परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 178

परमेश्वर मात्र उसके चुने हुए लोगों का ही परमेश्वर नहीं है। तुम वर्तमान में परमेश्वर का अनुसरण करते हो, और वह तुम्हारा परमेश्वर है, किन्तु उनके लिए जो परमेश्वर का अनुसरण करनेवाले लोगों से बाहर के हैं, क्या परमेश्वर उनका परमेश्वर है? क्या परमेश्वर उन सब का परमेश्वर है जो उनसे बाहर के हैं जो उसका अनुसरण करते हैं। (हाँ।) तो क्या परमेश्वर सभी चीज़ों का परमेश्वर है? (हाँ।) तो क्या परमेश्वर अपने कार्य और अपनी क्रियाकलापों को मात्र उन पर करता है जो उसका अनुसरण करते हैं? (नहीं।) उसका दायरा समूचा विश्व है। छोटे दृष्टिकोण से, इसका दायरा पूरी मानवजाति और सभी चीज़ों के बीच में है। बड़े दृष्टिकोण से, यह समूचा विश्व है। अतः हम कह सकते हैं कि परमेश्वर सम्पूर्ण मानवजाति के बीच में अपना कार्य करता है और अपनी क्रियाकलापों को क्रियान्वित करता है। यह लोगों को स्वयं परमेश्वर के बारे में जानने की अनुमति देने के लिए पर्याप्त है। यदि तुम परमेश्वर को जानना चाहते हो और सचमुच में उसे जानते और समझते हो, तो मात्र परमेश्वर के कार्य की तीन अवस्थाओं तक ही सीमित मत रहो, और मात्र उस कार्य की कहानियों तक ही सीमित मत रहो जिन्हें परमेश्वर ने एक समय किया था। यदि तुम उसे उस तरह से जानने की कोशिश करते हो, तो तुम एक निश्चित सीमा तक परमेश्वर को सीमित कर रहे हो। तुम परमेश्वर को अत्यंत महत्वहीन रूप में देख रहे हो। ऐसे निष्कर्ष तुम्हारे लिए क्या प्रभाव लेकर आते हैं? तुम कभी भी परमेश्वर की अद्भुतता और उसकी सर्वोच्चता को जानने के योग्य नहीं होगे, और तुम कभी भी परमेश्वर की सामर्थ्य और सर्वशक्ति और उसके अधिकार के दायरे को जानने के योग्य नहीं होगे। एक ऐसी समझ उस सत्य को स्वीकार करने की तुम्हारी योग्यता को प्रभावित करेगी कि परमेश्वर सभी चीज़ों का शासक है, और साथ ही परमेश्वर की सच्ची पहचान एवं पदस्थिति के विषय में तुम्हारे ज्ञान को भी प्रभावित करेगी। दूसरे शब्दों में, यदि परमेश्वर के विषय में तुम्हारी समझ का दायरा सीमित है, तो जो तुम प्राप्त कर सकते हो वह भी सीमित है। इसी लिए तुम्हें दायरे को फैलाना होगा और अपने क्षितिज़ को खोलना होगा। चाहे यह परमेश्वर के कार्य, परमेश्वर के प्रबन्धन और परमेश्वर के शासन का दायरा हो, या सभी चीज़ों का दायरा हो जिनके ऊपर परमेश्वर के द्वारा शासन किया जाता है और उनका प्रबन्ध किया जाता है, तुम्हें इसे पूरी तरह जानना चाहिए और तुम्हें उसमें परमेश्वर के कार्यों को जानना चाहिए। समझ के ऐसे मार्ग के जरिए, तुम अचेतन रूप में महसूस करोगे कि परमेश्वर उनके बीच में सभी चीज़ों पर शासन कर रहा है, उनका प्रबन्ध कर रहा है और उनकी आपूर्ति कर रहा है। उसी समय, तुम सचमुच में महसूस करोगे कि तुम सभी चीज़ों के एक भाग हो और सभी चीज़ों के एक सदस्य हो। जब परमेश्वर सभी चीज़ों की आपूर्ति करता है, तो तुम भी परमेश्वर के शासन और आपूर्ति को स्वीकार करते हो। यह एक प्रमाणित सत्य है जिसका कोई इनकार नहीं कर सकता है। सभी चीज़ें अपने स्वयं के नियमों के अधीन हैं, जो परमेश्वर के शासन के अधीन है, और सभी चीज़ों के पास जीवित रहने के अपने स्वयं के नियम हैं, जो परमेश्वर के शासन के भी अधीन है, जबकि मानवजाति की नियति और जो उनकी आवश्यकता है वे परमेश्वर के शासन और उसकी आपूर्ति से नज़दीकी से जुड़े हुए हैं। इसी लिए, परमेश्वर के प्रभुत्व और शासन के अधीन, मानवजाति और सभी चीज़ें एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, एक दूसरे पर निर्भर हैं, और आपस में एक दूसरे से गुथे हुए हैं। यह परमेश्वर के द्वारा सभी चीज़ों की सृष्टि का उद्देश्य और महत्व है।

—वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है VIII

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