परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर का प्रकटन और कार्य | अंश 67

मैं अपने कार्य की अभिव्यक्तियों से आकाश को भर दूँगा, ताकि पृथ्वी पर सब कुछ मेरी सत्ता के सामने दण्डवत हो जाए, "वैश्विक एकता" की मेरी योजना को कार्यान्वित करे और मेरी इस एक अभिलाषा को फलीभूत करे, और ताकि मानवजाति पृथ्वी पर और "भटके" नहीं बल्कि बिना विलम्ब के एक उपयुक्त मंजिल को पा ले। मैं हर तरह से मानव प्रजाति के लिए सोचता हूँ, इसे इस तरह से करता हूँ ताकि समस्त मानव जाति शीघ्र ही सुख-शांति के देश में रहने लगे, ताकि उनकी जिंदगी के दिन अब और दुःखी और वीरान न हों, और ताकि पृथ्वी पर मेरी योजना व्यर्थ न हो जाए। चूँकि मनुष्य वहाँ मौजूद है, इसलिए मैं पृथ्वी पर अपने देश का निर्माण करूँगा, क्योंकि मेरी महिमा की अभिव्यक्ति का एक हिस्सा पृथ्वी पर है। ऊपर स्वर्ग में, मैं अपने शहरों को सही रूप में स्थापित कर दूँगा और इस तरह, ऊपर और नीचे दोनों जगह सब कुछ नया बना दूँगा। स्वर्ग से ऊपर और नीचे दोनो ओर जो कुछ भी अस्तित्व में है, मैं उन सभी को एकजुट कर दूँगा, ताकि पृथ्वी की सभी चीज़ें, जो कुछ स्वर्ग में है उससे एकीकृत हो जाएँगी। यह मेरी योजना है, यही मैं अंतिम युग में करूँगा—मेरे कार्य के इस हिस्से में कोई भी हस्तक्षेप न करे! अन्य-जाति देशों में अपने कार्य का विस्तार करना पृथ्वी पर मेरे कार्य का अंतिम भाग है। जो कार्य मैं करूँगा, उसकी थाह लेने में कोई भी समर्थ नहीं है, और इसलिए लोग पूरी तरह से संभ्रमित हैं। और चूँकि मैं पृथ्वी पर अपने काम में व्यस्तता से संलग्न हूँ, इसलिए लोग "ऊपरी तौर से दिलचस्पी लेने" का अवसर ले लेते हैं। उन्हें बहुत उच्छृंखल होने से रोकने के लिए, मैंने सबसे पहले उन्हें आग की झील का अनुशासन भुगतने के लिए, अपनी ताड़ना में रखा है। यह मेरे कार्य का एक चरण है, और मैं अपने इस कार्य को पूरा करने के लिए आग की झील की शक्ति का उपयोग करूँगा, अन्यथा अपने कार्य को पूरा करना असंभव होगा। मैं सारे ब्रह्मांड के मनुष्यों से अपने सिंहासन के समक्ष समर्पण करवाऊँगा, अपने न्याय के अनुसार उन्हें अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित करूँगा, इन श्रेणियों के अनुसार उन्हें वर्गीकृत करूँगा, और आगे उन्हें उनके परिवारों में बाँट दूँगा, ताकि पूरी मानव जाति मेरी अवज्ञा करना बंद कर देगी, बल्कि मेरे द्वारा नामांकित की गई श्रेणियों के अनुसार एक साफ़-सुथरी और अनुशासित व्यवस्था में आ जाएगी—किसी को भी यूँ ही इधर-उधर भटकने नहीं दिया जाएगा! पूरे ब्रह्मांड में, मैंने नया कार्य किया है; पूरे ब्रह्मांड में, संपूर्ण मानवजाति मेरे अचानक प्रकट होने से घबराई हुई और अचंभित है, मेरी स्पष्ट उपस्थिति के सामने उनकी सीमाएँ इस तरह खंडित हो गई हैं जैसी कि पहले कभी नहीं हुई थी। क्या आज बिल्कुल ऐसा ही नहीं है?

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन, अध्याय 43

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