परमेश्वर के दैनिक वचन : जीवन में प्रवेश | अंश 438

07 सितम्बर, 2020

पहले, यह कहा जाता था कि पवित्र आत्मा की उपस्थिति का होना और पवित्र आत्मा का कार्य पाना भिन्न-भिन्न हैं। पवित्र आत्मा की उपस्थिति होने की सामान्य अवस्था सामान्य विचार, सामान्य समझ और सामान्य मानवता होने में व्यक्त होती है। एक व्यक्ति का चरित्र वैसा ही रहेगा जैसा कि यह हुआ करता था, किन्तु उनके भीतर शांति होगी, और बाह्य रूप से उनमें संत की शिष्टता होगी। यह तब होगा जब पवित्र आत्मा उनके साथ होगा। जब पवित्र आत्मा उनके साथ होता है, तो लोगों के सामान्य विचार होते हैं। जब वे भूखे होते हैं तो वे खाना चाहते हैं, जब वे प्यासे होते हैं तो वे पानी पीना चाहते हैं ... सामान्य मानवता की ये अभिव्यक्तियाँ पवित्र आत्मा की प्रबुद्धता नहीं हैं, ये लोगों के सामान्य विचार हैं और पवित्र आत्मा की उपस्थिति होने की सामान्य अवस्था है। कुछ लोग गलत तरीके से मानते हैं कि जिनमें पवित्र आत्मा की उपस्थिति होती है, वे भूख नहीं जानते, उन्हें कोई थकान महसूस नहीं होती है, वे परिवार के बारे में सोचते हुए प्रतीत नहीं होते, अपने आप को देह से लगभग पूरी तरह से अलग कर दिए हुए होते हैं। वास्तव में, जितना अधिक पवित्र आत्मा लोगों के साथ होता है, उतना अधिक वे सामान्य होते हैं। वे परमेश्वर के लिए पीड़ित होना और चीज़ों को त्यागना, स्वयं को परमेश्वर के लिए व्यय करना, और परमेश्वर के प्रति निष्ठावान बनना जानते हैं और इसके अलावा, वे खाना और कपड़े पहनना जानते हैं। दूसरे शब्दों में, उन्होंने सामान्य मानवता का ऐसा कुछ भी नहीं खोया है जो कि मनुष्य के पास और उन्हें होना चाहिए और इसके बजाय, विशेष रूप से तर्कसंगतता से सम्पन्न हैं। कभी-कभी, वे परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं और परमेश्वर के कार्य पर विचार करते हैं, और उनके हृदय में विश्वास होता है और वे सच्चाई का अनुसरण करने के इच्छुक होते हैं। बेशक, पवित्र आत्मा का कार्य इसी बुनियाद पर आधारित है। यदि लोग बिना सामान्य विचारों वाले होते हैं, तो उनके पास कोई तर्कसंगतता नहीं होती है, जो कि एक सामान्य अवस्था नहीं है। जब लोगों के विचार सामान्य होते हैं और पवित्र आत्मा उनके साथ होता है, तो वे अनिवार्य रूप से एक सामान्य व्यक्ति की तर्कसंगतता से सम्पन्न होते हैं, अर्थात् उनकी एक सामान्य अवस्था होती है। परमेश्वर के कार्य का अनुभव करने में, पवित्र आत्मा के कार्य के लिए निश्चित समय होते हैं, जबकि पवित्र आत्मा की उपस्थिति प्रायः हर समय रहती है। जब तक लोगों की तर्कसंगतता और विचार सामान्य होते हैं, और जब तक उनकी अवस्थाएं सामान्य होती हैं, तब पवित्र आत्मा निश्चित रूप से उनके साथ होता है। जब लोगों की तर्कसंगतता और विचार सामान्य नहीं होते हैं, तो उनकी मानवता सामान्य नहीं होती है। यदि, इस पल में, पवित्र आत्मा का कार्य तुम में है, तो पवित्र आत्मा भी निश्चित रूप से तुम्हारे साथ होगा। किन्तु यदि पवित्र आत्मा तुम्हारे साथ है, तो आवश्यक नहीं कि तुम्हारे भीतर पवित्र आत्मा का कार्य हो, क्योंकि पवित्र आत्मा विशेष समयों पर कार्य करता है। पवित्र आत्मा की उपस्थिति का होना केवल लोगों के सामान्य जीवन के तरीके को बनाए रख सकता है, किन्तु पवित्र आत्मा केवल निश्चित समयों पर ही कार्य करता है। उदाहरण के लिए, यदि तुम कोई कार्यकर्ता या अगुवा होते, तो जब तुम कलीसिया को आपूर्ति और सिंचन प्रदान करते तब पवित्र आत्मा तुम्हें कुछ वचनों से प्रबुद्ध करेगा जो दूसरों के लिए शिक्षाप्रद होगा और जो तुम्हारे भाइयों-बहनों की कुछ व्यावहारिक समस्याओं का समाधान कर सकता है यही है जब पवित्र आत्मा कार्य कर रहा है। कभी-कभी तुम परमेश्वर के वचनों को खा-पी रहे होते हो, और पवित्र आत्मा तुम्हें प्रबुद्ध कर देता है और तुम स्वयं को अपने अनुभवों के विरुद्ध उन्हें सँभालने में विशेष रूप से सक्षम पाते हो, और तुम को अपनी अवस्था का अधिक ज्ञान प्रदान करता है; यह भी पवित्र आत्मा का कार्य है। कभी-कभी, जैसे मैं बोलता हूँ, तुम लोग सुनते हो, और अपनी स्वयं की अवस्था को मेरे वचनों से मापने में सक्षम होते हो और कभी-कभी तुम लोग द्रवित या प्रेरित हो जाते हो, और यह पवित्र आत्मा का कार्य है। कुछ लोग कहते हैं कि पवित्र आत्मा हर समय उनमें कार्य कर रहा है। यह असंभव है। यदि वे कहते कि पवित्र आत्मा हमेशा उनके साथ है, तो यह यथार्थ पर आधारित होता। यदि वे कहते कि उनकी सोच और उनका बोध हर समय सामान्य है, तो यह भी यथार्थ पर आधारित होता और यह दिखाता कि पवित्र आत्मा उनके साथ है। यदि वे कहते हैं कि पवित्र आत्मा हमेशा उनके भीतर कार्य कर रहा है, कि वे परमेश्वर द्वारा प्रबुद्ध किए गए हैं और हर पल पवित्र आत्मा द्वारा स्पर्श किए जाते हैं, और हर समय नया ज्ञान प्राप्त करते हैं, तो यह सामान्य नहीं है। यह नितान्त अलौकिक है! बिना किसी संदेह के, ऐसे लोग बुरी आत्माएँ हैं! यहाँ तक कि जब परमेश्वर का आत्मा देह में आता है, तब ऐसे समय होते हैं जब उसे भी अवश्य भोजन करना चाहिए और आराम करना चाहिए—मनुष्य की तो बात ही छोड़ो। जो लोग बुरी आत्माओं द्वारा ग्रस्त हो गए हैं, वे देह की कमजोरी से रहित प्रतीत होते हैं। वे सब कुछ त्यागने और छोड़ने में सक्षम होते हैं, वे भावनाओं से मुक्त होते हैं, यातना को सहने में सक्षम होते हैं और जरा सी भी थकान महसूस नहीं करते हैं, मानो कि वे देहातीत हो चुके हैं। क्या यह नितान्त अलौकिक नहीं है? दुष्ट आत्मा का कार्य अलौकिक है, और ये चीजें मनुष्य के द्वारा अप्राप्य हैं। जो लोग विभेद नहीं कर सकते हैं वे जब ऐसे लोगों को देखते हैं, तो ईर्ष्या करते हैं, और कहते हैं कि परमेश्वर पर उनका विश्वास बहुत मजबूत है, और बहुत अच्छा है, और कहते हैं कि वे कभी कमजोर नहीं पड़ते हैं। वास्तव में, यह दुष्ट आत्मा के कार्य की अभिव्यक्ति है। इसका कारण यह है कि एक सामान्य अवस्था के लोगों में अनिवार्य रूप से मानवीय कमजोरियाँ होती हैं; यह उन लोगों की सामान्य अवस्था है जिनमें पवित्र आत्मा की उपस्थिति होती है।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, अभ्यास (4)

और देखें

परमेश्वर का आशीष आपके पास आएगा! हमसे संपर्क करने के लिए बटन पर क्लिक करके, आपको प्रभु की वापसी का शुभ समाचार मिलेगा, और 2024 में उनका स्वागत करने का अवसर मिलेगा।

Leave a Reply

साझा करें

रद्द करें

WhatsApp पर हमसे संपर्क करें