Christian Song | सत्य पाने के लिए कष्ट सहना और कीमत चुकाना सबसे सार्थक है
15 अगस्त, 2024
1
सत्य प्राप्त करने के लिए
बहुत अधिक कष्ट सहना और कीमत चुकाना हमेशा सार्थक होता है,
यह हमेशा सार्थक है, चाहे तुम्हें कितना भी हासिल हुआ हो।
तो, सत्य प्राप्त करने के लिए तुम्हें कैसा कष्ट उठाना चाहिए?
तुम्हें न्याय और ताड़ना,
परीक्षण और शोधन, काट-छाँट से गुजरना चाहिए,
उस उत्पीड़न और प्रतिकूल स्थिति का सामना करना चाहिए
जो परमेश्वर का अनुसरण करने से आती है।
तुम्हें इन सभी कठिनाइयों को सहन करना चाहिए।
अगर तुम यह सब सह पाए, तो सत्य प्राप्त कर सकते हो,
अगर तुम यह सब सह पाए, तो सत्य प्राप्त कर सकते हो।
वर्तमान में, अधिकांश लोग सत्य का अनुसरण करना चाहते हैं।
और वे अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए
सत्य का अभ्यास करना और सत्य प्राप्त करना सीखना चाहते हैं।
परमेश्वर में विश्वास रखना और अपना कर्तव्य निभाना ही
जीवन का सही मार्ग है।
इस मार्ग को चुनना सही है,
और यह परमेश्वर की सबसे बड़ी आशीष है।
2
लोग ईमानदारी से उसके लिए खुद को खपाकर
सृजित प्राणियों का कर्तव्य निभा सकते हैं—
यह परमेश्वर का महान अनुग्रह और आशीष है।
अगर तुम सत्य और जीवन पाना चाहते हो,
तो तुम्हें परमेश्वर के वचनों पर एक नींव बनानी होगी।
इससे तुम सत्य का अनुसरण करने के मार्ग पर चल पाओगे,
जो जीवन का एकमात्र लक्ष्य और दिशा है।
अगर तुम परमेश्वर के वचनों और सत्य को
अपने हृदय में नींव डालने देते हो,
तो तुम वास्तव में
परमेश्वर के चुने हुए और पूर्व-नियत लोगों में से एक बन पाओगे।
तुम्हें अब उस दिशा और लक्ष्य का निर्धारण करना चाहिए
जिसका तुम जीवन में अनुसरण करोगे और जिस पर तुम चलोगे,
और फिर इस लक्ष्य को पाने के लिए अपने मन को शांत करो,
कड़ी मेहनत करो, खुद को खपाओ,
भरसक कोशिश करो, और कीमत चुकाओ,
और फिर इस लक्ष्य को पाने के लिए अपने मन को शांत करो,
कड़ी मेहनत करो, खुद को खपाओ,
भरसक कोशिश करो, और कीमत चुकाओ।
3
इस अवधि में, तुम सबको उन सत्यों में महारत हासिल करनी होगी
जिन्हें परमेश्वर के विश्वासियों को समझना चाहिए,
और फिर सत्य वास्तविकता में प्रवेश करना चाहिए,
तुम्हें परमेश्वर के न्याय और ताड़ना के साथ-साथ
उसके शोधन और परीक्षणों को स्वीकार कर
उस मुकाम तक पहुँच जाना चाहिए
जहाँ से तुम किसी भी परिस्थिति में परमेश्वर को न ठुकराओ।
इसके अलावा, चाहे कोई भी तुम्हें लुभाए और बहकाए,
या फिर कोई तुम्हें कितनी भी शोहरत,
लाभ, रुतबा या फायदों की पेशकश करे,
तुम्हें अपना कर्तव्य या
एक सृजित प्राणी का दायित्व नहीं त्यागना चाहिए।
भले ही बाद में परमेश्वर तुम्हें स्वीकार न करे,
फिर भी तुम्हें सत्य का अनुसरण करते रहना चाहिए,
परमेश्वर का भय मानने
और बुराई से दूर रहने के मार्ग पर चलते रहना चाहिए।
इस तरह, परमेश्वर के लिए खुद को खपाने में
तुमने जितने साल बिताए हैं, वे व्यर्थ नहीं होंगे।
इस तरह, परमेश्वर के लिए खुद को खपाने में
तुमने जितने साल बिताए हैं, वे व्यर्थ नहीं होंगे।
4
एक व्यक्ति का जीवन केवल कुछ दशकों का होता है,
अगर तुम सत्य का अनुसरण करने के
इस सबसे सही समय को खो देते हो,
तो तुम्हारा पछतावा किसी काम नहीं आएगा।
कुछ लोग इस बात से पूरी तरह अनजान हैं
कि परमेश्वर का कार्य किस चरण तक पहुँच गया है।
बड़ी आपदाएँ आ चुकी हैं,
और ये लोग अभी भी यह सोचकर एक सपने में जी रहे हैं:
“परमेश्वर को अपना कार्य पूरा करने में
अब भी बहुत समय बाकी है!
वे अभी भी शारीरिक सुख की लालसा रखते हैं,
उनके दिलों में सत्य की जरा-सी भी प्यास नहीं है।
इस तरह, वे जीवन में केवल एक बार मिलने वाला
उद्धार का मौका गँवा बैठते हैं,
वे जीवन में केवल एक बार मिलने वाला
उद्धार का मौका गँवा बैठते हैं।
ऐसे बहुत से लोग हैं
जो परमेश्वर को ये सभी सत्य व्यक्त करते हुए देखते हैं,
जो अच्छी तरह जानते हैं कि परमेश्वर उद्धार का कार्य कर रहा है,
लेकिन फिर भी वे संदेह करते हैं, उनकी अपनी धारणाएँ हैं,
और वे इसे नकारते हैं।
इस प्रकार के लोग आत्ममुग्ध होते हैं,
लेकिन जब बड़ी आपदाएँ आएँगी, तो वे नष्ट हो जाएँगे,
और इसके लिए वे किसे दोष देंगे?
—वचन, खंड 3, अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन, सत्य प्राप्त करने के लिए कीमत चुकाना बहुत महत्वपूर्ण है
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