परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 186
02 नवम्बर, 2021
जब परमेश्वर ने सभी चीज़ों की सृष्टि की, तब उसने उन्हें संतुलित करने के लिए, पहाड़ों और झीलों के वास की स्थितियों को संतुलित करने के लिए, पौधों और सभी प्रकार के पशुओं, पक्षियों, कीड़ों-मकोड़ों के वास की स्थितियों को संतुलित करने के लिए सभी प्रकार की पद्धतियों और तरीकों का उपयोग किया। उसका लक्ष्य था कि सभी प्रकार के प्राणियों को उन नियमों के अंतर्गत जीने और बहुगुणित होने की अनुमति दे जिन्हें उसने स्थापित किया था। सृष्टि की कोई भी चीज़ इन नियमों के बाहर नहीं जा सकती है, और उन्हें तोड़ा नहीं जा सकता है। केवल इस प्रकार के आधारभूत वातावरण के अंतर्गत ही मनुष्य पीढ़ी-दर-पीढ़ी सकुशल जीवित रह सकते हैं और वंश-वृद्धि कर सकते हैं। यदि कोई प्राणी परमेश्वर के द्वारा स्थापित मात्रा या दायरे से बाहर चला जाता है, या वह उसके शासन के अधीन उस वृद्धि दर, प्रजनन आवृत्ति, या संख्या से अधिक बढ़ जाता है, तो जीवित रहने के लिए मानवजाति का वातावरण विनाश की भिन्न-भिन्न मात्राओं को सहेगा। और साथ ही, मानवजाति का जीवित रहना भी खतरे में पड़ जाएगा। यदि एक प्रकार का प्राणी संख्या में बहुत अधिक है, तो यह लोगों के भोजन को छीन लेगा, लोगों के जल-स्रोत को नष्ट कर देगा, और उनके निवासस्थान को बर्बाद कर देगा। उस तरह से, मनुष्य का प्रजनन या जीवित रहने की स्थिति तुरन्त प्रभावित होगी। उदाहरण के लिए, पानी सभी चीज़ों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यदि बहुत सारे चूहे, चींटियाँ, टिड्डियाँ और मेंढक या दूसरी तरह के बहुत से जानवर हों, तो वे बहुत सारा पानी पी जाएँगे। वे जो जल पीते हैं उसकी मात्रा बढ़ती जाती है, तो लोगों के पीने का पानी और पेयजल के स्त्रोतों के निश्चित दायरे में जल-स्रोत कम हो जाएँगे, जलीय क्षेत्र कम हो जाएँगे और उन्हें जल की कमी होगी। यदि लोगों के पीने का पानी नष्ट, दूषित, या खत्म हो जाता है क्योंकि सभी प्रकार के जानवर संख्या में बढ़ गए हैं, तो जीवित रहने के लिए उस प्रकार के कठोर वातावरण के अधीन, मानवजाति का जीवित रहना गंभीर रूप से खतरे में पड़ जाएगा। यदि एक प्रकार के या अनेक प्रकार के प्राणी अपनी उपयुक्त संख्या से आगे बढ़ जाते हैं, तो हवा, तापमान, आर्द्रता, और यहाँ तक कि मानवजाति के जीवित रहने के स्थान के भीतर की हवा के तत्व भी भिन्न-भिन्न मात्रा में ज़हरीले और नष्ट हो जाएँगे। इन परिस्थितियों के अधीन, मनुष्य का जीवित रहना और उसकी नियति भी उस प्रकार के वातावरण के खतरे में होगी। अतः, यदि ये संतुलन बिगड़ जाते हैं, तो वह हवा जिसमें लोग सांस लेते हैं, ख़राब हो जाएगी, वह जल जो वे पीते हैं, दूषित हो जाएगा, और वह तापमान जिसकी उन्हें ज़रुरत है वह भी बदल जाएगा, और भिन्न-भिन्न मात्रा से प्रभावित होगा। यदि ऐसा होता है, तो जीवित बचे रहने के लिए वातावरण जो स्वाभाविक रूप से मनुष्यजाति के हैं, बहुत बड़े प्रभावों और चुनौतियों के अधीन हो जाएँगे। इस परिस्थिति में जहाँ जीवित रहने के लिए मनुष्यों के आधारभूत वातावरण को नष्ट कर दिया गया है, मानवजाति की नियति और भविष्य की संभावनाएँ क्या होंगी? यह एक बहुत गंभीर समस्या है! क्योंकि परमेश्वर जानता है कि किस कारण से सृष्टि की प्रत्येक चीज़ मनुष्यजाति के वास्ते मौज़ूद है, हर एक प्रकार की चीज़ जिसे उसने बनाया है, उसकी भूमिका क्या है, इसका लोगों पर कैसा प्रभाव होता है, और यह मानवजाति के लिए कितना लाभ पहुँचाता है, परमेश्वर के हृदय में इन सब के लिए एक योजना है और वह सभी चीज़ों के हर एक पहलू का प्रबन्ध करता है जिसका उसने सृजन किया है, अतः हर एक कार्य जो वह करता है, मनुष्यों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण और ज़रूरी है। तो अब से जब तुम सभी परमेश्वर द्वारा सृजी गयी चीज़ों के मध्य कोई पारिस्थितिक घटना या प्राकृतिक नियम देखोगे, तो परमेश्वर द्वारा रची गयी किसी चीज़ की अनिवार्यता के विषय में फ़िर कभी संदेह नहीं रखोगे। तुम सभी चीज़ों के विषय में परमेश्वर की व्यवस्थाओं पर और मानवजाति की आपूर्ति करने के लिए उसके विभिन्न तरीकों पर मनमाने ढंग से फैसले लेने के लिए अज्ञानता भरे शब्दों का उपयोग नहीं करोगे। साथ ही तुम परमेश्वर की सृष्टि की सभी चीज़ों के लिए उसके नियमों पर मनमाने ढंग से निष्कर्ष नहीं निकालोगे।
—वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है IX
परमेश्वर का आशीष आपके पास आएगा! हमसे संपर्क करने के लिए बटन पर क्लिक करके, आपको प्रभु की वापसी का शुभ समाचार मिलेगा, और 2024 में उनका स्वागत करने का अवसर मिलेगा।
अन्य प्रकार की वीडियो