अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ (29) खंड एक
मद पंद्रह : सभी प्रकार के महत्वपूर्ण कार्य करने वाले कर्मियों की रक्षा करो, उन्हें बाहरी दुनिया के हस्तक्षेप से बचाकर रखो, और कार्य की विभिन्न महत्वपूर्ण मदों को व्यवस्थित तरीके से आगे बढ़ाना सुनिश्चित करने के लिए उन्हें सुरक्षित रखो
पिछली बार हमने अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियों के विषय पर अपनी संगति कहाँ छोड़ी थी? (पिछली बार हमने मुख्य रूप से विभिन्न प्रकार के लोगों का उनकी मानवता के आधार पर भेद पहचानने के संबंध में अगुआओं और कार्यकर्ताओं की चौदहवीं जिम्मेदारी के अंतर्गत अंतिम तीन अभिव्यक्तियों पर संगति की थी। ये तीन अभिव्यक्तियाँ हैं : कायर और संदेही होना, मुसीबत मोल लेने की प्रवृत्ति होना और जटिल पृष्ठभूमि होना।) पिछली बार हमने अगुआओं और कार्यकर्ताओं की चौदहवीं जिम्मेदारी में अंतिम तीन विषयों पर संगति पूरी की थी, इसलिए आज हम पंद्रहवीं जिम्मेदारी पर संगति करेंगे। पंद्रहवीं जिम्मेदारी क्या है? (“मद पंद्रह : सभी प्रकार के महत्वपूर्ण कार्य करने वाले कर्मियों की रक्षा करो, उन्हें बाहरी दुनिया के हस्तक्षेप से बचाकर रखो, और कार्य की विभिन्न महत्वपूर्ण मदों को व्यवस्थित तरीके से आगे बढ़ाना सुनिश्चित करने के लिए उन्हें सुरक्षित रखो।”) “सभी प्रकार के महत्वपूर्ण कार्य करने वाले कर्मियों की रक्षा करो, उन्हें बाहरी दुनिया के हस्तक्षेप से बचाकर रखो, और उन्हें सुरक्षित रखो।” इस जिम्मेदारी में अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियों का एक और पहलू शामिल है; यह भी कार्य की एक विशेष मद है जिसे अगुआओं और कार्यकर्ताओं को अच्छी तरह से पूरा करना चाहिए। कार्य की यह मद किससे संबंधित है? (यह परमेश्वर के चुने हुए लोगों को सुरक्षित रखने से संबंधित है।) इसमें व्यक्तिगत सुरक्षा के मुद्दे शामिल हैं। क्या यह विषय कलीसिया में अक्सर सामने नहीं आता है? क्या तुम लोग इस विषय से अनजान हो? (नहीं।) यह विषय चीनी भाई-बहनों के लिए अनजान नहीं है, क्योंकि चीन के सामाजिक परिवेश में विश्वासियों को सताया और गिरफ्तार किया जाता है, जिससे उन्हें अपने कर्तव्य को निभाने और जीवन के सभी पहलुओं में सुरक्षा की गारंटी की जरूरत होती है। इसलिए यह कार्य अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियों के दायरे में आता है; यह कोई वैकल्पिक कार्य नहीं है। चाहे किसी देश में धार्मिक स्वतंत्रता हो या न हो, विभिन्न महत्वपूर्ण कर्तव्यों को करने वाले कर्मियों के लिए नियुक्तियों की व्यवस्था उचित रूप से करना एक विशिष्ट कार्य है जिसे अगुआओं और कार्यकर्ताओं को जरूर पूरा करना चाहिए। इस कार्य का फोकस या विशिष्ट आवश्यकताएँ भिन्न हो सकती हैं, मगर मूल रूप से यह सब इस बात से संबंधित है कि क्या भाई-बहन अपने कर्तव्यों को सुरक्षित रूप से निभा सकते हैं, और क्या उनके कर्तव्यों के नतीजे सुनिश्चित किए जा सकते हैं। इसलिए इस कार्य की उपेक्षा मत करो या एक लोकतांत्रिक देश में रहने के कारण इसे अपने लिए अप्रासंगिक मत समझो। तुम जिस देश में रहते हो वहाँ की शासन व्यवस्था चाहे जैसी भी हो या फिर वहाँ विश्वासियों को सताया जाता हो या नहीं, यह कार्य अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियों के दायरे में आता है; यह ऐसा कार्य है जिसे अगुआओं और कार्यकर्ताओं को जरूर पूरा करना चाहिए—इसमें किसी को कोई छूट नहीं है और इसे “अतिरिक्त” कार्य नहीं मानना चाहिए। तो फिर आओ, आज हम इस विषय से जुड़े सभी विभिन्न मुद्दों पर संगति करें।
महत्वपूर्ण कार्य-कर्मियों का दायरा
आओ सबसे पहले यह देखें कि पंद्रहवीं जिम्मेदारी में जिन “सभी प्रकार के महत्वपूर्ण कार्य करने वाले कर्मियों” का जिक्र किया गया है उसका क्या अर्थ है। क्या यह ऐसा विषय नहीं है जिस पर हमें संगति करनी चाहिए? (है।) तो “सभी प्रकार के महत्वपूर्ण कार्य-कर्मियों” का क्या अर्थ है? आओ सबसे पहले इस कार्य के लक्ष्यों का दायरा निर्धारित करें। इस पर कौन बात कर सकता है? (सभी प्रकार के महत्वपूर्ण कार्य-कर्मियों में वीडियो निर्माण टीमों, फिल्म निर्माण टीमों, प्रूफरीडिंग टीमों और भजन मंडलियों में काम करने वाले भाई-बहन और अन्य महत्वपूर्ण कर्तव्य निभाने वाले लोग शामिल हैं। इसके अलावा, इसमें कुछ ऐसे भाई-बहन शामिल हैं जो कार्य की विभिन्न महत्वपूर्ण मदों में मुख्य भूमिका निभाते हैं, साथ ही हर एक टीम के पर्यवेक्षक भी शामिल हैं।) और कौन इस बारे में कुछ कहना चाहेगा? (इसमें अगुआ और कार्यकर्ता भी शामिल हैं।) अगुआओं और कार्यकर्ताओं को वाकई सुरक्षित रखना चाहिए। और कौन? (सामान्य मामलों को सँभालने वाले महत्वपूर्ण कर्मी भी हैं, जैसे कि वित्त कर्मी।) (और जो भाई-बहन परमेश्वर में विश्वास रखने और कर्तव्य निभाने के कारण पुलिस द्वारा वांछित हैं या जिनका पुलिस रिकॉर्ड है उन्हें भी सुरक्षा की जरूरत है।) यह एक और श्रेणी है और यह एक विशेष समूह है। आओ संक्षेप में बताएँ कि ऐसी कितनी श्रेणियाँ हैं। पहली श्रेणी में अगुआ और कार्यकर्ता शामिल हैं। दूसरी श्रेणी में वे कर्मी शामिल हैं जो परमेश्वर के घर में कार्य की विभिन्न मदों के लिए बहुत जरूरी हैं, विशेष रूप से कार्य की विभिन्न मदों के टीम अगुआ और पर्यवेक्षक, अच्छी काबिलियत और आध्यात्मिक समझ रखने वाले और सिद्धांतों को समझने और स्वतंत्र रूप से महत्वपूर्ण कार्य की जिम्मेदारी उठाने की क्षमता रखने वाले कर्मी। कार्य की विभिन्न मदों को सँभालने वाले कई प्रकार के कर्मी हैं, जैसे कि पाठ आधारित कार्य, भजन कार्य, फिल्म निर्माण कार्य जैसी चीजें करने वाले कर्मी; साथ ही, इसमें अन्य लोगों के अलावा सुसमाचार फैलाने, गवाही देने या सुसमाचार निर्देशक के रूप में सेवा करने वाले कर्मी भी शामिल हैं। इसके अलावा, इसमें वित्त, सुरक्षित रख-रखाव और बाहरी मामलों का कार्यभार सँभालने वाले कर्मी शामिल हैं। ये व्यक्ति कलीसिया के कार्य में सहायक भूमिका निभाते हैं और बेहद जरूरी हैं; वे सभी कार्य की विभिन्न मदों को सँभालने वाले कर्मियों में शामिल हैं। यह दूसरी प्रमुख श्रेणी है। तीसरी प्रमुख श्रेणी में वे लोग शामिल हैं जो कलीसिया के जोखिम भरे काम में लगे हुए हैं। खास तौर पर, सत्तावादी शासन व्यवस्था वाले देशों में, जहाँ कोई धार्मिक स्वतंत्रता नहीं है, वहाँ कुछ बेहद जोखिम भरे काम होते हैं, जैसे कि किताबें छापना, किताबें पहुँचाना, कलीसिया की संपत्तियों को सुरक्षित रखना, साथ ही महत्वपूर्ण कर्तव्य निभाने वाले कर्मियों की मेजबानी और उनकी नियुक्तियों की व्यवस्था करना। और कौन लोग शामिल हैं? (कुछ सामान्य मामलों के कर्मी भी हैं जो बाहर सूचना पहुँचाते हैं; उनके द्वारा किए जाने वाले कर्तव्य भी अपेक्षाकृत जोखिम भरे होते हैं।) इन व्यक्तियों को भी जोखिम भरे काम करने वालों में गिना जाता है। हालाँकि, निश्चित रूप से यह इन लोगों का कभी-कभार का काम नहीं है; बल्कि, वे इन महत्वपूर्ण और जोखिम भरे काम जैसे कि सूचना पहुँचाना, कार्य व्यवस्थाओं को बाँटना, परमेश्वर के घर के सभी वीडियो, फिल्में या धर्मोपदेश की रिकॉर्डिंग बाँटना आदि को करने में माहिर होते हैं। सत्तावादी देशों में जहाँ धार्मिक स्वतंत्रता नहीं है, अगुआओं और कार्यकर्ताओं को इस बारे में स्पष्ट होना चाहिए कि परमेश्वर के चुने हुए लोगों में से कौन महत्वपूर्ण कर्तव्य निभा रहा है और जोखिम भरे काम कर रहा है। संक्षेप में, ये लोग भी महत्वपूर्ण कार्य-कर्मियों की एक श्रेणी हैं और अगुआओं और कार्यकर्ताओं को उनकी सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना चाहिए; इसे नजरंदाज नहीं किया जा सकता। यह तीसरी श्रेणी है। चौथी श्रेणी कलीसिया के कार्य के लिए एक और बेहद जरूरी समूह है। इन लोगों के पास विशेष कौशल और गुण होते हैं, जैसे कि सुसमाचार फैलाने, धर्मोपदेश देने, कलीसिया को सींचने में कुशल होना या काम की विशेष मदों को व्यवस्थित करने की जिम्मेदारी लेना। ये लोग अगुआ और कार्यकर्ता या काम की विभिन्न मदों के पर्यवेक्षक या जोखिम भरे काम में लगे हुए लोग हो सकते हैं। ऐसे लोगों के बिना उनके द्वारा सँभाले जाने वाले महत्वपूर्ण कार्य में कमी रह जाएगी और अन्य कोई भी उनकी भूमिका नहीं निभा सकता। इसलिए, इन लोगों की रक्षा की जानी चाहिए और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए। यह लोगों की एक श्रेणी है। पाँचवीं श्रेणी में वे लोग हैं जो उन देशों में जहाँ धार्मिक लोगों को परमेश्वर में आस्था रखने के कारण सताया जाता है, पुलिस द्वारा वांछित हैं या वहाँ पुलिस रिकॉर्ड में उनका नाम दर्ज है। उनके खिलाफ जारी पुलिस वारंट का दायरा या कलीसिया के भीतर उनके द्वारा निभाए जाने वाले विशिष्ट कार्य का दायरा चाहे जो भी हो, जब तक वे परमेश्वर में उनके विश्वास और कर्तव्य निभाने के कारण पुलिस द्वारा वांछित हैं, अगुआओं और कार्यकर्ताओं को उनकी सुरक्षा के तरीके खोजने चाहिए, उनके कर्तव्य पालन के लिए उन्हें अपेक्षाकृत सुरक्षित स्थानों पर रखने की व्यवस्था करनी चाहिए। धार्मिक आस्था रखने वालों को सताने वाले सभी देशों में, चीन का उत्पीड़न सबसे गंभीर है। चीन के विभिन्न प्रांतों और क्षेत्रों में बहुत-से लोगों को गिरफ्तार किया गया है या वे पुलिस द्वारा वांछित हैं और घर नहीं लौट सकते। दुनिया भर में और हर महाद्वीप में कुछ ऐसे देश हैं जो चीन की तरह धार्मिक आस्था रखने वाले लोगों को सताते हैं और इन देशों में ऐसे लोग भी हैं जिन्हें सर्वशक्तिमान परमेश्वर को स्वीकारने के कारण उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है और वे घर नहीं लौट सकते। जो लोग सताए जाते हैं और घर नहीं लौट सकते, उनके लिए अगुआओं और कार्यकर्ताओं को जल्द से जल्द पूर्णकालिक कर्तव्य वाली कलीसिया में नियुक्ति की व्यवस्था करनी चाहिए। अगुआओं और कार्यकर्ताओं को उन्हें स्थानीय परिस्थितियों के हिसाब से अपेक्षाकृत सुरक्षित परिवेशों में बसाना चाहिए ताकि वे अपने कर्तव्यों को निभा सकें। यह कार्य की प्राथमिकता वाली मद है जिसे अच्छी तरह से किया जाना चाहिए। ये व्यक्ति जो गिरफ्तार किए गए हैं या पुलिस द्वारा वांछित हैं, कर्मियों की पाँचवीं श्रेणी हैं जिन्हें सुरक्षा की जरूरत है। महत्वपूर्ण कार्यों की विभिन्न मदों को सँभालने वाले कर्मियों के बीच एक और श्रेणी है जो कि खास है। हो सकता है ये लोग वर्तमान में अगुआ या कार्यकर्ता नहीं हों, न ही जोखिम भरे काम में लगे हों, मगर उन्होंने पहले कई कर्तव्य निभाए हैं और उनके कार्य का दायरा व्यापक रहा है। वे कई मेजबान परिवारों को और महत्वपूर्ण कर्तव्य निभाने वाले कुछ कर्मियों के बारे में भी जानते हैं। इसलिए अगर ऐसे व्यक्तियों को गिरफ्तार किया जाता है तो यह कलीसिया के कार्य में भी तबाही लाएगा। इन लोगों को “अंदरूनी जानकारी रखने वाले लोगों” के रूप में संदर्भित किया जाना चाहिए, और उन्हें सभी प्रकार के महत्वपूर्ण कार्य-कर्मियों में भी शामिल किया जाना चाहिए। परमेश्वर के चुने हुए सभी लोगों की सुरक्षा करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि कलीसिया का कार्य सामान्य रूप से आगे बढ़े, अगुआओं और कार्यकर्ताओं को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। विशेष रूप से इस श्रेणी के कुछ व्यक्ति काफी लापरवाह हैं; वे सतर्क रहना नहीं जानते और उनके पास ज्यादा बुद्धि नहीं है। वे हमेशा जोश में आकर काम करते हैं, बाहर बिना सोचे-विचारे काम करते हैं। कभी गिरफ्तार नहीं होने या यातना नहीं सहने के कारण, वे इसमें शामिल खतरे और कुछ गलत हो जाने पर उसके संभावित परिणामों से अनजान हैं, और वे उन परिणामों की गंभीरता को तो बिल्कुल भी नहीं समझते हैं। क्योंकि उनका मानना है कि वे केवल परमेश्वर में विश्वास रखते हैं, कुछ भी बुरा नहीं कर रहे हैं, तो उन्हें किसी चीज का डर नहीं है। इस वजह से, कुछ समय तक स्थानीय स्तर पर काम करने के बाद, वे काफी मशहूर हो सकते हैं और सरकारी निगरानी के दायरे में आ सकते हैं। क्या यह खतरनाक नहीं है? एक बार गिरफ्तार होने के बाद, अगर वे यातना के साथ पूछताछ का सामना नहीं कर सके तो वे भाई-बहनों को धोखा देकर यहूदा बन सकते हैं। इससे कलीसिया को भारी नुकसान होगा और अन्य भाई-बहन भी फँस जाएँगे, जिससे उनकी गिरफ्तारी और कारावास का जोखिम होगा, जो कलीसिया के कार्य की विभिन्न मदों को गंभीर रूप से प्रभावित करेगा। इसलिए, कलीसिया को ऐसे व्यक्तियों की सुरक्षा को भी प्राथमिकता देनी चाहिए। अगर उन्हें छिपाने के लिए स्थानीय स्तर पर कोई सुरक्षित स्थान नहीं मिल सकता तो उन्हें अपना कर्तव्य निभाने के लिए किसी और अपेक्षाकृत सुरक्षित स्थान पर भेज दिया जाना चाहिए। यह लोगों की एक और श्रेणी है। उनकी स्थिति की विशेषता के कारण, अगुआओं और कार्यकर्ताओं को उनके लिए नियुक्तियों की व्यवस्था करनी होगी, ताकि उन्हें भी सभी प्रकार के महत्वपूर्ण कार्य-कर्मियों में शामिल किया जा सके। कुल मिलाकर लोगों की कितने प्रकार की श्रेणियाँ हैं? (छह श्रेणियाँ हैं। पहली श्रेणी अगुआओं और कार्यकर्ताओं की है। दूसरी श्रेणी में वे महत्वपूर्ण कर्मी शामिल हैं जो परमेश्वर के घर में कार्य की विभिन्न मदों को सँभालते हैं; पर्यवेक्षक, टीम अगुआ और सुसमाचार निर्देशक; और जो कार्यभार सँभाल सकते हैं। तीसरी श्रेणी उन कर्मियों की है जो कलीसिया के जोखिम भरे कार्य में लगे हैं। चौथी श्रेणी में वे लोग हैं जिनके पास विशेष कौशल और गुण हैं। पाँचवीं श्रेणी में वे लोग हैं जिनका पुलिस रिकॉर्ड में नाम दर्ज है, जिनकी तलाश की जा रही है और जो पुलिस द्वारा वांछित हैं। और छठी श्रेणी में अंदरूनी जानकारी रखने वाले लोग हैं।) हमने मूल रूप से कार्य की विभिन्न मदों में शामिल सभी महत्वपूर्ण कर्मियों के बारे में बात कर ली है, मगर एक श्रेणी और जोड़नी है : अगर कलीसिया के कोई भाई-बहन बाहर जाकर अपना कर्तव्य निभाने, गिरफ्तार होने या किसी और अप्रत्याशित स्थिति का सामना करने के कारण अपने कम उम्र के बच्चों की देखभाल नहीं कर पाते हैं, तो अगुआओं और कार्यकर्ताओं को इन बच्चों को एक उपयुक्त घर में रखने की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि उनके पास जीवन-यापन का साधन हो। यह भी कार्य की एक विशेष मद है। भले ही कार्य की यह मद कलीसिया के कार्य से संबंधित नहीं है और यह केवल विशेष परिस्थितियों के कारण उत्पन्न होती है, अगुआओं और कार्यकर्ताओं को इन कम उम्र के बच्चों के लिए उपयुक्त स्थान की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी उठानी चाहिए। अगर उन बच्चों के उपयुक्त रिश्तेदार नहीं हैं या अगर उनके रिश्तेदार अविश्वासी हैं और उन्हें अपने साथ नहीं रखना चाहते तो कलीसिया को उन्हें स्वीकार लेना चाहिए। कलीसिया को न केवल उनके लिए एक उपयुक्त मेजबान घर की व्यवस्था करनी चाहिए, बल्कि भाई-बहनों को उनकी देखभाल की जिम्मेदारी भी सौंपनी चाहिए। जैसे ही उनके लिए उपयुक्त स्थान की व्यवस्था हो जाए, अगर वे परमेश्वर में विश्वास रखते हैं तो यह निश्चित रूप से आदर्श स्थिति है और फिर व्यस्क होने के बाद वे कलीसिया में अपना कर्तव्य निभा सकते हैं। अगर वे परमेश्वर में विश्वास नहीं रखते हैं तो वयस्क होकर समाज में प्रवेश करने के बाद, वे अब कलीसिया से जुड़े नहीं रहेंगे और हमारी जिम्मेदारी पूरी हो जाएगी। उसके बाद से हमें उनके लिए चिंता करने की कोई जरूरत नहीं होगी। क्या यह उचित है? (हाँ।) भले ही यह कार्य कलीसिया के कार्य की विभिन्न मदों में शामिल नहीं है, इसे अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियों के दायरे में शामिल किया जाना चाहिए। अगर कलीसिया में अपना कर्तव्य निभा रहे लोगों के बच्चों को किसी स्थान पर रखने की आवश्यकता है तो स्थिति की जानकारी होने पर अगुआ और कार्यकर्ता इसे नजरंदाज नहीं कर सकते। अगर उन्हें इसके बारे में पता है तो उन्हें सवाल पूछने चाहिए, इसे सँभालना चाहिए और उनके लिए उचित स्थान की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी उठानी चाहिए। अगुआओं और कार्यकर्ताओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अपना कर्तव्य निभा रहे भाई-बहन—खास तौर पर जो महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं—इस मामले में चिंता से मुक्त रहें। इस कार्य को अच्छी तरह से करना मुश्किल नहीं है, है ना? (नहीं, यह मुश्किल नहीं है।) महत्वपूर्ण कार्य-कर्मियों की कम से कम छह श्रेणियाँ हैं। सातवीं श्रेणी अतिरिक्त है, यह एक बहुत ही विशेष प्रकार की परिस्थिति को दर्शाती है। पहली छह श्रेणियों में जिन कर्मियों का जिक्र किया गया है, जरूरी नहीं कि वे हर पादरी क्षेत्र या देश में मौजूद हों। हालाँकि, देश चाहे कोई भी हो, अगुआओं और कार्यकर्ताओं और महत्वपूर्ण कर्तव्य निभाने वालों की सुरक्षा करना कार्य की एक अहम मद है। यह कार्य की एक ऐसी मद है जिस पर सभी कलीसिया अगुआओं और कार्यकर्ताओं को ध्यान देना चाहिए और एक ऐसी जिम्मेदारी है जिसे उन्हें अच्छी तरह से निभाना चाहिए।
महत्वपूर्ण कार्य-कर्मियों को बाहरी दुनिया के हस्तक्षेप से बचाकर रखना
I. मेजबान परिवारों की सुरक्षा जरूरतें
अब जबकि हमने स्पष्ट कर दिया है कि महत्वपूर्ण कार्य-कर्मी कौन हैं, आओ उन विशिष्ट कार्यों पर नजर डालें जो अगुआओं और कार्यकर्ताओं को करने चाहिए—जैसे कि सभी प्रकार के महत्वपूर्ण कार्य करने वाले कर्मियों की सुरक्षा करना, उन्हें बाहरी दुनिया के हस्तक्षेप से बचाकर रखना, और उन्हें सुरक्षित रखना। तो, अगुआओं और कार्यकर्ताओं को उन्हें बाहरी दुनिया के हस्तक्षेप से प्रभावी ढंग से बचाने के लिए क्या विशिष्ट कार्य करने की आवश्यकता है ताकि उनकी जिम्मेदारी पूरी मानी जाए? जब विशिष्ट कार्य करने की बात आती है, कुछ अगुआ और कार्यकर्ता उलझन में पड़ जाते हैं, बहुत परेशान हो जाते हैं और अपना सिर खुजाते हैं, उन्हें नहीं पता होता कि क्या करना है। इन महत्वपूर्ण कार्य-कर्मियों के लिए नियुक्तियों की व्यवस्था करने का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है : उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उन्हें बाहरी दुनिया के हस्तक्षेप से बचाया जाना चाहिए। चाहे महत्वपूर्ण कार्य-कर्मियों को भाई-बहनों के घरों में रखा जाए या किराये के घरों में, जरूरी यह है कि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए। उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने का मतलब है उन्हें बाहरी दुनिया के हस्तक्षेप से बचाकर रखना। तो, अगुआओं और कार्यकर्ताओं को उन्हें बाहरी दुनिया के हस्तक्षेप से बचाकर रखने के लिए क्या करना चाहिए? जो महत्वपूर्ण कर्तव्य निभा रहे हैं उन लोगों के लिए उपयुक्त स्थानों पर नियुक्ति की व्यवस्था करने की आवश्यकता होती है। आओ इसे दो पहलुओं से देखें : एक मेजबान परिवार का अंदरूनी परिवेश है और दूसरा बाहरी परिवेश है। अंदरूनी परिवेश के संदर्भ में, सबसे पहले मेजबान को एक सच्चा विश्वासी होना चाहिए, मेजबानी करने का इच्छुक होना चाहिए, चीजों को गोपनीय रखने में सक्षम होना चाहिए, सावधानी से कार्य करना चाहिए और बाहरी दुनिया से बुद्धिमानी से निपटना चाहिए। अगर कोई विशेष स्थिति उत्पन्न होती है तो उसे इसे सँभालना आना चाहिए; उसे निष्क्रिय रूप से नहीं बल्कि पहल करके इसे सँभालने और हल करने में सक्षम होना चाहिए। इसके अलावा, स्थानीय स्तर पर उसकी अच्छी प्रतिष्ठा होनी चाहिए या शायद स्थानीय स्तर पर कुछ प्रतिष्ठा और संबंध होने चाहिए। भले ही उसका प्रभाव ज्यादा न हो, पर उसे कम से कम ऐसा व्यक्ति तो होना ही चाहिए जो अपने उचित स्थान पर बना रहे और सुसभ्य जीवन जिए, जो कभी भी परेशानी में न पड़े या अपने घर में संदिग्ध व्यक्तियों को आने-जाने न दे। उसके माहजोंग खेलने या शराब पीने वाले दोस्त नहीं होने चाहिए। इसके अलावा, बाहरी दुनिया और अपने पड़ोसियों के साथ उसके संबंध अपेक्षाकृत सामान्य होने चाहिए। उसे कर्ज को लेकर किसी विवाद में नहीं उलझना चाहिए और न ही अपने पड़ोसियों के साथ विवाद करना चाहिए। दूसरे शब्दों में कहें तो उसके घर का माहौल अपेक्षाकृत शांत होना चाहिए, मेजबान के सरल संबंध होने चाहिए और उसके घर में बाधाएँ पैदा करने वाले लोग बहुत कम आने चाहिए, वगैरह—सभी पहलू उपयुक्त होने चाहिए। इसके अलावा, मेजबान के बच्चों या रिश्तेदारों को परमेश्वर में उसके विश्वास का समर्थन करना चाहिए या कम से कम अपने मेजबान भाई-बहनों का विरोध नहीं करना चाहिए, और निश्चित रूप से इन चीजों के बारे में बेपरवाही से बात नहीं करनी चाहिए। कुछ लोग कह सकते हैं, “ऐसा मेजबान परिवार ढूँढ़ना आसान नहीं है जो इन सभी मानदंडों को पूरा करता हो!” इसका मकसद अपेक्षाकृत उपयुक्त जगह ढूँढ़ना है; पूरी तरह से सटीक होने की कोई जरूरत नहीं है। कम से कम, रहने का माहौल उपयुक्त होना चाहिए—शांत और बाहरी हस्तक्षेप से मुक्त—जो महत्वपूर्ण कार्य-कर्मियों को बाहरी दुनिया के हस्तक्षेप से बचाकर रखने की आवश्यकता को पूरा करता हो। कुछ मेजबान परिवारों में, भले ही परिवार का हर सदस्य विश्वासी नहीं होता, मगर मेजबान व्यक्ति की परिवार में प्रतिष्ठा होती है और वही फैसले लेता है। उसके अविश्वासी बच्चे या रिश्तेदार परमेश्वर में उसके विश्वास या भाई-बहनों की मेजबानी में हस्तक्षेप करने की हिम्मत नहीं करते; भले ही वे आंतरिक रूप से असहमत हों, वे परिवार के बाहर के लोगों को यह जानकारी साझा करने की हिम्मत नहीं करेंगे। अगर वाकई कुछ होता है तो वे सुरक्षा प्रदान करने में भी मदद कर सकते हैं। इस तरह, इस मेजबान घर में रहने वाले भाई-बहन बाहरी दुनिया के हस्तक्षेप से भी अप्रभावित रह सकते हैं। कुछ मामलों में मेजबान डरपोक होता है, डरता है कि उसके बच्चे परमेश्वर में उसके विश्वास को उजागर कर सकते हैं, उसके पड़ोसी परमेश्वर में उसके विश्वास का पता लगने पर उसकी रिपोर्ट कर सकते हैं और खास तौर पर उसे यह डर होता है कि कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाए और उसे गिरफ्तार न कर लिया जाए। जैसे ही वह भाई-बहनों की मेजबानी करना शुरू करता है, वह हर दिन बेचैन रहता है, दिन में कुछ खा नहीं पाता या रात में सो नहीं पाता है, दिन भर एक चोर की तरह चिंतित और भयभीत रहता है। जब भी उसे सुनने में आता है कि कुछ होने वाला है, जैसे कि सरकार परिवारों के पंजीकरण की जाँच करने की सोच रही है या सरकारी कर्मचारी अलग-अलग बहानों से कुछ करने के लिए उसके घर आ रहे हैं, तो वह बेहद डर जाता है और लगातार यही चाहता है कि भाई-बहन तुरंत वहाँ से चले जाएँ ताकि वह खुद न फँस जाए। यह देखते ही भाई-बहनों को तुरंत वहाँ से कहीं और चले जाना चाहिए, क्योंकि ऐसी जगह मेजबानी के लिए उपयुक्त नहीं है; यहाँ सिर्फ कुछ दिनों के लिए रुका जा सकता है। अगर मेजबान परिवार के बच्चे, रिश्तेदार या दोस्त बुरे लोग हैं, जो यह जानकर कि मेजबान विश्वासियों को अपने पास रख रहा है, भाई-बहनों को परेशान करने या उन्हें पुलिस के हवाले करने आ सकते हैं, तो यह बहुत खतरनाक है। ऐसा मेजबान परिवार इस लायक नहीं है कि उसके साथ रहा जाए। कुछ माता-पिता अपने बच्चों के सामने गुलामों की तरह व्यवहार करते हैं; वे कह सकते हैं, “कोई बात नहीं, मेरे बच्चे मेरी बात सुनते हैं,” मगर वास्तव में, उनके बच्चों की आज्ञाकारिता स्थिति पर निर्भर करती है। जब उनके अपने हित शामिल हों तो बच्चे उनकी बात नहीं सुनते। ऐसा व्यक्ति अपने बच्चों को यह बताने की हिम्मत नहीं करेगा कि वह भाई-बहनों की मेजबानी कर रहा है। अगर उसके बच्चों या रिश्तेदारों को पता चल जाता है तो वे निश्चित रूप से भाई-बहनों को भगा देंगे और मेजबान उन्हें रोक नहीं पाएगा—अपने ही घर में अंतिम फैसला उसका अपना नहीं होता। ऐसा व्यक्ति मेजबानी करने के लिए उपयुक्त नहीं है; उसमें मेजबानी करने की इच्छा तो हो सकती है, मगर मेजबानी करने का साहस नहीं। क्या एक कायर व्यक्ति वास्तव में मेजबानी करने का साहस कर सकता है? अगर तुम भाई-बहनों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकते तो तुम इस कर्तव्य के लिए उपयुक्त नहीं हो—तुम्हें इसके लिए अपनी इच्छा से आगे नहीं आना चाहिए, अगुआओं और कार्यकर्ताओं से खोखले वादे नहीं करने चाहिए और न ही तुम्हें इस कर्तव्य को स्वीकारना चाहिए। अगर अगुआ और कार्यकर्ता किसी ऐसे घर में भाई-बहनों की मेजबानी की व्यवस्था करते हैं तो क्या यह तुम्हें उचित लगता है? (नहीं।) यह बेहद अनुचित है। भाई-बहनों को खतरे में मत डालो। हो सकता है कि भाई-बहन कहीं और रहते हुए पूरी तरह सुरक्षित हों; अगर तुम उन्हें इस व्यक्ति के घर में रखने की व्यवस्था करते हो जहाँ बच्चे या रिश्तेदार अविश्वासी हैं और जैसे ही उन्हें पता चलता है कि वहाँ विश्वासी रह रहे हैं, वे पुलिस को उनकी रिपोर्ट कर सकते हैं, इस प्रकार उनका जीवन खतरे में पड़ सकता है तो क्या उस मेजबान को भारी मुसीबत का सामना नहीं करना पड़ेगा? अगर मेजबान ऐसी स्थितियों में भाई-बहनों की रक्षा के लिए अपना जीवन जोखिम में डालने के लिए तैयार है और प्रभावी रूप से उनकी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है और अगर वह आम तौर पर काफी बुद्धिमानी दिखाता है, तो यह मेजबान परिवार अभी भी एक उपयुक्त विकल्प हो सकता है। लेकिन, अगर वह भाई-बहनों की रक्षा करने के लिए अपनी जान जोखिम में नहीं डाल सकता और जब उसके परिवार के अविश्वासी लोग भाई-बहनों की रिपोर्ट करने और उन्हें पुलिस के हवाले करने की धमकी देते हैं, तो उसके पास कोई उपाय नहीं होता है और वह केवल कछुए की तरह अपने सिर को अपने खोल में छिपाकर पीछे हट सकता है, भाई-बहनों की रक्षा नहीं कर सकता है और अविश्वासियों को उन्हें पुलिस के हवाले करने दे सकता है, तो यह परिवार मेजबानी के लिए उपयुक्त नहीं है। अगर भाई-बहन कुछ दिनों के लिए अस्थायी रूप से वहाँ रहते हैं और फिर जैसे ही कोई उपयुक्त स्थान मिलता है, तुरंत वहाँ चले जाते हैं तो यह किसी तरह बरदाश्त किया जा सकता है। अपने कर्तव्य निभाने के लिए ऐसे घर में लंबे समय तक रहना उचित नहीं होगा। मेजबान को कम से कम भाई-बहनों की सुरक्षा करने में सक्षम होना चाहिए—यह किसी मेजबान के लिए पहली अपेक्षा है। जो लोग बाहरी दुनिया के हस्तक्षेप से बचने के लिए अपना कर्तव्य निभा रहे हैं, एक तो उनका रहने का परिवेश उपयुक्त होना चाहिए; इसके अलावा, मेजबान के अपने गुण सभी मामलों में उपयुक्त होने चाहिए—यानी उसे महत्वपूर्ण कार्य-कर्मियों को बाहरी दुनिया के हस्तक्षेप से बचाकर रखने में सक्षम होना चाहिए। जब वह ऐसा करने में सक्षम होगा केवल तभी अगुआ और कार्यकर्ता महत्वपूर्ण कार्य-कर्मियों को उसके घर में रखने की व्यवस्था कर सकते हैं। अगर मेजबान में कम आस्था है और वह अक्षम और निर्बल है, अपने घर में अंतिम फैसला लेने में असमर्थ है और उसकी कोई अविश्वासी संतान या रिश्तेदार आकर उस पर अधिकार जमा सकता है, तो यह काफी परेशानी वाली बात है। ऐसी जगह मेजबानी के लिए बिल्कुल अनुपयुक्त है। भले ही घर बड़ा हो, उसमें कई कमरे हों, आरामदायक माहौल हो और अच्छी स्थितियाँ हों, फिर भी यह मेजबानी के लिए उपयुक्त नहीं है। वहाँ रहने का केवल एक उपयुक्त परिवेश होना पर्याप्त नहीं है; मेजबान को भी उपयुक्त होना चाहिए। यहाँ मुख्य बात यह है कि मेजबान को पहले यह सुनिश्चित करने में सक्षम होना चाहिए कि वह अपने कर्तव्य निभाने वाले जिन कर्मियों की मेजबानी कर रहा है वे बाहरी दुनिया के हस्तक्षेप से सुरक्षित हैं। केवल तभी वहाँ रहने के परिवेश पर विचार किया जाना चाहिए। थोड़ा कम आदर्श परिवेश भी स्वीकार्य है—चाहे वह छोटी जगह हो, सीमित इंटरनेट हो, सादा भोजन हो या पानी की आसान पहुँच न हो। अगर मेजबान उपयुक्त है, खतरा उत्पन्न होने पर कदम उठाने में सक्षम है, विभिन्न जटिल परिस्थितियों को सँभालने में सक्षम है और खासकर भाई-बहनों की सुरक्षा के लिए उत्पन्न होने वाली किसी भी विशेष परिस्थिति को ठीक से सँभाल सकता है, तो वह मेजबान के रूप में मानक पर खरा उतरता है। मेजबान परिवार के रहने के परिवेश के लिए हमारी आवश्यकताएँ बहुत ज्यादा नहीं हैं; सबसे महत्वपूर्ण बात यही है कि वह सुरक्षा सुनिश्चित कर सके। इस मुद्दे पर विस्तार में जाने की कोई जरूरत नहीं है।
II. निवास स्थान पर परिवेश संबंधी आवश्यकताएँ
अगुआओं और कार्यकर्ताओं को सबसे पहले इस बात पर विचार करना चाहिए कि मेजबान परिवार के निवास के आस-पास का बाहरी परिवेश सुरक्षित है या नहीं। मेजबान परिवार की परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हों या निवास चाहे भाई या बहन का घर हो या किराये का घर, यह विचार करना जरूरी है कि निवास का बाहरी परिवेश सुरक्षित है या नहीं; यह सबसे महत्वपूर्ण बात है। सबसे पहले, अगर इस मेजबान परिवार का परमेश्वर में विश्वास सर्वविदित नहीं हो और जन सुरक्षा ब्यूरो में उसके विश्वास के बारे में कोई रिकॉर्ड दर्ज नहीं हो, तभी यह निवास उपयुक्त है। अगर अतीत में, जब भाई-बहन वहाँ सभा के लिए इकठ्ठा होते थे तो पड़ोसी सरकार को इसकी सूचना दे देते थे, जिससे सरकार को पहले ही पता चल जाता था कि यह परिवार अक्सर अजनबियों के साथ सभा करता है, तो यह स्थान मेजबानी के लिए उपयुक्त नहीं है। अगर घर किराये पर लेने की बात आती है तो ऐसे परिवार का घर किराये पर लेना भी उपयुक्त नहीं है। यह एक पहलू है। इसके अलावा, कुछ स्थानों पर जन सुरक्षा खराब है, जहाँ अक्सर डकैती, हत्या और विभिन्न प्रकार की अन्य घटनाएँ होती रहती हैं। निवासी भी अपेक्षाकृत पेचीदा लोग होते हैं और पुलिस अन्य चीजों के अलावा परिवार के पंजीकरण और आईडी कार्ड की जाँच करने और आपराधिक संदिग्धों के बारे में छानबीन करने के लिए अक्सर वहाँ जाती रहती है। मुझे बताओ, अगर तुम ऐसी जगह पर रहो तो क्या तुम रोका-टोकी से अक्सर परेशान नहीं होगे? (बिल्कुल होंगे।) ऐसी जगहें रहने के लिए भी उपयुक्त नहीं हैं। पुलिस हर कुछ दिनों में दरवाजे पर दस्तक देकर कहती है कि पास में चोरी या हत्या हुई है, तुमसे छानबीन में सहयोग करने को कहती है और लोगों से कहती है कि अगर वे अपराधी को देखें तो तुरंत उसकी रिपोर्ट करें। पुलिस हमेशा सभी तरह के बहाने बनाकर दरवाजे पर दस्तक देती है, मामलों की छानबीन करने का दावा करती है, मगर वास्तव में वह बाहरी लोगों और अजनबियों को ढूँढ़ रही होती है—ज्यादा सटीकता से कहें तो पुलिस परमेश्वर में विश्वास रखने वालों को खोज रही होती है। क्या तुम ऐसे मेजबान घर में रहकर किसी भी तरह से सुरक्षित महसूस करोगे? (नहीं।) इसमें कोई संदेह नहीं कि तुम पूरे दिन तनाव में रहोगे। भले ही बाहर की इन आपराधिक घटनाओं का मेजबान परिवार से कोई लेना-देना न हो, फिर भी तुम सहज महसूस नहीं करोगे। ऐसे परिवेश में रहने से अक्सर तुम्हें लगता है कि तुम्हारी व्यक्तिगत सुरक्षा खतरे में है। कौन जाने कि किसी दिन पुलिस भाई-बहनों को देखकर इन अजनबियों से पूछताछ करना शुरू कर दे और आखिर उन्हें गिरफ्तार कर ले। क्या तुम्हारे हिसाब से यह एक खतरनाक स्थिति नहीं होगी? (हाँ, होगी।) इसके अलावा, ज्यादातर चीनी लोगों में सुरक्षा के बारे में जागरूकता की कमी होती है; जैसे ही वे किसी को दरवाजे पर दस्तक देते हुए सुनते हैं तो दरवाजा खोल देते हैं; वे आम तौर पर अपने दरवाजों पर ताले भी नहीं लगाते, जिससे आसानी से दुर्घटनाएँ हो जाती हैं। स्वतंत्रता और लोकतंत्र वाले पश्चिमी देशों में निजी आवासों को निजी क्षेत्र माना जाता है। अगर कोई बाहरी व्यक्ति बिना अनुमति के किसी निजी क्षेत्र में प्रवेश करता है तो इसे अवैध माना जाता है और वहाँ रहने वाले लोग पुलिस बुला लेंगे। फिर घुसपैठिए को कानूनी रूप से जिम्मेदार ठहराया जाता है। इसलिए, अगर कोई अजनबी दस्तक देता है तो तुम्हें दरवाजा खोलने की जरूरत नहीं है—तुम मना कर सकते हो। यहाँ तक कि अगर किसी ने तुमसे मिलने का समय तय किया है और अगर तुम तैयार नहीं हो या तुमने अपना मन बदल लिया है तो भी तुम्हें दरवाजा खोलने की जरूरत नहीं है; तुम उसके साथ मिलने का समय फिर से तय कर सकते हो। पश्चिमी देशों में लोगों को यह अधिकार है, उनके पास यह कानूनी जागरूकता है। लेकिन चीनी लोगों में इस कानूनी जागरूकता की कमी है। जब भी उन्हें दरवाजे पर दस्तक सुनाई देती है, वे दरवाजा खोलने के लिए दौड़ पड़ते हैं। यह सतर्कता की कमी, अपनी सुरक्षा के बारे में जागरूकता की कमी और संबंधित कानूनों से अनभिज्ञता दर्शाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि चीन एक तानाशाही देश है, जिसमें एक दलीय शासन को कानून से ऊपर रखा गया है और इसकी कानूनी व्यवस्था सिर्फ एक मुखौटा है। बड़ा लाल अजगर चीन में कानून और व्यवस्था की पूरी तरह से अवहेलना करता है, लापरवाही से बुरे कर्म करता है और लोगों के पास कोई मानवाधिकार नहीं है। चीनी लोग मानवाधिकारों पर ध्यान नहीं देते, न ही उनमें अनुशासनात्मक विनियमों का पालन करने और कानून का पालन करने की भावना विकसित हुई है; खास तौर पर, उनमें अपनी सुरक्षा के बारे में जागरूकता की कमी है और ज्यादातर लोग खुद की रक्षा के लिए कानून का उपयोग करना नहीं जानते हैं। इसी वजह से, सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है। संक्षेप में, कोई भी ऐसी जगह जहाँ जन सुरक्षा खराब है, जहाँ के निवासियों की पृष्ठभूमि और पहचान पेचीदा है, जहाँ अक्सर निरीक्षण होता रहता है या विभिन्न आपराधिक मामलों की घटनाएँ अक्सर होती रहती हैं, वहाँ लोगों का बाहरी दुनिया के हस्तक्षेप से प्रभावित होना आसान है। ऐसी जगह रहने के लिए उपयुक्त नहीं है। महत्वपूर्ण कार्य-कर्मियों के लिए आवास की व्यवस्था करते समय जन सुरक्षा के इस कारक पर विचार करना चाहिए।
अपना कर्तव्य निभा रहे लोगों के रहने का परिवेश सावधानी से चुना जाना चाहिए; चहल-पहल भरे शहरी इलाकों और खतरनाक जगहों से बचना सबसे अच्छा है। हम किन जगहों को चहल-पहल भरे शहरी इलाके कह रहे हैं? इनमें रेलवे, राजमार्ग, चौराहों और बाजारों के आस-पास की जगहें शामिल हैं। खासकर प्रमुख रेलवे लाइनों के किनारे, जहाँ हर दिन अनगिनत ट्रेनें गुजरती हैं और हर गुजरती ट्रेन के साथ आस-पास के घरों की मंजिलें हिलने लगती हैं। ऐसे परिवेश में अपना कर्तव्य निभाते हुए शांति पाना पूरी तरह से नामुमकिन है। इसके अलावा, कुछ लोग जिन्होंने घर से दूर अपना कर्तव्य निभाते हुए सालों बिताए हैं, वे लगातार चिंता में रहते हैं और उनके दिल सबसे अच्छी स्थिति में नहीं होते हैं, जिससे उनके लिए ऐसी जगहों पर रहना और भी कम उपयुक्त हो जाता है। अगर किसी खास काम के लिए शांत परिवेश की आवश्यकता होती है, जैसे रिकॉर्डिंग का काम या पाठ आधारित का काम, तो वहाँ कम से कम कोई शोरगुल नहीं होना चाहिए और सुरक्षा भी सुनिश्चित की जानी चाहिए—यह आदर्श स्थिति होगी। अगर कोई भी जगह पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है तो अपेक्षाकृत सुरक्षित जगह ढूँढ़नी चाहिए। इस स्थिति में, थोड़ा-बहुत शोरगुल स्वीकार्य है और हमें बहुत ऊँची अपेक्षाएँ नहीं रखनी चाहिए; अगर रहने का परिवेश सुरक्षित है तो यह पर्याप्त होगा। इसके अलावा, अगर घर किसी भारी ट्रैफिक वाले इलाके जैसे कि ट्रैफिक लाइट या चौराहे के पास है, तो हर दिन अनगिनत पैदल लोग और गाड़ियाँ पास से गुजरेंगी। ऐसा घर कई राहगीरों की नजर में होता है और वहाँ से गुजरने वाले लोग एक नजर में आसानी से घर के अंदर मौजूद लोगों को देख सकते हैं। खासकर जब रात में लाइट जलती है तो घर के अंदर सब कुछ साफ-साफ दिखाई देता है। क्या तुम कहोगे कि ऐसा घर रहने के लिए तब भी स्वीकार्य है? क्या यह परिवेश उपयुक्त है? (नहीं, यह उपयुक्त नहीं है।) यह वाकई उपयुक्त नहीं है। ऐसी जगह पर रहने वाले लोगों को अक्सर हस्तक्षेप का सामना करना पड़ता है, वे अक्सर देखते हैं कि अजनबी उनकी गतिविधियों को देख रहे हैं। अगर उनकी नजर किसी अजनबी से मिलती है तो वे चौंक जाते हैं, रोज असहज महसूस करते हैं, उन्हें लगातार यही लगता है कि उन पर नजर रखी जा रही है—क्या पता इसके पीछे कोई हो जो चीजों को निर्देशित और नियंत्रित कर रहा हो। क्या तुम्हें लगता है कि ऐसे परिवेश में रहकर कोई शांत महसूस कर सकता है? साथ ही, कुछ घर घटिया गुणवत्ता के होते हैं और उनमें खराब साउंडप्रूफिंग होती है, इसलिए जब जोर से बात करते हैं या अंदर भजन चलाते हैं तो बाहर के लोग सब कुछ सुन सकते हैं। इसके अलावा, कुछ घर समुदाय में सबसे ऊँची जगहों पर स्थित होते हैं, जहाँ न केवल बिजली गिरने का खतरा होता है, बल्कि जब भी भाई-बहन बाहर निकलते हैं तो आस-पास के पड़ोसी भी उन्हें देख सकते हैं। उनके लिए कभी-कभार हवा खाने या ठंडक पाने के लिए खिड़की खोलना भी असुविधाजनक होता है; खिड़कियों के पर्दे खींचकर उन्हें मजबूती से बंद रखना पड़ता है जिससे रोशनी कभी अंदर नहीं आ पाती; बाहर जाकर घूमना-फिरना तो और भी असुविधाजनक होता है। लगातार यह चिंता बनी रहती है कि कहीं बाहरी लोग उन पर नजर तो नहीं रख रहे हैं या उन्हें देख तो नहीं रहे हैं। हालाँकि भाई-बहन एक साथ कहीं आते-जाते नहीं हैं, मगर हर बार जब कोई अंदर आता या बाहर जाता है तो बाहर के लोग साफ-साफ देख सकते हैं। अंत में उन्हें इस बात का सामान्य अंदाजा हो जाएगा कि इस घर में कितने अजनबी रहते हैं। तुम लोगों का क्या ख्याल है, क्या यहाँ रहकर लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है? (नहीं, ऐसा नहीं हो सकता।) कुछ लोग सोचते हैं, “ज्यादातर समय हम घर के अंदर ही अपना कर्तव्य निभा रहे होते हैं और अगर बाहर जाते भी हैं तो बारी-बारी से जाते हैं, एक साथ बाहर नहीं जाते। इस तरह से करने पर पड़ोसियों को कुछ भी पता नहीं चलेगा।” लेकिन अगर तुम बारी-बारी से बाहर जाते हो और अगर कोई यह देख ले कि तुम अजनबी हो, तो यह परेशानी का कारण बन जाएगा। अनेक अविश्वासी खुद बहुत अच्छा जीवन नहीं जीते, मगर दूसरों के मामलों पर नजर रखने और उनमें ताक-झाँक करने में उन्हें विशेष आनंद आता है। कुछ लोग तुम पर जासूसी करने के लिए दूरबीन का भी इस्तेमाल कर सकते हैं और यह देख सकते हैं कि तुम अंदर क्या कर रहे हो। अगर उन्हें पता चलता है कि विश्वासी इकट्ठा हो रहे हैं तो वे इनाम पाने के लिए सरकार को इसकी सूचना देने दौड़ पड़ते हैं। एक बार ऐसा व्यक्ति जब तुम पर अपनी नजरें गड़ा लेता है, तो क्या यह एक खतरनाक स्थिति नहीं है? (बिल्कुल है।) एक बार जब यह व्यक्ति तुम पर अपनी नजरें गड़ा लेता है, तो क्या इससे कुछ अच्छा हो सकता है? निश्चित रूप से तुम गिरफ्तार हो जाओगे! चाहे कोई भी देश या इलाका हो, दखलंदाजी करने वाले लोगों की कभी कमी नहीं होती। भले ही तुम पर नजर रखने के लिए उन्हें एक पैसा भी न मिले, फिर भी वे ऐसा करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं—वे तुम पर नजर रखने के लिए अपनी जेब से पैसे भी खर्च करेंगे और अपने काम में भी देरी होने देंगे। और अगर तुम्हारी रिपोर्ट करने के लिए कोई इनाम है, तो वे ऐसा करने के लिए और भी ज्यादा उत्सुक होंगे। खासकर चीन जैसे तानाशाही शासन में बहुत-से लोग परमेश्वर में विश्वास रखने वालों की निगरानी करते हैं। क्योंकि वे सत्य से विमुख हैं और परमेश्वर में विश्वास रखने वालों के प्रति घृणा महसूस करते हैं, इसलिए जैसे ही उन्हें पता चलता है कि विश्वासी आपस में बातचीत या सभा कर रहे हैं, वे इसकी रिपोर्ट कर देते हैं। अगर रिपोर्ट करने पर कोई इनाम मिलता है तो उन्हें ऐसा करने में बेहद संतुष्टि मिलती है। क्या इससे कलीसिया आसानी से मुसीबत में नहीं पड़ जाएगी? (हाँ।) अगर तुम्हारे साथ इस तरह से हस्तक्षेप किया जा रहा है, तो क्या इसका कारण यह नहीं है कि अगुआओं और कार्यकर्ताओं ने नियुक्तियों की व्यवस्था ठीक से नहीं की? अगर महत्वपूर्ण कार्य-कर्मियों को रखने का स्थान और परिवेश इसलिए उपयुक्त नहीं है क्योंकि अगुआओं और कार्यकर्ताओं ने चीजों पर पूरी तरह से विचार नहीं किया है, तो ऐसे परिणाम सामने आते हैं। अगर किसी के रहने की जगह बहुत ध्यान आकर्षित करती है तो आसानी से गड़बड़ हो सकती है। कुछ गलत होने के बाद अगर तुम्हें एहसास होता है कि यह जगह रहने के लिए उपयुक्त नहीं है, तो पहले ही बहुत देर हो चुकी है। इसलिए, अपना कर्तव्य निभा रहे लोगों के रहने के लिए उपयुक्त स्थान चुनना भी एक मुख्य काम है और गलत चयन आसानी से खतरे का कारण बन सकता है।
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