मद ग्यारह : वे काट-छाँट करना स्वीकार नहीं करते और न ही कोई गलत काम करने पर उनमें पश्चात्ताप का रवैया होता है, बल्कि वे धारणाएँ फैलाते हैं और परमेश्वर के बारे में सार्वजनिक रूप से आलोचना करते हैं (खंड चार)

जब मसीह-विरोधी किसी भी कार्य का कोई हिस्सा अपने हाथ में लेते हैं, तो वे बेपरवाह बन जाते हैं और वे बुरे लोगों और परमेश्वर के घर के कार्य में बाधा डालने वालों के प्रति अपनी आँखें मूँद लेते हैं या हो सकता है कि वे उनका बचाव भी करें, उन्हें ढील भी दें और उनकी रक्षा भी करें। बर्खास्त होने के बाद, जब वे कोई दूसरा कर्तव्य निभाते हैं, तो क्या मसीह-विरोधी खुद को बदलता है? (नहीं।) ऐसा क्यों है? (उनके प्रकृति सार की समस्या के कारण।) इतनी बड़ी गलती करने के बाद भी वे पश्चात्ताप नहीं करते और उनके दिल में अभी भी धारणाएँ और शिकायतें होती हैं, तो क्या उनके लिए अपने किसी भी कर्तव्य के प्रति थोड़ा-सा भी ईमानदार होना संभव है? वे अपने कर्तव्य में बिना किसी धारणा या शिकायतों के भी लापरवाही से गलतियाँ करते हैं, तो जब वे इन बातों को अपने मन में रख रहे होते हैं, तो क्या उनके लिए अपने कर्तव्य में ईमानदार होना संभव है? (नहीं।) और बिना ईमानदारी के, क्या वे लापरवाही करेंगे? क्या वे लापरवाही से गलत कार्य करेंगे? (हाँ करेंगे।) हो सकता है कि तुम में से कुछ लोग इससे सहमत न हों, इसलिए खुद देख लो और एक दिन आएगा जब तुम भी सहमत हो जाओगे। एक मसीह-विरोधी कभी नहीं बदल सकता, और चाहे उन्हें कहीं भी रखा जाए, वे हमेशा बुरे ही रहेंगे। जब सत्य का अनुसरण करने वाले किसी व्यक्ति की भ्रष्ट स्वभाव प्रकट करने के कारण काट-छाँट की जाती है, तो उनमें कुछ परिवर्तन आते हैं। उनकी स्थिति बेहतर से बेहतर होती जाती है, उनका रवैया अधिक से अधिक सक्रिय हो जाता है, उनका दृष्टिकोण अधिक से अधिक सकारात्मक हो जाता है, उनके प्रयासों के लक्ष्य और दिशा अधिक से अधिक सही होते जाते हैं, उनका दिल परमेश्वर का भय मानने वाला बनता जाता है और उनकी मानवता अधिक से अधिक सम्माननीय लगने लगती है। इसके विपरीत, जितना अधिक एक मसीह-विरोधी की काट-छाँट की जाती है, उतना ही उनका आंतरिक आक्रोश बढ़ता जाता है, वे उतने ही अधिक सतर्क हो जाते हैं, वे अपने दिल में उतना ही अधिक अन्याय महसूस करते हैं और परमेश्वर के बारे में उनकी धारणाएँ, नफरत और शिकायतें उतनी ही अधिक बढ़ती जाती हैं। जब उनकी काट-छाँट नहीं की जाती, तो उनका शरीर थोड़ा बहुत कीमत चुकाने के लिए तैयार हो जाता है, लेकिन जब उनकी अधिक काट-छाँट की जाती है, तो उनमें थोड़ी-सी भी ईमानदारी नहीं होती है। वे सचमुच पूरी तरह से बर्बाद हो चुके हैं! खुद ही देख लो—ऐसे लोग हमेशा दूसरों का समर्थन करने के लिए उपदेश देते रहते हैं, लेकिन वे खुद इस पर बिल्कुल भी अभ्यास नहीं करते या किसी प्रकार का प्रवेश नहीं करते—यह उनकी एक विशेषता है। उनकी एक और विशेषता यह है कि, चाहे वे कोई भी कार्य कर रहे हों, जब उनके पास रुतबा होता है तो वे आगे आकर कुछ उत्साह दिखा सकते हैं, लेकिन वे हमेशा बेपरवाह ही रहते हैं और अपने काम में लापरवाही से गलत कार्य करते रहते हैं। जब उनका रुतबा छिन जाता है तो वे खुलकर भिड़ने लगते हैं, वे अपनी स्थिति को निराशाजनक मान लेते हैं और यहाँ तक कि निर्लज्जता और लापरवाही से कार्य करते हैं और किसी अराजक बर्बर की तरह कार्य करते हैं, जिसमें पूरी तरह से परमेश्वर का भय मानने वाला दिल नहीं होता। संपूर्ण मानवजाति में, इस प्रकार का व्यक्ति एक क्लासिक मसीह-विरोधी होता है। वे दूसरे लोगों की दशाओं का बहुत स्पष्ट और तार्किक विश्लेषण कर सकते हैं, वे यह ऐसे तरीके से कर सकते हैं जो समझने में आसान हो और तुम्हें यह एहसास कराते हैं कि उन्हें अपने बारे में इस प्रकार की समझ है। लेकिन जब वे कोई गलती करते हैं, जब वे एक भ्रष्ट स्वभाव को प्रकट करते हैं और तुम उन्हें उजागर करने और उनका विश्लेषण करने की कोशिश करते हो, तो देखना कि उनका रवैया कैसा होता है। वे इसे स्वीकार करने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं होंगे वे इसे अस्वीकार करने और अपना बचाव करने के लिए हरसंभव तरीके सोचेंगे, लेकिन इसे स्वीकार नहीं करेंगे। कोई भी उन्हें छू नहीं सकेगा और जो भी उन्हें छेड़ेगा या उनकी किसी समस्या को उजागर करेगा, उसे मुश्किल में डाल दिया जाएगा और उनके साथ एक दुश्मन जैसा व्यवहार किया जाएगा।

जब एक मसीह-विरोधी के पास रुतबा होता है तो वे अपने रुतबे की रक्षा करने के लिए थोड़ा-सा कष्ट सहने और थोड़ी-सी कीमत चुकाने में सक्षम रहता है। ये मसीह-विरोधी एक दिखावटी चेहरा भी लगा लेते हैं, जैसे मानो उनके दिल में दुनिया के हर व्यक्ति के लिए करुणा हो और वे सभी को बचाना चाहते हों—यह एक पाखंडी चेहरा होता है। हालाँकि, जैसे ही वे अपना रुतबा खो बैठते हैं, उनकी सारी कृपा और दया गायब हो जाती है, लेकिन फिर भी वे बीते समय में मिले समर्थन, सम्मान और विशेष ध्यान को बरकरार रखना चाहते हैं और उसका आनंद लेना चाहते हैं। वे तो बस हद से ज्यादा बेशर्म होते हैं! मसीह-विरोधी चाहे किसी भी समूह में हों, वे किसी को थोड़ी-सी भी सहायता या शिक्षा प्रदान नहीं करते हैं और फिर भी वे हर किसी के समर्थन और सम्मान का आनंद लेना चाहते हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि और कौन स्वीकार करता है कि उनका भ्रष्ट स्वभाव है, एक मसीह-विरोधी कभी भी अपना मुँह नहीं खोलेगा और यह नहीं कहेगा कि उसका भी भ्रष्ट स्वभाव है या इस बारे में बात नहीं करेगा कि उसने अतीत में किस प्रकार का भ्रष्ट स्वभाव प्रकट किया है। वे कभी भी आत्म-विश्लेषण नहीं करते हैं और जब उन्हें मुश्किल स्थिति में डाला जाता है, तो वे केवल इतना ही कहते हैं कि, “हाँ, मैं एक राक्षस हूँ, मैं एक शैतान हूँ,” और बस। वे बस कुछ ऐसी बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, खोखले शब्द कह देते हैं। अगर तुम उनसे पूछो, “तुम्हारे अंदर एक राक्षस और शैतान होने की कौन-कौन सी विशेष अभिव्यक्तियाँ और प्रकाशन हैं? जब तुम कोई कार्य करते हो, तो तुम्हारे कौन-से मकसद और इरादे होते हैं?” तो फिर वे कुछ भी नहीं कहेंगे। क्या वे शैतान नहीं हैं? जब से बड़ा लाल अजगर सत्ता में आया है, उसने अनगिनत बुराइयाँ की हैं और अपने पूरे शासन के दौरान वह लगातार अपनी गलतियों को स्वीकार करता रहा है और उन्हें सुधारता रहा है, साथ ही साथ वह अपने लोगों के प्रति अपने दुर्व्यवहार को भी निरंतर बढ़ाता रहा है। जब तुम उसे अपनी गलतियों को स्वीकार करते हुए देखते हो, तो तुम्हें लग सकता है कि वह पश्चात्ताप करेगा और एक नई शुरुआत करेगा, कि वो अपनी गलती को स्वीकार करने का रवैया अपनाता है और शायद वह ऐसी गलतियाँ दोबारा नहीं करेगा। लेकिन इसके बाद जो कुछ घटित होता है और जिस प्रकार से मामले आगे बढ़ते हैं, उसे देखते हुए लगता है कि बड़े लाल अजगर द्वारा अपने गलत कार्यों को स्वीकार करना केवल अपनी छवि और रुतबे की रक्षा करने के लिए होता है, जिससे उसके लिए सत्ता पर काबिज रहने और अपने लोगों के साथ दुर्व्यवहार करने वाले और भी भयानक कार्य करने का मार्ग खुल जाता है। मसीह-विरोधी भी ऐसे ही होते हैं—उनका प्रकृति सार भी दानव, शैतान और बड़े लाल अजगर के समान ही होता है। वे अपना भेष बदलने में माहिर होते हैं और झूठ बोलने के आदी होते हैं; उनमें कोई शर्म नहीं होती, वे सत्य और सकारात्मक चीजों से विमुख होते हैं और सत्य को दूर से भी स्वीकार नहीं करते। इसके अलावा, वे सिर्फ अच्छी लगने वाली बातें ही करते हैं और हर तरह के बुरे कार्य करते हैं। भाइयों और बहनों के इर्द-गिर्द, मसीह-विरोधी अक्सर सही बातें ही करते हैं और ऐसे कार्य ही करते हैं जो सतही तौर पर सही लगते हैं, लेकिन जब उनसे परमेश्वर के वचनों और सत्य सिद्धांतों के अनुसार सख्ती से अभ्यास करने और परमेश्वर के घर की कार्य व्यवस्थाओं को लागू करने के लिए कहा जाता है, तो वे ऐसा कुछ भी नहीं करेंगे और इसके बजाय वे बिना किसी सुराग के गायब हो जाएँगे। अगर तुम उन्हें पर्यवेक्षण या प्रेरणा के बिना छोड़ दोगे, तो वे लापरवाही से गलत कार्य करेंगे और अपना खुद का स्वतंत्र राज्य स्थापित करेंगे। अपनी सत्ता पाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, वे किसी भी कठिनाई को सहन करेंगे और कोई भी कीमत चुकाएँगे। हम इससे देख सकते हैं कि मसीह-विरोधियों का प्रकृति सार एक और प्रकार का होता है, जो यह है कि वे स्वार्थी और घृणित हैं। खुद के लिए कुछ करते समय थोड़ी-सी कीमत चुकाने के अलावा, अगर उनसे बदले में कुछ भी लिए बिना भाइयों और बहनों, या परमेश्वर के घर के लिए कुछ करने या कहने को कहा जाए, तो क्या वे इतनी दयालुता दिखाएँगे? क्या वे इस बोझ को उठाएँगे? (नहीं।) तो जब उन चीजों की बात आती है जिन्हें ऊपरवाले ने उन्हें लागू करने के लिए कहा है, और जब उस कार्य की जाँच करने का समय आता है, तो उन्होंने उनमें से किसी को भी लागू नहीं किया होगा। ऐसा क्यों है? क्योंकि ऐसा करने के लिए उन्हें खुद को थकाना होगा और कष्ट उठाना पड़ेगा; उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी और वे शायद इससे ज्यादा लाभ नहीं उठा पाएँगे। इसलिए, वे ऐसा बिल्कुल भी नहीं करेंगे। अगर इससे अधिकांश लोगों को लाभ होगा, अगर अधिकांश लोग इससे फायदे उठाते, तो क्या एक मसीह-विरोधी इसके लिए कीमत चुकाने को तैयार होता? वे ऐसा नहीं करेंगे। अगर यह कोई ऐसा कार्य होता जिसे करने पर अधिकांश लोग उनका सम्मान करते और जिसके लिए उन्हें याद करते और उनकी पूजा करते और उनकी प्रशंसा करते और अगर उन्हें इस अच्छे कार्य को करने के लिए आने वाली कई पीढ़ियों तक याद रखा जाता, तो फिर वे कैसा व्यवहार करते? वे तुरंत इस कार्य को करना शुरू कर देते और किसी भी अन्य व्यक्ति की तुलना में इसे अधिक खुशी से करते। क्या यह बेशर्मी नहीं है? यह दानव, शैतान सच में बेशर्म होता है। इसने अनगिनत बुराइयाँ की हुई हैं, फिर भी वो चाहता है कि हर कोई इसके प्रति गहराई से आभारी हो, लोग करीब से इसका अनुसरण करें और इसकी प्रशंसा करें। यह लोगों के साथ बहुत ज्यादा दुर्व्यवहार करता है, फिर भी उनसे अपनी प्रशंसा की उम्मीद रखता है। मसीह-विरोधी भी ऐसे ही होते हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि एक मसीह-विरोधी ने कितने उपदेश सुने हैं या वे कितने सिद्धांतों को समझते हैं, अगर तुम उनसे बिना लापरवाही के कोई कार्य या कर्तव्य करने के लिए कहो, तो वे इसे नहीं कर पाएँगे। अगर तुम उनसे कहो कि वे अपना खुद का स्वतंत्र राज्य स्थापित न करें या लापरवाही से गलत कार्य न करें, तो वे ऐसा नहीं कर सकते। अगर तुम उनसे कहो कि वे अपने रुतबे के फायदों का आनंद उठाने, सुख-सुविधाओं में लिप्त होने, रुतबे और विशेषाधिकारों का आनंद उठाने से दूर रहें तो वे ऐसा नहीं कर सकते। अगर तुम उनसे कहो कि वे दूसरों को न सताएँ या झूठ न बोलें, तो वे ऐसा नहीं कर पाएँगे। अगर तुम उनसे कहो कि वे भेंटों का अपव्यय न करें और परमेश्वर के घर के हितों की रक्षा करें, तो वे ऐसा नहीं कर पाएँगे। अगर तुम उनसे कहो कि वे खुद के लिए गवाही न दें, तो वे ऐसा कभी नहीं कर पाएँगे; अगर तुम उनसे कहो कि वे परमेश्वर के चुने हुए लोगों के लिए बिना कुछ बदले में प्राप्त किए थोड़ी-सी कीमत चुकाएँ या गुमनामी में थोड़ा बहुत कार्य करें, तो वे ऐसा कभी नहीं कर पाएँगे। फिर आखिर वे क्या कर सकते हैं? वे लापरवाही से गलत कार्य कर सकते हैं, अपना खुद का स्वतंत्र राज्य स्थापित कर सकते हैं, खुद के लिए गवाही दे सकते हैं, भेंटों का अपव्यय कर सकते हैं, कलीसिया पर पल सकते हैं, दूसरों को यातना दे सकते हैं, नारे लगा सकते हैं, सिद्धांत बता सकते हैं, लोगों को गुमराह करने के लिए पाखंड और भ्रांतियाँ फैला सकते हैं और इसी तरह की अन्य चीजें कर सकते हैं—इन सब चीजों को करना उनके लिए आसान है। क्या तुम लोगों के आस-पास कोई ऐसा व्यक्ति है? जैसे ही उनके पास सत्ता आती है, जैसे ही उनके पास थोड़ी-सी भी सत्ता आती है, वे परमेश्वर के घर के वित्तीय नियंत्रण को अपने हाथ में लेना चाहते हैं; चाहे वे कुछ भी खरीद रहे हों, वे उच्च गुणवत्ता वाली, महँगी और ब्रांडेड चीजें खरीदना चाहते हैं और वे इस बारे में किसी से चर्चा नहीं करते या किसी की कोई बात नहीं सुनते। जब उन्हें थोड़ी-सी सत्ता मिलती है, वे इसका आनंद लेने लगते हैं। जब उन्हें थोड़ी-सी सत्ता मिलती है, तो वे गुटबाजी करना चाहते हैं और अपने तरीके से सारे कार्य करना चाहते हैं और ऊपरवाले या किसी और को सुनने से इनकार कर देते हैं। जब उन्हें थोड़ी-सी सत्ता मिलती है, तो वे खुद को परमेश्वर समझने लगते हैं और चाहते हैं कि लोग उनके हक में गवाही दें ताकि लोग उनका समर्थन करें और वे अपना खुद का एक गुट, अपनी खुद की एक टोली बनाना चाहते हैं। जब उन्हें थोड़ी-सी सत्ता मिलती है, तो वे भाइयों और बहनों को कसकर अपनी मुट्ठी में नियंत्रित रखना चाहते हैं। अगर परमेश्वर के घर के कार्य के लिए किसी को उनसे दूर स्थानांतरित करने की आवश्यकता हुई, तो ऐसा करना काफी कठिन होगा। इसके लिए उनकी मंजूरी चाहिए होगी और किसी को उनके साथ इस पर चर्चा करनी होगी और वे उस व्यक्ति से ऐसा रवैया स्वीकार नहीं करेंगे जिसे वे पसंद नहीं करते। वे चाहते हैं कि पूरी दुनिया को पता चले कि उनके पास सत्ता और प्रभाव है और सबको उनका सम्मान करना चाहिए और उन्हें आदरपूर्वक मानना चाहिए। यह एक सामान्यतः मान्यता प्राप्त तथ्य है। एक मसीह-विरोधी कभी भी यह स्वीकार नहीं करेगा कि उसका भ्रष्ट स्वभाव है। तुम खुद यह चीज देख लो—देखो कि जो लोग यह स्वीकार नहीं करते कि उनका भ्रष्ट स्वभाव है, क्या वे कुछ भी गलत कार्य करने और अपने भ्रष्ट स्वभाव को प्रकट करने के बाद पश्चात्ताप कर सकते हैं और वे किस दिशा में तरक्की करते हैं और अंत में किस प्रकार का मार्ग अपनाते हैं, अपने कर्तव्यों को निभाते समय और दूसरों से बातचीत करते समय वे कैसा व्यवहार करते हैं, वे रुतबे को लेकर कैसे पेश आते हैं और उनके काम करने के तरीके और विधियाँ क्या हैं। क्या तुम लोग इसे पहचान पाओगे? अगर तुम इन बातों पर निष्कर्ष पर पहुँच सकते हो, तो तुम्हारे पास कुछ भेद पहचानने की क्षमता है।

ग. यह मानने से इनकार करना कि परमेश्वर के वचन सत्य और वह मानक हैं जिससे सभी चीजों को मापा जाता है

मसीह-विरोधियों द्वारा काट-छाँट किया जाना स्वीकार नहीं करने और कोई गलती करने पर पश्चात्ताप के रवैये की कमी के पीछे यह तीसरा कारण है : वह यह कि वे यह मानने से इनकार करते हैं कि परमेश्वर के वचन सत्य और वह मानक हैं जिससे सभी चीजों को मापा जाता है। मैंने पिछले दो कारणों पर अपेक्षाकृत सविस्तार संगति प्रदान की; यह वाला कारण अपने शाब्दिक अर्थ के संदर्भ में पहले दो कारणों से थोड़ा अलग है, लेकिन सार के आधार पर, वे मसीह-विरोधियों द्वारा यह मानने से इनकार करने से संबंधित हैं कि परमेश्वर के वचन सत्य हैं, इसीलिए हम इस पर छोटी और संक्षिप्त संगति कर सकते हैं। जब एक मसीह-विरोधी की काट-छाँट की जाती है, और तुम सत्य पर उनके साथ संगति करते हो, सत्य सिद्धांतों और कार्य करने के सिद्धांतों के बारे में बात करते हो, तो क्या वे इसे सुनने के बाद स्वीकार कर सकेंगे? (नहीं।) चाहे एक मसीह-विरोधी जब भी सत्य को सुने, उसके प्रति उनका रवैया हमेशा एक ही रहेगा—अर्थात उसकी निंदा और प्रतिरोध करना। सत्य सिद्धांत क्या हैं? वे इस बात को मापने का मानक हैं कि कोई कार्य कैसे किया जाए। जब कोई व्यक्ति कोई कार्य करता है और वह पूरी तरह से परमेश्वर के वचनों के सत्य के अनुरूप होता है, तो वह कार्य सिद्धांत पर आधारित होता है। इसी को सिद्धांतों के अनुसार कार्य करना कहते हैं। अगर तुम्हारी संगति सत्य सिद्धांतों के अनुरूप है, तो एक मसीह-विरोधी इसे बिल्कुल भी स्वीकार नहीं करेगा; तुम्हारी संगति जितनी अधिक सकारात्मक, व्यावहारिक, उचित, सही और तथ्य पर आधारित होगी, वह एक मसीह-विरोधी के लिए उतनी ही अधिक अस्वीकार्य होगी। वे सत्य या तथ्यों को स्वीकार करने से इनकार करते हुए टेढ़े-मेढ़े तर्कों से तुम्हें जवाब देंगे। अगर तुम उनसे इस बारे में बात करोगे कि इस मामले में अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए उन्हें किस प्रकार से कार्य करना चाहिए, तो वे इस पर बात करने की जगह तुम्हें बताएँगे कि उन्होंने कैसे कष्ट झेले हैं और कीमत चुकाई है; अगर तुम उनसे इस बारे में बात करोगे कि सत्य सिद्धांतों के अनुसार कैसे कार्य करना होता है, तो वे तुम्हें बताएँगे कि उन्होंने कितने रास्ते तय किए हैं, उन्होंने कितना कष्ट सहा है और उन्होंने कितनी बातें की हैं। अगर तुम उनसे इस बारे में बात करोगे कि एक ईमानदार व्यक्ति कैसे बनना है, एक ईमानदार और सच्चे दिल से कैसे कार्य करना है और अपना कर्तव्य निभाना है, तो वे इसमें कोई दिलचस्पी नहीं दिखाएँगे और तुम्हें अनदेखा कर देंगे। जब भी वे कार्य करते हैं, तो वे सिर्फ रणनीतियों, योजनाओं और चालों पर ध्यान देते हैं। कुल मिलाकर, एक मसीह-विरोधी के पास अपने कार्यों के लिए अपने खुद के अनोखे सिद्धांत होते हैं और चाहे वे दूसरों की नजर में या परमेश्वर की नजर में कितने भी गलत, निम्न, हास्यास्पद और बेतुके क्यों न हों, वे इन तरीकों और सिद्धांतों पर कभी थकान महसूस किए बिना अड़े रहते हैं। वे परमेश्वर के वचनों को सत्य सिद्धांतों के रूप में स्वीकार नहीं करेंगे, न ही वे अपने सिद्धांतों को छोड़ेंगे, इसलिए चाहे तुम उनकी काट-छाँट करो, उन्हें उजागर करो या उन्हें बर्खास्त करो, उनके मापदंड, दृष्टिकोण और चीजों को मापने के नजरिए कभी भी नहीं बदलेंगे। इनमें से कुछ मानदंड मानव विज्ञान से आए हैं, कुछ ज्ञान से, कुछ पारंपरिक संस्कृति से और कुछ इस दुनिया के बुरे रुझानों से संबंधित हैं, लेकिन चाहे ये चीजें कितनी भी गलत क्यों न हों, एक मसीह-विरोधी उन्हें छोड़ नहीं सकता। समाज में जो भी बुरे रुझान और जो भी कहावतें और दृष्टिकोण लोकप्रिय हैं, वे उन्हें स्वीकार कर लेंगे लेकिन परमेश्वर के वचन या सत्य कभी भी सभी चीजों और घटनाओं को मापने के लिए, सब कुछ मापने के लिए उनके मानदंड नहीं होते हैं। जब वे परमेश्वर का अनुसरण कर रहे होते हैं और परमेश्वर के घर से मुफ्त में लाभ उठा रहे होते हैं, तब भी वे सत्य का इनकार और निंदा कर रहे होते हैं। सत्य का इनकार करते हुए और इसकी निंदा करते हुए, वे दुनिया भर के पाखंड और भ्रांतियों का आदर और प्रशंसा कर रहे होते हैं। वे केवल परमेश्वर के वचनों यानि सत्य को स्वीकार नहीं कर सकते। मसीह-विरोधियों के इस सार को देखते हुए एक बात तो निश्चित है कि हालाँकि वे सभाओं में भाग लेते हैं, परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं और अपनी आस्था के अनुसार कर्तव्य भी निभाते हैं लेकिन—उनका स्वभाव कभी भी नहीं बदलेगा, न ही उनका दृष्टिकोण बदलेगा, जो सांसारिक हैं और बुरे रुझानों वाले हैं। अगर तुम एक मसीह-विरोधी से जीवन प्रवेश या स्वभावगत परिवर्तन के बारे में बात करने के लिए कहोगे, तो तुम्हें आश्चर्य होगा कि उनके शब्द इतने विचित्र, घिनौने और अजीब क्यों लगते हैं। उनकी बातें किसी बाहरी व्यक्ति की तरह लगेंगी और वे बस एक उलझन भरे व्यक्ति हैं जिनमें आध्यात्मिक समझ का अभाव है, लेकिन वे आध्यात्मिक होने और जीवन को पाने का दिखावा करते हैं। यह वास्तव में बेहद घिनौना है! क्या कोई ऐसा व्यक्ति जिसने कभी भी परमेश्वर के वचनों को सत्य के रूप में स्वीकार नहीं किया या परमेश्वर के वचनों को अपना जीवन नहीं माना, वास्तविकता में जीवन को पा सकता है? यह एक मजाक है, है ना? तुम लोग अपने आसपास नजर डालो और देखो कि क्या कोई ऐसा व्यक्ति है जो बार-बार यह कहता रहता है कि : “फलाना मशहूर व्यक्ति ने यह कहा है; फलानी किताब में यह लिखा है; फलाना टीवी ड्रामा में यह दिखाया गया है; फलाने मास्टरपीस में यह कहा गया है” या यह कि “हमारी पारंपरिक संस्कृति यह है; जहाँ से मैं हूँ, वहाँ हम यही कहते हैं; हमारे परिवार में हमारा यही नियम है,” और इसी तरह की बातें। देखो कि कौन है जो हमेशा ऐसी बातों का ढेर लगाए रहता है, कौन है जो परमेश्वर के वचनों को सुनने के बाद भी प्रभावित नहीं होता और जब वे परमेश्वर के वचनों की समझ के बारे में संगति करते हैं, तो केवल अस्पष्ट, बेतुकी और आध्यात्मिक समझ से रहित बातें ही कहता है और कौन है जो चाहे उसे परमेश्वर के वचनों की कोई समझ या जानकारी न हो, फिर भी जबरदस्ती कुछ चीजों को एक साथ जोड़ने की कोशिश करता है और आध्यात्मिक होने का दिखावा करता है। यह पूरी तरह से घृणा पैदा करने वाली बात है! ये लोग कई वर्षों से परमेश्वर पर विश्वास करते आ रहे हैं और कई वर्षों से उपदेश सुनते आ रहे हैं और सभाओं में भाग लेते आ रहे हैं, फिर भी अविश्वसनीय रूप से वे अभी तक नहीं जानते कि उनका भ्रष्ट स्वभाव है और उन्हें अभी तक यह पता नहीं चला है कि उनके दृष्टिकोण गलत हैं या यह कि उनके भ्रामक दृष्टिकोण परमेश्वर के वचनों के पूरी तरह से विपरीत और विरोधाभासी हैं। इसका क्या कारण है? मसीह-विरोधियों द्वारा काट-छाँट किए जाने को अस्वीकार करने और कोई गलती करने पर पश्चात्ताप के रवैये की कमी के पीछे यह तीसरा कारण है : वे यह मानने से इनकार करते हैं कि परमेश्वर के वचन सत्य और वह मानक हैं जिससे सभी चीजों को मापा जाता है। यही इस समस्या की जड़ है।

ऐसा क्यों है कि मसीह-विरोधी काट-छाँट किए जाने को स्वीकार करने से इनकार करते हैं? ऐसा क्यों है कि जब उन्हें किसी चीज का सामना करना पड़ता है, तो वे पश्चात्ताप नहीं करते और इसके बजाय विभिन्न धारणाएँ फैलाते हैं और यहाँ तक कि परमेश्वर के बारे में फैसला भी सुना देते हैं? इसके पीछे के कारण बहुत स्पष्ट हैं : पहला कारण यह है कि मसीह-विरोधी मानते ही नहीं कि वे गलत हो सकते हैं; दूसरा यह है कि वे यह मानने से इनकार करते हैं कि उनका भ्रष्ट स्वभाव है; तीसरा, यह है कि वे यह मानने से इनकार करते हैं कि परमेश्वर के वचन सत्य और वह मानक हैं जिससे सभी चीजों को मापा जाता है। वे सभी लोग जो काट-छाँट किए जाने को स्वीकार नहीं करते हैं, वे सभी लोग जो गलतियाँ करते समय स्पष्ट रूप से भ्रष्ट स्वभाव प्रकट करते हैं, वे सभी लोग जो अक्सर परमेश्वर के चुने हुए लोगों को नुकसान पहुँचाते हैं, जो परमेश्वर के चुने हुए अनगिनत लोगों के जीवन प्रवेश में देरी का कारण बनते हैं और परमेश्वर के घर के कार्य को नुकसान पहुँचाते हैं, अगर इन लोगों की काट-छाँट किए जाने पर इनमें कोई पछतावा या पश्चात्ताप का रवैया नहीं है, तो फिर एक बात तो निश्चित है, कि उनमें मसीह-विरोधियों की ये तीनों अभिव्यक्तियाँ मौजूद हैं। सही है ना? (सही है।) कुल मिलाकर, तीन मुख्य कारण हैं कि क्यों मसीह-विरोधी काट-छाँट किए जाने को स्वीकार करने से इनकार करते हैं। उन्हें फिर से पढ़ो। (पहला कारण यह है कि मसीह-विरोधी मानते ही नहीं कि वे गलत हो सकते हैं; दूसरा यह है कि वे कभी यह स्वीकार नहीं करते कि उनका भ्रष्ट स्वभाव है; और तीसरा यह है कि वे यह मानने से इनकार करते हैं कि परमेश्वर के वचन सत्य और वह मानक हैं जिससे सभी चीजों को मापा जाता है।) ये कुल मिलाकर तीन कारण हैं। हमने पहले दो कारणों पर काफी विस्तार से संगति की है। अंतिम कारण थोड़ा अलग है, लेकिन सार के संदर्भ में, पहले दो कारण मसीह-विरोधियों द्वारा यह मानने से इनकार करने से संबंधित हैं कि परमेश्वर के वचन सत्य हैं, इसलिए हम इस कारण पर और अधिक विस्तार से संगति नहीं करेंगे। ठीक है, चलो आज के लिए हमारी संगति बस यहीं समाप्त करते हैं। अलविदा! (अलविदा परमेश्वर!)

19 सितंबर 2020

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