परमेश्वर के दैनिक वचन : जीवन में प्रवेश | अंश 420
28 सितम्बर, 2020
परमेश्वर के वर्तमान वचनों को खाते और पीते हुए उसके वचनों पर चिंतन और प्रार्थना करना परमेश्वर के समक्ष शांत होने की ओर पहला कदम है। यदि तुम सच में परमेश्वर के समक्ष शांत रह सकते हो, तो पवित्र आत्मा की प्रबुद्धता और रोशनी तुम्हारे साथ होगी। समस्त आध्यात्मिक जीवन परमेश्वर की उपस्थिति में शांत रहने से प्राप्त किया जाता है। प्रार्थना करने में तुम्हें परमेश्वर के समक्ष शांत अवश्य होना चाहिए, केवल तभी तुम पवित्र आत्मा द्वारा प्रेरित किए जा सकते हो। परमेश्वर के वचनों को खाते-पीते हुए जब तुम परमेश्वर के समक्ष शांत होते हो, तो तुम्हें प्रबुद्ध और रोशन किया जा सकता है, और तुम परमेश्वर के वचनों की सच्ची समझ प्राप्त कर सकते हो। ध्यान और संगति की अपनी सामान्य गतिविधियों में और अपने हृदय में परमेश्वर के निकट होने में जब तुम परमेश्वर की उपस्थिति में शांत हो जाओगे, तो तुम परमेश्वर के साथ वास्तविक निकटता का आनंद ले पाओगे, परमेश्वर के प्रेम और उसके कार्य की वास्तविक समझ रख पाओगे, और परमेश्वर के इरादों के संबंध में सच्चा चिंतन और देखभाल दर्शा पाओगे। जितना अधिक तुम साधारणतः परमेश्वर के सामने शांत रहने में सक्षम होगे, उतना ही अधिक तुम रोशन होगे और उतना ही अधिक तुम अपने स्वयं के भ्रष्ट स्वभाव को समझ पाओगे, और समझ पाओगे कि तुममें किस चीज़ की कमी है, तुम्हें किसमें प्रवेश करना है, कौन-से कार्य में तुम्हें सेवा करनी चाहिए, और किसमें तुम्हारे दोष निहित हैं। यह सब परमेश्वर की उपस्थिति में शांत रहने से प्राप्त होता है। यदि तुम परमेश्वर के समक्ष अपनी शांति में सच में गहराई प्राप्त कर लेते हो, तो तुम आत्मा के कुछ रहस्यों को स्पर्श कर पाओगे, यह समझ पाओगे कि वर्तमान में परमेश्वर तुममें क्या कार्य करना चाहता है, परमेश्वर के वचनों को अधिक गहराई से समझ पाओगे, परमेश्वर के वचनों के तत्व, सार और अस्तित्व को समझ पाओगे, और तुम अभ्यास के मार्ग को अधिक स्पष्टता और परिशुद्धता से देख पाओगे। यदि तुम अपनी आत्मा में शांत रहने में पर्याप्त गहराई प्राप्त करने में असफल रहते हो, तो तुम पवित्र आत्मा द्वारा केवल थोड़ा-सा ही प्रेरित किए जाओगे; तुम अंदर से मज़बूत महसूस करोगे और एक निश्चित मात्रा में आनंद और शांति अनुभव करोगे, लेकिन तुम कुछ भी गहराई से नहीं समझोगे। मैंने पहले कहा है: यदि लोग अपना पूरा सामर्थ्य नहीं लगाते हैं, तो उनके लिए मेरी वाणी को सुनना या मेरा चेहरा देखना कठिन होगा। यह परमेश्वर के समक्ष शांति में गहराई प्राप्त करने का इशारा करता है, न कि सतही प्रयास करने का। जो व्यक्ति वास्तव में परमेश्वर के समक्ष सच में शांत रह सकता है, वह खुद को समस्त सांसारिक बंधनों से मुक्त कर पाता है, और परमेश्वर द्वारा कब्जा किए जाने में समर्थ होता है। वे सभी, जो परमेश्वर के समक्ष शांत होने में असमर्थ हैं, निश्चित रूप से लंपट और स्वछंद हैं। वे सभी, जो परमेश्वर के समक्ष शांत रहने में समर्थ हैं, वे लोग हैं जो परमेश्वर के समक्ष पवित्र हैं, और जो परमेश्वर के लिए लालायित रहते हैं। केवल परमेश्वर के आगे शांत रहने वाले लोग ही जीवन को महत्व देते हैं, आत्मा में संगति को महत्व देते हैं, परमेश्वर के वचनों के प्यासे होते हैं और सत्य का अनुसरण करते हैं। जो कोई भी परमेश्वर के आगे शांत रहने को महत्व नहीं देता है और परमेश्वर के समक्ष शांत रहने का अभ्यास नहीं करता वह अहंकारी और अल्पज्ञ है, संसार से जुड़ा है और जीवन-रहित है; भले ही वे कहें कि वे परमेश्वर में विश्वास करते हैं, वे केवल दिखावटी बात करते हैं। जिन्हें परमेश्वर अंततः सिद्ध बनाता है और पूर्णता देता है, वे लोग हैं जो परमेश्वर की उपस्थिति में शांत रह सकते हैं। इसलिए जो लोग परमेश्वर के समक्ष शांत होते हैं, वे बड़े आशीषों का अनुग्रह प्राप्त करते हैं। जो लोग दिन भर में परमेश्वर के वचनों को खाने-पीने के लिए शायद ही समय निकालते हैं, जो पूरी तरह से बाहरी मामलों में लीन रहते हैं और जीवन में प्रवेश को थोड़ा ही महत्व देते हैं—वे सब ढोंगी हैं, जिनके भविष्य में विकास के कोई आसार नहीं हैं। जो लोग परमेश्वर के समक्ष शांत रह सकते हैं और जो वास्तव में परमेश्वर से संगति कर सकते हैं, वे ही परमेश्वर के लोग होते हैं।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर के समक्ष अपने हृदय को शांत रखने के बारे में
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