कर्तव्य निभाने के बारे में वचन (अंश 40)
जब कुछ होता है तो सभी को एक साथ और अधिक प्रार्थना करनी चाहिए और परमेश्वर का भय मानने वाला हृदय रखना चाहिए। लोगों को मनमाने ढंग से कार्य करने के लिए अपने विचारों पर बिल्कुल भरोसा नहीं करना चाहिए। जब तक लोग एक दिल और एक दिमाग होकर परमेश्वर से प्रार्थना और सत्य की खोज करते हैं, तब तक वे पवित्र आत्मा के कार्य की प्रबुद्धता और रोशनी प्राप्त करने में सक्षम होंगे, और वे परमेश्वर के आशीष प्राप्त कर पाएँगे। प्रभु यीशु ने क्या कहा था? (“यदि तुम में से दो जन पृथ्वी पर किसी बात के लिए एक मन होकर उसे माँगें, तो वह मेरे पिता की ओर से जो स्वर्ग में है, उनके लिए हो जाएगी। क्योंकि जहाँ दो या तीन मेरे नाम पर इकट्ठा होते हैं, वहाँ मैं उनके बीच में होता हूँ” (मत्ती 18:19-20)।) यह किस समस्या को दर्शाता है? यह दर्शाता है कि मनुष्य परमेश्वर से अलग नहीं हो सकता, कि मनुष्य को परमेश्वर पर भरोसा करना चाहिए, कि मनुष्य अकेले कुछ नहीं कर सकता, और उसका अपने रास्ते पर जाना स्वीकार्य नहीं है। यह कहने का क्या मतलब है कि मनुष्य अकेले कुछ नहीं कर सकता? इसका मतलब है कि लोगों को सामंजस्यपूर्वक सहयोग करना चाहिए, एक दिल और एक दिमाग से काम करना चाहिए और एक सामान्य लक्ष्य रखना चाहिए। बोलचाल की भाषा में कहा जा सकता है कि “गट्ठर में बँधी लकड़ियाँ तोड़ी नहीं जा सकतीं।” तो तुम लकड़ियों के गट्ठर की तरह कैसे बन सकते हो? तुम्हें सामंजस्यपूर्वक सहयोग करना चाहिए, एकमत होना चाहिए, तब पवित्र आत्मा कार्य करेगा। यदि प्रत्येक व्यक्ति अपने रहस्यों को छिपा रहा है, अपने हितों के बारे में सोच रहा है, और कोई भी कलीसिया के कार्य की जिम्मेदारी नहीं ले रहा है, हर कोई इससे अपने हाथ धोना चाहता है, कोई भी इसकी अगुआई नहीं करना चाहता, मेहनत नहीं करना चाहता या इसके लिए कष्ट नहीं उठाना चाहता और कीमत नहीं चुकाना चाहता, तो क्या पवित्र आत्मा अपना कार्य करेगा? (नहीं।) क्यों नहीं? जब लोग गलत स्थिति में रहते हैं और परमेश्वर से प्रार्थना नहीं करते या सत्य नहीं खोजते, तो पवित्र आत्मा उन्हें त्याग देगा और परमेश्वर मौजूद नहीं रहेगा। जो लोग सत्य नहीं खोजते, वे पवित्र आत्मा का कार्य कैसे प्राप्त कर सकते हैं? परमेश्वर उनसे घृणा करता है, इसलिए उसका चेहरा उनसे छिपा रहता है, और पवित्र आत्मा भी उनसे छिपा रहता है। जब परमेश्वर काम पर नहीं रहता, तो तुम जैसा चाहो वैसा कर सकते हो। जब वह तुम्हें एक तरफ कर देता है, तो क्या तुम खत्म नहीं हो जाते? तुम कुछ भी हासिल नहीं कर सकोगे। अविश्वासियों को काम करने में इतनी कठिनाई क्यों होती है? क्या ऐसा नहीं है कि उनमें से हरेक अपनी बात अपने तक ही सीमित रखता है? वे अपनी बात अपने तक ही सीमित रखते हैं और कुछ भी हासिल करने में असमर्थ होते हैं—हर चीज अत्यधिक दुष्कर होती है, यहाँ तक कि सरलतम मामले भी। यह शैतान की शक्ति के अधीन रहने वाला जीवन है। अगर तुम लोग अविश्वासियों की तरह ही काम करते हो, तो तुम उनसे भिन्न कैसे हो? किसी भी प्रकार का कोई अंतर नहीं है। अगर कलीसिया में शक्ति उन लोगों के हाथ में है जिनके पास सत्य नहीं है, अगर यह उन लोगों के हाथ में है जो शैतानी स्वभाव से भरे हुए हैं, तो क्या वास्तव में शैतान ही इस शक्ति का उपयोग नहीं कर रहा होता है? यदि कलीसिया में जिन लोगों के हाथ में शक्ति है उनके सभी कार्य सत्य के विपरीत हैं तो पवित्र आत्मा का कार्य रुक जाता है, और परमेश्वर उसे शैतान को सौंप देता है। शैतान के हाथों में आने पर लोगों के बीच सभी प्रकार की कुरूपता—उदाहरण के लिए ईर्ष्या और विवाद—उभर आते हैं। इन घटनाओं से क्या प्रदर्शित होता है? यही कि पवित्र आत्मा का कार्य समाप्त हो गया है, उसने उनका त्याग कर दिया है, और परमेश्वर अब कार्य नहीं कर रहा है। परमेश्वर के कार्य के बिना मनुष्य द्वारा समझे जाने वाले शब्द और धर्म-सिद्धांत किस काम के हैं? किसी काम के नहीं। जब किसी व्यक्ति के पास पवित्र आत्मा का कार्य नहीं रह जाता, तो वह अंदर से खाली हो जाता है, उसे कुछ भी महसूस नहीं होता, वह मृत समान हो जाता है और अब तक, वह स्तब्ध हो चुका होता है। मानवजाति में सारी प्रेरणा, ज्ञान, बुद्धि, अंतर्दृष्टि और प्रबुद्धता परमेश्वर से आती है; यह सब परमेश्वर का कार्य है। जब कोई व्यक्ति किसी मामले में सत्य खोजता है, और अचानक उसे कुछ समझ आता है और एक रास्ता मिल जाता है, तो यह रोशनी कहाँ से आती है? यह सब परमेश्वर से आती है। जैसे जब लोग सत्य के बारे में संगति करते हैं तो शुरू में उन्हें कोई समझ नहीं होती, लेकिन जैसे ही वे संगति कर रहे होते हैं, वे रोशन कर दिए जाते हैं और फिर कुछ समझ के बारे में बोलने में सक्षम हो जाते हैं। यह पवित्र आत्मा की प्रबुद्धता और कार्य है। पवित्र आत्मा ज्यादातर कब काम करता है? तब करता है जब परमेश्वर के चुने हुए लोग सत्य के बारे में संगति करते हैं, जब लोग परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं, और जब लोग एक दिल और एक दिमाग से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं। ऐसे समय पर परमेश्वर का दिल सबसे अधिक संतुष्ट होता है। तो तुम लोगों में से कई लोग एक-साथ अपना कर्तव्य निभा रहे हों या कुछ लोग, चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों, और चाहे जो भी समय हो, यह एक बात मत भूलना—सर्वसम्मति रखना। इस अवस्था में रहने से तुम्हारे पास पवित्र आत्मा का कार्य होगा।
The Bible verses found in this audio are from Hindi OV and the copyright to the Bible verses belongs to the Bible Society of India. With due legal permission, they are used in this production.
परमेश्वर का आशीष आपके पास आएगा! हमसे संपर्क करने के लिए बटन पर क्लिक करके, आपको प्रभु की वापसी का शुभ समाचार मिलेगा, और 2024 में उनका स्वागत करने का अवसर मिलेगा।