परमेश्वर के दैनिक वचन : जीवन में प्रवेश | अंश 444
11 सितम्बर, 2020
तुम आत्मा के सुनिश्चित विवरणों को कैसे समझते हो? पवित्र आत्मा मनुष्य में कैसे कार्य करता है? शैतान मनुष्य में कैसे कार्य करता है? दुष्ट आत्माएँ मनुष्य में कैसे कार्य करती हैं? और इस कार्य के प्रकटीकरण क्या हैं? जब तुम्हारे साथ कुछ घटित होता है, तो क्या यह पवित्र आत्मा की ओर से होता है, और क्या तुम्हें उसे मानना चाहिए या ठुकरा देना चाहिए? लोगों की वास्तविक क्रिया उसे बहुत बढ़ा देती है जो मनुष्य की इच्छा से आती है, परंतु फिर भी लोग मानते हैं कि वह पवित्र आत्मा की ओर से है। कुछ बातें दुष्ट आत्माओं की ओर से आती हैं, परंतु फिर भी लोग सोचते हैं कि यह पवित्र आत्मा से जनित है, और कभी-कभी पवित्र आत्मा भीतर से लोगों की अगुवाई करता है, फिर भी लोग डर जाते हैं कि ऐसी अगुवाई शैतान की ओर से होती है, और फिर आज्ञा मानने का साहस नहीं करते, जबकि वास्तविकता में यह पवित्र आत्मा का प्रकाशन होता है। अतः, इनमें भेद किए बिना इसका अनुभव करने का कोई मार्ग नहीं है जब ऐसे अनुभव तुम्हारे साथ घटित होते हैं, तो बिना भेद किए जीवन को प्राप्त करने का भी कोई मार्ग नहीं है। पवित्र आत्मा कैसे कार्य करता है? दुष्ट आत्माएँ कैसे कार्य करती हैं? मनुष्य की इच्छा से क्या निकलता है? और पवित्र आत्मा की अगुवाई और उसके प्रकाशन से क्या जनित होता है? यदि तुम मनुष्य के भीतर पवित्र आत्मा के कार्य के नियमों को समझ लेते हो, तब तुम अपने ज्ञान को बढ़ा पाओगे और अपने प्रतिदिन के जीवन में और अपने वास्तविक अनुभवों में भेद कर पाओगे; तुम परमेश्वर को जान पाओगे, तुम शैतान को समझ और बूझ पाओगे, तुम अपनी आज्ञाकारिता या अनुसरण में उलझन में नहीं रहोगे, और तुम एक ऐसे व्यक्ति बनोगे जिसके विचार स्पष्ट होंगे, और जो पवित्र आत्मा के कार्य का पालन करेगा।
पवित्र आत्मा का कार्य सक्रिय अगुवाई करना और सकारात्मक प्रकाशन है। यह लोगों को निष्क्रिय नहीं बनने देता है। यह उनको राहत पहुँचाता है, उन्हें विश्वास और दृढ़ निश्चय देता है और यह परमेश्वर के द्वारा सिद्ध किए जाने का अनुसरण करने के लिए उन्हें योग्य बनाता है। जब पवित्र आत्मा कार्य करता है, तो लोग सक्रिय रूप से प्रवेश कर सकते हैं; वे निष्क्रिय नहीं होते और उन्हें बाध्य भी नहीं किया जाता, बल्कि वे सक्रिय रहते हैं। जब पवित्र आत्मा कार्य करता है तो लोग प्रसन्न और इच्छापूर्ण होते हैं, और वे आज्ञा मानने के लिए तैयार होते हैं, और स्वयं को दीन करने में प्रसन्न होते हैं, और यद्यपि भीतर से पीड़ित और दुर्बल होते हैं, फिर भी उनमें सहयोग करने का दृढ़ निश्चय होता है, वे ख़ुशी-ख़ुशी दुःख सह लेते हैं, वे आज्ञा मान सकते हैं, और वे मानवीय इच्छा से निष्कलंक रहते हैं, मनुष्य की विचारधारा से निष्कलंक रहते हैं, और निश्चित रूप से मानवीय अभिलाषाओं और अभिप्रेरणाओं से निष्कलंक रहते हैं। जब लोग पवित्र आत्मा के कार्य का अनुभव करते हैं, तो वे भीतर से विशेष रूप से पवित्र हो जाते हैं। जो पवित्र आत्मा के कार्य को अपने अंदर रखते हैं वे परमेश्वर के प्रति प्रेम को और अपने भाइयों और बहनों के प्रति प्रेम को अपने जीवनों से दर्शाते हैं, और ऐसी बातों में आनंदित होते हैं जो परमेश्वर को आनंदित करती हैं, और उन बातों से घृणा करते हैं जिनसे परमेश्वर घृणा करता है। ऐसे लोग जो पवित्र आत्मा के कार्य के द्वारा स्पर्श किए जाते हैं, उनमें सामान्य मनुष्यत्व होता है, और वे निरंतर सत्य का अनुसरण करते हैं और उनके पास मानवता होती है। जब पवित्र आत्मा लोगों के भीतर कार्य करता है, तो उनकी परिस्थितियाँ और अधिक बेहतर हो जाती हैं और उनका मनुष्यत्व और अधिक सामान्य हो जाता है, और यद्यपि उनका कुछ सहयोग मूर्खतापूर्ण हो सकता है, परंतु फिर भी उनकी प्रेरणाएँ सही होती हैं, उनका प्रवेश सकारात्मक होता है, वे रूकावट बनने का प्रयास नहीं करते और उनमें कुछ भी दुर्भाव नहीं होता। पवित्र आत्मा का कार्य सामान्य और वास्तविक होता है, पवित्र आत्मा मनुष्य के भीतर मनुष्य के सामान्य जीवन के नियमों के अनुसार कार्य करता है, और वह सामान्य लोगों के वास्तविक अनुसरण के अनुसार लोगों को प्रकाशित करता है और उन्हें अगुवाई देता है। जब पवित्र आत्मा लोगों में कार्य करता है तो वह सामान्य लोगों की आवश्यकता के अनुसार अगुवाई करता और प्रकाशित करता है, वह उनकी आवश्यकताओं के अनुसार उनकी जरूरतों को पूरा करता है, और वह सकारात्मक रूप से उनकी कमियों और अभावों के आधार पर उनकी अगुवाई करता है और उनको प्रकाशित करता है; पवित्र आत्मा का कार्य वास्तविक जीवन में लोगों को प्रबुद्ध करने और उनका मार्गदर्शन करने का है; अगर वे अपने वास्तविक जीवन में परमेश्वर के वचनों का अनुभव करें तभी वे पवित्र आत्मा के कार्य को देख सकते हैं। यदि अपने दिन-प्रतिदिन के जीवन में लोग सकारात्मक अवस्था में हों और उनके पास एक सामान्य आत्मिक जीवन हो, तो उनमें पवित्र आत्मा के कार्य पाए जाते हैं। ऐसी अवस्था में, जब वे परमेश्वर के वचनों को खाते और पीते हैं तो उनमें विश्वास आता है, जब वे प्रार्थना करते हैं, तो वे प्रेरित होते हैं, जब उनके साथ कुछ घटित होता है तो वे निष्क्रिय नहीं होते, और उनके साथ कुछ घटित होते समय वे उन सबकों या सीखों को देख सकते हैं जो परमेश्वर चाहता है कि वे सीखें, और वे निष्क्रिय, या कमजोर नहीं होते, और यद्यपि उनके जीवन में वास्तविक कठिनाइयाँ होती हैं, फिर भी वे परमेश्वर के सभी प्रबंधनों की आज्ञा मानने के लिए तैयार रहते हैं।
पवित्र आत्मा के कार्य के द्वारा किन प्रभावों को प्राप्त किया जाता है? तुम शायद निर्बुद्धि हो सकते हो और तुम्हारे भीतर कोई अंतर या भेद भी न हो, परंतु पवित्र आत्मा तुम्हारे भीतर कार्य कर सकता है ताकि तुम में विश्वास उत्पन्न हो, और तुम्हें यह अनुभव कराए कि तुम कभी पर्याप्त रूप से परमेश्वर से प्रेम नहीं कर सकते, ताकि तुम सहयोग करने के लिए तैयार हो जाओ, मुश्किलें सामने चाहे जितनी भी हों फिर भी तुम सहयोग करने के लिए तैयार हो। तुम्हारे साथ घटनाएँ घटित होंगी और तुम्हारे समक्ष यह स्पष्ट भी नहीं होगा कि वे परमेश्वर की ओर से हैं या शैतान की ओर से, परंतु तुम प्रतीक्षा कर पाओगे, और न तो निष्क्रिय होगे और न ही लापरवाह। यह पवित्र आत्मा का सामान्य कार्य है। जब पवित्र आत्मा लोगों में कार्य करता है, तब भी लोग वास्तविक कठिनाइयों का सामना करते हैं, कभी-कभी वे रोते भी हैं, और कभी-कभी ऐसी बातें भी होती हैं जिन पर वे विजय प्राप्त नहीं कर सकते, परंतु यह सब पवित्र आत्मा के साधारण कार्य का एक चरण है। यद्यपि वे उन विषयों पर विजय प्राप्त नहीं कर सकते, और यद्यपि कभी-कभी वे कमज़ोर होते हैं और शिकायतें करते हैं, फिर भी बाद में वे सम्पूर्ण भरोसे के साथ परमेश्वर पर विश्वास कर सकते हैं। उनकी निष्क्रियता उन्हें सामान्य अनुभवों को प्राप्त करने से नहीं रोक सकती, और इस बात की परवाह किए बिना भी कि लोग क्या कहते हैं, और वे कैसे हमला करते है, वे परमेश्वर से प्रेम कर सकते हैं। प्रार्थना के दौरान वे हमेशा महसूस करते हैं कि जब वे ऐसी बातों का पुनः सामना करते हैं तो वे परमेश्वर के प्रति ऋणी हो जाते हैं, और वे परमेश्वर को संतुष्ट करने और शरीर के कार्यों को त्याग देने का दृढ़ निश्चय करते हैं। यह सामर्थ्य दिखाता है कि उनके भीतर पवित्र आत्मा का कार्य होता है, और यह पवित्र आत्मा के कार्य की सामान्य अवस्था है।
शैतान की ओर से कौन से कार्य आते हैं? उस कार्य में जो शैतान की ओर से आता है, ऐसे लोगों में दर्शन अस्पष्ट और धुंधले होते हैं, और वे सामान्य मनुष्यत्व के बिना होते हैं, उनमें उनके कार्यों के पीछे की प्रेरणाएँ गलत होती हैं, और यद्यपि वे परमेश्वर से प्रेम करना चाहते हैं, फिर भी उनके भीतर सदैव दोषारोपण रहते हैं, और ये दोषारोपण और विचार उनमें सदैव हस्तक्षेप करते रहते हैं, जिससे वे उनके जीवन की बढ़ोतरी को सीमित कर देते हैं और परमेश्वर के समक्ष सामान्य परिस्थितियों को रखने से उन्हें रोक देते हैं। कहने का अर्थ है कि जैसे ही लोगों में शैतान का कार्य आरंभ होता है, तो उनके हृदय परमेश्वर के समक्ष शांत नहीं हो सकते, उन्हें नहीं पता होता कि वे स्वयं के साथ क्या करें, सभा का दृश्य उन्हें वहाँ से भाग जाने को बाध्य करता है, और वे तब अपनी आँखें बंद नहीं रख पाते जब दूसरे प्रार्थना करते हैं। दुष्ट आत्माओं का कार्य मनुष्य और परमेश्वर के बीच के सामान्य संबंध को तोड़ देता है, और लोगों के पहले के दर्शनों या उनके जीवन प्रवेश के पिछले मार्ग को बिगाड़ देता है, अपने हृदयों में वे कभी परमेश्वर के करीब नहीं आ सकते, ऐसी बातें निरंतर होती रहती हैं जो उनमें बाधा उत्पन्न करती हैं और उन्हें बंधन में बाँध देती हैं, और उनके हृदय शांति प्राप्त नहीं कर पाते, जिससे उनमें परमेश्वर से प्रेम करने की कोई शक्ति नहीं बचती, और उनकी आत्माएँ पतन की ओर जाने लगती हैं। शैतान के कार्यों के प्रकटीकरण ऐसे हैं। शैतान का कार्य निम्न रूपों में प्रकट होता है अपने स्थान और गवाही में स्थिर खड़े नहीं रह सकना, तुम्हें ऐसा बना देना जो परमेश्वर के समक्ष दोषी हो, और जिसमें परमेश्वर के प्रति कोई विश्वासयोग्यता न हो। शैतान के हस्तक्षेप के समय तुम अपने भीतर परमेश्वर के प्रति प्रेम और वफ़ादारी को खो देते हो, तुम परमेश्वर के साथ एक सामान्य संबंध से वंचित कर दिए जाते हो, तुम सत्य या स्वयं के सुधार का अनुसरण नहीं करते, तुम पीछे हटने लगते हो, और निष्क्रिय बन जाते हो, तुम स्वयं को आसक्त कर लेते हो, तुम पाप के फैलाव को खुली छूट दे देते हो, और पाप से घृणा भी नहीं करते; इससे बढ़कर, शैतान का हस्तक्षेप तुम्हें स्वच्छंद बना देता है, यह तुम्हारे भीतर से परमेश्वर के स्पर्श को हटा देता है, और तुम्हें परमेश्वर के प्रति शिकायत करने और उसका विरोध करने को प्रेरित करता है, जिससे तुम परमेश्वर पर सवाल उठाते हो, और फिर तुम परमेश्वर को त्यागने तक को तैयार होने लगते हो। यह सब शैतान का कार्य है।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, पवित्र आत्मा का कार्य और शैतान का कार्य
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