मद चौदह : वे परमेश्वर के घर को अपना निजी अधिकार क्षेत्र मानते हैं (खंड चार)

III. मसीह-विरोधी लोगों के दिलों की जाँच और उन पर नियंत्रण करते हैं

सत्ता पर एकाधिकार पाने और परिस्थितियों में जोड़-तोड़ करने के अलावा कौन से अन्य कार्यों से इस बात की पुष्टि हो सकती है कि मसीह-विरोधी परमेश्वर के घर को अपने अधिकार-क्षेत्र की तरह मानते हैं? सत्ता पर एकाधिकार के साथ हमने मुख्य रूप से कार्मिक मामलों के पहलुओं के बारे में संगति की, जबकि परिस्थितियों में जोड़-तोड़ करना मुख्य रूप से घटनाक्रम को नियंत्रित करना है। मसीह-विरोधियों का सत्ता पर एकाधिकार पाना एक बाहरी क्रिया है, और परिस्थितियों में जोड़-तोड़ करना भी बाहरी चीज है जिसे लोग देख सकते हैं—इन पहलुओं को नियंत्रित करना आसान होता है। हालाँकि एक चीज है जिसे नियंत्रित करना किसी के लिए भी असाधारण रूप से कठिन होता है। वह चीज क्या है? (लोगों के दिलों और लोगों के विचारों पर नियंत्रण।) मुझे बताओ, क्या यह सही है? (हाँ, यह सही है।) बाइबल कहती है, “मन तो सब वस्तुओं से अधिक धोखा देनेवाला होता है” (यिर्मयाह 17:9), यानी मनुष्य के दिल को नियंत्रित करना सबसे कठिन काम है। क्या मसीह-विरोधी सबसे मुश्किल चीज को नियंत्रित करने की कोशिश करेंगे? संभवतः वे कहें, “क्योंकि मनुष्य का दिल सबसे अधिक धोखेबाज है और इसे नियंत्रित करना कठिन है, इसलिए मैं इसे नियंत्रित नहीं करूँगा। उन्हें सोचने दो कि उन्हें क्या चाहिए; जब तक मेरे पास शक्ति है, जब तक मेरा लोगों पर नियंत्रण है, उतना काफी है। मैं बस उनके कार्यों और व्यवहार को नियंत्रित करूँगा, उनके विचारों का प्रबंधन परमेश्वर पर छोड़ा जा सकता है; मेरे पास क्षमता नहीं है, इसलिए मैं उन चीजों की परवाह नहीं करूँगा”? क्या मसीह-विरोधी इस तरह समझौता करेंगे? (नहीं, वे नहीं करेंगे।) मसीह-विरोधियों के सार का आकलन करें तो उनकी महत्वाकांक्षा किसी व्यक्ति को संपूर्ण रूप से नियंत्रित करना होती है। उनके लिए नियंत्रित करने वाली सबसे चुनौतीपूर्ण चीज मनुष्य का दिल होती है, लेकिन यही वह चीज भी है जिसे वे सबसे अधिक नियंत्रित करना चाहते हैं। वे अपनी सत्ता के अधीन लोगों को लुभाते हैं, हर चीज पर पूरा नियंत्रण रखते हैं : घटनाएँ किस दिशा में बढ़ती हैं, कितने लोग शामिल होते हैं, कौन सी बातें सामने आती हैं, इन घटनाओं का पूरा विकासक्रम और इनके परिणाम क्या होंगे—सभी का विकास उसी के अनुसार हो रहा है जिसे उन्होंने शुरू किया है और उनके दिल की चाह है। हालाँकि एक चीज है कि लोग अपने दिल में क्या सोच रहे हैं? वे उनके बारे में क्या सोच रहे हैं? उनके ऊपर उनका अच्छा प्रभाव पड़ता है या नहीं? वे उन्हें पसंद करते हैं या नहीं? अपने मन में क्या उन्हें विश्वास है कि वे मसीह-विरोधी हैं? क्या वे अपने क्रिया-कलापों का भेद पहचानते हैं या उनसे विरक्ति होती है? जब लोग बाहरी रूप से उनके प्रति सम्मान दिखाते हैं और उनकी चापलूसी करते हैं, तो वे वास्तव में अपने दिल में क्या सोच रहे होते हैं? क्या उनके दिल में जो कुछ है वह वास्तव में उनके बाहरी स्वरूप के अनुरूप है? क्या वे वास्तव में उनके प्रति आज्ञाकारी हैं? यह एक ऐसा मामला है जो मसीह-विरोधियों को बहुत परेशान करता है। वे जितना अधिक परेशान महसूस करते हैं, उतना ही अधिक वे जवाब ढूँढ़ने की कोशिश करते हैं। यह मसीह-विरोधियों द्वारा परमेश्वर के घर को अपने अधिकार-क्षेत्र की तरह मानने की तीसरी अभिव्यक्ति है—लोगों के दिलों की जाँच और उन पर नियंत्रण करना।

क्या लोगों के दिलों की जाँच और उन पर नियंत्रण करना आसान है? जाँच और नियंत्रण करना कुछ करते समय कार्य या व्यवहार के दो अलग-अलग स्तरों को दर्शाता है। जब एक मसीह-विरोधी के पास सत्ता होती है और वह किसी घटना के विकास और उसके परिणाम के पूरे क्रम को नियंत्रित करता है, जब वह इन चीजों को नियंत्रित करता है, तो उसके अधीन या उसके प्रभाव-क्षेत्र के भीतर के लोग वास्तव में अपने दिल में किस बारे में विचार कर रहे होते हैं—क्या वे उससे परमेश्वर के समान या एक संपूर्ण व्यक्ति के समान व्यवहार करते हैं, या वे उसके प्रति घृणा, राय या धारणाएँ रखते हैं और क्या वे उसका भेद पहचानते हैं—लोग अपने दिल में वास्तव में क्या विचार कर रहे हैं, इन चीजों को परखना काफी चुनौतीपूर्ण है। तो फिर वह क्या करता है? वह अपने अधीन लोगों पर नजर रखता है, और जिनमें विवेक की कमी होती है और जिनका शोषण करना आसान होता है, उन्हें लाभ देता है या कुछ सुखद लगने वाले शब्द बोलता है। ये लोग रबड़ की गेंदों की तरह होते हैं : हर बार जब आप उन्हें मारते हैं तो वे अधिक ऊँचाई तक जाते हैं और अधिक ऊर्जा इकट्ठी करते हैं। वह ऐसे व्यक्तियों से प्यादे के रूप में काम लेता है। वह उनका उपयोग किस लिए करता है? उसके ये प्यादे उसके लिए लोगों के दिलों की जाँच करते हैं। वह प्यादे से कह सकता है, “हाल ही में हमारी कलीसिया में बहन ली और उसकी पुत्री कम भेंट दे रही हैं। वे काफी भेंट दिया करती थीं, लेकिन अब वे उतनी ज्यादा नहीं आती हैं। वे फिलहाल क्या कर रही हैं? क्या उनका बाहरी लोगों से कोई संपर्क हुआ है? क्या उनके घर पर कुछ हो रहा है? जाओ देखो और कुछ सहायता प्रदान करो।” वह व्यक्ति बहन ली के घर जाता है और यह विचार करते हुए आसपास निगाह डालता है, “यहाँ कोई अपरिचित चेहरा तो नहीं है। ऐसा लगता है कि दोनों बहनें काफी शांतिपूर्ण जीवन जी रही हैं। ऐसा नहीं लगता कि उन्हें कोई परेशानी है। वे हमारी सभाओं में क्यों नहीं जाती हैं? चलो पूछताछ करते हैं।” यह व्यक्ति पूछता है, “क्या तुम लोगों ने घर पर हाल ही में कोई नई रोशनी पाई है? मुझे आजकल कमजोरी महसूस हो रही है; कुछ पल के लिए मेरे साथ संगति करो।” यह मालूम होने पर कि वह व्यक्ति सत्य की तलाश करने और मदद माँगने के लिए आया है, वो बहनें उसके साथ संगति करती हैं और कहती हैं, “हाल ही में हमें एक नई रोशनी मिली है कि परमेश्वर में विश्वास रखने वालों को दूसरे लोगों का अनुसरण नहीं करना चाहिए या हमेशा उन पर भरोसा नहीं करना चाहिए; चुनौतियों का सामना करने पर हमें परमेश्वर के समक्ष प्रार्थना करनी चाहिए; यही सर्वोच्च ज्ञान है। लोग भरोसेमंद नहीं होते हैं, व्यक्ति केवल परमेश्वर पर ही भरोसा कर सकता है; वह लोगों को सत्य, जीवन और वह मार्ग प्रदान कर सकता है जिस पर उन्हें चलना चाहिए—लोग ऐसा नहीं कर सकते। मैं हमेशा दूसरों पर निर्भर रहती थी, लेकिन बाद में एक बहन के साथ संगति करने से...।” वे पूछते हैं, “बहन के साथ संगति करने से? वह बहन कहाँ है? क्या वह बाहरी व्यक्ति है?” बहनें कहती हैं, “वह पूरी तरह से बाहरी व्यक्ति नहीं है; वह हमारी कलीसिया की एक बहन है जो कई सालों तक बाहर कर्तव्य निभाने के बाद लौटी है।” वे कहते हैं, “क्या यह अभी भी किसी बाहरी व्यक्ति से संपर्क रखना नहीं है? तुम अविवेकपूर्ण ढंग से बाहरी लोगों से जुड़ी हुई हो; तुम्हें इस मुद्दे के बारे में कलीसिया को बताना चाहिए!” यह जानकारी जुटाने के बाद वह व्यक्ति दो महत्वपूर्ण बातों से पर्दा उठाता है : पहली बात, दोनों बहनें अगुआ के करीब नहीं रहना चाहती हैं, और उन्होंने उसके प्रति कुछ समझ से काम लिया है; दूसरी बात, उनका एक बाहरी व्यक्ति से संपर्क हुआ है, और उस बाहरी व्यक्ति ने उनसे कुछ कहा है; विशिष्ट जानकारी स्पष्ट नहीं है, बहनें उनके बारे में कुछ नहीं कहेंगी, वे जानबूझकर इसे छिपा रही हैं, जिसका अर्थ है कि अगुआ के प्रति उनकी वफादारी डगमगा रही है और उन्होंने उससे सावधान रहना शुरू कर दिया है। जब यह व्यक्ति लौट कर मसीह-विरोधी को उनकी रिपोर्ट देता है, तो क्या मसीह-विरोधी इसे सुनने के बाद खुश होता है? क्या वह सोचेगा, “बहुत बढ़िया, आखिरकार मेरे अधीनस्थों ने मेरे प्रति कुछ समझ से काम लिया है”? (नहीं, वह यह नहीं सोचेगा।) वह क्या सोचेगा? “यह बुरा है। दोनों बहनें आज्ञाकारी हुआ करती थीं, वे कलीसिया में सच्ची विश्वासी थीं और वे बहुत भेंटें देती थीं। जब से इस अनजान व्यक्ति ने उनसे बातचीत शुरू की है तब से ये दोनों थोड़ी अवज्ञाकारी हो गई हैं। क्या वे भविष्य में भेंट देना जारी रखेंगी? यह परेशानी और जोखिम भरा है।” मसीह-विरोधी असहज महसूस करता है। वह बेचैन क्यों है? (लोग उसका भेद पहचान रहे हैं और अब उसकी बात नहीं सुनते।) बिल्कुल, लोगों के दिल अब उसके हेरफेर और नियंत्रण के अधीन नहीं हैं, उनका हृदय परिवर्तन हो रहा है, इसलिए वे बेचैनी महसूस करते हैं। अतीत में ये दोनों निष्कपट और सरल थीं, वे बहुत आज्ञाकारी थीं और उसके प्रति कम समझ से काम लेती थीं, जो कुछ भी वह कहता था उसे बिना किसी सोच-विचार के स्वीकार लेती थीं। अब जबकि उनका हृदय परिवर्तन हो गया है, उन्हें समझ आ गई है और वे दूरी बनाए हुए हैं, संभवतः उसका त्याग कर रही हैं और शायद उसकी रिपोर्ट करने का इरादा भी रखती हैं—यह परेशानी का कारण बनता है। क्या यह इस बात की विशिष्ट अभिव्यक्ति नहीं है कि मसीह-विरोधी कैसे लोगों के दिलों की जाँच और उन पर नियंत्रण करते हैं?

जब मसीह-विरोधी को कुछ भी असामान्य दिखाई देता है, तो वह स्थिति का पता लगाने और इसके पीछे के कारण समझने के लिए तुरंत अपने अंतरंग साथियों या गुर्गों को वहाँ भेजता है। यदि कोई बदलाव नहीं होता, यदि लोग वैसे ही बने रहते हैं और उनका हृदय परिवर्तन नहीं हुआ होता है, तो वह आश्वस्त हो जाता है और फिर वह असहज या तनावग्रस्त नहीं होता। हालाँकि यदि उसे किसी असामान्य बात का पता चलता है, जिसकी उसे जानकारी नहीं है, जिसमें वह हेरफेर नहीं कर सकता, न ही जिसकी उसने कल्पना की है, तो यह तकलीफदेह बात है। वह परेशान और चिंतित हो जाता है, और हड़बड़ी में वह कार्रवाई करेगा। उसकी कार्रवाइयों का क्या उद्देश्य होता है? वह चाहता है कि लोग उसकी बातों से एकमन हों और उनका हृदय परिवर्तन न हो। लोग अपने विचार उसे बताएँ और वफादारी, दृढ़संकल्प तथा ईमानदारी के साथ लगातार उसे रिपोर्ट करें। उसे लगातार लोगों के दिलों में बदलती सोच और विचारों तथा उनकी सोच की दिशा और सिद्धांतों को नियंत्रित करना होगा। जैसे ही उसे किसी व्यक्ति में विरोध पनपने का पता चलता है तो वह उसे बदलने का उपाय करेगा। यदि उन्हें बदला नहीं जा सकता और वे दोस्त नहीं बन सकते, तो इसके बजाय वे दुश्मन बन जाएँगे। उसका दुश्मन बनने के क्या परिणाम होते हैं? उन्हें यातनाएँ दी जाएँगी और उनका दमन किया जाएगा। यह एक तरीका है। दूसरा तरीका भी होता है। मसीह-विरोधी सदैव अपने आसपास के लोगों के बारे में सशंकित रहता है, कभी भी उन्हें पूरी तरह समझने में समर्थ नहीं होता है, उसे डर होता है कि लोग उसका भेद पहचान लेंगे और उसकी रिपोर्ट कर देंगे और अपने दिल में कहता है : “क्या तुमने देखा जब मैंने भेंटें चुराईं और चीजों को अपने ढंग से किया? अगर तुमने देखा होता, तो क्या तुम इसका भेद पहचान पाते? क्या तुम मेरी रिपोर्ट करते?” यहाँ तक कि कुछ मसीह-विरोधी पर्दे के पीछे यौन रूप से असंयमी होते हैं, और वे सोचते हैं, “इन चीजों के बारे में किसे पता है? जो लोग इसके बारे में जानते हैं वो क्या सोच रहे हैं? क्या मुझे किसी तरह दिखावा करना चाहिए, झूठी छवि बनानी चाहिए, फिर इन लोगों की परीक्षा लेनी चाहिए, उनके अंतरतम के विचारों को जान लेना चाहिए, और देखना चाहिए कि वे वास्तव में क्या सोच रहे हैं?” क्या मसीह-विरोधी ऐसे काम करेंगे? मसीह-विरोधियों जैसे दुष्ट लोगों के लिए, ऐसी चीजें करना उनकी दूसरी प्रकृति की तरह है; वे स्वाभाविक रूप से ऐसा करते हैं—वे इसे शानदार ढंग से करते हैं। मसीह-विरोधी लोगों को एकजुट करते और कहते हैं, “आज मैंने सभी को किसी और उद्देश्य से नहीं बुलाया है, बल्कि हाल ही में कलीसिया में किए गए मेरे काम में मेरी खामियों की जाँच करने और मेरे द्वारा प्रकट भ्रष्ट स्वभावों को लेकर अपने ज्ञान के बारे में बात करने के लिए बुलाया है। खुलकर बोलो, कुछ छुपाओ मत। मैं तुम्हारी निंदा नहीं करूँगा। आओ खुलकर दिल से दिल की और आमने-सामने संगति करें। यदि मैंने कुछ किया है, तो मैं बदलूँगा; यदि नहीं, तो मैं इसे ऐसा न करने की चेतावनी के रूप में लूँगा। परमेश्वर के घर में सब कुछ खुला, प्रकट, और सबके सामने है। हम सब कुछ परमेश्वर के सामने करते हैं, और किसी को भी किसी और से सतर्क रहने की कोई आवश्यकता नहीं है। भाइयों और बहनों, अपने मन को शांत करो। मैं स्वयं की जाँच करके शुरू करूँगा। हाल ही में, मेरे अपने आलस्य और दैहिक सुख-सुविधाओं का लालच करने के कारण, मैंने अपना काम अच्छे से नहीं किया है। सुसमाचार कार्य हाल ही में ठीक से नहीं चल रहा है और मैंने कलीसियाई जीवन की ओर अधिक ध्यान नहीं दिया है। मैं सुसमाचार कार्य में व्यस्त रहा और दूसरे मामलों के लिए समय नहीं निकाल सका। बेशक मैं जिम्मेदार हूँ। अपनी कल्पनाओं पर भरोसा करके मैंने मान लिया था कि कलीसियाई जीवन भाई-बहनों द्वारा स्वयं ही विनियमित हो जाएगा और मुझे ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं होगी। तुम सभी लोग वयस्क हो, और परमेश्वर के वचन एकदम स्पष्ट हैं, इसलिए मैंने खुद को सुसमाचार के कार्य में पूरी तरह समर्पित कर दिया था। हालाँकि मैंने सुसमाचार के कार्य को भी अच्छे से नहीं किया। मुझे भाई-बहनों के समक्ष अपनी गलतियों को स्वीकार करना है, तुमसे क्षमा माँगनी है, और परमेश्वर से भी क्षमा माँगनी है। यहाँ मैं तुम सबके सामने सिर झुकाता हूँ।” हरेक व्यक्ति यह देखकर मन में सोचता है, “वह बदल गया है; वह पहले की भांति चालाक नहीं दिखता है। वो आज इतना ईमानदार क्यों है? कुछ तो गड़बड़ है। मुझे सीधे निष्कर्ष नहीं निकालना चाहिए; मैं देखूँगा कि वह आगे क्या कहता है।” मसीह-विरोधी कहना जारी रखता है, कि वह दानव, शैतान है, स्वीकार करता है कि उसने कोई वास्तविक काम नहीं किया है, खुद को ऊपरवाले की किसी भी व्यवस्था में उपलब्ध रहने की और भाई-बहनों से किसी भी तरह की आलोचना या निंदा को स्वीकार करने की इच्छा जताता है। वह आगे कहता है, “भले ही वे मुझे बर्खास्त कर दें और अगुआई न करने दें, तो भी मैं सबसे कमतर लोगों में से एक होने को तैयार हूँ। मैं कलीसिया से सिफारिश करता हूँ कि वह मेरा काम बहन ली और उसकी पुत्री को सौंप दे।” उसने पहले ही अपना उत्तराधिकारी चुन लिया है। क्या उसका रवैया अत्यधिक ईमानदार नहीं है? क्या संदेह करने की भी कोई जरूरत है? ऐसा कहते हुए वह रोना भी शुरू कर देता है। फिर वह अपनी पत्नी को बुलाता है और कहता है, “इस दौरान तुमने भी कोई वास्तविक काम नहीं किया है, और केवल विघ्न-बाधाएँ और गड़बड़ियाँ पैदा की हैं, और भाई-बहनों की अँधाधुंध काट-छाँट भी की है। तुम्हें भी बर्खास्त किया जाना चाहिए।” मसीह-विरोधी खुद पर और फिर अपने परिवार पर उंगली उठाता है, जिससे लोगों को लगता है कि वह ईमानदार है। जब हर कोई यह सुनता है तो कोई व्यक्ति कहता है, “असल में हम लंबे समय से तुम लोगों का भेद पहचान रहे हैं। तुम लोग मामलों पर हमसे सलाह नहीं करते; तुम में से कुछ निजी तौर पर आपस में चीजों पर चर्चा करके निर्णय ले लेते हो। यह परमेश्वर के घर के कार्य सिद्धांतों से मेल नहीं खाता। इसके अलावा तुम लोगों ने हमारी जानकारी के बिना निर्णय ले लिया है कि तुम में से अगुआ कौन होगा—हमें तो जानने का भी हक नहीं है। तुमने जिस व्यक्ति को चुना है वो न केवल वास्तविक कार्य करने में विफल रहता है बल्कि गड़बड़ियाँ भी पैदा करता है, लेकिन तुम उसे बर्खास्त नहीं करते।” भाई-बहन एक के बाद एक अपनी राय देते हैं। जब मसीह-विरोधी यह सुनता है तो सोचता है, “यह बुरी बात है! हालाँकि यह अच्छा है कि वे सभी एकदम अपने सच्चे विचार जता रहे हैं। यह मेरे भावी कार्य में लाभकारी होगा। यदि वे नहीं बोलते और पीठ पीछे मेरे खिलाफ साजिश करते, और मेरी जानकारी के बिना ऊपरवाले को सीधे रिपोर्ट पत्र लिखते, तो मेरा काम तमाम हो जाता, क्या नहीं होता? सौभाग्य से मैंने इस चाल का इस्तेमाल किया, मैं चतुर हूँ और मेरी प्रतिक्रिया तीव्र है और मैंने समय रहते उनकी राय पर पकड़ बना ली।” फिर वह चाटुकारितापूर्ण ढंग से घोषणा करते हुए कहना जारी रखता है, “भाई-बहनों आपके भरोसे और आज मेरी गलतियों के लिए ईमानदारी से मेरी आलोचना करने के लिए धन्यवाद। मैं भविष्य में निश्चित तौर पर उनमें बदलाव करूँगा। यदि मैं ऐसा नहीं करता, तो मुझे सजा मिले और शाप मिले।” मसीह-विरोधी का लोगों के दिलों की जाँच और नियंत्रण करना केवल छिपकर बातें सुनने और दरवाजे से झाँकने तक सीमित नहीं होता। गंभीर स्थितियों में उसके पास तुरुप का इक्का भी होता है। किस प्रकार का इक्का? वह लोकतंत्र और स्वतंत्रता को व्यवहार में लाता है, लोगों को बोलने की स्वतंत्रता देता है, उन्हें अपनी राय तथा अंतर्मन के विचारों को अभिव्यक्त करने की पूरी स्वतंत्रता देता है, अपने अंतर्मन की भावनाएँ व्यक्त करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करता है, चाहे ये शिकायतें ही क्यों न हों। फिर वह उससे अलग विचार रखने वाले या उसके बारे में अलग राय रखने वाले लोगों की कमजोरियों का लाभ उठाता है, और उन सभी को एक बार में समाप्त कर देता है। मसीह-विरोधी का दृष्टिकोण कैसा प्रतीत होता है? यह बेहद दुष्ट है! क्या यह थोड़ा बहुत बड़े लाल अजगर से मिलता-जुलता नहीं है? वे मूल रूप से एक ही समूह से हैं, उनका प्रकृति सार एक जैसा ही होता है। क्या बड़ा लाल अजगर इसी तरह से काम नहीं करता? मसीह-विरोधी का काम करने का तरीका देखना बड़े लाल अजगर के बदसूरत चेहरे को देखने जैसा होता है।

मसीह-विरोधी लोगों को लुभाने और लोगों का भरोसा जीतने के लिए मधुर और सही शब्दों का इस्तेमाल करने में माहिर होते हैं। जाँच करके और चालाकी से लोगों से उनकी सही स्थितियों की जानकारी हासिल करने के बाद परिणाम क्या निकलता है? क्या मसीह-विरोधियों को पछतावा होगा क्योंकि लोगों ने सच्ची बातें उनको बताई थीं? क्या वे हार मान लेंगे, बुराई करना छोड़ देंगे, अपनी सत्ता छोड़ देंगे, सत्ता की अपनी चाह त्याग देंगे और अपने अधिकार-क्षेत्र को विघटित होने देंगे? कभी नहीं। इसके बजाय वे अपने प्रयासों को बढ़ाएँगे। लोगों के दिलों पर नियंत्रण करने के लिए सब-कुछ करने के बाद जिन लोगों के विचार उनसे मेल खाते हैं उन्हें वे अपने साथ रखते हैं, और जिनके विचार मेल नहीं खाते उन सभी से छुटकारा पा लेते हैं। हम इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि कलीसिया में कुछ भाई-बहनों को ऐसी परिस्थितियों में बाहर निकाल दिया गया हो, निष्कासित कर दिया गया हो, या परमेश्वर के वचनों की उनकी पुस्तकों को जब्त कर लिया गया हो। इन लोगों के साथ गलत हुआ। जिन भाई-बहनों के साथ गलत हुआ उन्हें क्या करना चाहिए? क्या उन्हें परमेश्वर में विश्वास करना बंद कर देना चाहिए क्योंकि एक ऐसा मसीह-विरोधी परमेश्वर के घर में प्रकट हो गया है जिसने उन्हें इस तरह सताया और विश्वास करना असंभव बना दिया? क्या वे ऐसा कर सकते हैं? (नहीं, वे ऐसा नहीं कर सकते।) क्या मसीह-विरोधियों से या अंधकारमय या दुष्ट शक्तियों के आगे समझौता करना या उनके सामने सिर झुकाना उचित है? क्या तुम लोगों को यह मार्ग चुनना चाहिए? (नहीं, ऐसा नहीं है।) तो तुम लोगों को कौन सा मार्ग चुनना चाहिए? (मसीह-विरोधियों को उजागर करने और उनके बारे में रिपोर्ट करने का मार्ग।) जब तुम्हें किसी व्यक्ति के मसीह-विरोधी होने का पता चलता है, तो मैं तुम्हें बता देता हूँ, यदि उसका प्रभाव बहुत बड़ा है, अनेक अगुआ और कर्मी उसकी बात सुनते हैं और तुम्हारी बात नहीं सुनते, और यदि तुम उन्हें उजागर करते हो और तुम्हें अच्छी तरह से अलग-थलग या बाहर किया जा सकता है, तो तुम्हें अपनी रणनीति पर सावधानीपूर्वक विचार करना चाहिए। अकेले उनका सामना मत करो; परिस्थितियाँ तुम्हारे पक्ष में नहीं हैं। सबसे पहले उन लोगों से संपर्क करना चाहिए जो सत्य को समझते हैं और जिनमें भेद की पहचान हो और फिर उनके साथ संगति का प्रयास करो। यदि तुम एकमत हो जाते हो, तो ऐसे दो और अगुआओं या कर्मियों के पास जाओ जो सत्य को स्वीकार कर सकें और किसी सहमति पर पहुँच सकें। कई लोग एक साथ काम करके, संयुक्त रूप से मसीह-विरोधी को उजागर करो और उससे निपटो। इस तरह, तुम्हें सफलता मिल सकती है। यदि मसीह-विरोधी का प्रभाव बहुत ज्यादा है, तो तुम लोग ऊपरवाले को एक सूचना पत्र भी लिख सकते हो। यह एकदम सही दृष्टिकोण है। यदि कुछेक अगुआ और कर्मी सच में तुम लोगों को दबाने का प्रयास करें, तो तुम लोग उन्हें बता सकते हो, “यदि आप लोग हमारे खुलासे और रिपोर्ट को स्वीकार नहीं करते हैं, तो हम ऊपरवाले के समक्ष इस मामले को उठाएँगे और फिर वो आप लोगों को सँभालेगा!” इससे तुम्हारी सफलता की संभावनाएँ बढ़ती हैं, चूँकि वे तुम लोगों के विरुद्ध जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाएँगे। मसीह-विरोधियों से निपटते समय, तुम्हें इस भरोसेमंद दृष्टिकोण—कभी अकेले कुछ मत करो, को अपनाना चाहिए। यदि तुम्हारे पास कुछेक अगुआओं और कर्मियों का समर्थन नहीं है, तो तुम्हारे प्रयास निश्चित ही असफल हो जाएँगे, जब तक कि तुम एक सूचना पत्र लिखकर ऊपरवाले को सौंप नहीं देते। मसीह-विरोधी अत्यधिक धोखेबाज और धूर्त होते हैं। यदि तुम्हारे पास पर्याप्त सबूत नहीं है, तो उनके खिलाफ जाने की कोशिश मत करो। उनसे तर्क या बहस करना बेकार है, उनमें बदलाव लाने की कोशिश करने के लिए प्रेम जताना बेकार है, और उनके साथ सत्य पर संगति करना भी काम नहीं आएगा; तुम उनमें बदलाव नहीं ला पाओगे। ऐसी स्थिति में जहाँ तुम उन्हें बदल नहीं सकते, तुम्हारे लिए सबसे अच्छा यही है कि उनसे खुले दिल से बात मत करो, उनसे तर्क मत करो, और उनके पश्चात्ताप का इंतजार मत करो। इसके बजाय उन्हें बताए बिना उजागर करो और उनकी रिपोर्ट करो, ऊपरवाले को उन्हें सँभालने दो, और अधिक लोगों को उन्हें उजागर करने, उनकी रिपोर्ट करने, और उन्हें अस्वीकार करने के लिए प्रोत्साहित करो, ताकि आखिर उन्हें कलीसिया से उखाड़ फेंका जाए। क्या यह अच्छा तरीका नहीं है? यदि उनका उद्देश्य तुम्हारे अंतर्मन के विचारों को उगलवाना, तुम्हारी जाँच करना और यह देखना है कि उनके प्रति तुममें भेद की कोई पहचान तो नहीं है, तो तुम क्या करोगे यदि तुमने पहले ही उन्हें मसीह-विरोधी के रूप में पहचान लिया है? (मुझे उनके साथ सच नहीं बोलना चाहिए, बल्कि कुछ समय के लिए उनकी बातों के अनुसार चलना चाहिए, उन्हें अपनी समझ का पता नहीं चलने देना चाहिए, और फिर मुझे निजी तौर पर उन्हें उजागर करना चाहिए और उनकी रिपोर्ट करनी चाहिए।) यह दृष्टिकोण कैसा है? (अच्छा है।) तुम्हें दानवों और शैतानों की चालों की असलियत जाननी चाहिए और उनके बिछाए जाल में फँसने से बचना चाहिए या उनके बनाए गड्ढों में गिरने से बचना चाहिए। शैतानों और दानवों से निपटते समय, तुम्हें अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करना चाहिए और उनसे सच बोलने से बचना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि तुम केवल परमेश्वर और असली भाई-बहनों से ही सच बोल सकते हो। तुम्हें शैतानों से, दानवों से, या मसीह-विरोधियों से कभी सच नहीं बोलना चाहिए। केवल परमेश्वर ही इस योग्य है कि वह तुम्हारे दिल में जो है उसे समझे और तुम्हारे दिल पर संप्रभुता बनाए रखे और तुम्हारे दिल की जाँच-पड़ताल करे। कोई भी, विशेष रूप से दानव और शैतान, तुम्हारे दिल को नियंत्रित करने और उसकी पड़ताल करने के योग्य नहीं है। इसलिए यदि दानव और शैतान तुम्हारे अंतर्मन की सच्चाई जानने की कोशिश करें, तो तुम्हारे पास “न” कहने का, उत्तर देने से इनकार करने का, और जानकारी को दबाकर रखने का अधिकार है—यह तुम्हारा अधिकार है। यदि तुम कहते हो, “दानव, तुम मेरे अंतर्मन की बातों को उगलवाना चाहते हो, लेकिन मैं तुमसे सच नहीं बोलूँगा, मैं तुम्हें नहीं बताऊँगा। मैं तुम्हारी रिपोर्ट करूँगा—तुम मेरा क्या बिगाड़ सकते हो? यदि तुम मुझे सताने की हिम्मत करोगे, तो मैं तुम्हारी रिपोर्ट करूँगा, यदि तुम मुझे सताओगे तो परमेश्वर तुम्हें शाप देगा और तुम्हें सजा देगा!” क्या इससे काम चलता है? (नहीं चलता है।) बाइबल कहती है, “इसलिए तुम सब साँपों के समान बुद्धिमान और कबूतरों के समान भोले बनो” (मत्ती 10:16)। ऐसी स्थितियों में तुम्हें साँपों के समान बुद्धिमान होना चाहिए; तुम्हें बुद्धिमान होना चाहिए। हमारे दिल केवल इसके लिए उपयुक्त हैं कि परमेश्वर उनकी पड़ताल करे और उन्हें धारण करे, और उन्हें केवल परमेश्वर को ही दिया जाना चाहिए। केवल परमेश्वर ही हमारे दिल के योग्य है, शैतान और दानव इसके योग्य नहीं हैं! इसलिए क्या मसीह-विरोधियों के पास यह जानने का अधिकार है कि हमारे दिल में क्या है या हम क्या विचार कर रहे हैं? उनके पास वह अधिकार नहीं है। तुम्हारे अंतर्मन का सत्य उगलवाने और तुम्हारी जाँच करने का उनका मकसद क्या है? उनका उद्देश्य तुम्हारे ऊपर नियंत्रण करना है; तुम्हें इसे स्पष्ट रूप से पहचानना चाहिए। इसलिए उनसे सच मत बोलो। तुम्हें उनको उजागर कर उन्हें ठुकराने, उनकी जगह से उन्हें नीचे उतारने और उन्हें कभी सफल न होने देने के लिए और अधिक भाई-बहनों को एकजुट करने के तरीके ढूँढ़ने चाहिए। उन्हें कलीसिया से उखाड़ फेंको और परमेश्वर के घर में फिर से सत्ता में बाधा डालने और सत्ता पर नियंत्रण के किसी भी और सभी अवसरों से उन्हें वंचित कर दो।

मसीह-विरोधियों द्वारा लोगों के दिलों की जाँच करना और उन पर नियंत्रण करना एक कटु सच्चाई है। मसीह-विरोधियों के सार को देखते हुए यह स्पष्ट है कि ऐसी गतिविधियों में शामिल होना उनके लिए स्वाभाविक और काफी सामान्य बात है। विभिन्न कलीसियाओं में मसीह-विरोधी अक्सर भाई-बहनों में घुसपैठ करने, खुफिया जानकारी पाने और अंदरूनी जानकारी इकट्ठा करने के लिए अपने विश्वासपात्रों को भेजते हैं। कभी-कभी वे जो जानकारी इकट्ठी करते हैं वह घरेलू मामूली बातों या लोगों के बीच सामान्य बातचीत से संबंधित होती है, जो बिल्कुल भी महत्वपूर्ण नहीं होती। हालाँकि मसीह-विरोधी हमेशा इन मामलों पर हंगामा करते हैं, यहाँ तक कि लोगों के विचारों और राय में हुए परिवर्तनों पर तुरंत पकड़ बनाने के लिए उन्हें विचारों और दृष्टिकोणों के स्तर तक उठा देते हैं। ऐसा इसलिए है ताकि वे सहजता से परिस्थितियों और प्रत्येक व्यक्ति की स्थिति को नियंत्रित कर सकें, और प्रत्येक को तुरंत जवाब दे सकें। मसीह-विरोधी सत्ता और रुतबे से संबंधित अपने क्रियाकलापों में विशेष रूप से विशिष्ट होते हैं। वे किस हद तक विशिष्ट होते हैं? जहाँ तक मामलों को सँभालने को लेकर प्रत्येक व्यक्ति के दृष्टिकोण की बात है, साथ ही भौतिक चीजों, धन, रुतबे, परमेश्वर में विश्वास, कर्तव्य निभाने और नौकरी छोड़ने के बारे में उनका दृष्टिकोण क्या है—वे इन बातों की पूरी जानकारी चाहते हैं। पूरी जानकारी प्राप्त करने के बाद मसीह-विरोधी लोगों को पोषण देने, लोगों के गुमराह दृष्टिकोण को बदलने या समस्याओं को हल करने के लिए सत्य का उपयोग नहीं करते हैं। इसके बजाय वे इसका उपयोग अपने रुतबे, सत्ता और अधिकार-क्षेत्र के लिए करते हैं। लोगों के दिलों की जाँच करने और उन पर नियंत्रण करने के पीछे मसीह-विरोधियों का यही उद्देश्य होता है। मसीह-विरोधियों के लिए, वे जो कुछ भी करते हैं वह सार्थक और मूल्यवान प्रतीत होता है, लेकिन इन सभी कथित तौर पर अर्थपूर्ण और मूल्यवान चीजों की परमेश्वर निश्चित रूप से निंदा करता है। वे निश्चित रूप से परमेश्वर को धोखा देते हैं और उसके साथ शत्रुता रखते हैं।

7 नवंबर 2020

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