परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 88
परमेश्वर सभी चीजों की सृष्टि करने के लिए वचनों को प्रयोग करता है (चुने हुए अंश) छठे दिन, सृष्टिकर्ता ने बोला और हर प्रकार के जीवित प्राणी...
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व्यक्ति परमेश्वर की इच्छा पूरी करने, परमेश्वर की पसंद के सभी लोगों को उसके सामने लेकर आने, मनुष्य को परमेश्वर के समक्ष लाने, और मनुष्य को पवित्र आत्मा के कार्य और परमेश्वर के मार्गदर्शन से परिचित कराने के लिए कार्य करता है, और इस प्रकार वह परमेश्वर के कार्य के परिणामों को पूरा करता है। इसलिए, यह अनिवार्य है कि तुम लोग कार्य के सार के संबंध में पूरी तरह से स्पष्ट रहो। ऐसे व्यक्ति के रूप में, जिसका परमेश्वर द्वारा उपयोग किया जाता है, हर मनुष्य परमेश्वर के लिए कार्य करने के योग्य है, अर्थात्, हर एक के पास पवित्र आत्मा द्वारा उपयोग किए जाने का अवसर है। किंतु एक बात का तुम लोगों को अवश्य एहसास होना चाहिए : जब मनुष्य परमेश्वर द्वारा आदेशित कार्य करता है, तो मनुष्य को परमेश्वर द्वारा उपयोग किए जाने का अवसर दिया गया होता है, किंतु मनुष्य द्वारा जो कहा और जाना जाता है, वह पूर्णतः मनुष्य का आध्यात्मिक कद नहीं होता। तुम लोग जो कर सकते हो, वह यह है कि अपने कार्य के दौरान बेहतर ढंग से अपनी कमियों के बारे में जानो, और पवित्र आत्मा से अधिक प्रबुद्धता प्राप्त करो। इस प्रकार, तुम लोग अपने कार्य के दौरान बेहतर प्रवेश प्राप्त करने में सक्षम होगे। यदि मनुष्य परमेश्वर से प्राप्त मार्गदर्शन को अपना स्वयं का प्रवेश और अपने में अंतर्निहित चीज़ समझता है, तो मनुष्य का आध्यात्मिक कद विकसित होने की कोई संभावना नहीं है। पवित्र आत्मा मनुष्य में प्रबुद्धता का जो कार्य करता है, वह तब घटित होता है जब मनुष्य एक सामान्य स्थिति में होता है; ऐसे समय पर, मनुष्य प्रायः स्वयं को प्राप्त होने वाली प्रबुद्धता को अपना वास्तविक अध्यात्मिक कद समझने की ग़लती कर बैठता है, क्योंकि जिस रूप में पवित्र आत्मा प्रबुद्ध करता है, वह अत्यंत सामान्य होता है, और वह मनुष्य के भीतर जो अंतर्निहित है, उसका उपयोग करता है। जब लोग कार्य करते और बोलते हैं, या जब वे प्रार्थना या अपनी आध्यात्मिक भक्ति कर रहे होते हैं, तो एक सत्य अचानक उन पर स्पष्ट हो जाएगा। लेकिन वास्तव में, मनुष्य जो देखता है, वह केवल पवित्र आत्मा द्वारा प्रदान की जाने वाली प्रबुद्धता होती है (स्वभावत:, यह प्रबुद्धता मनुष्य के सहयोग से जुड़ी है) और वह मनुष्य का सच्चा आध्यात्मिक कद प्रस्तुत नहीं करती। अनुभव की एक अवधि के बाद, जिसमें मनुष्य कुछ कठिनाइयों और परीक्षणों का सामना करता है, ऐसी परिस्थितियों में मनुष्य का वास्तविक आध्यात्मिक कद प्रत्यक्ष हो जाता है। केवल तभी मनुष्य को पता चलता है कि मनुष्य का आध्यात्मिक कद बहुत बड़ा नहीं है, और मनुष्य का स्वार्थ, व्यक्तिगत हित और लालच सब उभर आते हैं। केवल इस तरह के अनुभवों के कई चक्रों के बाद ही कई ऐसे लोग, जो अपनी आत्माओं के भीतर जाग गए होते हैं, महसूस करते हैं कि अतीत में जो उन्होंने अनुभव किया था, वह उनकी अपनी वास्तविकता नहीं थी, बल्कि पवित्र आत्मा से प्राप्त एक क्षणिक रोशनी थी, और मनुष्य को केवल यह रोशनी प्राप्त हुई थी। जब पवित्र आत्मा मनुष्य को सत्य को समझने के लिए प्रबुद्ध करता है, तो ऐसा प्रायः, यह समझाए बिना कि चीज़ें किस तरह घटित हुई हैं या किस ओर कहाँ जा रही हैं, स्पष्ट और विशिष्ट तरीके से होता है। अर्थात्, इस प्रकाशन में मनुष्य की कठिनाइयों को शामिल करने के बजाय वह सत्य को सीधे प्रकट करता है। जब मनुष्य प्रवेश की प्रक्रिया में कठिनाइयों का सामना करता है, और फिर पवित्र आत्मा की प्रबुद्धता को शामिल करता है, तो यह मनुष्य का वास्तविक अनुभव बन जाता है। ... इसलिए, जब तुम लोगों को पवित्र आत्मा का कार्य प्राप्त हो, तो उसी समय तुम्हें, यह देखते हुए कि वास्तव में पवित्र आत्मा का कार्य क्या है और तुम लोगों का प्रवेश क्या है, और साथ ही अपने प्रवेश में पवित्र आत्मा के कार्य को शामिल करते हुए, तुम लोगों को अपने प्रवेश पर और अधिक ध्यान देना चाहिए, ताकि तुम लोग पवित्र आत्मा द्वारा अन्य अनेक तरीकों से पूर्ण बनाए जा सको और पवित्र आत्मा के कार्य का सार तुम लोगों में गढ़ा जा सके। पवित्र आत्मा के कार्य के अपने अनुभव के दौरान तुम लोग पवित्र आत्मा को और साथ ही स्वयं को भी जान जाओगे, और इतना ही नहीं, क्या पता गहन कष्टों के कितने दौरों के बीच तुम लोग परमेश्वर के साथ एक सामान्य संबंध विकसित कर लोगे, और तुम्हारे और परमेश्वर के बीच का संबंध दिन-ब-दिन घनिष्ठ होता जाएगा। काट-छाँट और शुद्धिकरण की असंख्य घटनाओं के बाद तुम लोगों में परमेश्वर के प्रति एक सच्चा प्यार विकसित हो जाएगा। यही कारण है कि तुम लोगों को यह महसूस करना चाहिए कि कष्ट, दंड और क्लेशों से डरना नहीं है; डरने की बात तो केवल पवित्र आत्मा का कार्य प्राप्त करना किंतु प्रवेश न करना है। जब परमेश्वर का कार्य पूरा होने का दिन आएगा, तो तुम लोगों का परिश्रम व्यर्थ हो जाएगा; भले ही तुमने परमेश्वर के कार्य का अनुभव कर लिया होगा, किंतु तुम लोग पवित्र आत्मा को नहीं जान पाए होगे या तुम लोगों ने स्वयं प्रवेश नहीं किया होगा। पवित्र आत्मा द्वारा मनुष्य में की जाने वाली प्रबुद्धता मनुष्य के जुनून को बनाए रखने के लिए नहीं है, बल्कि मनुष्य के प्रवेश के लिए एक मार्ग खोलने के लिए है, और साथ ही मनुष्य को पवित्र आत्मा को जानने देने और इस बिंदु से परमेश्वर के लिए श्रद्धा और भक्ति की भावनाएँ विकसित करने के लिए है।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, कार्य और प्रवेश (2)
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