परमेश्वर के दैनिक वचन : बाइबल के बारे में रहस्य | अंश 276

आज, आप लोगों में से कौन यह कहने की हिम्मत कर सकता है कि सभी वचन जिन्हें उन लोगों के द्वारा कहा गया था जिन्हें पवित्र आत्मा के द्वारा उपयोग किया था वे पवित्र आत्मा से आये थे? क्या किसी में ऐसी चीज़ें कहने की हिम्मत है? यदि आप ऐसी चीज़ें कहते हैं, तो फिर क्यों एज्रा की भविष्यवाणी की पुस्तक को अलग छोड़ दिया गया था, और क्यों यही चीज़ उन प्राचीन संतों एवं भविष्यवक्ताओं की पुस्तकों के साथ किया गया था? यदि वे सब पवित्र आत्मा से आये थे, तो आप लोगों ने क्यों ऐसे मनमाने ढंग से चुनाव करने की हिम्मत की है? क्या आप पवित्र आत्मा के कार्य को चुनने के योग्य हैं? इस्राएल की बहुत सारी कहानियों को भी अलग छोड़ दिया गया था। और यदि आप मानते हैं कि भूतकाल के ये लेख सब पवित्र आत्मा ही से आये थे, तो फिर क्यों कुछ पुस्तकों को अलग छोड़ दिया गया था? यदि वे सब पवित्र आत्मा से आये थे, तो उन सब को सुरक्षित रखना चाहिए, और पढ़ने के लिए कलीसियाओं के भाइयों एवं बहनों को भेजा जाना चाहिए। उन्हें मानवीय इच्छा के द्वारा चुना या अलग नहीं छोड़ा जाना चाहिए; ऐसा करना गलत है। यह कहना कि पौलुस एवं यूहन्ना के अनुभव उनके व्यक्तिगत अवलोकन के साथ घुल-मिल गए थे इसका यह मतलब नहीं है कि उनके अनुभव एवं ज्ञान शैतान से आये थे, परन्तु बात केवल यह है कि उनके पास ऐसी चीज़ें थीं जो उनके व्यक्तिगत अनुभवों एवं अवलोकन से आई थीं। उनका ज्ञान उस समय के वास्तविक अनुभवों की पृष्ठभूमि के अनुसार था, और कौन आत्म विश्वास के साथ कह सकता था कि यह सब पवित्र आत्मा ही से आया था। यदि चारों सुसमाचार पवित्र आत्मा से आये थे, तो ऐसा क्यों था कि मत्ती, मरकुस, लूका और यूहन्ना प्रत्येक ने यीशु के कार्य के बारे कुछ अलग कहा था? यदि आप लोग यह नहीं मानते हैं, तो फिर आप बाईबिल के लेखों में देखिये कि किस प्रकार पतरस ने यीशु का तीन बार इन्कार किया था: वे सब भिन्न हैं, और उनमें से प्रत्येक के पास उनकी अपनी विशेषताएं हैं। बहुत से लोग जो अनजान हैं वे कहते हैं, देहधारी परमेश्वर भी एक मनुष्य ही था, अतः क्या वे वचन जो उसने कहा था पवित्र आत्मा से आ सकते थे? यदि पौलुस एवं यूहन्ना के वचन मानवीय इच्छा के साथ घुल-मिल गए थे, तो क्या वे वचन जिन्हें देहधारी परमेश्वर ने कहा था वे वास्तव में मानवीय इच्छा के साथ नहीं घुले-मिले थे? ऐसे लोग जो ऐसी बातें करते हैं वे अन्धे एवं अनजान हैं! चारों सुसमाचारों को ध्यानपूर्वक पढ़ें; पढ़िए कि उन्होंने उन कार्यों के विषय में क्या दर्ज किया है जिन्हें यीशु ने किया था, और उन वचनों को पढ़िए जिन्हें उसने कहा था। प्रत्येक विवरण, एकदम सरल रूप में, अलग था, और प्रत्येक का अपना ही यथार्थ दृष्टिकोण था। यदि इन पुस्तकों के लेखकों के द्वारा जो कुछ लिखा गया था वह सब पवित्र आत्मा से आया होता, तो यह सब एक समान एवं सुसंगत होता। तो फिर क्यों इसमें भिन्नताएं हैं?

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, पदवियों और पहचान के सम्बन्ध में

परमेश्वर का आशीष आपके पास आएगा! हमसे संपर्क करने के लिए बटन पर क्लिक करके, आपको प्रभु की वापसी का शुभ समाचार मिलेगा, और 2024 में उनका स्वागत करने का अवसर मिलेगा।

संबंधित सामग्री

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर का प्रकटन और कार्य | अंश 46

स्तुति सिय्योन तक आ गई है और परमेश्वर का निवास स्थान-प्रकट हो गया है। सभी लोगों द्वारा प्रशंसित, महिमामंडित पवित्र नाम फैल रहा है। आह,...

WhatsApp पर हमसे संपर्क करें