परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर का प्रकटन और कार्य | अंश 59

लोग मेरी जय-जयकार करते हैं, लोग मेरी स्तुति करते हैं; सभी अपने मुख से एकमात्र सच्चे ईश्वर का नाम लेते हैं, सभी लोगों की दृष्टि मेरे कर्मों को देखने के लिए उठती है। राज्य लोगों के जगत में अवतरित होता है, मेरा व्यक्तित्व समृद्ध और प्रचुर है। इस पर कौन खुश न होगा? कौन है जो इसके लिए आनंदित हो, नृत्य न करेगा? ओह, सिय्योन! मेरा जश्न मनाने के लिए अपनी विजयी-पताका उठाओ! जीत का अपना विजय-गीत गाओ और मेरा पवित्र नाम फैलाओ! पृथ्वी की समस्त वस्तुओ! मुझे अर्पण होने के लिए स्वयं को शुद्ध करो! आसमान के तारो! अब अपने स्थानों पर लौट जाओ और नभ-मंडल में मेरा प्रबल सामर्थ्य दिखाओ! मैं पृथ्वी के लोगों की उन आवाज़ों को सुन रहा हूं, जो अपने गायन में मेरे लिए असीम प्रेम और श्रद्धा प्रकट कर रही हैं! इस दिन, जबकि हर चीज़ फिर से जीवित होती है, मैं पृथ्वी पर आता हूं। इस पल, फूल खिलते हैं, पक्षी एक सुर में गाते हैं, हर चीज़ पूरे उल्लास से धड़कती है! राज्य के अभिनंदन की ध्वनि में, शैतान का राज्य ध्वस्त हो गया है, राज्य-गान के प्रतिध्वनित होते समूह-गान में नष्ट हो गया है। और ये अब फिर कभी सिर नहीं उठाएगा!

पृथ्वी पर कौन है जो सिर उठाने और विरोध करने का साहस करे? जब मैं पृथ्वी पर आता हूं तो ज्वलन, क्रोध, और तमाम विपदाएं लाता हूं। पृथ्वी के सारे राज्य अब मेरे राज्य हैं! ऊपर आकाश में बादल गोते लगाते और तरंगित होते हैं; आकाश के नीचे झीलें और नदियाँ हिलोरे मारती हैं और जिससे मधुर संगीत निकलता है। अपनी मांद में विश्राम करते जीव-जंतु बाहर निकलते हैं और जो लोग उनींदी अवस्था में थे, उन्हें भी मैं जगा देता हूं। हर कोई जिसकी प्रतीक्षा में था, वो दिन आखिर आ गया! वे मुझे सर्वाधिक सुंदर गीत भेंट करते हैं।

इस खूबसूरत पल में, इस रोमांचक समय में,

ऊपर आकाश में और नीचे पृथ्वी पर सब स्तुति करते हैं। इसके लिए कौन उल्लसित न होगा?

किसका दिल हल्का न होगा? इस अवसर पर कौन खुशी के आँसू न बहाएगा?

अब यह वही आकाश नहीं है, अब यह राज्य का आकाश है।

अब यह वही पृथ्वी नहीं है, बल्कि अब यह पवित्र धरती है।

घनघोर वर्षा के बाद, मलिन जीर्ण विश्व पूरी तरह से बदल दिया गया है।

पर्वत बदल रहे हैं ... जलस्रोत बदल रहे हैं ...

इन्सान भी बदल रहे हैं ... हर चीज़ बदल रही है ...

शांत पर्वतो! उठो और मेरे लिए नृत्य करो!

स्थिर जलस्रोतो! स्वतंत्र रूप से प्रवाहमान रहो!

सपनों में खोये मनुष्यो! उठो और दौड़ो!

मैं आ गया हूं ... मैं ही राजा हूँ...।

सब लोग अपनी आँखों से मेरा चेहरा देखेंगे, सब लोग अपने कानों से मेरी आवाज़ सुनेंगे,

वे स्वयं राज्य का जीवन जीएंगे...।

इतना मधुर ... इतना सुंदर...।

अविस्मरणीय ... अविस्मरणीय...।

मेरे क्रोध की ज्वाला में, बड़ा लाल अजगर संघर्षरत है;

मेरे प्रतापी न्याय में, शैतान अपना वास्तविक रूप दिखाते हैं;

मेरे कड़े वचनों में, सभी शर्म महसूस करते हैं, छिपने को जगह नहीं पाते हैं।

वे अतीत याद करते हैं, कैसे वे मेरा उपहास करते थे,

हमेशा वे दिखावा करते थे, हमेशा मेरा विरोध करते थे।

आज, कौन नहीं रोता है? कौन मलाल न करता है?

पूरा ब्रह्मांड जगत आँसुओं में डूबा है ...

आनन्द-ध्वनि से भरा है ... हँसी से भरा है...।

अतुलनीय आनन्द ... अतुलनीय आनन्द...।

हल्की बारिश गुनगुनाए ... भारी बर्फ फड़फड़ाए...।

लोगों में गम और खुशी दोनों हैं ... कुछ हँस रहे हैं...।

कुछ सुबक रहे हैं ... और कुछ जश्न मना रहे हैं...।

जैसे कि लोग भूल गए हैं ... कि यह घनघोर बादल और वर्षा वसंत है,

या खिलते हुए फूलों की ग्रीष्म ऋतु, या भरपूर फसल की एक शरद ऋतु,

या बर्फ और तुषार की ठिठुरती सर्दी, नहीं जानता कोई...।

आकाश में बादलों का बहाव, पृथ्वी पर उफनते समुद्र।

पुत्र अपनी बाहें लहराते हैं ... नृत्य में लोगों के पैर थिरकते हैं...।

स्वर्गदूत लगे हैं अपने काम में ... स्वर्गदूत संचालन कर रहे हैं...।

धरती पर लोगों में हलचल है, धरती पर हर चीज़ वृद्धि कर रही है।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन, राज्य-गान

(I) दुनिया में राज्य का अवतरण हुआ है

1

परमेश्वर का राज्य धरती पर आ चुका है; परमेश्वर का व्यक्तित्व पूर्ण है समृद्ध है। कौन है जो शांत रहे और आनंद ना करे? कौन है जो शांत रहे और नाच ना करे? ओह सिय्योन, परमेश्वर के गुणगान के लिये, अपनी विजय-पताका उठाओ। जग में उसका पवित्र नाम फैलाने के लिये, अपना विजय-गीत गाओ। अनगिनत लोग ख़ुशी से परमेश्वर का यश-गान करते हैं, अनगिनत आवाज़ें उसके नाम की प्रशंसा करती हैं। वे उसके अद्भुत कर्मों को देखते हैं। अब उसका राज्य धरती पर आ चुका है।

2

धरती की सब चीज़ो, ख़ुद को निर्मल करो; आओ और परमेश्वर को भेंट चढ़ाओ। सितारो, आसमां में अपने घरौंदों में लौट जाओ, ऊपर आसमानों में परमेश्वर की शक्ति दिखाओ। धरती पर आवाज़ें उठती हैं और गाती हैं, परमेश्वर के लिये अपना असीम प्रेम और अनंत आदर बरसाती हैं। वो बड़े ग़ौर से सुनता है उन्हें। अनगिनत लोग ख़ुशी से परमेश्वर का यश-गान करते हैं, अनगिनत आवाज़ें उसके नाम की प्रशंसा करती हैं। वे उसके अद्भुत कर्मों को देखते हैं। अब उसका राज्य धरती पर आ चुका है।

3

उस दिन हर चीज़ फिर से जी उठती है, परमेश्वर स्वयं आता है धरती पर। फूल ख़ुशी से खिल उठते हैं, पंछी गाते हैं और हर चीज़ आनंद मनाती है। देखो, जैसे ही परमेश्वर के राज्य की सलामी गूंजती है, शैतान का राज्य ढहने लगता है, रौंदा जाता है, फिर कभी न उठने के लिये, डूब जाता है यश-गान के तले। अनगिनत लोग ख़ुशी से परमेश्वर का यश-गान करते हैं, अनगिनत आवाज़ें उसके नाम की प्रशंसा करती हैं। वे उसके अद्भुत कर्मों को देखते हैं। अब उसका राज्य धरती पर आ चुका है।

4

किसमें है साहस जो धरती पर विरोध करे? जब लोगों के बीच परमेश्वर खड़ा होता है, तो वह धरती पर अपना रोष और सब विपदाएं लेकर आता है। जगत परमेश्वर का राज्य बन चुका है। बादल आसमां में अठखेलियां करते हैं, झीलें और झरने धुन पर झूम उठते हैं। जानवर निकल आते हैं अपनी मांद से, और परमेश्वर जगा देता इंसान को उसके ख़्वाब से। जिसका इंतज़ार था लोगों को आख़िर वो दिन आ गया है, परमेश्वर को वे अपने मधुरतम गीत अर्पित कर रहे हैं। अनगिनत लोग ख़ुशी से परमेश्वर का यश-गान करते हैं, अनगिनत आवाज़ें उसके नाम की प्रशंसा करती हैं। वे उसके अद्भुत कर्मों को देखते हैं। अब उसका राज्य धरती पर आ चुका है। वे उसके अद्भुत कर्मों को देखते हैं। अब उसका राज्य धरती पर आ चुका है।

— 'मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ' से

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