सत्य का अनुसरण कैसे करें (15) भाग तीन

हमने आँख फड़कने से निपटने के तरीकों पर तो अपनी संगति का समापन कर दिया है, लेकिन लोगों को अपने दैनिक जीवन में सपने देखने का मामला कैसे सँभालना चाहिए? मिसाल के तौर पर, अगर किसी रात तुम सपना देखो कि तुम्हारे दाँत गिर गए हैं, तो शायद तुम्हारी माँ पूछे, “दाँत गिरने पर खून निकला था क्या?” अगर तुम पूछो, “निकला हो तो फिर क्या होगा?” तो तुम्हारी माँ शायद तुम्हें बताए कि इसका अर्थ परिवार में किसी की मृत्यु होना, या कोई और दुर्भाग्यपूर्ण घटना होना हो सकता है। मुझे नहीं मालूम कि इस विवरण के पीछे कौन-सी खास कहावत हो सकती है, एक परिवार कुछ कहेगा, और दूसरा कुछ और। कुछ लोग कह सकते हैं कि यह किसी निकट संबंधी, जैसे कि दादा-दादी या माता-पिता की मृत्यु की भविष्यवाणी है, और दूसरे कह सकते हैं कि यह किसी मित्र की मृत्यु दर्शाता है। किसी भी स्थिति में, दाँत गिरने के बारे में सपना देखने को बुरा माना जाता है। यह बुरा है और जीवन और मृत्यु के मामलों से जुड़ा हुआ है, इसलिए लोग बहुत चिंतित हो जाते हैं। जब भी लोग दाँत गिरने के बारे में सपना देखते हैं, तो बेचैनी से उनकी नींद खुल जाती है। उन्हें एक बुनियादी आभास होता है कि दुर्भाग्य या कुछ बुरा होने वाला है, जो उन्हें व्याकुल, भयभीत और आतंकित कर देता है। वे इस भावना से चाह कर भी छुटकारा नहीं पा सकते, वे चाहते तो हैं कि ऐसे लोगों को तलाशें जो इस मामले का समाधान कर दें या इसे आसान बना दें, लेकिन उनके पास ऐसा करने का कोई तरीका नहीं होता। संक्षेप में कहें, तो वे इस सपने के वश में हो जाते हैं। खास तौर से जब सपने में उनके दाँतों से खून निकलता है तो उनकी चिंता तीव्र हो जाती है। ऐसा सपना देखने के बाद लोग अक्सर कई दिनों तक बुरी मनःस्थिति में होते हैं, परेशान रहते हैं, और नहीं जानते कि इससे कैसे निपटें। जो लोग इन चीजों से परिचित नहीं हैं, वे शायद इससे प्रभावित न हों, लेकिन जिन लोगों ने पहले ही कुछ खास विचार और नजरिये अपना रखे हैं, या इस मामले में अपने पूर्वजों से उन तक पहुँची और भी ज्यादा भयानक और सनसनीखेज कहावतें सुन चुके हैं, वे और भी ज्यादा चिंतित होने को प्रवृत्त हो जाते हैं। वे ऐसे सपने देखने से डरते हैं, और जब भी देखते हैं, जल्द ऐसी प्रार्थनाओं का सहारा लेते हैं, “हे परमेश्वर, मेरी रक्षा करो, मुझे ढाढ़स और शक्ति दो और ऐसी घटनाएँ होने से रोको। अगर यह मेरे माता-पिता को लेकर है, तो उन्हें किसी भी दुर्घटना से सुरक्षित और दूर रखो।” साफ तौर पर, ये रवैये उनके विचारों और नजरियों से या फिर पारंपरिक कहावतों से प्रभावित होते हैं। परंपरा की बात करें, तो कुछ परिवारों या लोगों के पास ऐसी चीजें दूर करने के विशेष तरीके हो सकते हैं, वे कुछ खास चीजें खा-पी सकते हैं, कुछ खास मंत्रोच्चार कर सकते हैं, या बुरे नतीजे दूर करने या उन्हें रोकने के लिए कुछ खास कदम उठा सकते हैं। लोक परंपराओं में यकीनन ऐसी प्रथाएँ हैं, लेकिन हम उनकी बात नहीं करेंगे। हम जिस बारे में संगति करेंगे वह यह है कि सपने देखने के मामले को किस तरह देखा और समझा जाए। सपने देखना देह का इंसानी सहज बोध है, या देह के जीवित रहने की घटना का अंश। बात चाहे जो हो, यह एक रहस्यमय घटना है। लोग अक्सर कहते हैं, “दिन में तुम जिस बारे में सोचते हो, रात को तुम उसके सपने देखोगे।” लेकिन लोग आम तौर पर दिन में अपने दाँत खो देने जैसी चीजों के बारे में नहीं सोचते, न ही ये ऐसी चीजें हैं जिनकी लोग अपनी आकांक्षाओं में कल्पना करते हैं। कोई भी ऐसे मामलों का सामना नहीं करना चाहता, और कोई भी दिन-रात ऐसी चीजों से आसक्त नहीं होता। फिर भी, ये घटनाएँ अक्सर तब होती हैं जब लोग इनकी बहुत कम उम्मीद करते हैं। तो इसका इस कहावत से कोई लेना-देना नहीं है, “दिन में तुम जिस बारे में सोचते हो, रात को तुम उसके सपने देखोगे।” यह वैसी चीज नहीं है जो इसलिए होती है कि तुम उसके बारे में सोचते हो। पश्चिम के फ्रॉयड या चीन में झोऊ के ड्यूक ने सपनों के बारे में चाहे जो भी व्याख्या की हो, या सपने आखिरकार सच हों या न हों, संक्षेप में कहें, तो सपनों का मामला मानव शरीर की कुछ अचैतन्य संवेदनाओं और जागरूकताओं से जुड़ा हुआ है, और उसके रहस्यों का एक अंश है। पश्चिम में जीवविज्ञान और स्नायुविज्ञान का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिक इस पर शोध करते रहे हैं, लेकिन आखिर में वे मानव स्वप्नों के उद्गम को समझने में कामयाब नहीं हुए। वे इसे समझ नहीं सकते, तो क्या हमें इस पर शोध करने की कोशिश करनी चाहिए? (हमें नहीं करनी चाहिए।) हम क्यों न करें? (इन पर शोध करना निरर्थक है, और वैसे भी हम उन्हें नहीं समझ पाएँगे।) बात यह नहीं है कि यह निरर्थक है या हम इसे नहीं समझेंगे; हमें शोध नहीं करनी चाहिए क्योंकि इसका सत्य से संबंध नहीं है, बस इतनी-सी बात है। इसका अध्ययन कर और इसे समझ कर तुम क्या हासिल कर लोगे? क्या सत्य से इसका संबंध है? (नहीं, संबंध नहीं है।) यह बस एक घटना है जो शरीर के जीवन काल में होती है, और लोगों के जीवन में यह अक्सर होती है। लेकिन लोग इसका अर्थ नहीं जानते। यह रहस्य का एक हिस्सा है। लोगों को इस पर शोध करने या जाँचने-खोजने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इसका सत्य से संबंध नहीं है, और यह उन पथों से भी जुड़ा हुआ नहीं हैं जिन पर लोग चलते हैं। चाहे तुम रात में अपने दाँत खोने का सपना देखो, चाहे तुम शानदार दावत के मजे लेने या रोलरकोस्टर पर सवार होने का सपना देखो, क्या इसका इस बात से कोई लेना-देना है कि दिन के दौरान तुम्हारा जीवन कैसा था? (नहीं, बिल्कुल नहीं है।) अगर एक रात तुम किसी से लड़ने के बारे में सपना देखते हो, तो क्या इसका अर्थ है कि दिन में तुम जरूर किसी से लड़ोगे? अगर एक रात तुम्हें सुखद, खुशनुमा सपना आता है और तुम खुशी-खुशी जाग जाते हो, तो क्या दिन में सब कुछ आसानी से, मनचाहे ढंग से होने की गारंटी होगी? क्या इसका यह अर्थ है कि दिन के दौरान तुम सत्य को समझ सकोगे और काम करते समय सत्य सिद्धांत पा सकोगे? (नहीं, यह अर्थ नहीं है।) तो सपने देखने का सत्य से कोई लेना-देना नहीं है। इस पर शोध करने की जरूरत नहीं है। क्या तुम्हारे दाँतों के गिरने और खून निकलने का किसी निकट के रिश्तेदार की मृत्यु से कोई संबंध है? (नहीं, कोई संबंध नहीं है।) तुम हमेशा ऐसी अनाड़ी बातें क्यों करते हो? तुम फिर से अनाड़ी बन रहे हो, है कि नहीं? तुममें अंतर्दृष्टि नहीं है। मानव शरीर एक रहस्य है, और ऐसी बहुत-सी चीजें हैं, जिन्हें तुम समझा नहीं सकते। क्या तुम इन सबको एक सरल-सा “नहीं” कहकर सुलझा सकते हो? अतीत में, नबियों और परमेश्वर द्वारा चुने हुए लोगों को भी पैगंबरी सपने आते थे। उन सपनों की महत्ता थी। तुम इस बात को कैसे समझा सकते हो कि लोगों के सामने चीजों का खुलासा करने के लिए परमेश्वर सपनों का प्रयोग करता था? फिर परमेश्वर ने उनके सपनों में प्रवेश कैसे किया? ये सब रहस्य हैं। लोगों को कुछ चीजें बताने, कुछ मामलों में प्रबुद्ध करने, और कुछ घटनाओं के होने से पहले ही उनका पूर्वानुमान लगाने के लिए भी परमेश्वर ने सपनों का प्रयोग किया। तुम इसे कैसे समझाओगे? क्या तुम लोग इन बातों से अनजान हो? (हाँ।) अब, यहाँ बात यह नहीं है कि तुम दैनिक जीवन की उन तमाम समझाई न जा सकने वाली घटनाओं को नकार दो जो अभेद्य रहस्यों से जुड़ी हैं, मुख्य यह है कि तुम उन्हें सही ढंग से समझो और देखो। यह इस बारे में नहीं है कि तुम ऐसी चीजों को यह कह कर निरंतर झुठला दो कि इनका अस्तित्व नहीं है, ऐसी चीज होती ही नहीं, या ये नामुमकिन हैं, बल्कि यह इस बारे में है कि तुम उनसे सही ढंग से पेश आओ। उनसे सही ढंग से पेश आने का क्या अर्थ है? इसका अर्थ है कि इन बातों को अंधविश्वासी या अतिवादी विचारों और नजरियों से न देखा जाए जैसा कि सांसारिक लोग करते हैं, न ही उन्हें उन लोगों की तरह देखना है जो नास्तिक हैं या जिनमें जरा भी आस्था नहीं है। यह तुम्हें इन दो अतियों की ओर ले जाने के लिए नहीं है, बल्कि तुम्हें दैनिक जीवन में होने वाली इन घटनाओं पर विचार करने के लिए सही स्थिति और दृष्टिकोण रखने देने के लिए है, सांसारिक लोगों या छद्म-विश्वासियों वाला रवैया नहीं, बल्कि वह दृष्टिकोण रखने देने के लिए है जो परमेश्वर के एक विश्वासी को रखना चाहिए। तो तुम्हें इन मामलों में कौन-सा दृष्टिकोण रखना चाहिए? (कुछ भी हो जाए, परमेश्वर की संप्रभुता और व्यवस्था को समर्पित हो जाओ, उस पर शोध मत करो।) तुम्हें इस पर शोध नहीं करना चाहिए, लेकिन क्या तुम्हें इस बारे में थोड़ी समझ होनी चाहिए? मान लो कोई कहे, “अमुक व्यक्ति ने सपना देखा कि उसके दाँत गिर गए और खून निकला, और कुछ ही दिनों बाद मैंने सुना कि उसके पिता की मृत्यु हो गई।” अगर तुम फौरन इसे नकार कर कहोगे, “नामुमकिन! यह महज अंधविश्वास है, एक संयोग है। अंधविश्वास किसी चीज में इसलिए यकीन करना है क्योंकि तुम उससे आसक्त हो; अगर तुम उससे आसक्त नहीं होते, तो वह होता ही नहीं,” क्या ऐसा कहना बेवकूफी है? (हाँ।) तो फिर तुम्हें इस मामले को किस तरह देखना चाहिए? (हमें समझना चाहिए कि भौतिक शरीर के अनेक रहस्य हैं, और दाँत गिरने और खून निकलने के बारे में सपना देखना शायद किसी दुखद घटना के होने का संकेत हो। लेकिन यह घटना घटे चाहे न घटे, हमें परमेश्वर की संप्रभुता और व्यवस्था के प्रति समर्पण करना चाहिए।) तुम लोगों ने अभी-अभी आँख फड़कने से कुछ सीखा, तो तुम्हें दाँत गिरने और खून निकलने के बारे में देखे सपने से कैसे निपटना चाहिए? तुम्हें कहना चाहिए, “यह मामला हमारी समझ से परे है। असल जीवन में, यह घटना सचमुच में होती है। हम यह तय नहीं कर सकते कि क्या यह साकार होगी या यह कोई अपशकुन है, लेकिन ऐसी बुरी चीजें असल जीवन में जरूर होती हैं। आध्यात्मिक क्षेत्र के मामले हमारी समझ से बाहर होते हैं, और हमें अंधाधुंध दावे करने की हिम्मत नहीं करनी चाहिए। अगर मुझे कोई ऐसा सपना आए, तो मेरा रवैया क्या होना चाहिए? सपना चाहे जो हो, मैं उससे लाचार नहीं होऊँगा। अगर यह सपना सचमुच साकार हो गया, जैसा कि लोग कहते हैं, तो मुझे मानसिक रूप से तैयार करने और ऐसा कुछ होने के बारे में बताने के लिए परमेश्वर को धन्यवाद दूँगा। मैंने इस बारे में कभी नहीं सोचा है कि परिवार के किसी सदस्य या अपने माता-पिता के निधन से क्या मैं प्रभावित होऊँगा : क्या मुझे आघात पहुँचेगा, क्या मेरा कर्तव्य निर्वहन प्रभावित होगा, क्या मैं कमजोर महसूस करूँगा या परमेश्वर के खिलाफ शिकायत करूँगा—मैंने कभी भी इस बारे में नहीं सोचा है। लेकिन आज इस वाकये ने मुझे इसका इशारा दिया है, मुझे अपना वास्तविक आध्यात्मिक कद देखने दिया है। जब मैं अपने माता-पिता की मृत्यु के बारे में सोचता हूँ, तो कहीं भीतर बहुत गहरी पीड़ा महसूस होती है; मैं इससे बेबस हो जाता हूँ, अवसाद-ग्रस्त महसूस करता हूँ। एकाएक मुझे एहसास होता है कि मेरा आध्यात्मिक कद बहुत छोटा है। परमेश्वर को समर्पण करने वाला मेरा दिल बहुत छोटा है और उसी तरह परमेश्वर में मेरी आस्था भी बहुत कम है। मुझे लगता है कि आज से मुझे खुद को और ज्यादा सत्य से लैस करना चाहिए, परमेश्वर को समर्पित होना चाहिए, और इस मामले से विवश नहीं होना चाहिए। अगर किसी निकट संबंधी का सचमुच निधन हो जाता है, या वह चला जाता है, तो भी मैं उससे बेबस नहीं होऊँगा। मैं तैयार हूँ और मैं परमेश्वर से मार्गदर्शन करने और मेरी शक्ति बढ़ाने की विनती करता हूँ। आगे चाहे जो भी हो, मुझे अपना कर्तव्य करने को चुनने का पछतावा नहीं होगा, न ही मैं तन-मन से परमेश्वर के लिए खुद को खपाना छोड़ दूँगा। मैं डटा रहूँगा, और मैं पहले की ही तरह परमेश्वर के आयोजनों और व्यवस्थाओं को स्वेच्छा से समर्पित होता रहूँगा।” इसके बाद, तुम्हें अपने दिल में अक्सर प्रार्थना करनी चाहिए, परमेश्वर से मार्गदर्शन खोजना और उससे विनती करनी चाहिए कि वह तुम्हारी शक्ति बढ़ा दे जिससे तुम अब इस मामले से विवश न रहो। चाहे किसी निकट संबंधी की मृत्यु हो या न हो, तुम्हें इसके लिए अपने आध्यात्मिक कद को तैयार रखना चाहिए, यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जब ऐसी घटना हो, तो तुम कमजोर न पड़ो, परमेश्वर के खिलाफ शिकायत न करो, और परमेश्वर के लिए तन-मन से खपने के अपने संकल्प और अपनी इच्छा को न बदलो। क्या तुम्हें यह रवैया नहीं अपनाना चाहिए? (हाँ।) अपने दाँत गिरने का सपना देखने जैसी बातें आने पर तुम्हें उनके अस्तित्व को नकारना नहीं चाहिए, या उन्हें दरकिनार कर उनकी अनदेखी नहीं करनी चाहिए, और तुम्हें उनसे निपटने के लिए निश्चित रूप से कोई अजीबोगरीब या आत्मरक्षा के तरीके इस्तेमाल नहीं करने चाहिए। इसके बजाय तुम्हें सत्य खोजना चाहिए, परमेश्वर के आयोजनों को स्वीकार कर उसके समक्ष आना चाहिए; और निरर्थक त्याग या मूर्खतापूर्ण चुनाव नहीं करने चाहिए। जब अनाड़ी और जिद्दी लोगों का किसी ऐसी चीज से सामना होता है जिसका उन्होंने पहले अनुभव नहीं किया है और जिसे वे नहीं समझ सकते, तब वे यूँ कह सकते हैं, “ऐसी कोई चीज नहीं होती,” “यह कुछ नहीं है,” “इसका अस्तित्व नहीं है,” या “यह महज अंधविश्वास है।” परमेश्वर में विश्वास रखने वाले कुछ लोग यह भी कहते हैं, “मैं परमेश्वर में विश्वास रखता हूँ, भूतों में नहीं,” या “मैं परमेश्वर में विश्वास रखता हूँ, शैतान में नहीं। शैतान है ही नहीं!” वे परमेश्वर में अपनी सच्ची आस्था साबित करने के लिए इन वक्तव्यों का प्रयोग करते हैं, और कहते हैं कि वे केवल परमेश्वर में विश्वास रखते हैं, भूत-प्रेत, दुष्ट आत्माओं, आत्मा के वश में होने या आध्यात्मिक क्षेत्र के अस्तित्व में भी विश्वास नहीं रखते। क्या वे बस छद्म-विश्वासी नहीं हैं? (हाँ, जरूर हैं।) वे गैर-विश्वासियों के संसार के उन पारंपरिक विचारों की कहावतों को स्वीकार नहीं करते, न ही वे अंधविश्वास से जुड़े अंधविश्वासी स्पष्टीकरणों या किन्हीं तथ्यों को स्वीकार करते हैं। इन चीजों में विश्वास न रखने का यह अर्थ नहीं है कि ये होती नहीं हैं। फिलहाल यह तुम्हें यकीन न करने या इन चीजों से बचने या उन्हें नकारने का आग्रह करने के बारे में नहीं है। इसके बजाय यह तुम्हें इन मामलों का सामना करते समय सही विचार और नजरिये रखना, सही चुनाव करना और सही रवैया अपनाना सिखाने के बारे में है। यह तुम्हारा सच्चा आध्यात्मिक कद होगा और तुम्हें इसी में प्रवेश करना चाहिए। मिसाल के तौर पर, किसी को अपने सिर के बाल खो देने का सपना आता है। सपने में बाल खो देना भी अशुभ माना जाता है। उससे जुड़ी व्याख्याएँ या साकार घटनाएँ चाहे जो भी हों, संक्षेप में कहें तो लोग ऐसे सपनों के बारे में नकारात्मक व्याख्याएँ करते हैं, और मानते हैं कि यह कुछ बुरा या दुर्भाग्यपूर्ण होने का संकेत है। साधारण सपनों को छोड़कर जो किसी अहम मसले से जुड़े नहीं होते, उन विशेष सपनों की कुछ खास व्याख्याएँ होती हैं, और ये व्याख्याएँ कुछ खास घटनाओं की भविष्यवाणी करती हैं, लोगों को कुछ पूर्वानुमान, चेतावनी या पूर्वसूचना देती हैं, उन्हें जानने देती हैं कि भविष्य में क्या होने वाला है या उन्हें कुछ जागरूकता देती हैं जिससे लोग जान जाते हैं कि क्या होने वाला है ताकि वे खुद को मानसिक रूप से तैयार कर सकें। चाहे जो भी होने वाला हो, तुम्हें बचने, ठुकराने, आत्मरक्षा या प्रतिरोध का रवैया नहीं अपनाना चाहिए, या इन हालात को दूर करने के लिए इंसानी तरीकों के प्रयोग का रवैया भी नहीं अपनाना चाहिए। जब तुम्हारा ऐसी स्थितियों से सामना हो, तो तुम्हें और अधिक तत्परता से परमेश्वर के समक्ष आना चाहिए और उससे अपनी अगुआई करने की विनती करनी चाहिए, ताकि आसन्न घटनाओं के सामने तुम अपनी गवाही में दृढ़ रह सको, और परमेश्वर के इरादों के अनुरूप अभ्यास कर सको, बजाय इसके कि उसे ठुकराओ और उसका प्रतिरोध करो। तुम्हें इस तरह अभ्यास करने को कहने का यह अर्थ नहीं है कि तुम्हें इन चीजों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए; यह सिखाता है कि जब ऐसी घटनाएँ अनिवार्य रूप से हो जाती हैं तो तुम्हें इनका सामना करने के लिए कैसा रवैया अपनाना चाहिए, और उन्हें दूर करने के लिए कैसा दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। तुम्हें यह बात समझनी चाहिए। मुझे बताओ, तुम्हें इन चीजों पर ध्यान न देने को कहा गया है, लेकिन क्या ये चीजें दैनिक जीवन में नहीं होतीं? (जरूर होती हैं।) अगर तुम कहते हो कि ये नहीं होतीं, और फिर वे सचमुच हो जाएँ, तो तुम शायद इस पर विचार कर सोचने लगो, “नहीं नहीं, मुझे यह मानना पड़ेगा, यह सच में सही हो गई!” जब ये चीजें हो जाती हैं और इस बारे में कोई पूर्व तैयारी और सही रवैया नहीं होता, तो तुम हक्का-बक्का हो जाओगे, तुम किसी तरह तैयार नहीं होगे, और नहीं जानोगे कि परमेश्वर से कैसे प्रार्थना करें या स्थिति का सामना कैसे करें, और तुम्हारे भीतर परमेश्वर में सच्ची आस्था या उसके प्रति सच्चा समर्पण नहीं होगा। अंत में तुम बस डर महसूस करोगे। तुम जितना ज्यादा डरोगे, उतना ही परमेश्वर की मौजूदगी खो दोगे; परमेश्वर की मौजूदगी खो देने पर तुम सिर्फ दूसरे लोगों से मदद माँग सकोगे, और तुम बचने के तमाम इंसानी तरीकों के बारे में सोचोगे। जब तुम बच कर नहीं निकल सकोगे, तो यह मानने लगोगे कि परमेश्वर अब भरोसेमंद या विश्वसनीय नहीं रहा; इसके बजाय तुम्हें लगेगा कि लोग भरोसेमंद हैं। चीजें बदतर होती जाएँगी; न सिर्फ तुम अब इसे अंधविश्वास नहीं मानोगे, बल्कि इसे एक भयंकर चीज के रूप में देखोगे, ऐसी स्थिति जो तुम्हारे नियंत्रण में नहीं है। तब शायद तुम कहो, “कोई ताज्जुब नहीं कि गैर-विश्वासी और बौद्ध धर्म में विश्वास रखने और बुद्ध की आराधना करने के लिए अगरबत्ती जलाने वाले लोग निरंतर मंदिर जाते हैं, अगरबत्ती जलाते हैं, आशीषों के लिए प्रार्थना करते हैं, मन्नतें पूरी करते हैं, शाकाहारी हो जाते हैं और बौद्ध धर्मग्रंथों का जाप करते हैं। अब पता चला कि ये चीजें सचमुच काम करती हैं!” न सिर्फ तुममें परमेश्वर के प्रति सच्चे समर्पण और उसमें आस्था का अभाव हो जाएगा, बल्कि इसके बजाय तुम्हारे भीतर दुष्ट आत्माओं और शैतान का डर पैदा हो जाएगा। इसके बाद, तुम कुछ हद तक उनकी आज्ञा मानने को बाध्य हो जाओगे, और कहोगे, “इन दुष्ट आत्माओं से भिड़ना नहीं चाहिए; उनमें विश्वास न करना तुम्हारे लिए अच्छा नहीं है, तुम्हें उनके आसपास सावधानी से रहना चाहिए। तुम उनकी पीठ पीछे जो चाहो नहीं बोल सकते : कुछ प्रतिबंध होते हैं। इन दुष्ट आत्माओं को छेड़ना नहीं चाहिए!” तुम्हें एकाएक एहसास होगा कि इन घटनाओं के पीछे, भौतिक संसार से परे कुछ शक्तियाँ हैं जिनके होने की तुम्हें उम्मीद नहीं थी। जब तुम्हें इन चीजों का आभास होने लगता है, तो तुम्हारे दिल में भय और परमेश्वर से बचाव की भावना घर कर जाएगी और परमेश्वर में तुम्हारी आस्था घट जाएगी। तो दाँतों या बालों के गिरने के बारे में सपना देखने की बात पर तुम्हें सही रवैया अपनाना चाहिए। तुम्हारे साथ इन घटनाओं के हो जाने पर, इनसे जुड़ी विशेष व्याख्याएँ या भविष्यवाणियाँ चाहे जो हों, तुम्हें बस इतना ही करना है : विश्वास कर लो कि सब-कुछ परमेश्वर के हाथों में है, और परमेश्वर के आयोजनों और व्यवस्थाओं के प्रति समर्पण करने को तैयार हो जाओ—इन तमाम चीजों का सामना होने पर तुम्हें यही रवैया अपनाना चाहिए। परमेश्वर का अनुसरण करने वाले व्यक्ति के रूप में तुम्हें यह दृष्टिकोण अपना कर यह गवाही देनी चाहिए, है कि नहीं? (हाँ, बिल्कुल।) यकीन करो कि ये तमाम चीजें हो सकती हैं, और सब-कुछ परमेश्वर के हाथों में है; तुम्हें यही रवैया बनाए रखना चाहिए।

कुछ लोगों के लिए कुछ संख्याएँ या खास दिन निषिद्ध होते हैं। मिसाल के तौर पर, अनेक वर्षों से व्यापार में लगे हुए कुछ लोग धन-दौलत कमाने को खासी अहमियत देते हैं, इसलिए वे व्यापार में दौलत कमाने से जुड़ी संख्याओं को पसंद करते और उन्हें मूल्य देते हैं और ऐसी संख्याओं से दूर रहते हैं जो उनकी मान्यता के अनुसार उनके व्यापार में बदकिस्मती लाएँगी। उदाहरण के लिए, कोई व्यक्ति खास तौर से संख्या 6 और 8 को तरजीह देता है, उसकी दुकान की संख्या होगी 168, और दुकान का नाम होगा “यी लू फा,” यानी बेहद अमीर होना, मैंडेरिन में जिसका उच्चारण, संख्या 1, 6 और 8,[क] के समान होता है, जो कि चीनी लोककथाओं में भाग्यशाली संख्याएँ हैं। दूसरी ओर, संख्या 4 और 5 चीनी परंपरा में बुरे माने जाते हैं, क्योंकि 4 का अर्थ मृत्यु होता है और 5 का अर्थ होता है शून्य, अभाव, या खालीपन, जिसका निहितार्थ है कि व्यक्ति शायद अपना मूल निवेश भी वापस न पा सके, या पैसा न कमा सके। कुछ चीनी लोगों की कारों की नंबर प्लेटों पर भी सारी संख्याएँ 6 ही होती हैं। और अगर तुम संख्या 6 की कतार देखो, तो मूल रूप से यह चीनी व्यक्ति की ही होगी। कौन जाने उसने इतनी 6 संख्याओं का प्रयोग कर कितनी दौलत जमा कर रखी है? एक बार एक पार्किंग स्थल में पार्किंग की लगभग सारी जगहें भरी हुई थीं, सिर्फ एक को छोड़ कर जिसका नंबर था 64। क्या तुम जानते हो कि उस स्थान में किसी ने अपनी गाड़ी क्यों नहीं लगाई? (64 का अर्थ मृत्यु हो सकता है और इसे दुर्भाग्यपूर्ण माना जाता है।) 64 का अर्थ सड़क पर मौत है। तब मैं नहीं जानता था कि किसी ने उस जगह अपनी गाड़ी क्यों नहीं लगाई, लेकिन बाद में मैंने यह बात गैर-विश्वासियों से सुनी और तब समझा। मैंडेरिन में 6 सुनने में “सड़क” जैसा लगता है, 4 “मृत्यु” जैसा और 64 “सड़क पर मृत्यु” जैसा, इसलिए लोगों ने वहाँ गाड़ी नहीं लगाई। मेरा अनुमान है कि शायद बाद में उन्होंने उस पार्किंग स्थान का नंबर बदल कर 68 कर दिया, जो मैंडेरिन में सुनने में “बहुत अमीर होने” जैसा लगता है। लोग पैसे से इतने ज्यादा आसक्त हैं कि वे पूरी तरह पैसे से ग्रस्त हो चुके हैं। क्या कोई संख्या कुछ भी बदल सकती है? इन संख्याओं के बारे में चीनी लोगों की कहावतों ने विदेशियों को भी प्रभावित कर दिया है। जब हम घर देख रहे थे, तो एक रियल एस्टेट एजेंट ने हमसे पूछा, “क्या कुछ खास संख्याएँ आपके लिए निषिद्ध हैं? मिसाल के तौर पर, अगर घर का नंबर 14 हो, तो क्या यह 4 के कारण खराब है?” मैंने कहा, “मैंने इस बारे में कभी सोचा नहीं है। मुझे इस कहावत का पता नहीं।” उसने कहा, “बहुत-से चीनी लोग घर के नंबर में संख्या 4 होने की वजह से उस पर विचार नहीं करते।” मैंने कहा, “हमारे लिए कोई भी संख्या निषिद्ध नहीं है। हम सिर्फ घर की दिशा, स्थान, रोशनी, हवादार होने, घर की संरचना, गुणवत्ता, और ऐसी ही दूसरी चीजों पर विचार करते हैं। हम संख्याओं की परवाह नहीं करते; हमारे लिए कुछ भी निषिद्ध नहीं है।” तो क्या तुम सोचते हो कि अगर गैर-विश्वासियों के मन में कुछ विशेष संख्याओं को लेकर प्रतिबंध हो, तो जरूर कुछ बुरा होगा? (जरूरी नहीं।) हमें दक्षिण कोरिया, जापान, फिलिप्पीन्स जैसे चीन से बाहर के दूसरे देशों या कुछ दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के बारे में नहीं मालूम कि संख्याओं को लेकर उनकी खास सोच क्या हो सकती है। संक्षेप में कहें, तो हर देश के लोग कुछ संख्याओं को लेकर खास सोच रखते हैं। मिसाल के तौर पर, अमेरिकी लोग संख्या 6 में बिल्कुल भी रुचि नहीं रखते। पश्चिमी लोग एक खास धार्मिक संस्कृति के कारण 6 को पसंद नहीं करते, क्योंकि बाइबल की प्रकाशितवाक्य पुस्तक में जिक्र की गई संख्या 6 का अर्थ नकारात्मक है। एक संख्या 13 भी है, जिसे पश्चिमी लोग पसंद नहीं करते। बहुत-सी लिफ्टों में मंजिल की वह संख्या नहीं होती, क्योंकि वे उस संख्या को दुर्भाग्यपूर्ण मानते हैं। दूसरी ओर, चीनी लोग मानते हैं कि 6 और 8 भाग्यशाली संख्याएँ हैं। तो फिर कौन-सी कहावत सत्य है? (कोई भी नहीं।) क्या तुम लोग कुछ विशेष संख्याओं की परवाह करते हो? क्या तुम्हारी अपनी कोई भाग्यशाली संख्या है? (नहीं, हम परवाह नहीं करते।) चलो, अच्छी बात है। दक्षिण चीनी लोग ऐसी चीजों पर खास ध्यान देते हैं जैसे संख्या भाग्यशाली है या नहीं, वे अपने किसी भी काम के लिए सही तारीख चुनते हैं, और त्योहारों के दौरान भोजन की पाबंदियों का पालन करते हैं—वे इस बात पर खास ध्यान देते हैं। लेकिन संख्याओं की बात यकीनन सभी चीजों को स्पष्ट नहीं कर सकती। कुछ संख्याओं से लोगों का दूर रहना कुछ हद तक उनके विश्वास, कल्पनाओं, विचारों और धारणाओं से जुड़ा होता है। ये सभी मूर्खतापूर्ण विचार और नजरिये हैं। अगर तुम्हारे परिवार ने तुम्हारे भीतर ऐसे विचार और नजरिये पिरोये हैं, तो तुम्हें उन्हें जाने देना चाहिए, और उन पर यकीन नहीं करना चाहिए। ये विचार और भी ज्यादा बेतुके हैं—वे अंधविश्वास भी नहीं हैं—ये समाज के धनलोलुप लोगों की हास्यास्पद और वाहियात कहावतें हैं।

कुछ लोग राशि चिह्नों को बड़ी अहमियत देते हैं, और इस मामले से अंधविश्वास जुड़ा हुआ है। आजकल, पश्चिमी लोग भी राशि चिह्नों की बात करते हैं, तो यह मत सोचो कि सिर्फ एशियाई लोग ही इनके बारे में जानते हैं। पश्चिमी लोग भी खरगोश, बैल, चूहे और घोड़े के बारे में जानते हैं। इसके अलावा और क्या? सांप, ड्रैगन, मुर्गा, और भेड़, सही है न? मिसाल के तौर पर, पूर्वज और माता-पिता अगली पीढ़ियों तक यह विश्वास पहुँचा देते हैं कि मेष राशि चिह्न वाले लोगों का जीवन अंधकारमय होता है। अगर तुम मेष राशि के हो, तो सोच सकते हो, “मेरा जीवन अंधकारमय है, मेरा पाला हमेशा दुर्भाग्य से पड़ता है। मेरी जीवनसाथी बुरी है, मेरे बच्चे आज्ञाकारी नहीं हैं और मेरी नौकरी ठीक नहीं चल रही है। मुझे कभी तरक्की नहीं मिलती, कभी कोई बोनस नहीं मिलता। मैं हमेशा अभागा रहता हूँ। अगर मेरा एक और बच्चा हुआ तो वह मेष वर्ष में नहीं होगा। परिवार में पहले से एक सदस्य है जिसकी राशि मेष है, और जिसका जीवन बहुत अंधकारमय है; अगर मैंने मेष राशि वाले एक और को जन्म दिया, तो हम दो लोग हो जाएँगे। हम इस तरह कैसे जी सकेंगे?” तुम यह सोच कर इस मामले पर विचार करते हो, “निश्चित रूप से मैं मेष वर्ष में बच्चा नहीं कर सकता, तो मुझे किस राशि वर्ष का लक्ष्य करना चाहिए? ड्रैगन? साँप? बाघ?” अगर तुम ड्रैगन के वर्ष में पैदा हुए होते, तो क्या इसका अर्थ होता कि तुम वास्तव में ड्रैगन हो? क्या तुम सचमुच सम्राट बन सकते हो? क्या यह बकवास नहीं है? क्या तुम लोगों को ये राशि चिह्न चाहिए? कुछ लोग कहते हैं, “खरगोश के राशि वर्ष और मुर्गे के राशि वर्ष में जन्मे लोगों की आपस में नहीं बनती। मैं खरगोश हूँ, तो मुझे ऐसे किसी से बातचीत नहीं करनी चाहिए जो मुर्गा हो। हमारे राशि चिह्न बेमेल हैं, और हमारी नियति में टकराव है। मेरे माता-पिता कहते हैं कि हम जैसे लोग एक-दूसरे से शादी के अनुकूल नहीं हैं और हमारी आपस में नहीं बनेगी। उनसे बहुत कम संपर्क रखना, बात न करना और मेलजोल न रखना ही बढ़िया है। हमारी नियति में टकराव है, अगर हम साथ होंगे तो मैं इनसे हार जाऊँगा और मेरा जीवन छोटा हो जाएगा, है कि नहीं? मुझे ऐसे लोगों से दूर रहने की जरूरत है।” ये लोग इन कहावतों से प्रभावित हो जाते हैं। क्या यह बेवकूफी नहीं है? (हाँ, जरूर है।) संक्षेप में कहें, तो किसी खास राशि चिह्न के किसी व्यक्ति से तुम्हारी नियति का टकराव हो या न हो, क्या यह तुम्हारे भाग्य पर सचमुच असर डालेगा? क्या यह जीवन में तुम्हारे सही पथ पर चलने को प्रभावित करेगा? (नहीं, यह नहीं करेगा।) कुछ लोग सिर्फ ऐसे ही व्यक्ति के साथ काम करने, सहभागी बनने या साथ जीने को तैयार होते हैं जो उनके राशि चिह्न के अनुकूल हों। अवचेतन मन से, वे भीतर गहराई से इन कहावतों से प्रभावित रहते हैं, और उनके पूर्वजों या माता-पिता द्वारा आगे बढ़ाई गई ये कहावतें उनके दिलों में एक निश्चित स्थान रखती हैं। देखो, पूर्वी लोग राशि चिह्नों की परवाह करते हैं, जबकि पश्चिमी लोग ज्योतिष चिह्नों की परवाह करते हैं। अब, जमाने के साथ चल रहे पूर्वी लोग भी ज्योतिष चिह्नों की बात करने लगे हैं, जैसे कि वृश्चिक, कन्या, धनुष, वगैरह-वगैरह। मिसाल के तौर पर, धनुष राशि के व्यक्ति को पता चलता है कि उसका व्यक्तित्व किस प्रकार का है, और वह किसी खास ज्योतिष चिह्न के लोगों से ही मेल-जोल रख सकता है। जब उसे पता चलता है कि किसी का ज्योतिष चिह्न वही खास चिह्न है, तो वह उनसे बातचीत करने को तैयार हो जाता है, उसे लगता है कि वे बहुत अच्छे हैं और उसके मन में उनकी अच्छी छवि होती है। वह परिवार द्वारा दी गई शिक्षा की परंपराओं से भी प्रभावित है। चाहे वे पूर्वी राशि चिह्न हों या पश्चिमी ज्योतिष चिह्न, नियति में टकराव या चिह्नों के मेल का तथ्यात्मक अस्तित्व हो या न हो, और चाहे इनका तुम पर असर हो या न हो, तुम्हें समझना चाहिए कि उनको लेकर तुम्हारा नजरिया क्या हो। तुम्हें क्या समझना चाहिए? किसी व्यक्ति के जन्म का समय, उसका जन्म दशक, उसका जन्म माह और समय—ये सब उसकी नियति से संबद्ध होते हैं। भविष्यवक्ता या चेहरा पढ़ने वाले तुम्हारी नियति के बारे में चाहे जो कहें, तुम्हारा ज्योतिष चिह्न या राशि चिह्न अच्छा हो या न हो, वे चाहे जितने भी सही हों, क्या फर्क पड़ता है? इससे क्या स्पष्ट होता है? क्या यह और ज्यादा साबित नहीं करता कि तुम्हारी नियति परमेश्वर ने पहले ही व्यवस्थित कर दी है? (हाँ।) तुम्हारी शादी कैसी होगी, तुम कहाँ रहोगे, तुम्हारे आसपास कैसे लोग होंगे, अपने जीवन में तुम कितनी भौतिक दौलत का मजा लोगे, तुम अमीर होगे या गरीब, तुम कितने कष्ट सहोगे, तुम्हारे कितने बच्चे होंगे, तुम्हारी आर्थिक हालत कैसी होगी—ये सब पहले ही निर्धारित कर दिए गए हैं। तुम इस पर विश्वास करो या न करो, भविष्यवक्ता तुम्हारे लिए इसका हिसाब करें या न करें, यह नहीं बदलेगा। क्या ये चीजें जानना जरूरी है? कुछ लोग यह जानने को खासे उत्सुक होते हैं, “भविष्य में मेरा भाग्य कैसा होगा? मैं गरीब रहूँगा या अमीर? क्या मैं ऐसे लोगों से मिलूँगा जिनसे मेरा फायदा हो? क्या ऐसे कुछ लोग हैं जिनकी नियति का मेरी नियति से टकराव होगा? क्या अपने जीवन में मेरा सामना कुछ विपरीत लोगों से होगा? किस उम्र में मेरी मृत्यु होगी? क्या मैं बीमारी, थकान, प्यास या भूख से मर जाऊँगा? मेरी मृत्यु किस प्रकार होगी? यह दर्दनाक होगी या शर्मिंदा करने वाली?” क्या ये चीजें जानना उपयोगी है? (नहीं।) सारांश में, इस मामले को लेकर तुम्हारे मन में बस एक चीज पक्की होनी चाहिए : सब-कुछ परमेश्वर द्वारा निर्धारित होता है। तुम्हारा राशि चिह्न या ज्योतिष चिह्न चाहे जो हो, तुम्हारे जन्म का समय और तिथि चाहे जो हो, सब-कुछ परमेश्वर द्वारा पहले ही निर्धारित है। चूँकि सब-कुछ निर्धारित है, ठीक इसीलिए अपने जीवन में जिस समृद्धि और धन-दौलत का अनुभव तुम करोगे, और साथ ही वह माहौल जिसमें तुम जियोगे, इन सबका निर्धारण परमेश्वर ने तुम्हारे पैदा होने से पहले ही कर दिया था, तुम्हें इन मामलों को अंधविश्वास या सांसारिक लोगों के नजरिये से नहीं देखना चाहिए, और दुर्भाग्यपूर्ण पलों से बचने या भाग्यशाली पलों को संरक्षित करने या बनाए रखने के ऐसे तरीके नहीं अपनाने चाहिए। तुम्हें नियति से इस तरह नहीं निपटना चाहिए। मिसाल के तौर पर, अगर तुम्हारा एक खास उम्र में किसी गंभीर रोग से ग्रस्त होना नियत है, और तुम्हारे ज्योतिष चिह्न, राशि चिह्न या जन्म के समय के आधार पर चेहरा पढ़ने वाले इस ओर तुम्हारा ध्यान खींचें, तब तुम क्या करोगे? क्या तुम भयभीत हो जाओगे, या मामले को सुलझाने का तरीका ढूँढ़ने की कोशिश करोगे? (प्रकृति को अपना काम करने दूँगी और परमेश्वर के आयोजन को समर्पित हो जाऊँगी।) लोगों को यही रवैया अपनाना चाहिए। तुम्हारी नियति में जो लिखा है या जो नहीं लिखा, यह सब परमेश्वर ने पूर्व-निर्धारित कर दिया है। तुम इसे पसंद करो या न करो, तुम इसे स्वीकार करने को तैयार हो या न हो, तुममें इसका सामना करने की क्षमता हो या न हो, किसी भी स्थिति में, सब-कुछ परमेश्वर द्वारा पहले ही निर्धारित है। तुम्हें जो रवैया अपनाए रखना चाहिए वह एक सृजित प्राणी के रूप में इन तथ्यों को स्वीकार करने का है। यह हुआ हो या न हुआ हो, तुम इसका सामना करने को तैयार हो या न हो, तुम्हें एक सृजित प्राणी के रूप में इसे स्वीकार कर इसका सामना करना चाहिए, बजाय इसके कि ज्योतिषशास्त्र, राशि चिह्नों, चेहरा पढ़ने से जुड़ी चीजों पर दूसरों से परामर्श लेने का प्रयास करो, या विविध संसाधनों की तलाश करने की कोशिश करो ताकि जान सको कि तुम्हारे भविष्य में क्या होगा और जितनी जल्दी हो सके उससे बच सको। परमेश्वर द्वारा तुम्हारे लिए व्यवस्थित भाग्य और जीवन के साथ ऐसे रवैये से पेश आना गलत है। कुछ लोगों के माता-पिता उनके लिए भविष्यवक्ता तलाशते हैं, जो उन्हें बताता है, “तुम्हारे ज्योतिष चिह्न, और साथ ही चीनी राशि चिह्न और जन्म के समय के अनुसार तुम अपने जीवन में अग्नि को नहीं आने दे सकते।” यह सुनने के बाद वे इसे याद रखते हैं और इस पर यकीन करते हैं, और बाद में यह उनके दैनिक जीवन का एक सामान्य प्रतिबंध बन जाता है। मिसाल के तौर पर, अगर किसी के नाम में अग्नि का लक्षण है, तो वे उस व्यक्ति से बातचीत नहीं करेंगे, और करेंगे भी तो उसके करीब नहीं होंगे या उससे निकट का संबंध नहीं रखेंगे। वे इससे डरेंगे और दूर रहेंगे। मिसाल के तौर पर, अगर किसी का नाम ली कैन है, तो वे मन में सोचेंगे, “‘कैन’ शब्द में एक मूल ‘अग्नि’ और एक ‘पर्वत’ है : यह बुरा है, और इसमें मूल ‘अग्नि’ है, तो मैं उससे बातचीत नहीं कर सकता—मुझे उससे दूर रहना चाहिए।” वे इस व्यक्ति से बातचीत करने से डरेंगे। जितना हो सके वे घर में रसोई चूल्हे से दूर रहेंगे, वे ऐसे भोज में नहीं जाएँगे जहाँ मोमबत्तियों की सजावट हो, वे ऐसी पार्टियों में शामिल नहीं होंगे जहाँ अलाव जले, या फायरप्लेस वाले घरों में नहीं जाएँगे, क्योंकि सभी से आग जुड़ी है। अगर वे किसी सैर-सपाटे पर जाना चाहते हैं और उन्हें पता चलता है कि किसी एक जगह ज्वालामुखी है, तो वे वहाँ नहीं जाएँगे। जब वे सुसमाचार फैलाने कहीं जाते हैं, तो वे उस व्यक्ति का उपनाम और नाम के बारे में पूछताछ करते हैं जिसे उन्हें सुसमाचार साझा करना है, और यह पक्का करते हैं कि उसके नाम में “अग्नि” का लक्षण नहीं है, लेकिन अगर वह व्यक्ति लोहार हो और घर में लोहा पिघलाकर बर्तन बनाता हो, तो वे उसके यहाँ बिल्कुल नहीं जाते। हालाँकि वे अपनी चेतना में विश्वास करते हैं कि सब-कुछ परमेश्वर के हाथ में है और जानते हैं कि उन्हें नहीं डरना चाहिए, फिर भी किन्हीं निषिद्ध चीजों से सामना होने पर वे चिंतित और भयभीत होने लगते हैं, और वह प्रतिबंध तोड़ने की हिम्मत नहीं करते। वे हमेशा दुर्घटनाएँ और विपत्तियाँ होने से डरते हैं, जिन्हें वे बर्दाश्त नहीं कर सकते। वे परमेश्वर में सच्ची आस्था नहीं रखते। वे आज्ञाकारी हो सकते हैं, कष्ट सह सकते हैं, और दूसरे पहलुओं में कीमत चुका सकते हैं, लेकिन यह एक ऐसा मामला है जिसे वे बर्दाश्त नहीं कर सकते। मिसाल के तौर पर, अगर कोई उन्हें बता दे, “तुम्हें अपने पूरे जीवन में कभी कोई पुल पार नहीं करना चाहिए। अगर तुमने पुल पार किया, तो दुर्घटना हो जाएगी। अगर तुम कई पुल पार करोगे तो वह और ज्यादा खतरनाक होगा और तुम्हारी जान जोखिम में पड़ जाएगी,” तो वे ये बातें याद रखेंगे, और बाद में, काम पर जाते समय, दोस्तों से मिलते समय या सभाओं में शामिल होते समय, प्रतिबंध तोड़ने के डर से वे पुलों से न जाकर लंबा रास्ता पकड़ेंगे। वे नहीं मानते कि उनकी मृत्यु जरूर इसी तरह होगी, मगर यह बात उन्हें परेशान करती रहती है। कभी-कभी, उनके पास पुल पार करने के सिवाय कोई चारा नहीं होता, और पार करने के बाद वे कहते हैं, “मैं मानता हूँ कि सब-कुछ परमेश्वर के हाथों में है। अगर परमेश्वर मुझे मरने न दे, तो मैं नहीं मरूँगा।” लेकिन, यह कहावत उनके मन को अभी भी परेशान करती रहती है और वे इसे झटक नहीं पाते। कुछ लोग कहते हैं कि पानी उनके भाग्य के विपरीत बहता है, तो वे जलधाराओं या कुँओं के पास नहीं जाते। एक बहन के घर के अहाते में एक स्विमिंग पूल था, इसलिए सभाओं के लिए वे उसके घर नहीं जाते थे, और जब उन लोगों ने यह सभा एक दूसरे मेजबान के घर रख दी जिसके यहाँ मछली की टंकी थी, तो वे वहाँ भी नहीं गए। वे पानी वाली किसी भी जगह नहीं जाते थे, पानी थमा हुआ हो या बह रहा हो, उसे नहीं छूते थे। दैनिक जीवन में, परिवार द्वारा दी गई इन बेतुकी कहावतों की शिक्षा में पारंपरिक संस्कृति और अंधविश्वास शामिल होते हैं। कुछ हद तक, ये कहावतें कुछ खास मामलों पर लोगों के नजरियों को प्रभावित करती हैं, और उनके दैनिक रीति-रिवाजों या जीवनशैली पर असर डालती हैं। यह प्रभाव कुछ हद तक लोगों के विचारों को बाँध देता है और काम करने के उनके सिद्धांतों और सही तरीकों को नियंत्रित करता है।

फुटनोट :

क. मूल पाठ में, “यानी बेहद अमीर होना, मैंडेरिन में जिसका उच्चारण, संख्या 1, 6 और 8 के समान होता है” यह वाक्यांश नहीं है।

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