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परमेश्वर के दैनिक वचन : मसीही जीवन
परमेश्वर के कार्य को जानना
- कार्य के तीन चरण
- परमेश्वर का प्रकटन और कार्य
- अंत के दिनों में न्याय
- देहधारण
- परमेश्वर के कार्य को जानना
- परमेश्वर का स्वभाव और स्वरूप
- बाइबल के बारे में रहस्य
- धर्म-संबंधी धारणाओं का खुलासा
- इंसान की भ्रष्टता का खुलासा
- जीवन में प्रवेश
- मंज़िलें और परिणाम
- कार्य के तीन चरण
- परमेश्वर का प्रकटन और कार्य
- अंत के दिनों में न्याय
- देहधारण
- परमेश्वर के कार्य को जानना
- परमेश्वर का स्वभाव और स्वरूप
- बाइबल के बारे में रहस्य
- धर्म-संबंधी धारणाओं का खुलासा
- इंसान की भ्रष्टता का खुलासा
- जीवन में प्रवेश
- मंज़िलें और परिणाम
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "आज परमेश्वर के कार्य को जानना" | अंश 141
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "आज परमेश्वर के कार्य को जानना" | अंश 142
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "आज परमेश्वर के कार्य को जानना" | अंश 143
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "आज परमेश्वर के कार्य को जानना" | अंश 144
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "जो परमेश्वर को और उसके कार्य को जानते हैं केवल वे ही परमेश्वर को सन्तुष्ट कर सकते हैं" | अंश 145
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "जो परमेश्वर को और उसके कार्य को जानते हैं केवल वे ही परमेश्वर को सन्तुष्ट कर सकते हैं" | अंश 146
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "तुम्हें पता होना चाहिए कि समस्त मानवजाति आज के दिन तक कैसे विकसित हुई" | अंश 147
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "तुम्हें पता होना चाहिए कि समस्त मानवजाति आज के दिन तक कैसे विकसित हुई" | अंश 148
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "तुम्हें पता होना चाहिए कि समस्त मानवजाति आज के दिन तक कैसे विकसित हुई" | अंश 149
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "तुम्हें पता होना चाहिए कि समस्त मानवजाति आज के दिन तक कैसे विकसित हुई" | अंश 150
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "तुम्हें पता होना चाहिए कि समस्त मानवजाति आज के दिन तक कैसे विकसित हुई" | अंश 151
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "परमेश्वर का कार्य और मनुष्य का अभ्यास" | अंश 152
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "परमेश्वर का कार्य और मनुष्य का अभ्यास" | अंश 153
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "परमेश्वर का कार्य और मनुष्य का अभ्यास" | अंश 154
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "परमेश्वर का कार्य और मनुष्य का अभ्यास" | अंश 155
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "परमेश्वर का कार्य और मनुष्य का अभ्यास" | अंश 156
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "परमेश्वर का कार्य और मनुष्य का अभ्यास" | अंश 157
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "परमेश्वर का कार्य और मनुष्य का अभ्यास" | अंश 158
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "देहधारी परमेश्वर की सेवकाई और मनुष्य के कर्तव्य के बीच अंतर" | अंश 159
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "देहधारी परमेश्वर की सेवकाई और मनुष्य के कर्तव्य के बीच अंतर" | अंश 160
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "देहधारी परमेश्वर की सेवकाई और मनुष्य के कर्तव्य के बीच अंतर" | अंश 161
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "उपाधियों और पहचान के सम्बन्ध में" | अंश 162
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "पदवियों और पहचान के सम्बन्ध में" | अंश 163
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "उपाधियों और पहचान के सम्बन्ध में" | अंश 164
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "उपाधियों और पहचान के सम्बन्ध में" | अंश 165
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "देहधारण का रहस्य (1)" | अंश 166
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "देहधारण का रहस्य (1)" | अंश 167
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "देहधारण का रहस्य (1)" | अंश 168
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "देहधारण का रहस्य (1)" | अंश 169
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "देहधारण का रहस्य (4)" | अंश 170
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "परमेश्वर द्वारा मनुष्य को इस्तेमाल करने के विषय में" | अंश 171
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "परमेश्वर का कार्य और मनुष्य का कार्य" | अंश 172
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "परमेश्वर का कार्य और मनुष्य का कार्य" | अंश 173
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "परमेश्वर का कार्य और मनुष्य का कार्य" | अंश 174
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "परमेश्वर का कार्य और मनुष्य का कार्य" | अंश 175
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "परमेश्वर का कार्य और मनुष्य का कार्य" | अंश 176
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "परमेश्वर का कार्य और मनुष्य का कार्य" | अंश 177
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "परमेश्वर का कार्य और मनुष्य का कार्य" | अंश 178
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "परमेश्वर का कार्य और मनुष्य का कार्य" | अंश 179
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "परमेश्वर का कार्य और मनुष्य का कार्य" | अंश 180
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "परमेश्वर का कार्य और मनुष्य का कार्य" | अंश 181
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "तेरह धर्मपत्रों पर तुम्हारा दृढ़ मत क्या है?" | अंश 182
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "'सहस्राब्दि राज्य आ चुका है' के बारे में एक संक्षिप्त वार्ता" | अंश 183
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "परमेश्वर के कार्य का दर्शन (2)" | अंश 184
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "मोआब के वंशजों को बचाने का अर्थ" | अंश 185
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "मोआब के वंशजों को बचाने का अर्थ" | अंश 186
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "देहधारण का रहस्य (2)" | अंश 187
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "क्या परमेश्वर का कार्य उतना सरल है, जितना मनुष्य कल्पना करता है?" | अंश 188
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "क्या परमेश्वर का कार्य उतना सरल है, जितना मनुष्य कल्पना करता है?" | अंश 189
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "मनुष्य के सामान्य जीवन को पुनःस्थापित करना और उसे एक अद्भुत मंज़िल पर ले जाना" | अंश 190
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "कार्य और प्रवेश (4)" | अंश 191
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "कार्य और प्रवेश (4)" | अंश 192
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "कार्य और प्रवेश (6)" | अंश 193
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "कार्य और प्रवेश (7)" | अंश 194
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "कार्य और प्रवेश (8)" | अंश 195
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "कार्य और प्रवेश (9)" | अंश 196
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "कार्य और प्रवेश (10)" | अंश 197
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "विजय के कार्यों का आंतरिक सत्य (1)" | अंश 198
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "विजय के कार्यों का आंतरिक सत्य (1)" | अंश 199
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "विजय के कार्यों का आंतरिक सत्य (2)" | अंश 200
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "विजय के कार्यों का आंतरिक सत्य (2)" | अंश 201
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "विजय के कार्यों का आंतरिक सत्य (3)" | अंश 202
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "विजय के कार्यों का आंतरिक सत्य (4)" | अंश 203
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "देह की चिन्ता करने वालों में से कोई भी कोप के दिन से नहीं बच सकता है" | अंश 204
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "परमेश्वर के बारे में तुम्हारी समझ क्या है?" | अंश 205
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "परमेश्वर संपूर्ण सृष्टि का प्रभु है" | अंश 206
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "परमेश्वर संपूर्ण सृष्टि का प्रभु है" | अंश 207
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "कार्य और प्रवेश (8)" | अंश 208
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "मानव जाति के प्रबंधन का उद्देश्य" | अंश 209
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "अभ्यास (2)" | अंश 210
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "अभ्यास (7)" | अंश 211
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "मात्र उन्हें ही पूर्ण बनाया जा सकता है जो अभ्यास पर ध्यान देते हैं" | अंश 212
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "केवल पूर्ण बनाया गया मनुष्य ही सार्थक जीवन जी सकता है" | अंश 213
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "केवल वे लोग ही परमेश्वर की गवाही दे सकते हैं जो परमेश्वर को जानते हैं" | अंश 214
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "परमेश्वर संपूर्ण मानवजाति के भाग्य का नियंता है" | अंश 215
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "केवल परमेश्वर के प्रबंधन के मध्य ही मनुष्य बचाया जा सकता है" | अंश 216
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "सुसमाचार को फैलाने का कार्य मनुष्यों को बचाने का कार्य भी है" | अंश 217
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "सुसमाचार को फैलाने का कार्य मनुष्यों को बचाने का कार्य भी है" | अंश 218
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "सुसमाचार को फैलाने का कार्य मनुष्य को बचाने का कार्य भी है" | अंश 219
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "सहस्राब्दि राज्य आ चुका है" | अंश 220
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "सहस्राब्दि राज्य आ चुका है" | अंश 221
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचनों के रहस्य की व्याख्या : अध्याय 22 और अध्याय 23" | अंश 222
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "आरंभ में मसीह के कथन : अध्याय 108" | अंश 223
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन : अध्याय 10" | अंश 224
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचनों के रहस्य की व्याख्या : अध्याय 10" | अंश 225
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन : अध्याय 17" | अंश 226
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन : अध्याय 28" | अंश 227
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन : अध्याय 28" | अंश 228
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचनों के रहस्य की व्याख्या : अध्याय 28" | अंश 229
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचनों के रहस्य की व्याख्या : अध्याय 18" | अंश 230
- परमेश्वर के दैनिक वचन | "संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचनों के रहस्य की व्याख्या : अध्याय 42" | अंश 231
परमेश्वर के दैनिक वचन | "संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचनों के रहस्य की व्याख्या : अध्याय 22 और अध्याय 23" | अंश 222
जब पृथ्वी पर सीनियों का देश साकार होगा—जब राज्य साकार होगा—तो पृथ्वी पर और युद्ध नहीं होंगे; फिर कभी सूखा, महामारी और भूकंप नहीं आएँगे, लोग हथियारों का उत्पादन बंद कर देंगे; सभी शांति और स्थिरता में रहेंगे; लोगों के बीच सामान्य व्यवहार होंगे और देशों के बीच भी सामान्य व्यवहार होंगे। फिर भी वर्तमान की इससे कोई तुलना नहीं है। स्वर्ग के नीचे सब कुछ अराजक है और हर देश में धीरे-धीरे तख़्तापलट की शुरुआत हो रही है। परमेश्वर के कथनों की वजह से, लोग धीरे-धीरे बदल रहे हैं और आंतरिक रूप से, हर देश धीरे-धीरे टूट रहा है। रेत के महल की तरह बेबीलोन की स्थिर नींव हिलनी शुरू हो गयी है, और जैसे ही परमेश्वर की इच्छा में बदलाव होता है, दुनिया में अनजाने में भारी बदलाव होने लगते हैं, और किसी भी समय हर तरह के चिह्न प्रकट होने लगते हैं, जो दिखाता है कि दुनिया के अंत का दिन आ गया है! यह परमेश्वर की योजना है; वह इन्हीं कदमों के ज़रिए कार्य करता है, और निश्चित रूप से हर देश टुकड़े-टुकड़े होकर बिखर जाएगा, पुराने सदोम का दूसरी बार सर्वनाश होगा, और इस प्रकार परमेश्वर कहता है, "संसार का पतन हो रहा है! बेबीलोन गतिहीनता की स्थिति में है!" स्वयं परमेश्वर के अलावा और कोई इसे पूरी तरह से समझ नहीं सकता; आख़िरकार, लोगों की जागरूकता की एक सीमा है। उदाहरण के लिए, आंतरिक मामलों के मंत्रियों को पता हो सकता है कि वर्तमान परिस्थितियाँ अस्थिर और अराजक हैं, लेकिन वे उनका समाधान करने में असमर्थ हैं। वे केवल धारा के संग बह सकते हैं, अपने हृदय में उस दिन की आस लगाए हुए, जब वे अपने मस्तक उन्नत रख सकेंगे, जब सूर्य एक बार फिर से पूर्व में उगेगा, देश भर में चमकेगा और इस दुःखद स्थिति को पलट देगा। लेकिन उन्हें पता नहीं कि जब सूर्य दूसरी बार उगता है, तो उसका उदय पुरानी व्यवस्था को बहाल करने के उद्देश्य से नहीं होता, यह एक पुनरुत्थान होता है, एक संपूर्ण परिवर्तन। पूरे ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर की योजना ऐसी ही है। वह एक नई दुनिया को अस्तित्व में लाएगा लेकिन सबसे पहले वह इंसान का नवीनीकरण करेगा।
— 'वचन देह में प्रकट होता है' से उद्धृत
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