परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 18
परमेश्वर का भय मानने का आरंभिक बिन्दु उसके साथ परमेश्वर के समान व्यवहार करना है अभी थोड़ी देर पहले, किसी ने एक प्रश्न उठाया था : ऐसा कैसे...
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मनुष्य परमेश्वर को पाने में इसलिए असफल नहीं होता कि परमेश्वर के पास भावना है, या इसलिए कि परमेश्वर मनुष्य द्वारा प्राप्त होना नहीं चाहता, बल्कि इसलिए कि मनुष्य परमेश्वर को पाना नहीं चाहता, और इसलिए कि मनुष्य परमेश्वर को तत्काल नहीं खोजता। जो सचमुच परमेश्वर को खोजते हैं, उनमें से कोई परमेश्वर द्वारा शापित कैसे किया जा सकता है? सही समझ और संवेदनशील अंत:करण रखने वाला कोई व्यक्ति परमेश्वर द्वारा शापित कैसे किया जा सकता है? जो सचमुच परमेश्वर की आराधना और सेवा करता है, उसे परमेश्वर के कोप की आग द्वारा कैसे भस्म किया जा सकता है? जो परमेश्वर की आज्ञा का पालन करने में प्रसन्न रहता है, उसे परमेश्वर के घर से बाहर कैसे निकाला जा सकता है? जो परमेश्वर से पर्याप्त प्रेम करता है, वह परमेश्वर की सजा में कैसे रह सकता है? जो परमेश्वर के लिए सब-कुछ त्यागने के लिए तैयार है, उसके पास कुछ न बचे, ऐसा कैसे हो सकता है? मनुष्य परमेश्वर का अनुसरण करने का इच्छुक नहीं है, अपनी संपत्ति परमेश्वर के लिए खर्च करने का इच्छुक नहीं है, और परमेश्वर के लिए जीवन-भर का प्रयास समर्पित करने के लिए तैयार नहीं है; इसके बजाय वह कहता है कि परमेश्वर बहुत दूर चला गया है, कि परमेश्वर के बारे में बहुत-कुछ मनुष्य की धारणाओं से मेल नहीं खाता। ऐसी मानवता के साथ पूर्ण प्रयास करने के बावजूद तुम लोग परमेश्वर का अनुमोदन प्राप्त नहीं कर पाओगे, खास तौर से इस तथ्य को देखते हुए कि तुम परमेश्वर को नहीं खोजते। क्या तुम लोग नहीं जानते कि तुम लोग मानवजाति की दोषपूर्ण वस्तुएँ हो? क्या तुम नहीं जानते कि तुम लोगों की मानवता से ज्यादा नीच और कोई मानवता नहीं है? क्या तुम लोग नहीं जानते कि तुम लोगों का सम्मान करने के लिए दूसरे तुम्हें क्या कहकर बुलाते हैं? जो लोग सच में परमेश्वर से प्रेम करते हैं, वे तुम लोगों को भेड़िये का पिता, भेड़िये की माता, भेड़िये का पुत्र, और भेड़िये का पोता कहते हैं; तुम लोग भेड़िये के वंशज हो, भेड़िये के लोग हो, और तुम लोगों को अपनी पहचान जाननी चाहिए और उसे कभी नहीं भूलना चाहिए। यह मत सोचो कि तुम कोई श्रेष्ठ हस्ती हो : तुम लोग मानवजाति के बीच अमानुषों का सबसे शातिर समूह हो। क्या तुम लोग इसमें से कुछ नहीं जानते? क्या तुम लोगों को पता है कि तुम लोगों के बीच कार्य करके मैंने कितना जोखिम उठाया है? यदि तुम लोगों की समझ दोबारा सामान्य नहीं हो सकती, और तुम लोगों का विवेक सामान्य रूप से कार्य नहीं कर सकता, तो फिर तुम लोग कभी "भेड़िये" का नाम नहीं छोड़ पाओगे, तुम कभी शाप के दिन से नहीं बच पाओगे, कभी अपनी सजा के दिन से नहीं बच पाओगे। तुम लोग हीन जन्मे थे, एक मूल्यरहित वस्तु। तुम प्रकृति से भूखे भेड़ियों का झुंड, मलबे और कचरे का ढेर हो, और, तुम लोगों के विपरीत, मैं अनुग्रह पाने के लिए तुम लोगों पर कार्य नहीं करता, बल्कि कार्य की आवश्यकता के कारण करता हूँ। यदि तुम लोग इसी तरह विद्रोही बने रहे, तो मैं अपना कार्य रोक दूँगा, दोबारा कभी तुम लोगों पर कार्य नहीं करूँगा; इसके विपरीत, मैं अपना कार्य दूसरे समूह पर स्थानांतरित कर दूँगा, जो मुझे प्रसन्न करता है, और इस तरह मैं तुम लोगों को हमेशा के लिए छोड़ दूँगा, क्योंकि मैं उन लोगों को देखने के लिए तैयार नहीं हूँ, जो मुझसे शत्रुता रखते हैं। तो फिर, तुम लोग मेरे अनुरूप होना चाहते हो या मुझसे शत्रुता रखना?
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, अपरिवर्तित स्वभाव होना परमेश्वर के साथ शत्रुता रखना है
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