परमेश्वर के दैनिक वचन : इंसान की भ्रष्टता का खुलासा | अंश 346

यदि इतना कार्य, और इतने सारे वचनों का तेरे ऊपर कोई असर नहीं हुआ, तो जब परमेश्वर के कार्य को फैलाने का समय आएगा तब तू अपने कर्तव्य को निभाने में असमर्थ हो जाएगा, और शर्मिन्दा और लज्जित होगा। उस समय, तू महसूस करेगा कि तू परमेश्वर का कितना ऋणी है, यह कि परमेश्वर के विषय में तेरा ज्ञान कितना छिछला है। यदि आज तू परमेश्वर के ज्ञान का अनुसरण नहीं करेगा, जबकि वह काम कर रहा है, तो बाद में बहुत देर हो जाएगी। अंत में, तेरे पास बोलने के लिए कोई ज्ञान नहीं होगा—तू खाली होगा, और तेरे पास कुछ भी नहीं होगा। तब, परमेश्वर को हिसाब देने के लिए तू किसका उपयोग करेगा? क्या तेरे पास परमेश्वर को देखने की कठोरता है? तुझे इसी वक्त अपने कार्य में कठिन परिश्रम करना है, जिस से तू, अंत में, पतरस के समान जान पाएगा कि परमेश्वर की ताड़ना और उसका न्याय मनुष्य के लिए कितना लाभकारी है, और बिना उसकी ताड़ना और न्याय के मनुष्य उद्धार प्राप्त नहीं कर सकता है, और वह केवल इस अपवित्र भूमि और इस दलदल में पहले से अधिक गहराई तक धंस सकता है। मनुष्यों को शैतान के द्वारा भ्रष्ट कर दिया गया है, मनुष्यों ने एक दूसरे के विरूद्ध गुप्त साधनों का प्रयोग किया है और वे नुकीली नाल पहने हुए घोड़ों पर सवार होकर एक दूसरे के ऊपर से होकर गुज़र गए हैं, उन्होंने परमेश्वर के भय को त्याग दिया है, उनकी अनाज्ञाकारिता बहुत बड़ी है, उनकी धारणाएँ ढेर सारी हैं, और वे सभी शैतान से संबंध रखते हैं। परमेश्वर की ताड़ना और न्याय के बगैर, मनुष्य के भ्रष्ट स्वभाव को शुद्ध नहीं किया जा सकता है और उसे बचाया नहीं जा सकता है। जो कुछ देहधारी परमेश्वर के कार्य के द्वारा देह में प्रकट किया गया है वह बिलकुल वही है जो आत्मा के द्वारा प्रकट किया गया है, और वह कार्य जो परमेश्वर करता है उसे आत्मा के द्वारा किए गए कार्य के अनुसार ही किया गया है। आज, यदि तेरे पास इस कार्य का कोई ज्ञान नहीं है, तो तू बहुत ही मूर्ख है, और तूने बहुत कुछ खो दिया है! यदि तूने परमेश्वर के उद्धार को प्राप्त नहीं किया है, तो तेरा विश्वास धार्मिक विश्वास है, और तू एक ऐसा मसीही है जो धर्म से जुड़ा हुआ है। क्योंकि तू मरे हुए सिद्धांतों को थामे हुए है, तूने पवित्र आत्मा के नए कार्य को खो दिया है; अन्य लोग, जो परमेश्वर के प्रेम का अनुसरण करते हैं, वे सत्य और जीवन पाने के योग्य हैं, जबकि तेरा विश्वास परमेश्वर की स्वीकृति को प्राप्त करने में असमर्थ है। उसके बजाय, तू बुरे काम करने वाला बन गया है, तू एक ऐसा व्यक्ति बन गया है जो घातक और घृणित कामों को करता है, तू शैतान के हँसी मज़ाक का निशाना बन गया है, और तू शैतान का क़ैदी बन गया है। मनुष्य के द्वारा परमेश्वर पर केवल विश्वास ही नहीं किया जाता है, परन्तु मनुष्य के द्वारा परमेश्वर से प्रेम किया जाता है, और मनुष्य के द्वारा उसका अनुसरण और उसकी आराधना की जाती है। यदि आज तू अनुसरण नहीं करेगा, तो वह दिन आएगा जब तू कहेगा, "काश! मैं ने परमेश्वर का अनुसरण सही रीति से किया होता, और उसे सही रीति से संतुष्ट किया होता। काश! मैंने अपने जीवन स्वभाव में परिवर्तन का अनुसरण किया होता। उस समय परमेश्वर के प्रति समर्पित हो पाने में असमर्थ होने, और परमेश्वर के वचन के ज्ञान का अनुसरण न करने के कारण मैं कैसा पछताता हूँ। तब परमेश्वर ने मुड़कर कितना कुछ कहा था; मैं कैसे अनुसरण नहीं कर सकता था? मैं कितना मूर्ख था!" तू एक निश्चित सीमा तक अपने आप से नफरत करेगा। आज, तू उन वचनों पर विश्वास नहीं करता है जो मैं कहता हूँ, और तू उन पर कोई ध्यान नहीं देता है; जब इस कार्य को फैलाने का दिन आता है, और तू उसकी सम्पूर्णता को देखता है, तब तू अफसोस करेगा, और उस समय तू भौंचक्का हो जाएगा। आशीषें हैं, फिर भी तू नहीं जानता है कि उसका आनन्द कैसे लें, और सच्चाई है, फिर भी तू उसका अनुसरण नहीं करता है। क्या तू अपने ऊपर अपमान लेकर नहीं आता है? आज, यद्यपि परमेश्वर का अगला कदम अभी शुरू होना बाकी है, फिर भी उन मांगों को लेकर कुछ भी अपवाद नहीं है जो तुझसे किया गया है और जो तुझ से कहा जाता है वह यह है कि तू उसे जीए। बहुत सारा कार्य है, बहुत सारी सच्चाईयाँ हैं; क्या वे इस योग्य नहीं हैं कि उन्हें तेरे द्वारा जाना जाए? क्या परमेश्वर की ताड़ना और उसका न्याय तेरी आत्मा को जागृत करने में असमर्थ है? क्या परमेश्वर की ताड़ना और उसका न्याय तुझे इस योग्य नहीं बना सकता है कि तू स्वयं से नफरत करे? क्या तू शैतान के प्रभाव में, शांति और आनन्द, और थोड़ा बहुत देह के सुकून के साथ जीवन बिताकर संतुष्ट है? क्या तू सभी लोगों में सब से अधिक निम्न नहीं हैं? उन से ज़्यादा मूर्ख और कोई नहीं है जिन्होंने उद्धार को देखा किन्तु उसे प्राप्त करने के लिए अनुसरण नहीं किया: वे ऐसे लोग हैं जिन्होंने लालची इंसान की तरह माँस खाया और शैतान को प्रसन्न किया है। तू आशा करता है कि परमेश्वर पर विश्वास करने से तुझे चुनौतियाँ और क्लेश, या थोड़ी बहुत कठिनाई विरासत में नहीं मिलेगी। तू हमेशा ऐसी चीज़ों का अनुसरण करता है जो निकम्मी हैं, और तू अपने जीवन में कोई मूल्य नहीं जोड़ता है, उसके बजाय तू अपने फिजूल के विचारों को सत्य के सामने रख देता है। तू कितना निकम्मा है! तू एक सुअर के समान जीता है—तुझ में, और सूअर और कुत्तों में क्या अन्तर है? क्या वे जो सत्य का अनुसरण नहीं करते हैं, और उसके बजाय शरीर से प्रेम करते हैं, सब के सब जानवर नहीं हैं? क्या वे मरे हुए लोग जिन में आत्मा नहीं है चलती फिरती हुई लाशें नहीं हैं? तुम लोगों के बीच में कितने सारे वचन बोले गए हैं? क्या तुम लोगों के बीच में केवल थोड़ा सा ही कार्य किया गया है? मैं ने तुम लोगों के बीच में कितनी सामग्रियों का प्रबन्ध किया है? तो फिर तूने इसे प्राप्त क्यों नहीं किया? तेरे पास शिकायत करने के लिए क्या है? क्या यह वह मामला नहीं है कि तूने कुछ भी प्राप्त नहीं किया है क्योंकि तू देह के साथ बहुत अधिक प्रेम करता है? और क्या यह इसलिए नहीं है क्योंकि तेरे विचार बहुत ज़्यादा फिजूल हैं? क्या यह इसलिए नहीं है क्योंकि तू बहुत ही ज़्यादा मूर्ख हैं? यदि तू इन आशीषों को प्राप्त करने में असमर्थ है, तो क्या तू परमेश्वर को दोष देगा कि उसने तुझे नहीं बचाया? तू परमेश्वर पर विश्वास करने के बाद शांति प्राप्त करने के योग्य होने के लिए अनुसरण करता है—अपनी सन्तानों के लिए कि वे बीमारी से आज़ाद हों, अपने पति के लिए कि उसके पास एक अच्छी नौकरी हो, अपने बेटे के लिए कि उसके पास एक अच्छी पत्नी हो, तेरी बेटी के लिए कि वह एक सज्जन पति ढूँढ़ पाए, अपने बैल और घोड़े के लिए कि वे अच्छे से जमीन की जुताई करें, और अपनी फसलों के लिए साल भर अच्छे मौसम के लिए कोशिश करता है। तू इन्हीं चीज़ों की खोज करता है। तेरा कार्य केवल सुकून के साथ जीवन बिताना है, क्योंकि तेरे परिवार में कोई दुर्घटना नहीं होती है, क्योंकि हवा तेरे पास से होकर गुज़र जाती है, क्योंकि धूल मिट्टी तेरे चेहरे को छूती नहीं है, क्योंकि तेरे परिवार की फसलें बाढ़ में बहती नहीं हैं, क्योंकि तू किसी भी विपत्ति से प्रभावित नहीं होता है, इसलिए कि तू परमेश्वर की बांहों में रहता है, इसलिए कि तू आरामदायक घोंसले में रहता है। तेरे जैसा डरपोक इंसान, जो हमेशा शरीर के पीछे पीछे चलता है—क्या तेरे पास एक हृदय है, क्या तेरे पास एक आत्मा है? क्या तू एक पशु नहीं हैं? बदले में बिना कुछ मांगते हुए मैं ने तुझे एक सच्चा मार्ग दिया है, फिर भी तू अनुसरण नहीं करता है। क्या तू उनमें से एक है जो परमेश्वर पर विश्वास करता है? मैं ने तुझे वास्तविक मानवीय जीवन दिया है, फिर भी तू अनुसरण नहीं करता है। क्या तू कुत्ता और सुअर से अलग नहीं है? सूअर मनुष्य के जीवन का अनुसरण नहीं करते हैं, वे शुद्ध किए जाने का प्रयास नहीं करते हैं, और वे नहीं समझते हैं कि जीवन है क्या? प्रति दिन, जी भरकर खाने के बाद, वे बस सो जाते हैं। मैं ने तुझे सच्चा मार्ग दिया है, फिर भी तूने उसे प्राप्त नहीं किया है: तेरे हाथ खाली हैं। क्या तू इस जीवन में, सूअर के जीवन में, निरन्तर बने रहना चाहता है? ऐसे लोगों के ज़िन्दा रहने का क्या महत्व है? तेरा जीवन घृणित और नीच है, तू गन्दगी और व्यभिचार के मध्य रहता है, और तू किसी उद्देश्य का पीछा नहीं करता है; क्या तेरा जीवन सब से अधिक निम्न नहीं है? क्या तेरे पास परमेश्वर की ओर देखने की कठोरता है? यदि तू लगातार इस तरह अनुभव करता रहे, तो क्या तुझे शून्यता प्राप्त नहीं होगी? सच्चा मार्ग तुझे दे दिया गया है, किन्तु अंततः तू उसे प्राप्त कर सकता है कि नहीं यह तेरे व्यक्तिगत अनुसरण पर निर्भर है।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, पतरस के अनुभव : ताड़ना और न्याय का उसका ज्ञान

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