परमेश्वर के दैनिक वचन : जीवन में प्रवेश | अंश 433
परमेश्वर वास्तविकता का परमेश्वर है: उसका समस्त कार्य वास्तविक है, सभी वचन जिन्हें वह कहता है वास्तविक हैं, और सभी सच्चाईयाँ जिन्हें वह व्यक्त करता है वास्तविक हैं। हर चीज़ जो उसके वचन नहीं हैं वे खोखले, अस्तित्वहीन, और अनुचित हैं। आज, पवित्र आत्मा परमेश्वर के वचनों में लोगों का मार्गदर्शन करने के लिए है। यदि लोगों को वास्तविकता में प्रवेश की खोज करनी है, तो उन्हें अवश्य वास्तविकता को ढूँढ़ना, और वास्तविकता को जानना चाहिए, जिसके बाद उन्हें अवश्य वास्तविकता का अनुभव करना चाहिए, और वास्तविकता को जीना चाहिए। लोग जितना अधिक वास्तविकता को जानते हैं, वे उतना ही अधिक यह बताने में समर्थ होते हैं कि दूसरों के वचन वास्तविक हैं या नहीं; लोग जितना अधिक वास्तविकता को जानते हैं, उनकी उतनी ही कम धारणाएँ होती हैं; लोग जितना अधिक वास्तविकता का अनुभव करते हैं, वे उतना ही अधिक वास्तविकता के परमेश्वर के कर्मों को जानते हैं, और उतना ही अधिक आसान उनके लिए अपने भ्रष्ट, शैतानी स्वभावों को पीछे छोड़ देना होता है; लोगों के पास जितनी अधिक वास्तविकता होती है, वे उतना ही अधिक परमेश्वर को जानते हैं, और उतना ही अधिक देह से घृणा और सत्य से प्रेम करते हैं; और लोगों के पास जितनी अधिक वास्तविकता होती है, वे परमेश्वर की अपेक्षाओं के मानकों के उतना ही अधिक करीब होते हैं। जो लोग परमेश्वर के द्वारा प्राप्त किए जाते हैं ये वे लोग हैं जो वास्तविकता से सम्पन्न हैं, और जो वास्तविकता को जानते हैं; वे लोग जिन्हें परमेश्वर के द्वारा प्राप्त किया गया है उन्हें वास्तविकता का अनुभव करने के माध्यम से परमेश्वर के वास्तविक कर्मों का पता चल गया है। जितना अधिक तुम सचमुच परमेश्वर के साथ सहयोग करोगे और अपने शरीर को अनुशासित करोगे, उतना ही अधिक तुम पवित्र आत्मा के कार्य को अर्जित करोगे, उतना ही अधिक तुम वास्तविकता को प्राप्त करोगे, और उतना ही अधिक तुम परमेश्वर के द्वारा प्रबुद्ध किए जाओगे—और इस प्रकार उतना ही अधिक परमेश्वर के वास्तविक कर्मों का तुम्हारा ज्ञान होगा। यदि तुम पवित्र आत्मा के वर्तमान प्रकाश में रहने में समर्थ हो, तो अभ्यास का वर्तमान मार्ग तुम्हें और अधिक स्पष्ट हो जाएगा, और तुम अतीत की धार्मिक धारणाओं एवं पुराने अभ्यासों से अपने आपको अलग करने में और भी अधिक सक्षम हो जाओगे। आज वास्तविकता केन्द्र बिंदु है: लोगों में जितनी अधिक वास्तविकता होगी, सत्य का उनका ज्ञान उतना ही अधिक स्पष्ट होगा, और उतनी ही अधिक विशाल परमेश्वर की इच्छा की उनकी समझ होगी। वास्तविकता सभी पत्रों और सिद्धांतों पर विजय पा सकती है, यह समस्त सिद्धान्त और विशेषज्ञता पर विजय पा सकती है, और लोग जितना अधिक वास्तविकता पर ध्यान केन्द्रित करते हैं, उतना ही अधिक सचमुच में वे परमेश्वर से प्रेम करते हैं, और उसके वचनों के लिए भूखे एवं प्यासे होते हैं। यदि तुम हमेशा वास्तविकता पर ध्यान केन्द्रित करते हो, तो तुम्हारा जीवन दर्शन, धार्मिक धारणाएँ एवं प्राकृतिक चरित्र परमेश्वर के कार्य का अनुसरण करने से स्वाभाविक रूप से मिटा दिया जाएगा। जो वास्तविकता की खोज नहीं करते हैं, और जिन्हें वास्तविकता का कोई ज्ञान नहीं है, उनकी उस चीज की खोज करने की संभावना है जो अलौकिक है, और उनके साथ आसानी से छल किया जाएगा। पवित्र आत्मा के पास ऐसे लोगों में कार्य का कोई उपाय नहीं है, और इसलिए वे खालीपन महसूस करते हैं, और यह कि उनके जीवन का कोई अर्थ नहीं है।
पवित्र आत्मा तुम में केवल तभी कार्य कर सकता है जब तुम वास्तव में अभ्यास करते हो, वास्तव में खोजते हो, वास्तव में प्रार्थना करते हो, और सत्य की खोज के वास्ते दुःख उठाने को तैयार हो। जो सत्य की खोज नहीं करते हैं उनके पास पत्रों और सिद्धांतों और खोखले सिद्धांत के अलावा कुछ भी नहीं होता है, और जिनके पास सत्य नहीं होता है उनके पास परमेश्वर के बारे में स्वाभाविक रूप से अनेक धारणाएँ होती हैं। इस प्रकार के लोग परमेश्वर से केवल यही लालसा करते हैं कि वह उनकी शारीरिक देह को एक आध्यात्मिक देह में बदल दे ताकि वे तीसरे स्वर्ग में वापस जा सकें। ये लोग कितने मूर्ख हैं! ऐसी चीज़ें बोलने वाले सभी को परमेश्वर का, या वास्तविकता का कोई ज्ञान नहीं है; इस तरह के लोग संभवतः परमेश्वर के साथ सहयोग नहीं कर सकते हैं, और वे केवल निष्क्रियता से प्रतीक्षा कर सकते हैं। यदि लोगों को सत्य को समझना है, और सत्य को स्पष्ट रूप से देखना है, उससे बढ़कर, यदि उन्हें सत्य में प्रवेश करना है, और उसे अभ्यास में लाना है, तो उन्हें अवश्य वास्तव में अभ्यास करना चाहिए, वास्तव में खोजना चाहिए, और वास्तव में भूखा एवं प्यासा रहना चाहिए। जब तुम भूखे और प्यासे होते हो, और जब तुम वास्तव में परमेश्वर के साथ सहयोग करते हो, तो परमेश्वर का आत्मा निश्चित रूप से तुम्हें स्पर्श करेगा और तुम्हारे भीतर कार्य करेगा, जो तुममें और अधिक प्रबुद्धता लाएगा, और तुम्हें वास्तविकता का और अधिक ज्ञान देगा, तथा तुम्हारे जीवन के लिए और अधिक सहायक होगा।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, वास्तविकता को कैसे जानें
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