परमेश्वर के दैनिक वचन : जीवन में प्रवेश | अंश 500
21 अप्रैल, 2021
परमेश्वर लोगों को पूर्ण बनाने के लिए वास्तविकता और तथ्यों के उद्भव का उपयोग करता है; परमेश्वर के वचन उसके द्वारा लोगों को पूर्ण बनाए जाने के एक हिस्से को पूरा करते हैं, और यह मार्गदर्शन तथा राह खोलने का कार्य है। कहने का तात्पर्य यह है कि परमेश्वर के वचनों में तुम्हें अभ्यास का मार्ग और दर्शनों का ज्ञान ढूँढ़ना चाहिए। इन बातों को समझने से मनुष्य के पास अपने वास्तविक अभ्यास में एक मार्ग होगा, और दर्शन होंगे, और वह परमेश्वर के वचनों के माध्यम से प्रबुद्धता प्राप्त कर पाएगा; वह समझ पाएगा कि ये चीजें परमेश्वर से आई हैं और वह बहुत कुछ पहचान पाएगा। यह समझ लेने के बाद मनुष्य को तुरंत इस वास्तविकता में प्रवेश करना चाहिए, और अपने वास्तविक जीवन में परमेश्वर को संतुष्ट करने के लिए उसके वचनों का उपयोग करना चाहिए। परमेश्वर सारी बातों में तुम्हारा मार्गदर्शन करेगा, और तुम्हें अभ्यास का मार्ग देगा, और तुम्हें महसूस करवाएगा कि वह विशेष रूप से सुंदर है, और तुम्हें यह देखने देगा कि तुममें परमेश्वर के कार्य के प्रत्येक चरण का अभीष्ट तुम्हें पूर्ण बनाना है। यदि तुम परमेश्वर का प्रेम देखना चाहते हो, यदि तुम उसका प्रेम सच में अनुभव करना चाहते हो, तो तुम्हें वास्तविकता की गहराई में जाना चाहिए, तुम्हें वास्तविक जीवन की गहराई में जाना चाहिए और देखना चाहिए कि परमेश्वर जो भी करता है वह सब प्रेम और उद्धार है, कि वह सब कुछ इसलिए करता है ताकि जो भी अशुद्ध है लोग उसे पीछे छोड़ पाएँ, और मनुष्य के भीतर परमेश्वर की इच्छा को पूरा नहीं कर पाने वाली चीजों को शुद्ध कर पाएँ। परमेश्वर मनुष्य को पोषण प्रदान करने के लिए वचनों का उपयोग करता है; वह लोगों के अनुभव के लिए वास्तविक जीवन की परिस्थितियाँ सँजोता है, और यदि लोग परमेश्वर के अनेक वचनों को खाते और पीते हैं, और फिर जब वे उन्हें वास्तव में अभ्यास में लाते हैं, तब वे परमेश्वर के अनेक वचनों का उपयोग करके अपने जीवन की सभी कठिनाइयाँ हल कर सकते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि वास्तविकता की गहराई में जाने के लिए तुम्हारे पास परमेश्वर के वचन होने चाहिए; यदि तुम परमेश्वर के वचनों को खाते और पीते नहीं हो और परमेश्वर के कार्य से वंचित हो, तो वास्तविक जीवन में तुम्हारे पास कोई मार्ग नहीं होगा। यदि तुम परमेश्वर के वचनों को कभी भी खाओगे और पीओगे नहीं, तो जब तुम्हारे साथ कुछ घटित होगा तब तुम भौंचक्के रह जाओगे। तुम बस इतना जानते हो कि तुम्हें परमेश्वर से प्रेम करना चाहिए, लेकिन तुम भेद कर पाने में असमर्थ हो, और तुम्हारे पास अभ्यास का मार्ग नहीं है; तुम मंदबुद्धि और भ्रमित हो, और कभी-कभी तुम यह तक मान लेते हो कि देह को संतुष्ट करके तुम परमेश्वर को संतुष्ट कर रहे हो—यह सब परमेश्वर के वचनों को न खाने और पीने का ही परिणाम है। कहने का तात्पर्य यह है कि यदि तुम परमेश्वर के वचनों की मदद के बिना हो, और वास्तविकता के भीतर बस टटोलते भर हो, तो तुम अभ्यास का मार्ग खोजने में मूलतः असमर्थ हो। ऐसे लोग समझते ही नहीं कि परमेश्वर में विश्वास करने का क्या अर्थ है, परमेश्वर से प्रेम करने का अर्थ तो वे और भी नहीं समझते। यदि परमेश्वर के वचनों की प्रबुद्धता और मार्गदर्शन का उपयोग करके तुम प्रायः प्रार्थना, खोजबीन और तलाश करते हो, और इसके माध्यम से तुम उसका पता लगाते हो जिसे तुम्हें अभ्यास में लाना है, यदि तुम पवित्र आत्मा के कार्य के लिए अवसरों को ढूँढ़ पाते हो, परमेश्वर के साथ सचमुच सहयोग करते हो, और मंदबुद्धि तथा भ्रमित नहीं हो, तो वास्तविक जीवन में तुम्हारे पास एक मार्ग होगा और तुम परमेश्वर को सच में संतुष्ट कर पाओगे। जब तुमने परमेश्वर को संतुष्ट कर लिया होगा, तब तुम्हारे भीतर परमेश्वर का मार्गदर्शन होगा और तुम परमेश्वर द्वारा विशेष रूप से धन्य किए जाओगे, जो तुम्हें आनंद की अनुभूति देगा : तुम विशेष रूप से सम्मानित महसूस करोगे कि तुमने परमेश्वर को संतुष्ट किया है, तुम अपने भीतर विशेष रूप से प्रसन्नचित्त महसूस करोगे, और तुम्हारा हृदय शुद्ध और शांत होगा। तुम्हारी अंतरात्मा को सुकून मिलेगा और वह दोषारोपणों से मुक्त होगी, और जब तुम अपने भाइयों और बहनों को देखोगे तो मन में प्रसन्नता महसूस करोगे। परमेश्वर के प्रेम का आनंद लेने का यही अर्थ है, और केवल यही परमेश्वर का सचमुच आनंद लेना है। लोगों द्वारा परमेश्वर के प्रेम का आनंद अनुभव के माध्यम से प्राप्त किया जाता है : कष्ट का अनुभव करके, और सत्य को अभ्यास में लाने का अनुभव करके, वे परमेश्वर के आशीष प्राप्त करते हैं। यदि तुम केवल कहते हो कि परमेश्वर तुमसे वास्तव में प्रेम करता है, कि परमेश्वर ने लोगों की ख़ातिर सचमुच भारी मूल्य चुकाया है, कि उसने धैर्यपूर्वक और कृपापूर्वक इतने सारे वचन कहे हैं और वह हमेशा लोगों को बचाता है, तो तुम्हारे द्वारा इन शब्दों को कहा जाना परमेश्वर के आनंद का बस एक पक्ष है। तथापि इससे भी अधिक बड़ा आनंद—वास्तविक आनंद—तब है जब लोग अपने वास्तविक जीवन में सत्य को अभ्यास में लाते हैं, जिसके बाद वे अपने हृदय में शांत और शुद्ध महसूस करते हैं। वे अपने भीतर बहुत ही द्रवित महसूस करते हैं, और यह महसूस करते हैं कि परमेश्वर सर्वाधिक प्रेम करने योग्य है। तुम महसूस करोगे कि जो कीमत तुमने चुकाई है, वह सर्वथा उपयुक्त है। अपने प्रयासों में भारी कीमत चुकाने के बाद तुम अपने भीतर विशेष रूप से प्रसन्नचित्त महसूस करोगे : तुम महसूस करोगे कि तुम परमेश्वर के प्रेम का सचमुच आनंद ले रहे हो और तुम यह समझ जाओगे कि परमेश्वर ने लोगों में उद्धार का कार्य किया है, कि उसके द्वारा लोगों के शुद्धिकरण का अभीष्ट उन्हें शुद्ध करना है, और परमेश्वर यह परखने के लिए कि लोग उसे सचमुच प्रेम करते हैं या नहीं, उनकी परीक्षा लेता है। यदि तुम हमेशा सत्य को इस तरह अभ्यास में लाते हो, तो तुम धीरे-धीरे परमेश्वर के बहुत-से कार्य का स्पष्ट ज्ञान विकसित कर लोगे, और उस समय तुम महसूस करोगे कि परमेश्वर के वचन तुम्हारे सामने शीशे की तरह साफ हैं। यदि तुम कई सत्य स्पष्ट रूप से समझ सकते हो, तो तुम महसूस करोगे कि सभी विषयों को अभ्यास में लाना आसान है, कि तुम किसी भी विषय पर विजय पा सकते हो और किसी भी प्रलोभन पर विजय पा सकते हो, और तुम देखोगे कि तुम्हारे लिए कुछ भी कठिन नहीं है, जो तुम्हें अत्यधिक मुक्त कर देगा और स्वतंत्र कर देगा। इस क्षण तुम परमेश्वर के प्रेम का आनंद ले रहे होगे और परमेश्वर का सच्चा प्रेम तुम तक पहुँच गया होगा। परमेश्वर उन्हें धन्य करता है जिनके पास दर्शन होते हैं, जिनके पास सत्य होता है, जिनके पास ज्ञान होता है, और जो उससे सचमुच प्रेम करते हैं। यदि लोग परमेश्वर का प्रेम देखना चाहते हैं, तो उन्हें वास्तविक जीवन में सत्य को अभ्यास में लाना होगा, उन्हें पीड़ा सहने और जिससे वे प्यार करते हैं उसे परमेश्वर को संतुष्ट करने के लिए त्याग देने के लिए तैयार रहना होगा, और आँखों में आँसू होने के बावजूद उन्हें परमेश्वर के हृदय को संतुष्ट करने में सक्षम होना होगा। इस तरह, परमेश्वर तुम्हें निश्चित रूप से धन्य करेगा, और यदि तुम ऐसे कष्ट सहोगे, तो इसके बाद पवित्र आत्मा का कार्य शुरू होगा। वास्तविक जीवन के माध्यम से, और परमेश्वर के वचनों का अनुभव करने के माध्यम से लोग परमेश्वर की सुंदरता को देख पाने में सक्षम होते हैं, और यदि उन्होंने परमेश्वर के प्रेम का स्वाद चखा है, तभी वे सचमुच उससे प्रेम कर सकते हैं।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर से प्रेम करने वाले लोग सदैव उसके प्रकाश के भीतर रहेंगे
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