मद नौ : वे अपना कर्तव्य केवल खुद को अलग दिखाने और अपने हितों और महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए निभाते हैं; वे कभी परमेश्वर के घर के हितों की नहीं सोचते और वे व्यक्तिगत यश के बदले उन हितों के साथ विश्वासघात तक कर देते हैं (भाग पाँच) खंड चार

मामला छह : भोजन और वस्त्रों की खातिर पद हासिल करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाना

परमेश्वर में विश्वास करने के बाद, बहुत से लोग हमेशा रुतबे का अनुसरण करते हैं और चाहते हैं कि दूसरे लोग उनके बारे में ऊँचा सोचें। परमेश्वर के घर में, वे हमेशा भीड़ से अलग दिखना और सबसे आगे रहना चाहते हैं। इन चीजों की खातिर, वे अपने परिवार छोड़ देते हैं और अपने करियर त्याग देते हैं, कठिनाई झेलते हैं और कीमत चुकाते हैं, फिर आखिर में उनकी इच्छा पूरी हो जाती है और वे अगुआ बन जाते हैं। अगुआ बनने के बाद, इन लोगों का जीवन वास्तव में बदल जाता है। उनके मन में अधिकारियों की जो छवि और शैली थी, उनके कपड़े पहनने के ढंग से लेकर तैयार होने, बात करने और काम करने के तरीके तक, वे उनके हर पहलू को अभिव्यक्त करते हैं। वे एक अधिकारी की तरह बात करना सीखते हैं, लोगों को आदेश देना सीखते हैं, और यह सीखते हैं कि अपने निजी मामलों को लोगों से कैसे सँभलवाएँ। सरल शब्दों में कहूँ तो, वे अधिकारी बनना सीखते हैं। जब वे अगुआ बनने के लिए किसी स्थान पर जाते हैं, तो इसका मतलब है कि वे अधिकारी बनने के लिए वहाँ जा रहे हैं। अधिकारी बनने का क्या अर्थ है? वे “भोजन और वस्त्रों की खातिर पद हासिल करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाते हैं।” यह भौतिक सुखों से संबंधित मामला है। अगुआ बनने के बाद, उनके जीवन में पहले से क्या बदलाव आया है? उनका खान-पान, पहनावा, और उनकी इस्तेमाल की चीजें, ये सब बदल गया है। खाते समय, वे इस बात का ध्यान रखते हैं कि खाना पौष्टिक और स्वादिष्ट हो। वे अपने कपड़ों के ब्रांड और स्टाइल का खास ध्यान रखते हैं। एक साल तक किसी स्थान पर अगुआ रहने के बाद, वे थुलथुल और मोटे हो जाते हैं; वे सिर से पैर तक डिजाइनर कपड़ों में लिपटे होते हैं; और उनके सेल फोन, कंप्यूटर और उनके घर में मौजूद उपकरण सभी विलासिता वाले और महँगे होते हैं। क्या अगुआ बनने से पहले उनकी यह स्थिति थी? (नहीं।) अगुआ बनने के बाद उन्होंने पैसे कमाने की कोशिश नहीं की, तो फिर उनके पास ये सब चीजें खरीदने के लिए पैसे कहाँ से आए? क्या भाई-बहनों ने उन्हें ये चीजें दान में दीं, या परमेश्वर के घर ने उन्हें ये चीजें सौंपी? क्या तुम लोगों ने कभी परमेश्वर के घर को हर अगुआ और कार्यकर्ता को ये चीजें सौंपने के बारे में सुना है? (नहीं।) तो, उन्हें ये चीजें कैसे मिलीं? चाहे जो भी हो, उन्होंने ये चीजें अपनी मेहनत से हासिल नहीं की थीं; बल्कि, ये सब चीजें उन्हें रुतबा पाने और “अधिकारी” बनने के बाद—जहाँ उन्होंने रुतबे के लाभों का आनंद लिया—दूसरों से जबरन वसूली करके, धोखाधड़ी से, और चीजें जब्त करके मिलीं। हर जगह कलीसियाओं में, क्या किसी भी पद पर इस तरह के अगुआ और कार्यकर्ता थे जिनसे तुम लोगों की मुलाक़ात हुई हो? जब वे पहली बार अगुआ बनते हैं तो उनके पास कुछ भी नहीं होता है, मगर तीन महीनों के भीतर उनके पास उन्नत ब्रांड के कंप्यूटर और सेल फोन आ जाते हैं। अगुआ बनने के बाद, कुछ लोग सोचते हैं कि उन्हें उच्च-स्तरीय सुख-सुविधाओं का आनंद लेना चाहिए—जब वे बाहर जाएँ तो उन्हें कार से सफर करना चाहिए; वे जिन कंप्यूटर और सेल फोन का इस्तेमाल करते हैं, वे औसत लोगों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले कंप्यूटर और सेल फोन की तुलना में बेहतर होने चाहिए, वे उन्नत ब्रांड के होने चाहिए, और जब मॉडल पुराना हो जाए तो उन्हें नया मॉडल लेना चाहिए। क्या परमेश्वर के घर में ये नियम हैं? परमेश्वर के घर में ये नियम कभी नहीं थे, और ऐसा एक भी भाई या बहन नहीं है जो ऐसा सोचता हो। तो ये चीजें जिनका ये अगुआ आनंद लेते हैं, कहाँ से आती हैं? एक बात तो यह है कि उन्होंने इनमें से कुछ चीजें भाई-बहनों से जबरन वसूली करके पाई हैं और कुछ चीजें परमेश्वर के घर का काम करने की आड़ में अमीर लोगों से अपने लिए खरीदवाई हैं। इसके अलावा, उन्होंने खुद ही इन चीजों को भेंटों का दुरुपयोग करके और उनकी चोरी करके खरीदा है। क्या वे ऐसे घिनौने लोग नहीं हैं जो धोखाधड़ी से खाने-पीने की चीजें हासिल करते हैं? क्या यह उन लोगों से जरा-सा भी अलग है जिनके बारे में मैंने पिछले कुछ मामलों में बात की थी? (नहीं।) उनमें क्या समानता है? उन सबने भेंटों का गबन करने और भेंटें जबरन वसूलने के लिए अपने पद का इस्तेमाल किया था। कुछ लोग कहते हैं, “परमेश्वर के घर में काम करके और अगुआ या कार्यकर्ता बनकर, क्या वे इन चीजों का आनंद लेने के हकदार नहीं हैं? क्या वे परमेश्वर के साथ उसकी भेंटों का हिस्सा लेने के हकदार नहीं हैं?” मुझे बताओ, क्या वे इसके हकदार हैं? (नहीं।) अगर उन्हें परमेश्वर के घर का काम करने के लिए कुछ चीजें खरीदनी हैं, तो ऐसे में परमेश्वर के घर के अपने नियम हैं जो कहते हैं कि वे ये चीजें खरीद सकते हैं, मगर क्या ये लोग इन नियमों को ध्यान में रखते हुए ये चीजें खरीद रहे हैं? (नहीं।) तुम लोगों को कैसे पता कि वे ऐसा नहीं कर रहे हैं? (अगर उन्हें वाकई काम के लिए इसकी जरूरत होती, तो वे सोचते कि अगर किसी चीज से काम हो सकता है तो वह ठीक है, मगर मसीह-विरोधी उन्नत डिजाइनर चीजें चाहते हैं, और वे सिर्फ सबसे अच्छी चीजों का इस्तेमाल करते हैं। इस बात को देखें तो पता चलता है कि वे इन भौतिक चीजों का आनंद लेने के लिए अपने रुतबे का इस्तेमाल कर रहे हैं।) यह सही है। अगर काम के लिए जरूरत होती, तो कोई भी चीज जिससे काम हो जाए, ठीक है। उन्हें ऐसी फैंसी और महंगी चीजों का इस्तेमाल करने की क्या जरूरत है? साथ ही, जब उन्होंने ये चीजें खरीदीं, तो क्या अन्य लोगों ने फैसला लेने में भाग लिया और क्या वे इससे सहमत थे? क्या यह एक समस्या नहीं है? अगर अन्य लोगों ने फैसला लेने में भाग लिया होता, तो क्या वे सभी इन उन्नत चीजों को खरीदने के लिए उनके साथ सहमत होते? बिल्कुल नहीं। यह एकदम स्पष्ट है कि उन्होंने ये चीजें भेंटों की चोरी करके हासिल की हैं। यह बात बिल्कुल साफ है। वैसे भी, परमेश्वर के घर का एक नियम है—हरेक कलीसिया में भेंटों की सुरक्षा करना, काम करने के लिए साझेदारी करना, कभी भी सिर्फ एक व्यक्ति का काम नहीं होता। तो, ये लोग अकेले, अपनी मर्जी से भेंटों का इस्तेमाल और उन्हें खर्च क्यों कर पाए? यह सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है। क्या उनके द्वारा किए जाने वाले इन कामों की प्रकृति भेंटों की चोरी करने की नहीं है? उन्होंने दूसरे अगुआओं और कार्यकर्ताओं की सहमति और स्वीकृति के बिना ही इन चीजों को खरीदा और हासिल किया, दूसरे लोगों को सूचित करना तो दूर की बात है, और किसी को इस बारे में पता तक नहीं लगा। क्या इसकी प्रकृति कुछ चोरी जैसी नहीं है? इसे भेंटों की चोरी करना कहते हैं। चोरी करना धोखा है। इसे धोखा क्यों कहते हैं? क्योंकि उन्होंने परमेश्वर के घर का काम करने का झंडा फहराकर ये शानदार चीजें खरीदीं और उन्हें हासिल किया। इस तरह के व्यवहार को धोखाधड़ी कहते हैं, और यह धोखा है। क्या इसका इस तरह निरूपण करके मैंने हद पार कर दी है? क्या मैं बात का बतंगड़ बना रहा हूँ? (नहीं।) इतना ही नहीं, बल्कि कुछ समय तक किसी स्थान पर रहने के बाद इन तथाकथित अगुआओं को बहुत स्पष्ट रूप से पता चल जाता है कि वहाँ के भाई-बहन संसार में क्या काम करते हैं, उनके क्या सामाजिक संबंध हैं, और वे इन लोगों से ठगी करके क्या-क्या लाभ पा सकते हैं, और किन संबंधों का फायदा उठा सकते हैं। उदाहरण के लिए, कौन-कौन भाई-बहन किसी अस्पताल में, किसी सरकारी विभाग में या किसी बैंक में काम करते हैं, या कौन उद्यमी है, किसके परिवार के पास दुकान, कार या बड़ा घर वगैरह है, उन्हें इन चीजों का बहुत स्पष्ट रूप से पता चल जाता है। क्या ये चीजें इन अगुआओं के काम के दायरे में आती हैं? वे इन चीजों का पता लगाने की कोशिश क्यों कर रहे हैं? वे इन संबंधों का इस्तेमाल करना चाहते हैं और इन भाई-बहनों का फायदा उठाना चाहते हैं जिनके पास संसार में विशेष पद हैं, ताकि वे उनसे अपना काम करवा सकें, अपनी सेवा करवा सकें, और उनसे सुविधाएँ ले सकें। क्या तुम लोगों को लगता है कि वे कलीसिया का काम करने के लिए ऐसा कर रहे हैं, और परमेश्वर के चुने हुए लोगों की कठिनाइयाँ दूर करने के लिए सत्य पर संगति कर रहे हैं? क्या वे यही कर रहे हैं? वे जो कुछ भी करते हैं उसके पीछे एक मंशा और उद्देश्य होता है। जब सच्चे अगुआ और कार्यकर्ता काम करते हैं, तो वे समस्याएँ सुलझाने और कलीसिया के काम को अच्छे से करने पर ध्यान देते हैं। वे उन चीजों पर ध्यान नहीं देते जिनका कलीसिया के काम से कोई लेना-देना नहीं है। वे बस यह पूछने पर ध्यान देते हैं कि कलीसिया में कौन अपना कर्तव्य ईमानदारी से निभा रहा है, कौन अपने कर्तव्य में प्रभावी है, कौन सत्य स्वीकार सकता है और सत्य का अभ्यास कर सकता है, और कौन अपने कर्तव्य में वफादार है। फिर, वे उन्हें बढ़ावा देते हैं, और उन लोगों की जाँच-पड़ताल करते हैं जो व्यवधान और गड़बड़ी पैदा करते हैं और सिद्धांत के अनुसार उनसे निपटते हैं। जो लोग इस तरह से अभ्यास करते हैं केवल वे ही सच्चे अगुआ और कार्यकर्ता होते हैं। क्या मसीह-विरोधी ये चीजें करते हैं? (नहीं।) वे क्या करते हैं? वे अपने लिए और अपने हितों की खातिर वाँछनीय चीजें इकट्ठा करने के लिए काम और तैयारियाँ करते हैं, मगर खुद को कलीसिया के काम में नहीं लगाते हैं, और इसे महत्व नहीं देते। इसलिए, किसी स्थान पर अपना पैर जमाने के बाद, वे काफी हद तक यह पता लगा लेते हैं कि कौन-से भाई-बहन उनके लिए क्या सेवाएँ प्रदान कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, जो कोई भी दवा बनाने के कारखाने में काम करता है, वह उनके बीमार होने पर मुफ्त में दवाएँ दे सकता है, और उन्हें उच्च गुणवत्ता वाली विदेशी दवा दे सकता है; जो कोई भी बैंक में काम करता है, वह उनके लिए पैसों की जमा या निकासी का कार्य सुविधाजनक बना सकता है; वगैरह-वगैरह। उन्हें ये सारी चीजें बहुत स्पष्ट रूप से पता चल जाती हैं। वे इस बात की परवाह किए बिना कि इन लोगों की मानवता अच्छी है या नहीं, इन्हें अपने सामने इकट्ठा कर लेते हैं। जब तक ये लोग उनकी बात मानते हैं और उनके सहायक और समर्थक बनने के लिए तैयार रहते हैं, तब तक मसीह-विरोधी उन्हें वाँछनीय चीजें देंगे, और उन्हें अपने करीब रखेंगे और उनका भरण-पोषण और सुरक्षा करेंगे, जबकि ये लोग कलीसिया में इन मसीह-विरोधियों की स्थिति को मजबूत करने और इनकी ताकतों को बनाए रखने के लिए काम करते हैं। इसलिए, जब तुम यह देखना चाहते हो कि कलीसिया का कोई अगुआ वास्तविक कार्य कर रहा है या नहीं, तो उससे उस कलीसिया में भाई-बहनों की वास्तविक स्थिति के बारे में पूछो, और यह पूछो कि कलीसिया का काम कैसे चल रहा है, तो तुम स्पष्ट रूप से देख पाओगे कि क्या वह वास्तव में ऐसा व्यक्ति है जो वास्तविक कार्य करता है। कुछ लोगों को कलीसिया में भाई-बहनों के पारिवारिक मामलों और उनके जीवन स्तर का स्पष्ट रूप से पता होता है। अगर तुम उनसे पूछो कि कौन दवा कारखाने में काम करता है, किसके परिवार के पास दुकान है, किसके परिवार के पास कार है, किसके परिवार का बड़ा व्यवसाय है, या कौन किसी स्थानीय विभाग में काम करता है और कौन भाई-बहनों के लिए काम कर सकता है, तो वे तुम्हें सटीक रूप से बता सकते हैं। यदि तुम उनसे पूछो कि कौन सत्य का अनुसरण करता है, कौन अपने कर्तव्य में अनमना है, कौन मसीह-विरोधी है, कौन लोगों को जीतने की कोशिश करता है, कौन सुसमाचार का प्रचार करने में प्रभावशाली है, या स्थानीय स्तर पर कितने संभावित सुसमाचार प्राप्तकर्ता मौजूद हैं, तो वे ये चीजें नहीं जानते। ये किस तरह के लोग हैं? वे जिस स्थान पर हैं, वहाँ सभी सामाजिक संबंधों का उपयोग करना चाहते हैं, और उन्हें एक छोटे सामाजिक समूह में एकजुट करना चाहते हैं। इसलिए, जिस स्थान पर ये अगुआ हैं उसे कलीसिया नहीं कहा जा सकता। जब वे अपना काम कर चुके होते हैं, तो यह एक सामाजिक समूह बन जाता है। जब ये लोग मिलते हैं, तो वे अपने दिलों को नहीं खोलते और एक-दूसरे की अनुभवजन्य समझ के बारे में संगति नहीं करते; इसके बजाय, वे देखते हैं कि किसके अधिक मजबूत संबंध हैं, समाज में किसकी उच्च प्रतिष्ठा है और कौन बहुत संपन्न है, समाज में कौन जाना-माना है, समाज में किसका प्रभाव है, और कौन अगुआ को विशेष रूप से सुविधाजनक सेवाएँ और वाँछनीय चीजें उपलब्ध करवा सकता है। ये लोग जो भी हों, अगुआ के दिल में उनकी प्रतिष्ठा है। क्या यही मसीह-विरोधी का काम नहीं है? (बिल्कुल है।) मसीह-विरोधी क्या कर रहे हैं? क्या वे कलीसिया का निर्माण कर रहे हैं? वे कलीसिया को तोड़ रहे हैं और नष्ट कर रहे हैं, और परमेश्वर के घर के कार्य में बाधा और गड़बड़ी पैदा कर रहे हैं। वे अपना स्वतंत्र राज्य, अपना निजी समूह और गुट बना रहे हैं। मसीह-विरोधी यही करते हैं।

मैं इतने सालों से तुम लोगों के संपर्क में हूँ, मगर क्या मैं यह पूछता हूँ कि तुम्हारे परिवार क्या करते हैं, तुम्हारे परिवार कितने संपन्न हैं और तुम लोगों की पृष्ठभूमि क्या है? (नहीं।) मैं ये चीजें क्यों नहीं पूछता? ये चीजें पूछने का कोई मतलब नहीं है। परमेश्वर का घर समाज नहीं है। यहाँ दूसरों को खुश करने या दूसरों के साथ संबंध बनाने की कोई जरूरत नहीं है। इन चीजों के बारे में पूछने का परमेश्वर में विश्वास करने से कोई लेना-देना नहीं है। परमेश्वर के घर को समाज में मत बदलो। तुम्हारी पारिवारिक पृष्ठभूमि क्या है, चाहे वह गरीब रही हो या समृद्ध, तुम किस परिवेश में रहते हो, चाहे वह शहर हो या कोई ग्रामीण इलाका, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। अगर तुम सत्य का अनुसरण नहीं करते, तो चाहे समाज में तुम्हारा कितना भी ऊँचा स्थान रहा हो, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं इस पर ध्यान नहीं दूँगा। जब मैं लोगों से बात करता हूँ, तो कभी उनके परिवार की स्थिति के बारे में नहीं पूछता। अगर वे इस बारे में बात करना चाहते हैं, तो मैं सुनता हूँ, मगर मैंने कभी भी इन चीजों को महत्वपूर्ण जानकारी नहीं माना है जिसके बारे में मुझे पूछना चाहिए; लोगों का इस्तेमाल करने के लिए किसी तरह की जानकारी इकट्ठा करने की कोशिश करना तो दूर की बात है। लेकिन, जब मसीह-विरोधी इन चीजों के बारे में पूछते हैं तो उनका इरादा सिर्फ बातचीत करने का नहीं होता; बल्कि, वे कुछ वाँछनीय चीजें बटोरने के लिए ऐसा कर रहे होते हैं। उदाहरण के लिए, जिस किसी के परिवार के पास स्वास्थ्य उत्पाद बेचने वाली दुकान है और वह उन्हें थोक भाव पर स्वास्थ्य उत्पाद बेच सकता है, वे इस परिवार के साथ घुल-मिल जाते हैं; या जिस किसी के पास कोई ऐसा दोस्त है जिससे वे अच्छी चीजें खरीदने में मदद ले सकते हैं, वे उसे याद रखेंगे। वे इन “संबंधों” और इन लोगों की एक सूची रखते हैं जो उन्हें काफी प्रतिभाशाली लगते हैं, और अहम पलों में उनका इस्तेमाल करते हैं। उन्हें लगता है कि ये सभी लोग प्रतिभाशाली हैं और उनके लिए बहुत काम आएँगे। क्या यह दृष्टिकोण सही है? (नहीं।) जो लोग सत्य का अनुसरण नहीं करते, और जो संसार और शैतान के हैं, वे इन चीजों को जीवन और सत्य से ज्यादा महत्वपूर्ण मानते हैं। अगर कोई व्यक्ति समाज में साधारण कार्यकर्ता हुआ करता था, और अगुआ को यह बात पता चलती है, तो वह उस व्यक्ति पर कोई ध्यान नहीं देगा, फिर चाहे वह अपनी आस्था में कितनी भी ईमानदारी से आगे क्यों न बढ़ रहा हो; मगर जब अगुआ देखता है कि कोई व्यक्ति किसी राजनैतिक दल का अहम सदस्य हुआ करता था और उसका परिवार संपन्न है, उसकी जीवनशैली बेहतर है और वह शानदार जीवन जीता है, तो वह उसकी चापलूसी करेगा, तो क्या यह एक अच्छा अगुआ है? (नहीं।) क्या तुम लोगों के साथ कभी इस तरह का व्यवहार किया गया है? इस तरह से व्यवहार किए जाने के बाद तुम लोगों ने मन में क्या सोचा? क्या तुम्हें लगा कि परमेश्वर के घर में कोई प्यार या स्नेह नहीं है? क्या मसीह-विरोधी परमेश्वर के घर का प्रतिनिधित्व करते हैं? वे परमेश्वर के घर का प्रतिनिधित्व नहीं करते। वे शैतान का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनके काम करने का तरीका, और उनका सार, सब कुछ शैतान का है और उनका सत्य से कोई लेना-देना नहीं है। वे केवल खुद का प्रतिनिधित्व करते हैं। कुछ मसीह-विरोधी ऐसे भी हैं जो इन “संबंधों” को अपनी हथेली में लेकर उनसे संपर्क करने के बाद, इन संबंधों का इस्तेमाल अपने निजी मामलों को सँभालने के लिए करते हैं, या यहाँ तक कि अपने परिवार के सदस्यों के लिए काम की व्यवस्था करने के लिए भी करते हैं। मुझे बताओ, क्या इस तरह की चीजें होती हैं? (हाँ, बिल्कुल।) मसीह-विरोधी ये सब चीजें करने में पूरी तरह सक्षम हैं। जिस व्यक्ति में कोई अंतरात्मा नहीं है, जिसे कोई शर्म नहीं है, और जो स्वार्थी और हद दर्जे का नीच है, वह कुछ भी कर सकता है—ऐसे लोग वो सब कर सकते हैं जो सत्य के अनुरूप नहीं है, और जो नैतिकता और व्यक्ति की अंतरात्मा के विपरीत है। इसलिए, मसीह-विरोधियों की नजरों में, अपने निजी मामलों को सँभालने के लिए अपने पद का फायदा उठाना, लाभ पाना और इस तरह की चीजें संसार में बहुत सामान्य बातें हैं, और इन्हें सामने नहीं लाया जाना चाहिए और न ही इन्हें पहचाना या समझा जाना चाहिए। यह वैसा ही है जैसा कि अविश्वासी कहते हैं, “भोजन और वस्त्रों की खातिर पद हासिल करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाना।” यही वह लक्ष्य है जिसे मसीह-विरोधी भी अगुआ बनकर हासिल करना चाहते हैं। अपने अनुसरण की तरह ही, वे भी जरा-सी भी आत्मग्लानि के बिना इस दिशा में कड़ी मेहनत कर रहे होते हैं, अपनी शक्ति और अपने पद का इस्तेमाल भाई-बहनों को धमकाने के लिए कर रहे हैं, मानो यही उचित हो, और भाई-बहनों के सामने तमाम तरह के अभ्यास और माँगें रख रहे हैं, जो सिद्धांतों के अनुरूप नहीं हैं। कुछ भ्रमित लोगों को, जिनमें भेद पहचानने की क्षमता की कमी है, इन अगुआओं द्वारा उनकी इच्छा के विरुद्ध इस्तेमाल किया जाता है और आदेश दिया जाता है; कुछ ऐसे लोग भी हो सकते हैं जो उनके लिए काम करने के लिए अपने खुद के पैसे इस्तेमाल करते हैं, मगर कुछ कह नहीं सकते, और सोचते हैं कि ऐसा करके वे अपना कर्तव्य निभा रहे हैं और अच्छे कर्म तैयार कर रहे हैं। मैं तुम्हें बता दूँ : दरअसल तुम गलत हो। ऐसा करके तुम अच्छे कर्म तैयार नहीं कर रहे हो; बल्कि, बुरी चीजें करने में एक बुरे व्यक्ति की मदद कर रहे हो, और एक बुरे व्यक्ति की ताकत बढ़ा रहे हो। मैं ऐसा क्यों कहता हूँ? जब तुम ये चीजें करते हो तो यह सिद्धांतों के अनुरूप नहीं होता। तुम अपना कर्तव्य नहीं निभा रहे होते हो। तुम निजी हितों के लिए षड्यंत्र रचने में एक मसीह-विरोधी की मदद कर रहे हो, और उसके लिए उसके निजी मामले सँभाल रहे हो। यह तुम्हारा कर्तव्य नहीं है; यह तुम्हारी जिम्मेदारी नहीं है। परमेश्वर ने तुम्हें यह आदेश नहीं दिया है, न ही यह परमेश्वर के घर का काम है। ऐसा करके, तुम शैतान की सेवा कर रहे हो और शैतान के लिए काम कर रहे हो। क्या शैतान का काम करने के लिए परमेश्वर तुम्हें याद रखेगा? (नहीं।) तो फिर परमेश्वर क्या याद रखेगा? बाइबल में एक वाक्यांश है। प्रभु यीशु ने कहा था : “मैं तुम से सच कहता हूँ कि तुमने जो मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों में से किसी एक के साथ किया, वह मेरे ही साथ किया” (मत्ती 25:40)। यही परमेश्वर ने निर्धारित किया है। इन वचनों का क्या मतलब है? अगर तुम छोटे से छोटे भाई-बहनों के लिए कुछ कर सकते हो, तो वह कार्य यकीनन सिद्धांतों के अनुसार और परमेश्वर की अपेक्षाओं के अनुसार किया जाता है। तुम यह नहीं देखते कि किसी व्यक्ति का रुतबा कितना ऊँचा है, बल्कि सिद्धांत के अनुसार काम करते हो। कुछ लोग केवल रुतबे वाले लोगों के लिए काम और कोशिश करते हैं, और उत्साहपूर्वक उनका समर्थन करते हैं, लेकिन अगर कोई ऐसा व्यक्ति जिसके पास कोई रुतबा नहीं है, उनसे कुछ करने को कहता है, चाहे यह कोई कर्तव्य हो या ऐसी जिम्मेदारी जो उन्हें निभानी चाहिए, तो भी वे उस पर कोई ध्यान नहीं देते। फिर, वे जो काम करते हैं उन्हें कैसे निरूपित किया जाता है? परमेश्वर के दृष्टिकोण से, इन चीजों को शैतान के लिए काम करने के रूप में निरूपित किया जाता है, और वह इन चीजों को बिल्कुल भी याद नहीं रखेगा। यह छठा मामला है। क्या तुम लोगों में से किसी ने इस तरह के मामले देखे हैं? (मैंने एक मामला देखा है, परमेश्वर। पहले, एक मसीह-विरोधी महिला थी जो हमारे यहाँ एक अगुआ हुआ करती थी, उसने भाई-बहनों द्वारा दान किए गए अच्छे भोजन, उपयोगी वस्तुओं, श्रृंगार सामग्री और अन्य चीजों को अपने पास रखने के लिए अपने पद का इस्तेमाल किया। कुछ चीजें पहले ही खराब हो चुकी थीं, मगर फिर भी उसने उन्हें भाई-बहनों को नहीं दिया; उसने इन सभी चीजों का गबन कर लिया। इसके अलावा, उसने एक डाउन जैकेट भी खरीदा, मगर बाद में जब उसने देखा कि एक बहन ने वैसा ही एक डाउन जैकेट खरीदा है जो ज्यादा महंगा नहीं था और अच्छी क्वालिटी का था, तो वह उस बहन से उसकी जैकेट ठगने के लिए तरह-तरह की चीजें सोचने लगी, और बहन को अपनी डाउन जैकेट खरीदने के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने पर मजबूर किया।) यह कहा जा सकता है कि हर मसीह-विरोधी एक बुरा व्यक्ति होता है, और उसमें कोई मानवता नहीं होती, कोई अंतरात्मा नहीं होती, और उसका चरित्र बेहद नीच होता है। इन लोगों को आखिर में बेनकाब करके निकाल देना चाहिए।

अतीत में, तीन लोगों का एक परिवार था जो अपना कर्तव्य निभाने के लिए विदेश आया था। वहाँ पहुँचने के बाद, उन्होंने भाई-बहनों को हर दिन चीजें खरीदने के लिए उन्हें बाहर लेकर जाने को मजबूर किया—उनमें से कोई डाउन जैकेट खरीदना चाहता था, कोई पैंट लेना चाहता था, और किसी को जूते लेने थे। उन्होंने बहाने बनाए, कहा कि वे ज्यादा पैसे लेकर नहीं आए हैं। अगर वे इतने पैसे लेकर नहीं आए हैं तो उन्हें चीजें नहीं खरीदनी चाहिए थी, मगर वे फिर भी चीजें खरीदना चाहते थे, और उन्हें औसत दर्जे की चीजें नहीं, बल्कि शानदार चीजें चाहिए थीं, जिनके लिए भाई-बहनों ने अपने पैसों से भुगतान किया। जैसे-जैसे परिवार ने कुछ समय तक अपना कर्तव्य निभाया, लोगों ने उनके व्यवहार को नापसंद करना शुरू कर दिया—वे जो खाना खाते थे, जिस जगह पर वे रहते थे, और जिन चीजों का इस्तेमाल करते थे, वे सभी ज्यादा ही आलीशान थे! परिवार में पिता ने भाई-बहनों से अपने लिए दूध भी खरीदवाया, और जब प्यास लगती थी, तो पानी की जगह दूध ही पीता था। इस संसार में ऐसे कितने लोग हैं जो दूध को पानी की तरह पी सकते हैं? वे किस श्रेणी के लोग होंगे? बाद में, उसने भाई-बहनों से कीनू और संतरे खरीदने को कहा, और उन्होंने एक बड़ा थैला भरकर कीनू और संतरे खरीदे जिसे परिवार ने दो दिन में ही खत्म कर दिया। इसके बाद, उसने कहा कि उन्हें कुछ पूरक विटामिन चाहिए, इसलिए उसने भाई-बहनों से कुछ चेरी खरीदने को कहा, यहाँ तक कि परमेश्वर का बहाना देते हुए कहा, “तुम्हें परमेश्वर के लिए चेरी खरीदनी है!” मैंने कहा, “अभी सर्दी का मौसम है। यह चेरी खाने का मौसम नहीं है। मैं चेरी नहीं खाऊँगा; मेरे लिए चेरी मत खरीदो।” उसने कहा, “हमें फिर भी खरीदना है!” जब भाई-बहनों ने चेरी की एक पेटी खरीदी, तो उसके परिवार ने कुछ ही समय में उसे सफाचट कर दिया। मैंने कभी किसी को इस तरह से खाते नहीं देखा था—वे फल ऐसे खाते थे जैसे कि वह चावल हो और दूध ऐसे पीते थे जैसे कि वह पानी हो। और फिर, जब खाना खाने का समय आया, तो उन्होंने देखा कि मछली बनी है और उसे गपागप खा लिया। उनके खाने के तरीके से तुम लोगों को घिन आएगी—वे भूखे पिशाचों की तरह थे जिन्होंने पहले कभी कुछ अच्छा नहीं खाया था। उन्होंने सोचा कि अच्छी चीजें पाने के इस मौके का फायदा उठाना चाहिए, तो वे उत्सुकता से जल्दी-जल्दी अपना पेट भरने लगे। अंत में, बच्चे ने इतना खा लिया कि वह बीमार पड़ गया। इसके बाद, बच्चे ने कुछ ऐसा कहा जिसका कोई मतलब नहीं था : “अगर मैंने परमेश्वर की जगह पर वह मछली नहीं खाई होती, तो मैं बीमार नहीं पड़ता!” जब उसने मछली खाई तो मैं वहाँ था ही नहीं, और मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता था। उसने इसे अपनी मर्जी से खाया—वह इसका दोष मुझे कैसे दे सकता है? मगर उसने दोष मुझ पर डाल दिया। ऐसे लोगों से कैसे निपटा जाना चाहिए? (उन्हें हटा दिया जाना चाहिए।) वे क्या हैं? (दानव और शैतान।) वे दानव हैं। उस समय, मैंने स्थानीय कलीसिया के अगुआओं से कहा, “उन्हें हटा दो और यहाँ से निकाल दो, जितना हो सके उतनी दूर कर दो। मैं उनके चेहरे फिर कभी नहीं देखना चाहता!”

मैं कुछ कलीसियाओं में गया हूँ और बहुत से भाई-बहनों से मिला हूँ। मैंने सभी तरह के गंदे और बुरे लोगों को देखा है, मगर मैं जिन लोगों से सामान्य रूप से जुड़ सकता हूँ, उनकी संख्या काफी कम है। वास्तव में ज्यादातर लोगों से मेलजोल करने का कोई तरीका है ही नहीं, और बहुत से लोग ऐसे हैं जिनके पास सूझ-बूझ नहीं है। उनकी कही हर बात में विकृत और गलत तर्क होता है, और वे झूठ को ऐसे पेश करते हैं जैसे कि वह सच हो—वे बस जानवर, राक्षस और शैतान हैं, और उनमें मानवता या विवेक का लेशमात्र भी अंश नहीं है। हर कलीसिया में कम से कम एक तिहाई लोग ऐसे ही होते हैं। उनमें से कोई भी किसी काम के लायक नहीं है, और किसी को भी बचाया नहीं जा सकता; उन्हें जल्द से जल्द हटा देना चाहिए। जिन लोगों से मुझे मेलजोल करना पसंद है वे ऐसे लोग हैं जो सत्य स्वीकार सकते हैं, जो अपेक्षाकृत ईमानदार हैं, और जो अपने दिल से बोल सकते हैं। चाहे वे जितनी भी भ्रष्टता दिखाएँ या उनमें जो भी खामियाँ हों, अगर वे सत्य पर संगति करने के लिए तैयार हैं और सत्य स्वीकार सकते हैं, मैं उनके साथ मिलजुल सकता हूँ। जहाँ तक कपटी लोगों और दूसरों का फायदा उठाने वालों की बात है, मैं उन पर कोई ध्यान नहीं देता। कुछ लोग हमेशा मेरे सामने खुद का दिखावा करना चाहते हैं और चाहते हैं कि मैं उनके बारे में ऊँचा सोचूँ। वे मेरे सामने एक तरह से काम करते हैं और मेरी पीठ पीछे दूसरी तरह से, ताकि मुझे धोखा दे सकें। इस तरह के लोग दानव हैं, और उन्हें जितना हो सके उतनी दूर भेज देना चाहिए; मैं उन्हें फिर कभी नहीं देखना चाहता। जब लोगों में कमजोरियाँ और खामियाँ होती हैं तो मैं उनका समर्थन और पोषण कर सकता हूँ, और जब उनमें भ्रष्ट स्वभाव होता है तो मैं उनके साथ सत्य पर संगति कर सकता हूँ, मगर मैं राक्षसों से नहीं जुड़ता या राक्षसों की बातें नहीं सुनता। कुछ लोग नए विश्वासी हैं और कुछ ऐसे सत्य हैं जिन्हें वे नहीं समझते, इसलिए वे अज्ञानतापूर्वक बोलने और कार्य करने में सक्षम होते हैं। हम सत्य पर संगति कर सकते हैं, लेकिन अगर तुम कुछ सत्यों को समझने के बाद भी जानबूझकर हंगामा करते हो, मेरे प्रति अनुचित व्यवहार करते हो और मुझमें दोष निकालते हो, तो मैं तुम्हें बर्दाश्त नहीं करूँगा। मैं तुम्हें बर्दाश्त क्यों नहीं करूँगा? क्योंकि तुम ऐसे व्यक्ति नहीं हो जिसे बचाया जा सकता है, तो मैं तुम्हें क्यों बर्दाश्त करूँ? किसी को बर्दाश्त करने का मतलब है कि मैं उसके साथ सहनशील और धैर्यवान हो सकता हूँ। मैं अज्ञानी लोगों और औसत भ्रष्ट व्यक्ति के साथ धैर्यवान हूँ, मगर दुश्मनों या राक्षसों के साथ नहीं। अगर राक्षस और दुश्मन तुम लोगों से अच्छी-अच्छी बातें कहने का दिखावा करें और तुम्हें रिश्वत दें, तुम्हें धोखा दें, या तुम्हें पल-भर की खुशी दें, तो क्या तुम उनकी बातों पर विश्वास कर लोगे? (नहीं, हम नहीं करेंगे।) क्यों नहीं? क्योंकि वे सत्य स्वीकार नहीं सकते, तुमने इसे पहले ही स्पष्ट रूप से देखा है, और ये लोग पहले ही बेनकाब हो चुके हैं। वे जो कहते हैं उसमें ईमानदार नहीं होते, जब वे सत्य पर संगति करते हैं तो यह सब सिर्फ पाखंड होता है, और यह समझना कठिन हो जाता है कि वे जो कहते हैं वह सच है या झूठ। अगर तुम इन चीजों को सही-सही देख सकते हो, तो तुम निश्चित हो सकते हो कि वे राक्षस और शैतान ही हैं। केवल उन्हें बाहर निकालकर या निष्कासित करके ही समस्या का पूरी तरह से समाधान किया जा सकता है। कुछ लोग कहते हैं, “उन्हें थोड़ी छूट क्यों नहीं दी जाती?” इन लोगों के पास पश्चात्ताप करने का कोई अवसर नहीं है; उनके लिए पश्चात्ताप करना मुमकिन ही नहीं है। वे शैतान जैसे ही हैं—चाहे परमेश्वर कितना भी सर्वशक्तिमान और बुद्धिमान क्यों न हो, उसके परिप्रेक्ष्य से यह वह सार नहीं है जो परमेश्वर के पास होना चाहिए। वह परमेश्वर को परमेश्वर नहीं मानता, और उसे लगता है कि उसकी कपटी साजिशें ही बुद्धिमानी हैं, उसका प्रकृति सार ही सत्य है, और परमेश्वर सत्य नहीं है। यह पक्का शैतान है, और यह अंत तक परमेश्वर से दुश्मनी निभाता रहेगा। इसलिए, बुरे लोगों का सत्य से प्रेम करने में और सत्य का अनुसरण करने में असमर्थ होना निश्चित है, और इसलिए, परमेश्वर उन्हें नहीं बचाता। उन्हें कलीसिया से बाहर निकालना और परमेश्वर के घर से निष्कासित करना सबसे सही फैसला है और इसमें कुछ भी गलत नहीं है।

आज जिन मसीह-विरोधियों के बारे में मैंने संगति की और जिनका गहन-विश्लेषण किया, वे कभी भी अपने अनुसरण की दिशा और लक्ष्य नहीं बदलेंगे। वे जो कुछ भी करते हैं, उसमें अपने हितों को सबसे आगे रखते हैं, अपनी पूरी ताकत लगाते हैं और परमेश्वर के घर में धोखाधड़ी से भोजन और पेय पदार्थ हासिल करने के लिए अपना दिमाग खपाते हैं। उन्होंने कभी भी ईमानदारी से परमेश्वर के लिए खुद को नहीं खपाया है; वे बस भोजन और पेय पदार्थों के लिए, अपने हितों के लिए और अच्छा बर्ताव पाने के लिए धोखाधड़ी करना चाहते हैं। उन्हें लगता है कि परमेश्वर इसे नहीं देखता, इस बारे में नहीं जानता, और इसकी पड़ताल नहीं कर सकता, तो वे एकाग्रचित्त होकर इन चीजों का अनुसरण करते हैं। बेशक, यही उनका प्रकृति सार है—वे सत्य से प्रेम नहीं करते, न ही वे सत्य का अनुसरण करने के मार्ग पर चल सकते हैं, इसलिए वे मसीह-विरोधियों के रूप में निरूपित किए जाने के लिये अभिशप्त हैं। परमेश्वर इस तरह के लोगों को हटा देता है और ये ऐसे लोग हैं जिनका पता लगते ही परमेश्वर के घर को इन्हें निष्कासित कर देना चाहिए। कोई व्यक्ति मसीह-विरोधी के मार्ग पर चल रहा है यह पता लगने से लेकर उस दिन तक जब वह ऐसे कई कार्य करता है जो सत्य के अनुरूप नहीं हैं, और फिर उस दिन तक जब उसे मसीह-विरोधी के रूप में निरूपित किया जाता है, सभी को यह दिखाता है कि मसीह-विरोधी नहीं बदलते। उनका अंतिम परिणाम परमेश्वर के घर से निष्कासित होना और परमेश्वर द्वारा हटाया जाना ही है—वे नहीं बदल सकते। तो, इन बातों को जानने से तुम लोगों को क्या लाभ होगा? कुछ लोग कहते हैं, “हम धोखे से भोजन और पेय पदार्थ हासिल नहीं करते। हम सत्य का अनुसरण करते हैं और सृजित प्राणी के रूप में अपना कर्तव्य निभाना चाहते हैं। हम परमेश्वर का अनुसरण करते हैं और उसके आयोजनों और व्यवस्थाओं के प्रति समर्पण करते हैं। हम मसीह-विरोधियों की तरह काम नहीं करते, न ही हम मसीह-विरोधियों के मार्ग पर चलने की सोचते हैं। इन मामलों के बारे में जानने से हमें क्या लाभ होगा?” साधारण भाई-बहनों के लिए, मसीह-विरोधियों की ये अभिव्यक्तियाँ और खुलासे हरेक व्यक्ति के लिए चेतावनी का काम कर सकते हैं, और उन्हें बता सकते हैं कि कौन-सा मार्ग सही है और कौन-से व्यवहार और काम करने के तरीके परमेश्वर के इरादों के अनुरूप हैं। कलीसिया में सभी स्तरों के अगुआओं और कार्यकर्ताओं के लिए, यह मसीह-विरोधियों को पहचानने का जीता-जागता प्रमाण है। मसीह-विरोधियों को पहचानने से कलीसिया के काम को क्या लाभ होता है? इससे तुम लोगों को मसीह-विरोधियों को सही ढंग से पहचानने और उन्हें सही समय पर कलीसिया से निष्कासित करने में मदद मिलती है, जिससे कलीसिया अधिक शुद्ध रहे और इन मसीह विरोधियों की बाधाओं, गड़बड़ी, और नुकसान से मुक्त रहे, ताकि जो लोग वास्तव में सत्य का अनुसरण करते हैं और जो ईमानदारी से खुद को परमेश्वर के लिए खपा सकते हैं, उनके पास राक्षसों और शैतानों की बाधाओं से मुक्त एक स्वच्छ और शांत परिवेश हो। तो, जब मसीह-विरोधियों को पहचानने के सत्य की बात आती है, तो चाहे तुम उन्हें तथ्यों और अभिव्यक्तियों के परिप्रेक्ष्य से पहचानो या सत्य सिद्धांतों के आधार पर, तुम्हें इन दोनों पहलुओं को ठीक से समझना होगा। यह तुम्हारे जीवन प्रवेश और कलीसिया के काम के लिए फायदेमंद है—तुम लोगों को इसे समझना चाहिए।

आज मैंने कई मामलों के बारे में बात की। ये सभी मामले मसीह-विरोधियों की क्रूरता, बेशर्मी और नैतिक मूल्यों की किसी भी निचली रेखा का पूर्ण अभाव दर्शाने वाले कुछ व्यवहार, काम करने के तरीके और अभिव्यक्तियाँ हैं। ये सभी ऐसे मामले हैं जो तुम लोगों के आस-पास हुए हैं, और यह कहा जा सकता है कि मसीह-विरोधियों के काम करने के तरीके और उनकी अभिव्यक्तियाँ कुछ हद तक तुम लोगों के भीतर मौजूद हैं। दूसरे शब्दों में, तुम लोगों में मसीह-विरोधियों के कुछ स्वभाव और मसीह विरोधियों के कुछ तौर-तरीके हैं। इसलिए, जैसे-जैसे तुम लोग मसीह-विरोधियों को पहचानते हो, तुम्हें अपने व्यवहार की भी जाँच, परीक्षण और उस पर चिंतन करना चाहिए। कुछ लोग कह सकते हैं, “तुम हमेशा ऐसे मामलों, ऐसी गपशप के बारे में बात करते हो, और इनकी गहराई में जाते हो। इससे हमें सत्य में प्रवेश करने में क्या लाभ होगा? अभी हम अपने कर्तव्यों में बहुत व्यस्त हैं, और हम इन चीजों को नोट करना या उन्हें सुनना नहीं चाहते। सत्य में प्रवेश करते समय, दो चीजों पर टिके रहना काफी है—एक तो परमेश्वर के प्रति समर्पण करना, और दूसरा अपना कर्तव्य ठीक से निभाना। यह कितना सरल है!” सिद्धांत में यह इतना सरल हो सकता है, मगर सटीक और विशिष्ट रूप से कहें, तो यह इतना सरल नहीं है। अगर तुम कुछ ही सत्यों को समझते हो, तो तुम्हारा प्रवेश ऊबड़-खाबड़ और उथला होगा, और अगर जिन सत्यों को तुम समझते हो वे सामान्य हैं, तो तुम कम विवरणों का अनुभव करोगे, और तुम कभी भी परमेश्वर की उपस्थिति में शुद्ध नहीं हो पाओगे। परमेश्वर लोगों से सत्य का अनुसरण करने और सत्य वास्तविकताओं में प्रवेश करने के लिए कहता है, तो लोगों को इन विवरणों को समझना चाहिए। इससे तुम लोगों को क्या पता चलता है? परमेश्वर ने तुम लोगों को बचाने का मन बना लिया है, इसलिए उसे तुम्हारे साथ गंभीर रहना होगा और वह बिल्कुल भी लापरवाह, भ्रमित नहीं होगा या पर्याप्त करीब होने या लगभग सही होने से संतुष्ट नहीं होगा। परमेश्वर के लिए, “लगभग सही होना,” “पाँच में से चार,” “शायद,” और “हो सकता है” जैसे शब्द मौजूद नहीं हैं। अगर तुम बचाया जाना चाहते हो और उद्धार के मार्ग पर चलना चाहते हो, तो तुम्हें सत्य के इन सभी विवरणों को समझना होगा। अगर तुम अभी इस काम के लिए तैयार नहीं हो, तो कोई बात नहीं—सत्य के विवरण में प्रवेश करना शुरू करने में अभी बहुत देर नहीं हुई है। अगर तुम बिना कोई गलती किए अपने कर्तव्य को अच्छी तरह से करने और तुम्हारे साथ कुछ घटित होने पर समर्पण करने के रवैये से ही संतुष्ट हो, तो तुम कभी भी सत्य वास्तविकताओं में प्रवेश नहीं कर पाओगे। परमेश्वर द्वारा लोगों को दिए जाने वाले हरेक सत्य में बहुत सारे विशिष्ट विवरण होते हैं, और अगर लोग इन विवरणों को नहीं समझेंगे, तो वे सत्य को या परमेश्वर के इरादों को कभी नहीं समझ पाएँगे। क्या यह अच्छी बात है कि परमेश्वर लोगों के साथ गंभीर है? (बिल्कुल है।) चाहे यह उनके कर्तव्यों, उनके समर्पण, उनके पारस्परिक संबंधों या उनकी संभावनाओं और भाग्य के मामले से उनके पेश आने के तरीके से संबंधित हो, या यहाँ तक कि उन चीजों से संबंधित हो जिनके बारे में मैं अभी बात कर रहा हूँ, जैसे कि मसीह-विरोधियों को कैसे पहचाना जाए, मसीह-विरोधी के मार्ग पर कैसे न चला जाए, और मसीह-विरोधी के स्वभाव को कैसे त्यागा जाए, उन्हें इन पर एक-एक करके पकड़ बनानी चाहिए। एक बार जब तुम लोग वास्तव में इन विवरणों का भेद पहचानने में सक्षम हो जाओगे और केवल थोड़े-से सरल और खोखले धर्म-सिद्धांतों का ही प्रचार करना नहीं जानोगे, तो तुम लोगों ने सत्य वास्तविकताओं में प्रवेश कर लिया होगा। जो लोग सत्य वास्तविकताओं में प्रवेश करते हैं, केवल उनके पास ही बचाए जाने का मौका और उम्मीद होती है; केवल शब्दों और धर्म-सिद्धांतों का प्रचार करना तो बस श्रम करना है। अगर लोग सत्य वास्तविकताओं में प्रवेश करना चाहते हैं, तो उन्हें इन विवरणों से शुरुआत करनी चाहिए। नहीं तो, वे कभी भी अपना स्वभाव नहीं बदल पाएँगे।

4 अप्रैल 2020

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