परमेश्वर के दैनिक वचन : इंसान की भ्रष्टता का खुलासा | अंश 340

तुम लोगों का विश्वास बहुत सुंदर है; तुम्हारा कहना है कि तुम अपना सारा जीवन-काल मेरे कार्य के लिए खपाने को तैयार हो, और तुम इसके लिए अपने प्राणों का बलिदान करने को तैयार हो, लेकिन तुम्हारे स्वभाव में अधिक बदलाव नहीं आया है। तुम लोग बस हेकड़ी से बोलते हो, बावजूद इस तथ्य के कि तुम्हारा वास्तविक व्यवहार बहुत घिनौना है। यह ऐसा है जैसे कि लोगों की जीभ और होंठ तो स्वर्ग में हों, लेकिन उनके पैर बहुत नीचे पृथ्वी पर हों, परिणामस्वरूप उनके वचन और कर्म तथा उनकी प्रतिष्ठा अभी भी चिथड़ा-चिथड़ा और विध्वस्त हैं। तुम लोगों की प्रतिष्ठा नष्ट हो गई है, तुम्हारा ढंग खराब है, तुम्हारे बोलने का तरीका निम्न कोटि का है, तुम्हारा जीवन घृणित है; यहाँ तक कि तुम्हारी सारी मनुष्यता डूबकर नीच अधमता में पहुँच गई है। तुम दूसरों के प्रति संकीर्ण सोच रखते हो और छोटी-छोटी बात पर बखेड़ा करते हो। तुम अपनी प्रतिष्ठा और हैसियत को लेकर इस हद तक झगड़ते हो कि नरक और आग की झील में उतरने तक को तैयार रहते हो। तुम लोगों के वर्तमान वचन और कर्म मेरे लिए यह तय करने के लिए काफी हैं कि तुम लोग पापी हो। मेरे कार्य के प्रति तुम लोगों का रवैया मेरे लिए यह तय करने के लिए काफी है कि तुम लोग अधर्मी हो, और तुम लोगों के समस्त स्वभाव यह इंगित करने के लिए पर्याप्त हैं कि तुम लोग घृणित आत्माएँ हो, जो गंदगी से भरी हैं। तुम लोगों की अभिव्यक्तियाँ और जो कुछ भी तुम प्रकट करते हो, वह यह कहने के लिए पर्याप्त हैं कि तुम वे लोग हो, जिन्होंने अशुद्ध आत्माओं का पेट भरकर रक्त पी लिया है। जब राज्य में प्रवेश करने का जिक्र होता है, तो तुम लोग अपनी भावनाएँ जाहिर नहीं करते। क्या तुम लोग मानते हो कि तुम्हारा मौजूदा ढंग तुम्हें मेरे स्वर्ग के राज्य के द्वार में प्रवेश कराने के लिए पर्याप्त है? क्या तुम लोग मानते हो कि तुम मेरे कार्य और वचनों की पवित्र भूमि में प्रवेश पा सकते हो, इससे पहले कि मैं तुम लोगों के वचनों और कर्मों का परीक्षण करूँ? कौन है, जो मेरी आँखों में धूल झोंक सकता है? तुम लोगों का घृणित, नीच व्यवहार और बातचीत मेरी दृष्टि से कैसे छिपे रह सकते हैं? तुम लोगों के जीवन मेरे द्वारा उन अशुद्ध आत्माओं का रक्त और मांस पीने और खाने वालों के जीवन के रूप में तय किए गए हैं, क्योंकि तुम लोग रोज़ाना मेरे सामने उनका अनुकरण करते हो। मेरे सामने तुम्हारा व्यवहार विशेष रूप से ख़राब रहा है, तो मैं तुम्हें घृणित कैसे न समझता? तुम्हारे शब्दों में अशुद्ध आत्माओं की अपवित्रताएँ है : तुम धोखा देते हो, फुसलाते हो, भेद छिपाते हो चापलूसी करते हो, ठीक उन लोगों की तरह जो टोने-टोटकों में संलग्न रहते हैं और उनकी तरह भी जो विश्वासघाती हैं और अधर्मियों का खून पीते हैं। मनुष्य के समस्त भाव बेहद अधार्मिक हैं, तो फिर सभी लोगों को पवित्र भूमि में कैसे रखा जा सकता है, जहाँ धर्मी रहते हैं? क्या तुम्हें लगता है कि तुम्हारा यह घिनौना व्यवहार तुम्हें उन अधर्मी लोगों की तुलना में पवित्र होने की पहचान दिला सकता है? तुम्हारी साँप जैसी जीभ अंततः तुम्हारी इस देह का नाश कर देगी, जो तबाही बरपाती है और घृणा ढोती है, और तुम्हारे वे हाथ भी, जो अशुद्ध आत्माओं के रक्त से सने हैं, अंततः तुम्हारी आत्मा को नरक में खींच लेंगे। तो फिर तुम मैल से सने अपने हाथों को साफ़ करने का यह मौका क्यों नहीं लपकते? और तुम अधर्मी शब्द बोलने वाली अपनी इस जीभ को काटकर फेंकने के लिए इस अवसर का लाभ क्यों नहीं उठाते? कहीं ऐसा तो नहीं कि तुम अपने हाथों, जीभ और होंठों के लिए नरक की आग में जलने के लिए तैयार हो? मैं अपनी दोनों आँखों से हरेक व्यक्ति के दिल पर नज़र रखता हूँ, क्योंकि मानव-जाति के निर्माण से बहुत पहले मैंने उनके दिलों को अपने हाथों में पकड़ा था। मैंने बहुत पहले लोगों के दिलों के भीतर झाँककर देख लिया था, इसलिए उनके विचार मेरी दृष्टि से कैसे बच सकते थे? मेरे आत्मा द्वारा जलाए जाने से बचने में उन्हें ज्यादा देर कैसे नहीं हो सकती थी?

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, तुम सभी कितने नीच चरित्र के हो!

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