Christian Dance | समय | Praise Song
24 अगस्त, 2024
अकेली रूह चली आई है इतनी दूर से,
अतीत को खोजती, भविष्य को जाँचती,
कड़ी मेहनत करती, सपनों का पीछा करती।
इस बात से अनजान, कहाँ से आती-जाती है वो,
आँसुओं में पैदा होती, मायूसी में गुम होती।
कदमों तले कुचली जाती ख़ुद को संभालती फिर भी।
तुम्हारा आना कर देता है भटके व्यथित जीवन का अंत।
मुझको दिखती उम्मीद की किरण,
स्वागत करती हूँ सुबह की रोशनी का।
दूर कोहरे में पाती हूँ झलक तुम्हारे रूप की।
वो चमक है तुम्हारे चेहरे की।
भटक गई थी मैं कल अनजान देश में,
मगर आज पा ली है राह मैंने अपने घर की।
ज़ख़्मों से छलनी, इंसान से अलग,
इंसान का जीवन सपना है, मैं विलाप करती हूँ।
तुम्हारा आना कर देता है भटके व्यथित जीवन का अंत।
अब खोई हुई नहीं हूँ, भटकी हुई नहीं हूँ मैं।
आ गई हूँ घर अपने मैं।
तुम्हारा सफ़ेद लिबास दिखता है मुझे।
तुम्हारे चेहरे की चमक दिखती है मुझे।
तुम्हारा आना कर देता है भटके व्यथित जीवन का अंत।
अब खोई हुई नहीं हूँ, भटकी हुई नहीं हूँ मैं।
आ गई हूँ घर अपने मैं।
तुम्हारा सफ़ेद लिबास दिखता है मुझे।
तुम्हारे चेहरे की चमक दिखती है मुझे।
कितने जनम लिये, कितने साल इंतज़ार किया,
सर्वशक्तिमान का अब आगमन हुआ।
अकेली रूह को मिल गई राह, अब दुखी नहीं है ये।
हज़ारों साल का ये सपना।
—मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ
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