मद नौ : वे अपना कर्तव्य केवल खुद को अलग दिखाने और अपने हितों और महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए निभाते हैं; वे कभी परमेश्वर के घर के हितों की नहीं सोचते और वे व्यक्तिगत यश के बदले उन हितों के साथ विश्वासघात तक कर देते हैं (भाग आठ) खंड तीन

अपनी दुर्भावनापूर्ण प्रकृति के कारण मसीह-विरोधी सत्य का अनुसरण करने वाले किसी भी व्यक्ति के आगे झुकते नहीं हैं। वे हर ऐसे अगुआ और कर्मी को नीची नजरों से देखते हैं जो कुछ वास्तविक कार्य कर सकता है और यहाँ तक कि सभी अगुआओं और कर्मियों को झूठा करार देते हैं, मानो केवल वे खुद सही हैं और बाकी सब गलत हैं। उनके साथ सत्य के बारे में चाहे किसी भी तरह से संगति की जाए, वे अपनी काट-छाँट को बिल्कुल भी स्वीकार नहीं करेंगे और अपने दृष्टिकोण पर कायम रहेंगे। अगर कोई उनकी काट-छाँट करते समय उन्हें पूरी तरह से आश्वस्त करने में विफल रहता है तो वे इसे स्वीकार नहीं करेंगे। उन्हें लगता है कि काट-छाँट करना बेकार है और इसका सत्य से कोई लेना-देना नहीं है। यह उनका दृष्टिकोण है। वे हमेशा अपने दृष्टिकोण पर कायम रहते हैं, इसलिए उनके लिए सत्य स्वीकारना बहुत मुश्किल होता है और साथ ही वे अपनी काट-छाँट करने वालों की आलोचना और निंदा भी करते हैं। मसीह-विरोधी अपनी काट-छाँट को कैसे लेते हैं, इसके संदर्भ में वे क्या स्वभाव प्रकट करते हैं? क्या तुम मसीह-विरोधी का प्रकृति सार देख सकते हो? मसीह-विरोधियों की प्रकृति की मुख्य विकृतियों में से एक है क्रूरता। “क्रूरता” का क्या अर्थ है? इसका अर्थ है कि सत्य के बारे में उनका एक विशेष रूप से नीच रवैया होता है—न केवल उसके प्रति समर्पण करने में विफल होना, न केवल उसे स्वीकार करने से मना करना, बल्कि उन लोगों की निंदा तक करना, जो उनकी काट-छाँट करते हैं। यह मसीह-विरोधियों का क्रूर स्वभाव है। मसीह-विरोधियों को लगता है कि जो भी व्यक्ति अपनी काट-छाँट स्वीकार करता है उसके साथ दबंगई हो सकती है और हमेशा दूसरों की काट-छाँट करने वाले लोग हमेशा लोगों को तंग करना और धौंस देना चाहते हैं। इसलिए मसीह-विरोधी हर उस व्यक्ति का प्रतिरोध करेंगे और उसके लिए समस्या खड़ी करेंगे जो उनकी काट-छाँट करता है। और जो कोई मसीह-विरोधी की कमियाँ या भ्रष्टता सामने लाता है या सत्य और परमेश्वर के इरादों के बारे में उनके साथ सहभागिता करता है या उन्हें स्वयं को जानने में मदद करता है, वे सोचते हैं कि वह व्यक्ति उनके लिए समस्या खड़ी कर रहा है और उन्हें अप्रिय लगता है। वे उस व्यक्ति से अपने दिल की गहराई से नफरत करते हैं, उससे बदला लेते हैं और उसके लिए मुश्किलें खड़ी करते हैं। मसीह-विरोधी अपनी काट-छाँट को कैसे लेते हैं, इसकी एक और अभिव्यक्ति है जिसके बारे में हम संगति करेंगे। जो कोई भी उनकी काट-छाँट करता है और उन्हें उजागर करता है वे उससे नफरत करते हैं। यह मसीह-विरोधियों की बहुत स्पष्ट अभिव्यक्ति है। किस तरह के लोग ऐसे क्रूर स्वभाव के होते हैं? बुरे लोग। तथ्य तो यह है कि मसीह-विरोधी बुरे लोग होते हैं। इसलिए, केवल बुरे लोग और मसीह-विरोधी ही ऐसे क्रूर स्वभाव के होते हैं। जब एक क्रूर व्यक्ति को किसी भी प्रकार के सुविचारित उपदेश, आरोप, सीख या सहायता का सामना करना पड़ता है तो उसका रवैया आभार जताने या विनम्रतापूर्वक इसे स्वीकारने का नहीं होता है, बल्कि वह शर्मिंदा होने से क्रोधित हो जाता है और अत्यंत शत्रुता, नफरत, और यहाँ तक कि बदला लेने का भाव महसूस करता है। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो यह कहते हुए मसीह-विरोधी की काट-छाँट और उसे उजागर करते हैं, “तुम लोग इन दिनों बेलगाम हो गए हो, तुमने सिद्धांत के अनुसार काम नहीं किया है और तुम अपने कर्तव्य निभाते हुए लगातार खुद पर इतराते रहे हो। तुमने रुतबे की खातिर काम करते हुए अपने कर्तव्य को पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया है। क्या तुमने परमेश्वर के साथ सही किया है? तुमने अपना कर्तव्य निभाते हुए सत्य क्यों नहीं खोजा? तुम सिद्धांत के अनुसार कार्य क्यों नहीं कर रहे हो? जब भाई-बहनों ने तुम्हारे साथ सत्य के बारे में संगति की तो तुमने इसे स्वीकार क्यों नहीं किया? तुमने उन्हें अनदेखा क्यों किया? तुम अपनी मर्जी से काम क्यों कर रहे हो?” ये कई सवाल, ये शब्द जो उनकी भ्रष्टता के प्रकाशन को उजागर करते हैं—उन्हें अंदर तक झकझोर देते हैं : “क्यों? ऐसा कोई ‘क्यों’ नहीं है—मैं जो चाहता हूँ वही करता हूँ! तुम्हें मेरी काट-छाँट करने का अधिकार किसने दिया? ऐसा करने वाले तुम होते कौन हो? मैं अपनी मनमानी करूँगा; तुम मेरा क्या बिगाड़ लोगे? अब जब मैं इस उम्र में पहुँच गया हूँ तो कोई भी मुझसे इस तरह बात करने की हिम्मत नहीं करता। केवल मैं ही दूसरों से इस तरह बात कर सकता हूँ; कोई और मुझसे इस तरह बात नहीं कर सकता। मुझ पर भाषण झाड़ने की हिम्मत कौन कर सकता है? मुझे भाषण देने वाला व्यक्ति अभी तक पैदा ही नहीं हुआ! क्या तुम्हें वाकई लगता है कि तुम मुझे भाषण दे सकते हो?” उनके दिलों की गहराई में नफरत बढ़ती जाती है और वे बदला लेने का मौका तलाशते हैं। अपने मन में वे हिसाब लगा रहे होते हैं : “क्या मेरे साथ काट-छाँट करने वाले इस व्यक्ति के पास कलीसिया में सत्ता है? अगर मैं उसके खिलाफ जवाबी कार्रवाई करता हूँ तो क्या कोई उसके लिए आवाज उठाएगा? अगर मैं उसे तकलीफ पहुँचाता हूँ तो क्या कलीसिया मुझसे निपटेगी? मेरे पास एक उपाय है। मैं उसके खिलाफ व्यक्तिगत रूप से जवाबी कार्रवाई नहीं करूँगा; मैं एकदम गुप्त रूप से कुछ करूँगा। मैं उसके परिवार के साथ कुछ ऐसा करूँगा जिससे उसे तकलीफ और शर्मिंदगी हो, इस तरह मैं इस घृणा से मुक्त हो जाऊँगा। मुझे बदला लेना ही होगा। अब मैं इस मामले को छोड़ नहीं सकता। मैंने परमेश्वर में विश्वास रखना इसलिए शुरू नहीं किया कि मुझ पर धौंस जमाई जाए और मैं यहाँ इसलिए नहीं आया कि लोग मनमर्जी से मेरे साथ दादागीरी करें; मैं आशीष पाने और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने के लिए आया हूँ! जैसे पेड़ को उसकी छाल की जरूरत है वैसे ही लोगों को आत्मसम्मान की जरूरत है। लोगों में अपनी गरिमा के लिए लड़ने की हिम्मत होनी चाहिए। मुझे उजागर करने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई। यह तो सरासर धौंस जमाना है! चूँकि तुम मेरे साथ एक महत्वपूर्ण व्यक्ति की तरह पेश नहीं आते तो मैं तुम्हारा जीना हराम कर दूँगा और तुम नतीजे भुगतने के लिए मजबूर होगे। चलो लड़कर देखते हैं कि कौन ज्यादा भीषण है!” उजागर करने के कुछ सरल शब्द ही मसीह-विरोधियों को भड़का देते हैं और उनमें इतनी ज्यादा घृणा पैदा करते हैं कि वे बदला लेने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। उनका क्रूर स्वभाव पूरी तरह से उजागर हो जाता है। बेशक, जब वे नफरत के कारण किसी के खिलाफ बदले की कार्रवाई करते हैं तो ऐसा इसलिए नहीं होता है कि उन्हें उस व्यक्ति से नफरत है या उसके खिलाफ कोई पुरानी दुश्मनी है, बल्कि ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उस व्यक्ति ने उनकी गलतियों को उजागर किया है। इससे पता चलता है कि किसी मसीह-विरोधी को उजागर करने का कार्य मात्र, चाहे यह कोई भी करे और चाहे मसीह-विरोधी के साथ उसका संबंध जो भी हो, उसकी नफरत और बदले की आग को भड़का सकती है। चाहे वह कोई भी हो, चाहे वह सत्य को समझता हो या नहीं, चाहे वह अगुआ हो या कार्यकर्ता या परमेश्वर के चुने हुए लोगों में से कोई मामूली व्यक्ति, अगर कोई मसीह-विरोधियों को उजागर कर उनकी काट-छाँट करता है तो वे उस व्यक्ति को अपना शत्रु मानेंगे। वे खुलेआम यह भी कहेंगे, “जो कोई भी मेरी काट-छाँट करेगा, मैं उसके साथ सख्ती से पेश आऊँगा। जो कोई भी मेरी काट-छाँट करेगा, मेरे रहस्य उजागर करेगा, मुझे परमेश्वर के घर से निष्कासित करवाएगा या मेरे हिस्से के आशीष मुझसे छीन लेगा, मैं उसे कभी नहीं छोड़ूँगा। लौकिक संसार में भी मैं ऐसा ही हूँ : कोई भी मुझे तकलीफ देने की हिमाकत नहीं करता। मुझे परेशान करने की हिम्मत करने वाला व्यक्ति अभी तक पैदा नहीं हुआ!” मसीह-विरोधी अपनी काट-छाँट का सामना करने पर ऐसे ही कठोर शब्द बोलते हैं। जब वे ये कठोर शब्द बोलते हैं तो इसका उद्देश्य दूसरों को डराना नहीं होता है, न ही वे खुद को बचाने के लिए ऐसा कहते हैं। वे वास्तव में बुरा करने में सक्षम हैं और वे अपने पास उपलब्ध किसी भी साधन का इस्तेमाल करने की हद तक जाएँगे। यह मसीह-विरोधियों का क्रूर स्वभाव है। जब कुछ अगुआ और कार्यकर्ता ऐसे मसीह-विरोधियों का सामना करते हैं तो उनके पास उन्हें उजागर करने या उनके खिलाफ कार्रवाई करने का साहस नहीं होता है और तब मसीह-विरोधी और भी बुरे हो जाते हैं। उनके कुकर्म और भी खुलकर सामने आ जाते हैं, वे लोगों को गुमराह और परेशान करने की कोशिश करते रहते हैं और वे उनमें से ज्यादातर लोगों को गुमराह करने और काबू में करने में सक्षम होते हैं। यही तबाही का कारण बनता है। जब कुछ मसीह-विरोधियों को पता चलता है कि उनके बुरे कर्म उजागर हो गए हैं या भाई-बहनों ने उच्च अधिकारियों को इसकी रिपोर्ट कर दी है तो वे उनसे बदला लेते हैं और उन्हें बड़े लाल अजगर को सौंप देते हैं—वे उन्हें शैतान की सत्ता के हवाले कर देते हैं। यह एक क्रूर स्वभाव है, है न? और यह देखते हुए कि मसीह-विरोधी इतने क्रूर होते हैं, क्या वे सचमुच परमेश्वर में विश्वास रखते हैं? बिल्कुल नहीं। वे शैतान के सेवक हैं और वे कलीसिया में बाधा डालने आए हैं; वे बुरे राक्षस हैं जो परमेश्वर के घर में जोड़-तोड़ लगाकर घुस आए हैं और वे परमेश्वर के कार्य में गड़बड़ी पैदा करने और उसे कमजोर करने के अलावा कुछ नहीं करते और वे परमेश्वर का विरोध करते हैं। इसलिए मसीह-विरोधी परमेश्वर और परमेश्वर के चुने हुए लोगों के शत्रु होते हैं। मसीह-विरोधियों, बुरे राक्षसों से भाई-बहनों की तरह पेश आना एक भयंकर गलती होगी; अगर तुम ऐसा करते हो तो तुम अंधे हो। अगर किसी मसीह-विरोधी का इस तरह से सिंचन, पोषण और समर्थन किया जाता है मानो वह कोई भाई या बहन हो या अगर उसे सत्य का अनुसरण करने वाला मानकर तरक्की और एक महत्वपूर्ण भूमिका दी जाती है तो अगुआ बहुत बड़ी बुराई कर रहा है। वह मसीह-विरोधी की बुराई में अपनी भूमिका निभा रहा है और उसे हटा दिया जाना चाहिए। ऐसे नकली अगुआ मसीह-विरोधी के साथी हैं और यह कहना सही होगा कि वे खुद भी मसीह-विरोधी हैं, जिन्हें बहिष्कृत और निष्कासित कर दिया जाना चाहिए।

जब मसीह-विरोधियों की काट-छाँट की जाती है तो उनका रवैया स्वीकारने और आज्ञापालन करने का नहीं होता। बल्कि वे इसके प्रतिरोधी और इससे विमुख होते हैं, जिससे नफरत पैदा होती है। वे अपने दिल की गहराई से उन सबसे नफरत करते हैं जो उनकी काट-छाँट करते हैं, जो उनके रहस्यों को प्रकट करते हैं और उनकी वास्तविक परिस्थितियों को उजागर करते हैं। वे किस हद तक तुमसे नफरत करते हैं? वे नफरत से अपने दाँत पीसते हैं, चाहते हैं कि तुम उनकी नजरों से ओझल हो जाओ और ऐसा महसूस करते हैं कि तुम दोनों एक साथ नहीं रह सकते। अगर मसीह-विरोधी लोगों के साथ ऐसा करते हैं तो क्या वे परमेश्वर के उन वचनों को स्वीकार सकते हैं जो उन्हें उजागर करते हैं और उनकी निंदा करते हैं? नहीं, वे ऐसा नहीं कर सकते। जो कोई भी उन्हें उजागर करता है, वे सिर्फ उन्हें उजागर करने और उनके अनुकूल नहीं होने के कारण उनसे नफरत करेंगे और प्रतिशोध लेंगे। वे चाहते हैं कि काश उस व्यक्ति को अपनी नजरों से दूर कर सकें जिसने उनकी काट-छाँट की। वे इस व्यक्ति को कुछ भी अच्छा करते हुए नहीं देख सकते। अगर यह व्यक्ति मर जाए या आपदा में फँस जाए तो वे खुश होंगे; अगर यह व्यक्ति जिंदा है और अभी भी परमेश्वर के घर में अपना कर्तव्य निभा रहा है और सब कुछ सामान्य रूप से चलता रहता है तो उनके दिलों में पीड़ा, बेचैनी और झुँझलाहट होती है। जब उनके पास किसी व्यक्ति से बदला लेने का कोई रास्ता नहीं होता है तो वे मन-ही-मन उसे कोसते हैं या परमेश्वर से उस व्यक्ति को दंड और प्रतिफल देने और साथ ही अपनी शिकायतों का निवारण करने की प्रार्थना तक करते हैं। एक बार जब मसीह-विरोधियों में ऐसी नफरत पैदा हो जाती है तो वे कई तरह के क्रियाकलाप करने लगते हैं। इनमें बदला लेना, शाप देना और बेशक कुछ अन्य क्रियाकलाप करना भी शामिल हैं, जैसे कि दूसरों को फँसाना, बदनाम करना और निंदा करना, जो नफरत से जन्म लेते हैं। अगर कोई उनकी काट-छाँट करता है तो वे उस व्यक्ति की पीठ पीछे उसे कमजोर करेंगे। जब वह व्यक्ति कुछ सही कहेगा तो वे उसे गलत कहेंगे। वे उस व्यक्ति द्वारा की गई सभी सकारात्मक चीजों को बिगाड़ देंगे और उन्हें नकारात्मक बना देंगे, इन झूठों को फैलाएँगे और उनकी पीठ पीछे बाधाएँ पैदा करेंगे। वे उन लोगों को भड़काकर अपनी ओर आकर्षित करते हैं जो अनजान हैं और चीजों की असलियत नहीं समझ सकते या इनका भेद नहीं पहचान सकते, ताकि ये लोग उनके पक्ष में शामिल होकर उनका समर्थन करें। जाहिर है कि उनकी काट-छाँट करने वाले व्यक्ति ने कुछ भी खराब नहीं किया है, फिर भी वे इस व्यक्ति पर कुछ गलत कामों का आरोप लगाना चाहते हैं, ताकि हर कोई गलती से यह मान ले कि वे इस तरह के काम करते हैं और फिर सभी को इस व्यक्ति को ठुकराने के लिए एक साथ आने को मजबूर कर दें। मसीह-विरोधी इस तरह से कलीसियाई जीवन में बाधा डालते हैं और लोगों के लिए उनके कर्तव्य निभाने में बाधक बनते हैं। उनका लक्ष्य क्या है? यह उनकी काट-छाँट करने वाले व्यक्ति के लिए चीजें मुश्किल बनाना और सभी को इस व्यक्ति को त्यागने के लिए मजबूर करना है। कुछ मसीह-विरोधी ऐसे भी हैं जो कहते हैं : “तुमने मेरी काट-छाँट कर मेरे लिए चीजें मुश्किल बनाई हैं, इसलिए मैं तुम्हें चैन से जीने नहीं दूँगा। मैं तुम्हें इसका स्वाद चखाऊँगा कि काट-छाँट किए जाने और त्यागे जाने का क्या मतलब होता है। तुम मेरे साथ जैसा सलूक करोगे, मैं भी तुम्हारे साथ वैसा ही करूँगा। अगर तुम मुझे चैन से जीने नहीं दोगे तो यह मत सोचो कि तुम चैन से जी सकोगे!” जब मसीह-विरोधी बुरे काम करते हैं तो कुछ अगुआ और कार्यकर्ता उन्हें बातचीत के लिए बुलाते हैं, उनसे कहते हैं कि उन्हें पश्चात्ताप करना चाहिए और वे उन्हें मदद और सहारा देने के लिए परमेश्वर के वचन पढ़कर सुनाते हैं। लेकिन न केवल वे इसे स्वीकार नहीं करते, बल्कि बेबुनियाद अफवाहें भी फैलाना शुरू कर देते हैं कि अगुआ कोई वास्तविक कार्य नहीं करता और समस्याएँ हल करने के लिए कभी भी परमेश्वर के वचन का उपयोग नहीं करता। वास्तव में, अगुआ ने ऐसा काम किया है, मगर वे तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करते हैं और उनकी मदद करने वाले व्यक्ति को बदनाम करते हैं। क्या यह क्रूर नहीं है? ये बुरे लोग और मसीह-विरोधी जानबूझकर यह दावा करते हैं कि सकारात्मक चीजें नकारात्मक हैं और यह कि उनके गलत काम, गलतियाँ, दुष्ट कर्म और दुर्भावनापूर्ण कृत्य ऐसी सकारात्मक चीजें हैं जो सत्य के अनुरूप हैं। अपने कर्तव्य निभाते समय वे चाहे कितनी भी बड़ी गलती कर दें, कलीसिया के कार्य को चाहे जितना भी नुकसान पहुँचाएँ, वे इसे स्वीकार नहीं करते या इसे बिल्कुल भी गंभीरता से नहीं लेते हैं। जब वे इसके बारे में बात करते हैं तो वे इसे कम करके दिखाते हैं और लीपा-पोती कर देते हैं। इस मामले के कारण जो व्यक्ति उनकी काट-छाँट करता है वह उनकी नजरों में पापी और आलोचना का निशाना बन जाता है। क्या यह सच को झूठ कहना नहीं है? जब अगुआ या कार्यकर्ता मसीह-विरोधियों की काट-छाँट करते हैं तो उनमें से कुछ यह कहते हुए उन पर झूठे आरोप भी लगाते हैं : “हम भाई-बहन जो भी गलतियाँ करते हैं, वे सभी अज्ञानता के कारण और अगुआओं और कार्यकर्ताओं के अच्छे काम न कर पाने के कारण होती हैं। अगर अगुआ और कार्यकर्ता अपना काम करना जानें, हमें तुरंत चीजें याद दिलाते रहें और चीजों का प्रबंध अच्छी तरह से करें तो क्या परमेश्वर के घर को होने वाले नुकसान कम नहीं होंगे? इसलिए हम चाहे कोई भी गलती करें, अगुआ और कार्यकर्ता ही पूरी तरह से दोषी हैं और उन्हें सबसे बड़ी जिम्मेदारी लेनी चाहिए।” क्या ये झूठे जवाबी दावे नहीं हैं? ये झूठे जवाबी दावे सच को झूठ कहना और बदला लेने का एक प्रकार हैं।

मसीह-विरोधियों का स्वभाव बहुत ही क्रूर होता है। अगर तुम उनकी काट-छाँट करने या उन्हें उजागर करने की कोशिश करोगे तो वे तुमसे नफरत करेंगे और जहरीले साँप की तरह तुम पर अपने दाँत गड़ा देंगे। तुम चाहे कितनी भी कोशिश करो, उन्हें दूर फेंक नहीं पाओगे या उनसे पीछा नहीं छुड़ा पाओगे। जब ऐसे मसीह-विरोधियों से तुम्हारा सामना होता है तो क्या तुम लोगों को डर लगता है? कुछ लोग डर जाते हैं और कहते हैं, “मुझमें उनकी काट-छाँट करने की हिम्मत नहीं है। वे जहरीले साँपों की तरह बहुत ही खौफनाक हैं और अगर वे अपनी कुंडली में मुझे लपेट लें तो मैं खत्म ही हो जाऊँगा।” ये किस तरह के लोग हैं? उनका आध्यात्मिक कद बहुत छोटा है, वे किसी काम के नहीं हैं, वे मसीह के अच्छे सैनिक नहीं हैं और वे परमेश्वर की गवाही नहीं दे सकते। तो जब ऐसे मसीह-विरोधियों से तुम लोगों का सामना हो तो तुम्हें क्या करना चाहिए? अगर वे तुम्हें धमकाते हैं या तुम्हारी जान लेने की कोशिश करते हैं तो क्या तुम्हें डर लगेगा? ऐसी परिस्थितियों में तुम्हें तुरंत अपने भाई-बहनों के साथ मिलकर खड़े होना चाहिए, उनकी छानबीन करनी चाहिए, सबूत इकट्ठा करके मसीह-विरोधी को तब तक उजागर करना चाहिए जब तक कि उसे कलीसिया से नहीं निकाल दिया जाता। यह समस्या को पूरी तरह हल करना है। जब तुम्हें किसी मसीह-विरोधी का पता चले और तुम स्पष्टता से पहचान लो कि उसमें एक बुरे व्यक्ति के लक्षण हैं और वह दूसरों को सताने और उनसे बदला लेने में समर्थ है तो उससे निपटने के लिए उसके बुरे काम करने और सबूत जुटाने का इंतजार मत करो। यह तो निष्क्रिय होना है और इससे पहले ही कुछ न कुछ नुकसान हो चुका होगा। सबसे अच्छा तो यह है कि जब मसीह-विरोधी यह दिखा दें कि उनमें बुरे व्यक्ति के लक्षण हैं और वे अपना धूर्त और दुर्भावनापूर्ण स्वभाव प्रकट कर दें और वे कुछ करने ही वाले हों तो उसी समय उनसे निपटकर उनका समाधान किया जाए, उन्हें बहिष्कृत और निष्कासित कर दिया जाए। यह सबसे समझदारी भरा नजरिया है। कुछ लोग मसीह-विरोधियों के बदले से डरकर उन्हें उजागर करने का साहस नहीं करते। क्या यह मूर्खता नहीं है? तुम परमेश्वर के घर के हितों की रक्षा करने में असमर्थ हो, जो सहज रूप से दर्शाता है कि तुम परमेश्वर के प्रति निष्ठाहीन हो। तुम डरते हो कि मसीह-विरोधी तुमसे बदला लेने के लिए तुम्हारी कोई कमजोरी ढूँढ़ सकता है—समस्या क्या है? क्या यह हो सकता है कि तुम परमेश्वर की धार्मिकता पर भरोसा नहीं करते? क्या तुम नहीं जानते कि परमेश्वर के घर में सत्य राज करता है? अगर कोई मसीह-विरोधी तुममें भ्रष्टता की कुछ समस्याएँ पकड़ भी ले और उस पर हंगामा खड़ा कर दे तो भी तुम्हें डरना नहीं चाहिए। परमेश्वर के घर में समस्याएँ सत्य सिद्धांतों के आधार पर हल की जाती हैं। अपराध करने का यह मतलब नहीं कि कोई व्यक्ति बुरा है। परमेश्वर का घर कभी किसी से भ्रष्टता के क्षणिक प्रकाशन या कभी-कभार होने वाले अपराध के कारण नहीं निपटता। परमेश्वर का घर उन मसीह-विरोधियों और बुरे लोगों से निपटता है, जो लगातार बाधा पैदा करते और बुराई करते हैं, और जो चुटकी भर भी सत्य नहीं स्वीकारते। परमेश्वर का घर कभी किसी अच्छे व्यक्ति के साथ अन्याय नहीं करेगा। वह सबके साथ उचित व्यवहार करता है। अगर नकली अगुआ या मसीह-विरोधी किसी अच्छे व्यक्ति पर गलत आरोप लगा भी दें, तो भी परमेश्वर का घर उसे दोषमुक्त कर देगा। कलीसिया कभी ऐसे अच्छे व्यक्ति को नहीं निकालेगी या उनसे नहीं निपटेगी, जो मसीह-विरोधियों को उजागर कर सकता है और जिसमें न्याय की भावना है। लोगों को हमेशा यह डर रहता है कि मसीह-विरोधी किसी बात का फायदा उठाकर उनसे बदला ले लेंगे। लेकिन क्या तुम परमेश्वर को अपमानित करने और उसके द्वारा ठुकराए जाने से नहीं डरते? अगर तुम्हें डर है कि कोई मसीह-विरोधी तुम्हारे खिलाफ बदला लेने के मौके का फायदा उठा सकता है, तो क्यों न उस मसीह-विरोधी के बुरे कर्मों के सबूत इकट्ठा करके उसकी रिपोर्ट करो और उसे उजागर करो? ऐसा करने से, तुम परमेश्वर के चुने हुए लोगों की स्वीकृति और समर्थन प्राप्त करोगे और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि परमेश्वर तुम्हारे अच्छे कर्मों और न्यायपूर्ण कार्यों को याद रखेगा। तो क्यों न ऐसा करें? परमेश्वर के चुने हुए लोगों को हमेशा परमेश्वर के आदेश को ध्यान में रखना चाहिए। बुरे लोगों और मसीह-विरोधियों को स्वच्छ करना शैतान के खिलाफ युद्ध में सबसे महत्वपूर्ण लड़ाई है। अगर यह लड़ाई जीत ली जाती है, तो यह एक विजेता की गवाही बन जाएगी। शैतानों और बुरे राक्षसों के खिलाफ लड़ाई एक अनुभवजन्य गवाही है जो परमेश्वर के चुने हुए लोगों के पास होनी चाहिए। यह एक सत्य वास्तविकता है जो विजेताओं के पास होनी चाहिए। परमेश्वर ने लोगों को बहुत सारा सत्य प्रदान किया है, इतने लंबे समय तक तुम्हारी अगुआई की है और तुम्हें इतना कुछ दिया है, ताकि तुम गवाही दे सको और कलीसिया के कार्य की रक्षा करो। ऐसा लगता है कि जब बुरे लोग और मसीह-विरोधी बुरे कर्म करते हैं और कलीसिया के कार्य में बाधा डालते हैं तो तुम डरपोक बनकर पीछे हट जाते हो, हाथ खड़े कर भाग जाते हो—तुम किसी काम के नहीं हो। तुम शैतानों को नहीं हरा सकते, तुमने गवाही नहीं दी है और परमेश्वर तुमसे घृणा करता है। इस महत्वपूर्ण क्षण में तुम्हें मजबूती से खड़े होकर शैतानों के खिलाफ युद्ध छेड़ना चाहिए, मसीह-विरोधियों के बुरे कर्मों को उजागर करना चाहिए, उनकी निंदा करनी चाहिए और उन्हें कोसना चाहिए, उन्हें छिपने की कोई जगह नहीं देनी चाहिए और उन्हें कलीसिया से दूर कर देना चाहिए। केवल इसे ही शैतानों पर विजय पाना और उनकी नियति को खत्म करना कहा जा सकता है। तुम परमेश्वर के चुने हुए लोगों में से एक हो, परमेश्वर के अनुयायी हो। तुम चुनौतियों से नहीं डर सकते; तुम्हें सत्य सिद्धांतों के अनुसार काम करना चाहिए। विजेता होने का यही अर्थ है। अगर तुम चुनौतियों से डरकर और बुरे लोगों या मसीह-विरोधियों के बदले से डरकर उनसे समझौता कर लेते हो, तो तुम परमेश्वर के अनुयायी नहीं हो और तुम परमेश्वर के चुने हुए लोगों में से नहीं हो। तुम किसी काम के नहीं हो, तुम तो सेवाकर्मियों से भी कमतर हो। कुछ कायर लोग कह सकते हैं, “मसीह-विरोधी बहुत भयानक होते हैं; वे कुछ भी करने में सक्षम हैं। अगर वे मुझसे बदला लेते हैं तो क्या होगा?” यह भ्रमित सोच है। अगर तुम मसीह-विरोधियों के बदले से डरते हो, तो परमेश्वर में तुम्हारी आस्था कहाँ है? क्या परमेश्वर ने तुम्हारे जीवन के इतने वर्षों में तुम्हारी रक्षा नहीं की है? क्या मसीह-विरोधी भी परमेश्वर के हाथ में ही नहीं हैं? अगर परमेश्वर अनुमति न दे तो वे तुम्हारे साथ क्या कर लेंगे? इसके अलावा, चाहे मसीह-विरोधी कितने भी बुरे क्यों न हों, वे वास्तव में क्या करने में सक्षम हैं? क्या परमेश्वर के चुने हुए लोगों के लिए एकजुट होकर उन्हें उजागर करना और उनसे निपटना बहुत आसान नहीं है? तो फिर मसीह-विरोधियों से डरना क्यों? ऐसे लोग किसी काम के नहीं हैं और परमेश्वर का अनुसरण करने के लायक नहीं हैं। अपने घर चले जाओ, बच्चे पालो और अपना जीवन जियो। कलीसिया के काम में बाधा डालने वाले और परमेश्वर के चुने हुए लोगों को नुकसान पहुँचाने वाले मसीह-विरोधियों के सामने परमेश्वर के चुने हुए लोगों को उनके बुरे कर्मों का जवाब कैसे देना चाहिए? परमेश्वर का अनुसरण करने वालों को अपनी गवाही में कैसे दृढ़ रहना चाहिए? उन्हें शैतान और मसीह-विरोधियों की ताकतों के खिलाफ कैसे लड़ना चाहिए? तुम परमेश्वर के प्रति समर्पण कर उसके प्रति निष्ठावान हो या फिर एक किनारे बैठकर परमेश्वर को धोखा दे रहे हो, यह पूरी तरह से तब प्रकट होगा जब मसीह-विरोधी परमेश्वर को बाधित करेंगे, बुराई करेंगे और उसका विरोध करेंगे। अगर तुम परमेश्वर के प्रति समर्पण करने वाले और निष्ठावान नहीं हो तो तुम परमेश्वर को धोखा देने वाले व्यक्ति हो। कोई दूसरा विकल्प नहीं है। कुछ भ्रमित लोग और वे जो भेद नहीं पहचान पाते बीच का रास्ता अपनाते हैं और खड़े होकर तमाशा देखते हैं। परमेश्वर की नजरों में, इन लोगों में परमेश्वर के प्रति निष्ठा की कमी है और वे परमेश्वर को धोखा देते हैं। कुछ भ्रमित व्यक्ति अपनी कायरता के कारण मसीह-विरोधियों के सितम से डरते हैं और अपने दिलों में लगातार पूछते रहते हैं, “मैं क्या करूँगा?” तुम्हें यह सवाल नहीं पूछना चाहिए। तुम्हें क्या करना चाहिए? (अपने कर्तव्य अच्छे से निभाएँ, मसीह-विरोधियों के बुरे कर्मों को पूरी तरह से उजागर करें, अपने भाई-बहनों को चीजों में भेद पहचानना सिखाएँ और मसीह-विरोधियों को नकार दें। हमें अपनी सुरक्षा के बारे में चिंता नहीं करनी चाहिए। हमारे लिए विचार करने वाली सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जब बुरे लोग कलीसिया के कार्य में बाधा डालें तो हमें अपने कर्तव्य कैसे पूरे करने चाहिए।) अगर इसका असर तुम्हारे परिवार पर पड़ता हो, तो क्या? (हमें बिना किसी हिचकिचाहट के अपने कर्तव्य पूरे करने चाहिए। हमें अपने परिवार की सुरक्षा की चिंता के कारण अपने कर्तव्यों को त्यागना नहीं चाहिए या अपनी गवाही में दृढ़ रहने में विफल नहीं होना चाहिए।) सही कहा। सबसे पहले, तुम्हें अपनी गवाही में दृढ़ रहना चाहिए और मसीह-विरोधियों और बुरे लोगों के खिलाफ अंत तक लड़ना चाहिए, ताकि उन्हें परमेश्वर के घर में पैर रखने की भी जगह न मिले। अगर वे श्रम करने के लिए तैयार हैं तो उन्हें नियमों के अनुसार ऐसा करने दो और वे जो कर पाते हैं उन्हें वो करने दो। अगर वे श्रम करने के लिए तैयार नहीं हैं तो सबको एकजुट होकर उन्हें बाहर निकालना चाहिए ताकि वे परमेश्वर के घर में कलीसिया के कार्य को गड़बड़, बाधित या बर्बाद न कर सकें। यह पहली चीज है जो तुम्हें करनी चाहिए और इस गवाही पर तुम्हें दृढ़ रहना चाहिए। इसके अलावा, तुम्हें यह समझना होगा कि तुम्हारा परिवार और तुम्हारा जीवन परमेश्वर के हाथ में है और शैतान जल्दबाजी में काम करने की हिम्मत नहीं करता। परमेश्वर ने कहा है : “परमेश्वर की अनुमति के बिना शैतान के लिए जमीन पर पानी की एक बूँद या रेत का एक कण छूना भी मुश्किल है; परमेश्वर की अनुमति के बिना शैतान धरती पर चींटियों का स्थान बदलने के लिए भी स्वतंत्र नहीं है, परमेश्वर द्वारा सृजित मानवजाति की तो बात ही छोड़ दो।” तुम इन वचनों पर किस हद तक विश्वास कर पाते हो? मसीह-विरोधियों और बुरे लोगों के खिलाफ लड़ना तुम्हारी आस्था के परिमाण को प्रकट करता है। अगर तुममें परमेश्वर के प्रति सच्चा विश्वास है तो तुममें सच्ची आस्था है। अगर परमेश्वर में तुम्हारा केवल थोड़ा-सा विश्वास है और वह विश्वास अस्पष्ट और खोखला है तो तुममें सच्ची आस्था नहीं है। अगर तुम यह नहीं मानते कि परमेश्वर इन सभी चीजों पर संप्रभु हो सकता है और शैतान परमेश्वर के प्रभुत्व के अधीन है और तुम अभी भी मसीह-विरोधियों और बुरे लोगों से डरते हो, उन्हें कलीसिया में बुराई करते हुए, कलीसिया के काम को बाधित और बर्बाद करते हुए बर्दाश्त कर सकते हो और खुद को बचाने के लिए शैतान के साथ समझौता कर सकते हो या उससे दया की भीख माँग सकते हो, उसके खिलाफ खड़े होने और उससे लड़ने की हिम्मत नहीं कर सकते हो और तुम भगोड़े, खुशामदी और तमाशबीन व्यक्ति बन गए हो तो तुममें परमेश्वर में सच्चे विश्वास की कमी है। परमेश्वर में तुम्हारा विश्वास बस एक प्रश्नचिह्न बनकर रह जाता है, जो तुम्हारे विश्वास को बहुत दयनीय बना देता है! जब तुम मसीह-विरोधियों और बुरे लोगों को परमेश्वर के घर में बाधाएँ और गड़बड़ी पैदा करते हुए देखकर भी उदासीन बने रहते हो; जब तुम अपने जीवन, अपने परिवार और अपने सभी हितों की रक्षा करने के लिए परमेश्वर के घर और उसके चुने हुए लोगों के हितों से विश्वासघात करते हो तो फिर तुम एक गद्दार, यहूदा बन जाते हो। यह साफ और स्पष्ट है। हम अक्सर मसीह-विरोधियों और बुरे लोगों के बारे में संगति और उनका गहन-विश्लेषण करते हैं, इस बात पर चर्चा करते हैं कि कैसे उनका भेद पहचाना और उन्हें पहचाना जाए, यह सब सत्य के बारे में स्पष्ट रूप से संगति करने और लोगों को बुरे लोगों और मसीह-विरोधियों का भेद पहचानने में सक्षम बनाने के उद्देश्य से किया जाता है, ताकि वे उन्हें उजागर कर सकें। इस तरह, परमेश्वर के चुने हुए लोग अब मसीह-विरोधियों द्वारा गुमराह या परेशान नहीं होंगे और वे शैतान के प्रभाव और बंधन से मुक्त हो सकते हैं। हालाँकि, कुछ लोगों के दिलों में अभी भी सांसारिक आचरण के फलसफे मौजूद हैं। वे बुरे लोगों और मसीह-विरोधियों का भेद पहचानने की कोशिश नहीं करते; बल्कि, वे खुशामदी लोगों की भूमिका निभाते हैं। वे मसीह-विरोधियों के खिलाफ नहीं लड़ते, उनके साथ स्पष्ट सीमाएँ तय नहीं करते और अपने हितों की रक्षा करने के लिए एक कमजोर, बीच का रास्ता चुनते हैं। वे इन राक्षसों—इन बुरे लोगों और मसीह-विरोधियों—को परमेश्वर के घर में बने रहने देते हैं, राक्षसों को पाल-पोसकर खतरे को न्योता देते हैं। वे इन राक्षसों को बेतहाशा कलीसिया के काम में विघ्न डालने और भाई-बहनों को उनके कर्तव्य निभाने से बाधित करने देते हैं। ऐसे लोग क्या भूमिका निभाते हैं? वे मसीह-विरोधियों की ढाल और उनके साथी बन जाते हैं। भले ही तुम लोग मसीह-विरोधियों की तरह वे चीजें नहीं करते या वही बुरे कर्म नहीं करते, मगर तुम लोग उनके बुरे कर्मों में हिस्सेदार हो—और तुम्हारी निंदा की जाती है। तुम मसीह-विरोधियों को बर्दाश्त करते हो और उन्हें आश्रय देते हो, उनके खिलाफ बिना कोई कार्रवाई किए या कोई कदम उठाए उन्हें अपने आस-पास तबाही मचाने देते हो। क्या तुम लोग मसीह-विरोधियों के बुरे कर्मों में भागीदार नहीं हो? यही कारण है कि कुछ नकली अगुआ और खुशामदी लोग मसीह-विरोधियों के साथी बन जाते हैं। जो कोई भी मसीह-विरोधियों को कलीसिया के काम में बाधा डालते हुए देखता है, मगर उन्हें उजागर नहीं करता या उनके साथ स्पष्ट सीमाएँ तय नहीं करता है, वह उनका अनुचर और साथी बन जाता है। उसमें परमेश्वर के प्रति समर्पण और निष्ठा की कमी होती है। परमेश्वर और शैतान के बीच लड़ाई के महत्वपूर्ण क्षणों में वह शैतान की तरफ खड़े होकर मसीह-विरोधियों की रक्षा करता है और परमेश्वर को धोखा देता है। ऐसे लोगों से परमेश्वर घृणा करता है।

जब मसीह-विरोधी काट-छाँट का सामना करते हैं, तो वे अक्सर बहुत प्रतिरोध दिखाते हैं, फिर वे अपने बचाव में बहस करने की पूरी कोशिश करने लगते हैं और लोगों को गुमराह करने के लिए कुतर्क और वाक्पटुता का उपयोग करते हैं। यह काफी आम है। मसीह-विरोधियों की सत्य को स्वीकारने से मना करने की अभिव्यक्ति सत्य से नफरत करने और उससे विमुख होने की उनकी शैतानी प्रकृति को पूरी तरह उजागर कर देती है। वे पूरी तरह से शैतान की बिरादरी के होते हैं। मसीह-विरोधी चाहे कुछ भी करें, उनका स्वभाव और सार सामने आ जाता है। विशेष रूप से वे परमेश्वर के घर में जो कुछ भी करते हैं वह सत्य के खिलाफ जाता है, परमेश्वर द्वारा उसकी निंदा की जाती है और वह परमेश्वर का प्रतिरोध करने वाला कुकर्म होता है, उनके द्वारा की जाने वाली ये सभी चीजें इस बात की पूरी तरह से पुष्टि करती हैं कि मसीह-विरोधी शैतान और बुरे राक्षस हैं। इसलिए, जब काट-छाँट किए जाने की बात आती है तो वे इसे बिल्कुल भी खुशी-खुशी पालन करने वाले और इच्छुक तरीके से स्वीकार नहीं करते हैं; बल्कि प्रतिरोध और विरोध के अलावा, वे काट-छाँट किए जाने से नफरत भी करते हैं, वे उनसे भी नफरत करते हैं जो उनकी काट-छाँट करते हैं और उनसे भी नफरत करते हैं जो उनके प्रकृति सार को और उनके कुकर्मों को उजागर करते हैं। मसीह-विरोधियों को लगता है कि जो कोई भी उन्हें उजागर करता है, वह उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है, इसलिए वे भी ऐसे किसी भी व्यक्ति से प्रतिस्पर्धा और लड़ाई करते हैं जो उन्हें उजागर करता है। अपनी इसी प्रकार की प्रकृति के कारण मसीह-विरोधी ऐसे किसी व्यक्ति के प्रति कभी दयालु नहीं होते जो उनकी काट-छाँट करता है, न ही वे ऐसा करने वाले किसी भी व्यक्ति को सहन या स्वीकार करते हैं, उसके प्रति कृतज्ञता या सराहना तो वे बिल्कुल भी अनुभव नहीं करते। इसके विपरीत, अगर कोई उनकी काट-छाँट करता है और उन्हें अपनी गरिमा और इज्जत से हाथ धोने पर विवश कर देता है तो वे उस व्यक्ति के प्रति अपने दिलों में नफरत पाल लेते हैं और उससे बदला लेने के मौके की ताक में रहते हैं। उन्हें दूसरों से कैसी नफरत होती है! यह है वो जो वे सोचते हैं और जो वे दूसरों के सामने खुलकर कह देंगे, “आज तुमने मेरी काट-छाँट की है, ठीक है, अब हमारा झगड़ा पत्थर की लकीर हो गया है। तुम अपने रास्ते जाओ, मैं अपने रास्ते जाता हूँ, लेकिन मैं कसम खाता हूँ कि तुमसे बदला लेकर रहूँगा! अगर तुम मेरे सामने अपनी गलती स्वीकार करो, मेरे सामने अपना सिर झुकाओ या घुटने टेको और मुझसे भीख माँगो तो मैं तुम्हें क्षमा कर दूँगा, वरना मैं इसे कभी नहीं भूलूँगा!” मसीह-विरोधी चाहे कुछ भी कहें या करें, वे किसी के हाथों अपनी दयालुतापूर्ण काट-छाँट को या किसी की ईमानदार मदद को कभी भी परमेश्वर के प्रेम और उद्धार के आगमन के रूप में नहीं देखते। इसके बजाय, वे इसे अपने अपमान के संकेत के रूप में और उस क्षण के रूप में देखते हैं जब वे सबसे अधिक शर्मिंदा हुए थे। यह दर्शाता है कि मसीह-विरोधी सत्य को बिल्कुल भी स्वीकार नहीं करते, कि उनका स्वभाव सत्य से विमुख होने और इससे नफरत करने वाला होता है। क्या तुम लोग कभी ऐसे किसी बुरे व्यक्ति या मसीह-विरोधी से मिले हो जिसने अपनी काट-छाँट किए जाने के कारण दूसरों से बदला लिया हो? (हाँ।) उसने कैसे बदला लिया? क्या उसका बदला लेने का तरीका भयानक था? (हाँ, यह भयानक था। मैं एक बार एक मसीह-विरोधी से मिली जिसने कलीसिया में कुछ बुरे कर्म किए थे और फिर जब कलीसिया अगुआ ने उसके व्यवहार को उजागर किया तो उसने यह कहते हुए कलीसिया में बेबुनियाद अफवाहें फैलाना शुरू कर दिया कि कैसे यह अगुआ कोई वास्तविक कार्य नहीं करता और लोगों को अपने सामने लाने के लिए शब्द और धर्म-सिद्धांत बोलता है। बाद में जब हम इस मसीह-विरोधी को उजागर करने गए तो पहले वह खुद को छिपाने में सक्षम हो गया, लेकिन जब हमने उसे उजागर करना जारी रखा, तो उसने हमें धमकाते हुए कहा, “मेरे घर के पीछे एक पुलिस थाना है, वे अक्सर मेरे घर आते हैं।” उसका मतलब था कि अगर हमने उसे फिर से उजागर किया तो वह हमारे बारे में पुलिस को सूचित कर देगा। उसकी क्रूरता उजागर हो गई।) (मैं एक बार एक मसीह-विरोधी से मिला। एक बहन ने उसकी रिपोर्ट करते हुए पत्र लिखा था और जब उसने यह पत्र देखा तो ऐसा हुआ कि जिस स्थान पर यह बहन रहती थी वहाँ एक खतरनाक स्थिति उत्पन्न हो गई, इसलिए उसने कलीसिया के सभी मुख्य सहकर्मियों को इकट्ठा कर कहा, “मेरे बारे में रिपोर्ट करने वाला पत्र लिखने के बाद इस बहन के निवास पर अचानक खतरनाक स्थिति क्यों उत्पन्न हो गई? परमेश्वर निश्चित रूप से निरर्थक काम नहीं करता; शायद वह किसी को बेनकाब करने जा रहा है!” फिर उसने कुछ भड़काऊ बातें कहीं, जिससे सभी ने यह मानते हुए उस बहन पर उँगली उठाई कि उसके साथ कोई समस्या है। अंत में इस बहन को बर्खास्त कर दूर भेज दिया गया और उसके पत्र को अलग रख दिया गया और उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। उसके बाद मसीह-विरोधी ने शुरू से अंत तक जो भी कहा था, हमने उसकी तुलना की और पाया कि उसने हममें से हरेक से अलग-अलग बातें कही थीं। हमने देखा कि वह बहुत ही धूर्त और कपटी रहा था। अंत में संगति के जरिये हमने उसका भेद पहचाना और मामले को उचित तरीके से निपटाया।) अब इस बात की पुष्टि हो गई कि सभी मसीह-विरोधी बुरे लोग हैं और जब तक बुरे लोग सत्ता पर काबिज रहते हैं, वे सभी मसीह-विरोधी हैं।

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