मद तेरह : वे कलीसिया के वित्त को नियंत्रित करने के साथ-साथ लोगों के दिलों को भी नियंत्रित करते हैं (खंड एक)

I. मसीह-विरोधी लोगों के दिलों को नियंत्रित करते हैं

आओ, आज हम मसीह-विरोधियों की विभिन्न अभिव्यक्तियों से संबंधित इस तेरहवीं मद के बारे में संगति करें—वे कलीसिया के वित्त को नियंत्रित करने के साथ-साथ लोगों के दिलों को भी नियंत्रित करते हैं। मसीह-विरोधियों की कई विभिन्न अभिव्यक्तियों को देखते हुए इनमें से हर एक मद उनके स्वभाव और सार को छूती है, जो सत्य से विमुख, क्रूर और दुष्ट हैं; तेरहवीं मद भी इसका अपवाद नहीं है। “वे कलीसिया के वित्त को नियंत्रित करने के साथ-साथ लोगों के दिलों को भी नियंत्रित करते हैं”—इस अभिव्यक्ति के आधार पर तुम देख सकते हो कि मसीह-विरोधी न केवल महत्वाकांक्षी होते हैं, बल्कि लालची भी होते हैं; वे अपने दिलों में बहुत सारी जरूरतें पाले रखते हैं। क्या ये जरूरतें जायज हैं? (नहीं, वे जायज नहीं हैं।) क्या लोगों के दिलों को नियंत्रित करना कोई सकारात्मक चीज है? जाहिर है, “नियंत्रण” शब्द से कोई भी देख सकता है कि यह कोई सकारात्मक चीज नहीं है। यह किस लिहाज से सकारात्मक नहीं है? किसी पर नियंत्रण रखना गलत क्यों होता है? क्या तुम लोग अन्य लोगों के दिलों को नियंत्रित करना चाहते हो? (नहीं।) भले ही तुम ऐसा नहीं करना चाहते, फिर भी ऐसे दौर आएँगे जब तुम उस तरह से कार्य करने से खुद को रोक नहीं पाओगे। इसे ही “स्वभाव” कहा जाता है; इसे ही “सार” कहा जाता है। मसीह-विरोधियों का लोगों के दिलों को नियंत्रित करना कोई वैध मानवीय आवश्यकता नहीं है, न ही यह उचित और विवेकसंगत है; यह एक नकारात्मक चीज है। “लोगों के दिलों को नियंत्रित” करने का क्या अर्थ है? लोगों के दिलों को नियंत्रित करना अमूर्त नहीं है; बल्कि यह ऐसी चीज है जो विशिष्ट तरीकों, आचरण और भाषा के साथ-साथ विशिष्ट विचारों, दृष्टिकोणों, इरादों और प्रयोजनों के साथ काफी ठोस और विशिष्ट होती है। जब ऐसा है तो लोगों के दिलों को नियंत्रित करने वाले मसीह-विरोधियों की ठोस अभिव्यक्तियाँ क्या होती हैं और इस नियंत्रण को विशेष रूप से कैसे परिभाषित किया जाता है? (दूसरों का अनुमोदन और सम्मान जीतने के लिए और दूसरों को गुमराह करने का लक्ष्य पूरा करने के लिए बाहरी पीड़ा सहने और कीमत चुकाने जैसे दिखावों का उपयोग करना।) मसीह-विरोधी लोगों का समर्थन जीतने के लिए विशिष्ट प्रकार के आचरण और अभिव्यक्तियों का उपयोग करते हैं, जिससे वे लोगों के दिलों में जगह हासिल करते हैं और लोगों से अपना सम्मान करवाते हैं। जब मसीह-विरोधी दूसरों का सम्मान पा लेते हैं तो प्रकृति से ही इसका परिणाम लोगों को गुमराह करने वाला होता है। लेकिन मसीह-विरोधियों के दिलों में दूसरों को गुमराह करने के लिए इन तरीकों का उपयोग करना सचमुच उनकी व्यक्तिपरक इच्छा नहीं होती; वे जो चाहते हैं वह है सम्मानित होना—यही उनका उद्देश्य होता है। क्या और भी कुछ है? (मसीह-विरोधी लोगों को गुमराह करने और उन्हें अपने जाल में फँसाने के लिए छोटे-छोटे एहसानों का प्रयोग करते हैं और वे दूसरों से अपना सम्मान और प्रशंसा करवाने, अपने आदेशों का पालन करवाने और लोगों को राजी करने और उन पर नियंत्रण पाने के अपने लक्ष्य तक पहुँचने के लिए अपनी क्षमताओं और गुणों का प्रदर्शन करते हैं।) यह एक पहलू है। (मसीह-विरोधी आध्यात्मिक होने का दिखावा करते हैं। जब उनकी काट-छाँट की जाती है तो वे इसे समझने में विफल रहते हैं, फिर भी वे समझने और इसका पालन करने में सक्षम होने का दिखावा करते हैं, ताकि दूसरों को लगे कि वे तल्लीन होकर सत्य का अनुसरण कर रहे हैं और उन्हें काफी आध्यात्मिक समझ है। वे ऐसे लोग होने का छद्मवेश धारण करते हैं जो सत्य का अनुसरण करते हैं और उसे समझते हैं, ताकि वे दूसरे लोगों से अपना सम्मान करवाने और अपना आदर करवाने का परिणाम हासिल कर सकें।) यह एक और पहलू है। मसीह-विरोधी हमेशा दूसरों को यह दिखाना चाहते हैं कि वे कितने आध्यात्मिक हैं और वे सत्य का अनुसरण करने और उसके प्रति समर्पित होने में सक्षम हैं। वास्तव में उन्हें थोड़ी-सी भी समझ नहीं होती, फिर भी वे दूसरों से अपना सम्मान और आदर करवाने के लिए एक आध्यात्मिक व्यक्ति का मुखौटा ओढ़े रखते हैं। वे लोगों के दिलों को नियंत्रित करने के लिए ऐसे तरीकों का उपयोग करते हैं। क्या और भी कुछ है? (मसीह-विरोधी अपना दिखावा करने और खुद को स्थापित करने के लिए शब्दों और धर्म-सिद्धांतों के बारे में बोलते हैं, ताकि दूसरे लोग सोचें कि वे सत्य को समझते हैं और उनके पास आध्यात्मिक कद है और वे उनका सम्मान करें, उनकी आराधना करें और उन्हें सुनें। इन तरीकों से वे लोगों को नियंत्रित करने लगते हैं।) यह एक ठोस अभिव्यक्ति है, लेकिन यह कहना कि “वे शब्दों और धर्म-सिद्धांतों के बारे में बोलते हैं” पूरी तरह से उपयुक्त नहीं है। मसीह-विरोधी इस बात से अनजान होते हैं कि वे शब्दों और धर्म-सिद्धांतों के बारे में बोल रहे होते हैं; वे मानते हैं कि वे जिन चीजों के बारे में बात करते हैं वे वास्तविकता हैं, वे उच्च सिद्धांत और उपदेश हैं, और वे इन चीजों का उपयोग लोगों को गुमराह करने के लिए करते हैं। अगर मसीह-विरोधी जानते कि वे शब्द और धर्म-सिद्धांत हैं तो वे उनके बारे में बोलना बंद कर देते। क्या कुछ और है? (मसीह-विरोधी ढिठाई से सिद्धांतों के खिलाफ जाते हैं, अपने पास मौजूद सत्ता और दिखावटी आध्यात्मिक सिद्धांतों का इस्तेमाल करके धोखे से सभी का भरोसा जीतते हैं और इस तरह लोगों पर नियंत्रण पाने के अपने लक्ष्य तक पहुँचते हैं।) (मसीह-विरोधी परमेश्वर के चुने हुए लोगों का ऊपरवाले के साथ संपर्क तोड़ देते हैं। वे कार्य व्यवस्थाओं पर अमल नहीं करते, वे अपने अधिकार क्षेत्र में सत्ता पर पूरी तरह पकड़ बनाए रखते हैं और वे अपना खुद का राज्य स्थापित करने और लोगों को नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं।) यह भी एक ठोस अभिव्यक्ति है। इसे अधिक उपयुक्त ढंग से कहें तो वे ऊपरवाले को धोखा देते हैं, अपने से नीचे वालों से चीजें छिपाते हैं और लोगों का समर्थन पाने की कोशिश करते हैं, वे दूसरों को सच्ची स्थिति नहीं देखने देते और धोखे से उनका भरोसा हासिल करते हैं ताकि लोगों के दिलों को नियंत्रित करने के अपने लक्ष्य तक पहुँच जाएँ। ऊपरवाले को धोखा देने और अपने से नीचे वालों से चीजें छिपाने का उनका उद्देश्य ऊपरवाले और भाई-बहनों को उनके बारे में सच्चाई देखने से रोकना होता है, ताकि ऊपरवाला और भाई-बहन उन पर भरोसा करें और अंत में भाई-बहन केवल उन्हीं की आराधना करने आएँ—तब वे लोगों के दिलों को नियंत्रित करने के अपने लक्ष्य तक पहुँच चुके होंगे। क्या कुछ और भी है? (मसीह-विरोधी लोगों द्वारा पालन किए जाने के लिए सही प्रतीत होने वाले विनियमों का समूह बनाते हैं और उनका सत्य को बदलने के लिए उपयोग करते हैं, ताकि लोगों को यह विश्वास हो जाए कि इन विनियमों का पालन करना सत्य को व्यवहार में लाने के समान है। इन साधनों से मसीह-विरोधी लोगों के दिलों पर नियंत्रण हासिल करते हैं और उन्हें अपने सामने लाते हैं।) इसे मसीह-विरोधियों द्वारा सत्य सिद्धांतों की जगह लेने के लिए नियमों और विनियमों का समूह तैयार करने के रूप में वर्णित किया जाना चाहिए और खुद को वे आध्यात्मिक व्यक्ति के रूप में, सत्य को समझने वाले व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत करते हैं, ताकि लोग उनकी बात सुनें और इस तरह वे लोगों के दिलों को नियंत्रित करने का अपना लक्ष्य हासिल कर लें। अगर उनके बनाए नियम कलीसियाई जीवन और अपना कर्तव्य निभा रहे लोगों के लिए फायदेमंद होते और अगर वे सत्य सिद्धांतों के विपरीत न चलते और परमेश्वर के घर के हितों को कोई नुकसान न पहुँचाते तो इसमें कुछ भी गलत न होता। कलीसिया में विभिन्न प्रकार के लोगों के साथ व्यवहार करते समय यह आवश्यक है कि सत्य पर संगति करने के अलावा लोगों को नियंत्रित रखने के लिए कुछ प्रशासनिक नियम स्थापित किए जाएँ। अगर ये प्रशासनिक नियम सत्य सिद्धांतों के विपरीत न होकर लोगों को लाभ पहुँचाएँ तो वे सकारात्मक चीजें हैं और यह लोगों के दिलों को नियंत्रित करना नहीं है। अगर इन नियमों को सत्य सिद्धांतों के रूप में पेश किया जा रहा है तो फिर समस्या है। तो फिर क्या मसीह-विरोधी ऐसे नियम बनाने में सक्षम हैं जो लोगों को लाभ पहुँचाएँ और सत्य सिद्धांतों के अनुरूप हों? (नहीं, वे ऐसा करने में सक्षम नहीं हैं।) संक्षेप में यह बताने की कोशिश करो कि इसे कैसे कहा जाना चाहिए। (मसीह-विरोधी कुछ ऐसे नियम बनाते हैं जो सत्य सिद्धांतों के अनुरूप नहीं होते और वे आध्यात्मिकता और सत्य की समझ का झूठ गढ़ते हैं ताकि लोग उनकी बात मानें और वे लोगों के दिलों को नियंत्रित करने के अपने लक्ष्य को प्राप्त करें।) यह तुलनात्मक रूप से उपयुक्त है। क्या और भी कुछ है? (मसीह-विरोधियों को अपनी चतुराई और अंतर्दृष्टि दिखाने और लोगों से खुद का सम्मान करवाने के लिए ऊँचे-ऊँचे विचार उगलना पसंद आता है। उदाहरण के लिए, जब सभी लोग किसी मामले पर चर्चा कर चुके होते हैं और यह तय कर चुके होते हैं कि इसके बारे में क्या करना है तो मसीह-विरोधी हर किसी के सुझावों का खंडन करने के लिए कुछ सिद्धांत बोलते हैं और हर किसी को अपनी बात सुनने के लिए मजबूर करते हैं, जबकि वास्तव में उनका दृष्टिकोण शायद ही अधिक चतुर हो। फिर जैसे-जैसे समय बीतता जाएगा, चाहे मामला कुछ भी हो, कोई भी सत्य पर संगति करने या सत्य सिद्धांतों को खोजने की हिम्मत नहीं करेगा और वे महसूस करेंगे कि उन्हें मसीह-विरोधी को ही अंतिम निर्णय सुनाने देना चाहिए और अंततः मसीह-विरोधी लोगों को नियंत्रित करने के अपने लक्ष्य तक पहुँच जाएँगे।) मसीह-विरोधी हर मोड़ पर ऊँचे-ऊँचे विचार उगलते रहते हैं, दूसरों के सुझावों का खंडन करते हैं, खुद का दिखावा करते हैं और दूसरों को विश्वास दिलाते रहते हैं कि वे बहुत चतुर हैं और इस तरह दूसरे लोगों को गुमराह करने और उन पर नियंत्रण करने के अपने लक्ष्य तक पहुँचते हैं। हमने अतीत में लोगों को नियंत्रित करने और गुमराह करने वाले मसीह-विरोधियों की अभिव्यक्तियों के बारे में बहुत संगति की है। जब मसीह-विरोधी ऐसा करते हैं तो इसमें कई तरह की रणनीतियाँ, अभिव्यक्तियाँ और विधियाँ शामिल होती हैं। कभी-कभी वे कार्रवाइयों का उपयोग करते हैं, कभी-कभी वे भाषण का उपयोग करते हैं और कभी-कभी वे लोगों को गुमराह करने के लिए एक निश्चित प्रकार के दृष्टिकोण का इस्तेमाल करते हैं। कुल मिलाकर मसीह-विरोधी जो कुछ भी करते हैं, उसके पीछे लक्ष्य छिपे होते हैं; इनमें से कोई भी कार्रवाई शुद्ध और खुली नहीं होती और कोई भी सत्य के अनुरूप नहीं होती है। वे जो कुछ भी करते हैं, वह लोगों को गुमराह करने और लोगों से अपना सम्मान करवाने और आराधना करवाने के लिए होता है। मसीह-विरोधी जो कुछ भी कहते और करते हैं, वह केवल दिखावा होता है—वे सभी अच्छे आचरण और ऐसी चीजें होती हैं जिन्हें लोग अच्छा मानते हैं—लेकिन वास्तव में यदि कोई इन चीजों के सार की जाँच करे तो मसीह-विरोधियों के दृष्टिकोणों के पीछे निहित उद्देश्य और लक्ष्य बिना किसी अपवाद के अकथनीय, सत्य के विपरीत होते हैं और परमेश्वर इनसे अत्यधिक घृणा करता है।

लोगों के दिलों को नियंत्रित करने के मसीह-विरोधियों के तरीके को देखें तो उनकी मानवता घृणित और स्वार्थी होती है और उनका स्वभाव सत्य से विमुख, दुष्ट और क्रूर होता है। मसीह-विरोधी अपने उद्देश्य हासिल करने के लिए बिना किसी शर्मिंदगी के हर प्रकार की घृणित और कपटपूर्ण चाल का उपयोग करते हैं—यह उनकी दुष्ट प्रकृति की विशेषता होती है। इसके अतिरिक्त, इस बात पर ध्यान दिए बिना कि लोग इच्छुक हैं या नहीं, उन्हें बताए बिना या उनकी सहमति प्राप्त किए बिना वे हमेशा लोगों को नियंत्रित करना, उनके साथ हेरफेर करना और उन पर हावी होना चाहते हैं। लोग अपने दिलों में जो कुछ भी सोचते और चाहते हैं, वे उस सब कुछ को अपनी इस हेरफेर के अधीन लाना चाहते हैं, वे चाहते हैं कि लोग उनके लिए अपने दिलों में जगह बनाएँ, उनकी आराधना करें और सभी चीजों में उनका आदर करें। वे अपने शब्दों और दृष्टिकोणों से लोगों को घेर लेना और प्रभावित करना चाहते हैं और अपनी इच्छाओं के आधार पर उनके साथ हेरफेर करना और उन पर नियंत्रण करना चाहते हैं। यह किस तरह का स्वभाव है? क्या यह क्रूरता नहीं है? यह बिल्कुल वैसा ही है जैसे बाघ तुम्हारी गर्दन को अपने जबड़े में फँसा लेता है—तुम साँस लेने की चाहे जितनी भी कोशिश करो और हिलने-डुलने के लिए संघर्ष करो, तुम अपनी मर्जी से कुछ नहीं कर सकते, इसके बजाय तुम उसके क्रूर जबड़े की मजबूत, जानलेवा जकड़ में होते हो। तुम आजाद होने के लिए चाहे जितना छटपटाओ, तुम मुक्त नहीं हो सकते और भले ही तुम बाघ से उसका जबड़ा ढीला करने की विनती करो, लेकिन यह असंभव है, इस पर चर्चा की कोई गुंजाइश नहीं होती। मसीह-विरोधियों का स्वभाव बस ऐसा ही होता है। मान लो कि तुम उनसे चर्चा करते हो और कहते हो, “क्या तुम लोगों को नियंत्रित करने के तरीके ढूँढ़ने की कोशिश बंद नहीं कर सकते? क्या तुम अच्छा व्यवहार नहीं कर सकते और अनुयायी नहीं बन सकते? क्या तुम अच्छा व्यवहार नहीं कर सकते और अपने कर्तव्य अच्छे से नहीं निभा सकते और अपनी स्थिति पर कायम नहीं रह सकते?” क्या वे इस पर सहमत हो पाएँगे? क्या तुम अच्छे आचरण या सत्य के बारे में अपनी समझ का उपयोग करके उन्हें उनके रास्ते पर चलते रहने से रोक पाओगे? क्या कोई ऐसा है जो उनके दृष्टिकोण को बदल सकता है? मसीह-विरोधियों के क्रूर स्वभाव को देखें तो कोई भी उनके विचारों और दृष्टिकोणों को बदलने में सक्षम नहीं होगा, न ही कोई लोगों के दिलों को नियंत्रित करने की उनकी इच्छा को बदल पाएगा। कोई भी उन्हें बदल नहीं सकता और उनके साथ कोई बातचीत नहीं की जा सकती है—इसे “क्रूरता” कहा जाता है। मसीह-विरोधियों की महत्वाकांक्षा और लोगों को नियंत्रित करने की उनकी इच्छा उनके सार की अभिव्यक्ति होती है। यदि तुमने उन्हें सुधारने के लिए अच्छे आचरण का उपयोग किया तो क्या इससे काम चलेगा? यदि तुमने उनकी मदद और समर्थन करने के लिए काट-छाँट, न्याय और ताड़ना को स्वीकार करने के अपने व्यावहारिक अनुभव का उपयोग किया—तो क्या वे बदल पाएँगे? वे जो कर रहे हैं क्या उसे रोक देंगे? (नहीं, वे नहीं रोकेंगे।) क्या तुम लोग पहले इस तरह के व्यक्ति से मिले हो? (हाँ। इस तरह के व्यक्ति के मामले में, चाहे वे कहीं भी अपने कर्तव्य निभाएँ, और भले ही वे कभी-कभार असफल हो जाएँ और ठोकर खाएँ, या यहाँ तक कि बीमारी के अनुशासन से भी गुजरें, लेकिन रुतबे का अनुसरण करने की उनकी इच्छा को बदला नहीं जा सकता। वे जहाँ भी जाते हैं, वे रुतबा और सत्ता प्राप्त करना चाहते हैं।) यदि स्थान या समूह का परिवर्तन उन्हें नहीं बदल पाता तो उनके बड़े होने तक प्रतीक्षा करने के बारे में क्या खयाल है—क्या तब वे थोड़े बदल जाएँगे? क्या वे सत्ता और अधिकार के अपने अनुसरण को थोड़ा त्याग देंगे, क्या यह थोड़ा कमजोर हो जाएगा? (नहीं। इसका उम्र से कोई लेना-देना नहीं है; उनके इस स्वभाव को नहीं बदला जा सकता।) एक क्रूर स्वभाव मसीह-विरोधियों पर शासन और नियंत्रण करता है, इसलिए वे नहीं बदल सकते। ऐसा लगता है कि मसीह-विरोधियों का क्रूर स्वभाव कुछ ऐसी चीज है जिसे कई लोगों ने खुद एहसास किया है और देखा है। मसीह-विरोधियों द्वारा लोगों के दिलों को नियंत्रित करना एक वास्तविकता है और तथ्यात्मक साक्ष्य इसका समर्थन करते हैं—यह काफी गंभीर मामला है। इस तरह के लोग, लोगों के दिलों को नियंत्रित करने के मामले को भूलने या उसे अलग रखने में असमर्थ होते हैं। मसीह-विरोधियों का प्रकृति सार ऐसा ही होता है। व्यक्तिपरक दृष्टिकोण से, वे इसे अलग नहीं कर सकते; वस्तुनिष्ठ दृष्टिकोण से, कोई भी उन्हें बदलने में सक्षम नहीं होता—वे पूरी तरह से मसीह-विरोधी होते हैं। मुझे बताओ, क्या कोई मसीह-विरोधी है जो निष्कासित होने के बाद और भाई-बहनों की संगति में न रहने के बाद दूसरों के दिलों को नियंत्रित करने की इच्छा खो देता है? क्या अपने परिवेश या भौगोलिक स्थिति में परिवर्तन से मसीह-विरोधी बदल जाएँगे? (नहीं, वे नहीं बदलेंगे।) वे समय और स्थान में परिवर्तन के साथ नहीं बदलते—यह उनके प्रकृति सार द्वारा निर्धारित होता है। लोगों के दिलों को नियंत्रित करने में मसीह-विरोधी वास्तव में लोगों के बीच सत्ता का प्रयोग करने की कोशिश कर रहे होते हैं—अधिकार पाने, निर्णय लेने और लोगों को नियंत्रित करने और लोगों के दिलों में हेरफेर करने की सत्ता—यही वह सत्ता है जिसे वे हासिल करने के इच्छुक हैं। लोगों के दिलों को नियंत्रित करने के लिए मसीह-विरोधी लोगों से अपना सम्मान करवाने, लोगों को धोखा देने और उन्हें गुमराह करने, लोगों के सामने झूठे दिखावे करने के लिए सभी तरह के तरीकों और साधनों का उपयोग करते हैं और यहाँ तक कि अपने भ्रष्ट स्वभावों और चरित्र को ढकने के लिए निश्चित तरीकों और साधनों का उपयोग करते हैं और अपने उस सार का भेद पहचानने या असलियत जानने से लोगों को रोकते हैं जो सत्य से विमुख है और मसीह-विरोधियों का सार है। बाहरी तौर पर वे खुद को आध्यात्मिक और पूर्ण लोगों के रूप में पेश करते हैं, जिनमें कोई दोष या खोट नहीं है या जिनमें भ्रष्ट स्वभाव का नामो-निशान भी नहीं है, और इस तरह वे दूसरों से अपना सम्मान, आदर, प्रशंसा, आराधना करवाने और यहाँ तक कि अपने ऊपर भरोसा दिलाने के अपने लक्ष्य तक पहुँच जाते हैं। सार रूप में, उनका इन लक्ष्यों तक पहुँचना लोगों के दिलों को नियंत्रित करने का ही नतीजा होता है। मसीह-विरोधियों के सभी स्वभावों और अभिव्यक्तियों के बारे में हमारी संगति में मसीह-विरोधियों द्वारा लोगों के दिलों को नियंत्रित करना और सत्ता और लाभ के लिए बेलगाम होड़ करना इस चर्चा का बड़ा हिस्सा रहा है। चूँकि हम पहले ही इस विषय पर बहुत सारी संगति कर चुके हैं तो इसे आज के लिए यहीं छोड़ देते हैं।

II. मसीह-विरोधी कलीसिया के वित्त को नियंत्रित करते हैं

आज हम जिस मुख्य बिंदु पर चर्चा करेंगे, वह यह है कि लोगों के दिलों को नियंत्रित करने की कोशिश करने और सत्ता के लिए अपनी महत्वाकांक्षा और इच्छा के अलावा मसीह-विरोधियों की एक और घातक अभिव्यक्ति होती है। वे कलीसिया के वित्त के लिए भी बड़ी इच्छा दिखाते हैं, एक ऐसी इच्छा जिसे लालच भी कहा जा सकता है। अपने रुतबे से प्रेम के अलावा मसीह-विरोधियों का वित्त से भी विशेष प्रेम होता है। वित्त में उनकी रुचि और आनंद प्रचुर और निरंतर बने रहते हैं; हम इसे कलीसिया के वित्त को मसीह-विरोधियों के द्वारा नियंत्रित किए जाने के रूप में परिभाषित करते हैं। मसीह-विरोधियों का कलीसिया के वित्त को नियंत्रित करने की कोशिश करना और लोगों के दिलों को नियंत्रित करने की कोशिश करना एक ही बात है—दोनों ही समान रूप से अवैध और अनुचित प्रयत्न हैं। स्पष्ट रूप से यह अपमानजनक बात है। लोगों के दिलों को नियंत्रित करने की महत्वाकांक्षा और इच्छा रखना पहले से ही काफी घृणित बात है, यह पहले से ही बेहद अपमानजनक चीज है, फिर भी मसीह-विरोधी कलीसिया के वित्त को भी नियंत्रित करना चाहते हैं—यह उनके साथ होने वाली एक और भी घृणित बात है। तो फिर जब मसीह-विरोधी कलीसिया के वित्त को नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं तो इसकी ठोस अभिव्यक्तियाँ क्या होती हैं? क्या इसका भेद तब की तुलना में अधिक आसानी से पहचानने लायक होता है जब वे लोगों के दिलों को नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं? जब मसीह-विरोधी लोगों के दिलों को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे होते हैं तो उनके द्वारा अपनाए जाने वाले कुछ तरीकों और स्वभावों को लोग पहचान सकते हैं। लेकिन अगर वे बहुत ही छिपाऊ और धूर्त हैं और उनके पीछे कुछ कथन, रणनीतियाँ या शैतानी चालें हैं जिन्हें मसीह-विरोधी ऊपर से प्रकट नहीं करते, बल्कि केवल अपने निजी विचारों में सोचते हैं तो ये चीजें आसानी से पहचान में नहीं आएँगी। फिर भी कलीसिया के वित्त को नियंत्रित करने की कोशिश में कुछ ठोस अभिव्यक्तियाँ और तरीके होने चाहिए। क्या तुम लोगों को इन तरीकों का भेद पहचानना आसान लगता है? जब तुम लोगों ने इन चीजों को अपनी आँखों से देखा है और अपने कानों से इनके बारे में सुना है तो क्या तुम लोग यह भेद पहचान सकते हो कि ये मसीह-विरोधियों की हरकतें हैं? (यदि वे स्पष्ट व्यवहार हैं तो हाँ, पहचान सकते हैं। उदाहरण के लिए, मसीह-विरोधी इस तरह की चीजों के बारे में पूछताछ करेंगे कि चढ़ावे को सुरक्षित रखने का प्रभारी कौन है।) इसका भेद आसानी से पहचाना जा सकता है क्योंकि वित्त एक संवेदनशील मामला है और अधिकांश लोग उसके बारे में तब तक पूछताछ नहीं करेंगे, जब तक वे वित्त को लेकर साजिश करने वाले लालची लोग न हों, उस स्थिति में वे इस तरह की जानकारी में रुचि लेंगे और पूछताछ करेंगे। तो आओ, हम इस बारे में संगति करते हैं कि कलीसिया के वित्त को नियंत्रित करने की कोशिश करने वाले मसीह-विरोधी लोगों की ठोस अभिव्यक्तियाँ क्या होती हैं।

जब कलीसिया के वित्त को नियंत्रित करने वाले मसीह-विरोधियों के विषय की बात आती है तो अधिकांश लोग इसे अपने मन में कलीसिया की संपत्ति के साथ धोखाधड़ी या संपत्ति के दुरुपयोग के उन उदाहरणों से जोड़ेंगे जो उन्होंने अतीत में देखे हैं, है ना? या शायद कुछ लोग होंगे जो युवा होने या थोड़े से ही समय से परमेश्वर पर विश्वास करने के कारण इन चीजों के बारे में बहुत चिंतित नहीं होंगे और इनके बारे में बिल्कुल भी नहीं सोचेंगे। तो चलो, हम इस बारे में विस्तार से संगति करते हैं ताकि तुम लोग कलीसिया के वित्त से संबंधित कुछ मुद्दों, नियमों और वर्जनाओं को अच्छी तरह समझ सको। कुछ ऐसे भी हैं जो कहते हैं, “मैंने कलीसिया के वित्त के मामलों में कभी रुचि नहीं ली या उनके बारे में पूछताछ नहीं की। मैं उस तरह का लालच नहीं पालता। इससे मेरा कोई लेना-देना नहीं है और यह कलीसिया में कुछ हद तक एक संवेदनशील विषय है, इसलिए मुझे इसके बारे में जानने या न जानने से कोई फर्क नहीं पड़ता।” क्या यह दृष्टिकोण सही है? (नहीं, यह सही नहीं है।) कैसे? चाहे तुम लोग जो भी सोचो, आज हम जिस विषय पर संगति कर रहे हैं, वह मसीह-विरोधियों के स्वभाव के बारे में है, और मसीह-विरोधियों के स्वभाव की छानबीन और गहन-विश्लेषण करने के दृष्टिकोण से तुम लोगों में से प्रत्येक के लिए यह सब समझना और इसे स्पष्ट रूप से समझना लाभकर होगा। हम इस मामले का उपयोग मसीह-विरोधियों के स्वभाव का गहन-विश्लेषण करने के लिए करेंगे, तो आओ सबसे पहले इस बात पर संगति करें कि मसीह-विरोधी कलीसिया की संपत्ति के साथ कैसा व्यवहार करते हैं, उनके मन में वास्तव में कलीसिया की संपत्ति का क्या अर्थ होता है और यह किसकी होती है, साथ ही मसीह-विरोधी अपने निजी विचारों में इस संपत्ति को कैसे देखते हैं और इसे कैसे आवंटित करते हैं। सबसे पहले, मसीह-विरोधी कलीसिया के भाई-बहनों द्वारा भेंट किए जाने वाले धन और विभिन्न वस्तुओं को कैसे परिभाषित करते हैं? मसीह-विरोधियों के चरित्र को देखें तो वे लालची होते हैं और उनका लालच बहुत अधिक होता है, इसलिए वे इस संपत्ति के प्रति उदासीन नहीं होंगे। बल्कि वे इसमें बहुत रुचि लेंगे, यह जाँचने और पता लगाने पर सावधानीपूर्वक ध्यान देंगे कि कलीसिया की संपत्ति कितनी है, इसकी देखभाल का प्रभार किसके पास है, इसे कहाँ रखा जा रहा है और इसके बारे में कितने लोग जानते हैं। जब कलीसिया के वित्त के बारे में मूलभूत जानकारी की बात आती है तो मसीह-विरोधी पहले इसमें सबसे अधिक रुचि दिखाते हैं, इस पर अपना विशेष ध्यान देते हैं, पूछताछ करते हैं और सबसे पूछते हैं, यह जानकारी हासिल करने की पूरी क्षमता से कोशिश करते हैं। अगर उनमें कोई लालच नहीं होता और अगर उनके मन में कोई साजिश न पल रही होती तो क्या वे इन चीजों में रुचि रखते? (निश्चित रूप से नहीं।) मसीह-विरोधी सामान्य मानवता वाले लोगों से अलग होते हैं, क्योंकि उनकी चिंता के पीछे एक छिपा हुआ मकसद होता है। उनकी चिंता इस संपत्ति को सुरक्षित रखने के बारे में नहीं होती, इसके बजाय वे इस पर कब्जा करना चाहते हैं या इसे अपनी इच्छानुसार इस्तेमाल करने में सक्षम होना चाहते हैं। इसलिए कलीसिया के वित्त को नियंत्रित करने वाले मसीह-विरोधी लोगों की पहली अभिव्यक्ति कलीसिया की संपत्ति पर अपने कब्जे और उपयोग को प्राथमिकता देना होती है।

क. कलीसिया की संपत्ति पर अपने कब्जे और उपयोग को प्राथमिकता देना

एक बार जब मसीह-विरोधी रुतबा पा लेते हैं तो उनके भीतर एक गलत और बेशर्म विचार गहराई से उभरने लगता है : अगुआ बनने से उन्हें न केवल कलीसिया के वित्त के बारे में जानकारी का अधिकार मिलना चाहिए, बल्कि उसे नियंत्रित करने की पूर्ण शक्ति भी मिलनी चाहिए। कलीसिया के वित्त पर नियंत्रण रखने का उनका उद्देश्य क्या होता है? कलीसिया की संपत्ति पर अपने कब्जे और उपयोग को प्राथमिकता देने की शक्ति प्राप्त करना। कलीसिया की संपत्ति पर अपने कब्जे और उपयोग को प्राथमिकता देने का क्या अर्थ है? इसका अर्थ है कि जब तक वे किसी कलीसिया के प्रभारी हैं, तब तक उनकी निगरानी में भाई-बहनों द्वारा चढ़ाया गया धन और वस्तुएँ सभी उनके प्रबंधन, उपयोग और स्वामित्व के अधीन आ जाती हैं। यह विचार सही है या गलत? जाहिर है, यह गलत है, लेकिन मसीह-विरोधी ऐसा ही सोचते हैं। अगुआ बनने के बाद वे सबसे पहले जो काम करते हैं वह है वित्त को लेकर प्रयास करना और योजनाएँ बनाना। पहले वे पता लगाते हैं कि वित्त का प्रबंधन कौन कर रहा है, कितने लोग वित्त का प्रबंधन कर रहे हैं, खातों में कितना पैसा है और क्या वित्त का प्रबंधन करने वाले उनके योग्य दाहिने हाथ या भरोसेमंद गुर्गे हैं। यदि ऐसा नहीं है तो वे किसी न किसी बहाने से उन्हें जल्दी से हटा कर उनकी जगह अपने गुर्गे रख लेते हैं। क्या वित्तीय प्रबंधन के प्रभारी लोगों को बदलने पर उनका काम पूरा हो जाता है? नहीं, यह इतना सरल नहीं होता। उनकी महत्वाकांक्षाएँ इससे कहीं आगे तक फैली होती हैं; उन्हें कलीसिया की संपत्ति के बारे में आँकड़ों की स्पष्ट समझ लेनी होती है। लोगों को चढ़ावा देने के लिए कहने के अलावा मसीह-विरोधी इस संपत्ति को कैसे सँभालते हैं? जब उन्हें पहनने के लिए कुछ खरीदने की जरूरत पड़ती है तो वे कलीसिया से पैसे ले लेते हैं और फिर जब वे डॉक्टर के पास जा रहे होते हैं और अगर उनके पास कपड़े नहीं होते तो वे भाई-बहनों के दान किए गए कपड़ों में से कुछ बेहतर कपड़े चुन लेते हैं। और उनका चयन करने के बाद भी उनका काम नहीं बनता; उन्हें हर एक कपड़े को पहनकर देखना होता है, सबसे अच्छे कपड़ों को वे अपने लिए रख लेते हैं और केवल सबसे घटिया कपड़े जो उन्हें नहीं चाहिए वे कलीसिया के लिए छोड़ देते हैं। संक्षेप में वे कलीसिया के पैसे का इस्तेमाल अपने भोजन और खर्चों को पूरा करने के लिए करते हैं, यहाँ तक कि 0.20 आरएमबी (रेनमिनबी या चीनी युआन) के यात्रा खर्च के लिए भी वे यह करते हैं और उनमें से कुछ तो कलीसिया के पैसे का इस्तेमाल विलासिता की वस्तुएँ, स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद, सौंदर्य प्रसाधन और अपने निजी इस्तेमाल के लिए सभी तरह की वस्तुएँ खरीदने के लिए भी करते हैं। जैसे ही मसीह-विरोधी अगुआई के पदों पर पहुँचते हैं, थोड़ा-सा कार्य करने से पहले ही वे कलीसिया की संपत्ति का आनंद लेने के मामले में बहुत सक्रिय हो जाते हैं और इसे प्राथमिकता देने लगते हैं। इस संपत्ति का आनंद लेने के बाद मसीह-विरोधियों के पूरे आध्यात्मिक दृष्टिकोण और जीवन की गुणवत्ता में व्यापक परिवर्तन हो जाता है और वे पहले से पूरी तरह से बदल जाते हैं। जब भी अवसर मिलता है, वे अपने बाल बनवाते हैं, अपने शरीर की मालिश करवाते हैं, बन-ठन कर रहते हैं, अपनी सेहत का ख्याल रखने वाले काम करते हैं और अपने लिए टॉनिक सूप बनाते हैं—यहाँ तक कि वे जिन विभिन्न बिजली के उपकरणों का उपयोग करते हैं उन्हें भी उन्नत करवाते हैं। जैसे ही मसीह-विरोधी अगुआ बन जाते हैं, वे कलीसिया में अमीर लोगों पर और उन लोगों पर ध्यान देने लगते हैं जो चढ़ावा देने में सक्षम हैं। ये अमीर लोग तब पैसे बहाते हैं और जो लोग अक्सर चढ़ावा देते हैं वे कलीसिया के बहुमूल्य सदस्य हो जाते हैं और मसीह-विरोधियों की नजर में पसंदीदा बन जाते हैं। जब मसीह-विरोधी कलीसिया में प्रवेश करते हैं तो यह वैसा ही होता है जैसे कोई लोमड़ी अंगूर के बगीचे में घुस जाती है—अंगूर का बगीचा बर्बादी के कगार पर पहुँच जाता है। लोमड़ी न केवल अच्छे अंगूर खा जाती है, बल्कि वह पूरे स्थान को भी बर्बाद कर देती है।

मसीह-विरोधियों के अनुसार भाई-बहनों द्वारा चढ़ाया गया पैसा और सामान, जिसे सामूहिक रूप से “भेंट” के रूप में जाना जाता है, यह सब कलीसिया की “सार्वजनिक” संपत्ति होती है। इसका मतलब यह नहीं है कि यह सार्वजनिक संपत्ति सामुदायिक उपयोग के लिए है; बल्कि इसका आशय यह है कि यह एक सामुदायिक भेंट है जो सभी से मिलती तो है लेकिन सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए इसके उपयोग के अधिकार अगुआओं के पास हैं। मसीह-विरोधियों के दृष्टिकोण से वे कलीसिया की संपत्ति पर अपने कब्जे और उपयोग को प्राथमिकता देने के लिए कर्तव्यबद्ध हैं, क्योंकि वे अगुआ हैं, वे शीर्ष पर हैं और कलीसिया में सब कुछ, विशेष रूप से अच्छी चीजें, उनकी होनी चाहिए और उनके अधिकार में आनी चाहिए। मसीह-विरोधी मानते हैं : “यह कहना कि भाई-बहन जो पैसा और सामान चढ़ाते हैं वह परमेश्वर को दिया जा रहा है, केवल एक सतही अभिव्यक्ति है। इनमें से कितनी चीजों का उपयोग परमेश्वर कर सकता है? क्या परमेश्वर इन भेंटों को लोगों के साथ साझा करने के लिए स्वर्ग से नीचे आ सकता है? और इसलिए क्या यह लोगों पर निर्भर नहीं होना चाहिए कि वे तय करें कि इन भेंटों को कैसे खर्च किया जाए, कैसे आवंटित किया जाए और कैसे उन्हें उपयोग में लाया जाए?” कलीसिया की संपत्ति के बारे में मसीह-विरोधी इस तरह का बेशर्मी भरा ख्याल पालते हैं। इससे ज्यादा बेशर्मी क्या है? वे कहते हैं : “स्वर्ग में परमेश्वर उन पैसों और वस्तुओं का आनंद लेने में असमर्थ है जो लोगों ने धरती पर चढ़ाई हैं तो इन चीजों को आवंटित कर उनका इस्तेमाल कैसे किया जाए? क्या कलीसिया के अगुआओं को उनका उपभोग करने, उपयोग करने और आनंद लेने में मदद नहीं करनी चाहिए? यह स्वर्ग में परमेश्वर द्वारा उनका उपयोग करने के बराबर होगा।” और इसलिए मसीह-विरोधी स्वाभाविक रूप से भाई-बहनों के चढ़ावे को अपनी निजी संपत्ति बना लेते हैं। वे इस बारे में पूरी तरह से स्पष्ट होते हैं कि कौन क्या और कब चढ़ाता है—ये चीजें उन्हें बताई जानी चाहिए और उन्हें पता होनी चाहिए। वे अन्य मामलों के बारे में चिंतित नहीं होते। अपनी सत्ता पर मजबूत पकड़ बनाए रखने के अलावा उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण एक चीज होती है—और वह है कलीसिया के वित्त को नियंत्रित करना। यही वह चीज है जो उनके अगुआ होने को सार्थक बनाती है। मसीह-विरोधी जिस ढंग से कलीसिया की संपत्ति को देखते हैं और उससे निपटते हैं उसमें क्या कोई पहलू ऐसा है जो सत्य या परमेश्वर की माँगों के अनुरूप है? (नहीं, ऐसा कोई पहलू नहीं है।) बिल्कुल शुरुआत से लेकर आज तक क्या परमेश्वर ने कभी कहा है कि भाई-बहनों द्वारा उसे दिए गए चढ़ावे को कौन व्यक्ति अपने पास रखेगा या उसका उपयोग करेगा? क्या परमेश्वर ने कभी कहा है कि कलीसिया के अगुआओं और कार्यकर्ताओं, प्रेरितों और पैगंबरों को कलीसिया की संपत्ति पर अपने कब्जे और उपयोग को प्राथमिकता देने का अधिकार होना चाहिए? क्या परमेश्वर ने कहा है कि कलीसिया की संपत्ति का उपयोग और स्वामित्व उसी के पास होता है जो अगुआ बनता है? (नहीं, उसने ऐसा नहीं कहा है।) तो फिर मसीह-विरोधियों को इस तरह की गलतफहमी क्यों होती है? चूँकि परमेश्वर के वचनों में कलीसिया की संपत्ति के बारे में इस तरह का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है तो मसीह-विरोधी इसके बारे में यह दृष्टिकोण क्यों रखते हैं? (उनमें परमेश्वर का भय मानने वाला दिल नहीं होता।) क्या यह इतना ही सरल है? इस संदर्भ में यह कहना कि उनमें परमेश्वर का भय मानने वाला दिल नहीं है, केवल खोखले शब्द हैं। ये शब्द मसीह-विरोधियों के स्वभाव के बारे में बताने में विफल हैं। जब मसीह-विरोधी अगुआई के पदों पर नहीं होते तो क्या वे कलीसिया की संपत्ति का लालच करते हैं? (करते हैं।) तो क्या तुम कह सकते हो कि अगुआ बनने के बाद वे अपना परमेश्वर का भय मानने वाला दिल खो देते हैं? निश्चित रूप से क्या ऐसा नहीं है कि अगुआ बनने से पहले उनके पास परमेश्वर का भय मानने वाला दिल होता है? क्या कोई ऐसा कह सकता है? (नहीं।) इसलिए, यह व्याख्या सही नहीं लगती। मसीह-विरोधी कलीसिया की संपत्ति का लालच करते हैं : ऐसा क्यों होता है? (उनका स्वभाव दुष्ट होता है।) (वे प्रकृति से लालची होते हैं।) (वे प्रकृति से किसी भी दूसरी चीज से अधिक लाभ खोजते हैं।) क्या मसीह-विरोधियों का स्वभाव सार यही होता है कि वे किसी भी दूसरी चीज से अधिक लाभ खोजते हैं? (नहीं।) यह उनके चरित्र की महज एक अभिव्यक्ति है। तो चलो, गहन-विश्लेषण करते हैं कि मसीह-विरोधियों का आंतरिक स्वभाव क्या होता है। (यह दुष्ट और क्रूर होता है।) पहली बात तो यह क्रूर होता है और फिर दुष्ट होता है। क्रूर का क्या मतलब है? इसका मतलब है कि वे बलपूर्वक उन चीजों को हड़पने जा रहे हैं जो उनके लिए नहीं हैं या उनकी नहीं हैं, भले ही दूसरे लोग इससे सहमत हों या वे कुछ भी सोचते हों : यह एक क्रूर स्वभाव है। मसीह-विरोधियों का, इन राक्षसों और शैतानों का, जन्मजात प्रकृति सार सभी चीजों के लिए परमेश्वर से होड़ करना है। मसीह-विरोधी कलीसिया के भीतर परमेश्वर के चुने हुए लोगों के लिए उससे लड़ने के अलावा, लोगों द्वारा उसे अर्पित किए गए चढ़ावे को भी छीनने की कोशिश करते हैं। ऊपर से ऐसा प्रतीत होता है कि मसीह-विरोधी लालची हैं, लेकिन वास्तव में ऐसा इसलिए है क्योंकि उनके पास मसीह-विरोधियों का स्वभाव और सार होता है। उनका लोगों द्वारा परमेश्वर को अर्पित किए गए धन और वस्तुओं को हथियाने और हड़पने की इच्छा करना—यह अपने सार में क्रूरता है। उदाहरण के लिए, यह वैसा ही है जैसे तुम एक नई गद्देदार जैकेट खरीदते हो, जो स्टाइलिश और अच्छी गुणवत्ता वाली है और फिर कोई इसे देखकर कहता है, “तुम्हारी यह गद्देदार जैकेट मेरी वाली से बेहतर है। मैंने जो फटी हुई जैकेट पहनी है उसमें छेद हैं और इसका चलन भी नहीं है। तुम्हारी इतनी अच्छी कैसे है?” और जब वह बोलना समाप्त करता है तो वह जबरदस्ती तुम्हारी गद्देदार जैकेट तुमसे खींच लेता है और फिर अपनी फटी हुई जैकेट तुम्हें दे देता है। तुम उसके साथ इस लेन-देन से इनकार नहीं कर सकते—वह तुम्हें कष्ट देगा, तुम्हें पीटेगा और वह तुम्हें मार भी सकता है। क्या तुम उसका विरोध करने की हिम्मत करोगे? तुम उसका विरोध करने की हिम्मत नहीं करोगे और वह तुम्हारी इच्छा के विरुद्ध तुम्हारा सामान ले जाएगा। तो इस व्यक्ति का स्वभाव क्या है? यह एक क्रूर स्वभाव है। क्या इसमें और कलीसिया की संपत्ति पर कब्जा करके उसका उपयोग करने वाले मसीह-विरोधियों के स्वभाव में कोई अंतर है? (नहीं, अंतर नहीं है।) संपत्ति को लेकर मसीह-विरोधियों के दृष्टिकोण के अनुसार, जैसे ही वे अगुआ और “अधिकारी” बन जाते हैं और कलीसिया की संपत्ति उनके हाथ में आ जाती है, कलीसिया की संपत्ति उनकी हो जाती है। चाहे किसी ने भी चढ़ावा दिया हो या उन्होंने चढ़ावे के रूप में कुछ भी दिया हो, मसीह-विरोधी इसे अपने लिए कब्जा लेते हैं। किसी चीज पर कब्जा करने का क्या मतलब है? इसका मतलब यह है कि कलीसिया की संपत्ति—जिसका सही तरीके से इस्तेमाल किया जाना चाहिए और जिसका कलीसिया के विनियमों के अनुसार आवंटन किया जाना चाहिए—मसीह-विरोधियों के नियंत्रण में आ जाने के बाद इसका इस्तेमाल करने की एकमात्र शक्ति केवल उनके पास ही होती है। यहाँ तक कि जब कलीसिया के काम के लिए या कलीसिया के कार्यकर्ताओं के लिए इस संपत्ति की जरूरत होती है, तब भी मसीह-विरोधी इसका इस्तेमाल नहीं करने देते। केवल उन्हीं को इसका इस्तेमाल करने की अनुमति होती है। कलीसिया की संपत्ति का इस्तेमाल और आवंटन कैसे किया जाएगा, इस पर अंतिम फैसला मसीह-विरोधियों का होता है; अगर वे तुम्हें इसका इस्तेमाल करने देना चाहते हैं तो तुम इसका इस्तेमाल कर सकते हो और अगर वे नहीं चाहते हैं तो तुम इसका इस्तेमाल नहीं कर सकते। अगर कलीसिया के चढ़ावे के पैसे पर्याप्त नहीं होते और मसीह-विरोधियों के कब्जे में आने के बाद वे पूरी तरह उनके निजी खर्चों में इस्तेमाल हो जाते हैं तो उन्हें इस बात की परवाह नहीं होती कि कलीसिया के काम के लिए कोई पैसा नहीं बचा है। वे कलीसिया के काम या कलीसिया के सामान्य खर्चों पर ध्यान नहीं देते। वे बस इतना चाहते हैं कि इन पैसों को ले जाकर खुद ही खर्च कर लें, उन्हें अपनी कमाई समझें। क्या इस तरह से काम करना शर्मनाक नहीं है? (हाँ, यह शर्मनाक है।) अपेक्षाकृत समृद्ध क्षेत्रों में स्थित कुछ कलीसियाओं में मसीह-विरोधी सोचते हैं : “यह जगह काफी अच्छी है। जब खर्चों की बात आती है तो मैं अपनी मर्जी से खर्च कर सकता हूँ और कलीसिया के विनियमों और सिद्धांतों से चिपके रहने की कोई जरूरत नहीं है। मैं जैसे चाहूँ वैसे पैसा खर्च कर सकता हूँ। जबसे मैं अगुआ बना हूँ, मैं आखिरकार बिना हिसाब-किताब किए पैसे खर्च करने की जिंदगी का आनंद लेने में सक्षम हो गया हूँ। अगर मुझे किसी चीज पर खर्च करना है तो मुझे बस कहना भर होता है, मुझे इसके बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं होती और मुझे निश्चित रूप से इस बारे में किसी से बात नहीं करनी पड़ती।” जब कलीसिया की संपत्ति खर्च करने की बात आती है तो मसीह-विरोधी खुद ही सारी शक्ति का इस्तेमाल करते हैं, वे लापरवाही से काम लेते हैं और पानी की तरह पैसा बहाते हैं। कलीसिया के सिद्धांतों या कार्य व्यवस्थाओं की अवहेलना करने के अलावा मसीह-विरोधी कलीसिया की संपत्ति के साथ भी बिना किसी सिद्धांत के ऐसा ही व्यवहार करते हैं। क्या ऐसा हो सकता है कि वे सिद्धांतों को नहीं समझते? नहीं, वे कलीसिया की संपत्ति के आवंटन और व्यय को नियंत्रित करने वाले सिद्धांतों को अच्छी तरह से जानते हैं, लेकिन वे अपने लालच और इच्छाओं को नियंत्रण में नहीं रख पाते। जब वे बिना किसी रुतबे वाले साधारण लोग होते हैं तो वे विनम्र होते हैं और साधारण दैनिक जीवन जीते हैं, लेकिन जैसे ही वे अगुआ बनते हैं, वे खुद को बहुत बड़ा समझने लगते हैं। वे इस बारे में विशेष ध्यान रखने लगते हैं कि वे कैसे कपड़े पहनते हैं और क्या खाते हैं—वे अब साधारण भोजन नहीं करते और वे अपने कपड़े पहनते समय गुणवत्ता और प्रसिद्ध ब्रांडों की तलाश करना सीख जाते हैं। सब कुछ उच्च-स्तरीय होना चाहिए; केवल तभी उन्हें लगता है कि यह उनकी पहचान और रुतबे के अनुकूल है। जैसे ही मसीह-विरोधी अगुआ बनते हैं, ऐसा लगता है जैसे भाई-बहनों ने उनसे कर्ज ले रखा है और उन्हें उनको उपहार देने चाहिए। अगर कुछ अच्छा होता है तो उन्हें प्राथमिकता मिलनी चाहिए और भाई-बहनों से अपेक्षा की जाती है कि वे अपना पैसा उन पर खर्च करें। मसीह-विरोधी मानते हैं कि अगुआ बनने का मतलब है कि उनके पास कलीसिया की संपत्ति पर अपने कब्जे और उपयोग को प्राथमिकता देने की शक्ति होनी चाहिए। न केवल वे इस तरह से सोचते हैं, बल्कि वे इस तरह से व्यवहार भी करते हैं। इसके अलावा वे इसे यहाँ तक ले जाते हैं कि दूसरे लोग घृणा करने लगते हैं। इस दृष्टिकोण से देखा जाए तो मसीह-विरोधियों का चरित्र कैसा है? अगुआ बनने के बाद और बिना थोड़ा-सा भी कोई काम किए वे चढ़ावे पर अपने कब्जे और उपयोग को प्राथमिकता देना चाहते हैं। किस तरह का व्यक्ति ऐसी चीजें करने में सक्षम होता है? केवल एक डाकू, एक तानाशाह या स्थानीय गुंडा ही ऐसी चीजें कर सकता है।

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