभिव्यक्त स्वभाव इसका पर्याप्त सबूत है कि वह देहधारी परमेश्वर था। केवल परमेश्वर ही सत्य व्यक्त कर सकता है, पुराने युग को समाप्त कर नए युग को शुरू कर सकता है, परमेश्वर के स्वभाव और उसके कार्य की बुद्धि को व्यक्त कर सकता है। यीशु के अलावा कोई भी सत्य को व्यक्त नहीं कर सकता, नहीं बता सकता जो वह स्वयं है, या परमेश्वर का कार्य संपन्न नहीं कर सकता। हम इसी तरह सुनिश्चित भी कर सकते हैं कि क्या सर्वशक्तिमान परमेश्वर देहधारी परमेश्वर और अंत के दिनों का मसीह है। यह इस पर आधारित नहीं है कि वह कैसा दिखता है, वह किस प्रकार के परिवार में पैदा हुआ था, उसकी सामाजिक स्थिति क्या है, या उसकी कोई प्रतिष्ठा है या नहीं। इसमें से कोई भी मायने नहीं रखता। सबसे महत्वपूर्ण बात है सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य और वचनों की खोज और जांच करना, यह देखना कि क्या वह सत्य को व्यक्त कर सकता है और परमेश्वर का कार्य कर सकता है। अगर वह सत्य को और परमेश्वर के स्वभाव को व्यक्त करता है, और मानवजाति को बचाने के लिए परमेश्वर का कार्य करता है, तो वह बेशक एक सामान्य व्यक्ति लगे जिसके पास कोई प्रतिष्ठा या सामर्थ्य नहीं है, और लोगों की निंदा और उनके अस्वीकार करने के बावजूद वह देहधारी परमेश्वर है। वह मसीह है।”
उसकी संगति से मैं अच्छी तरह समझ पाया कि देहधारी परमेश्वर सत्य को व्यक्त कर सकता है और परमेश्वर का कार्य कर सकता है। यही तय करने का आधार है कि कोई यीशु है या नहीं। ज़ो ने संगति जारी रखी : “यह सुनिश्चित करने के लिए कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर देहधारी परमेश्वर है, हम सिर्फ उसके बाहरी रूप को नहीं देख सकते। हमें उसके वचनों, उसके कार्य और स्वभाव से सुनिश्चित होना पड़ेगा, जिसे वह अभिव्यक्त करता है। अंत के दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर सत्य अभिव्यक्त करता है, और न्याय का कार्य करता है, प्रभु यीशु के छुटकारे के कार्य की बुनियाद पर परमेश्वर के घर से शुरू करता है। उसने अनुग्रह के युग को समाप्त कर राज्य के युग की शुरुआत की है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने लाखों वचन बोले हैं। उसने परमेश्वर के 6,000-वर्ष की प्रबंधन योजना के रहस्य को, उसके तीन चरणों में कार्य के रहस्य को, परमेश्वर के देहधारण को और बाइबल की अंदरूनी कहानी पर से पर्दा उठा दिया है। उसने प्रकाशित किया है कि शैतान कैसे इंसान को भ्रष्ट करता है और परमेश्वर कैसे मानवजाति को बचाता है, कैसे परमेश्वर अंत के दिनों में लोगों का न्याय करने और उन्हें स्वच्छ करने का कार्य करता है, कैसे वह लोगों को उनकी किस्म के मुताबिक़ अलग करता है और किस प्रकार से उनका अंत और मंज़िल और बहुत कुछ तय करता है। परमेश्वर का विरोध करने की हमारी शैतानी प्रकृति और हमारे भ्रष्ट स्वभाव को उजागर कर हमारे साथ न्याय करके, सर्वशक्तिमान परमेश्वर अपने स्वभाव को व्यक्त करता है जो कि मुख्य रूप से धार्मिक है। वह पाप को ख़त्म करने और स्वच्छ किए जाने का मार्ग भी दिखाता है।” ज़ो ने परमेश्वर के वचनों के जरिए अपने साथ हुए न्याय और ताड़ना का अनुभव भी साझा किया। उसने कहा, “परमेश्वर के वचनों के जरिए मेरा न्याय, ताड़ना, इम्तहान, शोधन और काट-छाँट होने तक मैं नहीं समझ पाई थी कि मैं कितनी अहंकारी, स्वार्थी और कपटी हूँ। परमेश्वर में मेरा विश्वास था और मैंने उसके लिए खुद को खपाया था, फिर भी अपनी शैतानी प्रकृति के कारण मैं पाप करती थी और परमेश्वर का प्रतिरोध करती थी। मिसाल के लिए मुझे दिखावा करना पसंद था ताकि लोग मुझे आदर से देखें। मैं अक्सर दूसरों को घमंड से डांटती, अपनी बात मानने को मजबूर करती। मैं अपने नाम और प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए झूठ बोलती, और दूसरों को धोखा देती। यह सूची लंबी है। परमेश्वर के वचनों के न्याय और ताड़ना द्वारा, मैंने देखा कि मैं अपने शैतानी स्वभाव से जी रही थी और मैं बिल्कुल इंसान के अनुरूप नहीं थी। मैंने यह भी जाना कि उसका धार्मिक स्वभाव किसी अपराध को सहन नहीं करता और मेरे दिल में उसके प्रति कुछ भय उत्पन्न होने लगा। मेरे अंदर पछतावा और स्वयं से घृणा विकसित हुई, और अपने शैतानी स्वभाव को ठीक करने और सच में परमेश्वर के समक्ष पश्चात्ताप के लिए मैंने सत्य के अभ्यास पर ध्यान देना भी शुरू किया। इससे मेरे भ्रष्ट स्वभाव में थोड़ा बदलाव आया। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य और वचन की उपलब्धियां यह सुनिश्चित करने के लिए काफी हैं कि वह देहधारी परमेश्वर है, कि वह अंत के दिनों का मसीह है।”
उन बहनों की संगति ने मेरे दिल को प्रकाशित कर दिया। मैंने देखा कि मनुष्य के पुत्र का प्रकटन और देहधारी मसीह की पुष्टि करने की कुंजी यह देखने में है कि वह परमेश्वर के वचन और उसका स्वभाव व्यक्त कर सकता है या नहीं, और वह पुराने युग को समाप्त करने का कार्य निर्वहन कर एक नया युग शुरू कर सकता है या नहीं। सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने बहुत अधिक सत्य व्यक्त किए हैं और वह मानवजाति के साथ न्याय कर उसे स्वच्छ करने का कार्य कर रहा है। उसने राज्य का युग शुरू किया है और अनुग्रह के युग को समाप्त किया है। यकीनन इसका अर्थ है कि वह मसीह है, वापस आया हुआ प्रभु है! मैं सत्य को कभी नहीं समझ पाया था। मैं बस आँखें बंद किए प्रभु के आध्यात्मिक रूप में बादल पर आने और विश्वासियों को सीधे स्वर्ग के राज्य में ले जाने की प्रतीक्षा कर रहा था, तो जब मैंने सुना कि वह पहले ही आ चुका है तो मैंने खोजने या जांच करने की कोशिश नहीं की। मैं प्रभु के साथ पुनर्मिलन का अपना मौका करीब-करीब गँवा चुका था। मैं कितना बेवकूफ था!
इसके बाद मैंने जमकर सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ डाला। मैंने बहुत-से सत्य और रहस्य जाने, जो मैं पहले कभी नहीं समझ पाया था और मुझे पूरा भरोसा हो गया कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही वापस आया हुआ प्रभु यीशु है! मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को अपने संपर्क के 100 से भी ज़्यादा भाई-बहनों के साथ साझा किया। जब उन लोगों ने परमेश्वर के वचन पढ़े और उसकी वाणी सुनी, तो उनके खुशी के आँसू निकल आए। वे सब सर्वशक्तिमान परमेश्वर की ओर मुड़ गए, उन्होंने उसके अंत दिनों के कार्य को स्वीकार कर लिया और वे मेमने के भोज में शामिल हुए!
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