अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ (29) खंड तीन

II. विभिन्न विदेशी देशों में परमेश्वर के चुने हुए लोगों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित करें

क. परमेश्वर के चुने हुए लोगों की कानूनी स्थिति पर काम करना

विभिन्‍न विदेशी देशों में कलीसिया का कार्य करते समय पहली प्राथमिकता अपने कर्तव्य निभाने वाले कर्मियों के लिए उचित रूप से जगहों की व्यवस्था करना और उनकी सुरक्षा की गारंटी लेना होनी चाहिए ताकि वे सामान्य रूप से अपने कर्तव्य निभा सकें। एक और महत्वपूर्ण बात कानूनी स्थिति के मुद्दे को सँभालना है, जिस पर परमेश्वर के चुने हुए लोगों के किसी नए देश में पहुँचते ही ध्यान दिया जाना चाहिए। कानूनी स्थिति के बिना या अगर उनकी स्थिति वैध नहीं है तो उनके रहने का परिवेश कितना भी अच्छा क्यों न हो, उन्हें उस देश से निकाले जाने का जोखिम हमेशा बना रहता है। जिन व्यक्तियों की स्थिति वैध नहीं है उन्हें अवैध निवासी माना जाता है और इन लोगों की सुरक्षा जोखिम में होती है; उनकी सुरक्षा सुनिश्चित किए बिना, वे लंबे समय तक अपने कर्तव्य नहीं निभा सकते। इसलिए विदेश में अपने कर्तव्य निभाने वाले कर्मियों के लिए उचित जगहों की व्यवस्था करना अगुआओं और कार्यकर्ताओं का पहला कार्य है। उनके लिए जगह की उचित व्यवस्था होते ही अगला कदम उनकी कानूनी स्थिति पर काम शुरू करने की व्यवस्था करना होता है। किसी भी देश में, कानूनी स्थिति पर काम करने का न्यूनतम लक्ष्य भाई-बहनों को कानूनी रूप से वहाँ रहने में सक्षम बनाना होना चाहिए। महत्वपूर्ण कार्य-कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का यह भी एक महत्वपूर्ण पहलू है। वैध निवास प्राप्त करने के लिए पहली आवश्यकता यह है कि व्यक्ति की स्थिति वैध होनी चाहिए; वे कहीं भी अवैध रूप से नहीं रह सकते। वैधानिक आवासीय स्थिति के सरकारी विनियमों के अनुसार भाई-बहनों के लिए जगहों की व्यवस्था करने की अगुआओं और कार्यकर्ताओं को अपनी पूरी कोशिश करनी चाहिए। अगुआ और कार्यकर्ता या तो सीधे तौर पर जगहों की व्यवस्था करने के इस काम में शामिल हो सकते हैं या इस मामले की खोज-खबर रख सकते हैं। अगर ऐसे मामले हैं जिनकी असलियत वे समझ नहीं पा रहे हैं तो उन्हें तुरंत ऊँचे स्तर के अगुआओं और कार्यकर्ताओं से समाधान खोजना चाहिए। विशेष परिस्थितियों की अनुपस्थिति में, उन्हें कलीसिया के पिछले नियमों के अनुसार कार्य करना चाहिए। अगुआओं और कार्यकर्ताओं को समय-समय पर पूछताछ करनी चाहिए और अगर उन्हें पता चलता है कि किसी को उसकी कानूनी स्थिति या किसी विशेष परिस्थिति में समस्या आ रही है, तो उन्हें परमेश्वर के चुने हुए लोगों की कानूनी स्थिति पर काम करने से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए विदेशी मामलों को सँभालने वाले कर्मियों की व्यवस्था करनी चाहिए। बेशक पहला कदम कानूनी स्थिति के काम को सँभालने के लिए कुछ विशेषज्ञ वकीलों को ढूँढ़ना है। वकीलों को काम पर रखते समय ठगे जाने से बचने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए—नकली वकीलों या कानूनी स्थिति की प्रक्रिया में विशेषज्ञता नहीं रखने वाले वकीलों को काम पर नहीं रखा जाना चाहिए। अगुआओं और कार्यकर्ताओं को सबसे पहले कानूनी स्थिति पर काम करने के इन पहलुओं पर विचार करना चाहिए और इन मामलों की अच्छी तरह से व्यवस्था करनी चाहिए। यह कार्य भी महत्वपूर्ण कार्य-कर्मियों की रक्षा करने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने का हिस्सा है; ऐसे में, जब इस कार्य को करने की बात आती है तो अगुआओं और कार्यकर्ताओं को हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठना चाहिए। कुछ लोग कहते हैं, “अपने कर्तव्य निभाने वाले कर्मियों के लिए जगहों की व्यवस्था करना परमेश्वर के घर का कार्य है; हमें इसे केवल तभी करना है जब सीधे ऊपरवाले से कार्य व्यवस्थाएँ प्राप्त हों। अगर ऊपरवाला इसकी व्यवस्था नहीं करता है तो हमें इसके बारे में परेशान होने की जरूरत नहीं है; और अगर कुछ गलत भी होता है तो इसका हमसे कोई लेना-देना नहीं है। इसके अलावा, प्रत्येक देश में आप्रवास और कानूनी स्थिति को लेकर अलग-अलग विनियम हैं; हम इतने बड़े मुद्दे नहीं सँभाल सकते! हर किसी को बस खुद पर भरोसा करना होगा और सबसे अच्छे नतीजे की उम्मीद रखनी होगी—अगर वे किसी देश में रह सकते हैं तो वे रहें; नहीं तो वे वापस चले जाएँ।” क्या ये शब्द सही हैं? (नहीं।) इस रवैये के बारे में तुम्हारा क्या ख्याल है? (यह गैर-जिम्मेदाराना रवैया है।) एक ओर, यह गैर-जिम्मेदाराना है; वहीं दूसरी ओर, यह नकली अगुआओं द्वारा वास्तविक कार्य नहीं करने और जिम्मेदारी से भागने की अभिव्यक्ति है। अगुआओं और कार्यकर्ताओं के लिए, विदेशों में महत्वपूर्ण कार्य-कर्मियों के लिए जगहों की व्यवस्था करना भी कार्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जैसे ही उनके लिए जगहों की उचित व्यवस्था हो जाती है और वे सामान्य रूप से अपने कर्तव्य निभा सकते हैं तो अगला कदम उनकी कानूनी स्थिति पर काम करने में उनका मार्गदर्शन करने के लिए विदेशी मामलों को सँभालने वाले कर्मियों की व्यवस्था करना है। खासकर जब कानूनी स्थिति पर काम करने के दौरान विशेष परिस्थितियाँ उत्पन्न होती हैं जिन्हें भाई-बहन सँभाल नहीं सकते, अगुआओं और कार्यकर्ताओं को हल खोजने के तरीकों पर विचार करना चाहिए और इस मुद्दे को अनदेखा नहीं करना चाहिए। अगर कानूनी स्थिति पर काम करने में कोई समस्या है तो यह कोई छोटी बात नहीं है और इसे जल्द से जल्द हल किया जाना चाहिए। इसमें देरी मत करना—कल करे सो आज कर, आज करे सो अब; इसे कल पर टालने से ऐसे परिणाम हो सकते हैं जो तुम्हारी कल्पना से भी ज्यादा भयानक होंगे। अगर अगुआ और कार्यकर्ता लापरवाह हैं और अपनी जिम्मेदारी निभाने पर ध्यान नहीं देते, मामले को तत्परता से नहीं सँभालते और कानूनी स्थिति पर काम करने के लिए सबसे अच्छे समय को टाल देते हैं, जिससे अपने कर्तव्य निभाने वाले कर्मी सामान्य रूप से ऐसा नहीं कर पाते हैं तो जिम्मेदारी किसकी है? इन व्यक्तियों ने कलीसिया के अगुआओं और कानूनी स्थिति पर काम करने वाले कर्मियों से अनुरोध किए, अगुआओं और कार्यकर्ताओं को इनके बारे में पता था, मगर क्योंकि उन्होंने या तो मामले को गंभीरता से नहीं लिया या फिर इसे सँभालने से बचने के लिए बहाने बनाए, कुछ महत्वपूर्ण कार्य-कर्मियों की कानूनी स्थिति पर काम करने में देरी हुई, जिससे कलीसिया के कार्य के कुछ महत्वपूर्ण हिस्से कुछ हद तक प्रभावित हुए। तो तुम लोगों को क्या लगता है कि यहाँ जिम्मेदारी किसे उठानी चाहिए? (अगुआओं और कार्यकर्ताओं को।) परमेश्वर के घर ने बार-बार इस मामले पर जोर दिया है। अगुआ और कार्यकर्ता इसके बारे में अनजान नहीं हैं, न ही ऐसा है कि उन्हें इस बारे में पता नहीं है या उनमें समझ की कमी है; बल्कि वे इसके बारे में जानते हुए भी इसे गंभीरता से नहीं लेते हैं। जब तक यह उनके अपने मामलों से संबंधित नहीं है, जब तक यह किसी और की समस्याएँ हैं, वे इसे जब भी संभव हो इसे टाल देते हैं, जिससे परमेश्वर के चुने हुए लोगों की कानूनी स्थिति पर काम करने जैसे महत्वपूर्ण मामले में देरी होती है। जब परिणाम सामने आते हैं तो अगुआओं और कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी उठानी चाहिए। यह जिम्मेदारी सिर्फ नाममात्र की नहीं है—अगर इससे कलीसिया का कार्य प्रभावित होता है, खासकर परमेश्वर के घर का महत्वपूर्ण कार्य प्रभावित होता है तो अगुआओं और कार्यकर्ताओं द्वारा उठाई जाने वाली जिम्मेदारी महत्वपूर्ण हो जाती है। कम से कम, परमेश्वर उन्हें दोषी ठहराएगा, यह अपराध होगा—यही परिणाम होगा। अगर यह ऐसा कुछ है जो तुम्हें करना है, जो तुम्हारी जिम्मेदारियों के दायरे में आता है और तुम इसे नहीं करते या इसे अनदेखा करते हो या कुछ व्यक्तिगत कारणों से इसमें देरी करते हो तो जिम्मेदारी तुम्हें ही उठानी होगी। कुछ लोग कहते हैं, “मुझे नहीं पता था कि इसे कैसे हल करना है; मेरे पास आगे बढ़ने के लिए कोई रास्ता नहीं था।” मगर क्या तुमने इसे गंभीरता से लिया और मौका मिलते ही ऊँचे स्तर के अगुआओं और कार्यकर्ताओं से पूछा? कुछ अन्य लोग कहते हैं कि वे अन्य कामों में व्यस्त होने के कारण इसके बारे में भूल गए। भले ही वे वास्तव में व्यस्त होने के कारण इस बारे में भूल गए हों, मगर जब कोई उनके सामने यह मुद्दा उठाता है और उन्हें बार-बार याद दिलाता है तो वे इसे कैसे भूल सकते हैं? यह किस समस्या का संकेत है? (उन्होंने भाई-बहनों की कानूनी स्थिति पर काम करने के मामले को दिल से नहीं लिया; उन्हें किसी भी तरह के बोझ का एहसास नहीं है।) यह तथ्य कि वे इतने महत्वपूर्ण मामले को भूल सकते हैं, यह दर्शाता है कि उनमें जिम्मेदारी की भावना नहीं है और वे भरोसे के लायक नहीं हैं। तुम परमेश्वर के चुने हुए लोगों की कानूनी स्थिति पर काम करने जैसी महत्वपूर्ण बात को भूल सकते हो—क्या तुम अपनी खुद की कानूनी स्थिति पर काम करना भूल जाओगे? अगर तुम अपना खुद का मुद्दा नहीं भूलते मगर दूसरों की बातें भूल सकते हो, तो इससे यह साबित होता है कि तुम्हारा चरित्र खराब है, तुममें प्रेम की कमी है, तुम स्वार्थी और नीच हो। तुमने अपनी कानूनी स्थिति पर काम कर लिया, मगर तुम भाई-बहनों की कानूनी स्थिति पर काम करना एक साधारण, तुच्छ मामला मानते हो—या इसे पूरी तरह से अनदेखा ही कर देते हो—और आखिरकार उनकी कानूनी स्थिति पर काम करने जैसे इस महत्वपूर्ण मामले में देरी करते हो। क्या तुम वह जिम्मेदारी उठा सकते हो? क्या ऐसे अगुआओं और कार्यकर्ताओं में अंतरात्मा और विवेक की पूरी तरह कमी नहीं है? वे बहुत स्वार्थी और नीच हैं! वे केवल अपने बारे में सोचते हैं और दूसरों की उपेक्षा करते हैं—यह किस समस्या का संकेत है? क्या वे नकली अगुआ नहीं हैं? (बिल्कुल हैं।) इस प्रकार उनकी समस्या का सार पूरी तरह से उजागर हो जाता है। वे भाई-बहनों की कानूनी स्थिति पर काम करने पर ध्यान देना ही नहीं चाहते; उन्हें यह परेशानी भरा लगता है। अपने दिलों में वे सोचते हैं, “भाई-बहनों की कानूनी स्थिति पर काम करने का मुझसे क्या लेना-देना है?” भाई-बहनों की कानूनी स्थिति पर काम करने के मामले के प्रति वे ऐसा रवैया अपनाते हैं, आखिरकार इस महत्वपूर्ण मामले में देरी करते हैं, भाई-बहनों के कर्तव्य पालन और कलीसिया के कार्य को प्रभावित करते हैं। क्या तुम्हारे हिसाब से ऐसे नकली अगुआओं को दंड मिलना चाहिए? (हाँ।) उन्हें जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए क्योंकि यह जानबूझकर किया गया था; यह निश्चित रूप से किन्हीं वस्तुनिष्ठ कारकों के कारण हुई आकस्मिक देरी नहीं थी। अगर भूकंप, बाढ़ जैसी कोई प्राकृतिक आपदा होती या कोई बड़ी राजनीतिक घटना जो परिवहन और संचार को बाधित करती, जिससे इन मामलों को सँभालना असंभव हो जाता तो यह समझ में आता है। लेकिन अगर इनमें से कोई भी घटना नहीं हुई और फिर भी वे भाई-बहनों की कानूनी स्थिति पर काम करना भूल गए या उसे नजरअंदाज किया, इन व्यक्तियों की कानूनी स्थिति जैसे महत्वपूर्ण मामले में देरी की, तो ऐसा अगुआ या कार्यकर्ता अपनी जिम्मेदारी में लापरवाह है। उसे दोष देना और जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। समझे? (समझ गए।) यह देखते हुए कि तुम अगुआ या कार्यकर्ता हो, तुम्हारे पास वह कार्य करने की जिम्मेदारी है जो तुम्हें करना चाहिए। तुम्हारी जिम्मेदारी के दायरे में आने वाली हर चीज के लिए, तुम्हें परमेश्वर के घर की आवश्यकताओं के अनुसार इसे ठीक से सँभालना और पूरा करना चाहिए। लेकिन अगर तुम जानबूझकर इसे करने से बचते हो या इसमें देरी करते हो, तो यह तुम्हारी जिम्मेदारी की अवहेलना है और यह लापरवाही एक अपराध है। अगर तुम जानबूझकर किसी मामले में देरी करते और इसे सँभालते नहीं हो तो तुम्हारी नाकामयाबी आखिरकार एक अपराध बन जाएगी और परमेश्वर तुम्हें दोष देगा। तुम्हें इस मामले के लिए जवाबदेह ठहराया जाएगा।

विदेशों में अगर परमेश्वर के चुने हुए लोगों के कानूनी दर्जे को लेकर कुछ समस्याएँ हैं या अगर उनके पड़ोसी या अजनबी उनके बारे में शिकायत दर्ज करते हैं या उनकी रिपोर्ट करते हैं तो उन्हें देश से निकाले जाने का खतरा हो सकता है। ऐसा भी हो सकता है कि विदेशों में परमेश्वर के चुने हुए कुछ लोगों को कुछ देशों की सरकारें मनगढ़ंत आरोपों के तहत हिरासत में लेकर दंडित करें या गिरफ्तार करके जेल में डाल दें। स्थिति चाहे जो भी हो, जब अगुआओं और कार्यकर्ताओं को इसके बारे में पता चलता है तो उन्हें अपने खोल में छिपे कछुओं की तरह काम नहीं करना चाहिए; उन्हें जल्द से जल्द इस मामले को सँभालना चाहिए, जिसका अंतिम लक्ष्य भाई-बहनों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और उन्हें बुरे लोगों के हाथों में नहीं पड़ने देना है। अगर अगुआ और कार्यकर्ता केवल कलीसिया के कार्य की व्यवस्था करने की परवाह करते हैं, मगर भाई-बहनों को कानूनी दर्जा दिलाने की प्रक्रिया पर कोई ध्यान नहीं देते, जिसके कारण भाई-बहनों को उनके पास कानूनी दर्जा नहीं होने के कारण गिरफ्तार किया जाता है या देश से निकाल दिया जाता है तो ये कैसे परिणाम हैं? क्या ऐसे अगुआओं और कार्यकर्ताओं ने भाई-बहनों के अपने कर्तव्य निभाने के अवसर को बर्बाद नहीं किया है? क्या इससे कलीसिया का कार्य सीधे प्रभावित नहीं होता है। तब इस समस्या की प्रकृति बहुत गंभीर है। अगर अगुआओं और कार्यकर्ताओं ने पहले इस मामले को नहीं सँभाला है तो वे भाई-बहनों के बीच किसी ऐसे व्यक्ति को खोज सकते हैं जो विदेशी मामलों को सँभालने में कुशल हो, ताकि वे इस मामले को सँभालने के लिए किसी वकील से सलाह ले सकें, भाई-बहनों की सुरक्षा और महत्वपूर्ण कार्य-कर्मियों की सुरक्षा करने के अपने लक्ष्य को हासिल करने की कोशिश कर सकें। यह भी कार्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसे अगुआओं और कार्यकर्ताओं को विदेशों में करना चाहिए; स्थानीय अगुआओं और कार्यकर्ताओं को इस मामले को सँभालने के लिए पहल करनी चाहिए। स्थानीय भाई-बहनों की सुरक्षा करने के अलावा, उन्हें विदेशी भाई-बहनों की और भी ज्यादा सुरक्षा करनी चाहिए; केवल इसी तरह से कलीसिया के कार्य के लिए विश्वास बना रहेगा। यही वह जिम्मेदारी है जिसे हर देश के अगुआओं और कार्यकर्ताओं को स्थानीय भाई-बहनों और महत्वपूर्ण विदेशी कार्य-कर्मियों के प्रति पूरी करनी चाहिए; उन्हें चुपचाप खड़े नहीं रहना चाहिए। कुछ अगुआ और कार्यकर्ता कहते हैं, “वे विदेशी भाई-बहन हैं और हम उनसे परिचित नहीं हैं; हमारे बीच कोई व्यक्तिगत संबंध नहीं है। उन्हें परमेश्वर के घर ने यहाँ सुसमाचार प्रचार के लिए भेजा है—इसका हमसे क्या लेना-देना? यह दुर्घटना उनकी अपनी करनी का नतीजा है; उन्होंने आने से पहले परिस्थिति की स्पष्ट रूप से पूछताछ नहीं की और इन मामलों को अच्छी तरह से नहीं सँभाला। इस दुर्घटना में हस्तक्षेप करने का हमारे पास कोई तरीका नहीं है; क्या पता सरकार उनके साथ क्या करेगी।” वे इन मामलों से बचने और इन्हें टालने के लिए बस अलग-अलग बहाने बनाते हैं, उन्हें हल करने के लिए आगे बढ़ने के तरीके खोजने की कोशिश नहीं करते। क्या इस तरह से काम करना सही है? (नहीं।) क्यों नहीं? (अगर अगुआ और कार्यकर्ता इन समस्याओं को हल करने के लिए आगे नहीं बढ़ते हैं और इस बीच भाई-बहनों के पास समस्याओं को हल करने का कोई रास्ता नहीं होता है तो परेशानी निश्चित रूप से पैदा होगी। अगुआओं और कार्यकर्ताओं ने भाई-बहनों की रक्षा करने की अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं की है—यह उनकी जिम्मेदारी की अवहेलना है।) अगुआओं और कार्यकर्ताओं का कर्तव्य हर उस जिम्मेदारी को पूरा करना है जिसे अगुआओं और कार्यकर्ताओं को परमेश्वर के घर में पूरा करना चाहिए। परमेश्वर के घर का दायरा स्थानीय इलाके, स्थानीय क्षेत्र या किसी निश्चित देश तक सीमित नहीं है; परमेश्वर के घर की कोई राष्ट्रीय सीमाएँ, कोई क्षेत्रीय सीमाएँ नहीं हैं। क्या परमेश्वर लोगों को चुनने और बचाने में नस्ल और जाति की सीमाएँ रखता है? (बिल्कुल नहीं।) क्या राष्ट्रीयता या क्षेत्र की सीमाएँ होती हैं? (ऐसी भी कोई सीमा नहीं है।) ऐसा कुछ भी नहीं है। परमेश्वर इसी सिद्धांत के अनुसार अपना कार्य करता है; इस प्रकार, यह सिद्धांत सत्य है! भाई-बहन चाहे किसी भी देश से हों, वे सभी एक परमेश्वर में विश्वास रखते हैं, एक परमेश्वर का अनुसरण करते हैं और उस सत्य को खाते-पीते हैं जिसकी संगति और आपूर्ति एक परमेश्वर करता है। वे एक परमेश्वर द्वारा किए जाने वाले कार्य का अनुभव करते हैं और एक परमेश्वर की आराधना करते हैं। त्वचा का रंग या नस्ल कोई भी हो, परमेश्वर के घर में और परमेश्वर के सामने वे सभी एक हैं—वे एक परिवार हैं। क्योंकि वे एक परिवार हैं तो उनके बीच कोई भेद नहीं होना चाहिए; कोई जातीय या क्षेत्रीय सीमाएँ नहीं होनी चाहिए; “तुम एशियाई हो, मैं यूरोपीय हूँ,” या “तुम गोरे हो, मैं गोरा नहीं हूँ” जैसे भेदभाव नहीं होने चाहिए—ये भेद नहीं होने चाहिए। अगर तुम फिर भी परमेश्वर के घर में ये भेद करते हो तो यह स्पष्ट है कि तुम परमेश्वर के घर को परमेश्वर का घर नहीं मानते और न ही खुद को परमेश्वर के घर का सदस्य मानते हो। इसलिए, जब विदेशी भाई-बहन देश से निकाले जाने या गैरकानूनी गिरफ्तारी जैसी समस्याओं का सामना करते हैं, तो चाहे वे कहीं से भी आते हों, उनकी राष्ट्रीयता चाहे जो भी हो या उनकी त्वचा का रंग कैसा भी हो, वे भाई-बहन हैं—चूँकि वे भाई-बहन हैं, जब वे समस्याओं का सामना करें तो स्थानीय अगुआओं और कार्यकर्ताओं को आगे बढ़कर इस मामले को कर्तव्यनिष्ठ तरीके से सँभालना चाहिए और लोगों के बीच भेदभाव नहीं करना चाहिए। यह सिद्धांतों के मुताबिक और पूरी तरह से परमेश्वर के इरादों के अनुरूप है; यही वह सत्य है जिसका लोगों को अभ्यास करना चाहिए।

वर्तमान में चीन से परमेश्वर के चुने हुए कई लोग सुसमाचार प्रचार करने और परमेश्वर की गवाही देने के लिए विभिन्न देशों में जा रहे हैं। इन देशों में पहुँचने के बाद उन्हें सबसे पहले अपने को कानूनी दर्जा दिलाने की प्रक्रिया पर काम करना चाहिए, तभी वे शांत मन से अपना काम कर सकते हैं। कानूनी दर्जा दिलाने की प्रक्रिया पर काम करना कोई आसान बात नहीं है; इसके लिए स्थानीय कलीसिया के लोगों के सहयोग की आवश्यकता होती है। विभिन्न देशों में कलीसियाओं के प्रभारी लोगों को कुछ ऐसे भाई-बहनों को खोजना चाहिए जो अपने देश की नीतियों को समझते हों और इसके कानूनों को जानते हों, ताकि चीन से आए परमेश्वर के चुने हुए लोगों को कानूनी दर्जा दिलाने की प्रक्रिया पर काम करने के मुद्दे को सुलझाने में मदद मिल सके। इस मुद्दे को सुलझाना सबसे महत्वपूर्ण है। विभिन्न देशों की कलीसियाओं के अगुआओं और कार्यकर्ताओं को इस पर काम करने की पूरी कोशिश करनी चाहिए, क्योंकि लोगों को कानूनी दर्जा दिलाने के मुद्दे को पूरी तरह सुलझाने से ही कलीसिया का कार्य सामान्य रूप से आगे बढ़ सकता है; नहीं तो कलीसिया का कार्य प्रभावित होगा। विभिन्न देशों में कलीसियाओं के प्रभारी लोगों को ऐसे मामलों को सँभालने में सक्षम लोगों के साथ तैयार रहना चाहिए। ऐसा करने से कलीसिया के कार्य को फायदा होता है और यह परमेश्वर के इरादों के प्रति विचारशील होने की अभिव्यक्ति भी है। कुछ अगुआ और कार्यकर्ता कह सकते हैं, “हमने इस तरह के मामले को पहले कभी नहीं सँभाला है और हमें नहीं पता कि क्या करना है।” ऐसी स्थिति में उन्हें उन लोगों को खोजना चाहिए जो इस तरह के मामलों को समझते हों। हर देश में परमेश्वर के चुने हुए लोगों के बीच शिक्षित और ज्ञानी लोग होते हैं और ऐसे लोग भी होते हैं जो राष्ट्रीय कानूनों और नीतियों को समझते हैं। उनके लिए, इन मामलों को सँभालने के लिए कोई रास्ता खोजने में केवल थोड़े से परामर्श की जरूरत होती है—क्या ऐसा नहीं है? इस तरह के मामले को सँभालने में तुम्हें उदासीन और निष्क्रिय नहीं होना चाहिए; अगर तुम्हें कुछ समझ में नहीं आता है तो तुम्हें परामर्श के लिए कोई वकील खोजना चाहिए। अगर तुम्हें इससे संबंधित कोई वकील मिल जाता है तो रास्ता भी अपने आप ही खुल जाएगा। हम इस मामले को नहीं समझ सकते हैं, मगर वकील समझेगा। खोज करने वाला दिल होना सही रवैया है; खोज करने वाला दिल होना जिम्मेदारी की भावना होने की अभिव्यक्ति है। अगर कुछ कठिनाइयाँ आती हैं तो तुम्हें साथ मिलकर एक दिल और एक मन से प्रार्थना, खोज और संगति करनी चाहिए और समस्या को सुलझाने के सिद्धांत और मार्ग खोजने के बाद तुम्हें इस समस्या को पूरी तरह से हल करना चाहिए। तभी कलीसिया का कार्य सुचारु रूप से आगे बढ़ सकता है। अगर किसी समस्या का पता चलने पर अगुआ और कार्यकर्ता तुरंत इसके बारे में जान सकते हैं, इसकी खोज-खबर रख सकते हैं और इसका समाधान कर सकते हैं तो क्या वे जिम्मेदार अगुआ और कार्यकर्ता नहीं हैं? (बिल्कुल हैं।) ऐसे अगुआओं और कार्यकर्ताओं में न केवल जिम्मेदारी की भावना होती है बल्कि वे समस्याओं को तुरंत सुलझा भी सकते हैं; यानी उनके ऐसे अगुआ और कार्यकर्ता बनने की उम्मीद है जो मानक के अनुरूप हों। सत्य की उनकी समझ की गहराई चाहे जो भी हो, अगर वे समस्याओं को सुलझाने पर ध्यान देते हैं तो वे वास्तविक कार्य करने में सक्षम हैं। कम से कम, वे कम गलतियाँ करने या कोई गलती नहीं करने का लक्ष्य हासिल कर सकते हैं; और अगर वे कुछ गलतियाँ करते भी हैं तो उन्हें तुरंत सुधारकर कुछ नुकसानों की भरपाई कर सकते हैं, जिससे आखिरकार परमेश्वर के घर के कार्य की सुरक्षा का लक्ष्य हासिल होता है। क्या तुम लोगों को लगता है कि इस जिम्मेदारी को पूरा करना मुश्किल है? (नहीं।) वास्तव में यह मुश्किल नहीं है; यह इस बात पर निर्भर करता है कि लोग अपने कर्तव्य निभाने में निष्ठावान हैं या नहीं और क्या वे अपने काम में अपनी जिम्मेदारी को पूरा कर सकते हैं। तुम्हें बस थोड़ा विचार करने, थोड़ा समय बिताने और थोड़ी ऊर्जा लगाने की जरूरत है; इसके लिए तुम्हें पैसे खर्च करने या कोई जोखिम उठाने की जरूरत नहीं है। तुम्हें बस समस्याओं को सुलझाने और मामलों को अच्छी तरह से सँभालने में मदद करने के लिए आगे बढ़ने की जरूरत है और इस तरह तुम मानक पर खरे उतर सकते हो। तो यह कोई मुश्किल बात नहीं है; और अगुआओं और कार्यकर्ताओं के लिए इसे हासिल करना आसान होना चाहिए। मगर कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इतना आसान काम भी नहीं कर पाते; बहुत स्पष्ट है कि यह काबिलियत या योग्यता की कमी या फिर प्रतिकूल परिस्थितियों या परिवेश के कारण नहीं है, बल्कि इसलिए है क्योंकि वे इसे करने के लिए तैयार नहीं हैं। जब ऐसी विशेष परिस्थितियाँ उत्पन्न होती हैं जिनमें महत्वपूर्ण कार्य-कर्मियों के कानूनी दर्जे या वैधानिक आवासीय दर्जे या उनके नियुक्ति स्थान की व्यवस्था करने से संबंधित मामले शामिल होते हैं तो अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी होती है कि वे यह काम करें। चाहे तुम किसी के लिए भी नियुक्ति स्थान की व्यवस्था कर रहे हो या उसकी राष्ट्रीयता या नस्ल चाहे जो भी हो; तुम्हें बस इसे परमेश्वर से आया मानकर स्वीकारना है। यह कार्य परमेश्वर ने तुम्हें सौंपा है; यह तुम्हारी जिम्मेदारी और दायित्व है, साथ ही तुम्हारा मिशन भी है। यह कार्य जिसे तुम स्वीकारते हो, वह परमेश्वर से आता है, किसी व्यक्ति से नहीं; इसलिए तुम्हें इस बात से परेशान नहीं होना चाहिए कि वे लोग कौन हैं जिनके लिए तुम नियुक्ति स्थानों की व्यवस्था कर रहे हो। कुछ लोग कह सकते हैं, “स्थानीय भाई-बहनों की सुरक्षा करना स्वीकार्य है, लेकिन अगर विदेशी भाई-बहन यहाँ आते हैं तो यह हमारी परेशानी नहीं है।” क्या ऐसा कहने वाले लोग जिम्मेदारी या मानवता की भावना रखते हैं? (नहीं।) वे स्थानीय भाई-बहनों को भाई-बहन मानते हैं, मगर विदेशी भाई-बहनों को भाई-बहन नहीं मानते—क्या यह सही है? (नहीं।) क्या यह सत्य के अनुरूप है? (नहीं।) यह सत्य के अनुरूप क्यों नहीं है? (नकली अगुआ परमेश्वर के इरादों के प्रति विचारशील नहीं होते; वे विदेशी भाई-बहनों को अनदेखा करते हैं और समस्याएँ आने पर उन्हें सँभालने के लिए आगे नहीं आते—वे परमेश्वर के घर के कार्य की सुरक्षा नहीं करते।) नकली अगुआ विभिन्न प्रकार के बहाने बनाकर जिम्मेदारी से भागते हैं और वास्तविक कार्य नहीं करते। वे दावा करते हैं कि वे परमेश्वर के लिए खुद को खपाने और सत्य का अभ्यास करने के लिए तैयार हैं, मगर जब वास्तव में कलीसिया के कार्य के अहम मामलों की बात आती है तो वे छिप जाते हैं। यह गैर-जिम्मेदार होना है। विदेशों में भाई-बहनों की सुरक्षा से संबंधित सभी मुद्दों के लिए, अगुआओं और कार्यकर्ताओं को उन्हें तुरंत सँभालना चाहिए, इसे एक जिम्मेदारी और ऐसे काम की तरह देखना चाहिए जिसे पूरा करना जरूरी है। उन्हें इसे टालने के लिए बहाने नहीं बनाने चाहिए, न ही उनके द्वारा इस कार्य की उपेक्षा से परमेश्वर के घर के विभिन्न कार्यों की प्रगति पर कोई प्रभाव पड़ने देना चाहिए।

ख. सभी भाई-बहनों को कानून की बुनियादी जानकारी प्रदान करना

विदेशों में भाई-बहनों की सुरक्षा से संबंधित कार्य के और कौन-से पहलू हैं जिनके बारे में तुम लोग सोच सकते हो? (विदेशों में अगुआओं और कार्यकर्ताओं को सभी भाई-बहनों को कानून की कुछ बुनियादी जानकारी भी देनी चाहिए ताकि उनमें कानूनी जागरूकता की भावना विकसित हो और वे कानून का उल्लंघन करने वाली गतिविधियों में शामिल होने से बचें।) अगुआओं और कार्यकर्ताओं को सभी भाई-बहनों को बुनियादी कानूनी जानकारी और विभिन्न सरकारी विनियमों की समझ प्रदान करनी चाहिए। वे जिस देश में रहते हैं वहाँ के स्थानीय भाई-बहनों से इन इलाकों के बारे में और ज्यादा जानना चाहिए, जैसे कि यहाँ की आप्रवासन नीतियाँ और दैनिक जीवन से संबंधित नीतियाँ; और फिर भाई-बहनों को इनका अध्ययन करने के लिए संगठित करना चाहिए ताकि वे राष्ट्रीय सरकार के विनियमों का सख्ती से पालन करें और कानून का उल्लंघन करने वाला कोई भी काम करने से बचें। विशेष रूप से, चीन से परमेश्वर के चुने हुए लोग, जो कई सालों से तानाशाही शासन में रहे हैं, उनके पास कानूनी जानकारी की कमी होती है और वे कानून के महत्व को नहीं समझते। इस कारण, वे असभ्य लोगों की तरह लापरवाही और बेपरवाही से काम करते हैं। जब वे विदेश में रहने आते हैं तो वे बहुत अनभिज्ञ दिखाई देते हैं और अक्सर ऐसे काम करते हैं जो नियमों की समझ की कमी को दर्शाते हैं। जैसे कि कुछ पश्चिमी लोकतांत्रिक देशों में सामाजिक व्यवस्था बहुत अच्छी तरह से प्रबंधित होती है, वहाँ रात 10 बजे से सुबह 8 बजे तक शोर-शराबे पर पाबंदी के विनियम हैं—कुत्तों के भौंकने या निर्माण संबंधी मशीनरी की गड़गड़ाहट जैसी कोई आवाजें भी नहीं आ सकतीं। अगर कोई इन विनियमों का उल्लंघन करता है और उसकी रिपोर्ट की जाती है तो इस मामले को पुलिस सँभालेगी। चीन की मुख्य भूमि में, कोई भी इन मामलों का प्रबंधन नहीं करता; जहाँ भी लोग रहते हैं, वहाँ तेज आवाज में संगीत बजाने, नाचने-गाने, शराब पीने और पार्टी करने के कारण बेतहाशा शोर होगा और कोई भी हस्तक्षेप नहीं करता है। अगर कोई कुछ करने की कोशिश करे तो उसे प्रतिशोध का सामना करना पड़ सकता है; इसलिए चीनी लोगों के पास इसे सहने के अलावा और कोई चारा नहीं होता। पश्चिमी देश अलग हैं; हर कोई कानून द्वारा संरक्षित है। अगर तुम्हारा कुत्ता भी अक्सर आधी रात को भौंकता है, जिससे तुम्हारे पड़ोसियों के आराम में खलल पड़ता है तो वे तुम्हारे खिलाफ शिकायत दर्ज करेंगे। अगर तुम्हारे कुछ करने से दूसरों के सामान्य जीवन पर प्रभाव पड़ता है तो तुमने कानूनी विनियमों का उल्लंघन किया है—उनका तुम्हारे खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए कानून को हथियार बनाकर इस्तेमाल करना वैध है। कुछ लोग रात के 11 या 12 बजे तक निर्माण का काम जारी रखते हैं, जिससे उनके पड़ोसियों के आराम में खलल पड़ता है और शिकायतें दर्ज की जाती हैं। फिर पुलिस जुर्माना लगाने आती है और उन्हें निर्धारित समय के दौरान शोर नहीं करने की चेतावनी देती है। कुछ लोगों में पर्यावरण की स्वच्छता के बारे में भी जागरूकता की कमी है, वे सड़कों पर कूड़ा-कचरा फैला देते हैं। पश्चिमी लोकतांत्रिक देश विशेष रूप से व्यवस्थित होते हैं। निवासियों के कूड़ा फेंकने के लिए निर्धारित समय होता है और कूड़ा उठाने वाली गाड़ियाँ निर्धारित दिनों पर कूड़ा इकट्ठा करने आती हैं। कूड़ा इकट्ठा करने के बाद सड़कें साफ रहती हैं। जो लोग इस बात को नहीं समझते वे कूड़ा फैला सकते हैं, जिसे विनियमों का उल्लंघन माना जाता है। इससे सार्वजनिक स्वच्छता और शहर की सुंदरता प्रभावित होती है, इसलिए उनके खिलाफ शिकायत दर्ज की जा सकती है। नियमों का पालन नहीं करने वाले चीनी लोगों को अक्सर विदेशों में रहने पर शिकायतें मिलती हैं। कई बार उनके खिलाफ शिकायत दर्ज होने के बाद, वे पश्चिमी लोगों के बारे में यह कहते हुए राय बनाते हैं, “पश्चिमी लोगों को शिकायत दर्ज करवाना बहुत पसंद है; वे हर छोटी-छोटी बात पर शिकायत करते हैं,” जिस पर मेरा कहना है, “उन्होंने तुम्हारे खिलाफ इतने सारे मामलों पर शिकायतें दर्ज करवाईं और फिर भी तुमने आत्म-चिंतन नहीं किया, बल्कि शिकायत दर्ज करवाने के लिए उन्हें दोषी ठहराया। तो क्या उनका शिकायत दर्ज करवाना सही था? तुमने जो किया वह सही था या गलत?” उनका शिकायत दर्ज करवाना बिल्कुल सही था; तुमने उनके हितों को नुकसान पहुँचाया और उनके जीवन को प्रभावित किया, तो वे तुम्हारे खिलाफ शिकायतें क्यों न दर्ज करें? यह सामाजिक व्यवस्था की रक्षा के लिए किया जाता है और यह दर्शाता है कि यह देश कानून द्वारा शासित है; हर कोई कानून द्वारा संरक्षित है और इस देश में कानून दिखावे के लिए नहीं है—हर कोई अपने अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए कानून का हथियार के रूप में इस्तेमाल कर सकता है। वे तुम्हारे खिलाफ शिकायतें इसलिए दर्ज करवा रहे हैं क्योंकि तुम कानून को नहीं समझते और तुमने स्थानीय विनियमों का उल्लंघन किया है। तुम्हें पहले स्थानीय विनियमों को जानना चाहिए और कानूनों और विनियमों के अनुसार काम करना चाहिए—तो क्या तुम्हें लगता है कि वे तब भी तुम्हारे खिलाफ शिकायत दर्ज करवाएँगे? (वे और शिकायतें दर्ज नहीं करवाएँगे।) तो चीनी लोग कभी शिकायतें दर्ज क्यों नहीं करवाते, चाहे मामला कितना भी गंभीर क्यों न हो? (वे बहुत लंबे समय से सरकार द्वारा प्रताड़ित किए गए हैं। वे शिकायतें दर्ज करवाने की जुर्रत नहीं करते। चीनी लोगों के पास अपने अधिकारों की रक्षा करने जैसी कोई अवधारणा भी नहीं है।) चीन कानून द्वारा शासित देश नहीं है। यह कानून के अनुसार संचालित नहीं होता। चीन के कानून सिर्फ दिखावे के लिए हैं और वहाँ शिकायत दर्ज करवाना बेकार है। अगर तुम शिकायत दर्ज करवाते भी हो और दूसरे पक्ष के पास ताकत और प्रभाव है, तो वे तुम्हारे पीछे पड़ सकते हैं। अगर तुम्हारे पास कोई प्रभाव नहीं है तो तुम शिकायत दर्ज करवाने की हिम्मत तक नहीं करोगे; शिकायत दर्ज करवाने से तुम पर आसानी से मुसीबत आ सकती है। इसलिए जब चीनी लोग उत्पीड़न का सामना करते हैं—खासकर ऐसे मामलों में जहाँ किसी की हत्या की गई है—तो उसकी मौत चाहे कितनी भी अनुचित क्यों न हो, अगर अपराधी कुछ पैसे दे दे तो मामला रफा-दफा कर दिया जाता है। पीड़ित व्यक्ति के परिवार वाले मुकदमा क्यों नहीं दायर करवाते? क्योंकि वे जानते हैं कि वे कभी नहीं जीतेंगे; इसमें बहुत सारा पैसा खर्च होगा, फिर भी उन्हें न्याय नहीं मिलेगा, न ही अपराधी को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा, इसलिए वे कानूनी कार्रवाई करने के बजाय इसे निजी तौर पर निपटाने का रास्ता चुनते हैं। चीन के कानून केवल दिखावे के लिए हैं; चीन में कानून का शासन नहीं है, वहाँ न्याय माँगने के लिए कोई जगह नहीं है। मुकदमा दायर करवाना बेकार है। इसलिए चीनी लोगों को चाहे कितनी भी गैरकानूनी स्थितियों का सामना करना पड़े, वे शिकायतें दर्ज करवाने की जुर्रत नहीं करते। ऐसा इसलिए है क्योंकि कम्युनिस्ट पार्टी सिर्फ गलत काम करने के अलावा और कुछ नहीं करती, यह तर्क से परे है और कानून के अनुसार शासन नहीं करती। चीन में अगर कोई साधारण व्यक्ति है तो उसकी समस्या चाहे कितनी भी गंभीर क्यों न हो, वह कम्युनिस्ट पार्टी की नजरों में चिंता का विषय नहीं है—कोई भी उस पर ध्यान नहीं देगा। दूसरों के आराम को प्रभावित करने वाली चीजें या यहाँ तक कि चोरी, डकैती और सेंधमारी के मामलों को कम्युनिस्ट पार्टी समस्या मानती ही नहीं है। लेकिन पश्चिमी देशों में ऐसा नहीं होता। पश्चिम में एक लोकतांत्रिक व्यवस्था है और कानून द्वारा शासित समाज है; अगर किसी के आराम में खलल पड़ता है तो शिकायत दर्ज की जाएगी; और पुलिस मामले की जाँच करने और उसे निपटाने आएगी। पश्चिमी लोगों में यह कानूनी जागरूकता है और वे ऐसी बेवकूफी भरी चीजें नहीं करते हैं; केवल विदेश से आने वाले लोग जो इन नियमों को नहीं समझते, ऐसी बेवकूफी भरी चीजें करते हैं। जब चीनी लोग पहली बार विदेश में रहना शुरू करते हैं तो उन्हें अक्सर शिकायतें मिलती हैं। समय के साथ, वे स्थानीय कानूनों और विनियमों के बारे में जान जाते हैं और तब कानून का उल्लंघन करने या दूसरों को परेशान करने वाली चीजें करने की हिम्मत नहीं करते। इसलिए अगुआओं और कार्यकर्ताओं को उस देश के विभिन्न कानूनों और विनियमों के बारे में भाई-बहनों को सीखने के लिए संगठित करना चाहिए जिसमें वे रहते हैं। चाहे उनका इरादा कुछ भी करने का हो, उन्हें पहले कानून की जानकारी लेनी चाहिए—भले ही वे अपने घर के आँगन में मुर्गियाँ या सूअर पाल रहे हों, उन्हें पहले सरकार के विनियमों को जानना चाहिए। वे ऑनलाइन जानकारी देख सकते हैं या स्थानीय भाई-बहनों से सलाह लेकर सटीक जवाब पा सकते हैं। विभिन्न पश्चिमी देशों में सभी मामलों के लिए सरकार के विशिष्ट विनियम हैं। उदाहरण के लिए, निर्माण के संबंध में ऐसे नियम हैं कि बिजली के आउटलेट फर्श से कितने ऊँचे होने चाहिए और हर एक आउटलेट कितनी दूरी पर होना चाहिए। सीढ़ी की रेलिंग की मोटाई और सीढ़ी के बलस्तर की चौड़ाई के लिए भी विशिष्ट मानक हैं। सरकारी कर्मी निर्माण कार्य के हर चरण की जाँच-पड़ताल करते हैं, इसलिए निर्माण संहिता का उल्लंघन करने वाली या गैर-विनियमित निर्माण वाली इमारतों की संख्या काफी कम है। अगर निवासी अपने आँगन में कोई मकान, टूल शेड या भंडारण के लिए छोटा शेड बनाना चाहते हैं तो उन्हें सरकार से अनुमति लेनी होगी। अगर वे मुर्गियाँ या बत्तखें पालना चाहते हैं तो इस बात के विनियम हैं कि उनके बाड़े उनके पड़ोसियों की संपत्ति से कितनी दूरी पर होने चाहिए। भले ही अगुआ और कार्यकर्ता इन कानूनों और विनियमों को न समझें, अगर कलीसिया के कार्य में ये मामले शामिल हैं तो अगुआओं और कार्यकर्ताओं को उन पर ध्यान देना चाहिए। उन्हें पहले स्थानीय कानूनों और सरकारी विनियमों की जानकारी लेनी चाहिए; इन मामलों पर स्पष्ट होना हमारे कर्तव्य निर्वहन के लिए फायदेमंद है। भले ही कानूनी मामले कलीसिया के अंदरूनी कार्य से सीधे संबंधित नहीं हैं, फिर भी सभी को कानून के बारे में बुनियादी जानकारी देना फायदेमंद है। कम से कम, वे कुछ ज्ञान हासिल कर सकेंगे, कुछ नियमों को समझ सकेंगे, सही तरीके से जीना सीखेंगे और मानव के सामान रह सकेंगे। इसके अलावा, अगुआओं और कार्यकर्ताओं को विदेशी मामलों के लिए जिम्मेदार लोगों के साथ संगति करनी चाहिए, कानूनी जागरूकता विकसित करने में उनकी मदद करनी चाहिए। छोटे-मोटे मामलों के लिए, किसी वकील से परामर्श करना अनावश्यक है—उन्हें सिर्फ स्थानीय नियमों को समझकर उनका सख्ती से पालन करने की जरूरत है। लेकिन बड़े मामलों के लिए, उन्हें स्थानीय कानूनों की समझ हासिल करने के लिए किसी वकील से परामर्श करना चाहिए। संक्षेप में, चाहे जो भी किया जा रहा हो, सभी क्रियाकलाप कानूनों और विनियमों के अनुरूप किए जाने चाहिए। कुछ समय तक इस तरह से अभ्यास करने से लोगों को कानूनों और विनियमों का पालन करने के महत्व का अनुभव करने का मौका मिलेगा और वे चीजों को करते समय नियमों का पालन करेंगे। यह कलीसिया के कार्य के लिए भी फायदेमंद है।

परमेश्वर का आशीष आपके पास आएगा! हमसे संपर्क करने के लिए बटन पर क्लिक करके, आपको प्रभु की वापसी का शुभ समाचार मिलेगा, और 2025 में उनका स्वागत करने का अवसर मिलेगा।

WhatsApp पर हमसे संपर्क करें