परमेश्वर के दैनिक वचन : जीवन में प्रवेश | अंश 399

आज पवित्र आत्मा के वचन पवित्र आत्मा के कार्य का गतिविज्ञान हैं और इसके दौरान पवित्र आत्मा के द्वारा मनुष्य का निरंतर प्रबोधन, पवित्र आत्मा के कार्य की प्रवृत्ति है। और आज पवित्र आत्मा के कार्य की प्रवृत्ति क्या है? यह आज परमेश्वर के कार्य और एक सामान्य आध्यात्मिक जीवन में दर्ज होने में लोगों का नेतृत्व करना है। सामान्य आध्यात्मिक जीवन में प्रवेश करने के कई चरण हैं:

1. सबसे पहले, तुम्हें अपने दिल को परमेश्वर के वचनों में उड़ेल देना चाहिए। तुम्हें परमेश्वर के अतीत के वचनों का अनुसरण नहीं करना चाहिए, और न तो उनका अध्ययन करना चाहिए और न ही आज के वचनों से उनकी तुलना करनी चाहिए। इसके बजाय, तुम्हें पूरी तरह से परमेश्वर के वर्तमान वचनों में अपना दिल उड़ेल देना चाहिए। अगर ऐसे लोग हैं जो अभी भी अतीत काल के परमेश्वर के वचन, आध्यात्मिक किताबें, या प्रचार-प्रसार के अन्य विवरणों को पढ़ना चाहते हैं, जो आज पवित्र आत्मा के वचनों का पालन नहीं करते हैं, तो वे सभी लोगों में सबसे अधिक मूर्ख हैं; परमेश्वर ऐसे लोगों से घृणा करता है। यदि तुम आज पवित्र आत्मा का प्रकाश स्वीकार करने के लिए तैयार हो, तो फिर अपने दिल को आज परमेश्वर की उक्तियों में उड़ेल दो। यह पहली चीज़ है जो तुम्हें हासिल करनी है।

2. तुम जिन मानकों की पूर्ति का अनुसरण करना चाहते हो, उनकी स्थापना करते हुए, तुम्हें आज परमेश्वर की ओर से कहे गए वचनों की नींव पर प्रार्थना करनी चाहिए, परमेश्वर के वचनों में प्रवेश करना और परमेश्वर के साथ समागम करना चाहिए, और परमेश्वर के सामने अपने संकल्पों को तय करना चाहिए।

3. पवित्र आत्मा के आज के कार्य की नींव पर तुम्हें सच्चाई में गहरे प्रवेश का अनुसरण करना चाहिए। अतीत की पुरानी उक्तियों और सिद्धांतों को थामे न रहो।

4. तुम्हें पवित्र आत्मा द्वारा स्पर्श किये जाने की और परमेश्वर के वचनों में प्रवेश करने की खोज करनी चाहिए।

5. जिस पथ पर आज पवित्र आत्मा चलता है, उसी पथ में प्रवेश करने का अनुसरण करना चाहिए।

और तुम पवित्र आत्मा द्वारा स्पर्श किये जाने की खोज कैसे करोगे? जो अत्यंत महत्वपूर्ण है वह है परमेश्वर के वर्तमान वचनों में जीना और परमेश्वर की अपेक्षाओं की नींव पर प्रार्थना करना। इस तरह से प्रार्थना कर चुकने के बाद, पवित्र आत्मा द्वारा तुम्हें स्पर्श करना निश्चित है। यदि तुम आज परमेश्वर द्वारा कहे गए वचनों की नींव के आधार पर खोज नहीं करते हो, तो यह व्यर्थ है। तुम्हें प्रार्थना करनी चाहिए, और कहना चाहिए: "हे परमेश्वर! मैं तुम्हारा विरोध करता हूँ, और मैं तुम्हारा बहुत ऋणी हूँ; मैं बहुत ही अवज्ञाकारी हूँ, और तुम्हें कभी भी संतुष्ट नहीं कर सकता। हे परमेश्वर, मैं चाहता हूँ कि तुम मुझे बचा लो, मैं अंत तक तुम्हारी बहुत सेवा करना चाहता हूँ, मैं तुम्हारे लिए मर जाना चाहता हूँ। तुम मुझे न्याय और ताड़ना देते हो, और मुझे कोई शिकायत नहीं है; मैं तुम्हारा विरोध करता हूँ और मैं मर जाने के योग्य हूँ, ताकि मेरी मृत्यु में सभी लोग तुम्हारा धर्मी स्वभाव देख सकें।" जब तुम इस तरह से अपने दिल से प्रार्थना करते हो, तो परमेश्वर तुम्हें सुनेगा और तुम्हारा मार्गदर्शन करेगा; यदि तुम आज पवित्र आत्मा के वचनों की नींव पर प्रार्थना नहीं करते हो, तो पवित्र आत्मा द्वारा तुम्हें छूने की कोई संभावना नहीं है। यदि तुम परमेश्वर की इच्छा के अनुसार और आज परमेश्वर जो करना चाहते हैं, उसके अनुसार प्रार्थना करते हो, तो तुम कहोगे "हे परमेश्वर! मैं तुम्हारे आदेशों को स्वीकार करना चाहता हूँ और तुम्हारे आदेशों के प्रति निष्ठा रखना चाहता हूँ, और मैं अपना पूरा जीवन तुम्हारी महिमा को समर्पित करने के लिए तैयार हूँ, ताकि मैं जो कुछ भी करता हूँ वह परमेश्वर के लोगों के मानकों तक पहुंच सकें। काश मेरा दिल तुम्हारे स्पर्श को पा ले। मैं चाहता हूँ कि तुम्हारा आत्मा सदैव मेरा प्रबोधन करे, ताकि मैं जो कुछ भी करूँ वह शैतान को शर्मिंदा करे, ताकि मैं अंततः तुम्हारे द्वारा प्राप्त किया जा सकूँ।" यदि तुम इस तरह प्रार्थना करते हो, परमेश्वर की इच्छा के आसपास केंद्रित रह कर, तो पवित्र आत्मा अपरिहार्य रूप से तुम में काम करेगा। यह महत्वपूर्ण नहीं है कि तुम्हारी प्रार्थनाओं में कितने शब्द हैं—कुंजी यह है कि तुम परमेश्वर की इच्छा को समझते हो या नहीं। तुम सभी के पास निम्न-लिखित अनुभव हो सकता है: कभी-कभी, एक सभा में प्रार्थना करते समय, पवित्र आत्मा के कार्य का गति-सिद्धांत अपने चरम बिंदु तक पहुंच जाता है, जिससे सभी की ताकत बढ़ती है। कुछ लोग कस के बिलखते हैं और प्रार्थना करते समय आँसुओं से रोते हैं, परमेश्वर के सामने पश्चाताप से अभिभूत होकर, तो कुछ लोग अपना संकल्प दिखाते हैं, और प्रतिज्ञा करते हैं। पवित्र आत्मा के कार्य से प्राप्त होने वाला प्रभाव ऐसा है। आज, यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि सभी लोग परमेश्वर के वचनों में अपने दिलों को पूरी तरह से उड़ेल दें। उन शब्दों पर ध्यान न दो जो पहले बोले गए थे; यदि तुम अभी भी उसे थामे रहोगे जो कि पहले आया था, तो पवित्र आत्मा तुम्हारे भीतर कार्य नहीं करेगा। क्या तुम देख रहे हो कि यह कितना महत्वपूर्ण है?

क्या तुम सब उस मार्ग को जानते हो जिस पर पवित्र आत्मा आज चला है? ऊपर दी गयी विभिन्न बातें वो हैं जो पवित्र आत्मा द्वारा आज और भविष्य में पूरी की जानी हैं; यही वह मार्ग है जो पवित्र आत्मा ने लिया है, और यही वह प्रवेश है जो मनुष्य द्वारा अनुसरित किया जाना चाहिए। जीवन में तुम्हारे प्रवेश में, कम से कम तुम्हें अपने दिल को परमेश्वर के वचनों में उड़ेल देना चाहिए, और परमेश्वर के वचनों के न्याय और ताड़ना को स्वीकार करने में सक्षम होना चाहिए; तुम्हारे दिल को परमेश्वर के लिए तरसना चाहिए, तुम्हें सच्चाई में और परमेश्वर द्वारा अपेक्षित उद्देश्यों में गहरे प्रवेश का अनुसरण करना चाहिए। जब तुम्हारे पास यह शक्ति होती है, तो इससे पता चलता है कि परमेश्वर तुम्हारा स्पर्श कर चुका है, और तुम्हारा दिल परमेश्वर की ओर मुड़ना शुरू कर चुका है।

जीवन में प्रवेश करने का पहला कदम पूरी तरह से परमेश्वर के वचनों में अपना दिल उड़ेल देना है, और दूसरा कदम पवित्र आत्मा के द्वारा स्पर्श किये जाने को स्वीकार करना है। वह क्या प्रभाव है जो पवित्र आत्मा द्वारा स्पर्श किये जाने को स्वीकार करने से प्राप्त किया जाना है? एक अधिक गहन सत्य की खोज करना, जांच करना, उसके लिए तरसना और सकारात्मक व्यवहार के रूप में परमेश्वर के साथ सहयोग करने के लिए सक्षम होना। आज तुम परमेश्वर के साथ सहयोग करते हो, जिसका अर्थ है कि तुम्हारी खोज, तुम्हारी प्रार्थनाओं और परमेश्वर के वचनों के सम्बन्ध में तुम्हारे समागम का एक उद्देश्य है, और तुम परमेश्वर की अपेक्षाओं के अनुसार अपना कर्तव्य करते हो—केवल यही है परमेश्वर के साथ सहयोग करना। यदि तुम केवल परमेश्वर को कार्य करने देने की बात करते हो, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं करते, न ही प्रार्थना करते हो या न ही खोज, तो क्या इसे सहयोग कहा जा सकता है? यदि तुम्हारे पास कोई भी सहयोग नहीं है, और प्रवेश के लिए एक ऐसे प्रशिक्षण का अभाव है जिसका कि एक उद्देश्य हो, तो तुम सहयोग नहीं कर रहे हो। कुछ लोग कहते हैं: "सब कुछ परमेश्वर के पूर्वनिर्धारण पर निर्भर करता है, यह सब स्वयं परमेश्वर द्वारा किया जाता है; अगर परमेश्वर ने ऐसा नहीं किया, तो मनुष्य कैसे कर सकता था?" परमेश्वर का कार्य सामान्य है, और ज़रा भी अलौकिक नहीं है, और यह केवल तुम्हारी सक्रिय खोज के माध्यम से ही है कि पवित्र आत्मा कार्य करता है, क्योंकि परमेश्वर मनुष्य को मजबूर नहीं करता—तुम्हें परमेश्वर को कार्य करने का अवसर देना चाहिए, और यदि तुम अनुसरण या प्रवेश नहीं करते हो, और अगर तुम्हारे दिल में थोड़ी-सी भी उत्कंठा नहीं है, तो परमेश्वर के लिए काम करने की कोई संभावना नहीं है। तुम किस मार्ग द्वारा परमेश्वर के स्पर्श को हासिल करने की तलाश करोगे? प्रार्थना के माध्यम से, और परमेश्वर के करीब आकर। परन्तु याद रखो, सबसे महत्वपूर्ण बात है, इसे परमेश्वर द्वारा कहे गए वचनों की नींव पर होना चाहिए। जब तुम परमेश्वर द्वारा अक्सर छु लिए जाते हो, तो तुम शरीर के गुलाम नहीं बनते: पति, पत्नी, बच्चे और धन—ये सब तुम्हें बेड़ियों से बाँधने में असमर्थ होते हैं, और तुम केवल सत्य का अनुसरण करना और परमेश्वर के समक्ष जीना चाहते हो। इस समय, तुम एक ऐसे व्यक्ति होगे जो आज़ादी के क्षेत्र में रहता है।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर के सबसे नए कार्य को जानो और उसके पदचिह्नों का अनुसरण करो

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