परमेश्वर के दैनिक वचन : जीवन में प्रवेश | अंश 391
18 जुलाई, 2022
मनुष्य ने जब पहली बार परमेश्वर पर विश्वास करना शुरू किया था, तब से उसने क्या पाया है? तुमने परमेश्वर के बारे में क्या जाना है? परमेश्वर पर अपने विश्वास के कारण तुम कितने बदले हो? आज, तुम सभी लोग यह जानते हो कि परमेश्वर में मनुष्य का विश्वास सिर्फ आत्मा के उद्धार और देह के कल्याण के लिए नहीं है, और न ही यह परमेश्वर को प्रेम करने के माध्यम से उसके जीवन को समृद्ध बनाने इत्यादि के लिए है। वर्तमान स्थिति में, यदि तुम परमेश्वर से देह के कल्याण या क्षणिक आनंद के लिए प्रेम करते हो, तो भले ही, अंत में, परमेश्वर के लिए तुम्हारा प्रेम अपने शिखर पर पहुँच जाए और तुम इससे ज़्यादा और कुछ न माँगो, लेकिन तुम्हारे द्वारा किया जाने वाला यह प्रेम अभी भी अशुद्ध प्रेम ही है, और यह परमेश्वर को प्रसन्न नहीं करता। जो लोग परमेश्वर के प्रति प्रेम का उपयोग अपने नीरस जीवन को समृद्ध बनाने और अपने हृदय के खालीपन को भरने के लिए करते हैं, वे उस तरह के लोग हैं जो आराम से जीने के लालची हैं, न कि वे, जो सच में परमेश्वर से प्रेम करना चाहते हैं। इस प्रकार का प्रेम जबरदस्ती का प्रेम है, यह मानसिक संतुष्टि की खोज है, और परमेश्वर को इसकी कोई आवश्यकता नहीं है। तो फिर, तुम्हारा प्रेम किस तरह का है? तुम परमेश्वर से किसलिए प्रेम करते हो? अभी तुम्हारे भीतर परमेश्वर के लिए कितना सच्चा प्रेम है? तुम लोगों में से अधिकांश का प्रेम उपर्युक्त प्रकार का है। इस प्रकार का प्रेम सिर्फ यथास्थिति बरकरार रख सकता है; यह अपरिवर्तनीयता प्राप्त नहीं कर सकता, न ही यह मनुष्य में जड़ें जमा सकता है। इस प्रकार का प्रेम सिर्फ ऐसे फूल की तरह होता है, जो खिलता है पर फल दिए बिना ही मुरझा जाता है। दूसरे शब्दों में, जब तुम परमेश्वर से इस तरीके से प्रेम कर लेते हो और तुम्हें इस मार्ग पर आगे ले जाने वाला कोई नहीं मिलता, तो तुम्हारा पतन हो जाएगा। यदि तुम परमेश्वर से सिर्फ परमेश्वर से प्रेम करने के समय ही प्रेम कर सकते हो, लेकिन बाद में तुम्हारा जीवन-स्वभाव अपरिवर्तित रहता है, तो फिर तुम अँधेरे के प्रभाव के कफन से बचने में असमर्थ रहोगे, और शैतान के बंधन और चालबाजी से खुद को मुक्त नहीं कर पाओगे। ऐसा कोई भी व्यक्ति परमेश्वर द्वारा पूरी तरह से प्राप्त नहीं किया जा सकता; अंतत: उसकी आत्मा, प्राण और शरीर शैतान के ही रहेंगे। इसमें कोई संदेह नहीं हो सकता। जो लोग परमेश्वर द्वारा पूरी तरह से प्राप्त नहीं किए जा सकते, वे सभी अपने मूल स्थान अर्थात् वापस शैतान के पास लौट जाएँगे, और वे परमेश्वर के दंड के अगले कदम को स्वीकार करने के लिए आग और गंधक की झील में डूब जाएँगे। परमेश्वर द्वारा प्राप्त किए जाने वाले वे होते हैं, जो शैतान को त्याग देते हैं और उसके अधिकार-क्षेत्र से बच निकलते हैं। उन्हें राज्य के लोगों में आधिकारिक रूप से गिना जाता है। राज्य के लोग इसी तरह अस्तित्व में आते हैं। क्या तुम इस प्रकार के व्यक्ति बनना चाहते हो? क्या तुम परमेश्वर द्वारा प्राप्त किए जाना चाहते हो? क्या तुम शैतान के अधिकार-क्षेत्र से बचना और परमेश्वर के पास लौटना चाहते हो? अभी तुम शैतान के हो या राज्य के लोगों में गिने जाते हो? ये चीजें पहले से स्पष्ट होनी चाहिए और आगे किसी स्पष्टीकरण की आवश्यकता नहीं पड़नी चाहिए।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, विश्वासियों को क्या दृष्टिकोण रखना चाहिए
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