अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ (18) खंड पाँच
ङ. निराधार अफवाहों के कारण होने वाला नुकसान
कलीसिया के भीतर फैलाई जाने वाली अफवाहें केवल परमेश्वर को नकारने या परमेश्वर के कार्य की आलोचना करने के बारे में नहीं हैं; अन्य प्रकार की अफवाहें भी होती हैं। इन अफवाहों का भेद पहचानना और इनका गहन-विश्लेषण करना जरूरी होता है, और उन्हें रोकना और प्रतिबंधित भी करना चाहिए। संक्षेप में, अफवाहें निश्चित रूप से अच्छी नहीं होती हैं; उनसे लोगों को कोई लाभ नहीं होता है। कुछ लोग कहते हैं, “मैं अफवाहों को इसलिए सुनना चाहता हूँ ताकि यह जान सकूँ कि वे क्या कह रहे हैं, और उनसे समझ और ज्ञान प्राप्त कर सकूँ।” यदि तुम में वाकई थोड़ी सी भी भेद पहचानने की योग्यता है और अफवाहों से परेशान होने से डरते नहीं हो, तो तुम सुन सकते हो, लेकिन इसके क्या परिणाम होंगे? यदि तुम उलझन में पड़ जाते हो और परमेश्वर और परमेश्वर के कार्य पर संदेह करने लगते हो, तो वह खतरनाक बात है; इसका अर्थ हुआ कि तुम गुमराह हो गए हो। यदि तुम भेद नहीं पहचान सकते और इसके बजाय गुमराह हो जाते हो, तो क्या यह परेशानी की बात नहीं है? क्या तुम्हारा वैसा आध्यात्मिक कद है? तुम्हें लगता है कि तुम में आस्था है, लेकिन क्या तुम सत्य समझते हो? यदि तुम सत्य नहीं समझते हो, तो तुम्हारी आस्था वास्तविक नहीं है, और तुम अभी भी गुमराह हो जाओगे। यदि तुम कुछ सत्य समझते हो, तुम्हारे पास परमेश्वर का थोड़ा वास्तविक ज्ञान है, और तुम इन अफवाहों का भेद पहचान सकते हो और इनका प्रतिरोध कर सकते हो, तो तुम्हें उनको सुनने से ज्ञान प्राप्त हो सकता है। यदि तुम्हें लगता है कि तुम में केवल आस्था है, लेकिन वास्तव में, यह आस्था अभी भी वास्तविक आध्यात्मिक कद नहीं है, और तुम अभी भी सत्य नहीं समझते हो, तो मेरा कहना है कि अफवाहों से समझ और ज्ञान प्राप्त करना तुम्हारे लिए बेहद कठिन होगा। अफवाहें कहाँ से आती हैं? वे शैतान से आती हैं। शैतान हर खामी का फायदा उठाता है और वह परमेश्वर के वचनों के अप्रासंगिक रूप से लेकर परमेश्वर के वचनों में इस्तेमाल किए गए वाक्यांशों की बाल की खाल निकालने और परमेश्वर के वचनों में कुछ ऐसा ढूँढ़ने के लिए हर अवसर का लाभ उठाना चाहता है जिसे वह उसके खिलाफ इस्तेमाल कर सके। ऐसा लगता है कि इसका कोई आधार है, लेकिन वास्तव में ऐसा संदर्भ से बाहर जाकर लोगों को गुमराह करने के लिए किया गया है। इन अफवाहों को सुनने के बाद, सत्य को नहीं समझने वाले लोग मन-ही-मन सोचते हैं : “वे जो कहते हैं परमेश्वर के वचन उसका एक आधार होता है। यह सही होना चाहिए। यह अफवाह नहीं हो सकती, क्या हो सकती है?” नतीजतन, वे गुमराह हो जाते हैं। कुछ अफवाहें स्पष्ट होती हैं और उनका भेद पहचानना आसान होता है। हालाँकि, कुछ अफवाहों का भेद पहचानना मुश्किल होता है; सतही तौर पर, वे तथ्यों से मेल खाती प्रतीत होती हैं, लेकिन उनका सार ऐसा नहीं होता है। ऐसा मत सोचो कि सिर्फ इसलिए कि ये अफवाहें सतही तौर पर परमेश्वर के वचनों के शाब्दिक अर्थ से मेल खाती हैं, तो वे सही हैं। वास्तव में, इनमें से अनेक कथन खोखले सिद्धांत हैं, वे फँसाने वाले जाल हैं, और उनसे लोगों को कोई शिक्षा या लाभ नहीं मिलता। इन सभी कथनों को खारिज कर देना चाहिए। क्योंकि लोग परमेश्वर के वचनों को जिस हद तक समझते हैं उसमें अंतर होता है, और परमेश्वर जिन संदर्भों में बोलता है वे भी अलग-अलग होते हैं, इसलिए परमेश्वर के वचनों को आँख मूँदकर लागू करना और उनकी व्याख्या करना ही वह चीज है जिससे गलतियाँ होने की सबसे अधिक संभावना रहती है। शैतान अक्सर परमेश्वर के वचनों को संदर्भ से बाहर ले जाकर और उनकी गलत व्याख्या करके लोगों को गुमराह करता है। बाइबल या परमेश्वर के वचनों के आधार पर परमेश्वर के कार्य की कोई भी निंदा शैतान की चालबाजी है, यह लोगों को गुमराह करने का साधन है; वे फँसाने वाले जाल हैं, और ऐसे सभी कथनों को खारिज कर देना चाहिए। सतही तौर पर, अफवाहें एक या दो टिप्पणियाँ, या कुछ टिप्पणियाँ होती हैं; वे भयभीत होने के लिए अपर्याप्त हैं, और उनमें भयभीत होने वाली कोई बात नहीं है। भयभीत होने वाली बात यह है कि उन अफवाहों से बाइबल के आधार पर या सत्य को संदर्भ से बाहर ले जाकर निष्कर्ष निकाले जाते हैं। यही है जो लोगों को गुमराह करने में सबसे ज्यादा सक्षम है; यही है जो लोगों के मन को सबसे ज्यादा परेशान करता है। यह बिना समझ वाले लोगों के ठोकर खाने का कारण बनेगा। केवल जो लोग सत्य समझते हैं वे ही ऐसी गुमराह करने वाली शैतानी बातचीत का भेद पहचान सकते हैं। उदाहरण के लिए, कुछ लोग परमेश्वर के कुछ वचनों को यह कहने के लिए आधार के रूप में इस्तेमाल करते हैं कि परमेश्वर इस प्रकार के लोगों से प्रेम करता है और उस प्रकार के लोगों से प्रेम नहीं करता है, परमेश्वर इस प्रकार के लोगों को बचाता है और उस प्रकार के लोगों को नहीं बचाता है, इस प्रकार के लोगों को परमेश्वर द्वारा हटा दिया जाता है, और उस प्रकार के लोग परमेश्वर के लिए कुछ भी मायने नहीं रखते हैं वगैरह। क्या ये कथन निष्कर्ष नहीं हैं? ये निष्कर्ष वास्तव में परमेश्वर के वचनों के अनुरूप नहीं हैं। जो आधार उन्होंने ढूँढ़े हैं वे वास्तव में संदर्भ से बाहर की चीजें हैं; वे अलग संदर्भों से संबंधित हैं और वे भिन्न कथन हैं। यह पूर्णतः गलत व्याख्या है। वे सार की असलियत नहीं देखते हैं, और वे मनमाने ढंग से विनियम लागू करते हैं। लेकिन इन भ्रांतियों को सुनने के बाद बिना समझ वाले लोगों के मन में जहर भर जाता है और वे गुमराह हो जाते हैं, और यह सोचते हुए दिल से नकारात्मक हो जाते हैं कि जो कुछ कहा गया है वह परमेश्वर के वचनों पर आधारित है, इसलिए वह सटीक होना चाहिए। वे इन भ्रांतियों में त्रुटियों को ढूँढ़ने के लिए बाद में परमेश्वर के वचनों को सावधानीपूर्वक नहीं पढ़ते हैं, इसके बजाय पूरी तरह विश्वास करने लगते हैं कि वे सत्य हैं। क्या उन्हें गुमराह नहीं किया जा रहा है? यदि सत्य को समझने वाला कोई भी व्यक्ति उनके साथ संगति नहीं करता है, तो यह बेहद खतरनाक है। कम से कम, ये लोग छह महीने से एक साल तक के लिए नकारात्मक हो सकते हैं; इससे न केवल उनके जीवन प्रवेश में विलंब होता है, बल्कि अगर वे पीछे हट जाते हैं और विश्वास करना बंद कर देते हैं, तो वे पूरी तरह से बर्बाद हो जाएँगे और परमेश्वर के उद्धार को पूरी तरह से खो देंगे। इसलिए, छोटे आध्यात्मिक कद वाले लोग जो सत्य नहीं समझते हैं उन्हें शैतान द्वारा गुमराह किए जाने का ज्यादा खतरा है! केवल सत्य समझने वाले लोग सुरक्षित और स्थिर हैं। यदि किसी दिन वास्तव में तुम्हारा किसी ऐसे व्यक्ति से सामना हो जाए जो लोगों को गुमराह करने के लिए अफवाहें फैला रहा है, तो सबसे प्रभावी तरीका शीघ्रता से किसी ऐसे व्यक्ति को ढूँढ़ना है जो सत्य समझता हो और जिसके साथ तुम संगति कर सको; केवल तभी तुम्हें इस स्थिति से बचाया जा सकता है। आँख मूँद कर विनियम लागू करने वाले आध्यात्मिक समझ से रहित लोगों से सहायता माँगने पर न केवल तुम समस्या का समाधान करने में विफल होगे बल्कि इससे तुम और ज्यादा गुमराह भी हो जाओगे। इसलिए, गुमराह होना कुछ ऐसा नहीं है जो केवल धर्म में होता है—भले ही तुम परमेश्वर में विश्वास करते हो और कलीसियाई जीवन जीते हो, यदि तुम सत्य का अनुसरण नहीं करते हो, तो तुम अभी भी आसानी से गुमराह हो सकते हो। भले ही तुमने तीन से पाँच वर्षों, या सात से आठ वर्षों तक विश्वास किया है, लेकिन यदि तुमने सत्य प्राप्त नहीं किया है, तो तुम्हारे लिए अभी भी गुमराह होने का खतरा है; विशेष रूप से, जो लोग अक्सर धारणाएँ रखते हैं और अक्सर नकारात्मक होते हैं, उनके गुमराह होने की संभावना सबसे अधिक होती है और वे किसी भी समय परमेश्वर को धोखा दे सकते हैं। यह एक तथ्य है कि शैतान धरती पर गर्जना करते सिंह की भाँति इस तलाश में घूमता है, कि किसका भक्षण करे। यह शैतान कौन है? वे सभी लोग जो सत्य से विमुख हैं और सत्य से नफरत करते हैं, मसीह-विरोधियों, नकली अगुआओं, बेतुके लोगों और दूसरों को गुमराह करने वाले लोगों सहित—ये सभी लोग शैतान हैं। ये लोग हर जगह घूमते हैं, और जहाँ भी वे जाते हैं परमेश्वर के चुने हुए लोगों को गुमराह और परेशान करते हैं, इसलिए वे सभी परमेश्वर का प्रतिरोध करने वाले शैतान हैं। परमेश्वर के चुने हुए लोगों को यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष रूप से सतर्क रहना चाहिए कि वे गुमराह न हों और दृढ़ रह सकें।
यह निर्विवाद है कि कलीसिया में कुछ नए विश्वासी या अत्यधिक खराब काबिलियत वाले लोग, जिनमें परमेश्वर के वचनों को समझने की योग्यता नहीं होती है, वे विभिन्न अफवाहों से अक्सर गुमराह, प्रभावित और परेशान हो जाते हैं। जो लोग अफवाहें गढ़ते हैं वे आसानी से एक साधारण निष्कर्ष से लोगों के समूह को नीचे गिरा सकते हैं। वे जो शब्द और कथन लापरवाही से बोलते हैं वे कुछ लोगों को नकारात्मक, कमजोर और अपना कर्तव्य निभाने में अनिच्छुक बना सकते हैं। जब परमेश्वर का घर बुलाता है, तो ये लोग भय से भर जाते हैं, और इनकार करने और टालने के लिए विभिन्न कारण और बहाने ढूँढ़ते हैं। स्पष्ट रूप से, अफवाहें गढ़ने वाले वे लोग कलीसिया में क्या भूमिका निभाते हैं? इसमें कोई शक नहीं कि वे शैतान के सेवकों की तरह काम करते हैं। उदाहरण के लिए, कुछ लोगों का कहना है, “अपना कर्तव्य निभाते समय तुम्हें एक बैकअप योजना रखने की जरूरत है। परमेश्वर का घर तुम्हें कर्तव्य निभाने के लिए बुलाता है, और यदि तुम इसे अच्छे से नहीं निभाते हो, तो परमेश्वर का घर किसी भी समय तुम्हारा उपयोग करना बंद कर सकता है। उस समय, यदि तुम घर जाते हो, तो तुम्हें मुश्किल से गुजरना पड़ेगा। तब कोई भी तुम्हारा समर्थन नहीं करेगा!” क्या यह “दिल को छूने वाला” लगता है? यह मानवीय भावनाओं के अनुरूप है और काफी प्रेमपूर्ण और विचारशील लगता है, लेकिन क्या तुम इन शब्दों में परमेश्वर के दिल के लिए कोई विचार पाते हो? क्या उनसे लोगों को कोई समर्थन, पोषण, मदद या प्रोत्साहन मिलता है? (नहीं।) लोगों को बैकअप योजना तैयार करने के लिए कहना—क्या यह उन्हें पीछे खींचना नहीं है? इससे उनका क्या मतलब है? “तुम्हें सजग रहना होगा; परमेश्वर तुम्हारे खिलाफ हो सकता है!” वे लोगों में यह जहर डाल देते हैं। इसे सुनने के बाद, लोग सोचते हैं, “सही बात है, मैं इतना मूर्ख कैसे हो सकता हूँ? मैंने अपना घर लगभग बेच ही दिया था—यदि मैंने अपना कर्तव्य अच्छे से नहीं निभाया और मैं बर्खास्त हो गया, तो मेरे पास लौटने के लिए एक घर भी नहीं होगा। शुक्र है, उन्होंने मुझे याद दिलाया, अन्यथा मैं कोई बेवकूफी कर देता।” यह कितनी “उदार” ताकीद है, लेकिन इसमें बहुत अधिक जहर भरा है, और इसके भाव भी गहरे हैं! क्या तुम लोगों ने ऐसी अफवाहें सुनी हैं? ऐसा प्रतीत होता है जैसे वे लोगों के प्रति इतने अच्छे, इतने विचारशील हैं और बेहद “प्रेम” के साथ व्यवहार करते हैं। ये लोग जिनसे बात करते हैं न तो उनके रिश्तेदार हैं न ही उनके दोस्त, उनके बीच खून का कोई रिश्ता नहीं है—ऐसा सिर्फ इसलिए है क्योंकि वे सभी परमेश्वर में विश्वास रखते हैं जिस कारण ये लोग जिनसे बात करते हैं उनके प्रति इतना अधिक “प्रेम” दिखाते हैं। लोग सोचते हैं, “यह सचमुच परमेश्वर की सुरक्षा है! तो फिर बेहतर होगा कि मैं पहले इन बातों पर विचार कर लूँ। यदि मैं अपना कर्तव्य निभाते समय हमेशा लापरवाही बरतता हूँ, और यदि मुझे वापस भेज दिया गया तब मैं क्या करूँगा? इसलिए, मुझे अपना कर्तव्य निभाते समय सावधान रहने की जरूरत है; मुझे ज्यादा काम करना चाहिए जिससे मैं अच्छा दिखूँ, मुझे गलतियाँ करने से बचना चाहिए, और अगर मैं गलतियाँ भी करूँ, तो दूसरों को उनका पता न चलने दूँ। इस तरह, मुझे वापस नहीं भेजा जाएगा, है न? यदि मुझे भेज भी दिया जाता है, तो भी कोई बात नहीं; मेरे पास बैकअप योजना है, मेरे पास बचत है, और मेरा घर अभी भी वहीं है। क्या यह सिर्फ ऐसा नहीं है कि परमेश्वर लोगों की भावनाओं के प्रति विचारशील नहीं है और वह दैहिक भावनाओं से प्रभावित नहीं होता है? फिर भी, डरने की क्या बात है? लोग अपनी भावनाओं से प्रेरित होते हैं, इस मानव संसार में हर जगह प्रेम है!” “दिल को छू लेने वाले” इस कथन से लोगों के बीच “मित्रता” सृजित होती है, लेकिन यह परमेश्वर को कहाँ रखता है? परमेश्वर तीसरी या चौथी प्राथमिकता बन जाता है, यह उसे बाहरी बना देता है, मानो कि परमेश्वर भरोसेमंद नहीं है और केवल लोग ही भरोसा करने लायक हैं, केवल लोग ही दूसरों के प्रति विचारशील हैं। यह एक कथन इतना उल्लेखनीय प्रभाव उत्पन्न करता है, यह एकदम “सामयिक” है! क्या तुम लोगों को ऐसे शब्द सुनना पसंद है? भले ही तुम्हें पता है कि उनके शब्दों में द्वेष छिपा है, तुम अभी भी उम्मीद करते हो कि कोई तुम्हें संकेत दे सकता है, तुम्हारी मदद कर सकता है, जब तुम नहीं जानते कि आगे क्या होने वाला है, तो वह तुम्हें किसी ऐसे व्यक्ति के जरिए चेतावनी दे सकता है जो उस स्थिति से गुजरा हो, वह तुम्हें दिल से कुछ कह सकता है। यह कथन इतना “अहम,” इतना “महत्वपूर्ण” है! क्या यह पूरी तरह से उनकी बातों पर विश्वास करना नहीं है? इस अफवाह-बनाने वाले व्यक्ति के “विचारहीन” शब्दों ने लोगों को खरीद लिया है और परमेश्वर को बेच दिया है। यह कैसा कार्य है? क्या यह अच्छा है? (नहीं।) तुम लोग इसे किस तरह का व्यक्ति कहोगे? लोगों की नजरों में, वह एक अच्छा व्यक्ति, एक दयालु व्यक्ति है, लेकिन सत्य समझने वालों की नजरों में, वह एक भ्रमित व्यक्ति है। उसके क्रियाकलापों और व्यवहार को देखा जाए तो वह पूरी तरह से शैतान के सेवक के रूप में कार्य करता है, वह एक असली शैतान है! क्या यह कहना सही है? (हाँ।) यह बहुत सटीक है! यह जरा-सा भी गलत नहीं है। वह सभी को परमेश्वर के खिलाफ सावधान रहने, परमेश्वर का विरोध करने के लिए प्रेरित करता है, और वह एक भी ऐसा शब्द नहीं कहता जो लोगों को शिक्षित कर सके। वह ऐसा क्यों नहीं करता? क्योंकि उसका दिल परमेश्वर के प्रति शत्रुता और नफरत से भरा हुआ है, उसका प्रकृति सार शैतान का है, और वह स्वाभाविक रूप से परमेश्वर का विरोध करता है और उसके विरोध में खड़ा होता है। कुछ लोग कहते हैं, “वह स्वाभाविक रूप से परमेश्वर के विरोध में खड़ा है, तो अभी भी वह परमेश्वर का अनुसरण क्यों करता है?” आशीष पाने के लिए! वह परमेश्वर के घर से आशीष पाने के परिणाम को भुनाना चाहता है, फिर भी वह कोई कीमत नहीं चुकाना चाहता या सत्य का अनुसरण नहीं करना चाहता। वह परमेश्वर को भी कमजोर करना चाहता है, परमेश्वर के चुने हुए लोगों को परेशान करना चाहता है, और उन्हें परमेश्वर से दूर करना चाहता है और परमेश्वर को धोखा देना चाहता है। ऐसा व्यक्ति निःसंदेह असली शैतान है। लेकिन कुछ मूर्ख लोग हमेशा ऐसे लोगों के शैतानी चेहरों की असलियत जानने और उन्हें पहचानने में विफल रहते हैं। वे इन लोगों द्वारा कहे जाने वाले उन सभी शैतानी शब्दों को स्वीकार सकते हैं जो मानवीय धारणाओं और दैहिक भावनाओं की जरूरतों के अनुरूप होते हैं। इन लोगों के बहकावे में आकर, वे किसी भी समय परमेश्वर को धोखा दे सकते हैं और उसे अस्वीकार कर सकते हैं—भले ही वे उसे अस्वीकार नहीं करना चाहते हों, यह उनके नियंत्रण से बाहर है। शैतान, दानव, और शैतान के सेवक इतने कपटी और धोखेबाज हैं! वे स्वयं परमेश्वर का प्रतिरोध करते हैं और उसके विरोध में खड़े हो जाते हैं, वे सत्य से नफरत करते हैं और इसे स्वीकार नहीं करते हैं, और वे तो और अधिक लोगों को परमेश्वर का अनुसरण करने और सत्य का अनुसरण करने से भी रोकना चाहते हैं। परमेश्वर के घर में, ये लोग शैतान के वाहक होने की भूमिका निभाते हैं, और शैतान के लिए बोलते और काम करते हैं। वे विषमता की तरह काम करते हैं, जो विशेष रूप से लोगों की समझ बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। इसलिए, हो सकता है कि उनकी कही गई बहुत सी बातें सतही तौर पर बहुत ज्यादा समस्याजनक न लगें। वे अक्सर परमेश्वर के वचनों को भी उद्धृत करते हैं, परमेश्वर के वचनों में कुछ सबूत और कहावतें ढूँढ़ते हैं, और फिर कुछ अलंकरण जोड़ते हैं, जिससे ऐसा लगता है कि वे जो कहते हैं वह काफी हद तक परमेश्वर के वचनों के अनुरूप है। लेकिन एक बात तो पक्की है : वे जो कहते हैं वह सत्य के विपरीत है। जब तुम उनका कहा सुनते हो, तो यह सही लग सकता है, लेकिन अगर तुम ध्यान से इसकी तुलना परमेश्वर के वचनों से करो, तो तुम भेद पहचान सकते हो कि यह मूल रूप से सत्य के अनुरूप नहीं है। वे जो भी दिखावटी शब्द बोलते हैं, वे शैतान से आते हैं। वे परमेश्वर की परीक्षा ले रहे हैं, परमेश्वर के वचनों के भीतर से परमेश्वर के खिलाफ इस्तेमाल करने के लिए कुछ खोजने की कोशिश कर रहे हैं, परमेश्वर की निंदा करने और परमेश्वर के चुने हुए लोगों को गुमराह करने के लिए परमेश्वर के वचनों की गलत व्याख्या कर रहे हैं, जिससे वे परमेश्वर के बारे में अटकलें लगाते हैं, उसे गलत समझते हैं, उससे विश्वासघात करते हैं और उसे अस्वीकार करते हैं, वगैरह। इसलिए, मसीह-विरोधियों और बुरे लोगों के अलावा, जो लोग दूसरों को गुमराह करने के लिए अफवाहें गढ़ते हैं, वे भी कलीसिया में ऐसे लोगों की श्रेणी में आते हैं जिनका भेद पहचानना चाहिए, जिनसे सावधान रहना चाहिए और जिन्हें बाहर निकाल देना चाहिए।
च. निराधार अफवाहें फैलाने वाले लोगों का भेद पहचानना और उनसे निपटने के लिए सिद्धांत
हमें कलीसिया में उन लोगों का भेद कैसे पहचानना चाहिए जो दूसरों को गुमराह करने के लिए अफवाहें गढ़ते हैं? सबसे पहले, अफवाहें गढ़ने वाले लोग सत्य का बिल्कुल भी अनुसरण नहीं करते हैं; वे इससे विमुख होते हैं। इसके अलावा, वे अक्सर सभी प्रकार के शैतानी शब्द और अनर्गल कथन गढ़ते हैं और उनका इस्तेमाल छोटे आध्यात्मिक कद वाले, सतही आधार वाले, और सत्य को नहीं समझने वाले कुछ भाई-बहनों को गुमराह करने और उन्हें आकर्षित करने के लिए करते हैं। इससे उन्हें कलीसियाई जीवन की सामान्य व्यवस्था को बिगाड़ने और नुकसान पहुँचाने, लोगों की सामान्य खोज में व्यवधान डालने और उन्हें सही मार्ग से भटकाने, लोगों को नकारात्मक एवं कमजोर बनाने, और यहाँ तक कि उन्हें अपने कर्तव्यों का परित्याग करने और परमेश्वर में विश्वास न करने के लिए मजबूर करने का प्रभाव प्राप्त होता है—इससे उन्हें और अधिक खुशी मिलती है। इसलिए, अफवाहें गढ़ने वालों को शैतान के सेवक कहना एकदम सटीक वर्णन है; ऐसे लोगों का यही असली चेहरा और सार है, और इसका भेद पहचानना आसान है। कुछ लोगों में थोड़ी सूझ-बूझ होती है; भले ही वे स्वयं सत्य से प्रेम नहीं करते, फिर भी वे इस बारे में अपनी राय व्यक्त नहीं करते या इसमें हस्तक्षेप नहीं करते कि अन्य लोग किस प्रकार सत्य का अनुसरण करते हैं। इन लोगों को नजरंदाज किया जा सकता है। लेकिन कुछ लोग सत्य का अनुसरण करने वाले लोगों से ईर्ष्या और नफरत करते हैं; वे हमेशा कुछ निश्चित इरादे रखते हुए उनकी आलोचना करते हैं और उन पर हमला करते हैं; यहाँ तक कि उनकी खामियों का इस्तेमाल उनकी निंदा करने के लिए करते हैं। ऐसे लोगों से सावधान रहना चाहिए। भले ही ये लोग जो कहते हैं वह बिल्कुल सही, तर्कसंगत और परमेश्वर के वचनों के शाब्दिक अर्थ के अनुरूप लग सकता है, लेकिन सावधानीपूर्वक भेद पहचानने पर यह ज्यादातर झूठ और अफवाहें होती हैं, पूरी तरह बकवास होती हैं। इन भ्रामक अफवाहों और झूठ का भेद पहचानना चाहिए। कुछ लोग कहते हैं, “मैंने केवल थोड़े समय के लिए परमेश्वर में विश्वास किया है, परमेश्वर के वचनों को थोड़ा पढ़ा है, और मैं सत्य नहीं समझता हूँ। मैं अफवाहों और झूठ को कैसे पहचान सकता हूँ?” केवल एक तरीका है कि आज के बाद से, परमेश्वर के वचनों को ज्यादा से ज्यादा पढ़ने और परमेश्वर के वचनों में सत्य की खोज पर ज्यादा ध्यान दो, और परमेश्वर के वचनों को तुम्हारे दिल में जड़ें जमाने दो। परमेश्वर के वचनों के मार्गदर्शन से और चीजों को सत्य के अनुसार देखने से, तुम्हें समझ आ जाएगा। इन लोगों द्वारा फैलाई जाने वाली अफवाहों का तुम पर कोई प्रभाव नहीं होगा और तुम्हारे सामान्य खोज में कोई बाधा नहीं आएगी। चाहे वे कैसी भी अफवाहों पर चर्चा करें या कोई भी बकवास बोलें, तुम इसे सुनने के बाद विचलित नहीं होगे, न ही तुम नकारात्मक और कमजोर होगे, या परमेश्वर के बारे में कोई गलतफहमी तो तुम्हें बिल्कुल भी नहीं होगी; तुम बस सही दिशा में अनुसरण करने पर ध्यान केंद्रित करोगे। इसका मतलब है कि तुम में प्रतिरोध है—शैतान के ऐसे सेवकों का अब कलीसिया में कोई प्रभाव नहीं रहेगा। अफवाहों का भेद पहचानना सीखने का कोई शॉर्टकट नहीं है। एकमात्र तरीका है उपदेशों को ज्यादा से ज्यादा सुनना, परमेश्वर के वचनों को ज्यादा से ज्यादा पढ़ना, और सत्य पर और अधिक संगति करना। जब तुम सत्य की समझ प्राप्त कर लोगे, तो स्वाभाविक रूप से तुम्हें समझ आ जाएगी। परमेश्वर के वचनों को पढ़ने और सत्य पर संगति करने का उद्देश्य क्या है? इसका उद्देश्य परमेश्वर के वचनों को पढ़कर सत्य को समझना और उन अफवाहों और भ्रांतियों का भेद पहचानना है। अगर तुम देखते हो कि वे अफवाहें परमेश्वर के वचनों का खंडन करती हैं और उनके विरुद्ध जाती हैं, जो सत्य के बिल्कुल विपरीत है, तो वे अफवाहें अपने आप ही समाप्त हो जाएँगी। बेशक, कुछ लोग कहते हैं, “मैंने परमेश्वर के वचनों को पढ़ने का प्रयास नहीं किया है और मुझे समझ में नहीं आता कि परमेश्वर के वचनों में सत्य क्या है। मुझे बस एक बात याद है : अपने आचरण के मामले में, मुझे भीड़ का अनुसरण करना है। जो कुछ भी ज्यादातर लोग अस्वीकार करते हैं, मैं भी उसे अस्वीकार करता हूँ; जो कुछ भी ज्यादातर लोग स्वीकार करते हैं, मैं भी उसे स्वीकार करता हूँ। मैं बस भीड़ का अनुसरण करता हूँ।” क्या यह सही है? (नहीं।) कभी-कभी भीड़ भी गलत होती है और भीड़ का अनुसरण करने का मतलब है उनके साथ गलतियाँ करना। तुम्हें उन लोगों का अनुसरण करना सीखना चाहिए जो सत्य समझते हैं; केवल यही एक अच्छा तरीका है।
निराधार अफवाहें फैलाना कुछ ऐसा है जो कलीसिया में अक्सर होता है। भले ही यह मुद्दा कोई बड़ी समस्या नहीं है, लेकिन परमेश्वर के चुने हुए लोगों को इससे होने वाली बाधा और नुकसान मामूली नहीं हैं। कम से कम, यह लोगों को नकारात्मक और कमजोर बना सकता है; सबसे बुरी बात है कि यह लोगों को परमेश्वर से दूर कर सकता है और यहाँ तक कि वे उसे धोखा भी दे सकते हैं। इसलिए, अफवाहें फैलाने को नजरंदाज नहीं किया जा सकता है। एक बार जब कलीसिया में ऐसा हो, तो इसे तुरंत रोका जाना चाहिए और प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। अगर कलीसिया अगुआ सुन्न और मंदबुद्धि हैं, वास्तविक कार्य करने में असमर्थ हैं, और इस मुद्दे का पता नहीं लगा सकते हैं, लेकिन कुछ अच्छी काबिलियत वाले लोग जो सत्य का अनुसरण करते और समझते हैं, इसका पता लगा लेते हैं, उन्हें इस मुद्दे को हल करने के लिए आगे आना चाहिए। आम सहमति तक पहुँचने और पुष्टि प्राप्त करने के लिए कई लोगों के साथ खोज और संगति करने के माध्यम से, एक बार यह निर्धारित हो जाने पर कि अफवाहें फैलाई जा रही हैं, लोगों को मुद्दे को हल करने के लिए सत्य की तलाश करनी चाहिए। यदि यह स्पष्ट नहीं है कि कोई खास टिप्पणी एक भ्रांति है, तो उसे आँख मूँदकर ऐसा चित्रित नहीं करना चाहिए। उन टिप्पणियों के लिए जो स्पष्ट और अचूक हैं, जिन्हें अफवाहों और भ्रांतियों के रूप में आसानी से पहचाना जा सकता है, उन्हें तुरंत उजागर किया जाना चाहिए और उनका गहन-विश्लेषण किया जाना चाहिए ताकि हर कोई उनका भेद पहचान सके। यदि तुम किसी को एक या दो वाक्य बोलते हुए सुनने के बाद यह भेद नहीं पहचान सकते हो कि उसने जो कहा वह अफवाह है या भ्रांति, तो तुम्हें इससे सावधानी से निपटना चाहिए और आँखें मूँद कर निष्कर्ष नहीं निकालने चाहिए। स्पष्ट रूप से भेद पहचानने के लिए उसके बोलना समाप्त करने तक प्रतीक्षा करो। एक बार यह पुष्टि हो जाए कि यह अफवाह है या भ्रांति, तो इस व्यक्ति को तुरंत रोका और प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। यदि बार-बार दी गई चेतावनियों और प्रतिबंधों के बावजूद भी वह नहीं रुकता है और लगातार अफवाहें फैलाता रहता है, तो उसे कलीसिया से बाहर निकाल दिया जाना चाहिए। क्या यह सिद्धांत और मार्ग स्पष्ट है कि कलीसिया में किसी व्यक्ति द्वारा अफवाहें फैलाने का पता चलने पर क्या करना चाहिए और कैसे अभ्यास करना चाहिए? (हाँ।)
अफवाहों की सामग्री में केवल वे प्रमुख मुद्दे ही शामिल नहीं होते हैं जिनका मैंने उल्लेख किया है; कुछ अफवाहें ऐसी भी होती हैं जो केवल इधर-उधर बिखरी होती हैं, जैसे कि काट-छाँट के बारे में टिप्पणियाँ या परमेश्वर का घर किसका उपयोग करता है और किसे हटा देता है और अन्य असत्य कथन। कलीसिया के पूरी तरह से स्वच्छ होने से पहले, इसमें झूठे अगुआ, मसीह-विरोधी, विभिन्न बुरे लोग, भ्रमित लोग, मूर्ख लोग होते हैं जिनके पास आध्यात्मिक समझ नहीं होती है—इसमें सभी प्रकार के लोग होते हैं। झूठे और अफवाहें गढ़ने वाले लोग आम बात हैं, और लोगों के बीच तरह-तरह की अफवाहें और शैतानी बातें होती हैं। इन अफवाहों के बारे में, एक बात तो यह है कि लोगों को उनकी आलोचना करने के लिए सामान्य तर्कशक्ति की आवश्यकता होती है; दूसरी बात यह है कि परमेश्वर के कार्य, परमेश्वर की प्रबंधन योजना, स्वयं परमेश्वर और यहाँ तक कि परमेश्वर के घर के प्रशासनिक आदेशों और अन्य मामलों से जुड़ी अधिक गंभीर अफवाहों के लिए, लोगों को इनका भेद पहचानने के लिए सत्य की आवश्यकता होती है। बाहरी मामलों के लिए, लोगों को उनकी आलोचना करने के लिए सामान्य मानवता के तर्क की आवश्यकता होती है। उन मामलों के लिए जिनमें परमेश्वर का कार्य और सत्य शामिल होता है, लोगों को उनका भेद पहचानने के लिए सत्य वास्तविकता और आध्यात्मिक कद की आवश्यकता होती है। संक्षेप में, अफवाहें चाहे किसी भी प्रकार की हों, लोगों को उनका भेद पहचानना और अस्वीकार करना चाहिए, उन्हें स्वीकार नहीं करना चाहिए। बेशक, कुछ लोग सत्य का अनुसरण नहीं करते और केवल इन अफवाहों पर भरोसा करके जीते हैं। आज कोई व्यक्ति कोई बात फैला देता है और उससे एकतरफा बयार बहने लगती है, और फिर ये लोग उसका अनुसरण करते हैं। कल कोई दूसरी बात और बयार दूसरी ओर बहने लगती है, और फिर वे उसका अनुसरण करते हैं। उदाहरण के लिए, कोई अगुआ या कार्यकर्ता कहता है कि जो लोग गवाही लेख लिख सकते हैं उन्हें पूर्ण बनाया जा सकता है, इसलिए वे लेख लिखने का अभ्यास करते हैं, लेखन का अध्ययन करते हैं, और संसाधनों की खोज करते हैं। अगले दिन, कोई दूसरा अगुआ या कार्यकर्ता कहता है कि जो लोग अपना कर्तव्य निभाते हैं उन्हें बचाया जा सकता है, इसलिए वे स्वयं को कर्तव्य निभाने में व्यस्त रखना आरंभ कर देते हैं। लेकिन चाहे वे कितने भी व्यस्त क्यों न हो जाएँ, वे सबसे महत्वपूर्ण बात के बारे में कभी चिंतित नहीं होते या उसमें कभी रुचि नहीं लेते : सत्य का अनुसरण करना और जीवन प्रवेश। कलीसिया में विभिन्न समूहों के बीच बनने वाली विभिन्न दुष्ट प्रवृत्तियाँ हमेशा कुछ लोगों को बहका देती हैं। कलीसिया के सदस्यों के बीच पैदा होने वाली विभिन्न अफवाहें हमेशा कुछ लोगों को गुमराह और प्रभावित करती हैं। हालाँकि, कुछ लोग ऐसे भी हैं जो उदासीन रहते हैं और सुनी हुई इन अफवाहों पर ध्यान नहीं देते हैं। वे परमेश्वर के घर द्वारा किए जा रहे किसी भी कार्य पर ध्यान नहीं देते हैं; वे परमेश्वर में विश्वास करने में रुचि नहीं रखते हैं और सच्चे विश्वासी नहीं हैं। ये लोग नाममात्र के विश्वासी हैं। लोगों का एक और समूह है जो कुछ हद तक बेहतर है; वे सत्य की तलाश कर सकते हैं और सत्य को स्वीकार सकते हैं, इसलिए वे इन नकारात्मक चीजों और नकारात्मक लोगों से प्रभावित नहीं होते हैं। केवल छोटे आध्यात्मिक कद वाले, बिना किसी आधार के, और जो सत्य का बिल्कुल भी अनुसरण नहीं करते हैं, वे हमेशा अलग-अलग कथनों और टिप्पणियों से प्रभावित होते हैं। क्योंकि ये लोग हमेशा साथ चलते हैं, इसलिए हमेशा कुछ लोग ऐसे होते हैं जो आग में घी डालने के लिए तरह-तरह की अफवाहें गढ़ते हैं। उन्हें लगता है कि सिर्फ यही बात परमेश्वर में विश्वास को जीवंत और रोमांचक बनाती है, न कि नीरस, और यही उनके लिए महत्वपूर्ण महसूस करने का एकमात्र तरीका है। ये चीजें अक्सर नए विश्वासियों के बीच होती हैं। अगर किसी कलीसिया में अफवाहें फैलाई जा रही हैं और लोगों को गुमराह किया जा रहा है, तो इसका मतलब है कि उस कलीसिया में सत्य समझने वाले लोग बहुत कम हैं। कलीसिया में, ऊपर बताए गए लोग उन सभी अफवाहों और भड़काने वाली बातों का अनुसरण करते हैं जो गुप्त मंशाएँ रखने वाले लोग फैलाते हैं, जो बहुत ही परेशानी वाली बात है। यह आंशिक रूप से खराब काबिलियत के कारण है और सत्य न समझने की एक वास्तविक अभिव्यक्ति भी है। जो लोग सत्य नहीं समझते हैं, वे जो कुछ भी कहते हैं, वह व्यावहारिक नहीं होता और अशुद्धियों से मिश्रित होता है; असल में यह सब झूठ के बराबर है। अगर इसमें मंशाएँ और उद्देश्य हैं, तो यह सिर्फ झूठ ही नहीं बल्कि शैतान की एक योजना और बुरे लोगों की साजिश भी है। इसलिए, सत्य से विहीन लोग जो कुछ भी कहते हैं, उनमें से ज्यादातर शैतानी बातें होती हैं और उन पर विश्वास नहीं किया जाना चाहिए।
निराधार अफवाहें फैलाने के विषय पर यह संगति समाप्त होती है। अफवाहें फैलाने का यह मामला लोगों में सबसे ज्यादा प्रकाशित करने वाला है, और यह अलग-अलग लोगों के व्यवहार को स्पष्ट रूप से देखने देता है। अब तुम लोगों को समझ जाना चाहिए कि अफवाहों और उन्हें फैलाने वालों के प्रति कैसा रवैया रखना चाहिए, और उनसे निपटने के लिए किन तरीकों का इस्तेमाल करना चाहिए, है न? (सही है।) एक बार जब तुम लोग समझ जाते हो, तो फिर से ऐसे मामलों का सामना करते हुए तुम लोगों को उनकी तुलना हमारी संगति से करनी चाहिए, और इन मुद्दों को हल करने के लिए सबसे सही तरीकों का इस्तेमाल करना चाहिए। यह सिद्धांतों के अनुरूप है।
17 जुलाई 2021
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