अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ (9) खंड तीन
VI. संपत्ति प्रबंधन
मद छह, संपत्ति प्रबंधन। वैसे तो संपत्ति प्रबंधन के कार्य में सुसमाचार कार्य या विभिन्न प्रकार के पेशेवर कार्यों की तरह बार-बार कार्य-व्यवस्थाएँ जारी नहीं की जाती हैं, फिर भी परमेश्वर के घर में इसके लिए विशिष्ट कार्य-व्यवस्थाएँ हैं। संपत्ति प्रबंधन में क्या शामिल है? इसमें शामिल है कि संपत्तियाँ कैसे रखी जाती हैं, वे कहाँ रखी जाती हैं, उन्हें कौन प्रबंधित करता है, और जब खतरा या प्रतिकूल परिवेश, साथ ही इस तरह के दूसरे विशेष हालात उत्पन्न होते हैं तो उन्हें कैसे आवंटित, प्रबंधित और स्थानांतरित किया जाता है। दरअसल कार्य-व्यवस्थाओं में इन सभी चीजों से संबंधित अनुबंध निहित हैं और जब कार्य की इस मद की बात आती है तो अगुआओं और कार्यकर्ताओं को इस प्रतीक्षा में नहीं रहना चाहिए कि ऊपरवाला सीधे आदेश देगा या कार्य-व्यवस्थाएँ जारी करेगा और सिर्फ तभी वे निष्क्रिय रूप से संपत्तियों का प्रबंधन करना शुरू करेंगे। अगर ऐसी कोई तत्काल कार्य-व्यवस्था नहीं है जो तुमसे संपत्तियों को एक विशिष्ट तरीके से सँभालने की अपेक्षा करती है और विशेष परिस्थितियों में जब तुम्हें यह नहीं पता होता है कि संपत्तियों को कैसे सँभालना है और तुम ऊपरवाले से समय पर प्रतिक्रियाएँ प्राप्त करने में समर्थ नहीं होते तो तुम्हें क्या करना चाहिए? सुरक्षा पहली प्राथमिकता है और परमेश्वर के घर की संपत्तियों की रक्षा करना तुम्हारी जिम्मेदारी है। जब परमेश्वर के घर द्वारा मुद्रित परमेश्वर के वचनों की किताबों, साथ ही सभी प्रकार की मशीनों, खाद्य पदार्थों, धन और इसी तरह की दूसरी संपत्तियों की बात आती है तो अगुआओं और कार्यकर्ताओं को उन सभी को परमेश्वर के घर की व्यवस्थाओं के अनुसार सुरक्षित जगहों पर रखना चाहिए और इन चीजों में नमी नहीं आने देनी चाहिए, फफूँद नहीं लगने देनी चाहिए या इन्हें कीड़ों द्वारा खाए जाने नहीं देना चाहिए, और उन्हें कुकर्मियों या बड़े लाल अजगर द्वारा जब्त किए जाने की अनुमति तो बिल्कुल नहीं देनी चाहिए। इसके अलावा, परमेश्वर के घर की इन संपत्तियों का अच्छी तरह से प्रबंधन करने के अलावा अगुआओं और कार्यकर्ताओं को सख्त गोपनीयता भी बनाई रखनी चाहिए; जिन लोगों का इन मामलों से कोई लेना-देना नहीं है, उन्हें समान रूप से इनके बारे में जानने नहीं देना चाहिए और जो लोग इनके बारे में जानते हैं, उन्हें बिल्कुल चुप रहना चाहिए और अविवेकपूर्ण तरीके से नहीं बोलना चाहिए। परमेश्वर के घर में कार्य की इस मद के संबंध में विशिष्ट कार्य-व्यवस्थाएँ हैं और उनमें से कुछ को लिखित रूप में जारी करना या प्रकट करना उचित नहीं है। अगर अगुआ और कार्यकर्ता संपत्ति प्रबंधन का संचालन करने के लिए बेहतर तरीके और विधियाँ पेश करते हैं तो यकीनन, परमेश्वर के घर की संपत्तियों को हर नुकसान से बचाने के लिए उनका अच्छी तरह से प्रबंधन करने और उनकी रक्षा करने के सिद्धांत का पालन करने के दौरान, वे दूसरे अगुआओं और कार्यकर्ताओं के साथ इस मामले पर चर्चा कर सकते हैं और स्वतंत्र रूप से एक फैसला ले सकते हैं। यह कार्य की एक विशेष मद है, और जो लोग चुप नहीं रहते हैं, जिनमें जिम्मेदारी की भावना की कमी है, जिनके उद्देश्य अनुचित हैं, जिन्होंने सिर्फ अभी-अभी विश्वास रखना शुरू किया है और जिनकी आस्था की कोई नींव नहीं है, और जो हमेशा परमेश्वर के घर की संपत्तियों को लालच भरी नजर से देखते हैं, उन्हें एक समान रूप से इसके बारे में जानने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। ये चीजें परमेश्वर के घर की कार्य-व्यवस्थाओं में स्पष्ट रूप से नहीं बताई जा सकती हैं, लेकिन क्या अगुआओं और कार्यकर्ताओं और भरोसेमंद संरक्षकों को इसकी जानकारी नहीं होनी चाहिए? (हाँ, होनी चाहिए।) यहाँ एक विशेष हालात है। मान लो कि एक नए चुने गए अगुआ को परमेश्वर में विश्वास रखते हुए सिर्फ तीन वर्ष हुए हैं, वह अच्छी काबिलियत वाला है, बहुत उत्साही है और वह ऊपरी तौर पर ठीक व्यक्ति दिखता है, फिर भी यह पता नहीं है कि उसका चरित्र कैसा है, वह संपत्ति को कैसे देखता है या वह लालची है या नहीं है। ये चीजें अज्ञात और अनिश्चित हैं और लंबे समय से परमेश्वर में विश्वास रखने वाले भाई-बहन इस व्यक्ति को अच्छी तरह से नहीं जानते हैं, वे इस व्यक्ति को पूरी तरह से नहीं जानते हैं। ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए? जब उसे कार्य सौंपने का समय आता है तो दूसरा सारा कार्य सौंप दिया जाता है—क्या संपत्ति का कार्य उसे सौंप देना चाहिए? (नहीं।) क्यों नहीं? अगुआओं और कार्यकर्ताओं का मुख्य कार्य सिर्फ संपत्तियों का प्रबंधन करना नहीं है; संपत्तियाँ उनके कार्य का सिर्फ एक भाग हैं। अगर संपत्तियों का प्रबंधन करने के लिए वाकई कोई उपयुक्त व्यक्ति है और यह नया चुना गया अगुआ भरोसेमंद नहीं है, तो फिलहाल उसे यह कार्य नहीं सौंपना ही ठीक है, क्योंकि यह पता नहीं है कि वह लंबे समय तक परमेश्वर में विश्वास रखेगा या नहीं या क्या वह दृढ़ रह पाएगा। पहले, किसी को कलीसियाई अगुआ चुना ही गया था कि अपना पद सँभालने के बाद उसने सबसे पहली चीज यह की कि परमेश्वर के चुने हुए लोगों से उन बैंक खातों की खाता संख्याएँ और पासवर्ड माँग लिए जिनमें चढ़ावा रखा जा रहा था। उसने पूछा कि ये बैंक खाता संख्याएँ और पासवर्ड किसके पास हैं और उसने तुरंत यह कार्य उसे सौंप देने के लिए उस व्यक्ति पर दबाव डाला। इस स्थिति में क्या यह कार्य उसे सौंपा जाना चाहिए था? वह किसी भी दूसरे कार्य के बारे में चिंतित या परेशान नहीं था लेकिन वह इस मामले के बारे में विशेष रूप से गंभीर और चिंतित था—क्या वह एक भरोसेमंद व्यक्ति था? यह मत सोचो कि कोई व्यक्ति भरोसेमंद है क्योंकि वह एक अगुआ या कार्यकर्ता है। दरअसल, सिर्फ वही संरक्षक भरोसेमंद होते हैं जो सही मायने में सिद्धांतों के अनुसार चुने जाते हैं—वे परमेश्वर के घर की संपत्तियों की रक्षा करने के लिए अपना जीवन न्योछावर करने में समर्थ होते हैं। ऐसे लोग सबसे भरोसेमंद होते हैं। तो क्या सभी अगुआ और कार्यकर्ता ऐसा करने में सक्षम हैं? ऐसा जरूरी नहीं है। पहले, एक क्षेत्रीय अगुआ को बड़े लाल अजगर ने पकड़ लिया था और उसने कलीसिया के साथ विश्वासघात कर उसकी संपत्तियों के राज उगल दिए जिससे एक बहुत बड़ी मात्रा में कलीसिया की संपत्तियों का नुकसान हुआ था। अगर उसे यह नहीं पता होता कि कलीसिया की संपत्तियाँ कहाँ हैं तो वह यह खुलासा नहीं कर पाता, भले ही पीट-पीटकर उसकी जान ही क्यों ना ले ली जाती, और तब क्या परमेश्वर के घर की संपत्तियों को नुकसान होता? जब वह यातना और भयानक पिटाई बर्दाश्त नहीं कर पाया तो उसने सब कुछ उगल दिया, बिल्कुल इसलिए क्योंकि वह बहुत ज्यादा जानता था, जिससे यह धन बड़े लाल अजगर के हाथों में चला गया। अगर उसे यह जानने नहीं दिया गया होता कि ये संपत्तियाँ कहाँ हैं और अगर उनकी रक्षा करने वाला व्यक्ति भरोसेमंद होता तो क्या परमेश्वर के घर के धन को नुकसान हुआ होता और उसे बड़े लाल अजगर द्वारा जबरन जब्त कर लिया जाता? नहीं, ऐसा नहीं हुआ होता। यह एक गंभीर सबक है। इसलिए, इस कार्य की व्यवस्था की बात आने पर सबसे महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि सुरक्षा सर्वोपरि है, नुकसानों को बिल्कुल न्यूनतम रखा जाना चाहिए, और कार्य उसी तरीके से किया जाना चाहिए जो सुरक्षित हो। परमेश्वर के घर की संपत्तियों का प्रबंधन करने के लिए कोई ऐसा व्यक्ति ढूँढ़ो जो उनका प्रबंधन करने में वफादारी दिखाए—यही कार्य करने का सबसे भरोसेमंद तरीका है। वैसे यह व्यक्ति कुछ और नहीं कर सकता है, वह वफादार होगा और जब धन की रक्षा करने की बात आती है तो वह यकीनन सक्षम होगा, इसलिए संपत्तियों की रक्षा करने के लिए इस व्यक्ति का उपयोग करना सही है। क्योंकि कार्य की यह मद एकल कार्य है, इसलिए इसके लिए व्यवस्थाएँ बहुत ही सरल हैं : संपत्तियों की रक्षा करने के लिए सही लोग ढूँढ़ो और उन्हें रखने के लिए एक सुरक्षित जगह ढूँढ़ो। इसके अलावा, परमेश्वर के घर की कार्य-व्यवस्थाओं में परमेश्वर के घर की संपत्तियों के आवंटन और खर्च के संबंध में भी विशिष्ट अनुबंध हैं; धन जरूरी खर्चों पर खर्च किया जा सकता है लेकिन अनावश्यक खर्चों पर नहीं। एक और चीज है, जो यह है कि संपत्तियों से संबंधित खर्चों के लिए एक सख्त विनियामक प्रणाली है और परमेश्वर के घर में विभिन्न प्रक्रियाओं और कार्यप्रणालियों के लिए विशिष्ट अनुबंध हैं, जिनके लिए कई व्यक्तियों के हस्ताक्षरों की जरूरत होती है, वगैरह। प्रबंधन करना, सुरक्षा करना, खर्च करना और लेखा-जोखा रखना—इन सभी चीजों के लिए विशिष्ट कार्य-व्यवस्थाएँ हैं।
VII. स्वच्छता कार्य
मद सात, स्वच्छता कार्य। परमेश्वर का घर कार्य की इस मद के लिए भी लगातार विशिष्ट कार्य-व्यवस्थाएँ बना रहा है। एक लिहाज से कार्य व्यवस्थाएँ परमेश्वर के घर के कार्य की जरूरतों के आधार पर बनाई जाती हैं और दूसरे लिहाज से वे अलग-अलग प्रकार के लोगों के वर्गीकरण और परिभाषा के अनुसार, साथ ही अलग-अलग प्रकार के लोगों का खुलासा होने के बाद उनकी अभिव्यक्तियों के आधार पर हर एक व्यक्ति को उसके अपने प्रकार के अनुरूप छाँटने के लिए भी बनाई जाती हैं। परमेश्वर के घर में सभी तरह के मसीह-विरोधियों, कुकर्मियों और छद्म-विश्वासियों को सँभालने के लिए सिद्धांत हैं; कुछ को कर्तव्य करने वालों की श्रेणियों से दूर कर दिया जाता है, कुछ को पूर्णकालिक कर्तव्य वाली कलीसियाओं से दूर कर दिया जाता है और अंशकालिक कर्तव्य वाली कलीसियाओं या साधारण कलीसियाओं में भेज दिया जाता है, कुछ को साधारण कलीसियाओं से दूर कर दिया जाता है और बी समूहों में भेज दिया जाता है, और कुछ ऐसे होते हैं जिन्हें सीधे बहिष्कृत या निष्कासित कर दिया जाता है। परमेश्वर का घर कलीसिया की स्वच्छता के कार्य के लिए बार-बार कार्य-व्यवस्थाएँ बना रहा है, और इसमें उन विभिन्न प्रकार के लोगों से संबंधित विशिष्ट कार्य-व्यवस्थाएँ भी हैं जो दूर किए जाने की शर्तें पूरी करते हैं। अपने कर्तव्य करने में लोगों के रवैयों और अपने कर्तव्य करते समय उनके द्वारा किए गए अपराधों, और साथ ही विभिन्न प्रकार के लोगों में प्रकट होने वाले भ्रष्ट सार के आधार पर, परमेश्वर का घर अंत में इन लोगों को सँभालने के लिए विशिष्ट योजनाएँ बनाता है। इसलिए, परमेश्वर के घर द्वारा विभिन्न प्रकार के कुकर्मियों, छद्म-विश्वासियों और मसीह-विरोधियों को सँभालना पूरी तरह से परमेश्वर के वचनों और सत्य सिद्धांतों के अनुसार किया जाता है और यह पूरी तरह से परमेश्वर के इरादों के अनुरूप किया जाता है। जब इन कार्य-व्यवस्थाओं की बात आती है तो एक लिहाज से सत्य सिद्धांतों पर संगति करना जरूरी है ताकि लोग उन्हें समझें और विभिन्न प्रकार के लोगों को पहचानना सीखें, जबकि दूसरे लिहाज से कलीसियाओं को ये कार्य-व्यवस्थाएँ जारी करना जरूरी है ताकि उन पर संगति की जा सके और उन्हें कार्यान्वित किया जा सके। जो भी हो, कलीसिया की स्वच्छता का कार्य हर हाल में जल्द से जल्द कार्यान्वित किया जाना चाहिए और इसे कभी भी किसी भी सूरत में कतई बाधित नहीं किया जाना चाहिए। यह तब तक जारी रहना चाहिए जब तक कि कलीसिया में एक भी कुकर्मी बचा है। ऐसा नहीं है कि एक बार जब ऊपरवाला यह आदेश देते हुए कि कलीसिया को स्वच्छ किया जाए, एक कार्य-व्यवस्था जारी कर देता है तो अगुआओं और कार्यकर्ताओं को सिर्फ एक समयावधि के लिए ही सफाई का कार्य करने की जरूरत होती है, और अगर सफाई करने के कुछ समय बाद फिर से यह पता चलता है कि कुकर्मी व्यवधान उत्पन्न कर रहे हैं, लेकिन ऊपरवाले ने इसके बारे में कोई कार्य-व्यवस्था नहीं की है तो अगुआओं और कार्यकर्ताओं को उन कुकर्मियों के बारे में परेशान होने या उन्हें दूर करने की जरूरत नहीं है—यह बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं होगा। कलीसिया का स्वच्छता कार्य एक सुव्यवस्थित तरीके से जारी रहना चाहिए; जब तक ऐसे लोग हैं जिन्हें बहिष्कृत या निष्कासित किया जाना चाहिए तब तक स्वच्छता कार्य जारी रहना चाहिए। निष्क्रिय होकर ऊपरवाले द्वारा आदेश दिए जाने या उच्च-स्तर के अगुआओं द्वारा उन्हें तुम्हें संप्रेषित किए जाने की प्रतीक्षा मत करो और निष्क्रिय होकर ज्यादा भाई-बहनों द्वारा किसी की रिपोर्ट किए जाने की प्रतीक्षा मत करो। जैसे ही परमेश्वर के चुने हुए लोग किसी को उजागर करते हैं और उसकी रिपोर्ट करते हैं, अगुआओं और कार्यकर्ताओं को उस मामले की जाँच करना और उसे सँभालना शुरू कर देना चाहिए। अगर अगुआ और कार्यकर्ता रिपोर्ट की चिट्ठी को रोक लेते हैं और मामले को नहीं सँभालते हैं, तो उनकी जाँच की जानी चाहिए और उन्हें सँभाला जाना चाहिए, और अगर वे किसी कुकर्मी को बचाते हुए पाए जाते हैं तो उस कुकर्मी के साथ-साथ उन्हें भी कलीसिया से निष्कासित कर दिया जाना चाहिए। कोई भी अगुआ या कार्यकर्ता जो कलीसिया के स्वच्छता कार्य का निर्वहन नहीं करता है, वह एक नकली अगुआ या कार्यकर्ता है और उसे तुरंत बरखास्त कर दिया जाना चाहिए। यहाँ तक कि अगर वह कुकर्मियों की ढाल बनता है और उनकी रक्षा करता है तो उसे एक मसीह-विरोधी के रूप में वर्णित किया जा सकता है और कलीसिया से बहिष्कृत और निष्कासित किया जा सकता है। ये वही विशिष्ट अनुबंध हैं जो परमेश्वर के घर ने कलीसिया के स्वच्छता कार्य के संबंध में बनाए हैं। कलीसिया का स्वच्छता कार्य एक अत्यावश्यक प्राथमिकता है और इसका गहरा महत्व है। मुझे बताओ, क्या कलीसिया का स्वच्छता कार्य कलीसिया को शुद्ध करने के लिए नहीं किया जाता है? अगर कलीसिया को शुद्ध कर दिया गया है—यानी, अगर कोई कुकर्मी इसमें व्यवधान उत्पन्न नहीं कर रहा है और इसके सदस्यों में कोई छद्म-विश्वासी नहीं मिला हुआ है—तो फिर यह एक सच्ची कलीसिया होगी और यह कलीसियाई जीवन के लिए सर्वोत्तम परिणाम भी देखेगी। क्या यह मसीह के राज्य को साकार करने की तरफ एक और बड़ा कदम नहीं होगा? इस तरह की शुद्ध कलीसिया राज्य का सुसमाचार फैलाने के लिए सबसे फायदेमंद होगी, क्योंकि हर किसी के पास सत्य वास्तविकता होगी, हर कोई परमेश्वर की गवाही देने में समर्थ होगा और परमेश्वर के लोगों के रूप में पूर्ण किया जाएगा और अब वहाँ व्यवधान उत्पन्न करने वाला कोई कुकर्मी नहीं होगा। स्वाभाविक रूप से इस तरह की कलीसिया सबसे धन्य होगी। इसलिए कलीसिया को स्वच्छ करना कार्य की सबसे सार्थक मद है और यह पूरी तरह से उस परिवेश को और अधिक शांतिपूर्ण और कुकर्मियों के व्यवधानों से मुक्त बनाने के लिए की जाती है जिसमें परमेश्वर के चुने हुए लोग अपने कर्तव्य करते हैं। इसके अलावा, परमेश्वर का घर आवारा और निकम्मे लोगों का समर्थन नहीं करता है और यह उन परजीवियों का समर्थन नहीं करता है जो सुख-सुविधाओं में लिप्त रहते हैं और भरपेट निवाले खाते हैं। वे सभी लोग जो बिल्कुल भी कर्तव्य नहीं करते हैं और अपने कर्तव्य करने वाले दूसरे लोगों को परेशान और प्रभावित करते हैं और वे सभी लोग जो गैर-जिम्मेदार टिप्पणियाँ करते हैं, टाँग अड़ाते हैं और कलीसिया में अपने उचित कार्य पर ध्यान नहीं देते हैं, उन्हें भी बहिष्कृत या निष्कासित किया जाना चाहिए। अब सभी अलग-अलग प्रकार के लोगों को पूरी तरह से प्रकट किया जा चुका है, कलीसिया का स्वच्छता कार्य अनिवार्य है और इसे पूरी तरह से और अच्छी तरह से किया जाना चाहिए। ये सभी कुकर्मी, मसीह-विरोधी, छद्म-विश्वासी, निकम्मे और परजीवी लोग जिन्हें बेनकाब किया गया है, वे परमेश्वर द्वारा ठुकराए जाने वाले लोग हैं और वे बचाए नहीं जा सकते हैं। अगर कलीसिया स्वच्छता कार्य नहीं करेगी, तो इससे सुसमाचार फैलाने का कार्य प्रभावित होगा। इसलिए, कलीसिया को साफ करने का कार्य, कार्य की एक महत्वपूर्ण मद है जिसे फिलहाल प्राथमिकता व तात्कालिकता के साथ अच्छी तरह से करने की जरूरत है। सिर्फ वही अगुआ और कार्यकर्ता विकसित किए जाने के लिए योग्य हैं जो कलीसिया का स्वच्छता कार्य अच्छी तरह से कर सकते हैं और अगुआ और कार्यकर्ता बने रह सकते हैं। कोई भी अगुआ या कार्यकर्ता जो कलीसिया के स्वच्छता कार्य में बाधा डालता है, वह एक बाधा और रुकावट है और परमेश्वर के चुने हुए लोगों को उसे उजागर करना चाहिए और उसकी रिपोर्ट करनी चाहिए। सभी स्तरों पर अगुआओं और कार्यकर्ताओं को सबसे पहले कलीसियाई कार्य में आने वाली सभी बाधाओं और रुकावटों को पूरी तरह से दूर करना चाहिए और उनका समाधान करना चाहिए—यह परमेश्वर के इरादों के अनुरूप है। सिर्फ यही कलीसियाई कार्य की विभिन्न मदों की सुचारू प्रगति के लिए और कलीसिया द्वारा परमेश्वर की इच्छा पूरी करने के लिए अनुकूल है ताकि परमेश्वर सारी महिमा प्राप्त कर सके।
VIII. बाहरी मामले
मद आठ, बाहरी मामले। बाहरी मामलों का कार्य, कार्य की एक बड़ी मद नहीं है और ना ही यह कोई छोटी मद है और बाहरी मामलों के संबंध में परमेश्वर के घर की कार्य-व्यवस्थाओं में कई सारे सिद्धांत निहित हैं। इनमें से एक है स्थानीय कानूनों और विशिष्ट स्थानीय विनियमों के बारे में जानना। यानी, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि कलीसिया किसी निश्चित जगह क्या करती है, तुम्हें पहले स्थानीय कानूनों के बारे में जानना चाहिए—यह एक सिद्धांत है। दूसरा सिद्धांत यह है कि जब तुम बाहरी मामलों से जुड़ी किसी ऐसी समस्या का सामना करते हो जो तुम्हें समझ नहीं आती है या जिसके बारे में तुम स्पष्ट नहीं हो, तो तुम्हें किसी वकील और संबंधित कानूनी पेशेवरों से अवश्य सलाह लेनी चाहिए और बिना जानकारी के अकेले ही कोई फैसला नहीं लेना चाहिए; तुम्हें अलग-अलग देशों में अलग-अलग राष्ट्रीय परिस्थितियों के अनुसार मामले सँभालने के लिए विशिष्ट योजनाएँ बनानी चाहिए। तो, ये योजनाएँ कैसे बनाई जाती हैं? तुम्हें वकील की सलाह माननी चाहिए और वकील को फैसले लेने देना चाहिए—अकेले मनमानी राय मत बनाओ या मनमाने फैसले मत लो। हर देश की राष्ट्रीय परिस्थितियाँ, नीतियाँ, कानून और विनियम अलग-अलग होते हैं, इसलिए अपनी कल्पना के आधार पर कार्य मत करो। मिसाल के तौर पर, मान लो कि तुम चीन में सड़क पर किसी को लुटते हुए देखते हो। चीन में कानून में यह प्रावधान है कि कोई भी राहगीर जो इस घटना का गवाह है वह बहादुरी से दखल दे सकता है, पहले चोर को पकड़ सकता है और फिर उसे पुलिस के हवाले कर सकता है। अगर तुम ऐसा करते हो तो तुम एक साहसी हीरो बन जाओगे, तुम्हें कोई कानूनी जिम्मेदारी नहीं उठानी पड़ेगी और तुम्हारी तारीफ की जानी चाहिए। चीन में यही राष्ट्रीय स्थिति और व्यवस्था है और यह चीन में एक तरह की पारंपरिक संस्कृति है—चीनी लोग “पारंपरिक सद्गुण” जैसा श्रुतिमधुर नाम लेकर इसका वर्णन करते हैं। लेकिन पश्चिम में, विशेष रूप से अमेरिका और कनाडा जैसे देशों में, अगर तुम किसी चोर को चोरी करते हुए देखकर उसे तुरंत पकड़ लेते हो और पुलिस के आने की प्रतीक्षा करते हो तो यह गलत है, यह कानून तोड़ना है। ऐसा इसलिए है क्योंकि तुम एक आम नागरिक हो, कानून कार्यान्वित करने वाले अधिकारी नहीं हो और तुम्हें किसी को भी गिरफ्तार करने का कोई अधिकार नहीं है; किसी को गिरफ्तार करने का अधिकार सिर्फ पुलिस को है। जब तुम किसी चोर को चोरी करते हुए देखते हो तो तुम पुलिस को इसकी सूचना दे सकते हो, लेकिन तुम खुद चोर को गिरफ्तार नहीं कर सकते। अगर तुम यादृच्छिकता से किसी चोर को गिरफ्तार करते हो तो तुम गैर कानूनी तरीके से कार्य कर रहे हो—पश्चिम में यही कानून है। पश्चिम में चीनी लोगों के “पारंपरिक सद्गुण” का अभ्यास करना उचित नहीं है; पश्चिम के अपने कानून हैं। अगर तुम पश्चिम में किसी को सड़क पर गिरते हुए देखते हो तो कानून क्या निर्धारित करता है? तुम्हें उसके पास जाना चाहिए और पूछना चाहिए, “क्या तुम ठीक हो? क्या तुम्हें सहायता की जरूरत है?” अगर वह व्यक्ति कहता है कि उसे किसी सहायता की जरूरत नहीं है तो तुम जा सकते हो। अगर तुम किसी को गिरते हुए देखते हो लेकिन तुम उससे यह नहीं पूछते हो कि क्या वह ठीक है या उसकी जाँच नहीं करते हो और बस चलते रहते हो तो तुम कानून तोड़ रहे हो। अगर तुम चीन में ऐसी स्थिति का सामना करते हो तो हो सकता है यह कोई धोखाधड़ी हो, और इसे अनदेखा करने पर तुम्हें कुछ नहीं होगा। अगर तुम पूछते हो, “क्या तुम ठीक हो? क्या तुम्हें सहायता की जरूरत है?” तो यह तुम्हारे लिए परेशानी वाली बात हो सकती है, वह व्यक्ति तुम्हें ठग सकता है और फिर तुम दोबारा कोई अच्छा जीवन जीने के बारे में तो भूल ही जाओ। ये दोनों मामले तुम्हें क्या बताते हैं? अलग-अलग देशों और अलग-अलग जातियों में शिक्षा पूरी तरह से अलग-अलग होती है, ठीक वैसे ही जैसे सामाजिक परिवेश और सामाजिक व्यवस्थाएँ, और, यकीनन, कानून और विनियम अलग-अलग होते हैं। जब बाहरी मामलों के कार्य की बात आती है तो एक लिहाज से यह कार्य करने वाले लोगों को कलीसियाई कार्य से संबंधित कानूनों, विनियमों और प्रावधानों को सटीकता से समझने की जरूरत होती है और दूसरे लिहाज से उन्हें ऐसे कुछ सामान्य जीवन ज्ञान या कानूनी प्रावधानों का भी प्रसार करना चाहिए जिन्हें भाई-बहनों को जानने की जरूरत है। इसलिए, परमेश्वर के घर में कार्य की इस मद के संबंध में कार्य-व्यवस्थाएँ हैं जो इसका निर्वहन करने वालों से यह अपेक्षा करती हैं कि वे कोई भी कार्य करने से पहले हमेशा संबंधित कानून और सरकारी विनियम देख लें। विशेष रूप से जब ऐसे मुद्दों का सामना करना पड़ता है जिन्हें हल करना कठिन है तो उन्हें किसी वकील से सलाह लेनी चाहिए और आँख मूँदकर अपनी राय नहीं बनानी चाहिए या चीनी लोगों की सोच और तर्क के अनुसार समाधान तैयार नहीं करने चाहिए—यह कार्य करने का एक बेवकूफी भरा और अनभिज्ञ तरीका है। एक बार जब तुम ये चीजें समझ जाते हो तो तुम्हें बाहरी मामलों के कार्य का महत्व, यह क्या परिणाम प्राप्त करने के लिए है, और साथ ही ये कार्य-व्यवस्थाएँ बनाना परमेश्वर के घर के लिए कितना आवश्यक है इसका महत्व पता होना चाहिए। कार्य की इस मद का दायरा बहुत बड़ा नहीं है, इसलिए ज्यादातर हालातों में इतना ही पर्याप्त है कि इस कार्य में शामिल कर्मियों में इसकी कार्य-व्यवस्थाओं की स्पष्ट समझ हो। अगर यह कुछ ऐसा है जिसे भाई-बहनों को जानने की जरूरत है तो इसे समझने और उस पर पकड़ बनाने में उनकी सहायता करो। बाहरी मामलों का कार्य बहुत महत्वपूर्ण भी है, क्योंकि अगर भाई-बहन अपने विदेश में रहने और कार्य करने से संबंधित कानूनों और विनियमों को नहीं समझते हैं तो इससे काम नहीं बनेगा। परमेश्वर के घर में इस संबंध में विशिष्ट कार्य व्यवस्थाएँ हैं कि इस लिहाज से क्या अपेक्षित है और इसे सिर्फ कार्य-व्यवस्थाओं के आधार पर कार्यान्वित करना जरूरी है। अगर विशेष हालात उत्पन्न होते हैं तो परमेश्वर का घर कुछ आपातकालीन समाधान तैयार करेगा। अगर कोई कार्य बाहरी मामलों के कार्य से संबंधित है, तो तुम्हें बाहरी मामलों के कर्मियों से सलाह अवश्य लेनी चाहिए और यह देखना चाहिए कि परमेश्वर के घर में उस कार्य से संबंधित क्या विशिष्ट व्यवस्थाएँ हैं, अपनी कल्पना पर आँख मूँदकर भरोसा मत करो और बिना जानकारी के कार्रवाई मत करो। इस तरह से कार्य करने से परेशानी उत्पन्न हो सकती है और इसके जो परिणाम होंगे उनकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। बाहरी मामलों का कार्य भी एकल कार्य है, यह जटिल नहीं है, और तुम्हें कार्य-व्यवस्थाओं में विशिष्ट कार्य से संबंधित अधिकांश मामले ढूँढ़ निकालने में समर्थ होना चाहिए। जब लोग पहली बार विदेश में बाहरी मामलों का कार्य करना शुरू करते हैं तो यह कुछ जटिल लग सकता है लेकिन कुछ समय तक इसे करने के बाद उन्हें मिसालें और तरीके मिल जाते हैं और तब यह उतना जटिल नहीं लगता है। शुरू में, विदेश जाने वाले चीनी लोगों की कूड़ा फैलाने, रात को बहुत देर से सोने, सुबह बहुत जल्दी उठने, उनके कुत्तों के भौंकने से लोगों को परेशानी होने, बालकनी पर कपड़े टाँगने और गलत तरीके से पार्किंग करने के लिए रिपोर्ट की जाती थी—उनकी कई चीजों के लिए रिपोर्ट की जाती थी। आखिरकार, उनकी कई बार रिपोर्ट की गई, पुलिस हमेशा उन्हें मार्गदर्शन देने के लिए उनके घर के दरवाजे खटखटाती थी और सिर्फ बहुत समय बीतने के बाद ही उन्हें यह एहसास हुआ कि वे चीन में नहीं बल्कि विदेश में हैं। धीरे-धीरे, वे सतर्क हो गए, उन्हें कानून की कुछ जानकारी होने लगी और उन्हें जीवन, कार्य, गाड़ी चलाने वगैरह से संबंधित कुछ नियम समझ में आने लगे। जब चीनी लोग पहली बार विदेश गए तो वे इस बारे में सिर्फ कुछ बुनियादी शिष्टाचार ही समझते थे कि उन्हें कैसे व्यवहार करना है और उन्हें ज्यादातर कानूनी मामलों के बारे में कोई सामान्य ज्ञान नहीं था; वे जंगली पशुओं की तरह थे, उन्हें कानून की कोई जानकारी नहीं थी। कुछ वर्षों बाद, उन्होंने कुछ ज्ञान प्राप्त किया और उन्हें कुछ नियम समझ में आ गए जैसे कि उन्हें पालतू बना दिया गया हो और उनमें थोड़ा सुधार हुआ।
IX. कलीसियाई कल्याण
मद नौ, कलीसियाई कल्याण। इससे पहले परमेश्वर के घर ने कलीसियाई कल्याण के संबंध में कार्य-व्यवस्थाएँ बनाईं, और अगर पूर्णकालिक रूप से अपने कर्तव्य करने वाले लोगों या उनके परिवारों को गुजारा करने में सहायता की जरूरत हो तो कलीसियाई अगुआओं को यह मुद्दा हल करना चाहिए। इन कार्य-व्यवस्थाओं में विशिष्ट कार्यान्वयन योजनाएँ और सिद्धांत पाए जा सकते हैं और परमेश्वर के घर ने विशिष्ट कथनों और अनुबंधों का प्रावधान किया है। जिन भाई-बहनों को परमेश्वर में उनके विश्वास के कारण जेल भेज दिया गया है, जिससे उनके परिवारों के दैनिक जीवन में बहुत-सी कठिनाइयाँ उत्पन्न हो गई हैं; जो माता-पिता लंबे समय से घर से दूर अपने कर्तव्य कर रहे हैं और उनके पास अपने बच्चों की देखभाल करने के लिए कोई नहीं है; और जिन बीमार भाई-बहनों ने कई वर्षों तक अपने कर्तव्य किए हैं, उनके संबंध में कलीसिया को इन और ऐसी दूसरी कठिनाइयों के लिए सहायता और समाधान प्रदान करना चाहिए। यहाँ कार्य के इस मद से संबंधित एक विशेष हालात है और वह यह है कि जब कुछ परिवार अपने घरों में भाई-बहनों की मेजबानी करने की शर्तें पूरी करते हैं लेकिन उनके पास आय का कोई स्रोत नहीं होता है—तो भाई-बहनों की मेजबानी के लिए उनके खर्चे कैसे सँभाले जाने चाहिए? यह कलीसियाई कल्याण के कार्य के अंतर्गत आता है। इसके संबंध में अनुबंध कार्य-व्यवस्थाओं में पाए जा सकते हैं, या अगुआ और कार्यकर्ता मेजबानी कार्य पूरा करने के लिए स्थानीय परिस्थिति के अनुसार कलीसियाई संसाधनों को उचित रूप से आवंटित कर सकते हैं—कलीसिया में इन सभी चीजों के लिए विशिष्ट अनुबंध हैं। अगर इन विशिष्ट अनुबंधों के दायरे के बाहर कुछ विशेष हालात उत्पन्न होते हैं तो अगुआ और कार्यकर्ता संगति कर सकते हैं और इस मामले पर चर्चा कर सकते हैं और उस इलाके के सामान्य जीवन स्तरों के आधार पर ठोस, उचित व्यवस्थाएँ कर सकते हैं। वैसे तो यह कार्य की कोई बड़े पैमाने वाली मद नहीं है और ना ही यह कोई बहुत महत्वपूर्ण कार्य है लेकिन यह एक ऐसा कार्य है जो अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियों के दायरे में आता है और इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता है। अगर ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जिसे गुजारा करने के लिए सहारे या आर्थिक मदद की जरूरत हो तो अगुआओं और कार्यकर्ताओं को ऐसे लोग ढूँढ़ने का विशेष प्रयास करने की कोई जरूरत नहीं है जिन्हें इसकी जरूरत हो। अगर ऐसे लोग मौजूद हैं तो अगुआओं और कार्यकर्ताओं को उनसे कतराना नहीं चाहिए और उन्हें अनदेखा तो बिल्कुल नहीं करना चाहिए, चुपचाप एक तरफ खड़े नहीं रहना चाहिए या यह ढोंग नहीं करना चाहिए कि वे उन्हें नजर नहीं आ रहे हैं। उन्हें सिद्धांतों के अनुसार कार्य करना चाहिए—यह उनकी जिम्मेदारी है।
X. आपातकालीन योजनाएँ
मद दस, आपातकालीन योजनाएँ। आपातकालीन योजनाएँ परमेश्वर के घर के कार्य के किसी भी भाग में उत्पन्न होने वाले विशेष मुद्दों का समाधान करती हैं। ऐसी समस्याएँ जिन्हें तुरंत हल करने की जरूरत है, चाहे सुसमाचार कार्य में हों, या प्रशासनिक कार्य में, या पेशेवर कार्य में, या फिर चाहे मसीह-विरोधियों या नकली अगुआओं से जुड़े किसी मामले को सँभाला जा रहा हो, या ऐसी किसी विशेष परिस्थिति को पहचाना जा रहा हो जिसमें लोगों को गुमराह किया गया है, ये सब आपातकालीन योजनाओं की श्रेणी में आते हैं। मिसाल के तौर पर, अगर कोई व्यक्ति विघ्न-बाधाएँ उत्पन्न करता है या अगर कोई मसीह-विरोधी मनमानी और तानाशाही कर रहा है और अपना खुद का राज्य स्थापित करने का प्रयास कर रहा है वगैरह-वगैरह, तो जैसे ही परमेश्वर के घर को यह पता लगता है कि इनमें से किसी भी स्थिति के संबंध में विशिष्ट योजना के लिए एक कार्य-व्यवस्था बनाना उपयोगी है तो वह इसके अनुरूप एक लिखित संप्रेषण तैयार करेगा। आपातकालीन योजनाएँ उस समय कलीसिया में घटित होने वाली कुछ आपातकालीन स्थितियों पर आधारित होती हैं और ऊपरवाला हालातों की गंभीरता के अनुसार विशिष्ट कार्य-व्यवस्थाएँ तैयार करता है और फिर उन्हें जारी और संप्रेषित करता है। यह विशिष्ट योजना कार्य की ऐसी किसी भी मद से संबंधित हो सकती है जिसे अगुआओं और कार्यकर्ताओं को करना चाहिए, जब तक कि यह ऊपरवाले द्वारा व्यवस्थित की जाती है और ऊपरवाला यह अपेक्षा करता है कि अगुआ और कार्यकर्ता इसे कार्यान्वित करेंगे तो फिर अगुआओं और कार्यकर्ताओं को इसे ऊपरवाले की कार्य-व्यवस्थाओं के अनुसार जारी और कार्यान्वित करना चाहिए। उन्हें इन कार्य-व्यवस्थाओं के बारे में बेपरवाह नहीं होना चाहिए। जब ऊपरवाला इस तरह की कार्य-व्यवस्थाएँ तैयार करता है तो वे किसी भी प्रशासनिक कार्य या किसी विशिष्ट पेशेवर कार्य से कमतर नहीं होती हैं। वैसे तो ये कार्य-व्यवस्थाएँ सिर्फ अस्थायी होती हैं, फिर भी अगुआओं और कार्यकर्ताओं को इन्हें औपचारिक कार्य-व्यवस्थाओं की तरह जारी, संप्रेषित और कार्यान्वित करना चाहिए और उन पर अनुवर्ती कार्रवाई करनी चाहिए और बाद में ऊपरवाले को एक विवरण और रिपोर्ट प्रदान करनी चाहिए—यह अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी है। आपातकालीन योजनाएँ कार्य की किसी विशेष मद पर लक्षित नहीं होती हैं, यानी किसी भी समय ऊपरवाला सभी क्षेत्रों में सभी स्तरों के अगुआओं को कोई कार्य सौंप देगा, कुछ अपेक्षा करेगा, या कोई कार्य-व्यवस्था देगा, और अगुआओं और कार्यकर्ताओं को इस तरह का कार्य अनदेखा नहीं करना चाहिए। चूँकि ये कार्य-व्यवस्थाएँ हैं और ये सभी स्तरों के और सभी क्षेत्रों के अगुआओं को जारी की जाती हैं, इसलिए ये ऐसे कार्य हैं जो अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियों के दायरे में आते हैं। अगुआओं और कार्यकर्ताओं को चुपचाप एक तरफ खड़े नहीं रहना चाहिए या कार्य को दायरे के लिहाज से, या इस लिहाज से वर्गीकृत नहीं करना चाहिए कि यह कार्य उनकी जिम्मेदारी है या नहीं, या यह तय करने के लिए कि उन्हें उचित समय पर कार्यान्वित करना है या नहीं, अगुआओं और कार्यकर्ताओं को कार्य-व्यवस्थाओं में ऊपरवाले के लहजे और तात्कालिकता पर अटकलें नहीं लगानी चाहिए। ऐसी चीजें नहीं होनी चाहिए, बल्कि अगुआओं और कार्यकर्ताओं को यह कार्य उसी तरह से करना चाहिए जैसे वे किसी भी औपचारिक कार्य को करते और इसे एक महत्वपूर्ण कार्य और आदेश मानते हुए पूरा करना चाहिए—यह अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी है। विशेष हालातों में आपातकालीन योजनाएँ होती हैं और यह एक ऐसा कार्य है जो विशेष संदर्भों में पूरा किया जाता है। जब कुछ विशिष्ट और विशेष चीजें होती हैं तो ऊपरवाला इन संदर्भों और घटनाओं का उपयोग अगुआओं और कार्यकर्ताओं या भाई-बहनों द्वारा इस अवसर का लाभ उठाए जाने के लिए करेगा ताकि वे ज्यादा व्यावहारिक तरीके से सत्य का उपयोग करके लोगों और चीजों को पहचानने लगें, लोगों और चीजों की असलियत जानने का तरीका सीख जाएँ और सत्य की ज्यादा समझ प्राप्त करें। ऐसा करने का उद्देश्य लोगों को नकली अगुआओं और मसीह-विरोधियों को पहचानने में सक्षम बनाना है। इसके अलावा यह भाई-बहनों को उनके कलीसियाई जीवन के लिए एक शांत, उचित और अबाधित परिवेश पाने में सक्षम बनाने के लिए किया जाता है। दूसरे लिहाज से, यह लोगों को समय पर विभिन्न सबक सीखने और प्रशिक्षण प्राप्त करने में सक्षम बनाने के लिए किया जाता है; इस तरीके से एक बार प्रशिक्षित होने के बाद लोग अपने जीवन में बहुत अच्छी प्रगति करेंगे। यह ऐसा तरीका है जिससे ऊपरवाला भाई-बहनों को और सभी स्तरों के अगुआओं और कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करता है, विशेष रूप से उन भाई-बहनों को जो सत्य का अनुसरण करते हैं। इसमें कोई दुर्भावना नहीं है, ऊपरवाला लोगों को सता नहीं रहा है, या बिना बात का बतंगड़ नहीं बना रहा है। वैसे तो वे आपातकालीन योजनाएँ हैं जो अस्थायी कार्य-व्यवस्थाएँ हैं, फिर भी वे महत्वपूर्ण और मूल्यवान है, और मुझे उम्मीद है कि भाई-बहन और सभी स्तरों के अगुआ और कार्यकर्ता इसे समझ सकते हैं और उन्हें सही तरीके से सँभाल सकते हैं।
हमने कार्य-व्यवस्थाओं की कुल 10 मदें सूचीबद्ध की हैं और अब मैं इन 10 मदों पर मूल रूप से संगति समाप्त कर चुका हूँ। मैंने उन पर बहुत विस्तार से संगति नहीं की है, लेकिन मैंने जो संगति की है वह तुम लोगों को यह समझने में सक्षम बनाने के लिए पर्याप्त है कि कार्य-व्यवस्थाएँ वास्तव में क्या हैं और परमेश्वर का घर कौन-सा विशिष्ट कार्य करता है। दूसरे लिहाज से, तुम्हें यह समझने में सक्षम बना दिया गया है कि परमेश्वर इन विशिष्ट मदों के जरिए कलीसिया में और उन लोगों के बीच वास्तव में क्या कर रहा है जिन्हें उसने चुना है। परमेश्वर के घर का कार्य किसी उद्यम या राजनीति या मानवाधिकारों में भाग लेना नहीं है और ना ही यह किसी व्यावसायिक गतिविधि में भाग लेना है; परमेश्वर के घर द्वारा कार्य की जो मदें की जाती हैं वे वही हैं जो कार्य-व्यवस्थाओं में पाई जाती हैं। और इसलिए, कुछ सत्तारूढ़ राजनीतिक दल और सामाजिक संस्थाएँ हमेशा इस पर नजर रखे हुए हैं, शोध कर रही हैं और यह जाँच कर रही हैं कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के साथ क्या चल रहा है और शायद इसकी जाँच-पड़ताल करके—परमेश्वर के घर के वीडियो और वेबसाइट देखकर—उन्होंने पुष्टि की है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया एक सच्ची आस्था है और यह किसी भी देश की राजनीतिक गतिविधियों में शामिल नहीं है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया ने कई वर्षों से सीसीपी का उग्र उत्पीड़न और आक्रमण सहा है और फिर भी उसने सुसमाचार का उपदेश देना और परमेश्वर की गवाही देना जारी रखा है और उसने परमेश्वर के वचन, सत्य और सभी प्रकार के गवाही वीडियो ऑनलाइन अपलोड किए हैं जिससे मानव समाज को शानदार और बहुत सारे फायदे हुए हैं और यह पूरी तरह से प्रमाणित किया है कि परमेश्वर लगातार सत्य व्यक्त कर रहा है और अंत के दिनों में मानवजाति को बचा रहा है। वे लगातार शोध करते रहते हैं और उन्हें अपने शोध से क्या परिणाम मिलता है? क्या वे बुरी तरह से निराश नहीं होते हैं? उन्होंने इस बात पर भी गहराई से चिंतन किया कि हमारी कलीसिया पर “पंथ” का लेबल लगाने से और कलीसिया को पार्टी-विरोधी और राज्य-विरोधी करार देने से उन्हें क्या फायदे मिल सकते हैं। लेकिन अब वे देखते हैं कि वे ऐसा नहीं कर सकते हैं—पिछले कुछ वर्षों में कलीसिया द्वारा जारी की गई कार्य-व्यवस्थाओं का आकलन किया जाए, तो उनके पास कलीसिया पर ये लेबल लगाने का कोई तरीका नहीं है और उनका सारा शोध बेकार चला गया है। यह ठीक वैसा ही है जैसा पुराने दिनों में जब यहूदियों ने प्रभु यीशु का अध्ययन किया था। शास्त्रियों, फरीसियों और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने प्रभु यीशु ने जो कहा और किया उसका अध्ययन किया और पाया कि उसने ऐसा कुछ नहीं किया जो कानून या राजनीति के खिलाफ हो, प्रभु यीशु ने जो कुछ भी कहा और किया वह सही था, सत्य था और पूरी तरह से पवित्रशास्त्रों के अनुरूप था, और अंत में वे निराश हो गए। अब धार्मिक दुनिया देखती है कि परमेश्वर का घर ज्यादा से ज्यादा फिल्में और अनुभवजन्य गवाही वीडियो बना रहा है और विशेष रूप से परमेश्वर के वचनों की किताबों और गायन की संख्या बढ़ रही है, और इसलिए वे क्या सोचते हैं? अगर वे यह नहीं देख पाते हैं कि ये सभी चीजें परमेश्वर से आ रही हैं तो वे वास्तव में बहुत ही बेवकूफ हैं! परमेश्वर से जो चीज आती है उसे फलना-फूलना चाहिए—यह पवित्र आत्मा के कार्य का परिणाम है, और इसे कोई भी छिपा नहीं सकता है। परमेश्वर के वचन अब पूरी दुनिया में फैल चुके हैं और वह जो सत्य व्यक्त करता है वे सारी मानवजाति के सामने रखे जाते हैं; परमेश्वर का प्रकटन और कार्य शक्तिशाली रूप से आगे प्रवाहित हो रहा है, कोई भी राष्ट्र या शक्ति इसका विरोध नहीं कर सकती है। बड़े लाल अजगर को पहले ही पूरी तरह से शर्मिंदा और पराजित किया जा चुका है! धार्मिक दुनिया चाहे इसकी कैसे भी निंदा क्यों ना करे, वह परमेश्वर के कार्य का विरोध नहीं कर सकती है और अंत में, उसे सिर्फ इस ज्वार-भाटे के प्रवाह से ही हटाया और डुबोया जा सकता है।
अब मैं कार्य-व्यवस्थाओं की मदों पर संगति समाप्त कर चुका हूँ। मैंने जो संगति की है, क्या वह परमेश्वर के घर द्वारा किए गए सारे कार्य पर नहीं है? यह वही कार्य है जिसे तुम लोग अपनी आँखों से देखते हो, जिसे तुम अपने कानों से सुनते हो और जिसे तुम लोग व्यक्तिगत रूप से अनुभव करते हो और सराहते हो—इसमें कुछ भी गोपनीय नहीं है। बड़े लाल अजगर के पास पिछले कुछ वर्षों से कलीसिया की सभी कार्य-व्यवस्थाएँ हैं—उनके पास जो कार्य-व्यवस्थाएँ हैं वे बहुत सारी और व्यापक हैं। वह हर रोज उनका अध्ययन करता है और वह लगातार तब तक उनका अध्ययन करता रहता है जब तक कि अंत में वह इस निष्कर्ष पर नहीं पहुँचता है : “अगर ये लोग लगातार परमेश्वर के वचनों का उपदेश देते रहे और इस तरीके से परमेश्वर के कार्य की गवाही देते रहे तो यह बहुत ही बुरा होगा! इन सभी लोगों का विनाश कर देना चाहिए और अगर वे विदेश भाग जाएँ तो भी उन्हें बख्शा नहीं जाना चाहिए” तो देखा तुमने, दानव आम भ्रष्ट लोगों जैसे नहीं होते हैं—वे कठिनाइयों के बावजूद अंत तक परमेश्वर का विरोध करेंगे। अगर आम भ्रष्ट लोग कलीसिया से गवाहियाँ देखते हैं तो वे उन्हें समझने में समर्थ होते हैं, उन्हें लगता है कि वे उचित हैं और वे किसी भी उत्पीड़न में शामिल नहीं होंगे। लेकिन शैतान और दुष्ट लोग ऐसे नहीं होते हैं। जब वे तुम्हें परमेश्वर का अनुसरण करते हुए और परमेश्वर की गवाही देते हुए देखते हैं तो वे तुमसे नफरत करते हैं, वे तुम्हें मार डालना चाहते हैं और वे तुम्हें जीने की अनुमति नहीं देते हैं। अगर तुमने उनकी कही बात नहीं मानी और उनकी आराधना नहीं की तो वे कभी भी तुम्हारा पीछा नहीं छोड़ेंगे और वे तुम्हें जीने नहीं देंगे। तुम जहाँ भी जाओगे, वे तुम्हें ढूँढ़ निकालेंगे और मार डालेंगे; अगर तुम धरती के छोर तक भी चले जाओ तो भी वे तुम्हें नहीं बख्शेंगे। बड़ा लाल अजगर यही करता है। यह शैतान की दुष्टता है और यह आम भ्रष्ट लोगों से अलग है। तुम्हें इस बिंदु पर स्पष्ट होना होगा।
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