परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर का प्रकटन और कार्य | अंश 65
14 जून, 2020
जिस दिन सभी चीज़ें पुनर्जीवित हुईं थीं, मैं मनुष्यों के बीच आया, और मैंने उसके साथ अद्भुत दिन और रात बिताये हैं। केवल इस अवसर पर ही मनुष्य मेरी सुलभता को थोड़ा सा समझता है, और जैसे-जैसे मेरे साथ उसकी अंतःक्रिया बार-बार होने लगती है, तो वह जो मेरे पास है और जो मैं हूँ उसमें से थोड़ा सा देखता है—और परिणामस्वरूप, उसे मेरे बारे में कुछ ज्ञान प्राप्त हो जाता है। सभी लोगों के बीच, मैं अपना सिर उठाता हूँ और देखता हूँ, और वे सभी मुझे देखते हैं। फिर भी जब संसार पर आपदा आती है, तो वे तुरन्त व्याकुल जाते हैं, और उनके हृदयों से मेरी छवि ग़ायब हो जाती है; आपदा के आने से आतंक से त्रस्त, वे मेरे प्रोत्साहनों पर कोई ध्यान नहीं देते हैं। मैंने मनुष्यों के बीच बहुत वर्ष बिताये हैं, फिर भी वह हमेशा अनभिज्ञ रहा है, और उसने मुझे कभी नहीं जाना। आज मैं अपने स्वयं के मुँह से उसे बताता हूँ, और मुझ से कुछ प्राप्त करने के लिए सभी लागों को अपने सामने लेकर आता हूँ, फिर भी वे मुझ से अभी भी अपनी दूरी बनाए हुए हैं, और इसलिए वे मुझे नहीं जानते हैं। जब मेरे कदम ब्रह्माण्ड के कोने-कोने में पड़ेंगे, तब मनुष्य खुद पर चिंतन करना शुरू कर देगा, और सभी लोग मेरे पास आएँगे और मेरे सामने दण्डवत करेंगे और मेरी आराधना करेंगे। यह मेरी महिमा का दिन, मेरी वापसी का दिन, और साथ ही मेरे प्रस्थान का दिन भी होगा। अब मैंने अपना कार्य पूरी मानवजाति के बीच आरम्भ कर दिया है, और मैंने पूरे ब्रह्माण्ड में, अपनी प्रबन्धन योजना के अंतिम अंश की औपचारिक शुरूआत कर दी है। इस क्षण से आगे, जो कोई भी सावधान नहीं हैं वे किसी भी क्षण निर्दयी ताड़ना के बीच डूबने के लिए उत्तरदायी हैं। यह इसलिए नहीं है क्योंकि मैं निर्दयी हूँ, बल्कि यह मेरी प्रबन्धन योजना का एक कदम है; सभी को अवश्य मेरी योजना के अनुसार आगे बढ़ना चाहिए, और कोई भी मनुष्य इसे बदल नहीं सकता है। जब मैं औपचारिक रूप से अपना कार्य शुरू करता हूँ, तो सभी लोग वैसे ही चलते हैं जैसे मैं चलाता हूँ, इस तरह कि समस्त संसार के लोग मेरे साथ कदम मिलाते हुए चलने लगते हैं, संसार भर में "उल्लास" होता है, और मनुष्य को मेरे द्वारा आगे की ओर प्रेरित किया जाता है। परिणाम स्वरूप, बड़ा लाल अजगर मेरे द्वारा उन्माद और व्याकुलता की स्थिति में भगा दिया जाता है, और वह मेरा कार्य करता है, और, अनिच्छुक होने के बावजूद भी, अपनी स्वयं की इच्छाओं का अनुसरण करने में समर्थ नहीं होता है, और उसके पास मेरे नियन्त्रण में समर्पित होने के अलावा कोई विकल्प नहीं रहता है। मेरी सभी योजनाओं में, बड़ा लाल अजगर मेरी विषमता, मेरा शत्रु, और मेरा सेवक भी है; वैसे तो, मैंने उससे अपनी "अपेक्षाओं" को कभी भी शिथिल नहीं किया है। इसलिए, मेरे देहधारण के काम का अंतिम चरण उसके घराने में पूरा होता है। इस तरह से, बड़ा लाल अजगर मेरी उचित तरीके से सेवा करने में अधिक समर्थ है, जिसके माध्यम से मैं उस पर विजय पाऊँगा और अपनी योजना को पूरा करूँगा। जब मैं कार्य करता हूँ, तो सभी स्वर्गदूत निर्णायक युद्ध में मेरे साथ शुरू हो जाते हैं और अंतिम चरण में मेरी इच्छाओं को पूरा करने का दृढ़ निश्चय करते हैं, ताकि पृथ्वी के लोग मेरे सामने स्वर्गदूतों के समान समर्पण कर दें, और मेरा विरोध करने की इच्छा न करें, और ऐसा कुछ न करें जो मेरे विरुद्ध विद्रोह करता हो। समस्त संसार में ये मेरे कार्य की गतिशीलताएँ हैं।
मनुष्य के बीच मेरे आगमन का उद्देश्य और महत्व सम्पूर्ण मानवजाति का उद्धार करना, सम्पूर्ण मानवजाति को अपने घराने में वापस लाना, स्वर्ग और पृथ्वी का पुनर्मिलन करना, और मनुष्य से स्वर्ग और पृथ्वी के बीच "संकेतों" का सम्प्रेषण करवाना है, क्योंकि मनुष्य का अंतर्निहित प्रकार्य ऐसा ही है। जिस समय जब मैंने मानवजाति का सृजन किया, उस समय मैंने सभी चीज़ों को मानवजाति के लिए तैयार किया था, और बाद में, मैंने मानवजाति को उस सम्पत्ति को प्राप्त करने की अनुमति दी जो मैंने उसे अपनी आवश्यकताओं के अनुसार दी। इस प्रकार, मैं कहता हूँ कि यह मेरे मार्गदर्शन के अंतर्गत है कि संपूर्ण मानवजाति आज के दिन पहुँची है। और यह सब मेरी योजना है। संपूर्ण मानवजाति के बीच, अनगिनित लोग मेरे प्रेम की सुरक्षा में विद्यमान हैं, और अनगिनित संख्या में मेरी घृणा की ताड़ना के आधीन रहते हैं। यद्यपि सभी लोग मुझ से प्रार्थना करते हैं, तब भी वे अपनी वर्तमान परिस्थितियों को बदलने में असमर्थ हैं; एक बार जब वे आशा खो देते हैं, तो वे केवल प्रकृति को अपना काम करने दे सकते हैं और मेरी अवज्ञा करने से रूक सकते हैं, क्योंकि यह वह सब कुछ है जिसे मनुष्य के द्वारा पूरा किया जा सकता है। जब मनुष्य के जीवन की अवस्था की बात आती है, तो मनुष्य को अभी भी वास्तविक जीवन को ढूँढ़ना है, उसने अभी भी अन्याय, वीरानी और संसार की दयनीय स्थितियों की वास्तविक प्रकृति का पता नहीं लगाया है—और इसलिए, यह आपदा के आगमन के लिए नहीं होता, तो अधिकतर लोग अभी भी प्रकृति माँ को गले से लगाते, और अभी भी अपने आपको "जीवन" के स्वाद में तल्लीन कर देते। क्या यह संसार की सच्चाई नहीं है? क्या यह उस उद्धार की आवाज़ नहीं है जिसे मैं मनुष्य से कहता हूँ? क्यों, मानवजाति के बीच, कभी भी किसी ने मुझ से सच में प्रेम नहीं किया है? क्यों मनुष्य केवल ताड़ना और परीक्षणों के बीच ही मुझ से प्रेम करता है, मगर कोई भी मेरी सुरक्षा के अधीन मुझ से प्रेम नहीं करता है? मैंने कई बार मानवजाति को ताड़ना प्रदान की है। वे इस पर एक नज़र डालते हैं, लेकिन फिर वे उसे अनदेखा कर देते हैं, और वे इस समय इसका अध्ययन और मनन नहीं करते हैं, और इसलिए मनुष्य के ऊपर जो कुछ भी आता वह है निष्ठुर न्याय। यह मेरे कार्य करने के तरीकों में से केवल एक है, परन्तु यह तब भी मनुष्य को बदलने और उसे मुझसे प्रेम करवाने के लिए है।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन, अध्याय 29
ब्रह्माण्ड में परमेश्वर के कार्य की लय
1
धरती के लोग ईश्वर को स्वीकार करेंगे, फरिश्तों की तरह आज्ञाकारी, न कोई इच्छा होगी विद्रोह की, यह है ईश्वर का कार्य जहान भर में। सदियों से ईश्वर है लोगों के साथ, हर कोई इससे अनभिज्ञ रहा, कोई भी ईश्वर को न जान सका, अब ईश्वर का वचन बताए सब को वो है यहीं। वो बुलाता है मानव को अपने समक्ष, जिससे सब को प्राप्त ईश्वर से कुछ हो सके। फिर भी मानव है दूरी बनाये हुए, अचरज नहीं कि कोई ईश्वर को जानता नहीं। जब परमेश्वर के क़दम ब्रह्माण्ड में पड़ेंगे, मनुष्य गहराई से चिंतन करेगा। वे सब आयेंगे परमेश्वर के पास, और झुक के, घुटनों के बल करेंगे ईश्वर की आराधना। यही दिन परमेश्वर की महिमा का है, उसकी वापसी और प्रस्थान का है। यही दिन परमेश्वर की महिमा का है, उसकी वापसी और प्रस्थान का है!
2
परमेश्वर ने लोगों के बीच अपने काम और अंतिम योजना की शुरुआत की है। जो कोई भी इस पे करे न ग़ौर, कठोर सज़ा उनको भुगतनी होगी। ऐसा नहीं है कि ईश्वर का दिल है कठोर, बल्कि यह उसकी योजना का एक क़दम है, जिसके अनुसार ही सबको चलना चाहिए, यह है सत्य जो कोई भी न बदल सके। धरती के लोग ईश्वर को स्वीकार करेंगे, फरिश्तों की तरह आज्ञाकारी, न कोई इच्छा होगी विद्रोह की, यह है ईश्वर का कार्य जहान भर में।
3
जब औपचारिक रूप से ईश्वर कार्य करता है शुरू, सभी लोग ईश्वर के पीछे चलते हैं। संसार व्यस्त होता है परमेश्वर के साथ, होती उल्लासित धरा, लोग प्रेरित होते हैं। घबरा जाता है बड़ा लाल अजगर भी, करे ईश्वर के कार्य विरुद्ध इच्छा के अपनी, अपनी इच्छा से चलने में वो असमर्थ, परमेश्वर के नियंत्रण में ही वो चले। ईश्वर की सब योजनाओं का अजगर ही विषमता है, वही ईश्वर का शत्रु और सेवक भी है। पूरा करने को अंतिम चरण कार्य का, ईश्वर देहधारण करता है उसके घराने में, जिससे अजगर ईश्वर की उचित सेवा करे, उस पर विजय पाके परमेश्वर की योजना का अंत हो। स्वर्गदूत भी युद्ध में होते हैं परमेश्वर के साथ, जीतने को दिल ईश्वर का अंतिम चरण में, जीतने को दिल ईश्वर का अंतिम चरण में। यही दिन परमेश्वर की महिमा का है, उसकी वापसी और प्रस्थान का है। यही दिन परमेश्वर की महिमा का है, उसकी वापसी और प्रस्थान का है!
— 'मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ' से
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