परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर का स्वभाव और स्वरूप | अंश 262

10 जुलाई, 2020

मानवजाति का सदस्य और सच्चे ईसाई होने के नाते, अपने मन और शरीर को परमेश्वर के आदेश को पूरा करने के लिए समर्पित करना हम सभी की ज़िम्मेदारी और दायित्व है, क्योंकि हमारा सम्पूर्ण अस्तित्व परमेश्वर से आया है, और यह परमेश्वर की संप्रभुता के कारण अस्तित्व में है। यदि हमारे मन और शरीर परमेश्वर के आदेश के लिए नहीं हैं और मानवजाति के धर्मी कार्य के लिए नहीं हैं, तो हमारी आत्माएँ उन लोगों के योग्य नहीं हैं जो परमेश्वर के आदेश के लिए शहीद हुए हैं, परमेश्वर के लिए तो और भी अधिक अयोग्य हैं, जिसने हमें सब कुछ प्रदान किया है।

परमेश्वर ने इस संसार की सृष्टि की, उसने इस मानवजाति को बनाया, और इसके अलावा वह प्राचीन यूनानी संस्कृति और मानव सभ्यता का वास्तुकार था। केवल परमेश्वर ही इस मानवजाति को सांत्वना देता है, और केवल परमेश्वर ही रात-दिन इस मानवजाति का ध्यान रखता है। मानव का विकास और प्रगति परमेश्वर की सम्प्रभुता से अवियोज्य है और मानवजाति का इतिहास और भविष्य परमेश्वर की योजनाओं में जटिल है। यदि तुम एक सच्चे ईसाई हो, तो तुम निश्चय ही इस बात पर विश्वास करोगे कि किसी भी देश या राष्ट्र का उत्थान या पतन परमेश्वर की योजना के अनुसार होता है। केवल परमेश्वर ही किसी देश या राष्ट्र के भाग्य को जानता है और केवल परमेश्वर ही इस मानवजाति के जीवन के ढंग को नियंत्रित करता है। यदि मानवजाति अच्छा भाग्य पाना चाहती है, यदि कोई देश अच्छा भाग्य पाना चाहता है, तो मनुष्य को अवश्य परमेश्वर की आराधना में झुकना चाहिए, पश्चाताप करना चाहिए और परमेश्वर के सामने अपने पापों की स्वीकार करना चाहिए, अन्यथा मनुष्य का भाग्य और मंज़िल अपरिहार्य रूप से तबाह हो कर समाप्त हो जाएँगे।

नूह की नाव के समय में पीछे पलट कर देखें: मानवजाति पूरी तरह से भ्रष्ट थी, परमेश्वर की आशीषों से भटक गई थी, परमेश्वर के द्वारा उनकी देखभाल नहीं की जा रही थी, और परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं को खो चुकी थी। वे परमेश्वर की रोशनी के बिना अंधकार में रहते थे। इस प्रकार वे प्रकृति से व्यभिचारी बन गए थे, उन्होंने अपने आप को घृणित चरित्रहीनता के मध्य उन्मुक्त कर दिया था। इस प्रकार के लोग परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं को प्राप्त नहीं कर सकते थे; वे परमेश्वर के चेहरे की गवाही देने के अयोग्य थे, न ही वे परमेश्वर की आवाज़ को सुनने के योग्य थे, क्योंकि उन्होंने परमेश्वर को त्याग दिया था, उन सब चीजों को बेक़ार समझ कर छोड़ दिया था जो परमेश्वर ने उन्हें प्रदान की थीं, और परमेश्वर की शिक्षाओं को भूल गए थे। उनका मन परमेश्वर से बहुत दूर भटक गया था, और जैसा कि इससे हुआ, वे अत्यधिक मूर्खतापूर्ण स्तरों तक और मानवता से पथभ्रष्ट हो गए थे, और उत्तरोत्तर दुष्ट होते गए। इस प्रकार से वे मृत्यु के और भी निकट आ गए थे, और परमेश्वर के कोप और दण्ड के अधीन हो गए थे। केवल नूह ने परमेश्वर की आराधना की और बुराई को दूर रखा, और इसलिए वह परमेश्वर की आवाज़ को सुनने और परमेश्वर के निर्देशों को सुनने में सक्षम था। उसने परमेश्वर के वचन के अनुसार नाव बनायी, और सभी प्रकार के जीवित प्राणियों को उसमें एकत्रित किया। और इस तरह, जब एक बार सब कुछ तैयार हो गया, तो परमेश्वर ने संसार पर अपनी विनाशलीला शुरू कर दी। केवल नूह और उसके परिवार के सात लोग इस विनाशलीला में जीवित बचे, क्योंकि नूह ने यहोवा की आराधना की थी और बुराई को दूर रखा था।

फिर वर्तमान युग पर विचार करें: नूह के जैसे धर्मी मनुष्य, जो परमेश्वर की आराधना कर सके और बुराई को दूर रख सके, उनका अस्तित्व समाप्त हो गया है। फिर भी परमेश्वर इस मानवजाति के प्रति दयालु है और इस अंतिम युग में मानवजाति को दोषमुक्त करता है। परमेश्वर उनकी खोज कर रहा है जो उसके प्रकट होने की लालसा करते हैं। वह उनकी खोज करता है जो उसके वचनों को सुनने में सक्षम हों, जो उसके आदेश को नहीं भूले हों और अपने हृदय एवं शरीर को उसके प्रति समर्पित करते हों। वह उनकी खोज करता है जो उसके सामने बच्चों के समान आज्ञाकारी हों, और उसका विरोध न करते हों। यदि तुम परमेश्वर के प्रति अपने समर्पण में किसी भी ताकत से अबाधित हो, तो परमेश्वर तुम्हारे ऊपर अनुग्रह की दृष्टि डालेगा और अपने आशीष तुम्हें प्रदान करेगा। यदि तुम उच्च पद वाले, आदरणीय प्रतिष्ठा वाले, प्रचुर ज्ञान से सम्पन्न, विपुल सम्पदा के मालिक हो, और कई लोगों के द्वारा समर्थित हो, फिर भी ये चीज़ें तुम्हें परमेश्वर के आह्वान और परमेश्वर के आदेश को स्वीकार करने, जो कुछ परमेश्वर तुम से कहता है उसे करने के लिए, उसके सम्मुख आने से नहीं रोकती हो, तब तुम जो कुछ भी करोगे वह पृथ्वी पर सर्वाधिक महत्वपूर्ण होगा और मानवजाति में सर्वाधिक धर्मी होगा। यदि तुम परमेश्वर के आह्वान को अपनी हैसियत और लक्ष्यों के वास्ते अस्वीकार करोगे, तो तुम जो कुछ भी करोगे वह श्रापित हो जाएगा और यहाँ तक कि परमेश्वर द्वारा भी तिरस्कृत किया जाएगा। हो सकता है कि तुम कोई अध्यक्ष, या कोई वैज्ञानिक, कोई पादरी, या कोई बुज़ुर्ग हो, किन्तु इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता है कि तुम्हारा पद कितना उच्च है, यदि तुम अपने ज्ञान और अपने कार्य की योग्यता पर भरोसा रखोगे, तो तुम हमेशा ही असफल रहोगे, और परमेश्वर की आशीषों से हमेशा वंचित रहोगे, क्योंकि तुम जो कुछ भी करते हो परमेश्वर उससे कुछ भी अपेक्षा नहीं करता है, और वह नहीं मानता है कि तुम्हारी वृत्ति धर्मी है, या यह स्वीकार नहीं करता है कि तुम मानवजाति के भले के लिए कार्य कर रहे हो। वह कहेगा कि जो कुछ भी तुम करते हो, वह मानवजाति को परमेश्वर की सुरक्षा से वंचित करने, और परमेश्वर के आशीषों को इनकार करने के लिए मानवजाति के ज्ञान और मानवजाति की शक्ति का उपयोग करना है। वह कहेगा कि तुम मानवजाति को अंधकारी की ओर, मृत्यु की ओर, और एक ऐसे अस्तित्व के आरंभ की ओर ले जा रहे हो जिसकी सीमाएँ नहीं है जिसमें मनुष्य परमेश्वर और उसके आशीष को खो देगा।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परिशिष्ट 2: परमेश्वर संपूर्ण मानवजाति के भाग्य का नियंता है

Man Must Worship God for a Good Destiny

I

Who created this world, created all mankind, was the great architect of the ancient Greek cultures? Who created all things, created every being, was the One who designed all civilizations? Only God comforts His humanity. Night and day, He takes care of them. All the growth and progress that man sees is because of His sovereignty. Only God comforts His humanity. Night and day, He takes care of them. All that’s past and all that will be is designed in God’s sovereignty.

II

Who tells nations to rise, commands nations to fall, and alone knows the fate of countries one and all? Only God comforts His humanity. Night and day, He takes care of them. All the growth and progress that man sees is because of His sovereignty. Only God comforts His humanity. Night and day, He takes care of them. All that’s past and all that will be is designed in God’s sovereignty. Only God alone knows man’s fate. He alone controls mankind’s way. All who seek a blessed destiny, bow and confess on bended knee. Only God alone knows their fate. He alone controls mankind’s way. But for those who will not repent, waits a certain and tragic end. Only God alone knows man’s fate. He alone controls mankind’s way. All who seek a blessed destiny, bow and confess on bended knee, bow and confess on bended knee.

from Follow the Lamb and Sing New Songs

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