परमेश्वर के दैनिक वचन : जीवन में प्रवेश | अंश 490

12 सितम्बर, 2020

कई लोग हैं जो वर्तमान में परीक्षाओं के बीच में हैं; वे परमेश्वर के कार्य को नहीं समझते हैं। लेकिन मैं तुम्हें बताता हूँ—यदि तुम इसे नहीं समझ पाते हो, तो बेहतर है कि तुम इसके बारे में आलोचनाएँ मत करो। संभवतः एक दिन आएगा जब समस्त सत्य प्रकाश में आ जाएगा और तब तुम इसे जान लोगे। आलोचनाएँ न करना तुम्हारे लिए लाभदायक होगा, लेकिन तुम मात्र निष्क्रिय रूप से प्रतीक्षा नहीं कर सकते हो। तुम्हें सक्रिय रूप से प्रवेश करने का प्रयास करना चाहिए—केवल यही ऐसा व्यक्ति है जिसकी व्यावहारिक प्रविष्टि है। अपनी विद्रोहशीलता के कारण, लोग हमेशा व्यावहारिक परमेश्वर के बारे में धारणाएँ विकसित कर रहे हैं। इसके लिए सभी लोगों को यह सीखना आवश्यक है कि आज्ञाकारी कैसे बनें क्योंकि व्यावहारिक परमेश्वर मानवजाति के लिए एक बहुत बड़ी परीक्षा है। यदि तुम अडिग नहीं रह सकते हो, तो सब कुछ खत्म हो जाता है; यदि तुम्हें व्यावहारिक परमेश्वर की व्यावहारिकता की समझ नहीं है, तो तुम परमेश्वर द्वारा पूर्ण किए जाने में सक्षम नहीं होगे। लोगों को पूर्ण बनाया जा सकता है या नहीं इसमें एक महत्वपूर्ण कदम है परमेश्वर की व्यावहारिकता को समझना। देहधारी परमेश्वर की व्यावहारिकता का पृथ्वी पर आना प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक परीक्षा है। यदि तुम इस पहलू में अडिग रहने में सक्षम हो तो तुम एक ऐसे व्यक्ति हो जो परमेश्वर को जानता है, और तुम एक ऐसे व्यक्ति हो जो उसे वास्तव में प्यार करता है। यदि तुम इस पहलू में अडिग नहीं रह सकते हो, यदि तुम केवल पवित्रात्मा में विश्वास करते हो और तुम परमेश्वर की व्यावहारिकता पर विश्वास नहीं कर सकते हो, तो इस बात से कोई फ़र्क नहीं पड़ता है कि परमेश्वर पर तुम्हारा विश्वास कितना अधिक है, यह बेकार है। यदि तुम दृश्यमान परमेश्वर में विश्वास नहीं कर सकते हो, तो क्या तुम परमेश्वर की पवित्र आत्मा में विश्वास कर सकते हो? क्या तुम परमेश्वर को बेवकूफ़ बनाने की कोशिश नहीं कर रहे हो? तुम दृश्यमान और मूर्त परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारी नहीं हो, तो क्या तुम पवित्रात्मा की आज्ञा का पालन करने में सक्षम हो? आत्मा अदृश्य और अमूर्त है, इसलिए जब तुम कहते हो कि तुम परमेश्वर की पवित्रात्मा की आज्ञा का पालन करते हो, तो क्या तुम सिर्फ निरर्थक बात नहीं कर रहे हो? आज्ञाओं का पालन करने की कुंजी व्यावहारिक परमेश्वर की समझ को पाना है। एक बार तुम्हें व्यावहारिक परमेश्वर की समझ प्राप्त हो जाए, तो तुम आज्ञाओं का पालन करने में सक्षम हों जाओगे। उनका पालन करने के लिए दो घटक हैं: एक है उसकी पवित्रात्मा के सार को थामे रखने और पवित्रात्मा के सामने पवित्रात्मा की परीक्षा को स्वीकार करने में सक्षम होना; दूसरा है देहधारी शरीर की वास्तविक समझ प्राप्त करने में सक्षम होना, और वास्तविक आत्मसमर्पण प्राप्त करना। चाहे वह शरीर के सामने हो या पवित्रात्मा के सामने, परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारिता का हृदय और परमेश्वर का भय हमेशा रखा जाना चाहिए। केवल इस तरह का व्यक्ति पूर्ण बनाए जाने के योग्य है। यदि तुम्हें व्यावहारिक परमेश्वर की व्यावहारिकता की समझ है, अर्थात् यदि तुम इस परीक्षा में अडिग रहे हो, तब तुम्हारे लिए कुछ भी बहुत अधिक नहीं होगा।

कुछ लोग कहते हैं, "आज्ञाओं का पालन करना आसान है। तुम्हें सिर्फ परमेश्वर के सामने आने, स्पष्ट रूप से और श्रद्धापूर्वक बिना नाटकबाजी किए बोलने की आवश्यकता है, और यही आज्ञाओं का पालन करना है।" क्या यह सही है? तो अगर तुम परमेश्वर की पीठ पीछे कुछ काम करते हो जो परमेश्वर का विरोध करती हैं—क्या उसे आज्ञाओं का पालन करने के रूप में गिना जाता है? तुम लोगों को इस बात की पूरी समझ अवश्य होनी चाहिए कि आज्ञाओं का पालन करने में क्या शामिल है। यह इस बात के साथ संबंधित है कि क्या तुम्हें परमेश्वर की व्यावहारिकता की एक वास्तविक समझ है या नहीं; यदि तुम्हें व्यावहारिकता की समझ है, और इस परीक्षा के दौरान लड़खड़ाते और गिरते नहीं हो, तो तुम्हें एक ऐसे के रूप में गिना जा सकता है जिसके पास मज़बूत गवाही है। परमेश्वर के लिए एक ज़बर्दस्त गवाही देना मुख्य रूप से इस बात से संबंधित है कि तुम्हें व्यावहारिक परमेश्वर की समझ है या नहीं, और तुम इस व्यक्ति के सामने आज्ञापालन करने में सक्षम हो या नहीं जो कि न केवल साधारण है, बल्कि सामान्य है, और मृत्युपर्यंत भी उसका आज्ञापालन कर पाते हो या नहीं। यदि तुम वास्तव में इस आज्ञाकारिता के माध्यम से परमेश्वर के लिए गवाही देते हो, तो इसका अर्थ है कि तुम परमेश्वर द्वारा ग्रहण किए जा चुके हो। मृत्यु होने तक पालन करने में सक्षम होना, और उसके सामने शिकायतों से मुक्त होना, आलोचनाएँ न करना, बदनाम न करना, धारणाएँ न रखना, और कोई अन्य आशय न रखना—इस तरह परमेश्वर को महिमा मिलेगी। एक नियमित व्यक्ति के सम्मुख आत्मसमर्पण जिसे मनुष्य द्वारा तुच्छ समझा जाता है और किसी भी अवधारणा के बिना मृत्यु तक आत्मसमर्पण करने में सक्षम होना—यह सच्ची गवाही है। परमेश्वर लोगों से इसमें प्रवेश करने की अपेक्षा करता है इस बात की वास्तविकता यह है कि तुम उसके वचनों का पालन करने में सक्षम हो जाओ, उसके वचनों को अभ्यास में लाने में सक्षम हो जाओ, व्यावहारिक परमेश्वर के सामने झुकने और अपने स्वयं के भ्रष्टाचार को जानने में सक्षम हो जाओ, उसके सामने अपना हृदय खोलने में सक्षम हो जाओ, और अंत में उसके इन वचनों के माध्यम से उसके द्वारा प्राप्त कर लिए जाओ। जब ये वचन तुम्हें जीत लेते हैं और तुम्हें पूरी तरह उसके प्रति आज्ञाकारी बना देते हैं तो परमेश्वर को महिमा प्राप्त होती है; इसके माध्यम से वह शैतान को लज्जित करता है और अपने कार्य को पूरा करता है। जब तुम्हारी देहधारी परमेश्वर की व्यावहारिकता के बारे में कोई धारणा नहीं होती है, अर्थात्, जब तुम इस परीक्षा में अडिग रहते हो, तो तुम एक अच्छी गवाही देते हो। यदि ऐसा दिन आता है जब तुम्हें व्यावहारिक परमेश्वर की पूरी समझ हो जाती है और तुम पतरस की तरह मृत्युपर्यंत आज्ञापालन कर सकते हो, तो तुम परमेश्वर द्वारा प्राप्त कर लिए जाओगे, और उसके द्वारा पूर्ण बना दिए जाओगे। परमेश्वर जो कुछ भी करता है जो तुम्हारी धारणाओं के अनुरूप नहीं होता है, वह तुम्हारे लिए एक परीक्षा होती है। यदि यह तुम्हारी धारणाओं के अनुरूप होता, तो इसके लिए तुम्हें कष्ट भुगतने या शुद्ध किए जाने की आवश्यकता नहीं होती। ऐसा इसलिए है क्योंकि उसका कार्य इतना व्यावहारिक है और तुम्हारी धारणाओं के अनुरूप नहीं है कि यह तुम्हारे लिए अपनी धारणाओं को छोड़ देना आवश्यक बनाता है। यही कारण है कि यह तुम्हारे लिए एक परीक्षा है। यह परमेश्वर की व्यावहारिकता के कारण है कि सभी लोग परीक्षाओं के बीच में हैं; उसका कार्य व्यावहारिक है, अलौकिक नहीं। किसी भी अवधारणा को रखे बिना उसके व्यावहारिक वचनों, उसके व्यावहारिक कथनों को पूरी तरह से समझकर, और जितना अधिक उसका कार्य व्यावहारिक है उतना ही अधिक उसे वास्तव में प्यार करने में सक्षम हो कर, तुम उसके द्वारा प्राप्त किए जाओगे। उन लोगों का समूह जिन्हें परमेश्वर प्राप्त करेगा वे लोग हैं जो परमेश्वर को जानते हैं, अर्थात्, जो उसकी व्यावहारिकता को जानते हैं, और उससे भी ज्यादा ये वे लोग हैं जो परमेश्वर के व्यावहारिक कार्य का पालन करने में सक्षम हैं।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर से सचमुच प्रेम करने वाले लोग वे होते हैं जो परमेश्वर की व्यावहारिकता के प्रति पूर्णतः समर्पित हो सकते हैं

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