अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ (3) खंड चार

जिस तरह के पर्यवेक्षकों के बारे में हमने अभी-अभी चर्चा की है, वे अपने पेशे को जानते हैं और काम करने की क्षमता रखते हैं, लेकिन वे दायित्व नहीं लेते और अपना उचित काम किए बिना या कोई वास्तविक काम किए बिना पूरे दिन खाने-पीने और मनोरंजन में लिप्त रहते हैं। नकली अगुआ इस तरह के पर्यवेक्षक को तुरंत दूसरा काम सौंपकर उसे बर्खास्त नहीं कर सकते और यह स्थिति काम में रुकावट और बाधा पैदा करती है, काम को सुचारु रूप से आगे बढ़ने से रोकती है। क्या यह नकली अगुआओं के कारण नहीं है? यद्यपि नकली अगुआ इसके लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार नहीं हैं, लेकिन उनके द्वारा जिम्मेदारी की उपेक्षा, पर्यवेक्षक के रूप में अपनी भूमिका को पूरा करने में विफलता, उन्हें काम में हुए नुकसान के लिए अप्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार बनाती है। ये नकली अगुआ पर्यवेक्षक के रूप में अपने कर्तव्य को पूरा नहीं करते, वे अपनी जिम्मेदारियों के प्रति लापरवाह हैं, जिससे अंततः कलीसिया के काम को नुकसान उठाना पड़ता है। कुछ कार्य तो अटक भी जाते हैं और कार्यभार सँभालने, पुनरीक्षण करने और काम का पर्यवेक्षण करने और उसे आगे बढ़ाने के लिए उपयुक्त पर्यवेक्षक के न होने के कारण अव्यवस्थित हो जाते हैं। कार्मिकों के अनुचित उपयोग से काम को इसी तरह के नुकसान होंगे। यद्यपि इस तरह के पर्यवेक्षकों में थोड़ी काबिलियत होती है और वे पेशे को थोड़ा समझते हैं, लेकिन वे अपने काम को सही तरीके से नहीं करते, अक्सर अपना मनमाना रास्ता अपनाते हैं और सही रास्ते पर नहीं चलते हैं। नकली अगुआओं को पता चल भी जाए कि किसी ने इस तरह के पर्यवेक्षक के बारे में कोई समस्या बताई है तो वे तुरंत इस पर गौर नहीं करते या इसे सँभालते नहीं और इससे अंततः कलीसिया का काम ठप हो जाता है। क्या यह नकली अगुआओं की गैरजिम्मेदारी के कारण नहीं होता है? यहाँ तक कि वे जिम्मेदारी से बचने की कोशिश भी करते हैं और यह सोचते हुए कि ऐसा कहने से मामला खत्म हो जाएगा और उन्हें जिम्मेदारी नहीं लेनी पड़ेगी, वे कहते हैं कि वे पर्यवेक्षक की स्थिति को नहीं समझ सके थे कि वे मूर्ख और अज्ञानी हैं। अपने काम में नकली अगुआ हमेशा अनमने तरीके से काम करते हैं। जब लोग समस्याओं की जानकारी देते हैं, तब भी वे न तो उनके बारे में पूछते हैं और न ही उन्हें सँभालते हैं और जब चीजें गलत हो जाती हैं तो वे जिम्मेदारी से बचने की कोशिश करते हैं। यह नकली अगुआओं की एक अभिव्यक्ति है।

II. नकली अगुआ उन पर्यवेक्षकों से कैसे पेश आते हैं जिनमें कम काबिलियत होती है और कार्यक्षमता नहीं होती

नकली अगुआ जब काम कर रहे होते हैं तो उनके सामने आने वाली समस्याएँ मात्र इस स्थिति तक सीमित नहीं होतीं—एक और स्थिति है जिसमें पर्यवेक्षकों की काबिलियत कम होती है, उनमें काम करने की कोई क्षमता नहीं होती और वे काम की जिम्मेदारी नहीं ले सकते हैं। ऐसे मामलों में नकली अगुआ समस्या के बारे में पूछताछ करने और उसे तुरंत सँभालने में भी विफल रहते हैं। ऐसा क्यों है? नकली अगुआओं में काम करने की क्षमता नहीं होती, उनकी काबिलियत कम होती है और उन्हें आध्यात्मिक समझ नहीं होती है। वे कभी भी विभिन्न टीम पर्यवेक्षकों की काबिलियत, काम की जिम्मेदारी लेने की उनकी क्षमता या उनकी कार्य परिस्थितियों के बारे में पूछने की परवाह या पहल नहीं करते। वे उन पर्यवेक्षकों की असलियत नहीं पहचान पाते हैं जिनकी काबिलियत कम होती है और जो अपने काम की जिम्मेदारी नहीं ले पाते हैं, न ही वे इन चीजों के बारे में जानते हैं। उनके विचार से जब कोई व्यक्ति पर्यवेक्षक की भूमिका ग्रहण कर लेता है तो वह लंबे समय तक अपने पद पर बना रह सकता है, बशर्ते वह कई तरह की बुराइयों में न फँसे, आम आक्रोश न भड़काए और भाई-बहन उसे हटा न दें या जब तक कि कोई व्यक्ति उससे जुड़ी समस्याओं की जानकारी ऊपरवाले को न दे दे और ऊपरवाला उस व्यक्ति को सीधे बर्खास्त न कर दे। अन्यथा नकली अगुआ उस व्यक्ति को कभी बर्खास्त नहीं करेंगे। वे मानते हैं कि चूँकि भाई-बहनों ने उस व्यक्ति को अच्छा बताया है और चुना है, इसलिए वह व्यक्ति ही सबसे अच्छा विकल्प होगा। नकली अगुआ यह निर्धारित करने के लिए हमेशा कल्पनाओं और आलोचनाओं पर भरोसा करते हैं कि कोई व्यक्ति काम कर सकता है या नहीं और क्या वह पर्यवेक्षक के रूप में कार्य करने के लिए उपयुक्त है या नहीं। उदाहरण के लिए, एक नृत्य मंडली की पर्यवेक्षक नृत्य करना नहीं जानती थी और वह नृत्यों के चयन के सिद्धांत नहीं समझती थी। नृत्य संयोजन करते समय उसे नहीं पता होता था कि किसी समकालीन शैली का चयन करना है या शास्त्रीय शैली का। साफ कहें तो उसे नृत्य का कोई ज्ञान नहीं था। परंतु नकली अगुआ इस बात को नहीं देख सका। ऐसा मानते हुए कि वह सब कुछ समझती है, नकली अगुआ ने उसे पर्यवेक्षक चुन लिया और उसे भाई-बहनों का मार्गदर्शन करने दिया, क्योंकि वह उत्साही थी और चर्चा में आने के लिए तैयार थी। बाद में नकली अगुआ ने उसके कार्य का जायजा नहीं लिया, जाँच-परख नहीं की या यह नहीं देखा कि वह भाई-बहनों का कितना सही मार्गदर्शन कर रही है, वह विशेषज्ञ है या एक आम महिला, उसने जो सिखाया क्या वह उचित है या परमेश्वर के घर की जरूरतों के हिसाब से है। नकली अगुआ ये बातें नहीं बता सकता था और वह इनके बारे में पूछने भी नहीं गया। परिणामस्वरूप, हर कोई बिना किसी नतीजे के लंबे समय तक काम करता रहा और अंत में पता चला कि नकली अगुआ द्वारा चुने गए पर्यवेक्षक को नृत्य बिल्कुल भी नहीं आता था और फिर भी वह विशेषज्ञ होने का दिखावा करते हुए दूसरों का निर्देशन कर रही थी। क्या इससे कार्य में देरी नहीं हुई? लेकिन नकली अगुआ इस समस्या को पहचान नहीं पाया और फिर भी मानता रहा कि वह अच्छा काम कर रही है। नकली अगुआओं के हिसाब से इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई व्यक्ति कौन है, अगर उसमें हिम्मत है और वह बोलने, कार्य करने और इसे ग्रहण करने का साहस करता है तो इससे साबित होता है कि उसके पास काबिलियत है और वह इसकी जिम्मेदारी ले सकता है, जबकि अगर वह व्यक्ति उन चीजों को करने की हिम्मत नहीं करता है तो इससे साबित होता है कि उसमें उस कार्य की जिम्मेदारी लेने की काबिलियत अपर्याप्त है। कुछ लोग अधकचरे दिमाग वाले या लापरवाह किस्म के उद्दंड होते हैं जो कुछ भी करने का साहस रखते हैं। ये लोग नहीं जानते कि उनके पास सही काबिलियत है या नहीं या वे काम की जिम्मेदारी ले सकते हैं या नहीं, फिर भी वे पर्यवेक्षक बनने का साहस करते हैं। बाद में होता यह है कि उनके द्वारा भूमिका ग्रहण करने के बाद कोई भी काम आगे नहीं बढ़ता और वे चाहे कोई भी कार्य कर रहे हों, उनके पास कोई स्पष्ट दिशा बोध, प्रक्रिया या सही विचार नहीं होते हैं। उनके सामने कोई भी व्यक्ति कोई भी राय रख सकता है और उन्हें नहीं पता होता कि वह राय सही है या गलत। अगर कोई व्यक्ति किसी काम को एक तरह से करने के लिए कहता है तो वे उसे ठीक कह देते हैं, जबकि अगर कोई दूसरा व्यक्ति काम को दूसरे तरीके से करने के लिए कहता है तो वे उसे भी ठीक कह देते हैं। और जब बात आती है कि वास्तव में क्या दृष्टिकोण अपनाया जाए तो वे सभी को अपनी बात कहने देते हैं और जो सबसे ऊँची आवाज में बोलता है, उसके विचारों को अमल में लाया जाता है। इस तरह के लोगों में किसी तरह की कोई काबिलियत नहीं होती, वे किसी भी चीज की असलियत समझ नहीं पाते और वास्तव में अपना काम बिगाड़ देते हैं, लेकिन नकली अगुआ तब भी ऐसे पर्यवेक्षकों की असलियत नहीं समझ पाते। कुछ लोग कहते हैं, “उस पर्यवेक्षक की काबिलियत वाकई बहुत खराब है; उसे तुरंत बर्खास्त कर देना चाहिए!” लेकिन नकली अगुआ जवाब देते हैं, “मैंने उससे बात की है और उसने कहा है कि वह यथासंभव अपने हिस्से का काम करने को तैयार है। चलो उसे एक और मौका देते हैं।” इस कथन के बारे में तुम क्या सोचते हो? क्या यह ऐसी बात नहीं है जिसे कोई मूर्ख ही कहेगा? इस कथन में क्या गलत है? (बात यह नहीं है कि वह यथासंभव अपना काम करने के लिए तैयार है या नहीं; उसमें काबिलियत नहीं है और वह काम की जिम्मेदारी सँभाल ही नहीं सकता है।) सही कहा, बात यह नहीं है कि वह इसे करने के लिए तैयार है या नहीं; बात यह है कि उसकी काबिलियत बहुत ही कम है और उसे यह नहीं पता है कि उस काम को कैसे करना है—समस्या का मुख्य बिंदु यही है। यही वजह है कि उसके अगुआओं के पास कुछ दिमाग होना चाहिए और उन्हें लोगों का आकलन करने में सक्षम होना चाहिए, उन्हें यह देखने की जरूरत है कि इन पर्यवेक्षकों में जरूरी काबिलियत है या नहीं। इन अगुआओं को इन पर्यवेक्षकों के भाषण और संगति के आधार पर, इस आधार पर कि क्या वे आमतौर पर उचित रूपरेखा और व्यवस्थित तरीकों और चरणों के हिसाब से काम करते हैं और भाई-बहनों से मिलने वाली प्रतिक्रिया के आधार पर उनका व्यापक मूल्यांकन करने की जरूरत है। यदि इन पर्यवेक्षकों की काबिलियत बहुत कम है और उनमें आवश्यक कार्य क्षमता नहीं है, यदि वे अपना हर काम बिगाड़ देते हैं और यदि वे किसी काम के नहीं हैं तो इन्हें तुरंत बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए।

किसी खेत का एक पर्यवेक्षक था जिसने खेती-बाड़ी के काम को गड़बड़ कर दिया। उसे नहीं पता था कि उसे किस जमीन पर कौन-सी फसलें लगानी चाहिए या कौन-सी जमीन सब्जियाँ उगाने के लिए उपयुक्त है, और वह सभी से न तो जानकारी लेता था, न ही संगति करता था—वह नहीं जानता था कि इन चीजों के बारे में संगति कैसे की जाए, इसलिए वह ऐसा नहीं करता था। उसने अपनी इच्छानुसार फसलें लगायीं और परमेश्वर के घर के सिद्धांतों को ताक पर रख दिया। नतीजतन, उसने खेत की हर जमीन को अव्यवस्थित तरीके से बोया, जिसमें कम मात्रा में बोई जाने वाली फसलें ज्यादा मात्रा में उगाई गईं और बड़ी मात्रा में बोई जाने वाली फसलें कम मात्रा में उगाई गईं। जब ऊपरवाले ने उसकी काट-छाँट की, तब भी वह अड़ा रहा और महसूस करता रहा कि इस तरह से फसलें लगाने में कुछ भी गलत नहीं है। मुझे बताओ कि क्या इस तरह के पर्यवेक्षक बहुत टेढ़े नहीं होते? वह परमेश्वर के घर द्वारा स्थापित सिद्धांतों के आधार पर मामलों को सँभालना नहीं जानता था, न ही वह यह जानता था कि कलीसिया में पूर्णकालिक कर्तव्य करने वाले लोगों की संख्या के आधार पर निर्धारित किया जाना चाहिए कि कितने खेतों में अनाज बोया जाना चाहिए और कितने खेतों में सब्जियाँ लगाई जानी चाहिए। इसके बजाय उसने अपनी पसंद के आधार पर कुछ फसलों को ज्यादा और कुछ को कम लगाने का फैसला लिया और उसका मानना था कि ऐसा करना पूरी तरह से उचित है। अंततः, उसने फसलों को अव्यवस्थित तरीके से लगाया। बाद में पौधे उगे तो उनमें से कुछ पीले पड़ गए और उन्हें खाद की जरूरत थी, लेकिन उसे नहीं पता था कि कितनी खाद डालनी है या कब डालनी है। कुछ फसलों में कीट लग गए और उसे नहीं पता था कि उसे उन पर कीटनाशक डालना चाहिए या नहीं। कुछ लोगों ने कीटनाशकों का इस्तेमाल करने की वकालत की और कुछ ने ऐसा नहीं करने की वकालत की जिससे वह भ्रमित हो गया और उसे नहीं पता था कि कीटनाशकों के बारे में क्या करना है। इस तरह, वह तब तक उलझन में रहा जब तक कि कटाई का मौसम नहीं आ गया। उसे यह भी नहीं पता था कि प्रत्येक फसल के उगने का मौसम कितने समय तक चलता है या फसलें कब पकेंगी। परिणामस्वरूप, जल्दी काटी गई फसलों के दाने अभी भी कुछ हद तक हरे रह गए थे, जबकि देर से काटी गई फसलों के दाने जमीन पर झड़ गए। अंततः, इन सबके बावजूद, फसलें कट गईं, अनाज का आखिरकार भंडारण हो गया और उस साल की खेती-बाड़ी की गतिविधियाँ कमोबेश खत्म हो गईं। खेत के पर्यवेक्षक ने अपने काम को कैसे अंजाम दिया? (उसने इसे बिगाड़ दिया।) यह इतना क्यों बिगड़ा था? इस समस्या का मूल कारण खोजो। (उसकी काबिलियत बेहद खराब है।) इस पर्यवेक्षक की काबिलियत बेहद खराब है! मुश्किलों का सामना करना पड़ा, तो उसने सटीक निर्णय नहीं लिए, वह सिद्धांतों को नहीं खोज पाया और उसके पास चीजों को सँभालने का कोई रास्ता या तरीका नहीं था। इसके कारण उसने फसल बोने जैसे सरल कार्य को अविश्वसनीय रूप से अव्यवस्थित तरीके से सँभाला, और इस काम में बहुत गड़बड़ कर दी। कम काबिलियत के मुख्य लक्षण क्या हैं? (सटीक निर्णय नहीं ले पाना और सिद्धांतों को खोजने में असमर्थ होना।) क्या ये शब्द महत्वपूर्ण नहीं हैं? क्या तुम लोग इन्हें याद रखोगे? जब किसी व्यक्ति को किसी मुश्किल का सामना करना पड़ता है तो सटीक निर्णय नहीं ले पाना और सिद्धांतों को खोजने में असमर्थ होना बेहद खराब काबिलियत का संकेत करता है। दूसरे लोगों ने जितने अधिक सुझाव और संकेत दिए, यह पर्यवेक्षक उतना ही अधिक भ्रमित होता गया। उसने सोचा कि अगर केवल एक ही सुझाव हो तो बहुत अच्छा होगा, फिर वह इसे एक विनियम मानते हुए उसका पालन कर सकेगा, जिससे चीजें एकदम सरल हो जाएँगी और इसका मतलब होगा कि उसे सोचने या निर्णय लेने की आवश्यकता नहीं होगी। उसे कई लोगों द्वारा सुझाव दिए जाने से डर लगता था क्योंकि उन्हें सुनते हुए उसे नहीं पता होता था कि उन सुझावों से कैसे निपटें। वास्तव में, दिमाग और अच्छी काबिलियत वाले लोग दूसरों के सुझावों से नहीं डरते। उन्हें लगता है कि जब अधिक लोग सुझाव दे रहे होते हैं तो उनका निर्णय अधिक सटीक हो जाता है और त्रुटि की संभावना कम हो जाती है। बिना दिमाग या बिना काबिलियत वाले लोग बहुत से लोगों की अलग-अलग राय और सुझावों से डरते हैं; कई स्रोतों से सलाह मिलने पर वे हैरान हो जाते हैं। मैंने अभी खेत के जिस पर्यवेक्षक का जिक्र किया था, क्या उसकी काबिलियत बहुत कम नहीं थी—क्या इस काम की जिम्मेदारी लेने के लिए उसकी क्षमता अपर्याप्त नहीं थी? (थी।) कुछ लोग तर्क देते हैं, “हो सकता है कि उसने पहले खेती न की हो। तुम ने ही उससे खेती का काम करवाने पर जोर दिया था—क्या यह मछली को जमीन पर रहने के लिए मजबूर करने जैसी बात नहीं थी?” क्या पहले से खेती का अनुभव नहीं होने का मतलब यह है कि कोई व्यक्ति खेती नहीं कर सकता? खेती करने की जन्मजात क्षमता किसमें होती है? क्या ऐसा हो सकता है कि किसान इस क्षमता के साथ पैदा होते हों? (नहीं।) क्या ऐसा कोई किसान हुआ है, जो अनुभव की कमी और खेती करना न जानने के कारण फसल नहीं ले पाया हो और पहली बार फसल उगाने पर उसके पास खाने के लिए अनाज नहीं रहा हो, जिसके कारण साल भर भूखे रहना पड़ा हो? क्या इस तरह की चीजें होती हैं? (नहीं।) अगर ऐसा सच में होता तो यह एक प्राकृतिक आपदा होती, न कि मानवीय गतिविधियों का नतीजा। ऐसी परिस्थितियाँ अत्यंत दुर्लभ हैं! किसान खेती करके अपना जीवन यापन करते हैं और यहाँ तक कि जो लोग एक-दो साल खेती करते हैं, वे भी इसे करना सीख जाते हैं। अच्छी काबिलियत वाले व्यक्ति खेती करके थोड़ी ज्यादा उपज प्राप्त कर सकते हैं, जबकि कम काबिलियत वाले लोगों की उपज कम हो सकती है। इसके अलावा, वर्तमान प्रगति और जानकारी की प्रचुरता के साथ यदि किसी व्यक्ति में काबिलियत है तो यह जानकारी सटीक फैसले लेने और निर्णय प्रक्रिया के लिए संदर्भ के रूप में काम करने के लिए पर्याप्त है। जानकारी जितनी व्यापक और सटीक होगी, उसके फैसले और निर्णय उतने ही सटीक होंगे और वह उतनी ही कम गलतियाँ करेगा। परंतु कम काबिलियत वाले व्यक्ति इसके विपरीत होते हैं; जितनी अधिक जानकारी होगी, वे उतने ही अधिक भ्रमित होंगे। अंततः उनके लिए हर कदम संघर्षपूर्ण और बहुत कठिन हो जाता है। खेती करना समय के साथ चलने जैसा है; तुम बहुत जल्दी या बहुत देर से आओगे, तो काम नहीं होगा। यदि तुम देर कर देते हो और सही समय से चूक जाते हो तो अंतिम पैदावार प्रभावित होगी। खेती करने के दौरान, यह पर्यवेक्षक समय से हारता रहा, समय बीतने पर हड़बड़ी करता रहा था और हर कदम पर दबाव में था। हालाँकि वह फिर भी हर कदम उठाने में कामयाब रहा, लेकिन यह उसके लिए बहुत कठिन था और अंततः इसका नतीजा यह हुआ कि उसने काम बिगाड़ दिया। ऐसे व्यक्तियों की काबिलियत बहुत कम होती है!

बेहद कम काबिलियत वाले लोग कोई भी कार्य, यहाँ तक कि एकल कार्य भी, ठीक से नहीं कर सकते; वे चाहे जो भी कार्य कर रहे हों, उसमें भारी गड़बड़ करते हैं। यदि इन पर्यवेक्षकों के अगुआओं में अच्छी काबिलियत है और वे अपनी जिम्मेदारियाँ पूरी करने में सक्षम हैं तो उन्हें ये चीजें देखने में सक्षम होना चाहिए। उन्हें मार्गदर्शन, मानकीकरण और पुनरीक्षण के माध्यम से कम काबिलियत वाले पर्यवेक्षकों की सहायता करनी चाहिए। लेकिन नकली अगुआ ऐसा करने में विफल रहते हैं; वे उन चीजों को करने में भी असमर्थ होते हैं जो पर्यवेक्षक नहीं कर पाते और जब पर्यवेक्षकों को अपना काम मुश्किल लगता है या वे अपने काम को लेकर शंका और हिचकिचाहट महसूस करते हैं तो नकली अगुआ भी उनके साथ ही हिचकिचाते हैं। वे इस बात से भी अनजान होते हैं कि पर्यवेक्षकों का काम कैसा चल रहा है, उन्होंने कितना काम कर लिया है, क्या चुनौतियाँ आई हैं या उन्हें क्या भ्रम है। जब किसी ने उस अगुआ से खेती के बारे में पूछा तो उसने कहा, “मैं एक अगुआ हूँ, मैं खेती की प्रभारी नहीं हूँ।” उसने उत्तर दिया, “तुम अगुआ हो, इसलिए तुमसे खेती के बारे में पूछने में क्या गलत है? यह काम तुम्हारी जिम्मेदारियों के दायरे में आता है।” उसने कहा, “मैं पूछ कर इसके बारे में बताती हूँ।” पूछने के बाद उसने कहा, “हम अभी आलू लगा रहे हैं।” उसने पूछा, “तुम कितने आलू लगा रही हो?” उसने जवाब दिया, “मैंने यह नहीं पूछा, तुम्हारे लिए मैं यह भी पता करके आती हूँ।” फिर से पूछने के बाद उसने कहा, “हमने दो एकड़ में आलू लगाया है।” उसने पूछा : “तुमने कौन-सी किस्म के आलू बोए हैं? क्या वह जमीन आलू बोने के लिए उपयुक्त है? जब तुमने आलू बोए थे तो क्या तुमने खाद डाली थी? आलू के बीज कितनी गहराई में बोए गए थे?” वह इनमें से किसी भी बात के बारे में नहीं जानती थी। तुम इन चीजों के बारे में नहीं जानती, लेकिन तुम इनके बारे में पता भी नहीं करती और न ही किसी ऐसे व्यक्ति को तलाशती हो जिससे इन सब के बारे में पूछ सको—क्या इससे काम में देरी नहीं होगी? क्या तुम अगुआ हो भी? अगुआ के रूप में तुम क्या काम कर रही हो? अगर तुम यह छोटा-सा बाहरी काम करने में भी लोगों की अगुआई नहीं कर सकती, तो तुम्हारे अगुआ होने का क्या फायदा? भले ही पर्यवेक्षक की काबिलियत बहुत खराब थी, लेकिन यह नकली अगुआ इस बात को पता करने में असफल रही, और जब उससे पूछा गया कि पर्यवेक्षक कितना काबिल है, फसल का क्या हाल है और उपज मिलने की गारंटी है या नहीं तो उसका विश्वास था : “तुम्हारा इन चीजों के बारे में पूछताछ करना अनावश्यक है; खेती करना बहुत आसान काम है! हम खेत में फसल की बुआई कर चुके हैं, है ना? उपज कैसे नहीं होगी?” उसने कुछ भी नहीं सोचा, किसी चीज के बारे में जानकारी हासिल नहीं की और उसके पास दिमाग बिल्कुल भी नहीं था। यह किस तरह की अगुआ थी? (नकली अगुआ।) जब भी पर्यवेक्षक का किसी चीज से सामना होता तो वह ऐसे बेखबर रहता था जैसे कोई सिर कटा मुर्गा हो। उसे पता ही नहीं होता था कि किससे पूछे, जानकारी कैसे प्राप्त करे या जब सूचना के विभिन्न स्रोत बहुत सारे अलग-अलग विचार प्रस्तुत कर रहे हों तो वह किस पक्ष को चुने। इस अगुआ ने इन परिस्थितियों पर गौर नहीं किया। वह सोचती थी कि काम इस व्यक्ति को सौंप दिया गया है और इसलिए उसने खुद इस बारे में जरा भी चिंता नहीं की। क्या तुम लोग सोचते हो कि ऐसी खराब काबिलियत वाले पर्यवेक्षक से काम के नतीजों पर कोई असर होगा? (हाँ।) तो अगुआ को इस समस्या को हल करने के लिए क्या करना चाहिए था? इस पर गौर करके और अप्रत्यक्ष पूछताछ करके, अपने आस-पास हुई घटनाओं के माध्यम से और उस मौसम में बोई जाने वाली फसलों के बारे में पता करके उसे पता लगाना चाहिए था कि पर्यवेक्षक बेहद कम काबिलियत वाला था, वह कुछ भी करने लायक नहीं था। वर्षों तक खेती करने के बाद भी वह किसी अनुभव का निचोड़ नहीं हासिल कर सका—उस समय तक वह इस बात को लेकर भी निश्चित नहीं था कि फसल कैसे बोई जाए—उसे यह स्पष्ट हो जाना चाहिए था कि पर्यवेक्षक नाकाबिल है और वह काम के लिए उपयुक्त नहीं है और ऐसे व्यक्ति को बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए था! उसे इस बारे में पूछताछ करनी चाहिए थी कि पर्यवेक्षक बनने के लिए कौन उपयुक्त है, जो इस काम की चुनौती स्वीकारे और इसे अच्छी तरह से कर सके, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि परमेश्वर के घर के कार्य को नुकसान न पहुँचे। क्या नकली अगुआ की मानसिकता ऐसी थी? क्या वह इन मुद्दों को देख सकती थी? (नहीं।) उसका दिमाग और आँखें बंद थीं; वह पूरी तरह अंधी थी। यह नकली अगुआओं की एक अभिव्यक्ति है। जब खराब काबिलियत वाले लोगों की बात आती है तो उन्हें नहीं पता होता कि काम में ऐसे लोगों का मार्गदर्शन कैसे किया जाए, वे नहीं जानते कि पुनरीक्षण करके उनकी मदद कैसे की जाए या शीघ्रता से उनकी कठिनाइयों को कैसे हल किया जाए, और वे निश्चित रूप से नहीं जानते कि खराब काबिलियत वाला व्यक्ति काम की जिम्मेदारी नहीं ले सकता और उसे तुरंत किसी उपयुक्त व्यक्ति से बदल दिया जाना चाहिए। नकली अगुआ इनमें से कोई भी काम नहीं करता; वे इस लायक नहीं होते और उन्हें इनमें से कुछ भी दिखाई नहीं देता। क्या ये लोग अंधे नहीं हैं? कुछ लोग कहते हैं, “शायद वे दूसरे कामों में व्यस्त हों। तुम उन लोगों से इन महत्वहीन, फुटकर कामों का ध्यान रखने के लिए क्यों कहते रहते हो?” ये ऐसे काम हैं जो अगुआओं को करने ही चाहिए, उन्हें फुटकर कार्य कैसे माना जा सकता है? ये मामले अगुआओं की जिम्मेदारियों के दायरे में आते हैं—क्या यह ठीक होगा यदि वे इनकी उपेक्षा करें? यदि वे ऐसा करते हैं तो यह जिम्मेदारी की उपेक्षा करने जैसा होगा। हर दिन अगुआओं की नाक के नीचे लोगों के काम में कठिनाइयाँ और समस्याएँ आती हैं, लोग हर दिन उन्हें सामने लाते हैं। परंतु नकली अगुआओं की आँखें और दिमाग दोनों बंद होते हैं। वे देख नहीं सकते, महसूस नहीं कर सकते या समझ नहीं सकते कि ये समस्याएँ हैं, इसीलिए, निश्चित रूप से, वे उनका समाधान नहीं कर सकते। वह नकली अगुआ यह पता लगाने में सक्षम नहीं थी कि इस पर्यवेक्षक की काबिलियत बेहद कम थी। वह उस पर्यवेक्षक के काम में आने वाली विभिन्न समस्याओं की पहचान भी नहीं कर पाई। यह पर्यवेक्षक समस्याओं को सँभाल नहीं पाता था और जब कोई कठिनाई आती थी तो वह गर्म तवे पर पड़ी चींटियों की तरह इधर-उधर भागता था, वह सिद्धांतहीन था और काम को उलट-पुलट कर देता था, पर वह नकली अगुआ यह सब देख या जान नहीं पाई। नकली अगुआ जैसे अपना काम करते हैं, उसका एक सिद्धांत है : प्रत्येक कार्य के लिए किसी को जिम्मेदार बनाने की व्यवस्था कर देने पर वे कार्य को पूरा हुआ मानते हैं और इस बात की परवाह किए बिना कि पर्यवेक्षक की काबिलियत अच्छी है या खराब, वे काम को अच्छी तरह से कर पाते हैं या नहीं या काम में कितनी समस्याएँ आ रही हैं, उन्हें लगता है कि इन सारी बातों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। क्या ऐसा अगुआ भी काम करवा सकता है? क्या वे समझते हैं कि कैसे काम करना है? (नहीं।) अगर तुम नहीं समझती कि कैसे काम करना है तो तुम अगुआ के रूप में काम क्यों कर रही हो? अगर इन सबके बावजूद तुम अगुआ के रूप में काम करती हो तो तुम नकली अगुआ हो। नकली अगुआ खराब काबिलियत वाले लोगों की विभिन्न अभिव्यक्तियों या उनके कर्तव्यों को निभाते समय आने वाली विभिन्न समस्याओं को देख नहीं पाते या उनका पता नहीं लगा सकते। उनके दिल बेहद सुन्न होते हैं। क्या उनकी आँखें और दिमाग दोनों बंद नहीं होते? कुछ लोग कह सकते हैं कि “वे अंधे नहीं हैं। तुम हमेशा उनकी निंदा और बदनामी करते रहते हो।” खेती-बाड़ी के इस पर्यवेक्षक के साथ इतनी गंभीर समस्याएँ थीं; वह नकली अगुआ हर दिन उसके साथ रहती थी और जो कुछ भी हो रहा था वह उसे देख-सुन सकती थी। फिर वह इन समस्याओं का पता लगाने या महसूस करने में असमर्थ कैसे थी? उसने इन मुद्दों को क्यों नहीं सँभाला या हल नहीं किया? क्या वह आँखों और दिमाग से अंधी नहीं थी? क्या यह समस्या गंभीर थी? (हाँ, यह गंभीर थी।) यह नकली अगुआओं की एक और अभिव्यक्ति है—दिमाग और आँखों का अंधापन।

जब तुम किसी ऐसे व्यक्ति को काम सौंपते हो जिसमें कम काबिलियत है तो तुम उसके बोलने के तरीके, काम पर चर्चा करते समय उसके रवैये और दृष्टिकोण तथा काम को सँभालने के तरीके से यह बता सकते हो कि उसकी काबिलियत बहुत कम है, उसकी सोच अव्यवस्थित है और वह हर काम को थोड़ा आँख मूँदकर और लापरवाह तरीके से करता है और उसके पास कोई लक्ष्य नहीं है। बस उसके काम करने के तरीके को देखकर तुम यह तय कर सकते हो कि इस व्यक्ति की काबिलियत बहुत कम है तो क्या तुम्हें उसे बहुत लंबे समय तक देखने-परखने की जरूरत है भी? नहीं, तुम्हें ऐसी जरूरत नहीं है। परंतु, नकली अगुआओं में एक घातक समस्या होती है; वह यह है कि, वे मानते हैं कि चूँकि एक व्यक्ति काम छोड़े बिना लगातार इतने समय से काम करता आ रहा है और नकली अगुआओं ने किसी को भी उसके कुछ बुरा करने या गड़बड़ी और बाधा उत्पन्न करने या नकारात्मक या आलसी होने की सूचना देते नहीं सुना है, इसका मतलब है कि यह व्यक्ति अभी भी काम कर सकता है। वे नहीं जानते कि किसी व्यक्ति के भाषण, मामलों के प्रति उसके रवैये और दृष्टिकोण या उसके काम करने के तरीके के आधार पर उसकी काबिलियत या उसके अच्छा काम करने की योग्यता का आकलन कैसे करें। उनमें यह जागरूकता नहीं होती; वे इस मामले के प्रति एकदम सुन्न हैं और उन्हें इस बारे में कोई समझ नहीं है। उनका एक दृष्टिकोण है : जब तक कोई व्यक्ति निठल्ला नहीं है, तब तक सब कुछ ठीक है और काम आगे चल सकता है। क्या तुम लोगों को लगता है कि इस तरह का दृष्टिकोण रखने वाला अगुआ अच्छा काम कर सकता है? क्या वह इस काम के लायक है? (नहीं।) ऐसे व्यक्ति को अगुआ बनने देने से काम बिगड़ेगा, है कि नहीं? जब कोई व्यक्ति खाने-पीने और मनोरंजन में लिप्त रहता है और अपने कर्तव्यों की उपेक्षा करता है तो नकली अगुआ इस पर ध्यान देने या सँभालने की जहमत नहीं उठाते और कोई कितने भी लंबे समय से उनके संपर्क में क्यों न रहा हो, वे यह नहीं देख पाते कि किसी व्यक्ति की काबिलियत या चरित्र अच्छा है या बुरा। क्या इन अगुआओं में एक अगुआ की कार्य क्षमता है? (नहीं।) ये नकली अगुआ हैं। नकली अगुआ यह नहीं समझ पाते कि किसी व्यक्ति की काबिलियत अच्छी है या नहीं और वे इन विशिष्ट कार्यों को करने में असमर्थ होते हैं। उन्हें लगता है कि यह उनके काम का हिस्सा नहीं है। क्या यह जिम्मेदारी की उपेक्षा नहीं है? तुम लोग क्या सोचते हो, क्या कम काबिलियत वाला व्यक्ति काम सँभाल सकता है या कोई ऐसा व्यक्ति जिसमें कुछ काबिलियत हो? (कुछ काबिलियत वाला व्यक्ति।) इसलिए किसी व्यक्ति की काबिलियत और काम के लिए उसकी क्षमता का आकलन करना एक ऐसा मुद्दा है जिस पर अगुआओं और कार्यकर्ताओं को ध्यान देना चाहिए और उसे समझना चाहिए और यह ऐसा काम भी है जिसे अगुआओं और कार्यकर्ताओं को करना चाहिए। लेकिन नकली अगुआ यह नहीं समझते कि यह उनके काम का हिस्सा है, उनमें इस बारे में जागरूकता नहीं होती और वे अपनी जिम्मेदारियों के इस हिस्से को पूरा नहीं कर सकते। यहीं पर नकली अगुआ अपनी जिम्मेदारी की उपेक्षा करते हैं और यह नकली अगुआओं के काम के लायक न होने की अभिव्यक्ति भी है। यह दूसरी तरह की स्थिति है : पर्यवेक्षकों की काबिलियत कम है, उनमें काम करने की क्षमता का अभाव है और वे अपना काम नहीं सँभाल पा रहे हैं, जो उनकी काबिलियत से संबंधित एक मुद्दा है। इस स्थिति में नकली अगुआ भी इसी तरह अगुआ की भूमिका निभाने में विफल रहते हैं और खराब काबिलियत वाले पर्यवेक्षकों को तुरंत बर्खास्त करने में सक्षम नहीं होते।

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