मद छह : वे कुटिल तरीकों से व्यवहार करते हैं, वे स्वेच्छाचारी और तानाशाह होते हैं, वे कभी दूसरों के साथ संगति नहीं करते, और वे दूसरों को अपने आज्ञापालन के लिए मजबूर करते हैं (खंड दो)

मसीह-विरोधियों के कुटिल, स्वेच्छाचारी और तानाशाही व्यवहार के साथ-साथ इस बात का गहन-विश्लेषण कि वे लोगों को किस तरह अपने आज्ञापालन के लिए मजबूर करते हैं

I. मसीह-विरोधियों के कुटिल व्यवहार का गहन-विश्लेषण

पिछली बार हमने मसीह-विरोधियों की अभिव्यक्तियों के पाँचवें मद के बारे में संगति की थी—वे लोगों को गुमराह करने, फुसलाने, धमकाने और नियंत्रित करने का काम करते हैं। आज हम मद छह के बारे में संगति करेंगे—वे कुटिल तरीकों से व्यवहार करते हैं, वे स्वेच्छाचारी और तानाशाह होते हैं, वे कभी दूसरों के साथ संगति नहीं करते, और वे दूसरों को अपने आज्ञापालन के लिए मजबूर करते हैं। क्या इस मद और मद पाँच के बीच कोई अंतर है? स्वभाव के संदर्भ में कोई बड़ा अंतर नहीं है; दोनों की हरकतें सत्ता हथियाने और मनमाने और तानाशाही तरीके से काम करने की होती हैं। दोनों के स्वभाव दुष्ट, अभिमानी, अड़ियल और क्रूर होते हैं; स्वभाव एक जैसे ही होते हैं। हालाँकि, मद छह मसीह-विरोधियों की एक और प्रमुख अभिव्यक्ति पर रोशनी डालता है, जो यह है कि उनके कार्य कुटिल होते हैं—यह मसीह विरोधियों के कार्यकलापों की प्रकृति से संबंधित है। अब, सबसे पहले “कुटिल” शब्द पर चर्चा करते हैं। सतही तौर पर, क्या “कुटिल” अपमानजनक शब्द है या प्रशंसनीय शब्द? अगर कोई कुटिल काम करता है, तो क्या वह चीज अच्छी होती है या बुरी? (बुरी।) अगर किसी के बारे में कहा जाए कि वह कुटिल ढंग से काम करता है, तो क्या वह व्यक्ति अच्छा है या बुरा? स्पष्ट रूप से, लोगों की छाप और भावनाएँ ऐसी होती हैं कि जो व्यक्ति कुटिल ढंग से काम करता है, वह निकम्मा मूर्ख है। अगर किसी को कुछ कुटिलता का सामना करना पड़ता है, तो क्या यह खुशी का कारण है या इससे उन्हें डर लगता है? (यह डरावना होता है।) यह बिल्कुल भी अच्छी बात नहीं है। संक्षेप में, ऊपर से “कुटिल” अपमानजनक शब्द है, चाहे वे किसी कार्य का वर्णन कर रहे हों या किसी व्यक्ति के कार्य करने के तरीके का, इसमें से कुछ भी सकारात्मक नहीं होता; यह निश्चित रूप से नकारात्मक होता है। अब, चलो सबसे पहले इसकी व्याख्या करते हैं कि कुटिलता की अभिव्यक्तियाँ क्या होती हैं। इसे कुटिल क्यों कहा जाता है और धोखेबाजी क्यों नहीं? यहाँ “कुटिल” शब्द का विशेष निहितार्थ क्या है? कुटिलता धोखेबाजी से ज्यादा गहरी चीज है। क्या लोगों को कुटिल ढंग से काम करने वाले व्यक्ति को पहचानने में अधिक समय नहीं लगता और क्या यह उनके लिए ज्यादा मुश्किल नहीं है? (हाँ।) इतना तो स्पष्ट है। इसलिए, “कुटिल” शब्द को समझाने के लिए ऐसे शब्दों का उपयोग करो जिन्हें तुम सभी लोग समझ पाओ। यहाँ, “कुटिल” का अर्थ है धूर्त और चालाक, और यह असामान्य व्यवहार को संदर्भित करता है। इस असामान्यता का संदर्भ किसी औसत व्यक्ति के लिए काफी छिपा हुआ और अभेद्य होना है, जो यह नहीं देख सकता कि ऐसे लोग क्या सोच रहे हैं या क्या कर रहे हैं। दूसरे शब्दों में, इस प्रकार के व्यक्ति के कार्यकलापों के तरीके, उद्देश्य और शुरुआती बिंदु की थाह लेना विशेष रूप से मुश्किल होता है, और कभी-कभी उनका व्यवहार भी लुका-छिपा और गुप्त होता है। संक्षेप में, एक पारिभाषिक शब्द है जो किसी व्यक्ति के कुटिल होने की वास्तविक अभिव्यक्ति और स्थिति का वर्णन कर सकता है, वह है “पारदर्शिता की कमी,” जो उन्हें दूसरों के लिए अथाह और समझ से परे बना देता है। मसीह-विरोधियों के कार्यों की प्रकृति ऐसी होती है—यानी, जब तुम यह महसूस करते हो और समझते हो कि कुछ करने के उनके इरादे सीधे नहीं हैं, तो तुम्हें यह काफी भयानक लगता है, फिर भी अल्पावधि में या किसी कारण से तुम अभी भी उनके उद्देश्यों और इरादों को नहीं देख पाते, और तुम्हें अनजाने में ही लगता है कि उनके कार्यकलाप कुटिल हैं। वे तुम्हें इस तरह का एहसास क्यों कराते हैं? एक तरह से ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कोई भी यह नहीं समझ सकता कि वे क्या कहते हैं या क्या करते हैं। दूसरी बात यह है कि वे अक्सर घुमा-फिराकर बात करते हैं, तुम्हें गुमराह करते हैं, अंततः तुम तय नहीं कर पाते कि उनके कौन-से कथन सच हैं और कौन-से झूठ, और उनके शब्दों का वास्तव में क्या अर्थ है। जब वे झूठ बोलते हैं, तो तुम्हें लगता है कि यह सत्य है; तुम्हें पता नहीं होता कि कौन-सा कथन सत्य है, कौन-सा असत्य, और अक्सर लगता है कि तुम्हें मूर्ख बनाया गया है और तुमसे धोखा किया गया है। यह भावना क्यों पैदा होती है? ऐसा इसलिए है क्योंकि ऐसे लोग कभी भी पारदर्शी तरीके से काम नहीं करते; तुम स्पष्ट रूप से नहीं देख सकते कि वे क्या कर रहे हैं या किस काम में व्यस्त हैं, इससे अनिवार्य रूप से तुम्हें उनके प्रति संदेह होने लगता है। अंत में, तुम देखते हो कि उनका स्वभाव धोखेबाज, धूर्त और दुष्ट भी है। “कुटिल” शब्द गूढ़ है और लोगों को काफी असामान्य लगता है, लेकिन इसे “पारदर्शिता की कमी” जैसे सरल वाक्यांश से क्यों समझाया जाता है? इस वाक्यांश में एक अर्थ निहित है। यह निहित अर्थ क्या है? ऐसा होता है कि जब मसीह-विरोधी कुछ करना चाहते हैं, तो वे अक्सर तुम्हें एक झूठी छवि दिखाते हैं, जिससे तुम्हारे लिए उन्हें पहचानना मुश्किल हो जाता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई मसीह-विरोधी तुम्हारे बाएँ गाल पर थप्पड़ मारना चाहता है, तो वह तुम्हारे दाहिने गाल पर वार करेगा। जब तुम अपने दाहिने गाल को बचाने के लिए उसे चकमा दोगे, तो वह बाएँ गाल पर सफलतापूर्वक थप्पड़ मार देगा, इस प्रकार अपना लक्ष्य प्राप्त कर लेगा। यह कुटिलता है, और षड्यंत्रों से भरा हुआ होना है—हर कोई जो उसके साथ संवाद करता है और उससे व्यवहार करता है, वह उनकी गणना के दायरे में होता है। वे हमेशा गणना क्यों करते रहते हैं? लोगों को नियंत्रित करने और उनके दिलों में जगह बनाने के अलावा, वे सभी से लाभ भी उठाना चाहते हैं। साथ ही, तुम ऐसे लोगों में एक प्रकार का दुष्ट स्वभाव भी देख सकते हो : वे दूसरों का शोषण करने या अपनी ताकत का फायदा उठाकर दूसरों की कमजोरियों का मजाक उड़ाने का खास तौर पर आनंद लेते हैं और उन्हें लोगों के साथ खिलवाड़ करने में मजा आता है। यह उनकी दुष्टता की अभिव्यक्ति है। सांसारिक दृष्टि से, ऐसे लोगों को सयाना माना जाता है। साधारण लोग सोचते हैं, “केवल वृद्ध लोग ही सयाने हो सकते हैं। युवा लोगों के पास कोई अनुभव या सांसारिक ज्ञान नहीं होता, इसलिए वे सयाने कैसे हो सकते हैं?” क्या यह कथन सही है? नहीं, यह सही नहीं है। मसीह-विरोधियों का दुष्ट स्वभाव उम्र पर निर्भर नहीं करता; वे इस स्वभाव के साथ पैदा होते हैं। बात सिर्फ इतनी है कि जब वे छोटे और कम अनुभवी होते हैं, तो ऐसे दाँव-पेंचों में उनका शामिल होना अधिक प्राथमिक और कम परिष्कृत हो सकता है। जैसे-जैसे वे बड़े होते जाते हैं, वे अकाट्य होते जाते हैं, उन पुराने शैतान राजाओं की तरह जिनके कार्य पूरी तरह से मुहरबंद होते हैं और अधिकांश लोगों के लिए पूरी तरह से गूढ़ होते हैं।

मैंने अभी-अभी “कुटिल” शब्द की एक मोटी व्याख्या की है, तो चलो अब कुटिलता की विशिष्ट अवस्थाओं और अभिव्यक्तियों पर संगति करते हैं। क्या यह संगति करने लायक नहीं है? अगर हम इस पर संगति नहीं करते, तो क्या तुम लोग उन्हें पहचान पाओगे? क्या तुम उनकी असलियत जान पाओगे? (नहीं।) ऐसा नहीं है कि तुम उन्हें बिल्कुल नहीं पहचान सकते या उनकी असलियत नहीं जान सकते; कभी-कभी तुम्हें यह भी लगेगा कि कोई विशेष व्यक्ति वास्तव में चालाक है—इतना चालाक कि तुम उससे धोखा खाने के बाद भी उसी के कहे अनुसार काम करते रहते हो—और तुम्हें उससे सावधान रहना पड़ता है। तो, मसीह-विरोधी क्या-क्या करते हैं, और भाई-बहनों और अपने आसपास के लोगों के साथ अपने व्यवहार में वे कौन-सी बातें और कार्यकलाप प्रकट करते हैं जो यह दिखाते हैं कि वे कुटिल तरीके से और दुष्ट स्वभाव के साथ काम करते हैं? यह संगति करने लायक है। जब केवल “कुटिल” शब्द की व्याख्या की जाती है, तो लोग आम तौर पर इसे काफी सरल पाते हैं; इसका अर्थ समझने के लिए शायद शब्दकोश देखना ही पर्याप्त हो। लेकिन जब बात आती है कि लोगों के कौन-से कार्यकलाप, व्यवहार और स्वभाव इस शब्द से जुड़े हैं और इस शब्द की ठोस अभिव्यक्तियाँ और दशाएँ हैं, तो यह समझना ज्यादा कठिन और मुश्किल हो जाता है, है न? सबसे पहले, उन लोगों या विशिष्ट मसीह-विरोधियों के बारे में सोचो, जिनसे तुम लोग मिले हो और जिनका सामना किया है। उनके कौन-से कार्यों ने तुम्हें यह महसूस कराया था कि इस कार्य की प्रकृति कुटिलता से संबंधित थी, या उनके कौन-से रोजमर्रा के शब्द, कार्यकलाप और व्यवहार इससे संबंधित थे? (एक बार मेरा सामना एक मसीह-विरोधी से हुआ जो स्पष्ट रूप से रुतबे के लिए होड़ करना और अगुआ बनना चाहता था, लेकिन उसने भाई-बहनों से कहा, “हमें नकली अगुआओं और नकली कार्यकर्ताओं की रिपोर्ट करनी चाहिए। केवल ऐसा करके ही हम पवित्र आत्मा का कार्य प्राप्त कर सकते हैं। यदि हम नकली अगुआओं की रिपोर्ट नहीं करते और उन्हें उजागर नहीं करते, तो हम पवित्र आत्मा का कार्य प्राप्त नहीं कर सकते। हमें संयुक्त रूप से कलीसिया के कार्य की रक्षा के लिए खड़ा होना चाहिए।” कलीसिया के कार्य की रक्षा के बैनर तले काम करते हुए उसने अगुआओं और कार्यकर्ताओं से फायदा उठाने के तरीके निकाले, छोटी-छोटी बातों पर खूब बवाल मचाया और भाई-बहनों को अगुआओं और कार्यकर्ताओं की रिपोर्ट करने के लिए उकसाया। उसका लक्ष्य अगुआओं और कार्यकर्ताओं को नीचे लाना था ताकि उसे खुद अगुआ बनने का मौका मिले। कई भाई-बहन इसका भेद नहीं पहचान पाए और वे उसके द्वारा गुमराह हो गए। सिद्धांतों के आधार पर समस्या का भेद पहचानने के बजाय, उन्होंने कुछ छोटी-छोटी बातों और अगुआओं और कार्यकर्ताओं द्वारा दिखाई गई भ्रष्टता को पकड़ा, उनकी निंदा की, उन्हें लेबल किया और तिल का ताड़ बना दिया, जिससे कलीसिया में अराजकता फैल गई।) मुझे बताओ, क्या यह कुटिलता है? (हाँ, है।) यह बिल्कुल वैसा ही है। यह कुटिल क्यों है? उसने अपने अघोषित लक्ष्य हासिल करने के लिए न्याय का झंडा लहराया, साथ ही दूसरों को कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया, जबकि वह खुद सामने नहीं आया और परिणाम देखने के लिए छिपा रहा। अगर चीजें ठीक होतीं तो अच्छा, और अगर नहीं होतीं, तो कोई भी उसकी असलियत नहीं जान पाता, क्योंकि वह गहन रूप से छिपा हुआ था। यह कुटिलता है—यह इसकी अभिव्यक्तियों का एक रूप है। वह तुम्हें अपने गहनतम सच्चे विचारों को नहीं जानने देता, और अगर तुम थोड़ा भी अनुमान लगाते, तो वह जल्दी से उन पर लीपापोती करने और हर कीमत पर खुद का बचाव करने के लिए विभिन्न बहाने और तर्क लेकर आ जाता, इस डर से कि लोग सत्य जान जाएँगे। उसने जानबूझकर मामलों को जटिल बनाया; यह कुटिलता है। और कुछ? (कुछ साल पहले, हमारे कलीसिया में मसीह-विरोधियों का एक गिरोह उभरा और उसने नियंत्रण कर लिया था, जिससे कलीसिया का काम अव्यवस्थित हो गया था। ऊपरवाले ने काम सँभालने के लिए किसी को भेजा, लेकिन मसीह-विरोधियों का यह गिरोह आड़ लेकर काम करता था, कहता था, “हमारे पास हमारे अगुआ हैं, और हम अन्य स्थानों से स्थानांतरित अगुआओं को स्वीकार नहीं करते; हम खुद काम सँभाल सकते हैं।” नतीजतन, कई लोग गुमराह हो गए और उन्होंने मसीह-विरोधियों की बात मान ली, ऊपरवाले द्वारा नियुक्त अगुआ को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। यहाँ तक कि इन मसीह-विरोधियों ने ऊपरवाले द्वारा भेजे गए अगुआ को एक स्थान तक सीमित कर दिया, उसे भाई-बहनों के साथ बातचीत करने से रोक दिया और उनके लिए कलीसिया के काम में हाथ बँटाना या किसी भी काम को लागू कराना असंभव बना दिया।) मसीह-विरोधियों ने यह बेहद कुटिलता का काम किया—उनका छिपा हुआ मकसद क्या था? वे कलीसिया को नियंत्रित करना चाहते थे और अपना स्वतंत्र राज्य स्थापित करना चाहते थे। यह कुटिल है; यह वही चीज है जो मसीह-विरोधी करते हैं।

मसीह-विरोधियों के कुटिलता से काम करने की प्राथमिक अभिव्यक्तियाँ क्या होती हैं? एक है पारदर्शिता की कमी, और दूसरी यह कि वे गुप्त रूप से ऐसी योजनाएँ बनाते रहते हैं जिनका जिक्र नहीं किया जा सकता। यदि वे अपनी योजनाओं और इरादों को सभी के सामने प्रकट कर दें, तो क्या वे उन्हें साकार कर पाएँगे? निश्चित रूप से नहीं। कुटिल तरीकों का उपयोग करने वाले लोग इस तरह से काम क्यों करते हैं? इन कार्यकलापों के पीछे उद्देश्य क्या होता है? अब तक, तुम लोगों ने जो सोचा है वह केवल कलीसिया पर नियंत्रण है, लेकिन कुछ मामलों में कलीसिया को नियंत्रित करना या प्रत्येक को नियंत्रित करना शामिल नहीं होता। किसी कलीसिया या किसी क्षेत्र के लोगों को गुमराह करना अपेक्षाकृत एक बड़ा मामला होता है, तो साधारण समय में मसीह-विरोधियों के छोटे-मोटे व्यवहार और कार्यकलापों के पीछे क्या उद्देश्य होता है? यह लोगों का शोषण करना और लोगों को अपने हित और अपने उद्देश्य पूरे करने के लिए खपाने को मजबूर करना होता है। जबकि परमेश्वर लोगों को आयोजित करता है और उनके भाग्य पर शासन करता है, मसीह-विरोधी भी लोगों के भाग्य को नियंत्रित करना और उन्हें बहकाना चाहते हैं। लेकिन अगर वे सीधे कहते कि वे तुम्हें बहकाकर काम निकलवाना चाहते हैं, तो क्या तुम इससे सहमत होते? अगर वे कहते कि वे तुम्हें गुलाम की तरह आदेश देना चाहते हैं, तो क्या तुम सहमत होते? अगर वे कहते कि वे अगुआ हैं और तुम्हें उनकी बात माननी चाहिए, तो क्या तुम सहमत होते? तुम निश्चित रूप से सहमत नहीं होते। इसलिए, उन्हें कुछ अपरंपरागत तरीकों का सहारा लेना पड़ता है ताकि तुम अनजाने ही उनके शोषण का शिकार हो जाओ; इसे कुटिल होना कहते हैं। उदाहरण के लिए, बड़ा लाल अजगर लोगों को गुमराह करने के लिए उचित बहाने बनाते हुए कुटिल तरीके से काम करता है। उसने जमींदारों और पूँजीपतियों की संपत्ति कैसे जब्त की? क्या उसने लिखित रूप में यह नीति बनाई कि एक निश्चित राशि से अधिक की सारी संपत्ति राज्य को सौंप दी जानी चाहिए? अगर उसने खुले तौर पर यह घोषित कर दिया होता तो क्या यह कारगर होता? (नहीं होता।) चूँकि यह काम नहीं करता, तो उसने क्या किया? उसे ऐसा तरीका खोजना पड़ा जिसे हर कोई सही माने ताकि जमींदारों और पूँजीपतियों की संपत्ति को उचित रूप से कुर्क करके जब्त किया जा सके। इसने जमींदारों और पूँजीपतियों को शक्तिहीन कर दिया, राज्य को समृद्ध किया और उसके शासन को मजबूत किया। बड़े लाल अजगर ने ऐसा कैसे किया? (जमींदारों पर हमला करके और भूमि का पुनर्वितरण करके।) इसने “जमींदारों पर हमला और भूमि का पुनर्वितरण” और “सभी के लिए समानता” के बैनर लहराए और फिर सभी जमींदारों और पूँजीपतियों को फँसाने और उनकी निंदा करने के लिए “सफेद बालों वाली लड़की” जैसी कहानियाँ गढ़ीं। इसने लोगों में इन भ्रामक विचारों को बैठा देने के लिए जनमत और प्रचार की शक्ति का इस्तेमाल किया, जिससे सभी अनभिज्ञ लोग यह सोचने लगे कि जमींदार और पूँजीपति बुरे हैं और वे मेहनतकश जनता के बराबर नहीं हैं, कि अब लोग अपने देश के मालिक हैं, कि राज्य लोगों का है, कि इन कुछ व्यक्तियों के पास इतनी संपत्ति नहीं होनी चाहिए, और इसे कुर्क करके सभी में पुनर्वितरित कर दिया जाना चाहिए। ऐसे तथाकथित अच्छे, सही और गरीब समर्थक विचारधाराओं और सिद्धांतों के उकसावे में आकर लोगों को गुमराह कर उन्हें विवेकशून्य कर दिया गया, और उन्होंने स्थानीय उद्योगपतियों से लड़ना शुरू कर दिया और जमींदारों और पूँजीपतियों पर हमला करना शुरू कर दिया। और अंतिम परिणाम क्या निकला? इनमें से कुछ जमींदारों और पूँजीपतियों को पीट-पीटकर मार डाला गया, कुछ को अपंग बना दिया गया और कुछ भाग गए। संक्षेप में, अंतिम परिणाम यह हुआ कि बड़े लाल अजगर का उद्देश्य पूरा हो गया। इन मूर्ख और अज्ञानी लोगों को धीरे-धीरे ऐसे घोटालों के तहत निर्देशित किया गया ताकि वे उन लक्ष्यों को पा सकें जो ये राक्षस चाहते थे। इसी तरह, मसीह-विरोधी भी जब काम करते हैं तो ऐसे ही कुटिल तरीके अपनाते हैं। उदाहरण के लिए, जब एक मसीह-विरोधी अगुआ की भूमिका में किसी के साथ सहयोग करता है, और वह देखता है कि इस व्यक्ति में न्याय की भावना है, वह सत्य समझता है, और उसे पहचान सकता है, तो वह अस्थिर महसूस करने लगता है : “क्या यह आदमी मेरी पीठ पीछे मुझे कमजोर कर सकता है? क्या वह पर्दे के पीछे कुछ करने की योजना बना रहा है? मैं उसकी असलियत क्यों नहीं जान पा रहा? वह मेरी तरफ है या नहीं? क्या वह ऊपरवाले से मेरी शिकायत कर सकता है?” इन विचारों को ध्यान में रखते हुए वह चिंता करने लगता है कि उसका रुतबा सुरक्षित नहीं है, है न? तो वह आगे क्या करता है? क्या वह उस व्यक्ति को सीधे सताता है? कुछ मसीह-विरोधी उस प्रकार के व्यक्ति को खुलेआम सताएँगे, लेकिन कुटिल किस्म के लोग सीधे ऐसा नहीं करेंगे। इसके बजाय, वे कुछ अपेक्षाकृत कमजोर, भ्रमित और भेद न पहचान सकने वाले भाई-बहनों से बात करके, उनसे सवाल करके और उनकी गुप्त रूप से जाँच करने से शुरुआत करेंगे : “फलाँ व्यक्ति एक दशक से अधिक समय से विश्वासी है, इसलिए उसकी आस्था का कुछ आधार तो होगा, है न?” शायद कोई जवाब दे : “उसके पास काफी आधार है। परमेश्वर में विश्वास करने के इतने सालों में उसने अपने परिवार और अपने करियर को त्याग दिया है; उसकी आस्था हमसे बड़ी है। उसके साथ सहयोग करना तुम्हारे लिए काफी अच्छा रहेगा।” मसीह-विरोधी कहेगा : “हाँ, यह काफी अच्छा है, लेकिन वह कभी भी दूसरे भाई-बहनों के साथ नहीं घुलता-मिलता। वह बहुत मिलनसार नहीं लगता।” कोई दूसरा व्यक्ति यह भी जोड़ सकता है : “ऐसा नहीं है—वह हमसे ज्यादा सत्य का अनुसरण करता है। हम अक्सर बातें करते हैं, लेकिन वह ज्यादातर समय परमेश्वर के वचनों को पढ़ने, धर्मोपदेश सुनने और भजन सीखने में बिताता है, और जब वह हमारे साथ होता है तो परमेश्वर के वचनों पर संगति करता है।” इस व्यक्ति के बारे में ये अनुकूल और अनुमोदन भरी टिप्पणियाँ सुनकर मसीह-विरोधी को लगता है कि वह और अधिक नहीं कह सकता, इसलिए वह विषय को बदलते हुए कहता है : “उसका कई वर्षों से परमेश्वर में विश्वास है और उसे हमसे अधिक अनुभव है। हमें भविष्य में उसके साथ अधिक बातचीत करनी चाहिए और उसे अलग-थलग नहीं करना चाहिए।” यह सुनकर अन्य लोग अभी भी कुछ नहीं समझ पाते। यह देखते हुए कि अधिकांश लोग उस व्यक्ति के बारे में अच्छा बोलते हैं, अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में असमर्थ होकर मसीह-विरोधी इस विषय पर और कुछ नहीं कहता। बाद में, मसीह-विरोधी लोगों के एक अन्य समूह को ढूँढ़ता है और पूछता है : “क्या तुम लोगों ने कभी फलाँ-फलाँ को परमेश्वर के वचन पढ़ते हुए देखा है? मुझे लगता है कि वह हमेशा दूसरों के साथ संगति करता रहता है और ऊपर से व्यस्त दिखता है; वह कभी परमेश्वर के वचन क्यों नहीं पढ़ता?” यह समूह अधिक समझदार है, और वे अंतर्निहित अर्थ को समझ जाते हैं और सोचने लगते हैं, “ऐसा लगता है कि इन दोनों के बीच मतभेद है; यह इस कोशिश में है कि हम उस व्यक्ति को कमजोर कर उसे अलग-थलग कर दें।” तो वे जवाब देते हैं : “हाँ, वह हमेशा महत्वहीन कार्यों में व्यस्त रहता है, हमेशा लोगों और चीजों का ज्यादा ही अर्थ निकालता है। वह शायद ही कभी परमेश्वर के वचनों को पढ़ता है, और जिस अवसर पर वह पढ़ता है, उसे बस नींद आ जाती है; मैंने ऐसा कई बार देखा है।” पहले समूह के लोगों और दूसरे समूह के साथ उसकी बातचीत से, मसीह-विरोधी के शब्दों में किस तरह का स्वभाव मौजूद है? क्या यह दुष्टता नहीं है? (हाँ, है।) उनके कार्यों की प्रकृति और साधन कैसे हैं? वे कुटिल हैं। पहले समूह के लोगों को यह एहसास नहीं हुआ कि मसीह-विरोधी क्या करने की कोशिश कर रहा था, जबकि दूसरे समूह को इस बात की झलक मिल गई थी कि क्या चल रहा था, और फिर उसने जो कहा, वे उसके अनुसार बोले। यह देखते हुए कि दूसरे समूह ने उसकी हाँ में हाँ मिलाई और उन्हें फुसलाया जा सकता है, मसीह-विरोधी अपने साथी से छुटकारा पाने के लिए इस समूह का उपयोग करना चाहता है। सोच का यह तरीका कुटिल होता है। सभी तरह से समझाने-बुझाने के बाद दूसरा समूह गुमराह हो जाता है और फुसला लिया जाता है, और कहता है : “चूँकि वह व्यक्ति कलीसिया के अगुआ होने के सिद्धांतों और शर्तों को पूरा नहीं करता, इसलिए लगता है कि हमें अगली बार अगुआ के रूप में उसे वोट नहीं देना चाहिए, है न?” यह समूह काफी विश्वासघाती है, और बोलने के बाद वे मसीह-विरोधी का रवैया देखते हैं। मसीह-विरोधी कहता है : “ऐसे नहीं चलेगा; यह अनुचित होगा। यह परमेश्वर का घर है, समाज नहीं!” यह सुनकर वे पूछते हैं : “यह वास्तव में नहीं चलेगा? तो हमें क्या करना चाहिए? तो हम अगली बार उसे वोट दे देंगे।” मसीह-विरोधी तुरंत कहता है, “उसके लिए वोट करने से भी काम नहीं चलेगा।” समझे? चाहे वे कुछ भी कहें, वह सही नहीं होता; यह एक समस्या है। वास्तव में, मसीह-विरोधी बस इन लोगों को अपने रास्ते पर ले जाना चाहता है, उनके लिए गड्ढा खोदना चाहता है जिसमें वे गिर जाएँ। अंत में, यह सब सुनने के बाद, ये लोग मसीह-विरोधी के इरादे समझ जाते हैं : “चलो बस एक निष्पक्ष चुनाव करवाते हैं। उसके पक्ष में ज्यादा कुछ नहीं है, इसलिए हो सकता है उसे वैसे भी न चुना जाए।” मसीह-विरोधी खुश है। जरा समझो : यहाँ एक भेड़िया और कुछ लोमड़ियाँ हैं, और वे मिलकर काम करने के लिए हाथ मिला रहे हैं। यह मसीह-विरोधी और कलीसिया में उसका अनुसरण करने वाली ताकतों द्वारा की जाने वाली कार्रवाइयों का सिद्धांत और प्रकृति है; यह उनकी अभिव्यक्ति है। मसीह-विरोधियों का अनुसरण करने वाले लोग कहते हैं, “तो चलो वोट करते हैं। इसके अलावा, वह इतना अच्छा भी नहीं है; अगर हम वोट करते हैं, तो शायद उसे न भी चुना जाए।” क्या यहाँ कुछ गड़बड़ है? क्या वे कुछ योजना बना रहे हैं? वे पहले से ही एक-दूसरे के शब्दों से सुराग लगा चुके हैं, लेकिन कोई भी सीधे तौर पर नहीं कहता कि क्या करना है; उनके बीच एक मौन समझ है, और हर कोई इसे समझता है। ऊपर से मसीह-विरोधी किसी को सीधे तौर पर अपने साथी को न चुनने का निर्देश नहीं देता, और उसके नीचे के लोग भी यह नहीं कहते, “हम उसे नहीं चुनेंगे; हम तुम्हें चुनेंगे।” वे इसे सीधे क्यों नहीं कहते? ऐसा इसलिए क्योंकि कोई भी दूसरे को कोई लाभ नहीं उठाने देना चाहता। क्या यह कुटिल नहीं है? यह सरासर दुष्टता है। वे एक-दूसरे की बातचीत का लहजा सुनते हैं, लेकिन कोई भी सीधे तौर पर नहीं बोलता, और अंत में एक आम सहमति बन जाती है। इसे शैतानी संवाद कहा जाता है। उनमें से एक “मूर्ख” है, जो सुनने के बाद भी नहीं समझता और दूसरों से पूछता है कि वे उस व्यक्ति को वोट देंगे या नहीं। मसीह-विरोधी कैसे जवाब देता है? अगर वह कहता है, “जैसा तुम्हें ठीक लगे वैसा करो,” तो यह बहुत स्पष्ट होगा। इस तरह के जवाब में धमकी और प्रलोभन की प्रकृति होती है; दुष्ट लोग इस तरह से बात नहीं करते। इसके बजाय वे कहते हैं : “क्या परमेश्वर के घर में कार्य व्यवस्थाएँ नहीं हैं? जिसे वोट देना चाहिए, उसे वोट दो; अगर किसी को नहीं चुना जाना चाहिए, तो उसे वोट न दो।” क्या यह अस्पष्ट रूप से बोलना नहीं है? वे उचित लगने वाले बहाने का उपयोग करते हैं, कहते हैं : “तुम्हें सिद्धांतों के अनुसार कार्य करना चाहिए; तुम मेरी बात नहीं सुन सकते। मैं जो कहता हूँ उसका कोई महत्व नहीं है। मैं सिद्धांत नहीं हूँ; परमेश्वर के वचन सिद्धांत हैं।” “मूर्ख” यह सुनता है और सोचता है, “अगर हमें सिद्धांतों के अनुसार काम करना है, तो मैं उसे वोट दूँगा।” यह देखकर कि यह व्यक्ति मूर्ख है और उसकी योजनाओं को गड़बड़ कर सकता है, समूह सामूहिक रूप से उसे बाहर निकाल देता है, और “मूर्ख” को अपने बीच नहीं रहने देता। अंत में, जब “मूर्ख” यह पूछता रहता है कि उसे उस व्यक्ति को वोट देना चाहिए या नहीं, तो कोई कहता है : “इस बारे में बाद में बात करते हैं। हम उसके प्रदर्शन के आधार पर इसे तय करेंगे।” क्या इन शब्दों में कोई निर्णायकता है? ईमानदारी का कोई अंश है? (नहीं।) तो वास्तव में इन शब्दों में क्या है? ये शब्द उनके दुष्ट स्वभाव के साथ-साथ उनकी अघोषित मंशाओं, इरादों और उद्देश्यों को भी व्यक्त करते हैं। इनमें उनके बीच—भेड़िए और लोमड़ियों में—आपसी गुप्त षड्यंत्र शामिल हैं, वे उस व्यक्ति से छुटकारा पाने में लगे हैं जो मसीह-विरोधी की आँखों में खटक रहा है। लोगों का यह समूह इस तरह से कार्य कैसे कर पाता है? अपने दुष्ट स्वभाव से शासित होने के अलावा वे ऐसा इसलिए कर पाते हैं क्योंकि उनका उच्च अधिकारी, मसीह-विरोधी, उस व्यक्ति को पसंद नहीं करता। यदि वे उसको वोट देते हैं, और मसीह-विरोधी को पता चल जाता है, तो परिणाम अच्छा नहीं होगा। इसलिए, उनके लिए सबसे जरूरी और महत्वपूर्ण काम, सबसे फायदे वाला काम उस व्यक्ति को वोट न देना होता है। वे सभी मसीह-विरोधी की बात सुनते हैं; मसीह-विरोधी जो भी कहता है, उसके शब्द जिस भी दिशा में जाते हैं, ये लोग उसका अनुसरण करते हैं, सत्य सिद्धांतों और परमेश्वर के वचनों को दरकिनार कर देते हैं। तुम देखो, जब तक कोई मसीह-विरोधी प्रकट होता रहेगा, तब तक निश्चित रूप से उसकी बात मानने वाले लोग होंगे। जब तक कोई मसीह-विरोधी कुछ काम करता रहेगा, तब तक कुछ लोग उसका साथ देंगे और उसका अनुसरण करेंगे—ऐसा कोई मसीह-विरोधी नहीं है जो पूरी तरह से अकेले और अलगाव में कार्य करता हो।

अभी जिस बात पर चर्चा की गई, वह मसीह-विरोधी किस तरह से कुटिलता से काम करते हैं, उसकी अभिव्यक्तियों में से एक है। यहाँ जिस कुटिलता का उल्लेख किया गया है, उसका तात्पर्य है कि मसीह-विरोधी जो कुछ भी करते हैं, उसके पीछे उनके अपने उद्देश्य और प्रेरणाएँ होती हैं, लेकिन वे तुम्हें नहीं बताएँगे और न ही तुम्हें उन्हें देखने देंगे। जब तुम इसे खोज लोगे, तो वे इसे छिपाने के लिए बहुत कुछ करेंगे, तुम्हें गुमराह करने के लिए विभिन्न तरीके इस्तेमाल करेंगे, ताकि उनके बारे में तुम्हारी धारणा बदल जाए। यह मसीह-विरोधियों का कुटिल पहलू होता है। यदि उनके उद्देश्य आसानी से उजागर किए जा सकते, व्यापक रूप से प्रचारित किए जा सकते, और सभी के साथ साझा किए जा सकते, ताकि लोगों को पता चले, तो क्या यह कुटिल होता? यह कुटिल नहीं होता; यह क्या होता? (मूर्खता।) मूर्खता नहीं—यह समझ-बूझ को त्यागने की हद तक का अहंकार होता। मसीह-विरोधी अपने व्यवहार में कुटिल होते हैं। वे कैसे कुटिल होते हैं? उनका व्यवहार हमेशा छल-कपट पर निर्भर होता है, लेकिन उनकी बातों से कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता, इसलिए लोगों के लिए उनके इरादे और मकसद को समझना मुश्किल होता है। यह कुटिलता होती है। वे अपनी किसी भी कथनी या करनी में आसानी से किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँचते; वे ऐसा इसलिए करते हैं ताकि उनके अधीनस्थ और उन्हें सुनने वाले उनके इरादे समझ सकें और वे लोग जो मसीह-विरोधी को समझ चुके हैं, उनके एजेंडे और प्रेरणाओं के अनुसार कार्य और उनके आदेशों का पालन करें। यदि कोई कार्य पूरा हो जाता है, तो मसीह-विरोधी खुश होता है। यदि ऐसा नहीं होता है, तो कोई भी उनके विरुद्ध कोई बात खोज नहीं पाता और न ही वे जो करते हैं उसके पीछे की प्रेरणाओं, इरादों या लक्ष्यों की थाह पा सकता है। मसीह-विरोधी जो कुछ करते हैं उसकी कुटिलता छिपी हुई साजिश और गुप्त मंशाओं में निहित होती है, जिनका मकसद लोगों को धोखा देना, उनके साथ खिलवाड़ करना और उन्हें नियंत्रित करना होता है। यह कुटिल व्यवहार का सार है। कुटिलता बस झूठ बोलना या कुछ बुरा करना नहीं होता; इसके बजाय इसमें बड़े इरादे और लक्ष्य शामिल होते हैं, जो आम लोगों के लिए अथाह होते हैं। यदि तुमने कुछ ऐसा किया है, जिसके बारे में तुम नहीं चाहते कि किसी को पता चले, और झूठ बोलते हो, तो क्या यह कुटिलता मानी जाएगी? (नहीं।) यह सिर्फ कपट है, इसे कुटिलता की श्रेणी में नहीं रखा जाएगा। कौन-सी चीज कुटिलता को कपट से अधिक गहरा बनाती है? (लोग उसकी थाह नहीं ले पाते।) लोगों के लिए उसकी थाह लेना मुश्किल होता है। यह तो एक बात हो गई। और क्या? (लोगों के पास कुटिल व्यक्ति के खिलाफ कुछ नहीं होता।) यह बात सही है। बात यह है कि लोगों के लिए उनके खिलाफ कुछ भी खोजना मुश्किल होता है। अगर कुछ लोगों को पता भी चल जाए कि फलाँ व्यक्ति ने बुरे काम किए हैं, तो वे यह तय नहीं कर पाते कि वह व्यक्ति अच्छा है या बुरा, बुरा व्यक्ति है या मसीह-विरोधी। लोग उसकी असलियत नहीं जान पाते, उन्हें लगता है कि वह अच्छा इंसान है और वे उसके हाथों गुमराह हो सकते हैं। यह कुटिलता है। आम तौर पर झूठ बोलना और छोटी-मोटी साजिश रचना लोगों की प्रवृत्ति होती है। यह सिर्फ कपट है। लेकिन मसीह-विरोधी आम कपट करने वाले लोगों से अधिक धूर्त होते हैं। वे शैतान राजाओं की तरह होते हैं; कोई उनकी करतूतों की थाह नहीं पा सकता। वे न्याय के नाम पर बहुत-से कुकृत्य कर सकते हैं और लोगों को नुकसान पहुँचाते हैं, लेकिन लोग तब भी उनका गुणगान करते हैं। इसे कुटिलता कहते हैं।

अतीत में एक घटना हुई थी जब एक अगुआ को ऊपरवाले से संपर्क और उसके साथ संगति के दौरान, परमेश्वर के घर की कुछ कार्य योजनाओं के बारे में बताया गया था। उस समय कार्य व्यवस्था अभी तक औपचारिक रूप से जारी नहीं की गई थी। लौटने के बाद उसने दिखावा करना शुरू कर दिया, लेकिन तुम यह नहीं बता सकते थे कि यह दिखावा था। वह एक सभा के दौरान बहुत गंभीरता से बोल रहा था, और अचानक अपनी संगति के बीच में उसने कुछ ऐसा कहा जो पहले किसी ने नहीं सुना था : “अब तक परमेश्वर के कार्य का प्रत्येक चरण पूरा हो चुका है, और लोग मूल रूप से स्थिर हो गए हैं। अगले महीने से हम सुसमाचार फैलाएँगे, इसलिए हमें सुसमाचार टीमों की स्थापना करनी है। सुसमाचार टीमों की स्थापना कैसे की जानी चाहिए? इसके कुछ विवरण इसमें हैं...।” जब दूसरों ने यह सुना, तो उन्होंने सोचा, “ये वचन कहाँ से आए? ऊपरवाले ने अभी तक कोई कार्य व्यवस्था जारी नहीं की है। उसे कैसे पता? जरूर वह दूरदर्शी होगा!” वे उसकी आराधना कर रहे थे, है न? उसके प्रति लोगों का रवैया तुरंत बदल गया। उसने केवल सुसमाचार टीमों की स्थापना का उल्लेख किया, लेकिन उसके बाद उसने कोई विशेष कार्य नहीं किया—उसने केवल खोखले नारे लगाए। बेशक, खोखले नारे लगाने के पीछे उसका अपना उद्देश्य था; वह खुद का दिखावा कर रहा था, वह चाहता था कि लोग उसके बारे में उच्च विचार रखें, उसकी आराधना करें। कुछ ही समय बाद ऊपरवाले की ओर से कार्य व्यवस्था जारी की गई। जब भाई-बहनों ने इसे देखा, तो वे आश्चर्यचकित हो गए और कहा, “अविश्वसनीय! क्या यह भविष्यवाणी करना नहीं है? तुम्हें इसके बारे में कैसे पता चला? तुम हमसे बेहतर सत्य समझते हो; तुम्हारा आध्यात्मिक कद काफी बड़ा है। हमारा आध्यात्मिक कद बहुत छोटा है। जब सुसमाचार का उपदेश देने का समय आया, तो तुमने हमें पहले ही बता दिया था, जबकि हम सुन्न और अनभिज्ञ थे। देखो, क्या तुमने जो संगति की थी वह ऊपरवाले की कार्य व्यवस्था से मेल नहीं खाती? यह एक संयोग है और अब इसकी पुष्टि हो गई है।” इस घटना के माध्यम से सभी ने उसकी और भी अधिक आराधना की, और यह साधारण ढंग से नहीं बल्कि पूर्ण समर्पण के साथ, लगभग घुटने टेकने और उसके सामने झुकने की हद तक किया। अधिकांश लोगों को इस मामले के बारे में पता नहीं था; यदि वह स्वयं इसके बारे में न बोलता, तो कोई नहीं जान पाता, केवल परमेश्वर को ही पता था। यह इतना स्पष्ट मामला था, और उसने इसे किसी को नहीं बताया, इसके बजाय उसने इतनी बेशर्मी से उन्हें धोखा देने का विकल्प चुना। क्या इस व्यवहार को कुटिल माना जाता है? (हाँ।) उसने दूसरों को इस तरह से धोखा क्यों दिया? वह इस तरह से व्यवहार और कार्य क्यों कर पाया? वह वास्तव में अपने दिल में क्या सोच रहा था? वह चाहता था कि लोग उसे अलग तरह से देखें, सोचें कि वह कोई साधारण व्यक्ति नहीं है। क्या यह कुछ ऐसा है जो सामान्य मानवता में पाया जाना चाहिए? (नहीं।) ऐसे व्यक्ति के कार्य घृणित और बेशर्म होते हैं। क्या तुम इसे कुटिल मानोगे? (हाँ।) कुटिल होने के अलावा यह कुछ हद तक घृणित भी होता है।

मसीह-विरोधियों में एक प्रकार का व्यक्ति होता है जिसे कभी कुछ गलत कहते नहीं सुना जाता या कुछ गलत करते नहीं देखा जाता; वह जो करता है और जिस तरह से कार्य करता है उसे आम तौर पर अच्छा माना जाता है और सभी उसे स्वीकृति देते हैं। वह अक्सर मुस्कराता रहता है, उसका हाव-भाव दयालु संत जैसा होता है, वह कभी किसी की काट-छाँट नहीं करता। लोग चाहे कोई भी गलती करें, वह हमेशा उन्हें एक प्रेममयी माँ की तरह क्षमाशील हृदय से सहन करता है। वह कलीसिया में उन लोगों को कभी नहीं सँभालता जो प्रशासनिक आदेशों का उल्लंघन करते हैं, विघ्न-बाधाएँ पैदा करते हैं, या बुरे कर्म करते हैं। क्या ऐसा इसलिए है क्योंकि वह इन चीजों को देख या पहचान नहीं पाता? नहीं, ऐसा कुछ भी नहीं है; ऐसे लोग उन्हें देख और पहचान सकते हैं, लेकिन अपने दिल में वे मानते हैं कि अगर इन लोगों को दूर कर दिया गया, और कलीसिया शांतिपूर्ण हो गई, केवल ईमानदार लोगों से भर गई जो सत्य का अनुसरण करते हैं और ईमानदारी से खुद को परमेश्वर के लिए खपाते हैं, तो वे खुद आसानी से पहचान लिए जाएँगे और वे शायद कलीसिया में पैर जमाए रखने में सक्षम नहीं रह पाएँगे। इसलिए, वे इन लोगों को अपने आसपास रखते हैं, कुकर्मियों को बुराई करते रहने देते हैं, झूठ बोलने वालों को झूठ बोलते रहने देते हैं, और बाधा डालने वालों को बाधा डालते रहने देते हैं, इन उपद्रवों के माध्यम से वे यह सुनिश्चित करते हैं कि कलीसिया में कभी शांति न रहे, और इस तरह उनका अपना रुतबा सुरक्षित रहे। इसलिए, जैसे ही किसी को निष्कासित करना होता है, उसका निपटान किया जाता है, अलग-थलग किया जाता है, या उसके पद से हटाया जाना होता है, वे क्या कहते हैं? “हमें लोगों को पश्चात्ताप करने का अवसर देना चाहिए। कमियाँ या भ्रष्टता किसमें नहीं होती? गलतियाँ किसने नहीं की हैं? हमें सहनशीलता सीखनी चाहिए।” भाई-बहन इस पर विचार करते हैं और कहते हैं, “हम उन लोगों के प्रति सहिष्णु हैं जो सचमुच परमेश्वर में विश्वास करते हैं और अपराध करते हैं या जो मूर्ख और अज्ञानी हैं, लेकिन हम बुरे लोगों को बरदाश्त नहीं करते। वह एक बुरा व्यक्ति है।” मसीह-विरोधी जवाब देता है, “वह एक बुरा व्यक्ति कैसे है? वह कभी-कभार कठोर शब्द बोल देता है; यह बुराई नहीं है। जो लोग दुनिया में हत्या और आगजनी करते हैं, वे असल में बुरे लोग हैं।” लेकिन मसीह-विरोधी वास्तव में क्या सोचता है? “वह एक बुरा व्यक्ति है? क्या वह मेरे जितना बुरा है? तुमने नहीं देखा कि मैंने क्या किया है, तुम नहीं जानते कि मैं अंदर क्या सोच रहा हूँ। अगर तुमने देखा होता, तो क्या तुम लोग मुझे दूर नहीं कर देते? उसे दूर करने के बारे में सोच रहे हो? भूल जाओ! मैं तुम्हें उससे नहीं निपटने दूँगा। जो भी कोशिश करेगा, मेरा क्रोध झेलेगा, मैं उसके लिए चीजें बहुत मुश्किल बना दूँगा! जो भी उससे निपटने की कोशिश करेगा, मैं उसे निष्कासित कर दूँगा!” लेकिन क्या वे यह जोर से कहेंगे? नहीं, वे नहीं कहेंगे। फिर वे क्या करते हैं? वे पहले हालात को शांत करते हैं, मामले स्थिर करते हैं, कलीसिया की अगुआई करने में सक्षम दिखते हैं और विभिन्न शक्तियों को संतुलित करने में सक्षम हो जाते हैं, ताकि कलीसिया उनके बिना न चल सके। इस तरह से क्या उनका पद सुरक्षित नहीं हो जाता? एक बार पद सुरक्षित हो जाने पर क्या उनकी आजीविका सुरक्षित नहीं हो जाती? इसे ही कुटिल होना कहते हैं। इसीलिए अधिकांश लोग ऐसे व्यक्तियों की असलियत नहीं जान पाते। क्यों नहीं? वे कभी सच नहीं बोलते, न ही वे हल्के-फुल्के ढंग से काम करते हैं। ऊपरवाला उनसे जो भी करने को कहता है, वे यंत्रवत ढंग से उसे कर देते हैं; जो भी किताबें वितरित करनी होती हैं, वे उन्हें भेज देते हैं; वे सप्ताह में कुछ सभाएँ करते हैं, और सभाओं के दौरान संगति पर एकाधिकार नहीं रखते। ऊपर से, सब कुछ सही और दोषरहित लगता है, जिसमें आलोचना के लिए कोई जगह नहीं बचती। लेकिन एक बात है जिसका तुम लोग भेद पहचान सकते हो : वे कभी भी बुरे लोगों से नहीं निपटते। इसके विपरीत वे उन्हें बचाते हैं, लगातार उन्हें छिपाते और उनका बचाव करते हैं। क्या यह कुटिल होना नहीं है? यहाँ उनके व्यवहार का कुटिल पहलू क्या है, उनका ध्यान किस पर है? इसे स्पष्ट किया जाना चाहिए। वे कभी सच नहीं बोलते, हमेशा परमेश्वर के घर को धोखा देने के लिए झूठ बोलते रहते हैं। वे बुरे लोगों को बुरा करते देखते हैं लेकिन उनसे निपटते नहीं, हमेशा चीजों को छिपाते रहते हैं और धैर्य और सहनशीलता का अभ्यास करते हैं। इन चीजों को करने के पीछे उनका मकसद क्या होता है? क्या यह वास्तव में लोगों को एक-दूसरे की ताकतों का पूरक बनाने और एक-दूसरे के प्रति सहिष्णु होने में मदद करना होता है? (नहीं।) तो उनका उद्देश्य क्या होता है? वे अपने प्रभाव को मजबूत करना चाहते हैं, अपने रुतबे को स्थिर करना चाहते हैं। वे जानते हैं कि एक बार जब बुरे लोगों को दूर कर दिया जाता है, तो जाने का अगला नंबर उनका होगा; इसी से वे डरते हैं। इसलिए, वे बुरे लोगों को अपने आसपास रखते हैं; जब तक वे वहाँ होते हैं, मसीह-विरोधी का रुतबा सुरक्षित रहता है। अगर बुरे लोगों को दूर कर दिया गया, तो मसीह-विरोधी खत्म हो जाएगा। बुरे लोग उनकी सुरक्षा की छाया, उनकी ढाल होते हैं। इसलिए, चाहे कोई भी बुरे लोगों को उजागर करे या सुझाव दे कि उन्हें दूर कर दिया जाना चाहिए, वे इससे असहमत होते हैं, कहते हैं, “वे अभी भी अपने कर्तव्यों का पालन कर सकते हैं, वे अभी भी पैसे दे सकते हैं; कम से कम वे अभी भी श्रम कर सकते हैं!” वे बुरे लोगों का बचाव करने के लिए कारण और बहाने ढूँढ़ते हैं, और आम तौर पर विवेकहीन लोग उनके भीतर छिपे दुर्भावनापूर्ण इरादे को नहीं देख पाते, वे इसे पहचानने में असमर्थ होते हैं।

क्या ऐसे अन्य उदाहरण हैं जिसमें किसी मसीह-विरोधी की कुटिल हरकतों ने तुम लोगों पर गहरा प्रभाव डाला हो? कोई साझा करे। (एक बहन थी जो एक सुसमाचार टीम की पर्यवेक्षक थी और हर महीने वह कुछ लोगों को प्राप्त करने में कामयाब हो जाती थी, जिनमें से कुछ अविश्वासी होते थे। मसीह-विरोधी ने संदर्भ से बाहर एक कार्य व्यवस्था की व्याख्या की, यह कहते हुए कि सुसमाचार के प्रचार में मुख्य रूप से संप्रदाय के लोगों को लक्षित करना चाहिए, अविश्वासियों को गौण रखना चाहिए और यदि मुख्य ध्यान अविश्वासियों पर हो, तो यह कार्य व्यवस्था का गंभीर उल्लंघन होगा। उसने इस व्यवहार का गहन विश्लेषण करने के लिए “जो सत्य का अभ्यास नहीं करते हैं उनके लिए एक चेतावनी” से परमेश्वर के वचनों का भी इस्तेमाल किया। फिर उसने सभी से यह पूछते हुए वोट करने को कहा, “क्या ऐसा व्यक्ति अभी भी पर्यवेक्षक रह सकता है?” उस समय, कलीसिया में कई लोग नए विश्वासी थे और उन्हें विश्वास करते सिर्फ एक या दो साल हुए थे और वे भेद नहीं पहचान पाए, इसलिए उन्हें लगा कि कार्य व्यवस्था का उल्लंघन करना गंभीर है और वे बहन को बर्खास्त करने के लिए सहमत हो गए। उस समय बहन बहुत निराश हो गई; इस मसीह-विरोधी द्वारा गहन विश्लेषण और निंदा किए जाने के बाद उसे लगा कि वह स्वयं एक मसीह-विरोधी है, निश्चित रूप से परमेश्वर द्वारा हटा दी जाएगी, और वह इतनी निराश हो गई कि जीना नहीं चाहती थी। इसके अलावा, इस मसीह-विरोधी ने ऊपरवाले की ओर से कुछ उपदेश और संगति भी रोक दी, हमें सुनने नहीं दिया। उसने दावा किया कि ऊपरवाले की ओर से आई संगति बहुत कठोर थी और हम छोटे आध्यात्मिक कद वाले नए विश्वासी उसे सुनने के बाद धारणाएँ विकसित कर लेंगे। ऊपर से, ऐसा लग रहा था कि वह हमारा ख्याल रख रहा था, लेकिन वास्तव में उसे डर था कि अगर हमने ऊपरवाले की ओर से उपदेश सुने, तो हम उसे पहचान लेंगे, और फिर वह हमें नियंत्रित नहीं कर पाएगा। उसने लोगों को सताने और ठगने के लिए इन अच्छे से दिखने वाले तरीकों का इस्तेमाल किया, जिससे ऐसा लगे कि उसने जो किया वह तर्कसंगत था और परमेश्वर के घर की कार्य व्यवस्थाओं के अनुसार था।) इस घटना को निश्चित रूप से कुटिल कहा जा सकता है। जो कोई भी मसीह-विरोधी है, उसके लगातार अभ्यास हमेशा एक जैसे होते हैं, थोड़े-से भी भिन्न नहीं होते, एक ही इरादे वाले होते हैं और वे जो कुछ भी करते हैं उसमें एक ही लक्ष्य रखते हैं। क्या यह साबित नहीं करता कि मसीह-विरोधी वास्तव में दानव और बुरी आत्माएँ हैं? (हाँ।) बिल्कुल। मसीह-विरोधियों—इन दानवों और बुरी आत्माओं—के कार्यों को कुटिल बताना पूरी तरह से उपयुक्त है और इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है।

इन उदाहरणों के बाद तुम्हें कुछ अंतर्दृष्टि प्राप्त हो जानी चाहिए; क्या तुमने मसीह-विरोधियों के कुटिल कार्यकलापों के बारे में कुछ विवेक विकसित करना शुरू कर दिया है? कोई भी चीज जिसमें छिपे हुए इरादों और उद्देश्यों के साथ कुटिल व्यवहार शामिल होता है, वह एक सामान्य व्यक्ति का कार्य नहीं होता, एक ईमानदार व्यक्ति का कार्य नहीं होता, और निश्चित रूप से सत्य का अनुसरण करने वाले व्यक्ति का कार्य नहीं होता। क्या वे जो कुछ भी करते हैं वह सत्य का अभ्यास करना है? क्या वे परमेश्वर के घर के हितों को बनाए रखे हैं? (नहीं।) तो, वे क्या कर रहे हैं? वे कलीसिया के काम में गड़बड़ और इसे नष्ट कर रहे हैं, बुराई कर रहे हैं; वे परमेश्वर के मार्ग का अनुसरण नहीं कर रहे हैं, न ही वे परमेश्वर के घर के काम को बनाए रखे हैं। वे जो भी करते हैं वह कलीसिया का काम नहीं है; वे केवल अपने स्वयं के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए कलीसिया के काम करने की आड़ का उपयोग कर रहे हैं, अनिवार्य रूप से अपने व्यक्तिगत हितों और शैतान के हितों की रक्षा कर रहे हैं। क्या कोई अन्य उदाहरण हैं? (2015 में ऊपरवाले की ओर से एक कार्य व्यवस्था जारी की गई थी, जिसमें संगति करने के लिए हमें नकली अगुआओं को पहचानने और सच्ची और झूठी कलीसियाओं में अंतर करने के लिए “जागृत” के एक लेख का उपयोग करने का निर्देश दिया गया था। कलीसिया में एक अगुआ था, जिसे अभी-अभी बर्खास्त किया गया था, जिसने कहा कि हम परमेश्वर में विश्वास करने के मामले में नए हैं और छोटे आध्यात्मिक कद के हैं, और हमने ऊपरवाले की कार्य व्यवस्था को बहुत सतही रूप से समझा है—परमेश्वर के कार्य अथाह हैं, और ऊपरवाले ने इस व्यवस्था को एक गहरे अर्थ के साथ जारी किया है। उसने यह भी कहा, “नकली अगुआओं और मसीह-विरोधियों को पहचानने के सत्यों के संबंध में ऊपरवाले ने पहले बहुत-सी संगति प्रदान की है और इसे बहुत स्पष्ट रूप से समझाया है। यदि यह केवल नकली अगुआओं और मसीह-विरोधियों को पहचानने के बारे में होता, तो क्या एक और कार्य व्यवस्था जारी करने की आवश्यकता होती?” इसके बाद उसने हमें पिछली कार्य व्यवस्थाओं, उपदेशों और ऊपरवाले की संगतियों से संदर्भ से बाहर के अंश लिए, और भाई-बहनों को गुमराह करने के लिए दसियों हजारों वचनों की सामग्री संकलित कर ली, और हमें “जागृति” का भेद पहचानने की ओर अग्रसर किया। उस समय हम गुमराह थे और हमने नकली अगुआओं और मसीह-विरोधियों को पहचानने पर ध्यान केंद्रित नहीं किया। बाद में, इस व्यक्ति को मसीह-विरोधी के रूप में प्रकट किया गया। उसे डर था कि अगर हर कोई नकली अगुआओं और मसीह-विरोधियों को पहचानने लगेगा, तो वे उसके बुरे कामों को सामने ले आएँगे और उसे पहचान लेंगे, इसलिए उसने जानबूझकर हमें “जागृत” को पहचानने के लिए गुमराह किया।) यह हाथ की सफाई थी, दिशाहीन करने की एक रणनीति, ध्यान भटकाने के लिए भटकाव पैदा करना ताकि कोई भी उस पर ध्यान न दे। क्या यह तरीका जाना-पहचाना नहीं लगता? जब बड़ा लाल अजगर संकट से जूझ रहा होता है, जैसे उसकी राजनीतिक प्रणाली के भीतर आंतरिक उथल-पुथल या जनता द्वारा हड़ताल या विद्रोह की योजना बनाना, तो वह इसी रणनीति का उपयोग करता है—ध्यान भटकाना। वह अक्सर इसी तरीके का उपयोग करता है। जब भी कोई संकट आता है, तो वह युद्ध के बारे में दहशत फैलाता है, देशभक्ति को बढ़ावा देता है, फिर लगातार प्रतिरोध और देशभक्ति को लेकर युद्धों वाली फिल्में चलाता है, या ध्यान भटकाने के लिए राष्ट्रवादी भावनाओं को भड़काने के लिए फर्जी खबरें फैलाता है। बड़ा लाल अजगर इन कामों को गुप्त उद्देश्यों से करता है, अनकहे उद्देश्यों को पालता है—इसे कुटिल व्यवहार कहा जाता है। मसीह-विरोधियों का पूर्वज कौन है? यह बड़ा लाल अजगर, दानव है। उनके कार्यों की प्रकृति बिल्कुल एक जैसी होती है, मानो उनकी एक-दूसरे के साथ मिलीभगत हो। मसीह-विरोधियों की योजनाएँ और तरीके कहाँ से आते हैं? उन्हें उनके पूर्वज, दुष्ट शैतान ने सिखाया था। शैतान उनके भीतर रहता है, इसलिए कुटिल तरीके से काम करना उनके लिए बिल्कुल सामान्य बात होती है; यह पूरी तरह से खुलासा करता है कि उनमें मसीह-विरोधी की प्रकृति है।

(परमेश्वर, मैं एक उदाहरण साझा करना चाहता हूँ। एक मसीह-विरोधी के प्रकट होने का यह मामला जीजिन चारागाह क्षेत्र का है। यह 2012 के वसंत के आसपास की बात है। एन नामक एक मसीह-विरोधी ने विभिन्न कलीसियाओं में कई भ्रांतियाँ फैला दी थीं और यहाँ तक कि “पृथ्वी छोड़ने से पहले परमेश्वर को सबसे अधिक किस बात की परवाह है” शीर्षक से एक पुस्तिका भी लिखी, जिसे उसने सभी कलीसियाओं में निजी तौर पर वितरित किया। उसने दावा किया कि जाने से पहले परमेश्वर को सबसे अधिक इस बात की परवाह है कि परमेश्वर के चुने हुए लोग उसके जाने के बाद पवित्र आत्मा द्वारा उपयोग किए गए व्यक्ति की बात सुनेंगे या नहीं, इसलिए हमें परमेश्वर के इरादों को समझना चाहिए; और अब पवित्र आत्मा द्वारा उपयोग किए गए व्यक्ति के उपदेशों, संगति और कार्य व्यवस्थाओं को पढ़ना ही पर्याप्त है, जो परमेश्वर के वचनों को खाने-पीने की जगह ले सकते हैं। परिणामस्वरूप कई भाई-बहन गुमराह हो गए; उन्होंने परमेश्वर के वचनों को खाना-पीना बंद कर दिया, यही वह लक्ष्य था जो मसीह-विरोधी हासिल करना चाहता था। मसीह-विरोधी की धूर्तता इसमें निहित थी कि पवित्र आत्मा द्वारा उपयोग किए गए व्यक्ति की गवाही देने की आड़ में, उसने लोगों को परमेश्वर के वचनों से दूर कर दिया, परमेश्वर के वचनों का खाना-पीना छुड़वा दिया, साथ ही लोगों को यह महसूस कराया कि वह परमेश्वर के हृदय को गहराई से समझता है। उसने यह सोचा था कि जाने से पहले परमेश्वर किस बात की परवाह करता है, इसलिए लोग उसका बहुत सम्मान करते थे और उसकी आराधना करते थे।) उसने पवित्र आत्मा द्वारा इस्तेमाल किए गए व्यक्ति को उत्कर्षित क्यों किया? पवित्र आत्मा द्वारा इस्तेमाल किया गया व्यक्ति मनुष्य है, और वह भी मनुष्य है। पवित्र आत्मा द्वारा इस्तेमाल किए गए व्यक्ति को उत्कर्षित करके वह वास्तव में लोगों से अपनी आराधना और उत्कर्ष करवा रहा था; यही उसका लक्ष्य था। हम केवल यह नहीं आँक सकते कि उसने जो कहा था वह सही था या गलत; हमें उसके शब्दों से प्राप्त नतीजों और उद्देश्यों को देखना चाहिए; यही महत्वपूर्ण है। इसलिए, पवित्र आत्मा द्वारा इस्तेमाल किए गए व्यक्ति को उत्कर्षित करने के पीछे उसका उद्देश्य वास्तव में खुद को उत्कर्षित करना था; यही उसका उद्देश्य था। वह जानता था कि पवित्र आत्मा द्वारा इस्तेमाल किए गए व्यक्ति को उत्कर्षित करने पर निश्चित रूप से किसी को आपत्ति नहीं होगी, और लोग उससे सहमत होंगे और उसका उत्कर्ष करेंगे। लेकिन अगर वह सीधे खुद को उत्कर्षित करता और अपनी गवाही देता, तो लोग उसे उजागर कर सकते थे, पहचान कर उसे ठुकरा सकते थे। इसलिए, मसीह-विरोधी ने आत्म-उत्कर्ष और आत्म-गवाही प्राप्त करने के लिए पवित्र आत्मा द्वारा इस्तेमाल किए गए व्यक्ति का उत्कर्ष करने की रणनीति अपनाई; यह मसीह-विरोधी की धूर्तता थी। मसीह-विरोधी एन के कार्य बहुत ही कुटिल थे, लोग आसानी से उसके द्वारा गुमराह हो गए—यह एक विशिष्ट मसीह-विरोधी घटना है। परमेश्वर के चुने हुए लोगों को इस मसीह-विरोधी मामले से पहचान करना सीखना चाहिए, मसीह-विरोधियों के कुटिल पहलुओं को समझना चाहिए, साथ ही लोगों को गुमराह करने के परिणाम प्राप्त करने के लिए उनके द्वारा उपयोग किए जाने वाले सामान्य उपायों और साधनों को समझना चाहिए। लोगों के लिए मसीह-विरोधियों को पहचानना बहुत फायदेमंद होता है। और किसी के पास साझा करने के लिए कोई उदाहरण है?

(परमेश्वर, मेरे पास भी एक मसीह-विरोधी का मामला है। यह घटना हेनान पास्टोरल क्षेत्र में हुई थी। 2011 के आसपास एक नकली अगुआ थी मसीह-विरोधी यू, जिसे बर्खास्त किया गया था, उसे कलीसिया द्वारा सफाई-कार्य का प्रभारी नियुक्त किया गया था क्योंकि उसके पास कुछ गुण और कार्य अनुभव था। उस समय नकली अगुआओं और मसीह-विरोधियों को पूरी तरह से उजागर करने और हटाने के लिए ऊपरवाले की ओर से एक कार्य व्यवस्था जारी की गई थी। यू, जो रुतबे की शौकीन थी, ने इसे वापसी के अवसर के रूप में देखा। कार्य व्यवस्था को लागू करने की आड़ में उसने पवित्र आत्मा के कार्य की धारा का पालन करने और नकली अगुआओं और मसीह-विरोधियों को पहचानने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए भाई-बहनों के साथ लगातार संगति की। हालाँकि, उसने उन्हें पहचानने के सिद्धांतों की संगति नहीं की, बल्कि हमें अगुआओं और कार्यकर्ताओं पर अपना ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित किया। हर सभा में वह भाई-बहनों से अगुआओं और कार्यकर्ताओं के प्रदर्शन के बारे में बात करने के लिए कहती थी। हमारे बोलने के बाद वह उनके कार्य में कुछ विचलनों और उनके द्वारा प्रकट किए गए भ्रष्ट स्वभावों को लपक लेती, इन मुद्दों की प्रकृति को बढ़ाती जाती, सीधे उन्हें नकली अगुआ करार देती और उन्हें बर्खास्त कर देती। इसके बाद वह लगातार भाई-बहनों के सामने गवाही देती कि कैसे उसने इन नकली अगुआओं और कार्यकर्ताओं को हटाया, जिससे उन्हें महसूस हो कि वह पहचानने में सक्षम है और उसमें कार्य क्षमता है। वास्तव में, उसने इन अगुआओं और कार्यकर्ताओं की बर्खास्तगी को अपनी वापसी और अगुआई जारी रखने के अवसर के रूप में इस्तेमाल करने का लक्ष्य रखा था। यू द्वारा गुमराह किए गए भाई-बहनों ने अगुआओं और कार्यकर्ताओं द्वारा प्रकट की गई भ्रष्टता और उनके काम में विचलनों को देखकर सोचना शुरू कर दिया कि क्या वे वाकई नकली अगुआ थे, और यहाँ तक कि सभी स्तरों पर कलीसिया के अगुआओं पर सवाल उठाने लगे, वे अगुआओं और कार्यकर्ताओं के काम के साथ सामान्य रूप से सहयोग करने में विफल हो गए। छोटे आध्यात्मिक कद के कई अगुआ और कार्यकर्ता भी काफी विवश थे, नकारात्मकता और सावधानी की स्थिति में जी रहे थे, जो अपने कर्तव्यों को सामान्य रूप से करने में असमर्थ थे, जिससे कलीसिया में अराजकता फैल गई। उस समय कई लोग इस मसीह-विरोधी की आराधना करते थे, और लगभग एक दर्जन कलीसिया इस मसीह-विरोधी द्वारा गुमराह और नियंत्रित की गई थी। यहाँ तक कि इस मसीह-विरोधी के प्रकट होने के बाद भी कुछ लोग उसे नहीं पहचान पाए, उनका मानना था कि वह कलीसिया के कार्य को कायम रखे थी, और कुछ तो उसके पक्ष में खड़े भी हुए।) बाद में उन भाई-बहनों का क्या हुआ जो गुमराह हो गए थे? (संगति और मदद के माध्यम से कुछ लोगों ने मसीह-विरोधी की समझ हासिल की और बचा लिए गए, जबकि कुछ लोग, चाहे अन्य लोगों ने उनके साथ कैसे भी संगति की हो, अड़े रहे और मसीह-विरोधी का अनुसरण करने के लिए दृढ़ संकल्पित रहे, और इन लोगों को अंततः हटा दिया गया।) क्या अब अधिकांश लोग इस मसीह-विरोधी को पहचानते हैं? (उनके पास अब कुछ समझ है।) जो लोग जिद्दी और अपरिवर्तनीय बने रहते हैं वे नष्ट होने के योग्य हैं; मसीह-विरोधी का अनुसरण करने का यही परिणाम होता है।

हमने अभी-अभी मसीह-विरोधियों के कुटिल कार्यों की विभिन्न अभिव्यक्तियों के बारे में संगति की। अब, आओ इसका सारांश बनाते हैं : मसीह-विरोधियों के ऐसे व्यवहार द्वारा अभिव्यक्त सार और स्वभाव क्या होता है? (दुष्टता।) यह एक ऐसा स्वभाव है जिसमें मुख्य रूप से दुष्टता की विशेषता होती है। तो क्या हम कह सकते हैं कि दुष्ट स्वभाव वाले लोग आमतौर पर कुटिलता से काम लेते हैं, और जो लोग कुटिलता से काम लेते हैं उनका स्वभाव बहुत दुष्ट होता है? (हाँ।) क्या यह तार्किक तर्क है? हालाँकि यह ऊपर से कुछ हद तक तर्क की तरह लगता है, वास्तव में चीजें बिल्कुल ऐसी ही होती हैं—दुष्ट स्वभाव वाले लोग अक्सर कुटिल तरीकों से काम करते हैं। कुटिलता से काम करने वाले मसीह-विरोधियों का प्रकृति सार शैतान से उत्पन्न होता है; यह बिल्कुल स्पष्ट है कि वे राक्षस और शैतान के समान हैं। मसीह-विरोधियों के काम करने के तरीके को देखकर तुम समझ सकते हो कि राक्षस और शैतान कैसे काम करते हैं। असली राक्षस और शैतान और बड़ा लाल अजगर इससे भी अधिक गंभीर रूप से काम करते हैं। एक साधारण मसीह-विरोधी भी इतनी कुटिलता से, इतनी चतुराई से काम कर सकता है, बिना कोई खामी छोड़े बोल सकता है, जिससे किसी के लिए भी कोई कमी निकाल पाना या उसे पकड़ना असंभव हो जाता है। पुराने राक्षसों और शैतान के लिए तो यह और भी अधिक सच है! मसीह-विरोधियों के कुटिल व्यवहार के परिप्रेक्ष्य से विचार करें, तो बिना किसी रुतबे वाले साधारण लोग, जो शायद ही कभी दूसरों से संवाद करते हैं या खुलकर बात करते हैं, जो बिना पारदर्शिता के काम करते हैं और नहीं चाहते कि दूसरे जानें कि वे अपने भीतर क्या सोच रहे हैं या क्या करने का विचार कर रहे हैं और उनके काम करने के इरादे क्या हैं, जो खुद को बहुत छिपाए रखते हैं और कसकर लपेटे रहते हैं—क्या उनकी कथनी और करनी में भी कुटिलता का संकेत नहीं होगा? अगर ऐसे लोगों को मसीह-विरोधी के रूप में निरूपित नहीं किया जाता है, तो वे निश्चित रूप से मसीह-विरोधी के मार्ग पर चल रहे होते हैं। यह निश्चित है। जो लोग मसीह-विरोधी के मार्ग पर चलते हैं, यदि वे काट-छाँट को स्वीकार नहीं करते, न ही दूसरों के सुझावों पर ध्यान देते हैं, और इससे भी अधिक सत्य स्वीकार नहीं करते, एक बार जब वे रुतबा प्राप्त कर लेते हैं, तो वे अनिवार्य रूप से मसीह-विरोधी बन जाएँगे; यह केवल समय की बात है। अगर कुछ लोगों का स्वभाव इतना दुष्ट है और वे एक बार मसीह-विरोधी के मार्ग पर चल चुके हैं, मसीह-विरोधी से कुछ समानताएँ दिखाते हैं, लेकिन काट-छाँट स्वीकार किए जाने के बाद वे पश्चात्ताप करते हैं, सत्य स्वीकार कर सकते हैं, अपना पिछला मार्ग त्याग सकते हैं, और पीछे मुड़कर सत्य का अभ्यास कर सकते हैं, तो इसका परिणाम क्या होगा? ऐसा परिवर्तन उन्हें मसीह-विरोधी के मार्ग से और दूर कर देगा, जिससे उनके लिए परमेश्वर में विश्वास करने के सही मार्ग में प्रवेश करना आसान हो जाएगा, और फिर उनके पास बचाए जाने की आशा होगी। मसीह-विरोधी किस तरह से कुटिलता से काम करते हैं, इसकी अभिव्यक्तियों पर संगति के लिए बस इतना ही; जिस अभिव्यक्ति पर अगली संगति होगी वह इस बारे में है कि वे कैसे स्वेच्छाचारी और तानाशाह होते हैं।

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