परमेश्वर के दैनिक वचन : जीवन में प्रवेश | अंश 556
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पतरस कई वर्षों तक मेरे प्रति वफ़ादार था, मगर वह कभी भी कुड़कुड़ाया नहीं या उसका हृदय कभी भी शिकायती नहीं था, और यहाँ तक कि अय्यूब भी उसके बराबर नहीं था। युगों के दौरान सभी संत भी उससे बहुत छोटे पड़े हैं। उसने न केवल मेरे बारे में ज्ञान की खोज की, बल्कि उसे उस समय के दौरान मेरे बारे में पता चला जब शैतान अपनी धोखेबाज योजनाओं को चला रहा था। यह कई वर्षों की सेवा का कारण बना जो मेरे स्वयं के हृदय के अनुसार थी, जिसके परिणामस्वरूप उसे शैतान द्वारा कभी भी शोषित नहीं किया गया था। पतरस, अय्यूब के विश्वास को अमल में लाया, मगर वह उसकी कमियों को भी स्पष्ट रूप से महसूस करता था। यद्यपि अय्यूब महान विश्वास वाला था, किन्तु उसके पास आध्यात्मिक क्षेत्र के मामलों में ज्ञान का अभाव था, और इस तरह उसने कई वचन कहे जो कि वास्तविकता के अनुरूप नहीं थे; यह दर्शाता है कि उसका ज्ञान अभी भी उथला था, और पूर्ण बनाए जाने में अक्षम था। और इसलिए, पतरस हमेशा आत्मा की समझ को पाने के लिए ताकता था, और हमेशा आध्यात्मिक क्षेत्र की गतिशीलता को देखने पर ध्यान केन्द्रित करता था। परिणामस्वरूप, वह न केवल मेरी इच्छाओं के बारे में कुछ पता लगाने में सक्षम था, बल्कि शैतान की धोखेबाज योजनाओं को भी थोड़ा-थोड़ा समझने में सक्षम था, और इसलिए उसका ज्ञान और युगों के दौरान किसी भी अन्य की अपेक्षा अधिक था।
पतरस के अनुभवों से यह देखना कठिन नहीं है कि यदि मनुष्य मुझे जानना चाहता है, तो उसे अवश्य आत्मा में मनन पर सावधानीपूर्वक ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। मैं नहीं कहता हूँ कि तुम बाह्य तौर पर अधिक मात्रा में मेरे प्रति समर्पित हो जाओ; यह गौण चिंता का विषय है। यदि तुम मुझे नहीं जानते हो, तो समस्त विश्वास, प्रेम और निष्ठा जिसकी तुम बात करते हो वे केवल भ्रम हैं, वे व्यर्थ बकवाद हैं, और तुम निश्चित रूप से कोई ऐसा बनोगे जो मेरे सामने बड़ा घमण्ड करता है परन्तु स्वयं को नहीं जानता है, और इसलिए तुम एक बार फिर शैतान के द्वारा फँसा लिए जाओगे और अपने आपको छुड़ाने में असमर्थ हो जाओगे; तुम तबाही के पुत्र बन जाओगे, और विनाश की वस्तु बन जाओगे। परन्तु यदि तुम मेरे वचनों के प्रति उदासीन और उनकी परवाह नहीं करने वाले हो, तो तुम निस्संदेह मेरा विरोध करते हो। यह सत्य है, और तुम बहुत सी और विभिन्न आत्माओं को जो मेरे द्वारा ताड़ित की जाती हैं आध्यात्मिक क्षेत्र के द्वार के माध्यम से देख कर अच्छा करोगे। उनमें से कौन निष्क्रिय, और परवाह नहीं करने वाले, और मेरे वचनों के प्रति असहमत नहीं थे? उनमें से कौन मेरे वचनों के प्रति दोषदर्शी नहीं थे? उनमें से किन्होंने मेरे वचनों से कुछ ऐसा प्राप्त करने की कोशिश नहीं की जिससे दूसरों को नुकसान पहुँचाया जाए? उनमें से किन्होंने स्वयं को बचाने के लिए मेरे वचनों का एक रक्षात्मक हथियार की तरह उपयोग नहीं किया? उन्होने मेरे वचनों के माध्यम से मेरे बारे में ज्ञान को नहीं खोजा, बल्कि उन्हें केवल खेलने के लिए खिलौनों की तरह उपयोग किया। इसमें, क्या उन्होंने सीधे मेरा विरोध नहीं किया? मेरे वचन कौन हैं? मेरा आत्मा कौन है? कितनी ही बार मैंने ऐसे वचनों को तुम लोगों के समक्ष रखा है, फिर भी क्या कभी भी तुम लोगों के दृष्टिबोध उच्चतर और स्पष्ट रहे हैं? क्या तुम लोगों का अनुभव कभी वास्तविक रहा है? मैं तुम लोगों को एक बार फिर से याद दिलाता हूँ: यदि तुम लोग मेरे वचनों को नहीं जानते हो, उन्हें स्वीकार नहीं करते हो, और उन्हें अभ्यास में नहीं लाते हो, तो तुम अपरिहार्य रूप से मेरी ताड़ना की वस्तु बन जाओगे! तुम निश्चित रूप से शैतान के शिकार बन जाओगे!
— 'वचन देह में प्रकट होता है' से उद्धृत
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