Christian Song | परमेश्वर में सफल विश्वास का मार्ग

21 सितम्बर, 2020

पतरस एवं पौलुस, परमेश्वर के प्राणियों के रूप में अपने कर्तव्य को निभा सकते थे या नहीं

इसके अनुसार उनकी नियति को मापा गया था,

उनके योगदान के आकार के अनुसार नहीं;

जो कुछ उन्होंने शुरुआत से खोजा था

उसके अनुसार उनकी नियति को निर्धारित किया गया था,

इसके अनुसार नहीं कि उन्होंने कितना अधिक कार्य किया था,

या उनके विषय में अन्य लोगों का आंकलन क्या था।

और इस प्रकार, परमेश्वर के एक प्राणी के रुप में अपने कर्तव्य को सक्रिय रूप से निभाना ही

सफलता का पथ है;

परमेश्वर के लिए सच्चे प्रेम के पथ को खोजना ही सबसे सही पथ है;

अपने पुराने स्वभाव में बदलावों को खोजना,

और परमेश्वर के लिए शुद्ध प्रेम की खोज करना ही सफलता का पथ है।

सफलता का पथ है।

सफलता के लिए ऐसा पथ

ही मूल कर्तव्य की पुनः प्राप्ति का पथ है

साथ ही साथ परमेश्वर के किसी प्राणी का मूल रूप भी है।

ही मूल कर्तव्य की पुनः प्राप्ति का पथ है

साथ ही साथ परमेश्वर के किसी प्राणी का मूल रूप भी है।

यह पुनः प्राप्ति का पथ है,

और साथ ही यह शुरूआत से लेकर समाप्ति तक परमेश्वर के समस्त कार्य का लक्ष्य भी है।

यदि मनुष्य का अनुसरण (खोज) व्यक्तिगत फिज़ूल मांगों

एवं तर्कहीन लालसाओं से कलंकित हो जाता है,

तो वह प्रभाव जिसे हासिल किया जाता है वह मनुष्य के स्वभाव में हुए परिवर्तन नहीं होंगे।

यह पुनः प्राप्ति के कार्य से विपरीत है।

यह निःसन्देह पवित्र आत्मा के द्वारा किया गया कार्य नहीं है,

और इस प्रकार यह साबित करता है कि

ऐसे अनुसरण को परमेश्वर के द्वारा स्वीकृति नहीं दी जाती है।

ऐसे अनुसरण को परमेश्वर के द्वारा स्वीकृति नहीं दी जाती है।

ऐसे अनुसरण का क्या महत्व है जिसे परमेश्वर के द्वारा स्वीकृति नहीं दी जाती है?

ऐसे अनुसरण का क्या महत्व है

ऐसे अनुसरण का क्या महत्व है जिसे परमेश्वर के द्वारा स्वीकृति नहीं दी जाती है?

'मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ' से

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