Hindi Christian Testimony Video | क्या केवल अनुग्रह के लिए परमेश्वर में विश्वास रखना उचित है?
13 फ़रवरी, 2025
परमेश्वर में विश्वास रखने के बाद वह उसके अनुग्रह का भरपूर आनंद लेती है, लेकिन बाद में उसे अचानक उच्च रक्तचाप हो जाता है और इससे वह चिंतित हो जाती है। जैसे-जैसे उसकी हालत बिगड़ती जाती है, वह नकारात्मकता से घिरती जाती है और अपने कर्तव्य में जिम्मेदारी की भावना खो देती है। परमेश्वर के वचनों के प्रकाशन से उसे अपनी आस्था में अशुद्धियों का एहसास होता है और वह समझ जाती है कि चूँकि अंत के दिनों में परमेश्वर का कार्य सत्य व्यक्त करना और मानवजाति का न्याय करना और उसे शुद्ध करना है, इसलिए परमेश्वर में आस्था का संबंध अनुग्रह और आशीष खोजने से नहीं है, बल्कि इसका संबंध अपने भ्रष्ट स्वभाव त्यागने के लिए सत्य का अनुसरण करने से है।
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