मद सात : वे दुष्ट, धूर्त और कपटी हैं (भाग तीन) खंड एक

परिशिष्ट : उपहार

इससे पहले कि मैं इस संगति के मुख्य विषय पर आऊँ, मैं एक कहानी सुनाता हूँ। मुझे किस तरह की कहानी सुनानी चाहिए? अगर इसका लोगों पर कोई असर नहीं होता या अगर यह जीवन प्रवेश और परमेश्वर को जानने के संदर्भ में उन लोगों को शिक्षित नहीं करती या लाभ नहीं पहुँचाती जो परमेश्वर पर विश्वास करते हैं, तो इसे सुनाने का कोई मतलब नहीं है। अगर मैं कोई कहानी सुनाने जा रहा हूँ, तो वह कहानी अपने आप में कुछ हद तक शिक्षाप्रद होनी चाहिए—उसमें मूल्य और अर्थ होना चाहिए। इसलिए आज इस कहानी को सुनो और देखो कि क्या यह तुम लोगों के लिए शिक्षाप्रद और मददगार हो सकती है। कुछ कहानियाँ सच्ची होती हैं, जबकि अन्य वास्तविक घटनाओं से ली गईं मनगढ़ंत कहानियाँ होती हैं; वे सच्ची नहीं होतीं, लेकिन वे अक्सर जीवन में देखी जाती हैं, इसलिए वे वास्तविकता से कटी हुई नहीं होतीं। चाहे वे मनगढंत हों या वे वास्तव में हुई हों, वे सभी लोगों के जीवन से करीब से जुड़ी होती हैं। तो फिर तुम लोगों को ऐसी कहानियाँ क्यों सुनाई जाएँ? (ताकि हम सत्य को समझ सकें।) यह सही है : ताकि तुम लोग उनसे सत्य को समझ सको—कुछ सत्य जिन्हें जानने में लोगों को वास्तविक जीवन में मुश्किल होती है। आओ हम कहानी सुनाने का प्रयोग लोगों के सत्य और परमेश्वर के बारे में ज्ञान को वास्तविकता के करीब लाने के लिए करें और उनके लिए सत्य और परमेश्वर को समझना आसान बनाएँ।

जब लंबे समय तक मेरा लोगों के साथ काफी संपर्क रहता है, तो अनोखी और दिलचस्प घटनाएँ अपरिहार्य हो जाती हैं। यह वाली इसी साल वसंत में हुई थी। जैसे-जैसे सर्दी खत्म हुई और वसंत आ रहा था, मौसम में नरमी आती जा रही थी और सभी तरह के पौधे अंकुरित होने लगे थे, जो धूप और बारिश में हर दिन बड़े हो रहे थे। उनमें से कुछ पौधे जंगली थे और उनमें से कुछ उगाए गए थे; कुछ जानवरों के खाने के लिए थे, कुछ इंसानों के खाने के लिए थे और उनमें से कुछ इंसानों और जानवरों दोनों के खाने के लिए थे। यह वसंत के दिनों का नजारा था : एक हरा और जीवंत परिदृश्य। और यहीं से कहानी शुरू होती है। एक दिन, एक खास तोहफा पाकर मैं हैरान रह गया। किस तरह का तोहफा? जंगली साग का एक थैला। इसे मुझे देने वाले व्यक्ति ने कहा, “यह शेपर्ड्स पर्स है—यह खाने लायक है और तुम्हारी सेहत के लिए अच्छा है। तुम इसे अंडों के साथ पका सकते हो।” बढ़िया। फिर मैंने इसकी तुलना उस शेपर्ड्स पर्स से की जिसे मैंने पहले खरीदा था और ऐसा करते ही एक समस्या खड़ी हो गई। क्या तुम लोग अनुमान लगा सकते हो कि यह क्या थी? मुझे एक “रहस्य” का पता चला। क्या रहस्य? विदेश में शेपर्ड्स पर्स चीन के शेपर्ड्स पर्स से अलग दिखता था। क्या यहाँ कुछ गड़बड़ है? (हाँ, है।) अगर यह एक ही चीज होती, तो फिर इसे वैसा ही दिखना चाहिए था, तो यह पता लगने पर कि यह अलग दिखती है, दिमाग में आने वाली पहली चीज क्या होगी? क्या यह शेपर्ड्स पर्स है या यह नहीं है? मैं निश्चित नहीं हो पाया। क्या मुझे उस व्यक्ति से पूछने की जरूरत नहीं थी कि क्या चल रहा है? इसलिए बाद में मैंने जाकर उससे पूछा, “क्या तुम्हें यकीन है कि यह शेपर्ड्स पर्स है?” उसने इस बारे में सोचा और उत्तर दिया, “ओह, मुझे पक्का नहीं पता कि यह शेपर्ड्स पर्स है या नहीं।” अगर वह निश्चित नहीं था, तो वह इसे मुझे कैसे दे सकता था? उसने इसे मुझे देने की हिम्मत क्यों की? सौभाग्य से मैंने उसे ऐसे ही नहीं खाया। दो दिन बाद मैं निश्चित हो चुका था कि वह वास्तव में शेपर्ड्स पर्स नहीं था। उस व्यक्ति ने क्या कहा? उसने कहा, “तुमने कैसे पता लगाया कि यह शेपर्ड्स पर्स नहीं था? मुझे पक्का नहीं पता, लेकिन इसके बारे में भूल जाओ : इसे खाना मत।” क्या ऐसी कोई चीज अब भी खाई जा सकती है? (नहीं खाई जा सकती।) नहीं खाई जा सकती। अगर मैं कहता हूँ, “तुम निश्चित नहीं हो, लेकिन मैं जोखिम लूँगा और इसे खाऊँगा, चूँकि तुम बहुत दयालु हो,” क्या यह चलेगा? (नहीं चलेगा।) ऐसा बर्ताव करने की प्रकृति क्या होती है? क्या यह मूर्खता होगी? (हाँ, होगी।) हाँ, यह मूर्खता है। सौभाग्य से मैंने इसे नहीं खाया, न ही मैंने चीजों पर और आगे ध्यान दिया, इसलिए मामले को छोड़ दिया गया।

कुछ समय बाद खेतों में सभी किस्मों के जंगली पौधे उगने लगे : लंबे और छोटे, फूल वाले और बिना फूल वाले और हर रंग और विवरण वाले पौधे। वे संख्या में बढ़ते गए, लगातार घने और ज्यादा से ज्यादा सुडौल हो गए। एक दिन मुझे तोहफे का एक और थैला मिला, लेकिन यह शेपर्ड्स पर्स नहीं था। इसके बजाय इसमें उसी व्यक्ति से मिला चीनी मगवॉर्ट था। वह इतना दयालु था कि उसने एक और थैला भेजा और इसके साथ निर्देश दिए, “इसे आजमाओ। यह चीनी मगवॉर्ट है : यह सर्दी दूर भगाता है और तुम इसे अंडों के साथ भी खा सकते हो।” मैंने इसे देखा : क्या यह सालाना मगवॉर्ट नहीं था? चीनी मगवॉर्ट चीन के कई हिस्सों में पाया जाता है और इसके पत्तों में खास खुशबू होती है, लेकिन यह वह नहीं था जो उस व्यक्ति ने भेजा था—यह चीनी मगवॉर्ट कैसे हो सकता था? पत्तियाँ कुछ मिलती-जुलती थीं, लेकिन यह था या नहीं था? देने वाले व्यक्ति से मैंने पूछा, लेकिन उसने कहा कि वह नहीं जानता—यह कहकर उसने पूरी तरह से जिम्मेदारी दूसरों पर डाल दी। यहाँ तक कि उसने पूछा, “तुमने अभी तक इसमें से कुछ भी क्यों नहीं खाया? हालाँकि मुझे यकीन नहीं है कि यह क्या है, तुम्हें कुछ खाना होगा। मैंने कुछ खाया है और यह वास्तव में स्वादिष्ट है।” वह अनिश्चित था, फिर भी वह मुझसे इसे खाने के लिए आग्रह कर रहा था। तुम लोगों को क्या लगता है कि मुझे क्या करना चाहिए था? क्या मुझे इसे खाने के लिए खुद को मजबूर करना चाहिए था? (नहीं।) इसे निश्चित रूप से नहीं खाया जाना चाहिए था, क्योंकि इसे भेजने वाले व्यक्ति को भी नहीं पता था कि यह क्या था। अगर मैंने जोखिम लिया होता और कुछ नया आजमाने के लिए इसे खा लिया होता, तो शायद कुछ न होता, क्योंकि जिसने इसे खाया था, उसने कहा था कि यह ठीक रहेगा। लेकिन यह सोचना कि यह ठीक है और इसे अज्ञानतापूर्ण खा लेना, कार्रवाई के ऐसे तरीके का क्या? क्या यह चीजों को आँख मूँदकर करना नहीं है? किस तरह का व्यक्ति आँख मूँदकर ऐसी चीजें करता है? सिर्फ वही ऐसा करेगा जो असभ्य और लापरवाह है—जो सोचता है, “इससे कोई फर्क नहीं पड़ता; थोड़ा ऊपर-नीचे चलता है।” क्या तुम लोगों को लगता है कि मुझे ऐसा करना चाहिए? (नहीं।) क्यों नहीं? खाने के लिए बहुत सारी चीजें हैं; किसी अनजान पौधे को खाने का जोखिम क्यों उठाना? अकाल के वक्त जब वास्तव में कोई खाना नहीं बचता है, तो तुम विभिन्न जंगली घास खोदकर खाने की कोशिश कर सकते हो और तुम कुछ जोखिम उठा सकते हो। इस तरह के हालात में तुम कोई अनजान पौधा खा सकते हो। लेकिन क्या अभी उनमें से कोई हालात है? (ऐसा नहीं है।) ऐसी बहुत सी चीजें हैं जिन्हें तुम खा सकते हो, तो फिर जंगली साग की खोज में क्यों जाना? क्या किसी अदृश्य, अमूर्त और काल्पनिक छोटे से लाभ के लिए जोखिम उठाना जरूरी है? (नहीं है।) इसलिए मैंने इसे नहीं खाने का फैसला किया। मैंने इसे नहीं खाया, सौभाग्य से; न ही मैंने इन चीजों पर आगे गौर किया, और इसी तरह वह मामला भी छोड़ दिया गया।

कुछ समय बाद उस व्यक्ति ने मुझे एक और तोहफा दिया; यह तीसरी बार था। इस बार तोहफा बहुत खास था : यह मिट्टी से नहीं उगा था, न ही पेड़ पर लगा फल था। यह क्या था? पक्षी के दो अंडे कागज के एक थैले में करीने से लपेटे गए थे जिस पर “परमेश्वर के लिए पक्षी के अंडे” लिखा गया था। मजेदार, है न? जब मैंने कागज का थैला खोला, मैंने देखा कि दोनों अंडों के छिलके खूबसूरत रंग के थे। मैंने उन जैसे अंडे पहले कभी नहीं देखे थे, इसलिए मैं बता नहीं सकता था कि किस तरह के पक्षी ने उन्हें दिया था; मैंने इंटरनेट पर खोजने के बारे में सोचा, लेकिन मुझे कोई सुराग नहीं मिल सका क्योंकि समान पैटर्न और रंग के बहुत सारे अंडे थे, इसलिए आकार और रंग के आधार पर उनकी पहचान करने का कोई तरीका नहीं था। क्या तुम लोगों में से किसी को लगता है कि मेरे उस व्यक्ति से यह पूछने का कोई फायदा होता कि वे किस प्रकार के पक्षी के अंडे थे? (नहीं।) क्यों नहीं? (उसे भी नहीं पता होता।) तुम लोगों ने ठीक अंदाजा लगाया; उसे भी नहीं पता होता। इसलिए मैंने उससे नहीं पूछा। अगर मैंने पूछा होता, तो मैंने उसकी भावनाओं को ठेस पहुँचाई होती और वह सोचता, “मैं बहुत नेक इरादों वाला हूँ और परवाह करता हूँ, लेकिन फिर भी तुम मुझ पर शक करते हो। तुम्हें उन्हें इंटरनेट पर खोजने की क्या जरूरत? मैं तुम्हें उन्हें खाने के लिए दे रहा हूँ, तो बस उन्हें खा लो!” क्या तुम लोग सोचते हो कि मुझे अंडे खाने चाहिए थे या नहीं? (नहीं खाने चाहिए थे।) अगर उसने तुम लोगों को दिए होते तो क्या तुम लोगों ने उन्हें खाया होता? (नहीं।) न ही मैं खाता। ये अंडे पक्षियों के अंडे सेने और प्रजनन के लिए हैं। क्या उन्हें खाना क्रूर नहीं होता? (हाँ, होता।) मैं ऐसा नहीं कर सका, इसलिए पक्षियों के अंडों की बात छोड़ दी गई, लेकिन ऐसी चीजें होती रहीं।

एक दिन मुझे कुछ सालाना मगवॉर्ट मिले—जो चीनी मगवॉर्ट की तरह दिखते थे—जो कहीं रेलिंग पर सूख रहे थे, इसलिए मैंने एक बहन से पूछा कि यह किसलिए है। “क्या यह उसी तरह का चीनी मगवॉर्ट नहीं है जो उस आदमी ने पिछली बार तुम्हें दिया था?” उसने जवाब दिया। “चीनी मगवॉर्ट सीलन से छुटकारा दिला सकता है और ठंड को दूर भगा सकता है। क्या तुम ठंड के प्रति संवेदनशील नहीं हो? उस आदमी ने कहा था कि एक बार इसके सूख जाने पर वह इसे तुम्हारे लिए गर्म पानी में पैर भिगोने के लिए बचाकर रखेगा, ताकि ठंड दूर हो सके।” यह सुनने पर तुम लोगों को क्या लगता है कि मेरी प्रतिक्रिया क्या थी? एक शब्द में। (निशब्द।) यह सच है, मैं निशब्द था। इस तरह की परिस्थितियों में क्या मुझे ऐसा नहीं सोचना चाहिए था कि यह व्यक्ति कितनी परवाह करता था और कैसे उसने इसके लिए इतना विशेष प्रयास किया था? मैं निशब्द कैसे रह सकता था? बात सिर्फ इतनी थी कि यह व्यक्ति पहले इन मामलों को समझने में नाकाम रहा था और फिर उसने तरीका बदला, मानो कह रहा हो, “मैंने तुम्हें खाने के लिए साग और अंडे दिए, लेकिन तुमने उन्हें नहीं खाया, इसलिए मैंने तुम्हारे लिए गर्माहट में पैर भिगोने के लिए कुछ चीनी मगवॉर्ट सुखाए ताकि मेरी कोशिशें बेकार न जाएँ।” इस दृश्य को देखकर मैं सचमुच निशब्द था। बाद में मैं किसी और को बता रहा था दवा की कई दुकानें अब चीनी मगवॉर्ट का स्टॉक रखती हैं। तुम जब जितना चाहो, खरीद सकते हो : यह कई तरह की पैकेजिंग में आता है, विभिन्न देशों द्वारा बनाया जाता है और सफाई के साथ संसाधित किया जाता है। यह उससे बहुत बेहतर है जो उस व्यक्ति ने मुझे भेजा था, इसलिए क्या इसे सड़क के किनारे से चुनना और फिर इसे धूप में सुखाने के लिए रेलिंग पर रखना बेकार कोशिश नहीं है? अगर वह इसे सुखाकर मुझे देता है तो क्या तुम्हें लगता है कि मुझे यह चाहिए? (नहीं चाहिए।) मुझे यह नहीं चाहिए। समय के साथ रेलिंग पर अब कोई मगवॉर्ट नहीं था, क्योंकि मैंने जो कहा था वह उस तक पहुँच गया था और उसने इसे भेजना बंद कर दिया। बाद में जब खेत में ज्यादा जंगली साग लगने लगा तो उसे अब दुर्लभ नहीं माना जाता था, इसलिए किसी ने मुझे जंगली साग नहीं भेजा। और मुझे लगता है कि इस बीच पक्षियों के अंडे शायद फूट गए होंगे और उन्हें इकट्ठा नहीं किया जा सकता था, इसलिए अभी तक मुझे कोई और पक्षी के अंडे या जंगली साग नहीं मिला है। और यही मेरी कहानी थी।

कुल मिलाकर कहानी में चार घटनाएँ थीं, सभी मेरे लिए भेजी जा रही चीजों के बारे में थीं : दो अज्ञात जंगली साग भेजने के बारे में थीं, एक अज्ञात पक्षी के अंडे भेजने के बारे में थी और एक धूप में सुखाई गई “परंपरागत चीनी दवा” के बारे में थी। इन चीजों के बारे में बात करना थोड़ा हास्यास्पद लग सकता है, लेकिन इन घटनाओं के संदर्भ में, क्या उन्हें सुनने के बाद तुम लोगों के कुछ विचार हैं? क्या ऐसा कुछ है जो तुम्हें उनसे समझना चाहिए या लेना चाहिए, कोई ऐसा सबक है जो तुम्हें सीखना चाहिए? जब तुम लोग सुन रहे थे तो तुम सब क्या सोच रहे थे? जो चीजें मैंने सुनाईं क्या वह किसी खास व्यक्ति के लिए थीं? निश्चित रूप से नहीं। लेकिन फिर अगर वे किसी खास व्यक्ति के लिए नहीं थीं, तो मैं उनके बारे में बात क्यों कर रहा हूँ? क्या इसका कोई मतलब है? या यह सिर्फ बेकार की बात है? (ऐसा नहीं है।) चूँकि तुम लोग इसे बेकार की बात नहीं मानते, क्या तुम लोग जानते हो कि मैं इसके बारे में बात क्यों कर रहा हूँ? इस व्यक्ति ने ऐसी चीजें क्यों कीं? उसके व्यवहार की प्रकृति क्या थी? उसका मकसद क्या था? यहाँ पर समस्याएँ क्या हैं? क्या उन्हें संदर्भ के साथ देखने की जरूरत है? अगर तुम लोगों और घटनाओं की प्रकृति की असलियत उनके संदर्भ में जान सको तो तुम सत्य को समझ सकोगे। तुम लोगों को क्या लगता है कि यह सब करने वाले व्यक्ति के इरादे अच्छे थे या बुरे? (अच्छे इरादे थे।) सबसे पहले, एक चीज निश्चित है : उसके इरादे नेक थे। उसके अच्छे इरादों के साथ गलत क्या था? क्या अच्छे इरादों के साथ काम करने का मतलब है कि तुम परवाह करने वाले व्यक्ति हो? (जरूरी नहीं है।) अगर किसी के लिए कुछ करने का मकसद अच्छे इरादे हैं, तो क्या यह जरूरी है कि भ्रष्ट स्वभाव की अशुद्धता नहीं है? ऐसा नहीं होता। इसलिए मैं तुम सब लोगों से पूछता हूँ, अगर तुम अपने माता-पिता का सम्मान करने वाले और उनके प्रति आज्ञाकारी हो, तो तुम इन्हें उनके खाने के लिए क्यों नहीं भेजते? या अगर तुम अपने अधिकारियों और अगुआओं को पसंद और उनकी परवाह करते हो, तो तुम ये चीजें उन्हें खाने के लिए क्यों नहीं देते? तुम ऐसा करने की हिम्मत क्यों नहीं करोगे? ऐसा इसलिए क्योंकि तुम्हें डर है कि कुछ गलत हो जाएगा। तुम अपने माता-पिता, अपने अगुआओं और अपने अधिकारियों को नुकसान पहुँचाने से डरते हो, तो क्या तुम परमेश्वर को नुकसान पहुँचाने से नहीं डरते? तुम्हारे इरादे क्या हैं? तुम्हारी दयालुता में क्या शामिल है? क्या तुम परमेश्वर को धोखा देने की कोशिश कर रहे हो? क्या तुम उसके साथ खेलने की कोशिश कर रहे हो? क्या तुम एक आध्यात्मिक प्राणी होने के नाते परमेश्वर के साथ ऐसी चीजें करने की कोशिश करोगे? अगर तुम देखते हो कि परमेश्वर की देह सामान्य मानवता की है और उसका भय मानने के बजाय तुम ऐसी चीजें करने की हिम्मत करते हो तो क्या तुम्हारे पास परमेश्वर का भय मानने वाला हृदय होगा? अगर तुम्हारे पास परमेश्वर का भय मानने वाला हृदय नहीं है, तो क्या ऐसी चीजें करना वास्तव में परवाह करने वाला होना है? यह परवाह करना नहीं है : यह परमेश्वर को धोखा देना और उसके साथ खेलना है और यह तुम्हारा बहुत ही दुस्साहसी होना है! अगर तुम वास्तव में एक जिम्मेदार व्यक्ति हो, तो पहले तुम ही कुछ खाते और चखते क्यों नहीं, ताकि परमेश्वर के सामने लाने से पहले यह सुनिश्चित हो जाए कि इसमें कुछ गलत नहीं है? अगर तुम इसे बिना चखे और खाए सीधे परमेश्वर के पास ले आते हो तो क्या यह परमेश्वर के साथ खिलवाड़ नहीं है? क्या तुम्हें नहीं लगता कि ऐसा करके तुम परमेश्वर के स्वभाव को नाराज कर रहे हो? क्या यह ऐसा कुछ है जिसे परमेश्वर भूल सकता है? भले ही तुम इसे भूल भी जाओ, परमेश्वर नहीं भूलेगा। ऐसा कुछ भी करते समय तुम्हारे दिमाग में क्या चल रहा होता है? तुमने इसे नहीं चखा और तुम्हारे पास कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, फिर भी तुम इसे परमेश्वर को देने की हिम्मत करते हो। क्या यह जिम्मेदारीपूर्ण व्यवहार है? अगर तुम परमेश्वर को नुकसान पहुँचा दो, तो तुम क्या जिम्मेदारी वहन करोगे? भले ही कानून तुम्हारे साथ नहीं निपटे, परमेश्वर तुम्हें अनंत काल तक सज़ा देगा। तुम इस कबाड़ को अविश्वासी अगुआओं और अधिकारियों को देने लायक भी नहीं समझते हो और तुम इसे अशोभनीय मानते हो, तो इसे परमेश्वर को देने के पीछे तुम्हारे इरादे कैसे होंगे? क्या मेरी कीमत इतनी कम है? अगर तुम अपने बॉस को जंगली साग का एक थैला देते, तो वह क्या सोचता? “क्या मैं इसी लायक हूँ? लोग मुझे धन और नामी चीजें देते हैं और तुम मुझे मुट्ठी भर खरपतवार दे रहे हो?” क्या तुम ऐसा करने में सक्षम होते? निश्चित रूप से नहीं। लेकिन अगर तुम ऐसा करते भी, तुम्हें किस चीज की चिंता करनी होगी? पहली चीज जो तुम्हें सोचनी है, “बॉस को क्या पसंद है? क्या उसे इस चीज की जरूरत है? अगर उसे इसकी जरूरत नहीं है और मैं इसे फिर भी उसे देता हूँ, तो क्या वह मुझे तंग करेगा? क्या वह मुझे काम पर परेशान करेगा और कष्ट देगा? अगर मामला गंभीर हो जाता है, तो क्या वह बहाने और मेरी गलती ढूँढ़कर मुझे नौकरी से निकाल देगा?” क्या तुम इनमें से किसी के बारे में सोचते हो? (मैं सोचता हूँ।) अगर तुम अपने बॉस को खुश करना चाहते हो, तो पहली चीज क्या होगी, जो तुम्हें उसे देनी चाहिए? (कुछ ऐसा जो उसे पसंद हो।) उसे सिर्फ उसकी पसंद की चीज देना काफी नहीं है। उदाहरण के लिए अगर उसे अभी एक कप की जरूरत है, तो क्या तुम उसके लिए एक कप खरीदने के लिए 10 या 20 चीनी युआन खर्च कर सकते हो? (नहीं।) तुम्हें उसे कुछ सोना, चाँदी, कुछ आकर्षक देना होगा। उसे ऐसा कुछ क्यों देना जो तुम अपने लिए नहीं खरीदना चाहोगे? (उसे खुश करने के लिए।) उसे खुश करने का मकसद क्या है? सबसे पहले, कम से कम वह तुम्हें अपने संरक्षण में ले सकता है और अपनी ताकत से वह तुम्हारी रक्षा कर सकता है और तुम्हारी नौकरी और वेतन को स्थिर और सुरक्षित बना सकता है। कम से कम वह तुम्हारे लिए मुश्किलें खड़ी नहीं करेगा। इसलिए तुम उसे कभी भी अज्ञात जंगली घास का तोहफा नहीं दोगे। क्या ऐसा नहीं है? (हाँ, है।) तुम वैसा अपने बॉस के साथ भी नहीं कर सकते, तो फिर खरपतवार देने वाले व्यक्ति ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया? क्या उसने नतीजों के बारे में सोचा? उसने निश्चित रूप से नहीं सोचा। और क्यों नहीं? कुछ लोग कहेंगे, “क्योंकि तुम हमें कष्ट नहीं देने वाले।” क्या यह इतना आसान है? क्योंकि मैं उसे परेशान नहीं करने वाला हूँ, बस इतना ही? उसने इस तरह की चीजें देने की हिम्मत कैसे की? (उसने सोचा कि उसके इरादे नेक हैं।) यह सही है—उसने अपने सारे भद्देपन और दुष्टता को अच्छे इरादों के पीछे छिपा लिया, मतलब, “तुम्हारे लिए मेरे इरादे नेक हैं, लेकिन दूसरों के नहीं! इन सभी जंगली घास की तरफ देखो। इन्हें तुम्हारे लिए किसने खोदा? क्या वह मैं नहीं था?” यह किस तरह का रवैया है? यह किस तरह की मानसिकता है? क्या ये अच्छे इरादे मानवता के अनुरूप हैं? अगर वे मानवता के अनुरूप भी नहीं हैं, तो क्या वे सत्य के अनुरूप हो सकते हैं? (नहीं हो सकते।) वे सत्य से और दूर नहीं हो सकते हैं! ये अच्छे इरादे क्या हैं? क्या वे सच में अच्छे इरादे हैं? (नहीं हैं।) तो उनमें किस तरह का रवैया शामिल है? उनमें किस तरह की अशुद्धियाँ और सार हैं? यहाँ तक कि तुम युवा लोग जिन्होंने कम दुनिया देखी है वे भी समझते हैं कि तुम अपने बॉस को किसी भी तरह का तोहफा नहीं दे सकते; तुम्हें नतीजों के बारे में सोचना होगा। इसलिए खास तौर पर अगर 40 या 50 साल की उम्र का अनुभवी व्यक्ति मुझे इस तरह के तोहफे देता है, तो तुम लोगों के विचार में इसकी प्रकृति क्या है? क्या यह हमारे लिए चर्चा करने के लायक है? (हाँ है।) तो जब सारी बातों पर विचार हो चुका, तो इसकी प्रकृति क्या है? उस व्यक्ति ने लापरवाही से मुझे कुछ जंगली साग दिए, बिना यह जाने कि वे क्या हैं, उसने मुझे उन्हें खाने के लिए कहा। जब मैंने कहा कि वे उस तरह के जंगली साग जैसे नहीं दिखते, तो उसने मुझे उन्हें न खाने के लिए कहने में जरा देर नहीं लगाई—और बस इतना ही नहीं है। उसने मुझे खाने के लिए दूसरी तरह के जंगली साग भेजे। मैंने उन्हें नहीं खाया और उसने कहा, “थोड़ा खाकर देखो, वे स्वादिष्ट हैं। मैंने इसे आजमाया है।” यह किस तरह का रवैया है? (यह अपमानजनक और गैरजिम्मेदाराना है।) यह सही है। क्या तुम सभी लोग इस रवैये को महसूस करते हो? (हम करते हैं।) क्या यह नेकनीयत है? यहाँ नेकनीयत कुछ भी नहीं है! उसे बिना कुछ खर्च किए कहीं से कुछ मिल गया और उसने फिर इसे एक प्लास्टिक की थैली में डाल दिया और मुझे दे दिया, मुझसे इसे खाने के लिए कहा। भले ही तुम भेड़ों और खरगोशों को खिलाने के लिए कुछ जंगली साग चुनो, फिर भी तुम्हें सोचना होगा, “क्या इसे खाना जानवरों के लिए जहरीला हो सकता है?” क्या यह ऐसी चीज नहीं है जिस पर तुम्हें विचार करना चाहिए? अगर तुम लोग जानवरों को चारा खिलाते समय जोखिम उठाने को तैयार नहीं हो, तो तुम जंगली साग का कोई भी पुराना गुच्छा उठाकर मुझे खाने के लिए कैसे दे सकते हो? यह किस तरह का स्वभाव है? समस्या की प्रकृति क्या है? क्या तुम लोग समझते हो? अगर ऐसा व्यक्ति मेरे साथ इस तरह का व्यवहार करता है, तो तुम लोगों को क्या लगता है कि वह अपने अधीनस्थों या किसी ऐसे व्यक्ति के साथ कैसा व्यवहार करेगा जिसे वह रास्ते का कोई औसत व्यक्ति मानता है? यह बस लापरवाही से खिलवाड़ करना है। यह कैसा स्वभाव है? यह दुष्ट और शातिराना है। क्या उसे एक अच्छा व्यक्ति माना जा सकता है? (नहीं, उसे नहीं माना जा सकता।) उसे एक अच्छा व्यक्ति नहीं माना जा सकता। लोगों के शरीर और जीवन को गंभीरता से नहीं लेना, उनके साथ जुआ खेलना और उसके बाद कुछ भी महसूस नहीं करना और वास्तव में अंतरात्मा की पीड़ा बिल्कुल नहीं होना, लेकिन बार-बार एक ही काम करने में सक्षम होना : यह वास्तव में अजीब है।

कहानी की शुरुआत में मैंने कुछ ऐसे वचन कहे थे जिन पर तुम लोगों ने शायद ज्यादा ध्यान नहीं दिया होगा। मैंने कहा था कि उन जंगली सागों में से कुछ इंसानों के खाने के लिए थे, कुछ जानवरों के खाने के लिए थे और कुछ इंसानों और जानवरों दोनों के खाने के लिए थे। यह एक “जानी-मानी कहावत” है और इसका एक स्रोत है। क्या तुम जानते हो कि यह कहाँ से आई है? यह एक कहानी का संकेत है। यह उस व्यक्ति से आती है जिसने उस कहानी में कुछ तोहफे दिए थे। यह व्यक्ति पौधारोपण का प्रभारी था और उसने तीन किस्म की मक्की लगाई थी। कौन सी तीन किस्में? वह किस्म जिसे लोग खाते हैं, वह किस्म जिसे जानवर खाते हैं और वह किस्म जिसे लोग और जानवर दोनों खाते हैं : वे तीन। मक्की की यह तीन किस्में काफी दिलचस्प हैं। क्या तुम लोगों ने उनके बारे में पहले सुना है? तुम लोगों ने नहीं सुना है और यह पहली बार था जब मैंने उनके बारे में सुना था—क्योंकि वे दुर्लभ होती हैं। अंत में, क्योंकि उन्हें उगाने वाले लोग बहुत गैर-जिम्मेदार थे, इसलिए तीनों किस्म की मक्की आपस में मिल गईं : जानवरों के खाने वाली लोगों को खिलाई गई, जबकि इंसानों के खाने वाली जानवरों को खिलाई गई। उन्हें खाने के बाद सभी ने शिकायत की कि मक्की खाने लायक नहीं थी, इसका स्वाद अनाज जैसा नहीं था और इसमें थोड़ा घास जैसा स्वाद था। मक्की बोने वाले लोगों ने क्या किया? अपने कर्तव्य को करने में अपनी गैरजिम्मेदारी के कारण उन्होंने जो इंसानों के खाने के लिए था और जो जानवरों के खाने के लिए था, उसे आपस में मिला दिया, फिर कोई भी दोनों को अलग नहीं कर पाया और उन्हें और बीज खरीदने पड़े और उन्हें फिर से बोना पड़ा। तुम सभी लोगों को क्या लगता है कि यह काम कैसे किया गया? क्या इस तरह के लोगों के काम में कोई सिद्धांत नहीं होते? (उनके पास नहीं होते।) अपने काम में क्या वे सत्य की तलाश करते हैं? (वे नहीं करते।) काम करने के इस तरह के रवैये के साथ, हर किसी के प्रति इतना अपमानजनक और गैरजिम्मेदार होकर, इस तरह के लोग परमेश्वर में विश्वास करने के बारे में क्या सोचते हैं? सत्य के प्रति उनका नजरिया क्या है? उनके दिलों में सत्य कितनी अहमियत रखता है? परमेश्वर की पहचान कितनी महत्वपूर्ण है? क्या वे जानते हैं? (वे नहीं जानते।) क्या उन्हें ऐसे बड़े मामलों के बारे में पता नहीं होना चाहिए? फिर वे क्यों नहीं जानते? इसका संबंध उनके स्वभाव से है। वह स्वभाव क्या है? (यह दुष्टता है।) यह दुष्टता है और यह सत्य से विमुख होना है। वे जो करते हैं उसकी प्रकृति के बारे में सचेत नहीं होते और वे कभी भी विचार करने या खोजने की कोशिश नहीं करते, न ही वे काम करने के बाद खुद की जाँच करते हैं। इसके बजाय वे जो चाहते हैं वही करते हैं, सोचते हैं कि जब तक उनके इरादे अच्छे और सही हैं, उन्हें किसी की निगरानी या आलोचना की जरूरत नहीं है; उन्हें लगता है कि उनकी जिम्मेदारियाँ और दायित्व पूरे हो गए हैं। क्या ऐसा है? कुछ लोग कहते हैं, “हम उस कहानी को समझते हैं जो तुमने हमें बताई है, लेकिन हम अभी भी उस हिस्से को नहीं समझ पाए हैं जिसके बारे में हम सबसे अधिक चिंतित हैं और वह है : इस तरह की चीजों के होने के प्रति तुम्हारा रवैया क्या है? ऐसे काम करने वाले व्यक्ति के प्रति तुम्हारा रवैया क्या है? क्या यह क्रोध, तिरस्कार और घृणा है? या तुम इस तरह के व्यक्ति को पसंद करते हो?” (यह घृणा है।) क्या इस तरह की चीज से घृणा नहीं की जानी चाहिए? (करनी चाहिए।) अगर तुम्हारे साथ इस तरह की चीज हो तो तुम लोग क्या सोचोगे? मान लो कि एक दयालु व्यक्ति तुम्हें बार-बार कुछ अज्ञात चीजें देता है और तुम्हें यह समझाने की बहुत कोशिश करता है कि “इन्हें खाओ, ये तुम्हारे शरीर के लिए अच्छी हैं; इन्हें खाओ, ये स्वस्थ बने रहने में तुम्हारी मदद करेंगी; इन्हें खाओ, ये तुम्हारे रूप और जीवन शक्ति में सुधार लाएँगी। मेरी बात सुनना कोई बुरी चीज नहीं है।” अगर जाँच करने पर पता चले कि उन चीजों की कोई कीमत नहीं है, तो तुम क्या सोचोगे? (अगर मैं होती तो शायद मैं ऐसे व्यक्ति से अब और परेशान नहीं होना चाहती; मैं उससे नाराज और निशब्द हो जाती—इस तरह की भावनाएँ होतीं।) ऐसे लोगों से घृणा करनी चाहिए और उनसे नफरत होनी चाहिए। और क्या? क्या किसी को गुस्सा, दुख या दर्द महसूस करना चाहिए? (कोई मतलब नहीं है।) कोई मतलब नहीं है, है न? क्या ऐसे लोग नहीं हैं जो कहते हैं, “इस व्यक्ति ने शायद ऐसा इसलिए किया क्योंकि वह सत्य को नहीं समझता”? ज्यादातर लोग सत्य को नहीं समझते, फिर भी उनमें से कितने लोग ऐसी चीजें करने में सक्षम हैं? क्या लोग एक दूसरे से अलग नहीं होते? (वे अलग होते हैं।) लोग अलग-अलग होते हैं। यह वैसा ही है जैसे लोग एक दूसरे के साथ व्यवहार करते हैं : जब भौतिक सामान का आदान-प्रदान होता है, तो कुछ लोग निष्पक्षता और तर्कसंगतता चाहते हैं। भले ही वे लोग दूसरे पक्ष को उनका थोड़ा-बहुत फायदा उठाने दें, लेकिन इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता—इस तरह से उनका रिश्ता कायम रहता है; उनमें मानवता होती है और उन्हें लगता है कि थोड़ा-बहुत नुकसान उठाना कोई बड़ी परेशानी की बात नहीं है। दूसरे लोगों में मानवता की कमी होती है और वे हमेशा दूसरों का फायदा उठाना पसंद करते हैं : दूसरों के साथ उनका व्यवहार सिर्फ दूसरों की कीमत पर फायदा उठाने और लाभ कमाने के लिए होता है। अगर वे तुमसे कुछ फायदा उठा सकते हैं, तो वे तुम्हें खुश करेंगे और तुम्हारे साथ संबंध बनाए रखेंगे, लेकिन अगर वे ऐसा नहीं कर सकते, तो वे तुम्हें दूर कर देंगे। वे तुम्हारे प्रति कोई ईमानदारी नहीं दिखाते; ऐसे लोगों में कोई मानवता नहीं होती।

आज बताई गई कहानी में तोहफे देने वाले लोगों के प्रकार के बारे में तुम लोग क्या सोचते हो? ऐसे लोग चीजों का तोहफा क्यों देते हैं? क्या यह कोई संयोग है? अगर यह कई वर्षों के दौरान एक बार हुआ तो यह संयोग हो सकता है, लेकिन क्या इसे तब भी संयोग माना जा सकता है अगर एक ही चीज एक मौसम में चार बार होती हो? (यह संयोग नहीं हो सकता।) उसका यह व्यवहार अचानक नहीं था, न ही उस तरह के स्वभाव को क्षणिक खुलासा और भ्रष्टाचार की अभिव्यक्ति कहा जा सकता है। तो उसके व्यवहार की प्रकृति क्या थी? जैसा कि हमने पहले कहा, उसका व्यवहार अपमानजनक, गैरजिम्मेदार, लापरवाह, जल्दबाजी वाला और आवेगपूर्ण था और एक असभ्य स्वभाव का था। तो उसने ऐसा क्यों किया? उसने वे चीजें किसी और को क्यों नहीं दीं, बल्कि सिर्फ मुझे ही क्यों दीं? मेरी अलग पहचान और स्थिति ने मुझे यह तोहफे पाने के लायक बनाया। क्या इससे उपहार देने वाले व्यक्ति का इरादा और उसके द्वारा किए गए काम की प्रकृति स्पष्ट हो जाती है? उसका मकसद क्या था? (लल्लो-चप्पो कर अनुग्रह पाना।) यह सही है। उसके इस लल्लो-चप्पो करने का वर्णन करने के लिए सबसे सटीक शब्द क्या है? यह एक घटिया चाल है : लल्लो-चप्पो कर अनुग्रह पाना और मौकापरस्ती। यह लल्लो-चप्पो कर तुमसे अनुग्रह प्राप्त करने का एक चतुर तरीका है, तुम्हें उस गड्ढे में फँसाना जो उसने खोदा है और तुम्हें एहसास न होने देना और तुम्हें उसके बारे में एक अच्छी भावना देना जबकि वास्तव में वह बिल्कुल भी सच्चा नहीं है—वह बिना कोई कीमत चुकाए अपने मकसद को हासिल करना चाहता है। उसने नतीजों के बारे में कोई विस्तृत विचार किए बिना ऐसा किया और तुम्हें कुछ ऐसा दिया जो उसने मुफ्त में पाया था, जिससे तुम्हें लगे कि उसे परवाह है और यह तुम्हें बहकाकर खुश करना है। इसका वास्तव में क्या मतलब है? इसका मतलब है कि एक पैसा भी खर्च किए बिना उसने तुम्हें यह महसूस कराया है कि तुमने उसके खर्च पर बहुत लाभ उठाया है, जो स्पष्ट रूप से तुम्हें मूर्ख बनाना है। क्या इसका यही मतलब नहीं है? वह मन में सोच रहा है, “मैं एक भी पैसा खर्च नहीं कर रहा हूँ और मैं कोई विशेष प्रयास नहीं कर रहा हूँ; मैं तुम्हारे प्रति कतई ईमानदार नहीं हूँ। मैं तुम्हें बस कुछ ऐसा दूँगा जिससे तुम मुझे याद रखो, ताकि तुम मुझे दयालु, ख्याल रखने वाला और वफादार समझो और सोचो कि मेरे दिल में तुम्हारे लिए प्यार है।” तुम्हें यह गलत तरीके से विश्वास दिलाना कि वह ऐसा ही है, एक घटिया चाल है और यह अवसरवाद भी है। बिना कोई कीमत चुकाए या बिना किसी ईमानदारी के सबसे बड़े लाभ और सबसे बड़े फायदे के लिए सबसे घटिया तथाकथित दयालुता का इस्तेमाल करना एक घटिया चाल है। क्या तुम लोगों में से कोई ऐसा करेगा? हर कोई करता है—बस इतनी सी बात है कि तुम लोगों ने वह काम नहीं किया जो उसने किया, लेकिन अगर तुम लोगों को मौका मिले तो तुम भी ऐसा ही करोगे। इस तरह के लोगों से निपटने के दौरान मैंने यही पहली चीज निष्कर्ष के रूप में निकाली है, यानी कि वे घटिया चालें चलने में बहुत अच्छे हैं। वे परमेश्वर पर विश्वास नहीं करते; वे जिसका अनुसरण करते हैं वह कोई ऐसा व्यक्ति है जिसके बारे में उन्हें लगता है कि वह उनका भला करेगा, उन्हें आशीष देगा और जो अनुसरण करने लायक है। इस एक घटना ने इस प्रकार के व्यक्ति की आस्था और वे वास्तव में जो हैं, उसकी सच्चाई को पूरी तरह से उजागर कर दिया है। ऐसे लोगों की परमेश्वर के प्रति प्रेम, वफादारी और समर्पण की समझ बहुत सरल होती है और वे परमेश्वर की स्वीकृति पाने और आशीष प्राप्त करने के लिए घटिया चाल चलना चाहते हैं। क्या वे परमेश्वर के प्रति ईमानदार हैं? क्या वे किसी भी तरह से परमेश्वर का भय मानते हैं? (वे नहीं मानते हैं।) फिर अन्य चीजें तो और भी अधिक बेमानी हैं। यह पहली चीज है जो मैंने निष्कर्ष के रूप में निकाली है। तुम लोगों के विचार में क्या मैं सही हूँ? (तुम सही हो।) क्या मैं उसे अनुचित रूप से लेबल कर रहा हूँ? क्या मैं राई का पहाड़ बना रहा हूँ? बिल्कुल नहीं। उसके सार के अनुसार यह उससे कहीं अधिक गंभीर है। और कुछ नहीं तो कम से कम वह परमेश्वर को धोखा तो दे ही रहा है और उसके साथ खेल रहा है।

दूसरी चीज जिसका मैंने निष्कर्ष निकाला है, वह यह है कि ऐसे लोगों से क्या देखा जा सकता है। मनुष्य का हृदय खौफनाक है! मुझे बताओ, यह डर क्या है? मैं क्यों कहता हूँ कि मनुष्य का हृदय खौफनाक है? (यह व्यक्ति आशीष पाने के अपने इरादे और इच्छा को संतुष्ट करने के लिए स्वयं को परमेश्वर का अनुग्रही बनाता है, और फिर गैर-जिम्मेदार हो जाता है और यह नहीं सोचता कि उसके इन चीजों को खाने के बाद परमेश्वर की देह का क्या होगा या इसके क्या परिणाम होंगे। वह जब अपने परिवार को खाने के लिए कुछ भी देता है, तो हमेशा उसके परिणामों पर विचार करता है, लेकिन जब वह परमेश्वर को कुछ देता है, तो वह परिणामों के बारे में बिल्कुल भी नहीं सोचता। ऐसा वह पूरी तरह से अपने उद्देश्यों को पाने के लिए स्वयं को परमेश्वर के प्रति अनुग्रहशील बनाकर करता है, चाहे उसके तरीके उचित हों या अनुचित; कोई भी देख सकता है कि वह विशेष रूप से स्वार्थी और नीच है, उसके हृदय में परमेश्वर के लिए कोई जगह नहीं है, और वह परमेश्वर के साथ परमेश्वर जैसा व्यवहार नहीं करता।) इसका निहितार्थ देखें तो क्या इसका मतलब यह नहीं है कि वह मेरे साथ एक इंसान की तरह व्यवहार नहीं करता? क्या इसे ऐसे कहा जा सकता है? (कहा जा सकता है।) कितने खौफनाक इरादे हैं उसके! (हाँ, वह परमेश्वर को धोखा नहीं देगा, भले ही वह परमेश्वर को अपना रिश्तेदार ही क्यों न मानता हो।) यह वास्तव में खौफनाक है। अगर कोई तुम्हारा दोस्त होता, तो क्या वह तुम्हारे साथ ऐसा व्यवहार करता? वह ऐसा नहीं करता। वह तुम्हें बताता कि क्या खाना अच्छा है, और अगर कुछ खाने के दुष्प्रभाव होते हैं, तो वह उसे खाने से तुम्हें कड़ाई से मना करता; ऐसा तो दोस्त भी कर सकते हैं। लेकिन क्या यह व्यक्ति ऐसा कर सकता है? नहीं। चूँकि उसने मेरे साथ ऐसा किया, तो वह निश्चित रूप से तुम लोगों के साथ भी ऐसा ही करेगा। उसके बारे में और क्या-क्या डरावनी बातें हैं? (वह बहुत ज्यादा हिसाब-किताब रखता है। वह इसे बाहरी गर्मजोशी से छिपा लेता है, लेकिन अंदर से वह साजिश रच रहा होता है, सबसे सस्ती चीज से वह सबसे ज्यादा फायदा उठाने की कोशिश कर रहा होता है, और यह भयानक लगता है।) इसे इस तरह देखना अच्छा है। तुमने पहले जो उल्लेख किया है वह उसका स्वार्थी पक्ष है, जबकि यह उसकी साजिश को संदर्भित करता है। तुम सब लोगों ने जो कहा है, उसके अनुसार ये चीजें कहाँ से आती हैं जो किसी व्यक्ति के अंदर गहराई में होती हैं, ये चीजें जो उसकी मानवता से प्रकट होती हैं, वे चीजें जिन्हें वह छूने में सक्षम या अक्षम होता है, और जिन्हें दूसरे लोग देख सकते हैं या नहीं देख सकते या जिनकी व्याख्या नहीं कर सकते? क्या उन्हें किसी के माता-पिता द्वारा सिखाया जाता है? क्या उन्हें स्कूल में पढ़ाया जाता है? या उन्हें समाज द्वारा पोषित किया जाता है? वे कैसे आती हैं? एक बात तो निश्चित है : वे कुछ जन्मजात होती हैं। मैं ऐसा क्यों कहता हूँ? जन्मजात चीजें किससे संबंधित होती हैं? वे किसी व्यक्ति के प्रकृति सार से संबंधित होती हैं। तो उसके लिए इस तरह से सोचना, क्या यह लंबे समय तक चला पूर्व-चिंतन था, या अचानक पैदा हुई सनक थी? क्या वह किसी और को ऐसा करते हुए देखकर प्रेरित हुआ था, या उसे कुछ विशेष परिस्थितियों में ऐसा करने की जरूरत पड़ी थी? या मैंने ऐसा करने का उसे निर्देश दिया था? इनमें से कुछ भी नहीं था। हालाँकि बाहरी तौर पर ये छोटी-छोटी चीजें साधारण लग सकती हैं, लेकिन इनमें से हर चीज के पीछे की प्रकृति असाधारण होती है। क्या ये काम करने वाला व्यक्ति इन कामों को करने के परिणामों का एहसास करने में सक्षम था? वह नहीं था। क्यों नहीं? मान लो कि तुम अपने बॉस को देने के लिए रास्ते के स्टॉल से कोई सस्ता सामान खरीद लेते हो। इसे देने से पहले क्या तुम्हें मामलों का मूल्यांकन नहीं करना चाहिए और खुद से पूछना चाहिए, “क्या बॉस को यह सामान रास्ते के स्टॉल पर मिल सकता है? क्या वह ऑनलाइन जाकर पता लगा सकता है कि इसकी कीमत कितनी है? क्या कोई उसे इसका खुलासा कर सकता है कि इसकी कीमत कितनी है? इसे देखने के बाद वह मेरे बारे में क्या सोचेगा?” क्या ये ऐसी चीजें नहीं हैं जिनका तुम्हें मूल्यांकन करना होगा? तुम पहले इसका मूल्यांकन करोगे और उसके बाद इसे खरीदोगे। अगर इसका मूल्यांकन करने के बाद तुम्हें लगता है कि इस चीज को उपहार में देने के विपरीत परिणाम होंगे, तो क्या तुम उसे फिर भी दे दोगे? निश्चित रूप से नहीं दोगे। अगर तुम्हें लगता है कि यह सामान बॉस को देना सस्ता पड़ेगा और इससे तुम्हारे बॉस को खुशी होगी, तो तुम निश्चित रूप से इसे दे दोगे। लेकिन कहानी में इस व्यक्ति ने इनमें से किसी भी चीज का मूल्यांकन नहीं किया, तो वह क्या सोच रहा था? वह बस यही सोच रहा था कि अपने इरादे पूरे करने का यही एकमात्र तरीका है। अब इसका विश्लेषण करने पर इस मामले की प्रकृति उभर कर आती है। इस मामले की प्रकृति के माध्यम से क्या देखा जा सकता है? लोगों के संपर्क के माध्यम से देखा जाने वाला दूसरा नतीजा यह है कि उनके हृदय खौफनाक होते हैं। क्या इस बात के बारे में कोई निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि ऐसे लोग किस तरह के भ्रष्ट स्वभाव को प्रकट करते हैं, चाहे वह जानबूझकर हो या अनिच्छा से? मनुष्य का हृदय इतना खौफनाक क्यों होता है? क्या इसलिए कि यह बहुत असंवेदनशील है? असंवेदनशील व्यक्ति वह होता है जिसमें बोध की कमी होती है। क्या उन्हें असंवेदनशील कहना सही होगा? (नहीं होगा।) तो क्या यह अज्ञानता के कारण होता है? (ऐसा नहीं है।) तो फिर आखिरकार इसका कारण क्या माना जाए? लोगों के दुष्ट स्वभाव को इसका कारण माना जाना चाहिए। मुझे तुम लोगों को बताना है कि लोगों का खौफ कहाँ होता है : यह इस तथ्य में होता है कि उनके हृदयों में राक्षस रहते हैं। तुम सब लोग इस बारे में कैसा महसूस करते हो? मैं क्यों कहता हूँ कि लोगों के हृदयों में राक्षस रहते हैं? तुम लोगों की समझ क्या है? क्या तुम लोगों को नहीं लगता कि यह एक खौफनाक कथन है? क्या तुम इसे सुनकर भयभीत नहीं होते? तुम लोगों को पहले नहीं लगता था कि तुम लोगों के हृदय में राक्षस रहते हैं; तुम्हें बस लगता था तुम्हारा भ्रष्ट स्वभाव है लेकिन तुम्हें नहीं पता था कि तुम्हारे अंदर राक्षस रहते हैं। अब तुम्हें पता चल गया है। क्या यह एक गंभीर समस्या नहीं है? क्या तुम लोगों को लगता है कि मैंने सही समझा है? (हाँ, सही समझा है।) क्या यह समस्या की जड़ तक नहीं पहुँचता? (हाँ, पहुँचता है।) इस बात पर विचार करो कि मैंने क्यों कहा कि लोगों के हृदयों में राक्षस रहते हैं। इस बारे में सोचो : क्या अंतरात्मा और विवेक वाला व्यक्ति इस तरह से परमेश्वर को धोखा देगा? क्या यह परमेश्वर के प्रति समर्पण है? यह आँखें तरेरकर परमेश्वर का विरोध करना है और उसके साथ बिल्कुल भी परमेश्वर जैसा व्यवहार नहीं करना है। अब जबकि मानवजाति को बचाने के लिए परमेश्वर धरती पर आ चुका है, तो मनुष्य और परमेश्वर के बीच क्या संबंध है? क्या यह वरिष्ठ और अधीनस्थ का है? दोस्ती का है? रिश्तेदारी का है? वास्तव में यह किस तरह का संबंध है? तुम लोग इस संबंध को कैसे सँभालते और देखते हो? परमेश्वर के साथ जुड़ने और उसके साथ मिलकर चलने के दौरान तुम लोगों को किस तरह की मानसिकता रखनी चाहिए? परमेश्वर के साथ मिलकर चलने के लिए तुम्हें अपने हृदय में क्या रखना चाहिए? (भय।) भय सभी को अवास्तविक लगता है। (खौफ।) खौफ को हासिल नहीं किया जा सकता। अगर तुम मेरे साथ एक साधारण व्यक्ति की तरह व्यवहार करते हो—केवल एक परिचित की तरह, एक-दूसरे को अच्छी तरह से नहीं समझते, और अभी तक दोस्त बनने लायक भी नहीं हो—तो हमारे बीच संबंध सौहार्दपूर्ण और दोस्ताना कैसे हो सकता है? अंतरात्मा की समझ रखने वाले व्यक्ति को पता होना चाहिए कि ऐसी चीजें उचित तरीके से कैसे की जाती हैं। (सम्मान की जरूरत होती है।) यह न्यूनतम है जो तुम में होना चाहिए। मान लो कि दो लोग मिलते हैं : वे अभी तक एक-दूसरे से परिचित नहीं हैं और एक-दूसरे के नाम भी नहीं जानते हैं। अगर उनमें से एक देखता है कि दूसरा व्यक्ति भोला है और उसके साथ खेलना चाहता है, तो क्या यह बदमाशी नहीं है? अगर थोड़ा भी सम्मान नहीं है, तो क्या कोई मानवता बची है? लोगों को एक-दूसरे के साथ मिलकर चलने के लिए, चाहे कोई भी विवाद या संघर्ष क्यों न हो, उन्हें कम से कम एक-दूसरे का सम्मान करना ही चाहिए। सम्मान आचरण करने की प्राथमिक सामान्य बुद्धि है, और सभी मनुष्यों के बीच थोड़ा-बहुत सम्मान होता है। तो, क्या कोई व्यक्ति परमेश्वर के साथ संवाद करता है तो क्या यह सम्मान तब भी होता है? अगर तुम इस बिंदु तक भी नहीं पहुँच सकते तो वास्तव में तुम्हारे दिमाग में परमेश्वर और तुम्हारे बीच क्या संबंध है? कोई संबंध ही नहीं है, फिर—यहाँ तक कि किसी बाहरी व्यक्ति का भी नहीं। इसलिए जिस व्यक्ति ने उपहार दिए वह परमेश्वर के साथ इस तरह से व्यवहार करने में सक्षम था : न सिर्फ उसने परमेश्वर का सम्मान नहीं किया, बल्कि वह उसे धोखा भी देना चाहता था। अपने हृदय में, उसने यह महसूस नहीं किया कि परमेश्वर का सम्मान किया जाना चाहिए, या उसकी सेहत और उपहार में दी गई चीजों के खाने से होने वाले नतीजों पर सावधानी और सूक्ष्म तरीके से विचार किया जाना चाहिए—यह बातें उसके विचारों के दायरे में नहीं थीं। उसके लिए सिर्फ चालें चलना ही काफी था, ताकि वह परमेश्वर को अपने पक्ष में कर सके; उसके लिए सबसे अच्छी बात परमेश्वर को धोखा देने में सक्षम होना था। यही उसका हृदय था। क्या मनुष्य के लिए ऐसा हृदय होना भयानक नहीं है? यह खौफनाक है!

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