अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ (29) खंड दो
III. अगुआओं और कार्यकर्ताओं को कर्मियों की नियुक्तियों की व्यवस्था का कार्य कैसे करना चाहिए
महत्वपूर्ण कार्य-कर्मियों के रहने के परिवेश को लेकर, चाहे वह अंदरूनी परिवेश से संबंधित हो या बाहरी, अगुआओं और कार्यकर्ताओं को सभी पहलुओं पर अच्छी तरह से विचार करना चाहिए। उन्हें अपनी सोच में भोलापन नहीं रखना चाहिए और यह मानकर नहीं चलना चाहिए कि अगर हम बाहरी दुनिया से बातचीत नहीं करेंगे तो कुछ नहीं होगा। आज का समाज बेहद पेचीदा है, जहाँ सभी तरह के राक्षस रहते हैं; जगह चाहे जो भी हो, हमेशा दूसरों के मामलों में टाँग अड़ाने वाले लोग होंगे जो तुम पर नजर रखते हैं, और उनकी जाँच-पड़ताल से बचना नामुमकिन होता है। तुम सोच सकते हो, “मैंने परमेश्वर में विश्वास रखकर कोई कानून नहीं तोड़ा है या कोई गलत काम नहीं किया है। मैं बस अपना कर्तव्य निभा रहा हूँ; मेरे साथ कुछ नहीं होना चाहिए, है ना?” मगर तथ्य उतने सरल नहीं हैं जितनी तुम कल्पना करते हो। सीसीपी परमेश्वर का प्रतिरोध करने और उसकी कलीसिया को दबाने के लिए इतना अधिक जनबल और संसाधन क्यों खर्च करती है? क्या तुम इसे समझ सकते हो? तुम यह कभी नहीं समझ पाओगे। तुम शैतानों और राक्षसों की प्रकृति की असलियत को कितना समझते हो? तुम राक्षसों और शैतानों के बारे में बहुत कम समझते हो। यह समाज बहुत पेचीदा है; राक्षस और शैतान ऐसे दुष्ट हैं जो बुरे कर्म करते हैं। उनका मुख्य मकसद परमेश्वर के चुने हुए लोगों को गिरफ्तार करना और कलीसिया के कार्य में बाधा डालना है। अगर तुम हमेशा शैतानों को बस साधारण लोगों की तरह देखते हो, तो तुम वाकई अज्ञानी हो; यह दर्शाता है कि तुमने इस समाज की बुराई की असलियत को नहीं समझा है और निश्चित रूप से तुमने राक्षसों और शैतानों की नफरत की असलियत को नहीं देखा है। इसलिए, कलीसिया का कार्य सही ढंग से करने के लिए अगुआओं और कार्यकर्ताओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जो लोग अपना कर्तव्य निभा रहे हैं उनकी सुरक्षा हो—यह सबसे महत्वपूर्ण है। तानाशाही शासन वाले देश में जहाँ विश्वास की कोई स्वतंत्रता नहीं है, कर्तव्य निभाने वालों की सुरक्षा सुनिश्चित करना काफी मुश्किल होता है। लेकिन चाहे यह कितना भी मुश्किल क्यों न हो, रहने के लिए उपयुक्त स्थान का सावधानी से चयन करना चाहिए; इस संबंध में कोई चूक नहीं होनी चाहिए। परमेश्वर के घर की कार्य व्यवस्थाओं में इन बातों पर संगति को शामिल किया गया है। अगुआओं और कार्यकर्ताओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भाई-बहन बिना किसी बाधा के या बिना बाहरी दुनिया की दखलंदाजी के अपना कर्तव्य निभा सकें—अगर वे अपना दिल लगाकर काम करें तो वे इसे पूरा कर सकते हैं। समस्या केवल तब होती है जब वे लापरवाही से और गैर-जिम्मेदारी से काम करते हैं, केवल अपनी सुरक्षा का ध्यान रखते हैं और भाई-बहनों की सुरक्षा को अनदेखा करते हैं। इससे कलीसिया का कार्य सही तरीके से होना संभव नहीं हो पाता है। अगर तुम्हारी चूक, गंभीरता की कमी, गैर-जिम्मेदारी की वजह से, या परिवेश और समस्या के डर के कारण तुम ये चीजें नहीं कर पाते हो और इस वजह से महत्वपूर्ण कर्तव्य निभाने वाले कर्मियों को गिरफ्तार कर लिया जाता है और भाई-बहनों के जीवन को खतरा होता है—जिससे कलीसिया के कार्य में देरी होती है और भाई-बहनों को नुकसान पहुँचता है—तो अगुआ या कार्यकर्ता के रूप में तुम्हें इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी। यह जिम्मेदारी केवल हर्जाने के कुछ पैसे देकर या प्रार्थना में अपनी गलती स्वीकार करके पूरी नहीं की जा सकती; यह इतना सरल नहीं है। तो इस मामले की प्रकृति क्या है? यह एक कलंक है जो नहीं मिट सकता, ऐसा अपराध है जो हमेशा साथ रहेगा—यह तुम्हारा “दोष” है। यह “दोष” एक साधारण गलती को नहीं दर्शाता है; परमेश्वर की नजरों में यह एक अपराध है। अगर तुम्हारे अपराध बहुत अधिक हैं—तुमने पहले भी अपराध किए, आज भी अपराध कर रहे हो और भविष्य में भी करते रहोगे—तो कई बड़े अपराधों के जुड़ जाने से तुम्हें बर्बादी और विनाश झेलना पड़ेगा। परमेश्वर अब तुम्हें नहीं बचाएगा और परमेश्वर में तुम्हारा विश्वास व्यर्थ चला जाएगा। न सिर्फ तुम्हारे पास उद्धार की कोई आशा नहीं होगी, बल्कि तुम्हें दंड भी भुगतना होगा। इसलिए, यह जरूरी है कि अगुआ और कार्यकर्ता सिद्धांतों के अनुसार काम करें! क्या तुमने इसे याद कर लिया? (हाँ।) अगुआओं और कार्यकर्ताओं को अपनी जिम्मेदारियाँ पूरी करनी चाहिए और परिवेश चाहे कितना भी प्रतिकूल या खतरनाक क्यों न हो, उन्हें स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार महत्वपूर्ण कार्य-कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और उनके लिए उचित नियुक्तियों की व्यवस्था करने की हर संभव कोशिश करनी चाहिए। इसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि कलीसिया का कार्य सामान्य रूप से आगे बढ़ सके।
अगुआओं और कार्यकर्ताओं की यह सुनिश्चित करने में मदद करने के लिए कि महत्वपूर्ण कार्य-कर्मियों के लिए व्यवस्थित स्थान बाहरी दुनिया के हस्तक्षेप से मुक्त हों, निवास और उसके परिवेश संबंधी अपेक्षाओं और सिद्धांतों के अलावा, मेजबान परिवार की परिस्थिति के विभिन्न पहलुओं के लिए भी अपेक्षाएँ और सिद्धांत मौजूद हैं। जब अगुआओं और कार्यकर्ताओं को कोई संभावित मेजबान परिवार मिलता है, तो उन्हें सबसे पहले इन चीजों के बारे में पूछना चाहिए कि परिवार का माहौल और परिस्थितियाँ कैसी हैं, उसके सदस्यों की स्थिति कैसी है, क्या उनका दूसरों के साथ कोई विवाद है, कोई दुश्मनी है, सरकार के साथ कोई तकरार है, क्या वे अक्सर मुकदमों में शामिल होते हैं, क्या उनके सामाजिक संबंध जटिल हैं, वगैरह। इन सभी बुनियादी स्थितियों के बारे में अच्छी तरह से पूछताछ की जानी चाहिए और उनके बारे में पता लगाया जाना चाहिए। अगर मेजबान या उनके बच्चों और परिवार के अन्य सदस्यों के सामाजिक संबंध पेचीदा हैं और परिवार में लगातार अशांति बनी रहती है—अक्सर संदिग्ध व्यक्तियों का आना-जाना लगा रहता है जो मुसीबत खड़ी करने या कर्ज वसूलने आते हैं या फिर डाकुओं या लुटेरों से धमकी भरी चिट्ठियाँ मिलती रहती हैं, साथ ही सरकार या अदालत से बुलावा आता रहता है—तो ये सभी काफी परेशानी वाले मामले हैं। अगर तुम इस घर में सभा कर रहे होते या अपना कर्तव्य निभा रहे होते, तो क्या ये चीजें बाधाएँ नहीं डालतीं? इसलिए, जब भी कोई मेजबान परिवार मिले, तो सबसे पहले तुम्हें सवाल पूछने चाहिए और उनकी बुनियादी स्थिति के बारे में जानना चाहिए। इन समस्याओं का मौजूद नहीं होना ही सबसे अच्छा होगा, लेकिन अगर वे मौजूद हैं और तुम्हें अभी कोई ज्यादा उपयुक्त स्थान नहीं मिल पा रहा है, तो इस बात पर विचार करो कि क्या मेजबान इन समस्याओं से प्रभावी ढंग से निपट सकता है या नहीं। अगर मेजबान इनसे प्रभावी ढंग से नहीं निपट सकता है और इन अराजक समस्याओं से छुटकारा नहीं पा सकता है, तो यह घर भाई-बहनों की मेजबानी के लिए उपयुक्त नहीं है, क्योंकि यहाँ रहने का मतलब होगा कि वे किसी भी समय बाहरी दुनिया और बाहरी लोगों, घटनाओं और चीजों के हस्तक्षेप से पीड़ित हो सकते हैं। ये परिवेश सीधे उन लोगों को निशाना नहीं बनाते जो परमेश्वर में विश्वास रखते हैं। लेकिन विश्वासी एक ऐसे देश में विशेष रूप से संवेदनशील समूह हैं जहाँ धर्म को सताया जाता है; इसके अलावा, सरकार के दुष्प्रचार करने, बुद्धि भ्रष्ट करने, अफवाहें गढ़ने और बदनाम करने के अथक प्रयासों के बाद, अविश्वासी न केवल परमेश्वर में विश्वास रखने वाले लोगों को समझ नहीं पाते, बल्कि यहाँ तक कि सीसीपी की बयानबाजी पर भी विश्वास करने लगते हैं, जिससे विश्वासियों के प्रति एक विशेष घृणा और शत्रुता विकसित हो जाती है। इसलिए, अगर उन्हें पता चलता है कि किसी घर में विश्वासियों की मेजबानी हो रही है, तो यह मेजबान परिवार और भाई-बहनों, दोनों के लिए बहुत खतरनाक हो जाता है। जब भाई-बहन ऐसे परिवेश में रहते हैं, तो न केवल उन्हें अक्सर हस्तक्षेप का सामना करना पड़ता है बल्कि उनकी सुरक्षा भी सुनिश्चित नहीं की जा सकती। तो फिर उन्हें वहाँ क्यों रहने दिया जाए? साफ तौर पर यह खतरनाक जगह है, रहने के लिए उपयुक्त नहीं है—उन्हें फौरन कहीं और भेज देना चाहिए। अगुआओं और कार्यकर्ताओं को भाई-बहनों के लिए नियुक्तियों की व्यवस्था करने के बाद बस यह सोचते हुए मामले से अपना पल्ला नहीं झाड़ लेना चाहिए, “जब तक उनके पास खाने और सोने की जगह है और खराब मौसम से सुरक्षित हैं, तब तक सब ठीक है। जब तक वे अपना कर्तव्य निभा सकते हैं, तब तक कोई दिक्कत नहीं है। वैसे भी हमें इतने सारे उपयुक्त स्थान कहाँ मिलेंगे?” यह बहुत गैर-जिम्मेदाराना है! अगर उस समय कोई उपयुक्त स्थान उपलब्ध नहीं है तो वे वहाँ कुछ समय के लिए रह सकते हैं, मगर तुम्हें जल्द से जल्द उन्हें कहीं और भेजने के लिए तुरंत एक उपयुक्त स्थान खोजना चाहिए; इसे स्थायी निवास मत समझो।
कुछ अगुआ और कार्यकर्ता वास्तविक कार्य नहीं करते हैं। वे महत्वपूर्ण कार्य-कर्मियों के लिए किसी खास जगह पर नियुक्तियों की व्यवस्था करते हैं, पूछते हैं कि भोजन और आराम की व्यवस्थाएँ कैसी हैं और कहीं कोई अविश्वासी उन पर नजर तो नहीं रख रहा है। यह सुनकर कि कुछ दिनों से कुछ भी असामान्य नहीं देखा गया है, वे इस मामले को ऐसे ही छोड़ देते हैं, आधे साल या उससे भी ज्यादा समय तक उनका हाल-चाल नहीं पूछते। उन्हें लगता है कि उन्होंने अच्छी तरह से नियुक्तियों की व्यवस्था करके अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली है, वे मान लेते हैं कि सब कुछ हो गया है और ठीक है। जहाँ तक इस बात का सवाल है कि क्या आगे चलकर उस परिवेश में कोई हस्तक्षेप हो सकता है या कोई संभावित सुरक्षा जोखिम हो सकता है, वे इस पर और ध्यान नहीं देते। क्या यह उचित है? (नहीं।) यह उचित क्यों नहीं है? (नियुक्तियों की व्यवस्था करने के बाद अगुआओं और कार्यकर्ताओं को उनकी खोज-खबर लेते रहना जरूरी होता है। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं और भाई-बहन खुद को किसी खतरनाक स्थिति में पाते हैं और अपनी जगह नहीं बदल पाते हैं तो उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है।) मगर कुछ अगुआ और कार्यकर्ता सोचते हैं, “तुम सभी लोग वयस्क हो—क्या मुझे वाकई खोज-खबर लेने की जरूरत है? क्या तुम नहीं देख सकते कि वहाँ कोई खतरा है या नहीं? अगर तुम इतना भी नहीं कर सकते तो तुम्हारा दिमाग काम नहीं कर रहा होगा! अगर तुम्हें कोई खतरा दिखे तो खुद ही कहीं और चले जाओ—क्या मुझे वाकई तुम्हें यह बताने की जरूरत है?” वे इस तरह से तर्क देते हैं। क्या तुम लोगों को लगता है कि इस तर्क का कोई अर्थ है? (नहीं है।) क्यों नहीं? (क्योंकि महत्वपूर्ण कर्तव्य निभाने वालों की सुरक्षा सुनिश्चित करना स्वाभाविक रूप से अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी है; यह उनकी भूमिका में शामिल कार्य है जिसे उन्हें पूरा करना चाहिए।) वे इसे अगुआओं और कार्यकर्ताओं द्वारा किए जाने वाले कार्य के रूप में नहीं देखते हैं; उन्हें लगता है कि यह बस भाई-बहनों की मदद करना है, वैसे ही जैसे अच्छे कर्म करने के लेई फेंग वाले उदाहरण को मानना। वे इसे कलीसिया के कार्य को कायम रखने के लिए किए जाने वाले कार्य के रूप में भी नहीं देखते, बल्कि इसे कलीसिया के कार्य से असंबंधित, केवल कर्मियों के लिए नियुक्तियों की व्यवस्था के रूप में देखते हैं। क्या तुम इसे बेवकूफी नहीं कहोगे? किस प्रकार का व्यक्ति इस तरह से सोचेगा? (जिसके पास जिम्मेदारी की कोई भावना नहीं है।) वे आलसी, विश्वासघाती, गैर-जिम्मेदार नकली अगुआ इसी तरह से सोचते हैं। वे परमेश्वर के घर के कार्य को कायम नहीं रखते; भाई-बहनों के लिए जगह की व्यवस्था करने के बाद, वे सोचते हैं, “मैंने तुम लोगों के लिए इतनी अच्छी जगह पर नियुक्ति की व्यवस्था की है—मैंने तुम लोगों पर इतना बड़ा एहसान किया है!” वे इसे कलीसिया के कार्य को कायम रखने के रूप में नहीं देखते हैं। अगुआओं और कार्यकर्ताओं के रूप में, अगर तुम महत्वपूर्ण कार्य-कर्मियों के लिए नियुक्तियों की उचित व्यवस्था नहीं करते हो और उनकी सुरक्षा को प्रभावी ढंग से सुनिश्चित नहीं करते हो तो उनके किसी खतरे का सामना करने और सामान्य रूप से अपना कर्तव्य नहीं निभा सकने पर, क्या कलीसिया के कार्य में देरी नहीं होगी? तुम्हें सबसे पहले उनके लिए नियुक्तियों की उचित व्यवस्था करनी चाहिए ताकि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित हो सके; उसके बाद ही वे सामान्य रूप से काम करना शुरू कर सकते हैं। मगर वे नकली अगुआ इस तरह से नहीं सोचते हैं; वे इन लोगों को किसी जगह पर छोड़कर उन्हें अनदेखा कर देते हैं और लंबे समय तक उनका हाल-चाल नहीं पूछते हैं। जब कोई खतरनाक स्थिति उत्पन्न होती है और वे अपने अगुआ तक नहीं पहुँच पाते हैं तो उनके पास खुद कहीं और चले जाने के अलावा कोई और चारा नहीं होता है। जब तक उनके अगुआ को पता चलता है और वह आखिरकार जाँच करने जाता है, तब तक लोग बहुत पहले ही जा चुके होते हैं और अगुआ को पता भी नहीं होता कि वे कहाँ चले गए। यह किस तरह का व्यक्ति है? यह किस तरह का अगुआ या कार्यकर्ता है? एक नकली अगुआ। खास तौर पर उन भाई-बहनों के लिए जो दूसरे इलाकों से आए हैं और स्थानीय परिवेश से अनजान हैं, अगुआओं और कार्यकर्ताओं को नियमित रूप से उनसे मिलना और उनकी खोज-खबर लेते रहना चाहिए। अगुआओं और कार्यकर्ताओं को यह नहीं मानना चाहिए कि उनके लिए एक बार कोई जगह तय कर देने से सब कुछ हमेशा के लिए हल हो जाएगा; असल में, यह काम अभी पूरा होने से कोसों दूर है। उन्हें अक्सर उनसे मिलने और उनकी खोज-खबर लेने की जरूरत है। अगर अगुआओं और कार्यकर्ताओं के लिए वहाँ जाकर उनसे मिलना असुविधाजनक है, तो उन्हें दूसरों को जाँच करने के लिए नियुक्त करना चाहिए। कम से कम, उन्हें इस काम की खोज-खबर तो लेनी ही चाहिए—इन महत्वपूर्ण कार्य-कर्मियों के रहने के परिवेश का आकलन करना और यह जाँच करना कि क्या कोई खतरा या कुछ असामान्य तो नहीं है, या क्या कोई विशेष परिस्थितियाँ उत्पन्न हुई हैं और क्या कहीं और जाने की जरूरत है। इन सभी के बारे में पता लगाया जाना चाहिए और खोज-खबर लेते रहना चाहिए। अगर हाल-फिलहाल के लिए यह जगह सबसे उपयुक्त लगती है तो ठीक है, मगर कुछ समय बाद, उनके परिवेश और सुरक्षा की जाँच करने और यह जानने के लिए कि क्या उनके पास पर्याप्त भोजन और आपूर्ति है, उन्हें फिर जाना चाहिए—इन सबके बारे में पूछताछ करनी चाहिए। ऐसा हो सकता है कि अगुआ और कार्यकर्ता महत्वपूर्ण कार्य-कर्मियों के काम को न समझें, ऐसी स्थिति में उन्हें उस पहलू में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, मगर उनके लिए उचित तरीके से नियुक्तियों की व्यवस्था करना अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी है—ऐसा नहीं करना उनकी जिम्मेदारी का उल्लंघन है और यह दर्शाता है कि वे नकली अगुआ हैं जो वास्तविक काम नहीं करते। खासकर अन्य इलाकों से आने वाले भाई-बहनों पर अधिक और करीब से ध्यान देने की जरूरत होती है और उनके साथ लापरवाही से पेश नहीं आना चाहिए। अगुआओं और कार्यकर्ताओं को समय-समय पर उनसे बात करनी चाहिए, यह देखना चाहिए कि क्या उन्हें कोई कठिनाई तो नहीं है जिसका समाधान करने की जरूरत है; इस दौरान जिस परिवेश में वे अपना कर्तव्य निभा रहे हैं उसमें कोई समस्या या विशेष परिस्थितियाँ तो नहीं उत्पन्न हुई हैं; उदाहरण के लिए, क्या स्थानीय सरकार, मोहल्ला समिति या पुलिस थाने से जुड़ी कोई असामान्य गतिविधि हुई है। अगुआओं और कार्यकर्ताओं को इन चीजों के बारे में पूछना चाहिए ताकि वे अच्छी तरह से जागरूक रह सकें। फिर, अगुआओं और कार्यकर्ताओं को अपने कर्तव्य निभाने वालों की उचित तरीके से मेजबानी करने और उनकी सुरक्षा करने के सिद्धांतों और अभ्यास के मार्गों पर मेजबान के साथ संगति करनी चाहिए ताकि मेजबान इन सिद्धांतों और अभ्यास के मार्गों को पूरी तरह से समझ सके। बात यहीं खत्म नहीं होती है। अगुआओं और कार्यकर्ताओं को समय-समय पर मेजबान परिवार से मिलना चाहिए और उनकी स्थिति के बारे में पूछताछ करनी चाहिए। उन्हें जो भी समस्याएँ पता चलती हैं, उनका तुरंत समाधान किया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आगे कोई समस्या उत्पन्न नहीं होगी। तभी कोई काम वास्तव में अच्छी तरह से पूरा होता है। अगर मेजबान को मेजबानी करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जैसे कि वित्तीय परेशानियाँ या बुद्धिमानी की कमी, जिससे वह उत्पन्न होने वाली स्थितियों का जवाब देने या उनसे निपटने में असमर्थ है, तो अगुआओं और कार्यकर्ताओं को इन मुद्दों को हल करने में मदद करनी चाहिए। वित्तीय परेशानियों को हल करना आसान है—परमेश्वर का घर मेजबानी के लिए धन मुहैया करा सकता है, जबकि मेजबान परिवार को केवल जनबल का योगदान करने की जरूरत है। अगर मेजबान में बुद्धिमत्ता की कमी है, तो यह बड़ी समस्या है। अगुआओं और कार्यकर्ताओं को इस बारे में आवश्यक बुद्धिमत्ता और अभ्यास के कुछ सिद्धांतों को स्पष्ट रूप से समझाना चाहिए। अगर मेजबान में अभी भी कमी रह जाती है तो अगुआओं और कार्यकर्ताओं को इस कार्य को अच्छी तरह से करने में मेजबान के साथ सहयोग करने के लिए आस-पास मौजूद किसी बुद्धिमान भाई या बहन को तलाशना चाहिए। अगर समस्या मेजबान में ही है—जैसे कि डरपोक होना या गिरफ्तारी से डरना—तो अगुआओं और कार्यकर्ताओं को समर्थन और मदद देने के लिए सत्य पर और परमेश्वर के इरादों के साथ-साथ इस कर्तव्य को करने के मूल्य और महत्व पर संगति करनी चाहिए। अगर उस परिवेश में ही कोई समस्या है तो इसमें देरी नहीं करनी चाहिए या इसे अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए और निश्चित रूप से इसे लापरवाही से नहीं लेना चाहिए; इसे तुरंत हल किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, अगर लोगों की नजर पहले ही इस स्थान पर पड़ चुकी है, संदिग्ध अजनबी अक्सर इस इलाके में आते-जाते रहते हैं और यह मुमकिन है कि कोई व्यक्ति इस जगह की निगरानी कर रहा है, तो यह एक छिपा हुआ खतरा है। इसलिए, भाई-बहनों को तुरंत कहीं और भेज दो—कुछ गलत होने का इंतजार करते रहने पर बहुत देर हो जाएगी। अगर यह स्थिति अस्थायी है और यह सिर्फ एक सामान्य, नियमित प्रक्रिया है तो इससे अभी भी किसी तरह से निपटा जा सकता है : भाई-बहनों को एक या दो दिनों के लिए कहीं और भेज दो और फिर बाद में वे वापस आ सकते हैं। अगर लोगों की नजर पहले ही पड़ चुकी है तो वहाँ रहने का अब कोई सवाल ही नहीं उठता और किसी दूसरी स्थायी जगह पर जाना जरूरी है। ये कुछ ऐसी विस्तृत समस्याएँ हैं जिन्हें अगुआओं और कार्यकर्ताओं को इस कार्य में सँभालने और हल करने की आवश्यकता है। यह काम किसी भी तरह से कुछ लोगों को भोजन और आश्रय की सुविधा के साथ किसी स्थान पर रखकर पल्ला झाड़ लेने का नहीं है; इसमें कई बारीकियाँ शामिल हैं। खासकर चीन जैसे देश में, जहाँ का परिवेश बेहद प्रतिकूल है और धार्मिक उत्पीड़न गंभीर है, अगुआओं और कार्यकर्ताओं को और भी ज्यादा चौकस रहना चाहिए; महत्वपूर्ण कार्य-कर्मियों के रहने के परिवेश और सुरक्षा के मुद्दों पर बारीकी से ध्यान देना चाहिए। वे लापरवाह नहीं हो सकते। विशिष्ट कार्य के सभी पहलुओं को अच्छी तरह से पूरा किया जाना चाहिए ताकि महत्वपूर्ण कार्य-कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और वे शांत मन से अपना कर्तव्य निभा सकें। इस तरह करने से काम अच्छे से पूरा होगा। अगुआओं और कार्यकर्ताओं को मेजबान परिवारों के संबंध में यही कार्य करना चाहिए और इसमें काफी बारीकियाँ शामिल हैं।
कुछ अगुआ और कार्यकर्ता, कुछ महत्वपूर्ण कार्य-कर्मियों को उपयुक्त मेजबान घरों में रखने की व्यवस्था करने के बाद उन्हें पूरी तरह से अनदेखा कर देते हैं और मेजबान परिवारों की स्थिति की लगातार खोज-खबर नहीं रखते। वे कहते हैं, “मैं रोज कलीसिया के काम में व्यस्त रहता हूँ—मेरे पास इन लोगों से मिलने का समय कहाँ से होगा? इसके अलावा, बहुत सारे अन्य काम हैं और यह काफी खतरनाक भी है। हमारा काम आसान नहीं है!” वे लगातार वस्तुनिष्ठ कारणों पर जोर देते हैं, फिर भी अपनी जिम्मेदारियों को पूरा नहीं करना चाहते। तुम लोगों का क्या ख्याल है—क्या उनकी यह बात उचित है? (नहीं।) क्यों नहीं? (वास्तव में, यह काम करने के लिए अगुआओं और कार्यकर्ताओं को बहुत ज्यादा समय और ऊर्जा खपाने की जरूरत नहीं होती है। वे बाहर चलते-फिरते उनसे मिल सकते हैं। और अगर उनके पास समय नहीं है तो वे आस-पास के भाई-बहनों को भी जाकर देखने के लिए कह सकते हैं।) अगर अगुआ और कार्यकर्ता इस कार्य को अच्छी तरह से करना चाहते हैं, तो भले ही उनका अपना प्राथमिक कार्य उन्हें थोड़ा व्यस्त रखता हो, फिर भी वे इस कार्य पर ध्यान देने के लिए समय निकाल ही लेंगे। अगर उनके पास खुद जाने का समय नहीं है तो वे दूसरों के जाने की व्यवस्था कर सकते हैं। चाहे वे दूसरों के लिए व्यवस्था करें या खुद जाएँ, आखिरकार यह कार्य अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी के दायरे में आता है। इस कार्य को अच्छी तरह से करना अगुआओं और कार्यकर्ताओं की एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है और इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। अगर अगुआ और कार्यकर्ता बहुत व्यस्त हैं, उनके पास खुद समय नहीं है और वे दूसरों के जाने की व्यवस्था भी नहीं करते हैं तो कोई भी इस मामले पर ध्यान नहीं देगा। ऐसे में, अगर कुछ गलत होता है तो यह अगुआओं और कार्यकर्ताओं की ओर से जिम्मेदारी की उपेक्षा होगी। महत्वपूर्ण कर्तव्य निभाने वाले लोगों को बाहरी दुनिया के हस्तक्षेप से पीड़ित होने से बचाने के लिए, अगुआओं और कार्यकर्ताओं को मुद्दों के सभी पहलुओं को ध्यान में रखना चाहिए, यथासंभव यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे अपने कर्तव्यों को शांति से पूरा कर सकें और मौजूदा कार्य को व्यवस्थित ढंग से कर सकें। अगर महत्वपूर्ण कार्य-कर्मियों की अच्छी तरह से सुरक्षा की जाती है, तो यह महत्वपूर्ण कार्य की सुरक्षा के बराबर है। जब महत्वपूर्ण कार्य-कर्मी सामान्य रूप से काम कर सकेंगे, तो महत्वपूर्ण कार्य भी व्यवस्थित तरीके से आगे बढ़ सकेगा। इसलिए, महत्वपूर्ण कार्य-कर्मियों की सुरक्षा करने वाले अगुआओं और कार्यकर्ताओं का मकसद वास्तव में कार्य की हर महत्वपूर्ण मद की सुरक्षा करना है। अगर कुछ अगुआ और कार्यकर्ता कहते हैं, “तुम एक महत्वपूर्ण कर्तव्य निभा रहे हो और मुझे तुम्हारी सुरक्षा करने को कहा जा रहा है, मगर मैं एक अगुआ हूँ और मैं भी सुरक्षित नहीं हूँ। मैं अपनी ही सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकता तो फिर तुम लोगों की रक्षा कैसे करूँगा?”—क्या यह कहना सही है? (यह सही नहीं है।) ऐसे अगुआओं और कार्यकर्ताओं की समझ किस तरह की है? (उनकी समझ खराब है; ऐसे लोग स्वार्थी और विकृतियों से ग्रस्त हैं।) वे ऐसे व्यक्ति हैं जो विकृतियों से ग्रस्त हैं। क्या विकृतियों से ग्रस्त व्यक्तियों में तार्किकता की कमी होती है? (हाँ, होती है।) अगर ये भाई-बहन परमेश्वर के घर में अपने कर्तव्य निभाने के बजाय नौकरी कर रहे होते और दुनिया में अपना जीवन जी रहे होते, तो क्या उन्हें अभी भी सुरक्षा की जरूरत होती? महत्वपूर्ण कार्य-कर्मियों को ठीक इसलिए अच्छी तरह से सुरक्षित किया जाना चाहिए क्योंकि वे कलीसिया का कार्य कर रहे हैं और परमेश्वर के घर में महत्वपूर्ण कर्तव्य निभा रहे हैं, और क्योंकि अगर वे गिरफ्तार होते हैं तो उन्हें जेल की सजा हो सकती है या उन्हें पीट-पीटकर नकारा या अपाहिज बनाया जा सकता है जिससे कलीसिया के काम पर गंभीर असर पड़ सकता है। केवल इसी तरह से कलीसिया का कार्य व्यवस्थित ढंग से आगे बढ़ सकता है। अगर वे किसी लोकतांत्रिक देश में हैं जहाँ धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता है और परमेश्वर में विश्वास रखने वालों को सताया नहीं जाता है, तो अगुआओं और कार्यकर्ताओं के लिए यह काम सरल हो जाता है। उन्हें मूल रूप से बस एक उपयुक्त घर खोजना होगा; स्थानीय कानूनों और विनियमों के अनुसार, अपना कर्तव्य निभाने वालों के लिए उचित रूप से नियुक्तियों की व्यवस्था करनी होगी। ज्यादा से ज्यादा, उन्हें बस यह पूछना होगा कि हाल-फिलहाल में उनके दैनिक जीवन में क्या कुछ चल रहा है और क्या उनके रहने का परिवेश किसी सरकारी विनियम का उल्लंघन तो नहीं करता है। अगर कोई उल्लंघन करता है तो यह स्पष्ट करना जरूरी है कि समस्या क्या है, साथ ही इसे कैसे ठीक किया जाना चाहिए और कैसे हल किया जाना चाहिए। अगर कोई उल्लंघन नहीं करता है, बल्कि सरकार ही परेशानी पैदा कर रही है, बुरे लोग या अनजान व्यक्ति उत्पीड़न कर रहे हैं, तो इन मामलों को ठीक से सँभालने के लिए वकील से परामर्श करना जरूरी हो जाता है। कुछ स्वतंत्र, लोकतांत्रिक देशों में, ज्यादा से ज्यादा केवल इस तरह के काम की जरूरत होती है। लेकिन तानाशाही देशों में, जहाँ धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता नहीं है, वहाँ मेजबान परिवारों के परिवेश और स्थितियों से संबंधित आवश्यकताएँ ज्यादा सख्त होनी चाहिए और सुरक्षा को लेकर और ज्यादा कार्य—साथ ही और ज्यादा विस्तृत कार्य—किया जाना चाहिए। बेशक, ऐसे काम में कठिनाई भी ज्यादा है। महत्वपूर्ण कार्य करने वाले कर्मियों को बाहरी दुनिया के हस्तक्षेप से बचाकर रखने के काम के लिए, अगर परिवेश के हर पहलू पर अच्छी तरह से विचार किया जाए तो उस परिवेश से होने वाले हस्तक्षेप काफी हद तक कम हो जाएँगे। अगर बाहरी परिवेश और अंदरूनी परिवेश दोनों पर पूरी तरह से ध्यान दिया जाए तो एक यथार्थवादी और व्यावहारिक रास्ता मिल सकता है। इस तरह से परिवेश को कुछ हद तक बेहतर बनाया जा सकता है और हस्तक्षेप को कम किया जा सकता है। यह नजरिया अपेक्षाकृत उपयुक्त है।
महत्वपूर्ण कार्य-कर्मियों को सुरक्षित रखना
I. आस्था पर अत्याचार करने वाले देशों में परमेश्वर के चुने हुए लोगों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित करें
अगुआओं और कार्यकर्ताओं की पंद्रहवीं जिम्मेदारी, सबसे पहले महत्वपूर्ण कार्य करने वाले कर्मियों को बाहरी दुनिया के हस्तक्षेप से बचाकर उनकी रक्षा करना है; इसके अलावा, अगुआओं और कार्यकर्ताओं को इन लोगों को सुरक्षित भी रखना चाहिए। उन्हें सुरक्षित रखने की अपेक्षाएँ और भी सख्त हैं। आओ पहले यह देखें कि सुरक्षा से जुड़े कौन से पहलू हैं—तुम लोग सुरक्षा से जुड़ी किन समस्याओं के बारे में सोच सकते हो? महत्वपूर्ण कर्तव्य निभाने वालों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, सबसे पहले इस बात की गारंटी होना जरूरी है कि वे बाहरी दुनिया के हस्तक्षेप से प्रभावित न हों—कम से कम इसे हासिल किया जाना चाहिए और केवल इसी आधार पर आखिरकार उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है। यहाँ हम जिस सुरक्षा की बात कर रहे हैं, उसका सीधा-सा मतलब यह पक्का करने में सक्षम होना है कि अपना कर्तव्य निभाने वाले लोगों को परेशान या गिरफ्तार न किया जाए और वे अपने कर्तव्यों को सामान्य रूप से कर सकें। यह इतना ही सरल है। अगर अगुआ और कार्यकर्ता इस बात की गारंटी नहीं ले सकते कि अपना कर्तव्य निभाने वाले लोगों को हस्तक्षेप और गिरफ्तारी से बचाया जाएगा, तो उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने का कोई और तरीका नहीं है। जरा सोचो—महत्वपूर्ण कार्य-कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अगुआओं और कार्यकर्ताओं को किस बात पर ध्यान देना चाहिए? सबसे पहले, उन्हें महत्वपूर्ण कार्य-कर्मियों को उपयुक्त स्थान पर रखने की व्यवस्था करनी चाहिए। उपयुक्त स्थान का क्या मतलब है? इसके लिए कम से कम दो शर्तें पूरी होनी चाहिए। पहली, यह स्थान परिवेश से होने वाले किसी भी हस्तक्षेप से मुक्त होना चाहिए। दूसरी, इससे लोगों का ध्यान आकर्षित नहीं होना चाहिए; केवल कुछ ही स्थानीय भाई-बहनों को पता हो कि यह परिवार परमेश्वर में विश्वास रखता है और दूसरों की मेजबानी करता है, जबकि किसी और को इसकी भनक नहीं होनी चाहिए। केवल ऐसी जगह ही महत्वपूर्ण कर्तव्य निभाने वालों की मेजबानी के लिए उपयुक्त है। इन महत्वपूर्ण कार्य-कर्मियों के आने के बाद, हर एक व्यक्ति का नाम और मूल स्थान जैसी व्यक्तिगत जानकारी, साथ ही विशिष्ट परिस्थितियाँ जैसे कि वे कलीसिया में किस तरह के काम में लगे हैं और क्या वे पहले गिरफ्तार किए जा चुके हैं या सरकार द्वारा वांछित हैं, यह सब लापरवाही से दूसरों को नहीं बताया जाना चाहिए। जितने कम लोग जानेंगे, उतना ही बेहतर होगा। क्योंकि लोगों का आध्यात्मिक कद बहुत छोटा है और अगर उन्हें गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया तो यह निश्चित नहीं है कि वे दृढ़ रह पाएँगे, इसलिए उनमें आत्म-जागरूकता होनी चाहिए और उन्हें भाई-बहनों की व्यक्तिगत जानकारी के बारे में लापरवाही से पूछताछ नहीं करना चाहिए, ताकि भविष्य में वे खुद पर मुसीबत न लाएँ। इस संबंध में सिद्धांतों और बुद्धिमत्ता के बारे में अक्सर संगति की जानी चाहिए ताकि हर कोई उन्हें समझ सके। यह न केवल परमेश्वर के घर के काम के लिए बल्कि हर एक व्यक्ति के लिए भी फायदेमंद है। इसलिए, अगुआओं और कार्यकर्ताओं को मेजबान परिवारों के भाई-बहनों को निर्देश देना चाहिए कि वे अपनी जबान पर लगाम लगाएँ और महत्वपूर्ण कर्तव्य करने वाले लोगों की व्यक्तिगत जानकारी अन्य भाई-बहनों को या अपने परिवार के अविश्वासी सदस्यों को न दें। क्या यह काम करना जरूरी है? (बिल्कुल जरूरी है।) मेजबान परिवारों के कुछ भाई-बहन अपनी जबान पर लगाम नहीं लगा पाते हैं। उदाहरण के लिए, किसी ने कुछ अगुआओं और कार्यकर्ताओं की मेजबानी की थी और वह इन लोगों की व्यक्तिगत परिस्थितियों, पारिवारिक पृष्ठभूमि और उनके द्वारा निभाए जा रहे कर्तव्यों से परिचित हो गया। फिर उसने अपने बच्चों से कहा, “देखो, वह तुम्हारी ही उम्र का है। वह दस साल से परमेश्वर पर विश्वास रख रहा है और अपना कर्तव्य निभाने के लिए उसने अपनी नौकरी तक छोड़ दी। वह फलाँ शहर में एक सरकारी विभाग में काम करता था, जहाँ उसकी सालाना आय दसियों हजार युआन थी!” देखा तुमने, खाली बैठे गपशप करते हुए उसने अपने परिवार के अविश्वासी सदस्यों के सामने महत्वपूर्ण कर्तव्य करने वाले इन लोगों की स्थिति का खुलासा कर दिया। यहाँ तक कि कुछ ऐसे लोग भी हैं जो पहले गिरफ्तार करके जेल में बंद किए गए भाई-बहनों की मेजबानी करते समय अपने परिवार के सदस्यों से कहते हैं, “देखो, वे बरसों तक जेल में रहकर भी कभी यहूदा नहीं बने। रिहा होने के बाद भी वे अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। अब सरकार उन्हें फिर से गिरफ्तार करना चाहती है, इसलिए वे अपने परिवारों से मिलने घर नहीं लौट सकते, फिर भी वे नकारात्मक नहीं हैं। देखो उनकी आस्था कितनी महान है? तुम सही तरीके से विश्वास क्यों नहीं रख सकते?” इस तरह, वे अपने बच्चों को निर्देश देने के चक्कर में भाई-बहनों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी का खुलासा कर देते हैं। क्या इससे भविष्य में परेशानी हो सकती है? (हाँ।) क्या यह एक समस्या है? (हाँ, यह समस्या है।) अगर इसके कारण कुछ नहीं होता तो ठीक है; मगर जैसे ही बड़ा लाल अजगर गिरफ्तारियाँ करने लगता है, उनके परिवार के अविश्वासी सदस्य सबसे पहले सामने आकर भाई-बहनों की रिपोर्ट कर देते हैं : “ऑफिसर! फलाँ व्यक्ति अगुआ है—आप उसी की तलाश कर रहे हैं।” फिर जिस व्यक्ति के साथ विश्वासघात हुआ है उसे बड़े लाल अजगर द्वारा गिरफ्तार करके पीट-पीटकर अधमरा कर दिया जाता है, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या वह अपना कर्तव्य निभाना जारी रख पाएगा या सामान्य जीवन जी पाएगा। यह विश्वासघात का परिणाम है। क्या यह मेजबान की लापरवाही से बात करने के कारण नहीं हुआ है? (हाँ, हुआ है।) अगर महत्वपूर्ण कार्य-कर्मियों को ऐसे सुरक्षा जोखिमों का सामना करना पड़ता है तो क्या इसका मतलब यह नहीं है कि अगुआओं और कार्यकर्ताओं ने अपना काम अच्छी तरह से नहीं किया है? (बिल्कुल।) मेजबान सोचता है, “मेरे परिवार के सभी सदस्य अच्छे लोग हैं; वे तुम्हें धोखा नहीं देंगे। वे परमेश्वर में विश्वास का समर्थन करते हैं—जब तुम लोग आते हो तो वे सब्जियाँ और माँस भी खरीदते हैं!” वे अपने परिवार के अविश्वासी सदस्यों के साथ ऐसा व्यवहार करते हैं जैसे वे भाई-बहन हों, वे यह साफ तौर पर नहीं देख पाते कि उनका परिवार क्या करने में सक्षम है या अगर वे भाई-बहनों को धोखा देते हैं तो इसके कितने गंभीर परिणाम हो सकते हैं। वे भाई-बहनों की स्थितियों के बारे में भी बहुत जिज्ञासु होते हैं और पूछते हैं, “तुम कितने सालों से यह कर्तव्य निभा रहे हो? क्या तुमने कभी कोई खतरनाक कर्तव्य किया है? क्या तुम स्थानीय स्तर पर परमेश्वर के विश्वासी के रूप में जाने जाते हो? क्या तुम्हें कभी गिरफ्तार किया गया है?” खासकर जब उन लोगों की बात आती है जो सरकार द्वारा वांछित हैं या जिनका परमेश्वर में विश्वास रखने के कारण पुलिस रिकॉर्ड में नाम दर्ज है और वे किसी दूसरे इलाके या देश में सुसमाचार प्रचार कर रहे हैं, तो मेजबान हमेशा उनकी जानकारी के बारे में इस तरह पूछताछ करते हैं, “तुम वांछित हो? क्या यह स्थानीय वारंट है, प्रांतीय वारंट है या फिर राष्ट्रीय वारंट है?” “तुम्हारा नाम पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज है—तुम्हें कितनी बार गिरफ्तार किया गया है? तुम्हें कितने सालों के लिए जेल की सजा हुई थी?” वे इन मामलों के बारे में बहुत विस्तार से पूछते हैं। उनके घर में रहने वाले भाई-बहन देखते हैं कि वे मेजबानी करने में काफी उत्साही हैं और वे बुरे लोग नहीं हैं। अगर वे यह जानकारी साझा नहीं करते हैं तो उन्हें लगता है कि यह अशिष्ट लग सकता है, जो उन्हें मुश्किल स्थिति में डाल देता है। कुछ लोगों को लगता है कि उन्हें कुछ बोलना ही चाहिए और बोलने के बाद, कभी-कभी यह अपरिहार्य रूप से गंभीर परिणामों की ओर ले जाता है। इसलिए अगुआओं और कार्यकर्ताओं को मेजबान को सीधे यह निर्देश देना चाहिए : “भाई-बहनों की मेजबानी करते समय तुम्हें कुछ नियमों का पालन करना होगा। बेपरवाही से कोई पूछताछ या सवाल मत करना—उनके बारे में बहुत ज्यादा जानने से तुम्हें कोई फायदा नहीं होगा। अगर कुछ होता है और तुम यातना की पीड़ा सहन नहीं कर पाते हो तो तुम यहूदा बन सकते हो। उस स्थिति में, तुम्हें जो जानकारी मिली और जो कुछ तुमने समझा है, वह तुम्हारे यहूदा बनने का कारण बन सकता है। अगर ऐसा होता है तो इससे तुम्हें जीवन भर पछतावा होगा और आखिरकार तुम्हें दंड का सामना करना पड़ेगा। अगर तुम्हारे पास यह सब जानकारी नहीं है तो तुम यहूदा नहीं बनोगे। इसलिए, तुम्हें इन मामलों के बारे में पूछताछ करने या जानने की कोशिश बिल्कुल नहीं करनी चाहिए। इनके बारे में नहीं जानना ही तुम्हारी सुरक्षा करता है और यह तुम्हारी मेजबानी या परमेश्वर में तुम्हारे विश्वास में सत्य की प्राप्ति को प्रभावित नहीं करता। तुम्हारा नहीं जानना ही सबसे अच्छा है। तुम्हें स्पष्ट है कि ये भाई-बहन अपना कर्तव्य निभाने के लिए यहाँ आए हैं और वे बुरे या दुष्ट लोग नहीं हैं, तो आगे पूछताछ करने की कोई जरूरत नहीं है। उनकी मेजबानी करने का अपना कर्तव्य पूरा करना ही सबसे महत्वपूर्ण है और उनकी सुरक्षा की गारंटी लेना ही काफी है।” यह ऐसा काम है जो अगुआओं और कार्यकर्ताओं को जरूर करना चाहिए। इसके अलावा, वे स्थानीय विश्वासी जिनके पास अपनी आस्था में आधार नहीं है और वे केवल नाम के विश्वासी हैं, जो जबान के कच्चे हैं और अक्सर पूछताछ करते रहते हैं, जो सरकारी कर्मियों के साथ घनिष्ठ संपर्क बनाए रखते हैं और जो मुसीबत आने पर तुरंत कछुए की तरह अपना सिर अपने खोल में छिपा लेते हैं—और जो कलीसिया को धोखा देकर यहूदा बन सकते हैं—उन्हें यह बिल्कुल भी नहीं जानने दिया जाना चाहिए कि मेजबान परिवार भाई-बहनों की मेजबानी करते हैं। अगर महत्वपूर्ण कार्य-कर्मियों की मेजबानी के काम में मदद करने के लिए कुछ भाई-बहनों की जरूरत है, तो केवल उन लोगों को ही सहयोग करने के लिए चुना जाना चाहिए जिनके पास परमेश्वर में विश्वास का आधार और बुद्धिमत्ता है। जिनके पास आधार या बुद्धिमत्ता नहीं है वे बिल्कुल भी उपयुक्त नहीं हैं। तो आखिर सहायता कैसे की जानी चाहिए? मेजबान परिवारों के भाई-बहन अपने घरों में मेजबानी करने पर ध्यान देते हैं, जबकि स्थानीय भाई-बहन बुद्धिमत्ता और आस्था के साथ बाहर से सहायता प्रदान करके परिवेश की सुरक्षा करते हैं। उन्हें प्रभावशाली लोगों के साथ जुड़ना चाहिए, सरकारी नीतियों, रुझानों और संभावित कार्रवाइयों के बारे में ताजा खबर रखनी चाहिए और मेजबान परिवारों के भाई-बहनों को तुरंत सूचित करना चाहिए। इस तरह, अगर सरकार कोई गिरफ्तारी अभियान शुरू करती है तो इससे निपटने के लिए तुरंत उपाय किए जा सकते हैं; ऐसे में, वहाँ से निकलने और दूसरी जगह जाने या छिपने के लिए अभी भी समय होगा, इस प्रकार किसी भी खतरे से बचा जा सकता है। केवल इसी तरह महत्वपूर्ण कर्तव्यों को करने वालों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है। संक्षेप में, अगुआओं और कार्यकर्ताओं के लिए इस काम को सरल मानसिकता के साथ करना उचित नहीं है; इस संबंध में जटिलता से सोचना हमेशा सरल तरीके से सोचने से बेहतर होता है, क्योंकि सुरक्षा के मुद्दों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता—अगर कुछ गलत होता है तो यह कोई छोटी समस्या नहीं होगी!
महत्वपूर्ण कार्य-कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के काम में कुछ विशिष्ट परिस्थितियाँ भी हैं जिन पर ध्यान देना जरूरी है। कुछ लोग जोखिम भरे कर्तव्य निभाते हैं, जैसे कि परमेश्वर के वचनों की पुस्तकों को ले जाना या जोखिम भरे इलाकों में कार्य से जुड़े निर्देश पहुँचाना या समस्या उत्पन्न होने के बाद की स्थिति को सँभालना। ऐसे जोखिम भरे काम करने वालों को कभी भी महत्वपूर्ण कर्तव्य निभाने वालों के साथ नहीं रहना चाहिए, न ही उन्हें यह पता होना चाहिए कि वे लोग कहाँ रहते हैं या कौन-सा परिवार उनकी मेजबानी कर रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि जोखिम भरे काम करने वालों पर किसी भी समय पीछा करके गिरफ्तार किए जाने का खतरा रहता है। अगर उन्हें पकड़ लिया जाता है और यातना दी जाती है, तो वे कलीसिया को धोखा दे सकते हैं, जिसके कारण महत्वपूर्ण कर्तव्य निभाने वाले और मेजबान परिवार फँस सकते हैं। क्या इसमें सुरक्षा का मुद्दा शामिल नहीं है? अगर महत्वपूर्ण कर्तव्य निभाने वाले कुछ कर्मी तीन दिनों में लौटने का कहकर किसी काम से बाहर जाते हैं, मगर वे तीन दिन बाद वापस नहीं आते, तो क्या तुम लोग इस स्थिति को खतरनाक कहोगे? क्या अपने कर्तव्य निभाने वाले अन्य कर्मियों को वहाँ से चले जाना चाहिए? (हाँ।) ऐसे मामलों में तुरंत निकल जाना जरूरी होता है; इसमें कोई देरी नहीं होनी चाहिए और कोई जोखिम नहीं उठाना चाहिए—वे किस्मत पर भरोसा करने की मानसिकता नहीं रख सकते। कुछ लोग आलसी होते हैं, उन्हें लगता है कि इसमें काफी परेशानी है और वे यह कहते हुए जगह खाली करने से कतराते हैं, “एक दिन और इंतजार करने में क्या हर्ज है? हो सकता है उसे किसी विशेष परिस्थिति के कारण देरी हो गई हो।” एक दिन और इंतजार करने से खतरा बढ़ता ही है। अगर तुम जगह खाली कर देते हो और कुछ नहीं होता है, तो तुम कभी भी वापस आ सकते हो और यह कोई गलती नहीं होगी। लेकिन अगर तुम जगह खाली नहीं करते हो और एक दिन और इंतजार करते हो तो कोई घटना घट सकती है; और जब ऐसा होगा तब पछतावे के लिए बहुत देर हो चुकी होगी। इसलिए, अगर किसी काम से बाहर गए भाई-बहन तय समय के भीतर वापस नहीं आते तो यह मुमकिन है कि कोई गड़बड़ हुई है। किसी भी संभावित स्थिति से बचने के लिए, संबंधित भाई-बहनों को तुरंत उस जगह को खाली करके किसी सुरक्षित जगह पर चले जाना चाहिए। कोई उपयुक्त स्थान मिलते ही वे बिना और देरी किए सामान्य रूप से अपना कर्तव्य निभा सकते हैं। दूसरी स्थिति वह है जब स्थानीय कलीसिया में अपना कर्तव्य निभाने वाले व्यक्ति को जो भाई-बहनों के लिए जगहों की व्यवस्था करने के लिए जिम्मेदार है, बड़ा लाल अजगर गिरफ्तार कर लेता है। ऐसे मामलों में क्या किया जाना चाहिए? (महत्वपूर्ण कार्य-कर्मियों को तुरंत दूसरी जगह भेज दो।) अगुआओं और कार्यकर्ताओं के लिए पहली प्राथमिकता इन महत्वपूर्ण कार्य-कर्मियों को तुरंत अपेक्षाकृत सुरक्षित स्थान पर भेजना है। सबसे बढ़कर, उनकी सुरक्षा की गारंटी होनी चाहिए। उन्हें किसी भी जोखिम में नहीं डाला जाना चाहिए। उन्हें दूसरी जगह भेजने के बाद आगे का काम किया जा सकता है। कुछ भ्रमित लोगों की हमेशा भाग्य पर निर्भर रहने की मानसिकता होती है : “फलाँ व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया, मगर कोई बात नहीं; उसकी आस्था काफी मजबूत है और वह हमेशा प्रतिकूल परिस्थितियों में काफी मजबूत रहा है। वह कभी विश्वासघात नहीं करेगा। इसलिए, मैं गारंटी से कह सकता हूँ कि कोई खतरा नहीं है—किसी को भी दूसरी जगह भेजने की जरूरत नहीं है।” क्या ये शब्द सही हैं? (नहीं।) ऐसे लोग भी हैं जो कहते हैं, “अगर वह विश्वासघात करता भी है तो सोच-समझकर करेगा—वह केवल महत्वहीन मामलों के बारे में जानकारी देगा, जिससे निश्चित रूप से तुम लोगों की सुरक्षा प्रभावित नहीं होगी।” क्या ये शब्द सही हैं? (नहीं।) ये शब्द टिकते नहीं हैं! क्या लोग दूसरे लोगों को स्पष्ट रूप से समझ सकते हैं? संबंधित व्यक्ति का आध्यात्मिक कद कितना भी बड़ा क्यों न हो, हमें बहुत आत्मविश्वास से बात नहीं करनी चाहिए, क्योंकि अगर कुछ गलत होता है तो कोई भी उसके परिणाम नहीं झेल सकता। महत्वपूर्ण कर्तव्य निभाने वाले कर्मियों की सुरक्षा के लिए और क्या काम करने चाहिए? जब वे अपना कर्तव्य निभाना शुरू करें तो अगुआओं और कार्यकर्ताओं को उनके कर्तव्य पालन से जुड़े सत्य सिद्धांतों के बारे में स्पष्ट रूप से संगति करनी चाहिए; साथ ही यह भी बताना चाहिए कि परिस्थितियाँ उत्पन्न होने पर किन सिद्धांतों और बुद्धिमत्ता का प्रयोग करना चाहिए। इसके अलावा, जब वे अपने कर्तव्य निभाने के लिए बाहर जाएँ तो अगुआओं और कार्यकर्ताओं को सामाजिक अनुभव और बुद्धिमत्ता रखने वाले एक या दो लोगों को उनका सहयोग करने के लिए नियुक्त करना चाहिए। केवल यही तरीका सुरक्षित और भरोसेमंद है। इस तरह अभ्यास करने से एक तो उनकी व्यक्तिगत सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है। दूसरी बात, इससे उन्हें कुछ ऐसी समस्याएँ हल करने में मदद मिल सकती है जिन्हें वे खुद हल नहीं कर सकते। इससे कुछ मुसीबतें दूर रहेंगी और इस बात की गारंटी होगी कि अपने कर्तव्य निभाने के लिए बाहर जाने वाले लोग सामान्य रूप से अपना काम कर सकें। अगुआओं और कार्यकर्ताओं के लिए, अपने कर्तव्य निभाने वाले लोगों की सुरक्षा की गारंटी लेना उनके काम का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है, खासकर उन देशों में जहाँ विश्वास रखने की स्वतंत्रता नहीं है। कलीसिया का कार्य अच्छी तरह से करने के लिए पहली प्राथमिकता अपना कर्तव्य निभाने वाले कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है, चाहे वे स्थानीय स्तर पर अपने कर्तव्य निभा रहे हों या उन्हें करने के लिए बाहर जा रहे हों। जो अगुआ और कार्यकर्ता सुरक्षा कार्य को अच्छी तरह से सँभाल सकते हैं, केवल वही परमेश्वर के उपयोग के लिए उपयुक्त हैं। जो लोग यह कार्य नहीं कर सकते वे ऐसे लोग हैं जिनकी मानवता अपरिपक्व है, जिनमें अंतर्दृष्टि और बुद्धिमत्ता की कमी है। उनके लिए परमेश्वर के उपयोग के लिए उपयुक्त बनना मुश्किल होगा।
परमेश्वर का आशीष आपके पास आएगा! हमसे संपर्क करने के लिए बटन पर क्लिक करके, आपको प्रभु की वापसी का शुभ समाचार मिलेगा, और 2025 में उनका स्वागत करने का अवसर मिलेगा।