परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर के कार्य को जानना | अंश 168

यूहन्ना प्रतिज्ञा द्वारा जन्मा था, बहुत-कुछ वैसे ही, जैसे अब्राहम के यहाँ इसहाक पैदा हुआ था। उसने यीशु के लिए मार्ग तैयार किया और बहुत कार्य किया, किंतु वह परमेश्वर नहीं था। बल्कि, वह नबियों में से एक था, क्योंकि उसने केवल यीशु के लिए मार्ग प्रशस्त किया था। उसका कार्य भी महान था, और केवल उसके द्वारा मार्ग तैयार किए जाने के बाद ही यीशु ने आधिकारिक रूप से अपना कार्य शुरू किया। संक्षेप में, उसने केवल यीशु के लिए श्रम किया, और उसके द्वारा किया गया कार्य यीशु के कार्य की सेवा में था। उसके द्वारा मार्ग प्रशस्त किए जाने के बाद यीशु ने अपना कार्य शुरू किया, कार्य जो नया, अधिक ठोस और अधिक विस्तृत था। यूहन्ना ने कार्य का केवल शुरुआती अंश किया; नए कार्य का ज्यादा बड़ा भाग यीशु द्वारा किया गया था। यूहन्ना ने भी नया कार्य किया, किंतु उसने नए युग का सूत्रपात नहीं किया था। यूहन्ना प्रतिज्ञा द्वारा जन्मा था, और उसका नाम स्वर्गदूत द्वारा दिया गया था। उस समय, कुछ लोग उसका नाम उसके पिता जकरयाह के नाम पर रखना चाहते थे, परंतु उसकी माँ ने कहा, "इस बालक को उस नाम से नहीं पुकारा जा सकता। उसे यूहन्ना के नाम से पुकारा जाना चाहिए।" यह सब पवित्र आत्मा के आदेश से हुआ था। यीशु का नाम भी पवित्र आत्मा के आदेश से रखा गया था, उसका जन्म पवित्र आत्मा से हुआ था, और पवित्र आत्मा द्वारा उसकी प्रतिज्ञा की गई थी। यीशु परमेश्वर, मसीह और मनुष्य का पुत्र था। किंतु, यूहन्ना का कार्य भी महान होने के बावजूद उसे परमेश्वर क्यों नहीं कहा गया? यीशु द्वारा किए गए कार्य और यूहन्ना द्वारा किए गए कार्य में ठीक-ठीक क्या अंतर था? क्या सिर्फ यही एक कारण था कि यूहन्ना वह व्यक्ति था, जिसने यीशु के लिए मार्ग तैयार किया था? या इसलिए, क्योंकि इसे परमेश्वर द्वारा पहले से ही नियत कर दिया गया था? यद्यपि यूहन्ना ने भी कहा था, "मन फिराओ, क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है," और उसने स्वर्ग के राज्य के सुसमाचार का भी उपदेश दिया था, किंतु उसका कार्य आगे नहीं बढ़ा और उसने मात्र शुरुआत की। इसके विपरीत, यीशु ने एक नए युग का सूत्रपात करने के साथ-साथ पुराने युग का अंत भी किया, किंतु उसने पुराने विधान की व्यवस्था भी पूरी की। उसके द्वारा किया गया कार्य यूहन्ना के कार्य से अधिक महान था, और इतना ही नहीं, वह समस्त मानवजाति को छुटकारा दिलाने के लिए आया—उसने कार्य के इस चरण को पूरा किया। जबकि यूहन्ना ने बस मार्ग तैयार किया। यद्यपि उसका कार्य महान था, उसके वचन बहुत थे, और उसका अनुसरण करने वाले चेले भी बहुत थे, फिर भी उसके कार्य ने लोगों के लिए एक नई शुरुआत लेकर आने से बढ़कर कुछ नहीं किया। मनुष्य ने उससे कभी जीवन, मार्ग या गहरे सत्य प्राप्त नहीं किए, न ही मनुष्य ने उसके जरिये परमेश्वर की इच्छा की समझ प्राप्त की। यूहन्ना एक बहुत बड़ा नबी (एलिय्याह) था, जिसने यीशु के कार्य के लिए नई ज़मीन खोली और चुने हुओं को तैयार किया; वह अनुग्रह के युग का अग्रदूत था। ऐसे मामले केवल उनके सामान्य मानवीय स्वरूप देखकर नहीं पहचाने जा सकते। यह इसलिए भी उचित है, क्योंकि यूहन्ना ने भी काफ़ी उल्लेखनीय काम किया; और इतना ही नहीं, पवित्र आत्मा द्वारा उसकी प्रतिज्ञा की गई थी, और उसके कार्य को पवित्र आत्मा द्वारा समर्थन दिया गया था। ऐसा होने के कारण, केवल उनके द्वारा किए जाने वाले कार्य के माध्यम से व्यक्ति उनकी पहचान के बीच अंतर कर सकता है, क्योंकि किसी मनुष्य के बाहरी स्वरूप से उसके सार के बारे में बताने का कोई उपाय नहीं है, न ही कोई ऐसा तरीका है जिससे मनुष्य यह सुनिश्चित कर सके कि पवित्र आत्मा की गवाही क्या है। यूहन्ना द्वारा किया गया कार्य और यीशु द्वारा किया गया कार्य भिन्न प्रकृतियों के थे। इसी से व्यक्ति यह निर्धारित कर सकता है कि यूहन्ना परमेश्वर था या नहीं। यीशु का कार्य शुरू करना, जारी रखना, समापन करना और सफल बनाना था। उसने इनमें से प्रत्येक चरण पूरा किया था, जबकि यूहन्ना का कार्य शुरुआत से अधिक और कुछ नहीं था। आरंभ में, यीशु ने सुसमाचार फैलाया और पश्चात्ताप के मार्ग का उपदेश दिया, और फिर वह मनुष्य को बपतिस्मा देने लगा, बीमारों को चंगा करने लगा, और दुष्टात्माओं को निकालने लगा। अंत में, उसने मानवजाति को पाप से छुटकारा दिलाया और संपूर्ण युग के अपने कार्य को पूरा किया। उसने लगभग हर स्थान पर जाकर मनुष्य को उपदेश दिया और स्वर्ग के राज्य का सुसमाचार फैलाया। इस दृष्टि से यीशु और यूहन्ना समान थे, अंतर यह था कि यीशु ने एक नए युग का सूत्रपात किया और वह मनुष्य के लिए अनुग्रह का युग लाया। उसके मुँह से वह वचन निकला जिसका मनुष्य को अभ्यास करना चाहिए, और वह मार्ग निकला जिसका मनुष्य को अनुग्रह के युग में अनुसरण करना चाहिए, और अंत में उसने छुटकारे का कार्य पूरा किया। यूहन्ना यह कार्य कभी नहीं कर सकता था। और इसलिए, वह यीशु ही था जिसने स्वयं परमेश्वर का कार्य किया, और वही है जो स्वयं परमेश्वर है और सीधे परमेश्वर का प्रतिनिधित्व करता है। मनुष्य की धारणाएँ कहती हैं कि वे सभी जो प्रतिज्ञा द्वारा जन्मे थे, पवित्र आत्मा से जन्मे थे, जिनका पवित्र आत्मा ने समर्थन किया था, और जिन्होंने नए मार्ग खोले, वे परमेश्वर हैं। इस तर्क के अनुसार, यूहन्ना भी परमेश्वर होगा, और मूसा, अब्राहम और दाऊद ..., ये सब भी परमेश्वर होंगे। क्या यह निरा मज़ाक नहीं है?

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, देहधारण का रहस्य (1)

The Bible verses found in this audio are mostly from Hindi OV and the copyright to the Bible verses from Hindi OV belongs to Bible Society India. With due legal permission, they are used in this production.

परमेश्वर का आशीष आपके पास आएगा! हमसे संपर्क करने के लिए बटन पर क्लिक करके, आपको प्रभु की वापसी का शुभ समाचार मिलेगा, और 2024 में उनका स्वागत करने का अवसर मिलेगा।

संबंधित सामग्री

परमेश्वर के दैनिक वचन : इंसान की भ्रष्टता का खुलासा | अंश 351

पृथ्वी पर मेरे अनुयायी होने के लिए मैंने कई लोगों को खोजा है। इन सभी अनुयायियों में, ऐसे लोग हैं जो याजकों की तरह सेवा करते हैं, जो अगुआई...

WhatsApp पर हमसे संपर्क करें