Hindi Sermon Series: Seeking True Faith | क्या धार्मिक अगुआओं का अनुसरण करना परमेश्वर का अनुसरण करना है?
08 मार्च, 2022
2,000 वर्ष पहले हमारा उद्धारकर्ता प्रभु यीशु छुटकारे का कार्य करने आया था। चूँकि ज्यादातर यहूदी अपने धार्मिक अगुआओं और फरीसियों पर श्रद्धा रखते थे, इसलिए उन्होंने प्रभु यीशु की निंदा करने और उन्हें अस्वीकार करने में उन मसीह-विरोधियों का साथ दिया, अंततः उसे सूली पर चढ़ाने में उनका हाथ रहा। इससे वे परमेश्वर की निंदा और दंड के भागी बने, और इस्राएल राष्ट्र 2,000 वर्षों के लिए बरबाद हो गया। प्रभु यीशु अंत के दिनों में देहधारी सर्वशक्तिमान परमेश्वर के रूप में लौट आया है और मानव-जाति को पूरी तरह से शुद्ध करने और बचाने के लिए सत्य व्यक्त करते हुए न्याय का कार्य कर रहा है। वह धार्मिक अगुआओं की उन्मत्त निंदा और प्रतिरोध भी झेल रहा है। चूँकि आज धार्मिक दुनिया में कई लोग आँख मूँदकर अपने पादरियों की आराधना करते हैं, इसलिए उनका मानना है कि उनके धार्मिक अगुआओं को परमेश्वर ने नियुक्त किया है, कि उनकी आज्ञा मानना परमेश्वर की आज्ञा मानना है। परिणामस्वरूप, वे इसकी पड़ताल करने और इसे स्वीकार करने से डरते हैं, भले ही उन्होंने स्पष्ट रूप से देखा है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन सत्य हैं, कि वे सशक्त और अधिकारपूर्ण हैं, और परमेश्वर से आते हैं। इसके बजाय, वे वापस लौटे प्रभु यीशु को अस्वीकार करने और उसकी निंदा करने में उनका साथ दे रहे हैं, और प्रभु का स्वागत करने अवसर खो रहे हैं और आपदाओं में गिर रहे हैं। यह वाकई शर्म की बात है! तो क्या धार्मिक अगुआ वास्तव में परमेश्वर द्वारा नियुक्त किए गए हैं? क्या उनके प्रति समर्पण करना परमेश्वर का अनुसरण करने के समान है? सच्ची आस्था की खोज की यह कड़ी सत्य की तलाश करने और जवाब खोजने में आपका मार्गदर्शन करेगी।
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