Hindi Christian Testimony Video | चुनाव हारने के बाद आत्मचिंतन

11 सितम्बर, 2021

मुख्य किरदार आस्था प्राप्त करने के बाद खुद को परमेश्वर के लिए काम करने में लगा देता है, जब काम में उसे कुछ सफलता मिलती है तो उसे लगने लगता है कि उसे अपने सहकर्मियों से बहुत अलग है। अगुआओं के चुनाव का समय आने पर वह आत्मविश्वास से भरा होता है, सोचता है कि यह तो उसकी मुट्ठी में है। जब उसे नहीं चुना जाता तो उसे बहुत बड़ा धक्का लगता है। इन नतीजों का सामना करके उसे लगता है कि उसके साथ गलत हुआ है, वह असंतुष्ट हो जाता है, रुतबे की उसकी आकांक्षा पूरी न होने के कारण वह नकारात्मक हो जाता है। वह निराश और विद्रोही होकर कामचलाऊ ढंग से अपना काम निपटा देता है, और आखिरकार उसे उसके काम से बर्खास्त कर दिया जाता है। उस वक्त आखिरकार वह आत्मचिंतन करता है और परमेश्वर के न्याय और ताड़ना के जरिये समझ पाता है कि वह हमेशा से अपने कर्तव्य में शोहरत और रुतबे का पीछा करता रहा है, वह मसीह-विरोधी की राह पर था, जोकि परमेश्वर के विरुद्ध है। उसे बहुत पछतावा होता है। जब वह फिर एक बार एक कर्तव्य की ज़िम्मेदारी लेता है, वह सत्य पर ध्यान देने और रुतबे की अपनी आकांक्षा को छोड़ने का आभ्यास करता है, इससे उसे आज़ादी और सुकून का एहसास होता है।

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