परमेश्वर के दैनिक वचन : जीवन में प्रवेश | अंश 543

30 अक्टूबर, 2020

इस समय, परमेश्वर का काम हर व्यक्ति को सही पथ पर प्रवेश कराने का है, ताकि हर एक को सामान्य आध्यात्मिक जीवन प्राप्त हो, और वो सच्चा अनुभव प्राप्त कर सके, पवित्र आत्मा द्वारा प्रेरित हो जाए, और इस नींव के आधार पर, परमेश्वर की आज्ञा को स्वीकार करे। राज्य के प्रशिक्षण में प्रवेश करने का उद्देश्य अपने प्रत्येक शब्द, प्रत्येक कार्य, प्रत्येक गतिविधि, सोच-विचार को परमेश्वर के वचनों में प्रवेश करने देना है; परमेश्वर द्वारा स्पर्श किया जाना है और इस तरह परमेश्वर के लिए प्रेम भरा दिल विकसित करना है; और परमेश्वर की इच्छा का अधिक बोझ उठाना है, ताकि हर व्यक्ति परमेश्वर द्वारा पूर्ण बनाए जाने के पथ पर हो, ताकि हर मनुष्य सही मार्ग पर हो। एक बार जब तुम परमेश्वर द्वारा पूर्ण बनाए जाने के पथ पर होते हो, तब तुम सही मार्ग पर होते हो। एक बार तुम्हारी सोच और विचार, साथ ही तुम्हारे गलत इरादे, जब सही किए जा सकते हैं, और जब तुम शरीर के लिए सचेत होने से हटकर परमेश्वर की इच्छा के लिए सचेत होने में सक्षम होते हो और, जब कभी गलत इरादे उत्पन्न होते हैं तो उन्हें मन से हटा लेते हो, और परमेश्वर की इच्छा के अनुसार कार्य करते हो—यदि तुम इस प्रकार के बदलाव को प्राप्त करने में सक्षम होते हो, तब तुम जीवन के अनुभव के सही मार्ग पर होते हो। जब तुम्हारी प्रार्थना के अभ्यास सही मार्ग पर होते हैं, तो तुम प्रार्थना में पवित्र आत्मा के द्वारा स्पर्श किए जाओगे। जब भी तुम प्रार्थना करोगे, तो तुम पवित्र आत्मा द्वारा स्पर्श किए जाओगे; जब भी तुम प्रार्थना करोगे तो तुम परमेश्वर के सामने अपने हृदय को शांत रखने में सक्षम हो जाओगे। जब भी तुम परमेश्वर के वचन के अंश को खाते और पीते हो, यदि तुम उसके द्वारा अभी किये जा रहे कार्य को समझ पाओ और यह जान जाओ कि प्रार्थना कैसे करें, कैसे सहयोग करें और कैसे प्रवेश करें, तभी तुम्हारा परमेश्वर के वचनों को खाना और पीना परिणाम दे सकता है। जब तुम परमेश्वर के वचन से प्रवेश के पथ को प्राप्त कर लोगे, और परमेश्वर के कार्य के वर्तमान गतिविज्ञान और पवित्र आत्मा के कार्य की दिशा को समझ जाओगे, तो तुम सही पथ में प्रवेश कर लोगे। यदि तुमने परमेश्वर के वचनों को खाते और पीते समय मुख्य बिन्दुओं को नहीं समझा, और उस मार्ग को नहीं ढूँढ पाए जिस पर अभ्यास करना है, तो यह दिखाएगा कि तुम अभी तक नहीं जानते कि परमेश्वर के वचनों को सही ढंग से कैसे खाना और पीना है, और यह दिखाता है कि तुम अभी भी नहीं जानते कि उसके वचनों को कैसे खाया और पीया जाता है और तुम ऐसा करने का तरीका और सिद्धांत नहीं खोज पाये हो। यदि तुमने परमेश्वर के वर्तमान के काम को नहीं समझा है, तो तुम उस काम को स्वीकार नहीं कर पाओगे जो परमेश्वर तुम्हें सौंपेगा। परमेश्वर द्वारा वर्तमान में किया जाने वाला काम ऐसा है सटीक रूप से वही है जिसमें मनुष्य को प्रवेश करना चाहिए, और वर्तमान में समझना चाहिए। क्या तुम सब इन बातों को समझते हो?

यदि तुम प्रभावी ढंग से परमेश्वर के वचनों को खाते और पीते हो, तो तुम्हारा आध्यात्मिक जीवन सामान्य हो जाता है, तो भले ही तुम कैसी भी परीक्षाओं का और परिस्थितियों का सामना करो, कैसे भी शारीरिक रोग झेलो, या भाइयों और बहनों से कैसा भी मनमुटाव हो, या पारिवारिक कठिनाइयों का अनुभव करो, तुम परमेश्वर के वचनों को सामान्य ढंग से खाने-पीने योग्य हो जाते हो, सामान्य ढंग से प्रार्थना कर पाते हो, सामान्य ढंग से कलीसियाई जीवन जी पाते हो; यदि तुम यह सब हासिल कर सको, तो इससे साबित होगा कि तुम सही मार्ग पर हो। कुछ लोग बहुत नाजुक होते हैं और उनमें दृढ़ता की कमी होती है। छोटी-सी बाधा का सामना करने पर वे बच्चों की तरह रोने लगते हैं और नकारात्मक हो जाते हैं। सत्य का अनुसरण दृढ़ता और दृढ़ संकल्प की माँग करता है। यदि इस बार तुम परमेश्वर को संतुष्ट करने में नाकाम हुए, तो तुम्हें अपने आप से घृणा हो जानी चाहिए, चुपचाप अपने दिल में दृढ़ निश्चय कर लेना चाहिए कि अगली बार तुम परमेश्वर की इच्छा को संतुष्ट करोगे। यदि इस बार तुम परमेश्वर के बोझ के प्रति विचारशील नहीं रहे, तो तुम्हें भविष्य में समान बाधा का सामना करने पर शरीर के खिलाफ विद्रोह के लिए संकल्पित, और तुम्हें परमेश्वर की इच्छा को संतुष्ट करना चाहिए। इस प्रकार तुम प्रशंसा को पाने योग्य बनोगे। कुछ लोग तो यह भी नहीं जानते कि उनकी सोच और विचार सही हैं या नहीं; ऐसे लोग मूर्ख होते हैं! यदि तुम अपने दिल को वश में करना और शरीर के खिलाफ विद्रोह करना चाहते हो, तो पहले तुम्हें यह जानना होगा कि क्या तुम्हारे इरादे अच्छे हैं; तभी तुम अपने दिल को वश में कर सकते हो। यदि तुम्हें यही नहीं पता कि तुम्हारे इरादे सही हैं या नहीं, तो क्या तुम अपने दिल को वश में और शरीर से विद्रोह कर सकते हो? यदि तुम विद्रोह कर भी दो, तो भी तुम ऐसा भ्रमित स्थिति में करोगे। तुम्हें पता होना चाहिए कि अपने पथभ्रष्ट इरादों से विद्रोह कैसे करें; इसी को देह से विद्रोह करना कहते हैं। एक बार जब तुम जान लेते हो कि तुम्हारे इरादे, सोच और ख्याल गलत हैं, तो तुम्हें तत्काल मुड़ जाना चाहिए और सही पथ पर चलना चाहिए। सबसे पहले इस मुद्दे का समाधान करो, और इस संबंध में प्रवेश पाने के लिए स्वयं को प्रशिक्षित करो, क्योंकि तुम ही बेहतर जानते हो कि तुम्हारे इरादे सही हैं या नहीं। एक बार जब तुम्हारे गलत इरादे सही हो जाएँगे, और परमेश्वर के लिए होंगे, तब तुम अपने दिल को वश में करने के लक्ष्य को प्राप्त कर चुके होगे।

अब तुम्हारे लिए सबसे महत्वपूर्ण काम यह है कि तुम परमेश्वर और उसके कार्य का ज्ञान प्राप्त करो। तुम्हारे लिए यह जानना भी ज़रूरी है कि पवित्र आत्मा मनुष्य में कैसे काम करता है; सही पथ में प्रवेश करने के लिए ये काम आवश्यक है। एक बार यदि तुमने महत्वपूर्ण बिंदु को समझ लिया तो तुम्हारे लिए ऐसा करना आसान होगा। तुम परमेश्वर में विश्वास रखते हो और परमेश्वर को जानते हो, जो दिखाता है कि परमेश्वर में तुम्हारा विश्वास खरा है। यदि तुम अनुभव प्राप्त करना जारी रखो, फिर भी अंत में परमेश्वर को न जान पाओ, तो तुम सचमुच ऐसे व्यक्ति हो जो परमेश्वर का विरोध करता है। जो लोग केवल प्रभु यीशु में विश्वास करते हैं लेकिन आज के देहधारी परमेश्वर में विश्वास नहीं करते, तो वे सभी तिरस्कृत किए जाएंगे। वे सभी बाद के दिनों के फरीसी हैं, क्योंकि वे आज के परमेश्वर को स्वीकार नहीं करते; और वे सब परमेश्वर के विरोधी हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे कितने समर्पण भाव से यीशु की आराधना करते हैं, यह सब व्यर्थ हो जाएगा; वे परमेश्वर की प्रशंसा प्राप्त नहीं करेंगे। जो लोग तख्ती लगाकर घूमते हैं कि वे परमेश्वर में विश्वास रखते हैं, फिर भी उनके हृदय में परमेश्वर का सच्चा ज्ञान नहीं है, वे सब पाखंडी हैं!

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, पूर्णता प्राप्त करने के लिए परमेश्वर की इच्छा को ध्यान में रखो

और देखें

परमेश्वर का आशीष आपके पास आएगा! हमसे संपर्क करने के लिए बटन पर क्लिक करके, आपको प्रभु की वापसी का शुभ समाचार मिलेगा, और 2024 में उनका स्वागत करने का अवसर मिलेगा।

साझा करें

रद्द करें

WhatsApp पर हमसे संपर्क करें