अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ (3) खंड दो

मद चार : विभिन्न कार्यों के पर्यवेक्षकों और विभिन्न महत्वपूर्ण कार्यों के लिए जिम्मेदार कर्मियों की परिस्थितियों से अवगत रहो, और आवश्यकतानुसार तुरंत उनके कर्तव्यों में बदलाव करो या उन्हें बरखास्त करो, ताकि अनुपयुक्त लोगों को काम पर रखने से होने वाला नुकसान रोका या कम किया जा सके, और कार्य की दक्षता और सुचारु प्रगति की गारंटी दी जा सके

अगुआओं और कार्यकर्ताओं को विभिन्न कार्यों के पर्यवेक्षकों की परिस्थितियों को अवश्य समझना चाहिए

अगुआओं और कार्यकर्ताओं की चौथी जिम्मेदारी क्या है? (“विभिन्न कार्यों के पर्यवेक्षकों और विभिन्न महत्वपूर्ण कार्यों के लिए जिम्मेदार कर्मियों की परिस्थितियों से अवगत रहो, और आवश्यकतानुसार तुरंत उनके कर्तव्यों में बदलाव करो या उन्हें बरखास्त करो, ताकि अनुपयुक्त लोगों को काम पर रखने से होने वाला नुकसान रोका या कम किया जा सके, और कार्य की दक्षता और सुचारु प्रगति की गारंटी दी जा सके।”) यह सही है, यही वह न्यूनतम मानक है जिसे अगुआओं और कार्यकर्ताओं को काम करते समय पूरा करने में सक्षम होना चाहिए। क्या तुम सब इस चौथे मद के संबंध में अगुआओं और कार्यकर्ताओं की मुख्य जिम्मेदारियों के बारे में स्पष्ट हो? अगुआओं और कार्यकर्ताओं को विभिन्न कार्यों के सुपरवाइजरों और विभिन्न महत्वपूर्ण कार्यों के लिए जिम्मेदार कार्मिकों की साफ समझ होनी चाहिए। अगुआओं और कार्यकर्ताओं की यह जिम्मेदारी भी बनती है कि वे विभिन्न कार्यों के सुपरवाइजरों और विभिन्न महत्वपूर्ण कार्यों के लिए जिम्मेदार कार्मिकों की परिस्थितियों की पकड़ रखें। तो ये कार्मिक कौन होते हैं? ये मुख्य तौर पर कलीसिया के अगुआ और साथ ही टीम सुपरवाइजर और विभिन्न समूहों के अगुआ होते हैं। क्या यह समझना और ऐसी परिस्थितियों पर पकड़ रखना अत्यंत महत्वपूर्ण नहीं है कि विभिन्न कार्यों के सुपरवाइजरों और विभिन्न महत्वपूर्ण कार्यों के लिए जिम्मेदार कार्मिकों में सत्य वास्तविकता है या नहीं, वे अपने कार्यकलापों में सिद्धांतनिष्ठ हैं या नहीं और वे कलीसिया का काम अच्छी तरह से कर सकते हैं या नहीं? यदि अगुआ और कार्यकर्ता विभिन्न कार्यों के मुख्य सुपरवाइजरों की परिस्थितियों पर पूरी तरह पकड़ रखते हैं और कार्मिकों में उपयुक्त समायोजन करते हैं तो यह उनके कार्य के हर हिस्से का उचित पुनरीक्षण करने जैसा और अपने उत्तरदायित्वों और कर्तव्यों को अच्छे से निभाने के बराबर है। यदि इन कार्मिकों का सही समायोजन नहीं किया जाता और कोई समस्या उत्पन्न होती है तो कलीसिया का कार्य बहुत प्रभावित होता है। यदि ये कार्मिक अच्छी मानवता वाले हैं, परमेश्वर में उनके विश्वास का एक आधार है, वे जिम्मेदारी से मामले सँभालते हैं और समस्याएँ हल करने के लिए सत्य खोजने में सक्षम हैं तो उन्हें काम का प्रभार देने से बहुत सी परेशानियों से बचा जा सकेगा और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इससे काम सुचारु रूप से आगे बढ़ सकेगा। लेकिन अगर विभिन्न टीमों के सुपरवाइजर भरोसेमंद नहीं हैं, उनकी मानवता खराब है, व्यवहार अच्छा नहीं है और वे सत्य को अभ्यास में नहीं लाते हैं, और इसके अलावा अगर यह आशंका है कि वे गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं और बाधा डाल सकते हैं तो इसका प्रभाव उस कार्य पर पड़ेगा जिसके लिए वे जिम्मेदार हैं और उन भाई-बहनों के जीवन प्रवेश पर भी प्रभाव पड़ेगा जिनकी वे अगुआई करते हैं। बेशक यह प्रभाव बड़ा या छोटा हो सकता है। यदि सुपरवाइजर केवल अपने कर्तव्यों के प्रति उपेक्षा भाव रखते हैं और अपने उचित कार्य पर ध्यान नहीं देते तो इस कारण संभवतः कार्य में कुछ देरी होगी; प्रगति थोड़ी धीमी होगी और काम थोड़ा कम कुशलतापूर्वक होगा। परंतु अगर वे मसीह-विरोधी हैं तो समस्या गंभीर होगी : यह कार्य के थोड़ा अधिक अप्रभावी या अकुशलतापूर्ण होने की समस्या नहीं होगी—वे कलीसिया के उस कार्य को बाधित और बर्बाद कर देंगे जिसके लिए वे जिम्मेदार हैं। इससे गंभीर नुकसान होगा। और इसीलिए विभिन्न कार्यों के सुपरवाइजरों और विभिन्न महत्वपूर्ण कार्यभार के लिए जिम्मेदार कार्मिकों की परिस्थितियों के बारे में हर समय समझ रखना और यह पता चलने पर कि कोई व्यक्ति वास्तविक कार्य नहीं कर रहा है, समय पर उसे बदल देना और बरखास्त करना ऐसा दायित्व नहीं है जिससे अगुआ और कार्यकर्ता बच सकें—यह बहुत गंभीर, बहुत महत्वपूर्ण कार्य है। अगर अगुआ और कार्यकर्ता विभिन्न कार्यों के सुपरवाइजरों और विभिन्न महत्वपूर्ण सेवाओं के लिए जिम्मेदार कार्मिकों के चरित्र और सत्य तथा कर्तव्यों के प्रति उनके दृष्टिकोण के साथ ही प्रत्येक अवधि और प्रत्येक चरण के दौरान उनकी दशाओं और प्रदर्शन को जानते रहें और परिस्थितियों के अनुसार तुरंत फेरबदल कर सकें या उन लोगों को सँभाल सकें, तो कार्य लगातार आगे बढ़ सकता है। इसके विपरीत, यदि वे लोग बेकाबू होकर बुरे काम करते हैं और कलीसिया में वास्तविक कार्य नहीं करते हैं, और अगुआ और कार्यकर्ता इसे तुरंत पहचानकर समय पर फेरबदल नहीं कर पाते, बल्कि कलीसिया के कार्य को काफी नुकसान पहुँचाने वाली तमाम तरह की गंभीर समस्याएँ उभरने की प्रतीक्षा करते हैं, फिर उन्हें सँभालने, फेरबदल करने और स्थिति को सुधारने और ठीक करने की कोशिश करते हैं, तो वे अगुआ और कार्यकर्ता बेकार हैं। वास्तव में वे नकली अगुआ हैं जिन्हें बरखास्त कर हटा दिया जाना चाहिए।

अभी-अभी हमने विभिन्न कार्यों के पर्यवेक्षकों की वास्तविक स्थितियों और उनके काम की प्रभावशीलता को समझने और उन पर पकड़ रखने के महत्व पर विस्तृत तरीके से संगति की जिसमें इन वास्तविक स्थितियों का उपयोग यह आकलन करने के लिए किया गया कि क्या अगुआओं और कार्यकर्ताओं ने अपनी जिम्मेदारियों को पूरा किया है, और उजागर किया कि वे किन अभिव्यक्तियों का प्रदर्शन करते हैं जिससे साबित होता हैं कि वे नकली अगुआ हैं, और इससे नकली अगुआओं के सार का गहन-विश्लेषण किया गया। जब कलीसिया के काम में गंभीर समस्याएँ आती हैं, तो नकली अगुआ अपनी जिम्मेदारियाँ पूरी करने में विफल रहते हैं। वे इन मुद्दों को तुरंत नहीं खोज पाते, फिर समय पर उन्हें सँभालना और हल करना तो दूर की बात है। इससे मुद्दे लंबे समय तक खिंचते रहते हैं, जो कलीसिया के काम में देरी और हानि का कारण बनते हैं, और यहाँ तक कि कलीसिया के काम को पूरी तरह से पंगु या अव्यवस्थित कर सकते हैं। ऐसा होने पर ही नकली अगुआ अनिच्छा से कलीसिया के काम की स्थिति की जाँच-परख करने जाते हैं, फिर भी वे समस्याएँ हल करने के लिए संगत या उचित समाधानों की पहचान नहीं कर पाते हैं, और अंततः वे उन्हें अनसुलझा ही छोड़ देते हैं। यह नकली अगुआओं की प्राथमिक अभिव्यक्ति है।

विभिन्न कार्यों के पर्यवेक्षकों को चुनने के मानक

क्या अधिकांश लोग विभिन्न कार्यों के पर्यवेक्षकों और विभिन्न महत्वपूर्ण कार्यों के लिए जिम्मेदार कर्मियों के चयन के मानकों के बारे में थोड़ा-बहुत जानते हैं? उदाहरण के लिए, कला कार्य के पर्यवेक्षक में मुख्यतः क्या होना चाहिए? (उसमें इस क्षेत्र का व्यावसायिक कौशल होना चाहिए और उसे काम सँभालने में सक्षम होना चाहिए।) व्यावसायिक कौशल होना एक सिद्धांत है। तो, ये व्यावसायिक कौशल विशेष रूप से किससे संबंधित हैं? आओ, इसकी व्याख्या करते हैं। यदि किसी को चित्रकारी पसंद है और कलाकृतियाँ बनाने में रुचि है, लेकिन यह उसका पेशा नहीं है, और उसे इस क्षेत्र का ज्ञान नहीं है, और वह इसे केवल पसंद करता है, तो क्या ऐसे व्यक्ति को कला टीम के पर्यवेक्षक के रूप में चुनना उचित है? (नहीं, यह उचित नहीं है।) कुछ लोग कहते हैं, “यदि उसे कलाकृतियाँ बनाना पसंद है, तो वह काम कर सकता है और धीरे-धीरे इस बारे में सीख सकता है।” क्या यह कथन सही है? (नहीं।) इसका एक अपवाद है, जो यह है कि यदि कला टीम में बाकी सभी लोग भी इस पेशे से अपरिचित हों, और यह व्यक्ति दूसरों की तुलना में थोड़ा अधिक जानता हो और तेजी से सीखता हो। क्या उसे चुनना अपेक्षाकृत उचित होगा? (हाँ।) इस परिदृश्य से अलग, मान लो कि कलाकृति बनाने में शामिल सभी लोगों में से केवल यही व्यक्ति पेशे को नहीं जानता, लेकिन उसे इसलिए चुना जाता है क्योंकि वह सत्य समझता है और कलाकृति बनाना पसंद करता है—क्या यह उचित है? (नहीं, यह उचित नहीं है।) यह उचित क्यों नहीं है? क्योंकि ऐसा व्यक्ति पहली या एकमात्र पसंद नहीं हैं। तो फिर इस प्रकार के पर्यवेक्षक का चयन कैसे किया जाना चाहिए? उसे उन लोगों में से चुना जाना चाहिए जो पेशे में सबसे अधिक कुशल और अनुभवी हों; यानी, उसे विशेषज्ञ होना चाहिए, उसमें व्यावसायिक कौशल और कार्य क्षमता दोनों होनी चाहिए—किसी आम आदमी का चयन नहीं किया जाना चाहिए। यह एक पहलू है। इसके अलावा, उसे दायित्व उठाना चाहिए, आध्यात्मिक समझ होनी चाहिए और सत्य समझने में सक्षम होना चाहिए। उसके पास कम से कम परमेश्वर में विश्वास का आधार भी होना चाहिए। मुख्य सिद्धांत हैं : पहला, उसके पास कार्य क्षमता होनी चाहिए; दूसरा, उसे पेशा समझ में आना चाहिए; और तीसरा, उसके पास आध्यात्मिक समझ होनी चाहिए और सत्य समझने में सक्षम होना चाहिए। विभिन्न कार्यों के लिए पर्यवेक्षकों का चयन करने के लिए इन तीन मानदंडों का उपयोग करो।

विभिन्न कार्यों के पर्यवेक्षकों के संबंध में नकली अगुआओं की अभिव्यक्तियाँ

कार्य की विभिन्न विशिष्ट मदों के लिए पर्यवेक्षकों का चयन करने के बाद, ऐसा नहीं होना चाहिए कि अगुआ और कार्यकर्ता बस एक तरफ खड़े रहें और कुछ नहीं करें; कुछ समय तक उन्हें इन पर्यवेक्षकों को प्रशिक्षित और विकसित भी करना होता है ताकि यह देखा जा सके कि उनके चुने व्यक्ति वास्तव में कार्य की जिम्मेदारी ले सकते हैं या नहीं और इसे सही रास्ते पर ला सकते हैं या नहीं। अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने का यही मतलब है। मान लो कि चयन के समय तुम देखते हो कि अभ्यर्थी अपने पेशे को समझते हैं, काम करने की क्षमता रखते हैं, थोड़ा बोझ उठाते हैं, और आध्यात्मिक समझ तथा सत्य समझने की क्षमता रखते हैं, और तुम्हें लगता है कि सब कुछ ठीक रहेगा क्योंकि वे इन मामलों में योग्य हैं, और तुम कहते हो, “तुम लोग काम करना शुरू कर सकते हो; मैंने तुम लोगों को सभी सिद्धांत बता दिए हैं। अब से बस वही करो जिसका परमेश्वर का घर तुम्हें निर्देश दे।” क्या यह काम करने का स्वीकार्य तरीका है? क्या पर्यवेक्षकों की व्यवस्था कर लेने का मतलब यह है कि तुम इसे ऐसे ही छोड़ सकते हो? (नहीं, ऐसा नहीं है।) तो क्या किया जाना चाहिए? मान लो कि कोई अगुआ सप्ताह में दो बार पर्यवेक्षकों से मिलता है, और यह मानते हुए कि वे सभी पर्यवेक्षक अग्रसक्रिय हैं, भरोसेमंद हैं, और दूसरे लोग जो कहते हैं उसे समझने में सक्षम हैं, इसलिए वे सत्य के अनुसार अभ्यास कर सकते हैं, वह उनके साथ बस सत्य पर संगति करता है। यह अगुआ सोचता है कि उन्हें यह देखने या अनुसरण करने की आवश्यकता नहीं है कि ये पर्यवेक्षक अपना काम खास तौर पर कैसे करते हैं, क्या वे दूसरों के साथ सामंजस्यपूर्ण सहयोग करते हैं, क्या उन्होंने इस अवधि के दौरान इससे संबंधित व्यावसायिक कौशल को समझा है, या उन्होंने परमेश्वर के घर द्वारा उन्हें दिए गए कार्य को कितना पूरा किया है। क्या यही वह तरीका है जिससे किसी अगुआ और कार्यकर्ता को काम सँभालना चाहिए? (नहीं, यह तरीका नहीं है।) नकली अगुआ इसी तरह अपना काम करते हैं। वे एक बार में ही पूरा काम निपटा देने की कोशिश करते हैं, वे पर्यवेक्षकों की व्यवस्था करते हैं और कुछ सदस्यों को लेकर एक टीम बनाते हैं, और फिर कहते हैं, “काम शुरू करो। अगर तुम्हें किसी उपकरण की जरूरत हो तो मुझे बताओ, और परमेश्वर का घर तुम लोगों के लिए उसे खरीदेगा। यदि तुम्हें अपने दैनिक जीवन में किसी कठिनाई या परेशानी का सामना करना पड़े तो उन्हें बेझिझक बताओ, और परमेश्वर का घर हमेशा तुम्हारी उन समस्याओं का समाधान करेगा। यदि तुम्हें कोई कठिनाई नहीं है तो अपने काम पर ध्यान दो। विघ्न-बाधाएँ मत पैदा करो और भारी-भरकम लगने वाले विचार मत व्यक्त करो।” नकली अगुआ व्यवस्था करता है कि ये लोग एक साथ काम करें, और सोचता है कि उनके पास खाना-पानी और रहने की जगह होना ही पर्याप्त है, और उन पर कोई ध्यान देने की जरूरत नहीं है। जब ऊपरवाला पूछता है, “इस काम के लिए पर्यवेक्षकों का चयन किए हुए कितना समय हो गया है? काम की प्रगति कैसी है?” नकली अगुआ जवाब देता है, “छह महीने हो गए हैं। मैंने उनके लिए लगभग 10 सभाएँ की हैं, और उनका मन-मिजाज अच्छा दिखता है, और काम हो रहा है।” ऊपरवाला जब पूछता है, “तो, पर्यवेक्षकों की कार्य क्षमता कैसी है?” वह कहता है, “वह ठीक है; जब हमने उन्हें चुना था तो वे सबसे अच्छे थे।” ऊपरवाला उनसे पूछता है, “अब वे कैसे हैं? क्या वे वास्तविक काम कर सकते हैं?” वह जवाब देता है, “मैंने उनके लिए एक सभा आयोजित की थी।” ऊपरवाला कहता है, “मैंने यह नहीं पूछा कि तुमने कोई सभा आयोजित की या नहीं; मैंने पूछा कि उनका काम कैसा चल रहा है।” वह कहता है, “शायद सब ठीक है; किसी ने उनके बारे में कोई बुरी रिपोर्ट नहीं दी है।” ऊपरवाला जवाब देता है, “किसी ने उनके बारे में कुछ भी बुरा नहीं बताया है, यह कोई मानक नहीं है। तुम्हें यह देखना चाहिए कि उनकी कार्य क्षमता और व्यावसायिक कौशल कैसा है, और क्या उनके पास आध्यात्मिक समझ है, और क्या वे वास्तविक काम करते हैं।” वह जवाब देता है, “चयन के समय, वे ठीक लग रहे थे। मैंने बीते कुछ समय से इन विवरणों की जाँच नहीं की है। यदि तुम जानना चाहते हो तो मैं फिर से पूछूँगा।” नकली अगुआ इसी तरह काम करते हैं। वे अपने से नीचे के लोगों के साथ अंतहीन सभाएँ और संगति करते रहते हैं, लेकिन जब ऊपरवाले की बात आती है, तो टालमटोल करते हैं और अनमनेपन से जवाब देते हैं। नकली अगुआओं का सबसे अच्छा अनमना जवाब यह होता है कि “मैंने उनके लिए एक सभा आयोजित की थी। पिछली बार, मैंने काम के बारे में काफी विस्तार से पूछा था।” ऊपरवाले को वे इस तरह के जवाब देते हैं। क्या ये नकली अगुआ असली काम कर रहे हैं? क्या उन्होंने असली मुद्दों की पहचान की है? क्या उन्होंने उन्हें हल किया है? पर्यवेक्षकों की व्यवस्था करने के बाद, नकली अगुआ इस बारे में पूरी तरह से अनभिज्ञ होते हैं कि क्या पर्यवेक्षकों ने अपनी जिम्मेदारियाँ पूरी की हैं या क्या वे निष्ठावान रहे हैं, काम कैसे किया जा रहा है, परिणाम अच्छे हैं या बुरे, भाई-बहन उनके बारे में कैसी सूचना दे रहे हैं, या क्या उस काम के लिए और अधिक उपयुक्त व्यक्ति उपलब्ध हैं। वे इन चीजों से अनभिज्ञ क्यों हैं? क्योंकि वे यह वास्तविक काम नहीं करते; वे बस बेकार की चीजों में खुद को व्यस्त रखते हैं। उन्हें लगता है कि इस तरह से लगातार काम की निगरानी और निरीक्षण करना अनावश्यक है, इसका मतलब होगा कि उन्हें उन पर्यवेक्षकों पर भरोसा नहीं है। उनके दिमाग में होता है कि सभाएँ आयोजित करना अपनी जिम्मेदारियाँ पूरी करना और निष्ठा प्रदर्शित करना है। यह नकली अगुआओं द्वारा वास्तविक काम नहीं करने की प्राथमिक अभिव्यक्ति है।

I. नकली अगुआ उन पर्यवेक्षकों से कैसे पेश आते हैं जो वास्तविक कार्य नहीं करते

नकली अगुआ कलीसिया में हर तरह के कार्य के पर्यवेक्षकों की विभिन्न परिस्थितियों के प्रति अपनी आँखें मूँद लेते हैं; उन्हें इन परिस्थितियों की समझ नहीं होती, या वे उन्हें नहीं समझते, या उन्हें सँभालते नहीं, या उनका समाधान नहीं करते। पर्यवेक्षकों के सामने कौन-सी विशिष्ट परिस्थितियाँ होती हैं? पहली परिस्थिति यह होती है कि पर्यवेक्षक कोई बोझ नहीं उठाते, और अपना उचित या वास्तविक काम किए बिना खाते-पीते और मनोरंजन तलाशते रहते हैं। क्या यह एक गंभीर समस्या नहीं है? (हाँ, है।) कुछ लोगों में काम करने की क्षमता होती है, वे किसी पेशे में कुशल होते हैं, और अपने काम में सबसे अच्छे होते हैं; वे स्पष्टवादी और बुद्धिमान होते हैं, और यदि उन्हें कोई निर्देश दोहराने के लिए कहा जाए तो वे उसे शब्दशः दोहरा सकते हैं, वे काफी चतुर होते हैं; सभी लोग उनका मूल्यांकन काफी अच्छे के रूप में करते हैं, और वे काफी समय से विश्वासी रहे होते हैं। परिणामस्वरूप, उन्हें पर्यवेक्षक बनने के लिए चुना जाता है। हालाँकि, कोई नहीं जानता कि ये लोग व्यावहारिक हैं या नहीं, कीमत चुकाने में सक्षम हैं या नहीं, या वास्तविक काम करने में सक्षम हैं या नहीं। चूँकि लोगों ने उन्हें चुना होता है, इसलिए उन्हें परीक्षण के आधार पर शुरू में प्रोन्नत कर दिया जाता है ताकि उन्हें विकसित किया जा सके और उपयोग में लाया जा सके। परंतु, कुछ समय तक काम करने के बाद, पता चलता है कि व्यावसायिक कौशल और अनुभव होने के बावजूद, वे पेटू और आलसी हैं, और कीमत चुकाने के लिए तैयार नहीं हैं। काम के थोड़ा थकाऊ होते ही वे काम करना छोड़ देते हैं, और वे समस्याओं या कठिनाइयों से जूझ रहे किसी भी ऐसे व्यक्ति पर ध्यान नहीं देना चाहते, जिसे उनके मार्गदर्शन की आवश्यकता हो। सुबह आँख खुलते ही वे सोचते हैं, “आज मैं क्या खाऊँगा? किचन में दम देकर पकाया हुआ सुअर का मांस बने हुए कई दिन हो गए हैं।” आम तौर पर, वे हमेशा दूसरों से कहते हैं, “मेरे गृहनगर में वास्तव में स्वादिष्ट स्नैक्स मिलते हैं; त्योहारों पर हम उन्हें खाने बाहर जाते थे। जब मैं स्कूल में था, तो सप्ताहांत में मैं उस समय तक सोता था जब तक कि मैं अपने आप न जग जाऊँ, और फिर मैं अपना चेहरा धोने या अपने बालों को कंघी करने की जहमत उठाए बिना खाना खाने चला जाता था। अपराह्न में मैं आरामदेह कपड़ों में घर में वीडियो गेम खेलता था, कभी-कभी तो अगली सुबह 5 बजे तक खेलता रहता था। अब, परमेश्वर के घर के कार्य ने मुझे इस बिंदु पर ठेल दिया है, और एक पर्यवेक्षक के रूप में मुझे कुछ निश्चित चीजें करनी होती हैं। देखो कि तुम्हारे लिए यह सब कितना अच्छा है; तुम्हें यह कीमत नहीं चुकानी पड़ती। पर्यवेक्षक के रूप में मुझे कठिनाई सहन करने में सक्षम होना चाहिए।” वे यह सब कहते हैं, लेकिन क्या वे देह के विरुद्ध विद्रोह करते हैं? क्या वे कीमत चुकाते हैं? वे शिकायतों से भरे होते हैं, और कोई भी वास्तविक कार्य करने के लिए तैयार नहीं होते हैं। वे केवल धकेले जाने पर ही आगे बढ़ते हैं, और पर्यवेक्षण न किए जाने पर वे बेपरवाही से व्यवहार करते हैं। अपने कर्तव्य निर्वहन में वे सुस्त और अनुशासनहीन होते हैं, वे अक्सर चालाक होते हैं, काम में ढिलाई बरतते हैं, और रत्ती भर भी जिम्मेदार नहीं होते। जब उनकी जानकारी में आई व्यावसायिक समस्याओं की बात आती है तो वे दूसरों के लिए उन समस्याओं को ठीक नहीं करते, और वे तब खुश होते हैं जब बाकी सभी उन्हीं की तरह बेपरवाही से काम करते हैं। वे नहीं चाहते कि कोई भी काम को गंभीरता से ले। कुछ पर्यवेक्षक अपने कुछ कामों को लापरवाही और अनमने ढंग से निपटाते हैं, फिर वे लगातार एक के बाद एक टीवी ड्रामा देखते रहते हैं। वे लगातार एक के बाद एक टीवी ड्रामा किस कारण से देखते हैं? “मैंने अपने काम पूरे कर लिए हैं; मैं परमेश्वर के घर में मुफ्तखोरी नहीं कर रहा हूँ। मैं तो बस अपने दिमाग को तरोताजा करने के लिए आराम कर रहा हूँ। नहीं तो, मैं बहुत थक जाऊँगा और मेरी कार्य कुशलता पर बुरा असर पड़ेगा। मुझे अपनी कार्य कुशलता सुधारने के लिए कुछ समय आराम करने दो।” वे रात के 2 या 3 बजे तक नाटक देखते रहते हैं। अगले दिन सुबह 8 बजे जब सभी लोग नाश्ता खत्म कर अपने कर्तव्य करने में लग चुके होते हैं, तब भी ये पर्यवेक्षक सो रहे होते हैं, और सूरज के सिर पर चढ़ आने के बाद भी वे बिस्तर से नहीं उठते। बाद में, वे अनिच्छापूर्वक बिस्तर छोड़ते हैं, अंगड़ाई और जम्हाई लेते हुए अपने आलसी देह को आगे घसीटते हैं, और जब वे देखते हैं कि बाकी सभी ने काम शुरू कर दिया है, तो उन्हें डर लगता है कि दूसरे लोग उनके आलस्य पर ध्यान देंगे, तो बहाने ढूँढ़ने लगते हैं, “मैं कल रात बहुत देर तक जागता रहा, मेरे पास करने के लिए बहुत कुछ था, काम का बोझ बहुत ज्यादा था। मैं थोड़ा थका हुआ हूँ। मैंने तो कल रात सपना भी देखा कि किसी काम में कोई समस्या थी। जब मैं आज सुबह उठा, तो मेरे हाथ नींद में ही कंप्यूटर पर टाइप करने जैसी स्थिति में थे। मेरा दिमाग वास्तव में बहुत गड्डमड्ड है, और मुझे आज अपराह्न झपकी लेनी पड़ेगी।” वे बहुत देर से उठते हैं और फिर उन्हें दोपहर में भी झपकी लेनी होती है—क्या वे सूअर नहीं बन गए हैं? साफ तौर पर वे ढिलाई बरत रहे थे, फिर भी खुद को सही ठहराने और अपना बचाव करने के लिए बहाने बनाते हैं कि वे देर रात तक अपना काम कर रहे होने के कारण थके हैं। साफ तौर पर वे लगातार एक के बाद एक टीवी ड्रामा देख रहे थे, दैहिक सुख में लिप्त थे, और भोग-विलास की स्थिति में जी रहे थे, फिर भी वे दूसरों को धोखा देने के लिए उन्होंने अंततः एक अच्छा-सा बहाना ढूँढ़ लिया। क्या यह उनके उचित काम की ओर ध्यान नहीं देना नहीं है? (हाँ, यह है।) इस तरह के लोगों में काम करने की क्षमता और व्यावसायिक कौशल हो सकते हैं, लेकिन क्या वे मानक स्तर के पर्यवेक्षक हैं? जाहिर है, नहीं। वे पर्यवेक्षक होने लायक नहीं हैं क्योंकि वे बहुत आलसी हैं, वे दैहिक सुख-सुविधाओं में लिप्त हैं, भोजन, नींद और मनोरंजन के लालची हैं, और पर्यवेक्षक की जिम्मेदारियाँ उठा या निभा नहीं सकते हैं।

कुछ महिलाएँ अक्सर कपड़े, जूते, सौंदर्य प्रसाधन और भोजन सामग्रियाँ ऑनलाइन देखती रहती हैं, और इसके बाद लगातार एक के बाद एक सीरियल नाटक देखना शुरू कर देती हैं। लोग कहते हैं, “जब तुमने अपना काम पूरा नहीं किया है, तो नाटक क्यों देख रही हो? इसके अलावा, दूसरों की अभी भी बहुत सारी समस्याएँ हैं। बतौर पर्यवेक्षक, तुम्हें उनका मार्गदर्शन करना चाहिए। तुम अपनी जिम्मेदारियाँ क्यों नहीं निभा रही हो?” इस पर ये महिलाएँ कहती हैं, “लगातार सीरियल देखना भी मेरे काम का हिस्सा है। परमेश्वर के घर के वीडियो और फिल्में विकसित करनी होती हैं, और इन नाटकों में मुझे प्रेरणा ढूँढ़नी पड़ती है!” क्या यह कहना धूर्तता नहीं है? यदि वह इस पेशे में है, तो प्रेरणा के लिए कभी-कभार नाटक देखना स्वीकार्य है, लेकिन क्या दिन-रात नाटक देखना प्रेरणा की तलाश करना है? क्या यह धूर्तता नहीं है? (हाँ, है।) हर कोई जानता है कि क्या हो रहा है, इसलिए ऐसी बातें कहना अपनी गरिमा और ईमानदारी का सौदा करना है। कुछ लोगों को पहले से ही वीडियो गेम खेलने की आदत होती है, और यह उनके जीवन का एक नियमित हिस्सा बन चुका होता है। परंतु, पर्यवेक्षक के रूप में चुने जाने के बाद, क्या उन्हें इन बुरी आदतों और बुराइयों को नहीं बदलना चाहिए? (हाँ।) यदि तुम इनके खिलाफ विद्रोह नहीं कर सकते, तो पर्यवेक्षक के रूप में चुने जाने पर तुम्हें कहना चाहिए, “मैं यह काम नहीं कर सकता। मुझे वीडियो गेम खेलने की लत है। जब मैं उन्हें खेलता हूँ, तो मैं विस्मृति की स्थिति में पहुँच जाता हूँ, और किसी का भी हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं कर सकता, न ही कोई मुझे बदल सकता है। यदि तुम मुझे चुनते हो, तो इससे निश्चित रूप से काम में देरी होगी। इसलिए जल्दी से कार्रवाई करो और मुझे पर्यवेक्षक मत बनने दो।” यदि तुम पहले से ऐसी घोषणा नहीं करते हो और पर्यवेक्षक चुने जाने पर प्रसन्न और गौरवान्वित महसूस करते हो, इस रुतबे को सँजोते हो, लेकिन पर्यवेक्षक बनने से पहले की ही तरह अपनी मर्जी के मुताबिक वीडियो गेम खेलना जारी रखते हो, तो यह अनुचित है, और इससे निश्चित रूप से काम में देरी होगी।

कुछ पर्यवेक्षकों की कुछ बुरी आदतें होती हैं। जब भाई-बहन उन्हें चुनते हैं, तो कुछ लोग उनकी स्थिति को नहीं समझते, जबकि कुछ दूसरे लोग मानते हैं कि ये लोग खुद को पूरे समय के लिए परमेश्वर के लिए खपा सकते हैं, और सोचते हैं कि युवाओं की बुरी आदतें और बुराइयाँ उम्र और सत्य की निरंतर समझ के साथ धीरे-धीरे बदल सकती हैं। कई लोग जब इन व्यक्तियों को पर्यवेक्षक के रूप में चुनते हैं, तो वे यही रवैया और दृष्टिकोण अपनाते हैं। चुने जाने के बाद, ये लोग कुछ काम करते हैं, लेकिन वे ज्यादा समय तक टिक नहीं पाते और नकारात्मक हो जाते हैं और सोचते हैं, “पर्यवेक्षक बनना आसान नहीं है। मुझे सुबह जल्दी उठ कर देर तक जागना पड़ता है, और मुझे हर कदम पर दूसरे लोगों की तुलना में ज्यादा काम और ज्यादा जाँच-परख करनी पड़ती है। मुझे चिंता भी ज्यादा करनी पड़ती है, और अपना समय और ऊर्जा भी ज्यादा खर्च करनी पड़ती है। यह काम कठिन है; बहुत थकाऊ है!” नतीजतन, वे काम छोड़ने के बारे में सोचते हैं। यदि तुम बोझ नहीं उठाते हो, तो तुम पर्यवेक्षक का काम नहीं कर सकते। अगर तुम अपने दिल में बोझ उठाने की भावना रखते हो, तो तुम काम के बारे में चिंता करने के इच्छुक रहोगे, और भले ही तुम दूसरों की तुलना में थोड़े ज्यादा थके हुए हो, लेकिन तुम्हें ऐसा नहीं लगेगा कि तुम कष्ट झेल रहे हो। जब आराम करने का समय होगा, तब भी तुम सोच रहे होगे कि “आज का काम कैसा रहा?” अगर तुम्हें अचानक कोई ऐसा मुद्दा याद आ जाए जो अभी तक अनसुलझा है, तो तुम सो नहीं पाओगे। अगर तुम अपने दिल में एक बोझ रखते हो, तो तुम हमेशा काम के बारे में सोचोगे, और तुम्हें इस बात की भी परवाह नहीं होगी कि तुम ढंग से खा रहे हो या नहीं, या आराम कर रहे हो या नहीं। अगर लोग पर्यवेक्षक के तौर पर बहुत कम बोझ उठाते हैं, तो उनका थोड़ा-बहुत उत्साह केवल कुछ दिनों तक ही टिक पाता है, और समय बीतने के साथ, उनमें से कुछ लोग इसे बर्दाश्त नहीं कर पाते। वे सोचते हैं, “यह काम बहुत थका देने वाला है। मैं मनोरंजन करने और थोड़ा आराम करने का क्या तरीका अपनाऊँ? मैं कुछ वीडियो गेम खेलूँगा।” थोड़े समय तक वे अच्छा प्रदर्शन करते हैं, लेकिन अचानक उन्हें वीडियो गेम खेलने की इच्छा होने लगती है। एक बार शुरू करने के बाद, वे रुक नहीं पाते; जो थोड़ा-बहुत बोझ वे कभी उठाते थे, वह गेम खेलते समय खत्म हो जाता है, साथ ही खुद को खपाने की उनकी उत्साहपूर्ण प्रेरणा, उनका संकल्प और अपने कर्तव्यों को पूरा करने के प्रति उनका सकारात्मक दृष्टिकोण भी खत्म हो जाता है। जब कोई उनसे कुछ पूछता है, तो वे अधीर हो जाते हैं। वे या तो लोगों की काट-छाँट करते हैं, या उन्हें भाषण देते हैं और उन पर कटाक्ष करते हैं, या काम को अनमने तरीके से करते हैं और अपना काम छोड़ देते हैं। क्या ऐसे पर्यवेक्षकों के साथ कोई समस्या नहीं है? (हाँ, है।) दिन में, वे बस ऊँघते हुए से तंद्रिल अवस्था में अपना काम बमुश्किल निपटाते हैं, और रात में, जब कोई नहीं देख रहा होता है, वे चुपके से वीडियो गेम खेलते हैं, पूरी रात पलक भी नहीं झपकाते। शुरुआत में, वे इस बारे में सहज महसूस करते हैं, सोचते हैं कि, “मैंने दिन में काम में देरी नहीं की। जो मुझे करना था, वह सारा काम मैंने कर लिया है। मैंने उन सभी समस्याओं का समाधान कर लिया है जिनके बारे में दूसरों ने मुझसे पूछा था। भले ही मैं वीडियो गेम खेलने के लिए समय निकालने के लिए रात में न सो पाऊँ, क्या इन सब बातों से मुझे निष्ठावान नहीं माना जाएगा?” इसके परिणामस्वरूप, एक बार जब वे वीडियो गेम खेलना शुरू कर देते हैं, तो वे रुक नहीं पाते, और वे किसी की बात नहीं सुनते। यद्यपि, इससे दूसरे लोगों के आराम या काम का वातावरण प्रभावित नहीं होता, फिर भी क्या ऐसे पर्यवेक्षक अपने काम की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठा सकते हैं? क्या वे इसे अच्छी तरह से कर सकते हैं? (नहीं।) क्यों नहीं कर सकते? वे अक्सर बिना सोए पूरी रात वीडियो गेम खेलते हैं और उन्हें दिन में काम करना पड़ता है—किसी व्यक्ति में कितनी ऊर्जा हो सकती है? अगर वे वीडियो गेम खेलने से इसी तरह से चिपके रहते हैं, तो क्या उनमें उच्च कार्य कुशलता रहेगी? निश्चित रूप से नहीं। इसलिए, ऐसे पर्यवेक्षक अपने कर्तव्यों को पूरा नहीं कर सकते या अपने काम की जिम्मेदारी बिल्कुल भी नहीं ले सकते। यद्यपि उनके पास व्यावसायिक कौशल और कुछ काबिलियत है, लेकिन उन्हें खेलने से प्रेम है और वे अपने उचित काम पर ध्यान नहीं देते। क्या इन पर्यवेक्षकों को बर्खास्त नहीं किया जाना चाहिए? अगर उन्हें बर्खास्त नहीं किया जाता है, तो काम में देरी होगी। कुछ लोग कहते हैं, “अगर उन्हें बर्खास्त कर दिया जाता है, तो हमें उनके जैसे व्यावसायिक कौशल वाला कोई और मिलना मुश्किल होगा। हमें उन्हें यह काम करने देना होगा—भले ही वे वीडियो गेम खेलें, फिर भी वे इस काम की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले सकते हैं।” क्या यह कथन सही है? (नहीं, यह सही नहीं है।) कोई व्यक्ति एक साथ दो चीजों पर ध्यान केंद्रित नहीं कर सकता; मनुष्यों में सीमित ऊर्जा होती है। यदि तुम अपनी अधिकांश ऊर्जा खेलने पर केंद्रित करते हो, तो अपने कर्तव्यों को करने के प्रति तुम्हारी निष्ठा प्रभावित होगी, और अपने कर्तव्यों को करने में तुम्हारी प्रभावशीलता बहुत कम हो जाएगी। यह कर्तव्य करने के प्रति गैर-जिम्मेदाराना रवैया है। भले ही कोई व्यक्ति अपना पूरा दिल और अपनी सारी ऊर्जा अपने कर्तव्यों में लगा दे, तब भी जरूरी नहीं होता कि परिणाम सौ प्रतिशत मानक स्तर के हों। अपना दिल और अपनी अधिकांश ऊर्जा खेलने में केंद्रित करने पर तो यह और भी बुरा होगा—तुम्हारे पास अपने कर्तव्य निर्वहन में उपयोग करने के लिए अधिक ऊर्जा और विचार नहीं बचेगा और अपने कर्तव्य करने में तुम्हारी प्रभावशीलता पर भी असर पड़ेगा। यह कहना कि प्रभावशीलता पर असर पड़ेगा, इसे कहने का रूढ़िवादी तरीका है; वास्तव में, अपने कर्तव्यों को करने में तुम्हारी प्रभावशीलता गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो जाएगी। यदि ऐसे पर्यवेक्षकों की पहचान हो जाती है तो उन्हें तुरंत दूसरा काम सौंपकर बरखास्त किया जाना चाहिए, क्योंकि उन्हें पहले ही खारिज किया जा चुका होता है। ऐसा नहीं है कि केवल उनका कर्तव्य निर्वहन मानक स्तर का नहीं होगा—वे पहले से ही अपने काम की जिम्मेदारी उठाने में असमर्थ हैं और अपने काम पर कोई सकारात्मक प्रभाव नहीं डाल सकते। इसलिए, उनके काम को सँभालने के लिए किसी ऐसे व्यक्ति को ढूंढ़ना बेहतर विकल्प होगा जिसमें व्यावसायिक कौशल थोड़ा कम होने के बावजूद वह ईमानदार और जिम्मेदार हो।

परमेश्वर का आशीष आपके पास आएगा! हमसे संपर्क करने के लिए बटन पर क्लिक करके, आपको प्रभु की वापसी का शुभ समाचार मिलेगा, और 2025 में उनका स्वागत करने का अवसर मिलेगा।

WhatsApp पर हमसे संपर्क करें